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गुरुवार, 16 अगस्त 2018

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन


नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार दोपहर बाद एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने शाम को बयान जारी कर बताया, 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 36 घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। काफी प्रयासों के बावजूद हम आज उन्हें बचा नहीं सके।' वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। मधुमेह के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था।


अटल बिहारी वाजपेयी के लिए इमेज परिणाम
अटल के स्वास्थ्य में बुधवार से तेजी से गिरावट आई थी। एम्स ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत काफी खराब हो गई है। इसके बाद गुरुवार सुबह दूसरे मेडिकल बुलेटिन में उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद से अटल को देखने के लिए एम्स में नेताओं का तांता लग गया था।




कैसी है अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत? पढ़ें

कैसी है अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत? पढ़ें

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत बेहद नाजुक है. वाजपेयी पिछले दो महीने से नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन पिछले 36 घंटे में उनकी हालत और खराब हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को उनका हाल जानने एम्स पहुंचे थे, वहीं गुरुवार को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत अन्य नेता वहां पहुंचे. वाजपेयी की हालत कैसी है इसपर पढ़ें अपडेट्स...

अटल बिहारी वाजपेयी के लिए इमेज परिणाम

1. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तबीयत नाजुक बनी हुई है. पिछले 36 घंटे में उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ है. बुधवार शाम को एम्स ने हेल्थ बुलेटिन जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी हालत बेहद नाजुक है.

2. एम्स के बुलेटिन जारी करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एम्स अस्पताल पहुंचे थे. पीएम मोदी करीब 50 मिनट तक एम्स में रहे. प्रधानमंत्री के अलावा कई और केंद्रीय मंत्रियों ने अस्पताल जाकर वाजपेयी के हेल्थ की जानकारी ली.

3. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अश्विनी कुमार चौबे, सुरेश प्रभु, हर्षवर्धन, जितेंद्र सिंह एम्स पहुंचे थे.

4. गुरुवार सुबह उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी भी एम्स अस्पताल पहुंचे. कुछ देर में अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का हाल जानने एम्स जाएंगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज शाम दिल्ली पहुंचेंगी, वह भी वाजपेयी का हाल जानने एम्स जाएंगी.

5. 93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता वाजपेयी बीते 11 जून से अस्पताल में भर्ती हैं. इससे पहले भी पीएम मोदी ने 29 जून को एम्स पहुंचकर वाजपेयी की सेहत का जायजा लिया था.




6. वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था.

7. बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी डिमेंशिया नाम की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं और 2009 से ही व्हीलचेयर पर हैं. कुछ समय पहले भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.



8. अटल बिहारी वायपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गए थे. वो बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं. 25 दिसंबर, 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा था.

9. अकाली नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट करके पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सेहत में सुधार के लिए प्रार्थना की है.



10. केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने भी ट्वीट करके जानकारी दी कि वे अटल बिहारी वाजपेयी का हालचाल जानने के लिए एम्स गए. पूर्व पीएम के इलाज में लगी मेडिकल टीम के साथ चर्चा की. उनके सेहत के लिए लाखों लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं. हमारी कामना है कि वे जल्द ही ठीक हों.

मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

अटल बिहारी वाजपेयी: एक करिश्माई व्यक्तित्व के धनी

जन्मदिवस पर विशेष .......बधाई ......शुभकामनाए 

अटल बिहारी वाजपेयी: एक करिश्माई व्यक्तित्व के धनी


नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मंगलवार को 88 वर्ष के हो गए। उनके जन्मदिन पर भाजपा के कई नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। भाजपा में करिश्माई व्यक्तित्व के धनी वाजपेयी को उनके विरोधी भी पूरा सम्मान देते हैं। वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता और सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।

अटल की सबसे बड़ी उपलब्धि :-






प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना वाजपेयी ने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये। सन 1998 में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सीआईए को भनक तक नहीं लगने दी। इस परीक्षण की खबर से अमेरिका समेत कई मुल्क सन्न रह गए थे।

यूएन में सुनाई दी हिंदी :-

अटल बिहारी वाजपेयी जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के बाद सबसे लंबे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी रहे। अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था। इन सबसे अलग उनके व्यक्तित्व का सबसे बडा गुण है कि वे सीधे सच्चे व सरल इंसान हैं। उनके जीवन में किसी भी मोड पर कभी कोई व्यक्तिगत विरोधाभास नहीं दिखा।

एक कृति से बदला जीवन :-

वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी के घर 25 दिसंबर 1924 को हुआ। उनके पिता मध्यप्रदेश की रियासत ग्वालियर में अध्यापक थे। लेखन की शैली उन्होंने अपने पिता से ही सीखी। उनके पिता हिंदी और ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। उनकी शिक्षा भी यहीं पर हुई। इसके बाद महात्मा रामचंद्र वीर द्वारा रचित अमर कृति विजय पताका ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।

राजनीति की शुरुआत :-

छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ जुड़े। बाद में उन्होंने कानपुर के डीएवी कालेज से राजनीति शास्त्र में एमए और एलएलबी की पढ़ाई भी प्रारम्भ की। यहीं से उन्होंने राजनीति का ककहरा भी सीखा। उन्होंने पांचजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसी पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। उन्हें भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में भी गिना जाता है। वह वर्ष 1968-1973 तक इसके अध्यक्ष भी रहे।

1957 में पहली बार बने सांसद :-

1955 में उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 1957 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। अटल 1968 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में जब वह विदेश मंत्री थे तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण पढ़कर अपनी अनूठी छवि और हिंदी के प्रति अपने लगाव का भी परिचय दिया।

इंडिया शाइन का दिया नारा :-

1980 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के साथ ही वह इसके अध्यक्ष भी चुन लिए गए। उन्होंने 1997 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। 19 अप्रैल, 1998 को पुन: प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वषरें में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए। लेकिन 2004 के चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका। इस दौरान उनके द्वारा दिए गए इंडिया शाइन नारे की भी कड़ी आलोचना की गई। कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की स्थापना कर एक बार फिर देश को गठबंधन की सरकार दी। इसके बाद उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया।

कवि के रूप में अटल :-

कवि के रूप में अटल की मेरी इक्यावन कविताएं प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। इसके अलावा मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान, कैदी कविराय की कुंडलियां, संसद में तीन दशक, अमर आग है, कुछ लेख: कुछ भाषण, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें और बिन्दु-बिन्दु विचार आदि हैं।