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शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

मिलिए। । बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। भाजपा प्रत्यासी संभावित डॉ प्रियंका चौधरी

मिलिए। । बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। भाजपा प्रत्यासी संभावित डॉ प्रियंका चौधरी




बाड़मेर बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में हुए अब तक चुनावो में तीन बार जीत कर विधायक और मंत्री बने वयोवृद जाट नेता गंगाराम चौधरी के परिवार से उनकी पोती डॉ प्रिओयनक चौधरी ने बाड़मेर से दमदार दावेदारी पेश कर भाजपा आलाकमान का दिल जीता हें। बाड़मेर से डॉ प्रियंका चौधरी का नाम लगभग तय माना जा रहा हें ,महज टिकट की औपचारिक घोषणा शेष हें। डॉ प्रियंका चौधरी मृदुभाषी ,मिलनसार और सहज सरल स्वाभाव की हें। गत तीन सालो से राजनीती में सक्रीय हें ,उन्होंने पहला चुनाव जिला परिषद् का लड़ा था जिसमे गुटबाजी के चलते चुनाव हर गई ,मगर उनकी तेज़ तर्रार राजनीती नज़रो ने अपना खासा प्रभाव छोड़ा हें। राजनीती ने अपने आपको नया मानाने के बव्जुन उनके पास उनके दादाजी गंगाराम चौधरी का अनुभव का खजाना हें ,सभी जाती धर्म वर्ग को साथ लेकर चलने की मंशा रखने वाली डॉ प्रियंका चौधरी बाड़मेर के विकास में अपनी सक्रीय भागीदारी की इच्छा रखती हें। किसानो ,मजदूरो और युवा वर्ग के लिए कुछ कास करने की मन में टीस हें। अपने मतदाताओ से सीधा संपर्क रखने में विशवास रखने वाली डॉ प्रियंका चौधरी समर्थको से सीधा संवाद स्थापित करती हें यही खाशियत उन्हें लोक प्रिय बनती हें ,उनका विधान सभा का प्रथम चुनाव हें जहा उनकी दावेदारी हें। उनकी जीत जातिगत समीकरणों के अलावा अन्य समाजो ने उनके परिवार के प्रति अगाध स्नेह मुख्य भिमिका निभाएगा। बाड़मेर के युवा उन्हें विधायक के रूप में देखना चाहते हें।

रविवार, 6 अक्तूबर 2013

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

कड़ी टक्कर और दिलचस्प मुकाबला होगा बाड़मेर में कांग्रेस भाजपा में 

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर की सीट पर सभी की नज़ारे हें। विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ एक बार फिर हलचल शुरू हो गयी। बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में वाही उम्मीदवार जीतेगा जिसके पक्ष में जातिगत समीकरण होंगे ,बाड़मेर में कांग्रेस की और से वर्तमान विधायक मेवाराम जैन एकमात्र उम्मीदवार हें। कोई आकस्मिक बड़ा फेरबदल टिकट वितरण में न हो तो उनकी उम्मीदवारी तय हें ,मगर बाड़मेर के जाट नेता मुख्यालय की सीट अपने पास रखना चाहते हें। एन वक्त पर कांग्रेस जाट उम्मीदवार मैदान में उतर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। भाजपा के उम्मीदवार दावेदारों की लम्बी फ़ौज हें। बाड़मेर के कद्दावर नेता गंगाराम चौधरी की पौती डॉ प्रियंका चौधरी ,पिछला चुनाव हरी मृदुरेखा चौधरी ,राम सिंह बोथिया ,रतन लाल बोहरा ,मूलाराम भाम्भू ,अमिता चौधरी ,रणवीर सिंह भादू ,कैलाश बेनीवाल और भी कई नाम हें। मगर इनमे सबसे सशक्त दावेदारी डॉ प्रियंका चौधरी की हें। गंगाराम चौधरी की पौती होने के नाते उनकी दावेदारी वजनदार बनती हें साथ ही बाड़मेर सीट पर प्रियंका चौधरी ही कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हें। शेष उम्मीदवार मेवाराम जैन के सामने टिक नहीं पाएंगे ,गंगाराम का अपना प्रभाव था जो ग्रामीण अंचलो में आज भी बरकरार हें। 


कहने को जाट बेल्ट के आलावा भाजपा के परंपरागत वोट और कांग्रेस के असंतुष्ट के सहारे भाजपा को बाड़मेर से उम्मीद हें तो वर्तमान विधायक मेवाराम जैन कुछ क्षेत्रो में मजबूत हें मगर त्रिपन हज़ार मतों के साथ सबसे ज्यादा वोट जाटो के हें जो मेवाराम से इस बार छिटक सकते हें। गत चुनावो में भी मेवाराम के साथ कांग्रेस के गोर्धन सिंह और मुकनाराम गोरसिया सारथि बने थे ,बाकी कांग्रेसियों ने अपने आप को दूर रखा था। भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खुले आम थे। इन कार्यकर्ताओ में कुछ इस बार भाजपा की दावेदारी भी कर रहे हें। मेवार जैन को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए एडी से छोटी का जोर लगाना होगा साथ ही उन्हें हराने में जुटे प्रभावशाली लोगो पर भी नज़र रखनी होगी ,बाड़मेर में करीब राजपूत ,बीस हज़ार रावन राजपूत ,बारह हज़ार मुस्लिम ,दस से बारह हज़ार जैन ,तीस हज़ार अनुसूचित जाती जनजाति के थोक वोट हें। पिछले चुनावो की हर जीत का अंतर कोई ज्यादा न था बारह हज़ार वोट भाजपा को इधर उधर करने हें जीतने के लिए तो कांग्रेस उम्मीदवार को गंगाराम चौधरी की चुनावी रणनीति को सबसे पहले पार पाना होगा ,गंगाराम का राजनितिक जीवन अनुभव कांग्रेस प्रत्यासी की उम्र के बराबर हें ,गंगाराम हमेशा एक चुनावी रणनीति अपना कर चुनाव लडे और जीते ,उन्होंने दिग्गजों को आसानी से हराया हें। कांग्रेस उम्मीदवार दुआ करे उनके सामने गंगाराम परिवार न हो। भाजपा के लिए सबसे सशक्त उम्मीदवार प्रियंका हें। कांग्रेस प्रत्यासी अपने पांच साल के कार्यकाल का जवाब भी देंगे। चुनावो में कुछ उम्मीदवार अन्य दलों के उतरेंगे तो कुछ निर्दलीय भी लड़ेंगे जो दोनों दलों को नुकसान करेंगे


बाड़मेर विधायक के पक्ष में। बाड़मेर में गत पांच सालो में विकास कार्य खूब हुए ,ओवर ब्रिज ,नया बस स्टेंड ,विद्यालय ,स्वास्थ्य केंद्र ,,टाँके हेंड पम्प,जैसे कई काम विधायक के पक्ष में हें.


विपक्ष में। . स्थानान्तारानो में राजनीती ,गुटबाजी ,विभिन समाजो के साथ असामंजस्य ,आम आदमी को कम नहीं ,विधायक कोष से चहेतो को लाभ ,ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या का निदान नहीं ,जातिगत असंतुलित समीकरण ,नगर परिषद् कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप ,प्रभाव शाली व्यक्तियों का आर्थिक नुक्सान


भाजपा उम्मीदवार पक्ष में वसुंधरा राजे और नरेन्द्र मोदी की लोक प्रियता का फायदा ,जाट प्रत्यासी ,भाजपा के साथ अन्य समाजो का जुड़ना ,विधायक से व्यक्तिगत नाराज प्रभावी लोगो का समर्थन


विपक्ष में कमज़ोर संगठन ,नेतृत्व का आभाव ,गुटबाजी ,कार्यकर्ताओ से दुरी ,चार साल लोगो के बीच से नदारद ,आपसी मतभेद ,

शनिवार, 31 अगस्त 2013

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र भाजपा को कांग्रेस विधायक के गोद गए भाजपाईयों से खतरा

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र

भाजपा को कांग्रेस विधायक के गोद गए भाजपाईयों से खतरा 


बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के महत्वपूर्ण जिला मुख्यालास्य विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर में भाजपा को कांग्रेस विधायक के गोद गए भाजपाई पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओ से भितरघात का खतरा हें। बाड़मेर विधानसभा सीट पर गत बार विधानसभा चुनावो में कांग्रेस के उम्मीदवार मेवाराम जैन ने भाजपा के दम पर भरी जीत हासिल कर विधानसभा की राह पकड़ी थी ,गत चुनावो में भाजपा के अधिकांस पदाधिकारी और कार्यकर्ता टिकट वितरण से नाराज होकर खुले आम कांग्रेस उम्मीदवार का खुलकर ना कवक समर्थन किया बल्कि उनके साथ सभाओ में वोट भी मांगे ,गत बार चुनावो में कांग्रेस के लिए वोट मांगने वाले कई चहरे इस बार भाजपा से टिकट की दावेदारी कर रहे हें ,कांग्रेस विधायक के साथ भाजपा के कई पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ कार्यकर्ताओ के ताल्लुकात आज भी कायम हें। वसुंधरा राजे को जिले की वस्तुस्थाती भाजपाई बता नहीं रहे हें ,भाजपा की और से तीन चार दावेदार टिकट की कतार में हें ,जिन को टिकट नहीं मिलेगी वो कांग्रेस विधायक के साथ हो जायेंगे ,गत माह सुराज यात्रा पर आई वसुंधरा राजे ने स्वयं बाड़मेर की गुटबाजी अपने आँखों से देखि हें हें। भाजपा में क्लेश का काम कांग्रेस कर रही हें ,भाजपा के कई पदाधिकारी कांग्रेस विधायक के अहसान तले दबे हें ,यह अहसान विधानसभा चुनावो में अपनी पार्टी के साथ दागा कर भाजपाई उतरने को तैयार हें ,समय रहते वसुंधरा राजे को स्वयं इन भाजपाई यों कर लगाम कसनी होगी वर्ना बाड़मेर सीट पर भाजपा कभी नहीं आ पायेगी ,वर्तमान राजनितिक और जातिगत समीकरण भाजपा के भले ही पक्ष में हो मगर भाजपा को शकुनियो और जयचंदों से ही खतरा हें ,कांग्रेस विधायक स्वयं जानते हें की उनकी जीत भाजपा के भीतरघात से ही संभव हें ,भाजपा ने अभी तक चुनावी चौसर नहीं बिछाई हें इसके बावजूद गुटबाजी भाजपा की जीत पर भरी पद सकती हें