बाड़मेर। जीते जी बाप को किया चुप, मरने के बाद करते है धूप : साध्वी सुरंजना
साध्वीश्री कहा कि वंदितु सूत्र की आधारशीला से ये हमारे जीवन की दूरबीन है। वंदितुसूत्र के द्वारा हम अपने जीवन को पापों का तापमान मानने के लिए एक थर्मामीटर है। वंदितु सूत्र के द्वारा आत्मशुद्धि के लिए विशेष शुद्धि का वॉशिंग पाउडर या वॉशिंग मशीन भी कह सकते है। ये वंदितु सूत्र कही आगमों का खजाना है। यह वंदितु सूत्र कही महापुरूषों की घटित घटनाओं से संबंधित है। इस वंदितु सूत्र की एक-एक गाथे का एक-एक उदाहरण दस-बीस पेज से यह व्याप्त है। इस वंदितु सूत्र का एक भी उदाहरण हमारे जीवन को स्पर्श करे तो हमारा जीवन सार्थक हो जाता है। कहीं महापुरूषों ने इस वंदितु सूत्र के जरिए अपना जीवन बदला लेकिन हम अपने जीवन में परिवर्तन क्यों नही कर पाये। पापों से भयभीत क्यों नही हो पाये। हम दीर्घ दृष्टि बनकर सोचे की लुटेरा लूटकर भी क्या लूटेगा, हमारा धन, सम्पति, शरीर लेकिन अठारह पापस्थानक रूपी लूटेरे हमारे भवोभव की पुण्याई की सम्पति लूट लेगें। पाप करते समय अफसोस नही होता है, अफसोस तब होता है जब वो पाप प्लवित होकर होकर हमारे समक्ष आकर खड़ा होगा तब हमारे रोंगटे खड़े जायेगें। राग का त्याग करे त्याग का राग न करे। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नही है जो कर्मों का मारा न हो।
खरतरगच्छ चातुर्मास समिति, बाड़मेर के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को प्रातः 11.30 बजे सौभाग्य तप की महिलाओं द्वारा तप की पूर्णाहूति निमित प.पू. गुरूमैया श्री सुरंजनाश्री महाराज की निश्रा में स्थानीय जैन न्याति नोहरा में पाश्र्व-पदमावती महापूजन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आचार्य कविन्द्रसागरसूरि महाराज के शिष्य कल्पतरूसागर महाराज ने उपस्थिति प्रदान की। महापूजन पार्श्वनाथ भगवान व पदमावती माता की प्रतिमा के समक्ष का विभिन्न मंत्रोच्चार के माध्यम से आह्वान किया गया तथा जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य, फल आदि के माध्यम से पूजन किया गया। पूजन में विधिकारक उदय गुरूजी व संगीतकार गौरव मालू एण्ड द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी गई।
रिपोर्ट :- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ / बाड़मेर
बाड़मेर। पहले के लोग संयुक्त कर्म नही बांधते थे लेकिन संयुक्त रहते थे लेकिन अब लोग संयुक्त कर्म बांधते है और रहते एकाकी है। सुख जाते देरी नही लगती है तो दुःख जाते भी समय नही लगेगा। जों बेटे जीते जी बाप को चुप कराते है वो मरने के बाद उसी बाप को धूप करते है। यह उद्बोधन साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने चातुर्मासिक प्रवचनमाला के दौरान स्थानीय जैन न्याति नोहरा में उपस्थित जनसमुदाय को दिया।
बाड़मेर। पहले के लोग संयुक्त कर्म नही बांधते थे लेकिन संयुक्त रहते थे लेकिन अब लोग संयुक्त कर्म बांधते है और रहते एकाकी है। सुख जाते देरी नही लगती है तो दुःख जाते भी समय नही लगेगा। जों बेटे जीते जी बाप को चुप कराते है वो मरने के बाद उसी बाप को धूप करते है। यह उद्बोधन साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने चातुर्मासिक प्रवचनमाला के दौरान स्थानीय जैन न्याति नोहरा में उपस्थित जनसमुदाय को दिया।
साध्वीश्री कहा कि वंदितु सूत्र की आधारशीला से ये हमारे जीवन की दूरबीन है। वंदितुसूत्र के द्वारा हम अपने जीवन को पापों का तापमान मानने के लिए एक थर्मामीटर है। वंदितु सूत्र के द्वारा आत्मशुद्धि के लिए विशेष शुद्धि का वॉशिंग पाउडर या वॉशिंग मशीन भी कह सकते है। ये वंदितु सूत्र कही आगमों का खजाना है। यह वंदितु सूत्र कही महापुरूषों की घटित घटनाओं से संबंधित है। इस वंदितु सूत्र की एक-एक गाथे का एक-एक उदाहरण दस-बीस पेज से यह व्याप्त है। इस वंदितु सूत्र का एक भी उदाहरण हमारे जीवन को स्पर्श करे तो हमारा जीवन सार्थक हो जाता है। कहीं महापुरूषों ने इस वंदितु सूत्र के जरिए अपना जीवन बदला लेकिन हम अपने जीवन में परिवर्तन क्यों नही कर पाये। पापों से भयभीत क्यों नही हो पाये। हम दीर्घ दृष्टि बनकर सोचे की लुटेरा लूटकर भी क्या लूटेगा, हमारा धन, सम्पति, शरीर लेकिन अठारह पापस्थानक रूपी लूटेरे हमारे भवोभव की पुण्याई की सम्पति लूट लेगें। पाप करते समय अफसोस नही होता है, अफसोस तब होता है जब वो पाप प्लवित होकर होकर हमारे समक्ष आकर खड़ा होगा तब हमारे रोंगटे खड़े जायेगें। राग का त्याग करे त्याग का राग न करे। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नही है जो कर्मों का मारा न हो।
खरतरगच्छ चातुर्मास समिति, बाड़मेर के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को प्रातः 11.30 बजे सौभाग्य तप की महिलाओं द्वारा तप की पूर्णाहूति निमित प.पू. गुरूमैया श्री सुरंजनाश्री महाराज की निश्रा में स्थानीय जैन न्याति नोहरा में पाश्र्व-पदमावती महापूजन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आचार्य कविन्द्रसागरसूरि महाराज के शिष्य कल्पतरूसागर महाराज ने उपस्थिति प्रदान की। महापूजन पार्श्वनाथ भगवान व पदमावती माता की प्रतिमा के समक्ष का विभिन्न मंत्रोच्चार के माध्यम से आह्वान किया गया तथा जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य, फल आदि के माध्यम से पूजन किया गया। पूजन में विधिकारक उदय गुरूजी व संगीतकार गौरव मालू एण्ड द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी गई।