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रविवार, 4 नवंबर 2018

आलेख - 5 नवम्बर 2018, धनतेरस के लिए सबसे बड़ा धन है उत्तम सेहत

आलेख - 5 नवम्बर 2018, धनतेरस के लिए

सबसे बड़ा धन है उत्तम सेहत
- डॉ. दीपक आचार्य
9413306077



आजकल इंसान की सर्वाधिक दौड़ धन की ओर धन संग्रह में लगी हुई। इसमें दो किस्मों के लोग हैं। एक वे हैं जो धर्म एवं नीति संगत कार्यों और स्वयं के पुरुषार्थ से धन संग्रह करते हुए पूरी मस्ती के साथ जीवन जीते हैं। दूसरे प्रकार में वे लोग हैं जिन्हें पुरुषार्थ से कहीं अधिक भरोसा अपनी कुटिल बुद्धि और चातुर्य पर है तथा शुचिताहीन धंधों और बिना मेहनत-मजदूरी किए सब कुछ अपने अधिकार में कर लेने की मनोवृत्ति हावी है।
इन लोगों के लिए धनसंचय के लिए किसी भी प्रकार के अधर्म, अनीति और अन्याय को स्वीकार कर इनके उपयोग मेंं कहीं कोई लाज-शरम नहीं आती। इनका मकसद सिर्फ और सिर्फ यही है कि चाहे जिस तरह भी हो सके जमीन-जायदाद और सभी प्रकार के संसाधन अपनी हद में होने चाहिएं। ऎसे लोग जिन्दगी भर पराये लोगों की जमीन, जायदाद और अधिकारों को हड़पने में लगे रहते हैं।
इन लोगों के जीवन का मकसद हराम की कमाई करना ही होता है चाहे इसके लिए औरों को कितना ही कष्ट क्यों न दिया जाए।  इनके जीवन में पुरुषार्थ नाम का कोई तत्व शेष नहीं रहता। ये मानते हैं कि जो कुछ इस संसार में है वह पूरा इनका है और जब जाएंगे तब सारा कुछ साथ ले जाएंगे। नहीं ले जा पाएं तो कम से कम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए इतना कुछ कर जाएंगे कि वे भी याद रखेंगी।
इन लोगों को यह भ्रम सदैव बना रहता है कि दुनिया में उन्हीं की पूछ होती है जिनके पास बेहिसाब धन-दौलत होती है। अपने आपको ऎसे लोग कितने ही धनवान क्यों न मानें मगर हकीकत यह है कि ये लोग अपार धन-दौलत, भोग-विलासिता के तमाम ऎश्वर्यों, संसाधनों के होते हुए भी कई मामलों में भिखारियों से भी गए गुजरे होते हैं।
इनके पास कहने को धन के नाम पर रुपया-पैसा, चाँदी-सोना और वैभव जरूर होता है लेकिन ये दूसरे सारे पहलुओं में दरिद्री और घटिया किस्म के निर्धन हुआ करते हैं। ऎसे धनी और हरामखोर लोग अपने पास कितना ही संचय क्यों न कर लें मगर प्रसन्नता, मानसिक एवं शारीरिक आरोग्य, सुकूनदायी जिन्दगी से लेकर सभी दृष्टियों से निर्धन होते हैं। इनका पूरा जीवन गोलियों, इंजेक्शनों पर गुजरता है। कई लोग तो रोजाना गोलियाेंं का नाश्ता ही करते हुए लगते हैं। खूब सारे लोग ऎसे हैं जो हमेशा जात-जात की दवाइयां हमेशा अपने साथ रखने को विवश हो गए हैं।
अपार संपदा प्राप्त होने के बाद भी व्यक्ति का चित्त प्रसन्न न हो, लाख कोशिशों के बाद भी चेहरे पर उन्मुक्त खुशी के भाव न आ पाएं, बीमारियां घेर लें, आम आदमी के लायक खाना-पीना भी न कर सकें, मस्ती से सो नहीं पाएं, औरों को दुःखी करते रहें तथा उन सभी प्रकार के आनंद से दूर हो जाएं, जो एक आम आदमी मौज-मस्ती के साथ बिना परिश्रम के पा लेता है, ऎसी स्थिति में इन धनाढ्यों और अपार वैभवशाली लोगों की जिन्दगी भिखारियों से कहाँ अच्छी होती है?  आज कितने लोग ऎसे रह गए हैं जिनके चेहरे पर सहज स्वाभाविक रूप से मुस्कान तैरती रहती है।
जीवन में धन और आरोग्य का सीधा संबंध है जो मनुष्य के समझदार होने से लेकर मरने के बाद तक गूंजता रहता है। जहाँ धन में शुचिता होगी वहाँ आरोग्य अपने आप आ ही जाएगा। और जहाँ धन में पुरुषार्थ और पवित्रता का अभाव रहेगा, वहाँ कोई भी व्यक्ति अपार वैभव सम्पन्न तो कहा जा सकता है लेकिन लक्ष्मीवान और आरोग्यवान कभी नहीं हो सकता।
आरोग्य वहीं रहता है जहाँ लक्ष्मी हो। जहाँ कहीं अलक्ष्मी है, पुरुषार्थहीनता है, हराम की कमाई हो, लोभ-लालच और दबावों से कमाया पैसा आ जाए, वहाँ कभी भी आरोग्य नहीं रह सकता। इसके साथ ही संतोष सबसे बड़ा धन है जिसके आ जाने पर चित्त की उद्विग्नताएं और असीमित कामनाओं का ज्वार समाप्त हो जाता है।
बेहतर जिन्दगी जीने के लिए मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य जरूरी है। हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि आरोग्य और संतोष का धन पाने के लिए पुरुषार्थ और जीवनशैली के हर पहलू में शुचिता सर्वोपरि है अन्यथा तैयार रहें उन सभी हालातों के लिए जो आजकल अधर्म और अनीति से धन-दौलत पाने वाले भुगत रहे हैं।
धनतेरस एवं भगवान धन्वन्तरि जयंती पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ .....

सोमवार, 9 नवंबर 2015

ये हैं दीपावली महापर्व के 5 दिन आैर उनके खास उपाय, जानिए शुभ मुहूर्त


दीपावली 5 पर्वों का महापर्व माना जाता है। पांचों दिन इन पर्वों को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इन पांच दिनों में घरों एवं बाजारों में उत्सवी माहौल रहता है। दीपावली के 5 अति शुभ पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलते है। इस पांचों दिनों का अपना अलग और विशेष महत्व है। इन सभी दिनों में की गई पूजा-अर्चना और उपायों को यदि सही मुहूर्तों में किया जाए तो व्यक्ति के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते है। इस बार धनतेरस सोमवार को शिव के वार के साथ आने से विशेष फलदायी रहेगी। धन्वंतरि पूजा का समय शाम 5.59 से 7.06 बजे तक रहेगा। खरीदारी के लिए धनतेरस के दिन सूर्योदय से 8.07 बजे तक अमृत, 9.28 से 10.49 बजे तक शुभ, दोपहर 2.53 से शाम 5.35 तक चर, लाभ एवं अमृत का चौघड़िए में सोना चांदी, वाहन, जमीन, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान आदि खरीदने के लिए अति शुभ है। इसके अतिरिक्त 5.35 से 8.13 बजे तक प्रदोषकाल एवं 5.59 से 7.55 बजे तक वृषभ काल में खरीददारी का शुभ महूर्त है, इसलिए जहां तक संभव हो हर किसी को इन्ही समय में अपनी विशेष खरीददारी करनी चाहिए। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा भी होती है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त हर व्यक्ति को अपने घर और प्रतिष्ठान में पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। धनतेरस से शुरू कर 5 दिनों तक गृहस्थ को दीपदान करने का विधान है।धनतेरस के अगले दिन मंगलवार को नरक चतुर्दशी है। इस दिन पितरों का तर्पण अवश्य चाहिए। इस दिन सुबह भगवान यम का तर्पण करके शाम को घर की चौखट पर यम दीपक जलाने से उस घर में किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती है। नरक चतुर्दशी को संकटमोचन हनुमान की पूजा अवश्य करनी चाहिए। बुधवार को दीपावली मनाई जाएगी। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या 11 नवम्बर को पड़ रही है। दीपावली में मां लक्ष्मी का विशेष पूजन किया जाता है। इस रात्रि को जागरण करके धन की देवी लक्ष्मी माता का विधिपूर्वक पूजन करने से मनुष्यों को सभी भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है। लक्ष्मी मां की प्रदोष काल, स्थिर लग्न में पूजा विशेष फलदायी मानी गयी है। गुरुवार को गोवर्धन पूजा होगी। शुक्रवार को भाई और बहन के अटूट प्रेम का त्योहार भैया दूज मनाया जाएगा। इस दिन टीका मुहूर्त दोपहर 1.15 से 3.24 बजे तक तिलक किया जा सकता है।