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शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

डीएनपी से लगता क्षेत्र बनेगा ईको सेंसेटिव जोन


डीएनपी से लगता क्षेत्र बनेगा ईको सेंसेटिव जोन

एक तरफ डीएनपी की सीमाओं को छोटा करने की चर्चा थी वहीं केन्द्र सरकार ने इसे बढ़ाते हुए ईको सेंसेटिव जोन बनाने के निर्देश दे दिए हैं



बाड़मेर व जैसलमेरजिले के 3 हजार 162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले राष्ट्रीय मरू उद्यान क्षेत्र की सीमाएं अब बढऩे वाली है। जहां अब तक इसकी सीमाओं को कम करने की चर्चा के साथ जनप्रतिनिधि व दोनों के जिलों वाशिंदे मांग कर रहे थे उसके विपरीत केन्द्र सरकार ने डीएनपी क्षेत्र के आसपास के इलाके को ईको सेंसेटिव जोन बनाने के निर्देश दे दिए हैं। केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने राजस्थान में वाइल्ड लाइफ को संरक्षित रखने तथा इसमें किसी भी प्रकार के मानवीय दखल को रोकने के लिए प्रदेश के सभी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी व नेशनल पार्क से लगते क्षेत्रों को ईको सेंसेटिव जोन बनाने की तैयारियां शुरू कर दी है। इसी क्रम में जैसलमेर व बाड़मेर जिले के 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले डेजर्ट नेशनल पार्क के लिए जैसलमेर कलेक्टर की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी की ईको सेंसेटिव जोन की सीमाओं के निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आगामी 9 अगस्त को होगी। कमेटी में जैसलमेर कलेक्टर अध्यक्ष तथा एसडीएम जैसलमेर व शिव, फोरेस्ट ऑफिसर जैसलमेर व बाड़मेर, प्रधान पंचायत समिति जैसलमेर व शिव सदस्य होंगे। सूत्रों के अनुसार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी व नेशनल पार्कों के आसपास विभिन्न गतिविधियां बढऩे से पर्यावरण व वाइल्ड लाइफ को खतरा बढ़ता जा रहा था, इसके चलते केन्द्र सरकार ने ईको सेंसेटिव जोन बनाने के निर्देश दिए हैं। आगामी दिनों में होने वाली बैठक में कमेटी द्वारा ईको सेंसेटिव जोन डीएनपी पार्क से कितने किलोमीटर तक होगा, इसका निर्धारण किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार यह सीमा एक किलोमीटर तक हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ ईको सेंसेटिव जोन बनने से लोगों की मुश्किलें और बढऩे की संभावना है। वर्तमान में डीएनपी क्षेत्र में जैसलमेर के 34 व बाड़मेर के 52 गांवों का विकास रुका हुआ है। यहां किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य नहीं हो सकते हैं और नहर की गडरा शाखा का कार्य भी अधर झूल में लटका हुआ है। ऐसे में ईको सेंसेटिव जोन से मुश्किलों में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है।