"जन-गण-मन" लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
"जन-गण-मन" लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2013

आज पहली बार गाया था हमने "जन-गण-मन"

जयपुर। भारतीय राष्ट्रगान "जन गण मन, अधिनायक जय है" आज ही के दिन 27 दिसम्बर 1911 को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मंच पर सार्वजनिक रूप से गाया गया था। आजादी के बाद इस गीत को 24 जनवरी 1950 को भारत के राष्ट्रगान के रूप में अधिगृहीत किया गया था। आज पहली बार गाया था हमने "जन-गण-मन"
मूल रूप से बंगाली में लिखे गये इस गीत की रचना नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर ने की थी। आबिद अली ने इसे बंगाली से हिन्दी में अनुवादित किया था। हालांकि मूल बंगाली कविता और हिन्दी अनुवाद में एक छोटा सा परिवर्तन कर दिया गया, यह परिवर्तन "शुभ सुख चैन की बरखा बरसे, भारत भाग है जागा" पंक्ति में किया गया। जन गण मन का संगीत भी रविन्द्रनाथ टैगोर ने दिया था।

कोड ऑफ कंडक्ट

हमारे देश के राष्ट्रगान गाने के लिए संविधान सभा ने एक कोड ऑफ कंड़क्ट (आचार संहिता) निर्धारित किया है। इस कोड के अनुसार पूरे गान में 20 सेकेंड का ही समय लगना चाहिए। राष्ट्रगान को पूरे सम्मान के साथ सीधे खड़े होकर गाना चाहिए। साथ ही यदि आस-पास कही राष्ट्रगान चल रहा हो तो उसे सम्मान देते हुए तुरंत अपने स्थान पर खड़े हो जाना चाहिए।

राष्ट्रगान से जुड़े विवाद

जन गण मन अपने जन्म के पहले दिन से ही विवादों से जुड़ा रहा है। इतिहास के अनुसार 30 दिसंबर को किंग जार्ज पंचम का कलकत्ता दौरा तय किया गया था। कहा जा रहा था कि यह रचना ब्रिटिश सम्राट की प्रशंसा में लिखा गया था।

रविन्द्रनाथ टैगोर ने 1939 में लिखे एक खत में स्पष्ट किया कि उनके कुछ मित्र जो कि अंगेजीयत के प्रशंसक थे उन्होंने सम्राट की प्रशंसा वाली कविता लिखने का आग्रह किया था। हालांकि इस मांग ने उन्हें मानसिक रूप से उद्देलित कर दिया जिसके बाद उन्होंने आम भारतीय के सम्मान को प्रदर्शित करने वाली कविता के रूप में जन गण मन को जन्म दिया।