बाडमेर थार_थळी के सांस्कृतिक त्योहार थार महोत्सव को पुनः आरंभ करे युवा जिला कलेक्टर*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*
*पश्चिमी राजस्थान की लोक कला और संस्कृति देश विदेश में सर चढ़ कर बोलती है।राजस्थान के पर्यटन को नई ऊंचाइयां देने में ऐसे ही सांस्कृतिक महोत्सवों का अहम योगदान रहा है।।आज राजस्थान के लोक कला,संस्कृति,परंपरा और इतिहास का कोई सानी नही।।इसी उद्देश्य को लेकर बाडमेर जिले में जिलाप्रशासन द्वारा कोई 25 साल पहले थार महोत्सव का आययोजन शुरू किया।।धीरे धीरे यह आययोजन परवान चढ़ता गया।।थार थळी की लोक संस्कृति और कला से रूबरू करता थार महोत्सव की बहुत सारी प्रतियोगिताएं खासी लोकप्रिय हुई।।बाडमेर जिला पर्यटन से जुड़ने लगा।।बीच बीच मे थार महोत्सव का आयोजन स्थगित भी हुआ।मगर 2007 की बाढ़ के बाद इसे स्थायो रूप से बन्द कर दिया।जबकि सीमांत सिंह जिले की पहचान बने थार महोत्सव के आययोजन नही होने से लोक कला संस्कृति से जुड़े योग काफी निराश भी हुए।थार महोत्सव को रद्द करने में स्थानीय जिला प्रशासन की अदूरदर्शिता भी शामिल है।पर्यटन समिति में ऐसे लोगो को शामिल किया जिनका थार की लोक कला संस्कृति से कोई दूर का भी सरोकार नही।।विषय विशेषग्यो को दूर रखने से थार महोत्सव को लेकर होटल व्यवसायियों में भी स्वार्थ आ गया।।इन लोगो ने जिले की संस्कृति को बढ़ावा देने की बजाय होटल सीजन को प्रमोट करने में रुचि दिखाई।।साथ ही इनका इंटर फेयर बढ़ने लगा।।होटल व्यवसायी इस महोत्सव को दीवाळी पर करने का सुझाव ले आये जबकि थार महोत्सव का आयोजन जिले के सुविख्यात लोक संस्कृति की परिचायक गैर नृत्य के सर्वाधिक उपयुक्त समय होली के बाद मालाणी पट्टी में आयोजित होने वाले गैर नृत्यों के मेलो के समय है।।यह समय होता है जब मालाणी की धरा गैर नृत्यों की रामक झमक से महक उठता है।कनाना और लाखेटा के गैर मेले अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।।सके साथ कनाना में शीतल सप्तमी का बड़ा मेला आयोजित होता है।।थार महोत्सव का आगाज़ जिला मुख्यालय से शोभायात्रा के साथ होता है यह सफर आदर्र्श स्टेडियम में मूँछ प्रतियोगिता,साफा बांधो प्रतियोगिता,पनिहारी दौड़,दादा पोता दौड़,थार श्री ,थार सुंदरी जैसी अनेक लोक प्रतोयोगिताए इस मेले को परवान चढ़ती है तो शाम को महाबार के मखमली धोरों में लोक गीत संगीत की सुरमई शाम समझती है जो हर एक को मदहोश कर देती है।।किराडू के प्राचीन मंदिरों में लोक गायिकी इसे परवान चढ़ाती है।।कैमल पोलो,कमल दौड़ का आयोजन भी आकर्षित करता है।।इस आययोजन को जिला प्रशासन के साथ कुछ स्वार्थी और अज्ञानी लोगो के समितियों में जोड़ने से ग्रहण लग गया। लम्बे समय से इसका आययोजन निहि हो रहा।।
*युवा जज्बे से लबरेज ऊर्जावान कलेक्टर हिमांशु गुप्ता से आग्रह है जिले की लोक कला संस्कृति और लोक गीत संगीत को सरंक्षण देने के उद्देश्य से इसे पुनः आरंभ करें।।पर्यटन समिति में लोक कला संस्कृति से जुड़े युवाओ को जोड़कर इस आययोजन को शुरू कर जिले वासियो को सौगात दे।।*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*
*पश्चिमी राजस्थान की लोक कला और संस्कृति देश विदेश में सर चढ़ कर बोलती है।राजस्थान के पर्यटन को नई ऊंचाइयां देने में ऐसे ही सांस्कृतिक महोत्सवों का अहम योगदान रहा है।।आज राजस्थान के लोक कला,संस्कृति,परंपरा और इतिहास का कोई सानी नही।।इसी उद्देश्य को लेकर बाडमेर जिले में जिलाप्रशासन द्वारा कोई 25 साल पहले थार महोत्सव का आययोजन शुरू किया।।धीरे धीरे यह आययोजन परवान चढ़ता गया।।थार थळी की लोक संस्कृति और कला से रूबरू करता थार महोत्सव की बहुत सारी प्रतियोगिताएं खासी लोकप्रिय हुई।।बाडमेर जिला पर्यटन से जुड़ने लगा।।बीच बीच मे थार महोत्सव का आयोजन स्थगित भी हुआ।मगर 2007 की बाढ़ के बाद इसे स्थायो रूप से बन्द कर दिया।जबकि सीमांत सिंह जिले की पहचान बने थार महोत्सव के आययोजन नही होने से लोक कला संस्कृति से जुड़े योग काफी निराश भी हुए।थार महोत्सव को रद्द करने में स्थानीय जिला प्रशासन की अदूरदर्शिता भी शामिल है।पर्यटन समिति में ऐसे लोगो को शामिल किया जिनका थार की लोक कला संस्कृति से कोई दूर का भी सरोकार नही।।विषय विशेषग्यो को दूर रखने से थार महोत्सव को लेकर होटल व्यवसायियों में भी स्वार्थ आ गया।।इन लोगो ने जिले की संस्कृति को बढ़ावा देने की बजाय होटल सीजन को प्रमोट करने में रुचि दिखाई।।साथ ही इनका इंटर फेयर बढ़ने लगा।।होटल व्यवसायी इस महोत्सव को दीवाळी पर करने का सुझाव ले आये जबकि थार महोत्सव का आयोजन जिले के सुविख्यात लोक संस्कृति की परिचायक गैर नृत्य के सर्वाधिक उपयुक्त समय होली के बाद मालाणी पट्टी में आयोजित होने वाले गैर नृत्यों के मेलो के समय है।।यह समय होता है जब मालाणी की धरा गैर नृत्यों की रामक झमक से महक उठता है।कनाना और लाखेटा के गैर मेले अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।।सके साथ कनाना में शीतल सप्तमी का बड़ा मेला आयोजित होता है।।थार महोत्सव का आगाज़ जिला मुख्यालय से शोभायात्रा के साथ होता है यह सफर आदर्र्श स्टेडियम में मूँछ प्रतियोगिता,साफा बांधो प्रतियोगिता,पनिहारी दौड़,दादा पोता दौड़,थार श्री ,थार सुंदरी जैसी अनेक लोक प्रतोयोगिताए इस मेले को परवान चढ़ती है तो शाम को महाबार के मखमली धोरों में लोक गीत संगीत की सुरमई शाम समझती है जो हर एक को मदहोश कर देती है।।किराडू के प्राचीन मंदिरों में लोक गायिकी इसे परवान चढ़ाती है।।कैमल पोलो,कमल दौड़ का आयोजन भी आकर्षित करता है।।इस आययोजन को जिला प्रशासन के साथ कुछ स्वार्थी और अज्ञानी लोगो के समितियों में जोड़ने से ग्रहण लग गया। लम्बे समय से इसका आययोजन निहि हो रहा।।
*युवा जज्बे से लबरेज ऊर्जावान कलेक्टर हिमांशु गुप्ता से आग्रह है जिले की लोक कला संस्कृति और लोक गीत संगीत को सरंक्षण देने के उद्देश्य से इसे पुनः आरंभ करें।।पर्यटन समिति में लोक कला संस्कृति से जुड़े युवाओ को जोड़कर इस आययोजन को शुरू कर जिले वासियो को सौगात दे।।*