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शुक्रवार, 17 अगस्त 2018

बाड़मेर। भगवान नेमीनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव में उमड़ा आस्था का सैलाब

बाड़मेर। भगवान नेमीनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव में उमड़ा आस्था का सैलाब



रिपोर्ट :- चन्द्र प्रकाश बी छाजेड़ / बाड़मेर


बाड़मेर। स्थानीय जैन न्याति नोहरा में बाईसवें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथजी के जन्म व दीक्षा कल्याणक पर आधारित नाट्य मंचन को जिसने भी देखा, मानो धन्य हो उठा। इस नाटक की सबसे बड़ी खासियत इसकी दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति रही। शुरू से अंत तक इसने श्रोता-दर्शकों को बाँधे रखा।


शौर्यपुरी बने सुखसागर प्रवचन सभा का पूरा हॉल खचाखच भरा हुआ था। नाट्य प्रस्तुति की शुरूआत में ही चैदह स्वप्नों वाले दृश्य व पंकज डूंगरवाल द्वारा मंत्र की महिमा जयजयकार भजन पर किए नृत्य ने तो जैसे समाँ ही बाँध दिया। इसके बाद जब भगवान के जन्म वाले क्षण आए तो श्रोता-दर्शक मानो खो गए। जन्म वाले दृश्य के दौरान तो पूरा हॉल जय-जयकार व तालियों से गूँज उठा। इसी तरह विभिन्न दृश्य में भी काफी देर तक जय-जयकार होती रही। मंचीय साज-सज्जा तो अद्भुत थी ही, इसके अलावा पात्रों की भावभंगिमाएँ, संवाद अदायगी, रूपसज्जा, विद्युत सज्जा, ड्रेस डिजाइनिंग आदि ने भी एक अलग ही छाप छोड़ी। कुल मिलाकर नाट्य प्रस्तुति हृदयस्पर्शी रही।




इन दृष्यों का किया गया मंचन

कार्यक्रम में शौर्यपुरी नगरी में महारानी शिवादेवी द्वारा मध्यरात्रि में 14 स्वप्न दर्शन, स्वप्न पाठक राज ज्योतिष का आगमन, राज ज्योतिष द्वारा स्वप्न फल, मामा-मामी और भूआ का आगमन, भूआ द्वारा नामकरण आदि दृश्यों का मंचन किया गया।


इन पात्रों ने निभाई अपनी भूमिका

’राजा-सम्पतराज, रानी-रामीदेवी सिंघवी, मंत्रीश्वर-बाबूलाल संखलेचा, सेनापति-कैलाश मेहता, छड़ीदार अशोक संखलेचा, मनोज छाजेड़, कोषाध्यक्ष-मनसुखदास पारख, इंद्र-गौतमचंद छाजेड़, इन्द्राणी-लीलादेवी छाजेड़, मामा-अनिलकुमार, मामी-मंजूदेवी संखलेचा, भूआ-नीलम, प्रियदर्शना दासी- भाविका छाजेड़, हरिणेगमैशी देव- हिमांशु बोथरा, बाल कृष्ण- वैशाली मेहता, राज ज्योतिष- कपिल बोथरा, दो चेले-भावेश, मनन, चार चोर- ललित, हिमांशु, तुषार, प्रवीण ने अपनी अनूठी भूमिका निभाई। इसी तरह चैदह स्वप्न दर्शन में श्वेता बोथरा, सोनल सिंघवी, शिवानी बोथरा, भावना सिंघवी, चन्द्रकांता मेहता, रक्षिता छाजेड़, रक्षा धारीवाल, मनीषा संखलेख, शिवानी एच. संखलेचा, पंकज डूंगरवाल, शिवानी एम. संखलेचा, रक्षा मालू, शिल्पा धारीवाल, पिंकी श्रीश्रीमाल, आरती संखलेचा, रक्षा धारीवाल, सरोज गांधी, मनीता संखलेचा, मनीषा संखलेचा ने प्रियंका मालू, सोनू वडेरा व गौरव मालू के मार्गदर्शन में अपनी भूमिका निभाई। कार्यक्रम में नीतिन देसाई एण्ड पार्टी डीसा द्वारा जन्म कल्याणक की उजमणी में शानदार रमझट जमाई गई।




स्थानीय जैन न्याति नोहरा गुरूमां साध्वी सुरंजनाश्री ने भगवान नेमीनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव में उपस्थित धर्मावलम्बियों को संबोधित करते हुए कहा कि तीर्थंकर एक सत्य, एक प्रकाश है जो मानव की भावभूमि प्रकाशित करता रहा है। तीर्थंकर की वाणी को एक क्षण मात्र के लिए भूल कर देखिए- जीवन शून्य हो जाएगा- सभ्यता के सारे ताने-बाने नष्ट हो जाएँगे। पंच कल्याण महोत्सव में कई रूपक बताए जाते हैं, जैसे च्यवन के नाटकीय दृश्य, 14 स्वप्न, तीर्थंकर का जन्मोत्सव, सुमेरु पर्वत पर अभिषेक, तीर्थंकर बालक को पालना झुलाना, तीर्थंकर बालक की बालक्रीड़ा, वैराग्य, दीक्षा संस्कार, तीर्थंकर महामुनि की आहारचर्या, केवल ज्ञान, समवशरण, दिव्यध्वनि का गुंजन, मोक्षगमन, नाटकीय वेशभूषा में भगवान के माता-पिता बनाना, सौधर्म इंद्र बनाना आदि। ऐसा लगता है जैसे कोई नाटक के पात्र हों। किन्तु सचेत रहें ये नाटक के पात्र नहीं हैं। तीर्थंकर के पूर्वभव व उनके जीवनकाल में जो महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं, उन्हें स्मरण करने का यह तरीका है। उन घटनाओं को रोचक ढंग से जनसमूह में फैलाने का तरीका है। हमारी मुख्य दृष्टि तो उस महामानव की आत्मा के विकास क्रम पर रहना चाहिए जो तीर्थंकरत्व में बदल जाती है। भावना रहती है कि आध्यत्मिक क्षेत्र की झांकियां आज के युग की जनता के समाने चित्र-सचित्र करके दिखायें। अभव्य जीव भी परमात्मा का बाह्य आडम्बर, भगवान का समवसरण देखकर परमात्मा बनने की झंखना करते है।


साध्वी श्री ने कहा कि भारत की भूमि तीर्थंकरों की भूमि है। महापुरूषों, ऋषि-मुनियों, दानवीरों, भामाशाहों की भूमि है। ये भारत भूमि ऐसी भारत भूमि है जहां कृषि-ऋषि मुनियों का साम्राज्य सदैव चला है। कल्याणं करोति इति कल्याणकः अर्थात् जो सभी जीवों का कल्याण करता है, विघ्नों - कष्टों को दूर करता है, उसे कल्याणक कहते हैं ।तीर्थंकर परमात्मा के जीवन के 5 क्षणों को कल्याणक कहते हैं।



१. च्यवन ( गर्भ ) कल्याणक रू जब देवलोक से तीर्थंकर का जीव अपनी माता के गर्भ में आता है। २.२. जन्म कल्याणक रू जब तीर्थंकर के जीव का इस पृथ्वी पर जन्म होता है ३. दीक्षा कल्याणक रू जब तीर्थंकर संसार के सभी भोग विलासों को छोड़कर चारित्र दीक्षा अंगीकार करते हैं। ४. केवलज्ञान कल्याणक रू जब साधना के प्रभाव से तीर्थंकर के 4 घाती कर्म क्षय हो जाते हैं और उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति होती है ५. मोक्ष ( निर्वाण ) कल्याणक रू जब तीर्थंकर सभी कर्मों को क्षय करके आत्मा की शुद्ध अवस्था - सिद्ध पद को प्राप्त कर लेते हैं और पुनर्जन्म से रहित हो जाते हैं। परमात्मा के कल्याणक के समय सातों प्रकार के जीवों को भी आनन्द का, प्रकाश का, ठंडक की अनुभूति होती है। परमात्मा के कल्याणक सृष्टि मात्र के जीवों के कल्याण के लिए होता है। साध्वी भगवंत द्वारा दीक्षा व केवलज्ञान कल्याणक दिवस पर भगवान नेमीनाथ के श्लोके का वांचन किया गया।

खरतरगच्छ चातुर्मास समिति बाड़मेर मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ व समिति के मांगीलाल मालू (जनता) ने बताया कि कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रकाशचंद संखलेचा, ओमप्रकाश बोथरा, चन्दनमल सेठिया, शिवाजी ग्रुप, कल्पेश मालू, रवि सेठिया, अंकित श्रीश्रीमाल, महावीर भंसाली, जीतू छाजेड़, मुकेश छाजेड़ का अनुकरणीय योगदान रहा। व गोठी इवेन्टस द्वारा मंच साज-सज्जा में निस्वार्थ भाव से सहयोग प्रदान किया गया। इस अवसर पर जीवदया में हजारों श्रद्धालुओं ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम के अंत में मिडिया प्रभारी चन्द्र्रप्रकाश छाजेड़ ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करने वाले सभी कार्यक्रताओं का आभार व्यक्त किया गया। संघ द्वारा लड्डू की प्रभावना की वितरण किया गया। संघपूजन तगीदेवी नेमीचंद संखलेचा परिवार रणधा वालों की ओर से किया गया।




चातुर्मास समिति के सहसंयोजक मनसुखदास पारख ने बताया कि 18 अगस्त को प्रातः 9 बजे जैन न्याति नोहरा में प्रातः चैन्नई से पधार रहे बंधु बेलड़ी मोहन-मनोज गोलछा द्वारा संवेदना का भव्य कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जायेगी। भगवान पाश्र्वनाथ के मोक्ष कल्याणक के उपलक्ष्य में 18 से 20 अगस्त तक अट्ठम तप का आयोजन किया गया जिसमें सभी को अधिक से अधिक संख्या में जुड़ने का आह्वान किया गया है।