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शनिवार, 23 मई 2020

*महाराणा प्रताप पर अमर्यादित टिप्पणी करने के वालो पर कार्यवाही ना होने पर मन्त्री से मांग*

*महाराणा प्रताप पर अमर्यादित टिप्पणी करने के वालो पर कार्यवाही ना होने पर मन्त्री से मांग*


सम्पूर्ण भारत के लिये गौरव और स्वाभिमान की मिसाल,वीर शिरोमणि "महाराणा प्रताप" पर अभद्र टिप्पणी करने वाले दोनो युवको के खिलाफ राज्य भर मे 1 मुकदमा और 276 परिवाद दर्ज होने के बावजूद भी प्रशाशन द्वारा कार्यवाही ना किये जाने पर आज समाज मे लोग राजस्थान सरकार परिवहन मंत्री प्रताप सिंह जी खाचरियावास से वापस मिले और
सोशल डिसटेन्सिग की पालना करते हुये उक्त मामले मे दोषियो पर कार्यवाही करने का निवेदन किया गया
मंत्री जी ने व्याप्त रोष को देखते हुये तत्काल प्रभाव से मुख्यमंत्री और डीजी के नाम लैटर तैयार करवाये और  भिजवा दिये तथा आश्वासन दिया कि मामले मे शीघ्र कार्यवाही होगी
इस दौरान महिपाल सिंह करीरी,गजेंद्र सिंह चिराणा,संदीप सिंह गुढा,दौलत सिंह चीँचड़ोली,विजेंद्र राठौड़,झब्बर सिंह चैनपुरा,पुष्पेंद्र तारपुरा,मान सिंह बड़ागांव और बहादुर सिंह डाबड़ा सहित समाज के वरिष्ठ लोग उपस्तिथ रहे

मंगलवार, 7 जून 2016

उदयपुर.हल्दीघाटी में नहीं हुई थी प्रताप की पराजय , अकबर ने खफा होकर लगाई थी मानसिंह पर पाबंदी



उदयपुर.हल्दीघाटी में नहीं हुई थी प्रताप की पराजय , अकबर ने खफा होकर लगाई थी मानसिंह पर पाबंदी


18 जून 1576 में हकीम सूर के नेतृत्व में महाराणा प्रताप का हरावल हल्दीघाटी के उत्तर-पूर्वी मुहाने से बाहर निकला। उसके पीछे प्रताप के नेतृत्व में सेना का मुख्य दस्ता बाहर आया। हरावल ने पूर्ण प्रचण्डता से शत्रु सेना की अग्रिम पंक्ति पर धावा बोला। आक्रमण इतना भीषण था कि मुगल सैनिक युद्ध मैदान से भाग खडे़ हुए।

हल्दीघाटी में नहीं हुई थी प्रताप की पराजय , अकबर ने खफा होकर लगाई थी मानसिंह पर पाबंदी




इतिहास के इस महान युद्ध की गाथा जब भी कोई सुनता है तो प्रताप और उनकी सेना पर गर्व की अनुभूति करता है। हल्दीघाटी संग्राम का यह वर्णन किया है डॉ. आशीर्वादलाल श्रीवास्तव ने। उन्होंने बताया कि युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी बदायूंनी ने कहीं भी प्रताप की पराजय का जिक्र नहीं किया है। कई इतिहासकारों का भी दावा है कि हल्दीघाटी युद्ध का परिणाम प्रताप के पक्ष में रहा था।

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मुगल इतिहासकार अबुल फजल लिखते हैं कि युद्ध के परिणाम से नाखुश अकबर ने तीन महीने तक मानसिंह व आसिफ खां के मुगल दरबार में आने पर पाबंदी लगा दी थी। युद्ध में जान सस्ती और इज्जत महंगी हो गई थी।




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बदायूंनी लिखते हैं कि प्रताप के आक्रमण से मुगल सैनिकों ने 10-15 किलोमीटर तक भाग कर जान बचाई। बाद में प्रताप की सेना के दोनों भाग एक हुए और वे पहाड़ों की ओर चले गए। मुगल सेना ने उनका पीछा करने का साहस नहीं किया। इसके तीन कारण गिनाए जाते हैं। पहला गर्मी बहुत थी, दूसरा सैनिक बुरी तरह थक चुके थे एवं तीसरा मुगल सेना को डर था कि मेवाड़ की सेना घात लगाकर बैठी होगी, अचानक आक्रमण हुआ तो पूरी मुगल सेना समाप्त हो जाएगी।

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युद्ध में प्रताप को सफलता मिली। पहली बार राजस्थान में मुगल सेना के अजेय होने का भ्रम पूरी तरह टूट गया। राजस्थानी और फारसी स्रोतों का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि हल्दीघाटी युद्ध में विजय प्रताप की हुई थी।

प्रो. केएस गुप्ता, इतिहासकार




युद्ध में विजय प्रताप की

हुई थी। 1577 में जारी हुए पट्टों के ताम्रपत्र इसका जीवंत प्रमाण हैं। मुगल इतिहासकारों ने एक तरफा वर्णन किया है।

डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, इतिहासकार

शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

लोक गीतों में गूंजी जसवंत महिमा

लोक कलाकारों द्वारा गाई जसवंत महिमा की प्रचार में धूम

लोक गीतों में गूंजी जसवंत महिमा


बाड़मेर सरहदी धोरो की महकती सुबह को लोक गायको ने जसवंत महिमा से गुंजायमान कर जान जान को जसवंत के पक्ष में वोट देने की अपील की जा रही हैं। भारत पाकिस्तान की सरहद पर बेस सरहदी बाड़मेर जैसलमेर संसदीय क्षेत्र को दुनिआ भर में चर्चा में ले आये पूर्व वित्त विदेश मंत्री जसवंत सिंह। जसवंत को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय ताल ठोंक दी। जसवंत सिंह मालानी के ख्यातिनाम शख्शियत हैं जिन्होंने राजस्थान को नयी पहचान देश विदेश में दिलाई ,जसवंत सिंह के चुनाव मैदान में उतरने के साथ स्थानीय जनता उनके पक्ष में खुल कर आ रही हैं ,खास कर उनकी टिकट काटने के बाद उनके प्रति क्षेत्र की जनता में मान सम्मान और बढ़ा हैं ,स्थानीय अंतराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त लोक कलाकार गायक मांगनियारो ने जसवंत सिंह की जीवनी को वो महाराणा प्रताप कठे की तर्ज पर वो मालानी रो सपूत कठे। .... लोक गीत की रचना कर आम जान को प्रभावित कर दिया। गेहूं गाँव के मांगणियार लोक गायक जामत खान ने ओ मालानी रो सपूत कठे ,जसवंत सिंह जसोल जठै गाकर जसवंत सिंह के व्यक्तित्व को नई उंचाईंया दी। इस गीत ने पश्चिमी राजस्थान में धूम मचा दी हैं। आज बाड़मेर जैसलमेर जोधपुर पाली सहित हर जिले के गाँव गाँव ढाणी ढाणी ,गली गली गीत गूंज रहा हैं वाही सड़क पर चलने वाला प्रत्येक वाहन में जसवंत महिमा बज रही हैं।लोक गायक जामत खान ने बताया की जसवंत सिंह मालानी की धरती के सपूत हैं लोगो के दिलो में बस्ते हैं ,उन्हें जब से भाजपा से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की थी तभी हमने इस गीत की रचना की तयारी कर दी थी ,जब उनका टिकट कटा को दिल को बहुत पीड़ा हुई ,हमारे गाँव में जब जसवंत सिंह की पुत्र वधु चित्रा सिंह जी की आन सभा हुई तब हमने इसको पहली बार लोगो के बीच अपने ह्रदय की अंतरात्मा की गहराईयो से गाया। सभा में आये जसवंत समर्थको ने इसे मोबाइल रिकॉर्डिंग कर फेसबुक और वाट्स अप में दाल दिया ,यह गीत रातो रात प्रसिद्धि पा गया। बाद में इसकी जोधपुर में विधिवत रिकॉर्डिंग कराई जिसे जसवंत सिंह ने खुद जनता को समर्पित की। उन्होंने कहा की इस गीत ने मुझे नै उंचाईयां दे दी