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सोमवार, 7 नवंबर 2016

सत्य को मानना सत्संग है - मुरारी बापू रामदेव पीर सत्य, प्रेम और करूणा के प्रतीक रामकथा के तीसरे दिन उमडा विषाल जनसैलाब



सत्य को मानना सत्संग है - मुरारी बापू

रामदेव पीर सत्य, प्रेम और करूणा के प्रतीक

रामकथा के तीसरे दिन उमडा विषाल जनसैलाब

रामदेवरा 7 नवम्बर।

रामदेवरा में अपनी पहली कथा को बाबा रामदेव को समर्पित करने वाले राश्टी़़य संत मुरारी बापू ने कथा के तीसरे दिन सोमवार को भी बाबा को केन्द्र में रखकर कहा कि रामदेव पीर सत्य, प्रेम और करूणा के प्रतीक है। राम का अर्थ सत्य है, देव का अर्थ प्रेम है और पीर का अर्थ करूणा होता है। बाबा रामदेव पीर का प्रभाव भी सत्य, प्रेम और करूणा की तरह किसी ना किसी रूप में हमेषा रहेगा।

संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा में देष विदेष से आये हजारों श्रोताओं पर व्यासपीठ से आषीर्वचन प्रदान करते हुए बापू ने कहा कि जो परम व श्रेश्ठ है और ऊचांईयों को छू गये है उन विभुतियों का प्रभाव एवं प्रताप हमारे चारों और हमेषा रहेगा। दुनिया मम् और अहम् से जुडी हुई है। गोस्वामी तुलसीदास ने भी कहा था कि कलियुग में विषेशतः नाम का प्रभाव रहेगा।

षब्द भ्रमित कर सकते है सत्य नही

धर्म धन पर नही मन पर आधारित होता है। जो मन परम से जुडता है उसे पीडा झेलनी ही पडती है लेकिन यह पीडा कई दिनों के कई सुखों से ज्यादा अच्छी होती है। बुद्ध पुरूश मार्ग मुक्त मार्ग बताते है। हम जहां भी चले वह मार्ग बन जाये वही मार्गी है। यही रास्ता है परम को पाने का।




साधु प्रभावित ही नही प्रकाषित भी करता है

गोस्वामीजी ने कहा है कि साधु संगति को पहली भक्ति कहते है। जिसने साध लिया वो साधु है। साधु प्रभावित नही करता है बल्कि वह प्रकाषित करता है और प्रकाषित करने के बाद समाज को विकसित करता है। साधु किसी का दिल नही तोडता है, व्रत टूटे तो कोई बात नहीं लेकिन ध्यान रखे कि किसी का दिल ना टूटे। साधुता को पकाना बडा कठिन कार्य है। साधु संयासियों को किसी के अभिप्राय पर साधना नही करनी चाहिए। आप किसी के अनुकूल रहोंगे तो आप उसे अच्छे लगोंगे लेकिन जैसे ही आप उसके प्रतिकूल होंगे बुरे लगने लग जाओंगे। मौन मुक्त सत्संग है। कोई संत बोले उसे स्वीकार करना भी सत्संग है। सत्य को स्वीकारना सत्संग है। जो सत्य बोली जाए और उसका संग किया जाए वो सत्संग है। सत्य को कबूल करना सत्संग है। गुरू की सेवा उसकी आज्ञा में रहना सत्संग है। मौन, मुक्त एवं वाद परमात्मा की विभुति है, यही सत्संग है और कथा संवाद है। ममता और अहंकार आदमी को अंधा बना देती है। बुद्ध पुरूश कहते है कि जो वस्तु हमारे सम्बन्ध में नही हो उसके लिए बहरे हो जाओ, उनके लिए चिन्तित होने की हमें आवष्यकता नही है।




इंसान की उम्र 24 घण्टे

इंसान को अपनी उम्र 24 घण्टे ही माननी चाहिए। कोई व्यक्ति यदि यह सोचता है कि वह 24 घण्टे से ज्यादा जीयेगा तो यह उसकी अज्ञानता है और इसमें कुछ पल हरि नाम अवष्य लेना चाहिए। चैबीस घण्टे से ज्यादा उम्र समझना अज्ञान ही नही पाप भी है। व्यक्ति मृत्यु से नही अपितु मृत्यु के डर से मर जाता है। मरना मीठा है, अमृत है, सद्गुरू है, परमात्मा है।




बीज मंत्र त्रिभुवन के घर से ही मिलता है

त्रिभुवन गुरू महादेव राम मंत्र का एकमात्र घर है। बीज मंत्र का उपदेष सिर्फ और सिर्फ षिव के पास है। हरि सबकों मौका देते है इसलिए मौका पकडों और सात्विक आनंद करो। सांसारिक बंधन में सब कुछ करने के बाद जब हम सोने जाए और नींद नही आये तो हमें कुछ क्षण हरि का स्मरण एवं भजन अवष्य करना चाहिए। इन चंद क्षणों का स्मरण और भजन हमें ऊर्जा प्रदान करते है। भगवान कृश्ण विभु तथा अर्जुन विभूति है।




भक्ति भाव के चार पडाव

प्रेम आदि और अंत है लेकिन इनके बीच चार वस्तुयें आ जाती है। पहली वस्तु परिणिता है। चाह मुक्त चित्त में परिणिता की अवस्था आती है। करीब करीब पूर्णता का अहसास ही परिणिता है। जो भक्ति मार्ग पर चलता है वह करीब करीब पूर्णता की ओर बढता है। ेेेेेबुद्ध पुरूश के चरणों में पूर्णता का अहसास होने लगे तो वह पहला पडाव है। नित्य योग दूसरा पडाव है। व्याकुलता तीसरा पडाव है। व्याकुलता बाहर से नही हमारें मन के अन्दर से आती है। जब प्रीत प्रगाढ होंगी तभी व्याकुलता आयेगी। साधक की काली के प्रति व्याकुलता उनकी कृपा से ही प्राप्त हो सकती है। परम भक्त व्याकुलता है और वे वियोग को ही पसंद करते है। ऐसे भक्तों को आर्क भक्त कहते है। व्याकुलता की दषा में भारी भीड में भी निर्जनता का अहसास होता है और आदमी जितना बडा होता है वह एकान्त को उतना ही ज्यादा पसंद करता है। भक्ति मार्ग में चैथा पडाव मौन है। मौन की पूर्णता पाने के बाद आदमी एक बच्चे की तरह गूंगा हो जाता है।




हर आयु वर्ग कर रहा है रसपान

कथा का श्रवण करने हर आयु वर्ग के लोग बडी संख्या में पहुंच रहे है। कई निःषक्त भी व्हील चैयर या अन्य सहारे के माध्यम से कथा में आ रहे है। बालक, युवा, बुजुर्ग सभी कथा का रसपान कर रहे है। हजारों श्रोताओं की मौजूदगी के बावजूद कथा स्थल पर षांति का माहौल रहता है। बापू के हर प्रसंग व प्रवचन को बडे ही ध्यान से सुनते है।




भक्त उठा रहे है प्रभु प्रसाद का भरपूर आनंद

कथा श्रवण को रामदेवरा पहुंचे हजारों श्रोता प्रतिदिन सुबह एवं षाम को रामरसौडे में प्रभु प्रसाद का भरपूर लाभ ले रहे है।



आज के कार्यक्रम

संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा के तहत सांस्कृतिक संध्या में मंगलवार को अभिनेता पुनित इस्सर रावण की रामायण कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे।