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गुरुवार, 2 मई 2013

ख़ास खबर तो आई एस आई का अगला शिकार कुलदीप यादव और कुलदीप सिंह होंगे ?

फोटो लखपत जेल पाक में भारतीय कैदी ....तीसरे नंबर कर कुलदीप यादव 
तो आई एस आई का अगला शिकार कुलदीप यादव और कुलदीप सिंह होंगे ?

इसी साल चमेल सिंह की भी जेल में पिट पिट कर हत्या की थी

कोट लखपत में दो भारतीय नागरिको की जान दांव पर

चन्दन सिंह भाटी


बाड़मेर लगभग सौलह साल से लाहौर (पाकिस्तान) की जेल में बंद एक भारतीय ने जेल अधिकारियों पर यातनाएं देने का आरोप लगाया है। अहमदाबाद, गुजरात निवासी 41 वर्षीय कुलदीप कुमार यादव को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान ने कैद कर रखा है। सरबजीत को कैदियों से हमला करवा मौत देने की साजिस में आई एस आई कामयाब हो गया .आई एस आए की नज़र अब लखपत जेल में पचीस पचीस साल की सज़ा भुगत रहे गुजरात निवासी कुलदीप कुमार और कश्मीर जम्मू निवासी कुलदीप सिंह पर हें .आई एस आई इन पर भी कभी भी हमला करवा सकती हें ,यह खुलासा इनके साथ तीन साल तक लखपत जेल में रहे बाड़मेर जिले के रासबानी गाँव निवासी जुम्मा खान ने विशेष बातचीत में किया .जुम्मा खान तीन साल पहले पाकिस्तान से रिहा होक वतन लौटा हें .

जुम्मा खान ने बताया कि कोट लखपत जेल से कुलदीप ने राजकोट निवासी अपने वकील एम. के. पॉल को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि मुझे यातनाएं दी जा रही हैं। मैं अब और यातनाएं सहन नहीं कर सकता। मैं इस पत्र में यह बताने की स्थिति में नहीं हूं कि मुझे किस तरह की यातनाएं दी जा रही हैं। भारत सरकार मेरी रिहाई सुनिश्चित कराने के लिए कोई ईमानदार पहल नहीं कर रही। सरकार ने अहमदाबाद में रहने वाले मेरे परिवार को कोई मुआवजा भी नहीं दिया है।

पॉल ने बताया कि यादव 23 मार्च 1994 से पाकिस्तान में बंद है। कुलदीप की 76 वर्षीय मां मायादेवी जब अपने बेटे के बारे में बात करती हैं तो उनकी आंखों के आंसू नहीं थमते। अहमदाबाद के चांदखेड़ा में रहने वाली मायादेवी ने कहा कि कुलदीप 1989 में यह कहकर हमें छोड़कर चला गया कि मैं नई दिल्ली नौकरी के लिए जा रहा हूं। उसने यह नहीं बताया कि उसे कहां नौकरी मिली है और वह किसके लिए काम कर रहा है। कुलदीप ने गुजरात यूनिवर्सिटी से वकालत पढ़ी है। मायादेवी के मुताबिक कुलदीप के पाकिस्तान की जेल में होने के बारे में उन्हें कुछ साल पहले पता चला था। उसके बाद हमने उसकी रिहाई के लिए खूब भागदौड़ की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बेटे के बारे में सोचते-सोचते उसके पिता नानकचंद की वर्ष 2000 में मौत हो गई।

1 फरवरी, 2007 को भारतीय उच्चायोग द्वारा भेजा गया खत कुलदीप के पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में होने का पुख्ता सबूत मिले थे । इस खत में न सिर्फ कुलदीप के वहां होने की पुष्टि की गई है, बल्कि यह भी कहा गया है कि उनकी जल्द रिहाई के प्रयास जारी हैं। मगर इन दिनों कुलदीप को भारतीय सरकार ने भुला दिया .उनके साथ कुलदीप सिंह भी हे जिसे पचीस साल की सज़ा मिली हें उनकी सज़ा के सत्रह सत्रह साल पूर्ण हो चुके हें मगर उनकी रिहाई की कोई उम्मीद नज़र नहीं आती सरबजीत की मौत के बाद आई एस आई चुप बैठेगी ऐसा नहीं लगता क्योंकि पाकिस्तानी जिलो में समस्त गतिविधिया आई एस आई चलती हें .आई एस आई दोनों कुल्दीपो को मौत की सज़ा दिलाना चाहती थी मगर पाकिस्तान न्यायालय ने उन्हें पचीस पचीस साल की सज़ा सुनाई थी ,उनकी सात सात साल की सज़ा शेष हें ,ऐसे में दोनों कुलदीप की जिंदगियां लखपत जेल में सुरक्षित हें कहा नहीं जा सकता .क्योंकि इसी साल पाक जेल में बंद चमेल सिंह की भी चोबीस जनवरी को पिट पिट कर बुरी तरह घायल कर दिया था बाद में उसे जिन्ना अस्पताल में भारती कराया था जन्हा उसमने दम तोड़ दिया था कर दी थी
जम्मू-कश्मीर के प्रगवाल निवासी सिंह को 2008 में पाकिस्तान में जासूसी करने का दोषी ठहराया गया था .चमेल सिंह पर भी जासूसी का आरोप लगाया था .इसी तरह पाक जेल में बंद सतपाल सिंह की भी मौत जेल में पिटाई के कारन हुई थी
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