बल्लीमरान की तंग गलियों में फंसा रजिया सुल्तान का मकबरा।
पुरानी दिल्ली के बुलबुली खाना इलाके में जाएंगे तो तंग गलियों से होते हुए पहुंचेंगे रजिया सुल्तान के मकबरे तक. पहली मुगल और तुर्क महिला शासक के तौर पर जाने जानी वाली रजिया अल दीन यानी कि रजिया सुल्तान ने 1236 से 1240 तक दिल्ली पर सलतनत की. पुरातत्व, इतिहास, धरोहर, पर्यटन हर लिहाज से ये मकबरा अपनी खासी अहमियत रखता है, लेकिन बदहाली में ये ऊंचे मकानों के बीच कहीं खो सा गया है.
कचरे के ढेर से अटी पड़ी तंग गलियों से होते हुए आप भोजला पहाड़ी पर बने इस मकबरे तक पहुंच सकते हैं. देशी सैलानी तो न के बराबर पर इतिहास में रुचि रखने वाले विदेशी सैलानी यहां भटकते भटकते पहुंच ही जाते हैं. पिता की मौत के बाद गद्दी संभालने वाली रजिया सुल्तान ने पर्दा प्रथा को दूर किया. एक बहादुर महिला शासक के रूप में इतिहास में उन्हें जाना जाता है. पर अफसोस कि जिस दिल्ली पर सलतनत चलाई वहां आज उनकी कब्र तक आबादी की बसावट से नहीं बच पाई. चारों तरफ ऊंचे मकान बने हैं.. एक पतली गली मकबरे तक आने के लिए है. यहां स्थानीय निवासी नमाज पढ़ने आते हैं. बाकि इस एतिहासिक विरासत को इंतजार ही है कि कभी तो कोई यहां की सुध ले.
पुरानी दिल्ली के बुलबुली खाना इलाके में जाएंगे तो तंग गलियों से होते हुए पहुंचेंगे रजिया सुल्तान के मकबरे तक. पहली मुगल और तुर्क महिला शासक के तौर पर जाने जानी वाली रजिया अल दीन यानी कि रजिया सुल्तान ने 1236 से 1240 तक दिल्ली पर सलतनत की. पुरातत्व, इतिहास, धरोहर, पर्यटन हर लिहाज से ये मकबरा अपनी खासी अहमियत रखता है, लेकिन बदहाली में ये ऊंचे मकानों के बीच कहीं खो सा गया है.
कचरे के ढेर से अटी पड़ी तंग गलियों से होते हुए आप भोजला पहाड़ी पर बने इस मकबरे तक पहुंच सकते हैं. देशी सैलानी तो न के बराबर पर इतिहास में रुचि रखने वाले विदेशी सैलानी यहां भटकते भटकते पहुंच ही जाते हैं. पिता की मौत के बाद गद्दी संभालने वाली रजिया सुल्तान ने पर्दा प्रथा को दूर किया. एक बहादुर महिला शासक के रूप में इतिहास में उन्हें जाना जाता है. पर अफसोस कि जिस दिल्ली पर सलतनत चलाई वहां आज उनकी कब्र तक आबादी की बसावट से नहीं बच पाई. चारों तरफ ऊंचे मकान बने हैं.. एक पतली गली मकबरे तक आने के लिए है. यहां स्थानीय निवासी नमाज पढ़ने आते हैं. बाकि इस एतिहासिक विरासत को इंतजार ही है कि कभी तो कोई यहां की सुध ले.