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मंगलवार, 29 जुलाई 2014

मुस्लमान ने की तीर्थों के तीर्थ की खोज जानें कैसे

अमरनाथ हिन्दी के दो शब्द अमर अर्थात अनश्वर और नाथ अर्थात भगवान को जोडने से बनता है। हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थों में से एक अमरनाथ यात्रा है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है। इस गुफा में भगवान शंकर ने मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। भगवान शिव का प्रकृति द्वारा रचित हिमशिवलिंग में प्रकट होना अपने में ही एक आश्चर्य है। अमरनाथ गुफा में बर्फ के शिवलिंग के साथ मां पार्वती और श्री गणेश का भी बर्फ से प्राकृतिक स्वरुप बनता है। प्राकृतिक रूप से निर्मित हिमलिंग के दर्शन कर भक्तों का जीवन सफल हो जाता है।मुस्लमान ने की तीर्थों के तीर्थ की खोज जानें कैसे
श्री अमरनाथ की गुफा में हिम द्वारा ही श्री गणेश पीठ तथा एक पार्वती पीठ भी बनता है। यह पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। इस स्थान पर भगवती सती का कण्ठ भाग गिरा था। श्री अमरनाथ की पावन गुफा के नीचे अमरगंगा में स्नान करके गुफा में दर्शन के लिए जाते हैं। गुफा के पास एक स्थान पर सफेद भस्म जैसी मिट्टी निकलती हैं। यात्री इसको अपने शरीर पर लगाकर श्री अमरनाथ के दर्शन करते हैं तथा प्रसाद रूप में घर को भी लाते हैं।

इस गुफा में जहां-तहां बूंद-बूंद करके जल टपकता रहता है। कहा जाता है कि श्री अमर नाथ गुफा के ऊपर पर्वत पर श्री राम कुण्ड है। धरती की जन्नत कहलाने वाले कश्मीर की बर्फिली वादियों में श्री अमरनाथ जी की गुफा समुद्र सतह से 12729 फीट की ऊंचाई पर, पर्वतों के मध्य, 60 फीट लंबी, 30 फीट के करीब चैड़ी तथा 15 फीट ऊंची, प्रकृति निर्मित गुफा है।

इस पावन गुफा की खोज एक मुस्लमान गडरिए ने की थी। बूटा मलिक बहुत ही नेक और दयालु इंसान था। एक दिन भेड़ों को चराते-चराते बहुत दूर निकल गया और जंगल में पंहुच गया वहां उसकी भेंट एक साधु के साथ हुई। साधु ने उसे कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी। घर पंहुच कर बूटा ने कोयले के स्थान पर सोना पाया वह बहुत हैरान हो गया। वह उल्टे पांव वापिस साधु को धन्यवाद करने लौट पड़ा परंतु उस जगह साधु को न पाकर उसके स्थान पर एक विशाल गुफा को देखा। उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।

अमरनाथ गुफा इतनी ऊंची होने के कारण यहां ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम होती है। तब भी भक्त बड़ी श्रद्धा से शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते है। हांलांकि यहां घोड़े, खच्चर की सुविधा उपलब्ध है पर फिर भी श्रद्धालुओं को कुछ रास्ता पहलगाम से पैदल तय करना पड़ता है। 1947 से पहले तक केवल चार-पांच हजार श्रद्धालु ही इस यात्रा में भाग लेते थे। बाद में सरकारी सुविधाओं और यातायात के साधनों के विकास से यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी।

शुक्रवार, 27 जून 2014

अमरनाथः श्रद्धा और रोमांच की यात्रा



पहाड़, नदी, झरने, सफेद चमकती बर्फ, खूबसूरत घाटियां और बर्फ से जमी हुई नदियों से गुजरना। इतना ही काफी है अमरनाथ के सफर को बयां करने के लिए। हालांकि इस साल यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन फिलहाल बंद हो चुका है लेकिन जिन्होंने पहले ही रजिस्ट्रेशन करा लिया है उनकी यात्रा को बेहतर बनाने के लिए खास जानकारी दे रहे हैं मयंक श्रीवास्तव :
amarnath


कुल यात्रा: 30 किलोमीटर
तापमान: जबर्दस्त बर्फीली ठंड के साथ तापमान -5 डिग्री तक नीचे गिर सकता है। मौसम यहां पर जल्दी-जल्दी बदलता रहता है। धूप भी तेज चुभने वाली निकलती है।
पवित्र गुफा की समुद्रतल से ऊंचाई : 13,000 फुट

यात्रा से पहले तैयारी
प्रैक्टिस: यात्रा से कम से कम 10 दिन पहले रोजाना 5 किलोमीटर तेज चलने की प्रैक्टिस करें। इससे यात्रा के दौरान थकान भी कम होगी और शरीर में दर्द की शिकायत भी नहीं होगी।
जूते: बेहद ऊबड़-खाबड़ रास्तों के लिए हंटर शूज या फिर किसी अच्छे ब्रैंड के ट्रैकिंग शूज का ही चयन करें। शूज वॉटरप्रूफ हों। नॉर्मल शूज आपकी परेशानियों को कई गुना बढ़ा सकते हैं। स्लीपर या चप्पल का उपयोग बिल्कुल न करें।
कपड़े: अच्छी क्वॉलिटी के गर्म कपड़े, रेनकोट, छोटा छाता, वूलन मोजे (2-3 जोड़ी), दास्ताने और एक टॉर्च अपने साथ जरूर रखें। महिलाएं और लड़कियां साड़ी पहनकर यात्रा पर न जाएं। महिलाएं सलवार कमीज, पैंट-शर्ट या फिर ट्रैक सूट पहन सकती हैं।

मास्क: धूल से बचने के लिए एक मास्क भी साथ लेकर जाएं। हालांकि वहां पर भी मास्क मिल जाते हैं लेकिन उनकी क्वॉलिटी बहुत अच्छी नहीं होती है।

फोन सिम: अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने चार दिन के लिए प्रीपेड सिम कार्ड दिलाने की व्यवस्था की है। रजिस्ट्रेशन की पर्ची दिखाए बगैर सिम कार्ड नहीं मिल सकता है। यात्रा के दौरान बीएसएनएल प्रोस्टपेड कॉर्ड ही चलता है। सलाह है कि वहां पर सिम कार्ड खरीदने के भरोसे न रहें और बीएसएनएल का प्रोस्टपेड सिम कार्ड लेकर जाएं। कभी-कभी वहां का सिमकार्ड एक्टिवेट होने में कई दिन लग जाते हैं और आप अपने परिजनों से बात नहीं कर पाते।
कोल्ड क्रीम, वैसलीन: हमारी स्किन एकदम से बदलते मौसम को बर्दाश्त नहीं कर पाती, इसलिए जो लोग क्रीम आदि इस्तेमाल नहीं भी करते हैं उन्हें भी यहां पर इस्तेमाल करना चाहिए।

मेडिकल: अपने साथ बैग में ग्लूकोज, डिस्प्रिन, ईनो जैसे मेडिसिन जरूर साथ रखें। तबीयत खराब होने पर वहां के डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

एक्स्ट्रा मोबाइल बैटरी: यात्रा के आधे रास्ते में ही मोबाइल बैट्री खत्म होना आम बात है। एक एक्स्ट्रा मोबाइल बैट्री रखें तो बेहतर है।

कैसे पहुंचें :
प्लेन: प्लेन से श्रीनगर पहुंच कर आगे का रास्ता बस से ही तय करना पड़ता है।
ट्रेन: दिल्ली से जम्मू के लिए कई ट्रेनें हैं। इससे आगे का सफर सड़क के जरिए ही तय होगा।
सड़क: सरकारी और प्राइवेट बसों, टैक्सी और कई बड़ी कारों के जरिए आप पहलगांव और बालटाल का सफर पूरा कर सकते हैं।
- सुरक्षा के लिहाज से इस बार आने और जाने का रास्ता तय कर दिया गया है। अगर अपने वाहन से जा रहे हैं तो शॉर्टकट के लिए भीतरी इलाकों की तरफ रुख न करें।
जम्मू से पहलगांव - 315 किमी
जम्मू से बालटाल - 400 किमी

हेलिकॉप्टर सेवा
अगर हेलिकॉप्टर सेवा ले रहे हैं तो अडवांस बुकिंग करा लें। बुकिंग में दिन और वक्त मिल जाता है, हालांकि ज्यादा श्रद्धालु होने की वजह से लोगों को कई घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।

हेलिकॉप्टर से एक तरफ का चार्ज :
बालटाल - पंचतरणी : 1500 रुपये प्रति व्यक्ति
पहलगांव - पंचतरणी : 2400 रुपये प्रति व्यक्ति

रास्ता नंबर 1
पहलगांव ---16किमी---चंदनबाड़ी (यात्रा शुरू)--3 किमी----पिस्सुटॉप--9 किमी---शेषनाग---12 किमी-पंचतरणी--6किमी--पवित्र गुफा

रास्ता नंबर 2
बालटाल (यात्रा शुरू) --2 किमी--डोमेन--5 किमी--बरारी मार्ग--4 किमी--संगम--3 किमी--पवित्र गुफा

जम्मू-श्रीनगर के आसपास टूरिस्ट प्लेस :
डल झील
नगीना झील
शंकराचार्य मंदिर
मुगल गार्डन
रघुनाथ मंदिर
महादेव मंदिर

भंडारे में ऑयली फूड नहीं
अमरनाथ में ऊंचाई पर यात्रा और मुश्किल रास्तों पर चल रहे यात्रियों की डाइट में न्यूट्रिशन को ध्यान में रखते हुए इस बार फूड मेन्यू संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इस मेन्यू को सभी भंडारे शिविरों में सख्ती से लागू किया गया है।