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मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013
दुनिया देखेगी वायुसेना की ताकत व क्षमता
दुनिया देखेगी वायुसेना की ताकत व क्षमता
आयरन फीस्ट में प्रतिद्वंद्वी देश देखेंगे एयरफोर्स की ताकत व रण कौशल
जैसलमेर पश्चिमी मोर्चे के समीप पोकरण स्थित चांधन फील्ड फायरिंग रेंज में 22 फरवरी को होने वाले वॉर गेम 'आयरन फीस्ट' में भारतीय वायुसेना प्रतिद्वंद्वी पड़ोसी देश चीन व पाकिस्तान को अपनी हवाई ताकत दिखाएगी।'आयरन फीस्ट' यानी 'फौलादी मुक्का' में भारत तीन साल में बढ़ी हवाई ताकत का प्रदर्शन कर एशिया में अपनी धाक जमाने का सार्थक प्रयास करेगा। वहीं इसमें वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों व योद्धाओं की क्षमता परखेगी। 'आयरन फीस्ट' के बाद 'लाइव वायर' में समूची वायुसेना अपनी स्थापना के 80 वें साल में एकीकृत रूप से ताकत दिखाएगी।
युद्धाभ्यास का मकसद
: पड़ोसी देश व दुनिया को फोर्स की ताकत दिखाना।
: कूटनीतिक संदेश देना।
: फोर्स का हर स्तर पर समय के साथ समन्वय।
: हथियारों की क्षमता परखना।
: जवानों व अफसरों का युद्धक प्रशिक्षण परखना।
: युद्ध की स्थिति में तीनों सेनाओं में समन्वय।
हर फोर्स का अलग युद्धाभ्यास
: थलसेना में यूनिट से कमान लेवल तक युद्धाभ्यास होता है
: वायुसेना में विंग से कमान स्तर तक युद्धाभ्यास
: नौसेना में कमान स्तर पर होता है युद्धाभ्यास
बड़े स्तर के युद्धाभ्यास की सूचना
थलसेना जब यूनिट से डिवीजन स्तर का युद्धाभ्यास करती है तो इस बारे में पड़ोसी देशों को बताना जरूरी नहीं है। कोर व कमान स्तर का युद्धाभ्यास होने पर पड़ोसी देशों को बताना जरूरी होता है। वायुसेना व नौसेना भी कमान लेवल के युद्धाभ्यास की जानकारी पड़ोसी मुल्क को देते हैं।
कागज से काल्पनिक रणक्षेत्र
थलसेना कमान लेवल से बड़े स्तर पर मैदान में काल्पनिक युद्ध नहीं लड़ती है। साल में एक बार थलसेना प्रमुख सभी कमान व कोर कमांडर को किसी स्थान पर बुलाते हैं। वहां वॉर रूम में युद्ध पर मंथन होता है। कागजों पर उकेरी गई रणनीति की फौज काल्पनिक रणक्षेत्र में आजमाइश करती है। नौसेना व वायुसेना भी ऐसा ही करती हैं। मित्र देशों के साथ संयुक्त रूप से युद्धाभ्यास कर तकनीक व युद्ध के तरीकों का आदान-प्रदान करते हैं।
थार में ही 'मैदान-ए-जंग'
देश में तीनों सशस्त्र सेनाओं के करीब 60 फायरिंग रेंज हैं, लेकिन पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज जितनी बड़ी जगह कहीं नहीं है। यही कारण है कि थलसेना व वायुसेना को हर स्तर के युद्धाभ्यास के लिए यहीं आना पड़ता है। पिछले साल नौसेना ने भी अपने कमांडो के साथ यहां युद्धाभ्यास किया था।
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