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सोमवार, 22 अक्टूबर 2018

*टिकटों की बाते हो रही है साहब,कोई मुद्दों की बात नही करता* *जाति धर्म के नाम नेता मीटिंगों में लोगो को बांट रहे प्रशासन मूकदर्शक बन देकग रहा,


*टिकटों की बाते हो रही है साहब,कोई मुद्दों की बात नही करता*

*जाति धर्म के नाम नेता मीटिंगों में लोगो को बांट रहे प्रशासन मूकदर्शक बन देकग रहा,



*राजस्थान विधानसभा के लिए दिसम्बर में होने वाले चुनाव के लिए विभिन दलों से कथित जननेता टिकटें मांगने में व्यस्त है ।कोई भी नेता जनता के मुद्दों की न तो बात कर रहे न ही जनता के बीच जा रहे।।सरहदी जिलो में इस वक़्त अकाल सबसे बड़ा मुद्दा है ।।गांवो में चारे पानी और रोजगार की जोरदार किल्लत है। ग्रामीण और पशुपालक परेशान है।किसान त्रस्त है।पानी बिजली नही मिल रही। सरहद के गांव अंधेरे में डूबे है ।।स्कूलों में अध्यापक नही है।।कई स्कूल बिना अध्यापकों के चल रही।।स्कूल छोड़िए महाविद्यालयों में स्टाफ नही है।एक मात्र प्रतिनियुक्त पर लगे लेक्चरर के भरोसे डिग्रियां बांट रहे हैं।।युवा बेरोजगारी से परेशान हैं। सरकारी भर्तियां स्टे का शिकार हो रही है।।डी एन पी के गांवो का विकास क्यों रुका है ।किसी को चिंता नही।।शौचालय बनाने के नाम पर सरकारी कार्मिक दो दो हजार रुपये खुले आम ले रहे है।।कमीशनखोरी के जरिये कुछ सरपंचों में अपने आपको करोड़पति की श्रेणी में ले आये।।करोड़ो के काम उन पंचायतों में स्वीकृत हो गए जिन पंचायतों के सरपंच सुविधा शुल्क का इस्तेमाल करना जानते है।।सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम में भी स्वीकृतियां करवा दी।।पंचायतों के साथ भेदभाव प्रशासन में दलाल खोरी की और इशारा करती है।।किसानों को बैंक ऋण नही दे रही।।के सी सी की फाइल पर सुविधा शुल्क ।।सड़के उघड़ीपड़ी है।। बिना काम किये हज़ारो कार्यो की राशि का भुगतान हो गया।।नर्मदा नहर और गडरा नहर का पानी पहुंचना तो दूर कोई इन योजनाओं की चर्चा नही कर रहा।।जिन गांवों में बिजली और नेटवर्क नही है उन गांवो को पोश मशीन से राशन सामग्री वितरण से अलग नही रखा जा रहा।। पशु धन अकाल का शिकार हो रहा है।गायों पे राजनीति करने वाले चुप बैठे है।।ये तमाम मुद्दे है जिन पर नेता रोज भाषण देते है।।आज जब मुद्दों वे काम और बात करने का वक़्त है तो किसी नेता के पास चुनाव लड़ने का कोई एजेंडा नही है।किसी टिकटार्थी ने यह नही कहा कि हम जनता के इन मुद्दों पर लड़ना चाहते है।सभी नेता जातिगत आंकड़ो का झूठ अपने आकाओं तक पहुंचा टिकट पाने की इच्छा रखते है। क्या इन नेताओं का ज़मीर मर गया।।क्या वाकई ये नेता जनता की सेवार्थ चुनाव लड़ना चाहते है। जिला प्रशासन आंखे मूंद कर बैठ है है कैच लोग सुनियोजित तरीके से गांवो में बिना परमिश्न मीटिंगे कर जातिगत भावनाए भड़का रहे है। जिला प्रशासन क्या वाकई आदर्र्श आचार संहिता की पालना करवा रहाहै।।सोचने वाली बात है। खैर हम नेताओ को याद दिला रहे है मुद्दों पे वक़्त रहते बात कर ले जनता के सब जानती है।।।जातिगत और धर्म आधारित कट्टरता की बात करना भी आचार संहिता के दायरे में आता है।।सोसल मीडिया पर क्या वाकई निगरानी शुरू हो गई ।आये दिन आचार संहिता की धज्जियां उड़ाने वाली पोस्ट डाली जा रही है।।जनता के मर्म को समझ कर नेता उनके बीच जाए जनता आपकीं टिकट अपने आप मांग लेगी।।