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रविवार, 6 मार्च 2016

हवा महल से जुड़ी दिलचस्प बातें जिन्हें जानना चाहेंगे आप



नई दिल्ली: भारत विविधताओं भरा देश है जहां अजूबों और आश्चर्यों की कमी नहीं है। देश के लगभग हर राज्य में ऐसी ही खूबियां पाई जाती हैं। राजपूताना विरासत के अपने में समेटे राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। राजस्थान को भारत की आन और राजपूतों की शान माना जाता हैं। इसी राज्य में गुलाबी शहर के बीचों बीच बना हवा महल अपनी सुंदरता और अनोखी डिजाइन के कारण सबको आकर्षित करता है।






यह क्या आप जानते है कि इस हवामहल में ऐसा क्या है जो आज भी लोगों और वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। हवा महल को वास्तुकारों ने लाल चंद ने डिजाइन किया था। यह महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। लेकिन क्या इस बारें में जानते है कि यह इस इमारत में ऐसा क्या है जो एक शोध का विषय बना हुआ है। जिसके बारें में आज तक कोई भी ठीक से नही बता पाया है। जानिए ऐसा क्या खास है इस महल में।







हवामहल के नाम में छुपा एक मतलब

हवामहल का मतलब है कि हवाओं की एक जगह। यानी कि यह एक ऐसी अनोखी जगह है, जो पूरी तरह से ठंडा रहता है। हवामहल को साल 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इस पांच मंजिला इमारत को बहुत ही अनोखे ढंग से बनाया गया है।




यह ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है और बाहर से देखने में किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखती है। इस हवामहल में 953 छोटी खिड़कियां हैं जिससे ठंडी और ताजी हवा आती रहती है। जिसके कारण यह जगह बिल्कुल ठंडी रहती है।




अगली स्लाइड में जाने और खासियतों के बारें में




हवामहल को डिजाइन करने वाला कौन था




राजस्थान का मौजूद पिक सिटी जे अपने ही इमारतों और धरोहरों के लिए फेमस हैं। इन्ही में से एक है हवा महल। जो अपनी खूबसूरती और खासियत के कारण दुनिया में मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते है इस अनोखे महल को किसने डिजाइन किया है। तो हम आपको बता दें कि इस अनोखे और खूबसूरत महल को लाल चंद्र उस्ताद ने किया था।




हवामहल की डिजाइन के पीछें क्या है खास



जब महाराज सवाई प्रताप सिंह इस हवामहल को बनवाने का मन हुआ तो उन्होनें वास्तुकार लाल चंद्र उस्ताद को बुलाया और उन्होनें इस महल की डिजाइन इस तरह बनाई जो कभी सोची भी नही जा सकती थी। इसकी डिजाइन हिंदू धर्म के भगवान श्री कृष्ण के राजमुकुट जैसी बनी थी। ऐसा बाहर से देखने में लगता है।




हवामहल में ऊपर की मंजिल में जाने के लिए कोई सीढ़ी नहीं-

आपको यह जान कर अचंभा होगा कि पांच मंजिला बनी इस इमारत को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें ऊपर की मंजिल में जाने के लिए एक भी सीढ़ियां नहीं बनी हुई है। अगर आपको सबसे ऊपर की मंजिल में जाना है तो सिर्फ रैंप बने हुए हैं।




हवामहल को बनाने के पीछे क्या कारण था?

हवा महल को देखकर हमारे मन में एक सवाल जरुर आता है कि आखिर इसे किस मकसद के लिए बनवाया, तो हम आपको बता दें कि इसके पीछें क्या कारण था। इस महल को राजपूत की रानियां और राजकुमारियां इन झरोखों में बैठकर विशेष मौकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को देख सकें। राजपूत के समय में यह नही था कि उनके महल की कोई स्त्री घर से बाहर निकले। जिसके कारण यह बनवाया गया।




यह है दुनिया की सबसे बड़ी बिना नीव की इमारत




आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह इमारत बिना किसी नीव की बनी हुई है। जो अपने आप पर एक अजूबा है। यह दुनिया की सबसे बड़ी बिना नीव की इमारत मानी जाती हैं।

हवामहल में पांच मंजिला होने के कारण यह 87 डिग्री कोण में बना हुआ है। जो एक आश्चर्य हैं।




वामहल है राजपूत और मुगल कला का बेजोड़ नमूना-




हवामहल सबसे ज्यादा अपनी संस्कृति और इसकी डिजाइन के कारण फेमस है। हवामहल राजपूत और मुगलकला का बेजोड़ नमूना है। इस महल में आपको राजपूत का नमूना यहां कि गुंबददार छत, कमल, और फूलों में मिल जाएगा। वही मुगल का नमूना आपको मेहराव और यहां पर की गई बारीक नक्काशी में में मिल जाएगा।




हवामहल में की गई डिजाइन है मधुमक्खी के छत्तें की तरह-









आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि इस महल में 953 खिड़कियां है जिन्हें झरोखा कहा गया है। जो भीषण गर्मी पडने पर भी ठंडा रहता है। जैसे कि किसी एयर कंडीशनर कमरें में बैठे हो। इसकी डिजाइन इस तरह बनाई गई है जैसे कि मधुमक्खी का कोई छत्ता बना हो।

शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

पिंक सिटी जयपुर का शाही पैलेस हवा महल श्री राधाकृष्ण को समर्पित है

पिंक सिटी जयपुर का शाही पैलेस हवा महल महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है। जयपुर जाने वाले पयर्टकों के लिए यह आकर्षण का मुख्य केंद्र है। हवा महल का निर्माण 1799 में श्री कृष्ण भक्त महाराजा सवाइर् प्रताप सिंह ने करवाया था। यह महल राधा व कृष्ण को समर्पित है।श्री राधाकृष्ण को समर्पित है हवामहल
यह महल गुलाबी पत्थरों से बना हुआ है। इस महल की डिजाईन लाल चंद उस्‍ता ने बनाई थी। इस महल का निर्माण विशेष रूप से महिलाओं के लिए किया गया था ताकि वह जाली स्‍क्रीन के माध्‍यम से शाही जुलूस के दृश्‍यों का आनंद उठा सकें।

पिरामिड आकार के इस महल में लगभग 953 खिड़कियां हैं। जिन्हें झरोखा कह कर संबोधित किया जाता है। झरोखों से ठंडी हवा का समावेश होने के कारण यह महल भीतर से सदा ठंडा रहता है। इन खिड़कियों में से बहती हवा महल के भीतर आकर वातानुकूलन का कार्य करती है। सैकड़ों खिडकियों में से हवा के प्रवाह के कारण ही इस महल को ’हवामहल’ कहा जाता है। महल की छोटी बालकनी और छत से टंगी छजली महल की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।

हवा महल की खिडकियों में रंगीन शीशों का अनूठा शिल्प देखने को मिलता है। जब सूरज की किरणें इसके रंगीन शीशों में प्रवेश करती हैं तो हवा महल के कमरों में इन्द्रधनुष की छटा बिखर जाती है। घूबसूरती की ऐसी छटा बिखरती है जिसका शब्दों में व्याख्यान कर पाना मुमकिन नहीं है।

इतिहास के झरोखे पर दृष्टि डाले तो ज्ञात होता है जयपुर शहर देश योजना के अंतर्गत बनाया गया पहला शहर था। इसकी स्थापना राजा जयसिंह ने अपनी राजधानी आमेर में बढ़ती आबादी और पानी की समस्या को ध्यान में रखते हुए की थी।1876 में जब वेल्स के राजकुमार यहां आए तो महाराजा राम सिंह के आदेश से पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगा दिया गया। उसी के बाद से ये शहर 'गुलाबी नगरी' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

जयपुर का क्षेत्र 200 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है। पर्यटकों के लिए यहां घुमने लायक बहुत से स्थल हैं जो राजपूतों के वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूने हैं। यहां बहुत से ऐतिहासिक स्थल देखने को मिलते हैं जैसे जलमहल, जंतर-मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ का किला और आमेर का किला लेकिन इन सभी में खास है हवामहल। यह पांच मंजिला शानदार इमारत दरअसल सिटी पैलेस के ’जनान-खाने’ यानि कि हरम का ही एक हिस्सा है।

इस दो चौक की पांच मंजिली इमारत के प्रथम तल पर शरद ऋतु के उत्सव मनाए जाते थे। दूसरी मंजिल जडाई के काम से सजी है इसलिए इसे रतन मन्दिर कहते हैं। तीसरी मंजिल विचित्र मन्दिर में महाराजा अपने आराध्य श्री कृष्ण की पूजा-आराधना करते थे। चौथी मंजिल प्रकाश मन्दिर है और पांचवीं हवा मन्दिर जिसके कारण यह महल हवामहल कहलाता है। यदि सिरह ड्योढी बाजार में खडे होकर देखें तो हवामहल की आकृति श्री कृष्ण के मुकुट के समान दिखती है जैसा कि महाराजा प्रताप सिंह इसे बनवाना चाहते थे।

कब जाएं हवा महल की सैर करने- राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी झुलसाने वाली होती है इसलिए हवा महल की सैर करने का प्रोग्राम सर्दियों के मौसम में ही बनाएं।

कैसे जाया जाए हवा महल- राजस्थान की राजधानी होने के कारण जयपुर को हवाई, रेल और सड़क सभी मार्गों से जोड़ा गया है। जयपुर का रेलवे स्टेशन भारतीय रेल सेवा की ब्रॉडगेज लाइन नेटवर्क का केंद्रीय स्टेशन है।