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बुधवार, 3 अप्रैल 2013

किसानों का गुस्सा फूटा, कलेक्ट्री पर विरोध प्रदर्शन


किसानों का गुस्सा फूटा, कलेक्ट्री पर विरोध प्रदर्शन

प्लांट प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी, कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा 


बाड़मेर.राज वेस्ट पॉवर प्लांट भादरेस में भूमि अवाप्ति से प्रभावित किसानों की उपेक्षा से खफा हुए किसानों ने सोमवार को कलेक्ट्री के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने विभिन्न मांगों को लेकर राज वेस्ट कंपनी के खिलाफ नारेबाजी की। सोमवार को प्लांट में कार्यरत श्रमिक व ठेकेदार सामूहिक अवकाश पर रहे। कार्यों का बहिष्कार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने छह सूत्री मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। साथ ही अवाप्ति से प्रभावित किसानों की मांगों पर गौर नहीं करने पर राज वेस्ट पॉवर प्लांट के बाहर धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी। 

भादरेस के किसान दोपहर एक बजे कलेक्ट्री पहुंचे। जहां पर विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन शुरू किया। कंपनी के खिलाफ नारेबाजी करते हुए एमडी के खिलाफ कार्रवाई की आवाज बुलंद की। करीब आधे घंटे तक प्रदर्शन के बाद प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर को छह सूत्री मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में बताया कि राज वेस्ट की ओर से जमीन अवाप्त की गई थी। उस वक्त समन्वय समिति की बैठक में हुए समझौते के अनुसार स्थानीय किसानों को प्राथमिकता से रोजगार मुहैया करवाने, वाहन किराए पर लगाने तथा ठेके पर कार्य दिए जाने का समझौता हुआ था। लेकिन कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही के चलते स्थानीय किसानों की उपेक्षा की जा रही है। किराए पर लगाए वाहनों को बाहर निकालने के साथ श्रमिकों को भी हटाया जा रहा है। इसके अलावा किसानों के पुनर्वास के लिए आवंटित भूखंडों के पट्टे जारी नहीं किए गए है। जिससे किसानों में रोष व्याप्त है। उन्होंने भूमि अवाप्ति से प्रभावित किसानों को मजदूरी के पेटे 12 हजार रुपए प्रति माह देने, बाहरी ठेकेदारों का कार्य निरस्त कर स्थानीय ठेकेदारों को कार्य देने, 2007 के समझौते के अनुसार स्थानीय लोगों की गाडिय़ां किराए पर लगाने तथा राज वेस्ट में कार्यरत श्रमिकों के अनुपस्थित रहने पर पैनल्टी नहीं लगाए जाने की मांगे रखी।

किसानों ने चेतावनी दी कि हमारी मांगे स्वीकार नहीं की गई तो मंगलवार से राज वेस्ट पॉवर प्लांट के बाहर अनिश्चितकालीन धरना व प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।

ये थे मौजूद : ग्राम सेवा सहकारी समिति भादरेस के अध्यक्ष अक्षयदान बारहठ, तनसिंह, मांगाराम, भैरूसिंह, लूणदान, सांगीदान, थानाराम, गोविंदसिंह, गजेन्द्रसिंह,सगतीदान, नेमाराम, संजय जैन, डाऊराम, सुरताराम, राणीदान, जीवणदान, गोमाराम, पुरखाराम, महिपालसिंह, मनोहरसिंह, जगदीश कुमार, दलतपराम, सोहनलाल, किशनदान, भाखराराम समेत बड़ी तादाद में किसान मौजूद थे।

मंगलवार, 3 जुलाई 2012

डींगल भाषा के कवि मरूधरा का महान संत कवि इसरा परमेसरा

डींगल भाषा के कवि  संत ईश्वरदास भक्ति रस के महाकवि 

मरूधरा का महान संत कवि इसरा परमेसरा 

बाडमेर जिले में भक्ति रस कें कवि  संत ईश्वरदास  की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में रही संत रोहडिया भाखा के चारण कवि ईसरदास का जन्म बाडमेर के भादरेस में विक्रम संवत 1595 में हुआ था।इनके जन्म संवत की पुश्टि करने वाला यह दोहा बडा प्रसिद्ध हैं 
पनरासौ पिचयाणवै ,जन्मो ईसरदास। 
चारण वरण चकोर में ,इण दिन हुवौ उजास॥ 
चारण जाति में कवि ईसरदास का नाम के प्रति बडी श्रद्घा और आस्था हैं।उनके जन्म स्थल भादरेस में भव्य मन्दिर इसका प्रमाण हैं। जहॉ प्रति वशर बडा मेला लगता हैं। 
ईसरदास प्रणीत भक्ति रचनाओं में हरिरस,बाल लीला ,छोटा हरिरस,गुण भागवतहंस,देवियाण,रास कैला,सभा पर्व,गरूउ पुराण,गुण आगम,दाण लीला आदि लोक.प्रसिद्ध.रचनाऐं हैं।हरिरस ग्रन्थ को अनूठे रसायन की संज्ञा दी गई हैं। 
सरब रसायन में सरस,हरिरस सभी ना कोई। 
हेक घडी घर में रहे,सह घर कंचन होस॥ 
हरिरस ग्रन्थ को सब रसों का सिरमौर बताया बताया गया हैं। 
हरिरस हरिरस हैक हैं,अनरस अनरस आंण। 
विण हरिरस हरि भगति विण,जनम वृथा कर जाण॥ 
हरिरस एकोपासना का दिव्य आदार प्रस्तुत करने वाला ग्रन्थ हैं जिसमें सगुण और निर्गुण भक्ति का समन्वय का भक्ति के क्षैत्र में उत्पन्न वैशम्य को मिटानें का स्तुल्य प्रयास किया गया हैं। 
हरि हरि करंता हरख कर,अरे जीव अणबूझ। 
पारय लाधो ओ प्रगट,तन मानव में तूझ॥ 
नारायण ना विसरिये,नित प्रत लीजै नांम। 
जे साधो मिनखां जनम,करियै उत्तम काम॥ 
ईसरदास के मध्य कालीन साहित्य में वीर ,भक्ति टौर श्रृंगार रस की ि़त्रवेणी 
का अपूर्वयसंगम हुआ हैं।इनके साहित्य में वीर रस के साथ साथ भक्ति की भी उच्च कोटि की रचनाऐं प्रस्तुत की हैं।भक्ति कवि ईसरदास का हरिरस भक्ति की महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं तो तो उनकी रचना हाळा झाळा री कुण्डळियॉ वीर रस की सर्वश्रैश्ठ कृतियों में गिनी जाती हैं। यह छोटी पचना होते हुऐ भी डिंगळ का वीर रसात्मक काव्य कृतियों में सर्वश्रैश्ठ मानी जाती हैं।काव्य कला की दृश्टि यें इनके द्घारा रचे गये गीत भी साधारण महत्व कें नही हैं।उनकें उपलब्ध गीतों के नाम इस प्रकार हेैं गीत सरवहिया बीजा दूदावत रा ,बीत करण बीजावत रा,गीत जाम रावळ लाखावत रा,आदि। ईसरदास उन गीत रचियताओं में से हैं ,जो अपने भावों को विद्धतापूर्ण ंग से प्रकट करतें हुऐं भी व्यर्थ के भाब्द जंजाल तथा पांडिल्य प्रदार्न से दूर रहे हैं। ईसरदास का रचनाकाल 16 वीं भाताब्दी का प्रथम चरण हैं।इस समय में पुरानी पिचती राजस्थान ने अपना रूवतंत्र रूप निर्माण कर लिया था।अत; भाशा के अध्ययन की स्फूट गीत रचनाऐंब डा महत्व रखती हैं। ईसरदास मुख्यत; भक्तकवि हैं।इसलिए उन्होने अपनी वीर ेरसात्मक रचनाओं में किसी प्रकार के अर्थ लाभ का व्यवहारिक लगाव न रखते हुऐ सर्वथा स्वतंत्र और सच्ची अभिव्यक्ति प्रदान की हैं।