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शनिवार, 23 जुलाई 2016

जैसलमेर,ग्रामीणजन बालिका षिक्षा को बढ़ावा देने तथा स्वच्छता बनाए रखने पर विषेष ध्यान दें -जिला कलक्टर शर्मा



जैसलमेर,ग्रामीणजन बालिका षिक्षा को बढ़ावा देने तथा स्वच्छता बनाए रखने पर विषेष ध्यान दें -जिला कलक्टर शर्मा
रासला ग्राम पंचायत में आयोजित रात्री चैपाल में अधिकारियों को ग्रामीणों की समस्याओं का
व्यक्तिषः रुचि लेकर तत्परता से समाधान के दिए निर्देष

जैसलमेर, 23 जुलाई/जिला कलक्टर मातादीन शर्मा ने ग्रामीणों से आह्वान किया कि रात्रि चैपाल में अधिकारियों ने सरकार की विविध लाभदायी़ विकास एवं जन कल्याणकारी योजनााओं की जो जानकारी दी हैं, उसका वे भरपूर लाभ उठावें। उन्होंने कहा कि रात्रि चैपाल आयोजन के पीछे राज्य सरकार का उद्धेष्य है कि अधिकारी व ग्रामीण एक मंच पर बैठ कर गांव की समस्याओं का रुबरु समाधान करें। उन्होंने कहा कि यह चैपाल ग्रामीणों के घर बैठे गंगा आई समान है एवं उसका वे पूरा-पूरा लाभ ले तथा अपनी व्यक्तिगत व सार्वजनिक समस्याओं को रख कर उसका समाधान करावें। जिला कलक्टर ने रासला ग्रामवासियों को सहयोग की भावना रखते हुए सकारात्मक सोच बनाए रखते हुए बालिका षिक्षा बढ़ावा देने के साथ ही भारत स्वच्छ मिषन के तहत गांव के वातावरण को अत्यंत साफ-सुथरा बनाए रखने की अपील की। जिला कलक्टर ने रात्रि चैपाल में अनुपस्थित पाए गए कौषल विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी को गंभीरता से लिया।

रासला रात्रि चैपाल के दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद नारायणसिंह चारण ,उपखण्ड अधिकारी फतेहगढ़ रणसिंह , तहसीलदार फतेहगढ़ तुलछाराम विष्नोई, विकास अधिकारी लादूराम विष्नोई , अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सज्जनसिंह , उपवन संरक्षक श्रीमती ख्याति माथुर , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. एन.आर.नायक ,सरपंच ग्रामपंचायत रासला श्रीमती मूलीदेवी के साथ ही कई विभागों के जिला स्तरीय अधिकारीगण और अच्छी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।

जिला कलक्टर के समक्ष चैपाल में उपस्थित ग्रामीणजनों ने मुख्य रुप से पेयजल एवं वि़़द्युत संबंधी समस्याओं के बारे में प्रार्थना-पत्र पेष किए। इस पर जिला कलक्टर ने मौके पर ही संबंधित जलदाय और विद्युत विभाग के अधिकारीगण को निर्देषित किया कि वे इनके द्वारा प्रस्तुत की गई मूलभूत समस्याओं का तत्काल समाधान कर पालना रिपोर्ट शीघ्र पेष करें। गौरतलब हैं कि उन्होनें जिलाधिकारियों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि सभी अधिकारीगण इस बात का खास ध्यान रखें कि चैपाल के दोरान जरुरमंद ग्रामीणों को केवल संक्षिप्त में उन सरकारी लाभदायी/जनोपयोगी योनाओं की जानकारी प्रदान करे जिनका उन्हें सीधे ही लाभ मिल सकें।

जिला कलक्टर शर्मा ने ग्रामपंचायत रासला में आयोजित चैपाल के दौरान ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में षिक्षा का अधिक सर्वोच्च स्थान है इसलिए हमें बालिकाओं को अधिकाधिक षिक्षा देने के लिए आगे आकर विद्यालयों में भेजना चाहिए क्यों की ये बालिकाएं आगे जाकर अपने घरों में अच्छी षिक्षित बहुए बन कर अपने बच्चों को षिक्षित एवं सुसंस्कार बना कर अपने देष व समाज को विकसित कर सकेगी। जिला कलक्टर ने बालिका षिक्षा को बढ़ावा दिये जाने पर विषेष जोर दिया।

जिला कलक्टर शर्मा ने ग्रामीणों को कहा कि वर्तमान युग क्म्प्यूटर का है तथा आजकल संपूर्ण कार्य आॅनलाईन के जरिए किया जा रहा है। उन्होंने भामाषाह कार्ड के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए सभी ग्रामीणों को विषेष रुप से आधार व भामाषाह कार्ड अनिवार्य रुप से बनाने एवं उसका पंजीयन कराने के सथ बैंक में अपने-अपने खाते समय पर खुलवाने की अपील की एवं कहा कि अब सरकार की योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा जब उनके भामाषाह कार्ड बने होगें। इसके साथ ही योजनाओं का सीधा पैसा भी भामाषाह के माध्यम से उनके खातों में सीधे जमा होगें। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान की चर्चा करते हुए सभी घरों में शौचालय बना कर उसका पूर्ण उपयोग करने तथा रासला को शीघ्र ही शतप्रतिषत खुले में शौचमुक्त पंचायत बनाने की नसीहत दी।

उन्होंने ग्रामीणों को विष्वास दिलाया और प्रसन्नता जाहिर की कि रासला ग्राम पंचायत के वाषिंदें जागरुक है जिन्होंने इस चैपाल में बढ़ च़ढ कर अधिकाधिक संख्या में अपनी समस्याएं रखी। उन्होने कहा कि जो भी प्रार्थना-पत्र समस्याओं के संबंध में दिया गया है, उनको जिला मुख्यालय पर राज. सम्पर्क पोर्टल में दर्ज कर संबंधित विभाग को आवष्यक कार्यवाही बाबत प्रेषित किए जाएगें एवं उनका निस्तारण नहीं होता तब तक इसकी प्रभावी माॅनेटरिंग की जाएगी। जिला कलक्टर ने ग्रामीणों को कहा कि यदि कोई जिला स्तरीय अधिकारी इन समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही कर समाधान नहीं करता हैं तो वे जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय आकर सीधे ही उनसे मिल सकता है।

रासला रात्री चैपाल के अवसर पर उपखण्ड अधिकारी फतेहगढ़ रणसिंह ने फोत हुए लालराम के मृत्यु संबंधी मामले को दृष्टिगत रखते हुए मौके पर पटवारी के माध्यम से म्यूटेषन में लेकर तत्काल पटवारी को उसका मृत्यु प्रमाण-पत्र तैयार करने के निर्देष दिए। उन्होनंे इस प्रकार के मामलों को पटवारी/ग्रामसेवक तथा सरपंच को व्यक्तिषः रुचि लेकर सकारात्मक सौच के साथ त्वरित गति से वंाछित प्रमाण-पत्र जारी कर निस्तारण करने को कहा। उन्होने ग्रामीणजनों को ग्रामपंचायत मुख्यालयों पर लग रहे ग्रामसभा षिविरों और आगामी 28 जुलाई से 31 जुलाई तक की अवधि के लिए लगाये जा रहे भामाषाह सुविधा एवं समाधान षिविर कार्यक्रमों का पूरा-पूरा लाभ उठाने को कहा।



चैपाल के दौरान पंचायत समिति सदस्य रासला भवानी शंकर शर्मा ने जिला कलक्टर के समक्ष राजकीय उच्च माध्यमिक वि़द्यालय रासला में व्याख्याता लगाने की मांग रखी तो जिला कलक्टर ने वहां उपस्थित जिला षिक्षाधिकारी प्रतापसिंह कसवा को व्याख्याता का पद शीघ्र भरने को कहा। ताकि शैक्षणिक कार्य प्रभावित नहीं हो। इसी तरह से रासला,अचला,कराड़ा ,सांवता, नया अचला, लाला तथा भोपा एवं आस पास के गांवों एवं ढांणियों से रात्रि चैपाल में पहुंचे ग्रामीणजनों दुर्जनंिसंह ,सोनाराम ,भंवरुराम मोतीसिंह ,भोमसिंह ,पदमसिंह वगैरह ने वि़द्युत वाॅल्टेज बढ़ाने ,प्रभावित पेयजल व्यवस्था को नियमित एवं सुचारु बनाए रखने के लिए खराब पड़ी जीएलआर ,पाईल लाईन तथा पुरानी टंकियों को ठीक कराने और मेहराजोत/अचलसिंह की ढांणी निवासी देवीसिंह,छबरसिंह,रुघनाथ्सिंह,गोपालसिंह भेरुसिंह ने विद्युत कनेक्षन सुविधा शीघ्र देने इत्यादि की समस्याओं बाबत में अपने-अपने प्रार्थना पत्र जिला कलक्टर को मौके पर दिए तो जिला कलक्टर ने इस संबंध में संबंधित विभागीय अधिकारियों को त्वरित कार्यवाही कर उन्हें राहत पहुंचाने के निर्देष प्रदान किए। जिला कलक्टर ने वि़द्युत विभाग के अभियंता को निर्देष दिए कि रासला में वाॅल्टेज की कमी को दृष्टिगत रखते हुए यहंां शीघ्र एक नया उच्चक्षमता का अच्छा ट्रांसफोर्मर लगाया जावें। अचलसिंह की ढांणी में हैण्डपंप लगाने तथा नया कराड़ा में जीएलआर में पर्याप्त पानी की जलापूर्ति करने के निर्देष दिए।

इस मौके पर जिला सांख्यिकी सहायक निदेषक डाॅ. बृजलाल मीणा ने जिले में संचालित भामाषाह योजना की ग्रामीणों को विस्कार जानकारी प्रदान की। उन्होने चैपाल में मौजूद लोगों को माईक्रो एटीम से धनराषि निकासी व्यवस्था की जानकारी दी तथा कहा कि अधिकाधिक ग्रामीणजन राषि इस मषीन से उठावे। उन्होंने भामाषाह एवं आधार का नामांकन समय पर करवाने का अनुरोध किया ताकि लाभार्भी को उनके हक का पेैसा उनके बैक खातों में जमा हो सकें। उन्होंने काॅ-आपरेटिव बैंक में खाते खुलवाने को कहा कि चूंकि उन्हें राज्य सरकार से मिलने वाली राषि सीधे ही उनके खातों में जमा हो जायें।

चैपाल के दौरान उपवन संरक्षक श्रीमती ख्याति माथुर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सज्जनसिंह, अधीक्षण अभियंता विद्युत एम.एल.जाट , पी.डब्ल्यू.डी एस.के.कालनी ,, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ.एन.आर.नायक , संयुक्त निदेषक पषुपालन विभाग डाॅ0 मलखान सिंह मीणा ,जिला रसद अधिकारी औंकारसिंह कविया ,उपनिदेषक कृषि विस्तार राधेष्याम नारवाल , सहायक निदेषक सांख्यिकी डाॅ.बी.एल.मीणा , समाज कल्याण अधिकारी तुलछाराम चैधरी , उपनिदेषक,महिला एवं बाल विकास श्रीमती स्नेहलता चैहान , जिला षिक्षा अधिकारी प्रतापसिंह कसवा तथा महाप्रबन्धक जिला उद्योग केन्द्र सी.एम गुप्ता, जिला रोजगार एवं श्रम कल्याण अधिकारी भवानी प्रताप चारण ने अपने-अपने विभाग की योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों को दी एवं इसका लाभ उठाने का आग्रह किया। सरपंच रासला श्रीमती मूलीदेवी ने विष्वास दिलाया कि आगामी दो माह में सभी घरों में शौचालय का निर्माण शीघ्र ही करने के प्रयास करेगे एवं उसका सदुपयोग कर पंचायत को शौचमुक्त करेगें। चैपाल के दौरान रात्री में रासला विद्यालय प्रांगण में स्वच्छ भारत मिषन के तहत खुले में शौच करने से होने वाले नुकसान तथा घर-घर में टाॅयलेट होने की महत्ता के बारे में गणपत जोषी द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से ग्रामीणों को जानकारी प्रसारित कर लाभान्वित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेषक डाॅ.बृजलाल मीणा ने किय ---000--

1से 3 फोटो कैप्षन -जिला कलक्टर मातादीन शर्मा रासला में शुक्रवार को आयोजित रात्रि चैपाल में ग्रामीणााजनों की समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनते हुए।



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शनिवार, 15 नवंबर 2014

सुखी और शांतिपूर्ण जीवन का रहस्य- आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि-



सुखी और शांतिपूर्ण जीवन का रहस्य- आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि-



हर व्यक्ति सुखी एवं शांतिपूर्ण जीवन की चाह रखता है, लेकिन उसके प्रयास अपनी इस इच्छा के अनुरूप नहीं होते। यह एक सत्य है कि शरीर में जितने रोम होते हैं, उनसे भी अधिक होती हैं-इच्छाएं। ये इच्छाएं सागर की उछलती-मचलती तरंगों के समान होती हैं। मन-सागर में प्रतिक्षण उठने वाली लालसाएं वर्षा में बांस की तरह बढ़ती ही चली जाती हैं। अनियंत्रित कामनाएं आदमी को भयंकर विपदाओं की जाज्वल्यमान भट्टी में फैंक देती है, वह प्रतिक्षण बेचैन, तनावग्रस्त, बड़ी बीमारियों का उत्पादन केन्द्र बनता देखा जा सकता है। वह विपुल आकांक्षाओं की सघन झाडि़यों में इस कदर उलझ जाता है कि निकलने का मार्ग ही नहीं सूझता। वह परिवार से कट जाता है, स्नेहिल रिश्तों के रस को नीरस कर देता है, समाज-राष्ट्र की हरी-भरी बगिया को लील देता है। न सुख से जी सकता है, न मर सकता है।

आज का आदमी ऐसा ही जीवन जी रहा है, वह भ्रम में जी रहा है। जो सुख शाश्वत नहीं है, उसके पीछे मृगमरीचिका की तरह भाग रहा है। धन-दौलत, जर, जमीन, जायदाद कब रहे हैं इस संसार में शाश्वत? पर आदमी मान बैठा कि सब कुछ मेरे साथ ही जाने वाला है। उसको नहीं मालूम की पूरी दुनिया पर विजय पाने वाला सिकन्दर भी मौत के बाद अपने साथ कुछ नहीं लेकर गया, खाली हाथ ही गया था। फिर क्यों वह परिग्रह,मूच्र्छा, आसक्ति, तेरे-मेरे के चक्रव्यूह से निकल नहीं पाता और स्वार्थों के दल-दल में फंसकर कई जन्म खो देता है। चाह सुख-शांति की, राह कामना-लालसाओं की, कैसे मिले सुख-शांति? क्या धांय-धांय धधकती तृष्णा की ज्वाला में शांति की शीतल बयार मिल सकती है? धधकते अंगारों की शैय्या पर या खटमल भरे खाट पर सुख की मीठी नींद आ सकती है? क्या कभी इच्छा-सुरसा का मुख भरा जा सकता है? सुख-शांति का एकमात्र उपाय है-इच्छा विराम या इच्छाओं का नियंत्रण। जिसने इच्छाओं पर नियंत्रण करने का थोड़ा भी प्रयत्न किया, वह सुख के नंदन वन को पा गया।

आकांक्षाएं-कामनाएं वह दीमक है, जो सुखी और शांतिपूर्ण जीवन को खोखला कर देती है। कामना-वासना के भंवरजाल में फंसा मन, लहलहाती फसल पर भोले मृग की तरह इन्द्रिय विषयों की फसल पर झपट पड़ता है। आकर्षक-लुभावने विज्ञापनों के प्रलोभनों में फंसा तथा लिविंग स्टेंडर्ड जीवन स्तर के नाम की आड में आदमी ढ़ेर सारी अनावश्यक वस्तुओं को चाहने लगता है, जिनका न कहीं ओर है न छोर। एक समय में कुछ ही चीजों में इन्सान संतोष कर लेता था पर आज?...हर वस्तु को पाने की हर इन्सान में होड-सी लगी हुई है। बेतहाशा होड की अंधी दौड़ में आदमी इस कदर भागा जा रहा है कि न कहीं पूर्ण विराम है, न अर्ध-विराम। विपुल पदार्थ, विविध वैज्ञानिक सुविधाओं के बावजूद आज का इच्छा-पुरुष अशांत, क्लांत, दिग्भ्रांत और तनावपूर्ण जीवन जी रहा है। और भोग रहा है-बेचैनी से उत्पन्न प्राणलेवा बीमारियों की पीड़ा। भगवान महावीर का जीवन-दर्शन हमारे लिये आदर्श है,क्योंकि उन्होंने अपने अनुभव से यह जाना कि सोया हुआ आदमी संसार को सिर्फ भोगता है,देखता नहीं जबकि जागा हुआ आदमी संसार को भोगता नहीं, सिर्फ देखता है। भोगने और देखने की जीवनशैली ही महावीर की सम्पूर्ण जिन्दगी का व्याख्या सूत्र है। और यही व्याख्या सूत्र जन-जन की जीवनशैली बने, तभी आदमी समस्याओं से मुक्ति पाकर सुखी और शांतिपूर्ण जीवन का हार्द पा सकता है।

समस्याएं जीवन का अभिन्न अंग है जिसका अंत कभी नहीं हो सकता। एक समस्या जाती है तो दूसरी आ जाती है। यह जीवन की प्राकृतिक चक्रीय प्रक्रिया है। वर्तमान युग में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे किसी प्रकार की समस्या न हो। आप घर के स्वामी हैं, समाज एवं संस्था के संचालक हैं या किसी भी जनसमूह के प्रबंधक हैं एवं व्यवस्थापक हैं तो आपके सामने कठिनाइयों का आना अनिवार्य है। व्यक्ति चाहे अकेला हो या पारिवारिक, समस्याएं सभी के साथ आती है तो सारी समस्याओं का समाधान है अटल धैर्य। धैर्य के बल पर ही हमें समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। हमंे इस तथ्य एवं सच्चाई को मानना होगा कि जीवन में सदैव उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, जीवन में ऐसी घटनाएं घट जाती हैं जिनकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते लेकिन हमें किसी भी अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों में अपना धैर्य एवं संतुलन नहीं खोना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि जीवन के प्रति हमारा नजरिया भोगवादी न होकर संयममय हो।

जीवन तंत्र, समाज तंत्र व राष्ट्रतंत्र चलाने में अर्थ व पदार्थ अवश्य सार्थक भूमिका निभाते हैं पर जब अर्थ व पदार्थ मन-मस्तिष्क पर हावी हो जाते हैं, तब सारे तंत्र फेल हो जाते हैं। अर्थ व पदार्थ जीवन निर्वाह के साधन मात्र हैं, साध्य नहीं। गलती तब होती है जब उन्हें साध्य मान लिया जाता है। साध्य मान लेने पर शुरू होती है-अर्थ की अंधी दौड़ और अनाप-शनाप पदार्थों को येनकेन प्रकारेण पाने की जोड़-तोड़, अंधी दौड़ और जोड़तोड़ में आंखों पर जादुई पट्टी बंध जाती है, तब उसे न्याय-इन्साफ, धर्म-ईमान, रिश्ते-नाते, परिवार, समाज व राष्ट्र कुछ नहीं दीखता, दीखता है-केवल अर्थ, अर्थ और अर्थ....।

मानव हम दो में सिमटता, सिकुड़ता जा रहा है फलतः मानवीय संबंध बुरी तरह से प्रभावित हो बिखर रहे हैं, परिवार टूट रहे हैं, स्नेहिल संबंधों में दरारें पड़ रही है, हम पिया - हमारा बैल पीया का मनोभाव भारतीय संस्कृतिके मूलभूत सिद्धांत-सदाचार, सद्भाव, शांति-समता, समरसता को खत्म करने पर तुले हुए हैं। मनुष्य स्वभावतः कामना बहुल होता है। एक लालसा-कामना अनेक लालसाओं की जननी बनती है। जबकि छह फुट जमीन, शायद यही होती है-वास्तविक आवश्यकता। यह है कामनाओं की अंधी दौड़ की अंतिम परिणति। आकांक्षाओं से मूच्र्छित चेतन को जीवित करने के लिए सही समझ का संजीवन चाहिए। सुकरात का सुवचन है-‘‘ज्यों-ज्यों व्यक्ति इच्छाओं को कम करता है, देवताओं के समकक्ष हो जाता है। सुख, शांति और स्वास्थ्य का उपहार पा लेता है।

प्रेषक- आचार्य लोकेश आश्रम, 63/1 ओल्ड राजेन्द्र नगर, करोल बाग मेट्रो स्टेशन के समीप, नई दिल्ली-60 सम्पर्क सूत्रः 011-25732317, 9313833222,