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बुधवार, 2 मार्च 2011

सोनार किले से उठी राजस्थानी को मान्यता की हुंकार










सोनार किले से उठी राजस्थानी को मान्यता की हुंकार
राजस्थान का सांस्कृतिक विकास राजस्थानी के बिना अधूरा डॉ आईदानसिंह भाटी
जैसलमेर। मायड़ भाषा राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिये कृष्णा संस्था, वारियर्स एजयुकेशनल एण्ड डवलपमेंट सोसायटी जैसलमेर के तत्वाधान में राजस्थानी भाषा मान्यता सघर्ष समिति द्वारा संचालित मान्यता हस्ताक्षर अभियान के दूसरे दिन गोपा चौक में समर्थनों का तातां लगा रहा रही वरिष्ठ साहित्य कार्यो ने अभियान को सार्थक व बहुउद्देशीय बताते हुए समर्थन किया। हिन्दी साहित्य के वरिष्ठ साहित्यकार एवं थार संस्थान के संरक्षक ने आईदानसिह भाटी ने कहा है कि मायड़ भाषा के अभाव में संस्कृतियां नष्ट हो रही है और हम अपनी जड़ो को खुद ही काटने में लगे हैं।
हस्ताक्षर अभियान में शामिल होकर वरिष्ठ इतिहासकार ने कहा कि राजस्थानी भाषा मॉ और हिन्दी बेटी है। बेटी मॉ से आगे निकल गई। उन्होने कहा कि इतिहास को कुरेदने से बेहतर से राजस्थानी भाषा को मान्यता में आ रही अड़चनों को दूर किया जाए। उन्होने कहा कि पिछले कुछ सालों से राजस्थानी को मान्यता देने की मांग बराबर की जा रही है मगर इस बार जो पूरे राजस्थान में राजस्थानी भाषा के प्रति आस्था का ज्वार उमड़ा है। उससे लगता है कि हम कायम होगें। उन्होने कहा कि जनगणना सबसे मजबूत कड़ी है, राजस्थानी अपनी मातृ भाषा के रूप में राजस्थानी दर्ज कराकर अपना धर्म निभाए।गोपा चौक में राजस्थानी भाशा को मान्यता के समर्थन में लोगों का हूजूम उमउ पडा। दोी विदोी पर्यटक भी उत्सुक्ता सें देख रहे थे।जब उन्हे मकसद बताया तो वे भी समर्थन में अभियान में भामिल हुऐ तथा अपने हस्तक्षर किएं।वारियर संस्था के सचिव प्रदीप गौड ने बताया कि राजस्थानी भाशा को मान्यता के लिऐ प्रदो भर में संधशर समितियों के माध्यम से जन अभियान चलाया जा रहा हैं। इस अवसर पर सैकडों जैसाण वासियों ़ ने राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रयासों का पुरजोर समर्थन कर भरपूर सहयोग के लिए आश्वस्त किया। अभियान में अब तक 1233 से अधिक जैसाणवासियों ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने के लिए हस्ताक्षर का अपना समर्थन दे चुके है। समिति के संयोजक सिकन्दर भोख ,मनीश रामदेव,आननद जगानी,, चन्दनसिंह भाटी, विजय कुमार, ने अपना योगणन दिया

बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

मत भूलो मायड़ भाषा रो मान’


‘मत भूलो मायड़ भाषा रो मान’
दैनिक भास्कर टॉक शो में साहित्यकारों ने की मायड़ भाषा की पुरजोर पैरवी
भास्कर न्यूज & बाड़मेर
हम ये नहीं कहते कि अंग्रेजी या हिन्दी मत बोलो। हम तो कहते है कि मायड़ भाषा राजस्थानी का अधिक से अधिक चलन हो। मातृ भाषा हिन्दी व अंग्रेजी की जहां बोलने की आवश्यकता अधिक महसूस हो, वहीं उपयोग करें। केंद्र में कई मंत्री अपनी स्टेट की भाषा में ही भाषण देते है। वहीं का पहनावा पहनते है। राजस्थानी भाषा का समृद्ध इतिहास है। संस्कृति, लोककला, खान-पान, रहन सहन, पहनावा सबसे प्यारा और न्यारा है।’ मायड़ भाषा राजस्थानी को मान्यता दिलाने को लेकर यहीं पुरजोर पैरवी मंगलवार को ‘दैनिक भास्कर’ कार्यालय में आयोजित ‘राजस्थानी भाषा को कैसे मिले मान्यता’ विषयक टॉक शो में शहर के नागरिकों ने कही। 

मल्लीनाथ छात्रावास के व्यवस्थापक कमलसिंह महेचा ने कहा ‘राजस्थानी साहित्य सूं समृद्ध है। राजस्थानी री वीर रस, श्रृंगार रस तो कोई सांनी कोनी। राजस्थानी राजस्थान रे कोने-कोने में बोलीजे है। शब्दों रो अंतर है, पण भाव एक ही जेड़ों है।’

राजकीय महाविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. ओंकार नारायणङ्क्षसह ने कहा ‘मायड़ भाषा ने मान्यता दिलावण सांरू ओ प्रयास चोखो है। राजस्थानी मां है, जद की हिंदी उनरी बेटी है। पण आज बेटी मां रो स्थान ले अर बैठी है। राजस्थानी रो भक्ति साहित्य जिणमें पाबूजी री पड़, बाबा रामदेव रो इतिहास, मेवाड़ री वीर गाथा, मीरा रो अरदास किण ही साहित्य हूं कम नी है।’

शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी (प्रा.शि.) डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा ‘आजादी रे इत्ता बरसो बाद भी राजस्थानी भाषा ने मान्यता दिलाण सारू आवाज उठाणी पड़े। जद कि इण मायड़ भाषा रो लंबो चौड़ो इतिहास संजोउड़ों है। भाषा रै साथै साथै अठै रो मान, संस्कृति, लोक कला, खान पान पुरी दुनियां मानै है। बाहर रा अंग्रेज अठे आ अठै री संस्कृति देखण सारूं तरसे है। अठै रो पहनाणों मन ने लुभावै।’

राजस्थानीय भाषा मान्यता समिति बाड़मेर के पूर्व अध्यक्ष कन्हैयालाल वक्र ने कहा ‘जिण भाषा में मीरा करी गिरधर री अरदास, बा आपणी राजस्थानी ने सब मान दिलाओ। म्हे खासे बरसों सूं राजस्थानी ने मान्यता दिलाण सारूं प्रयास करूं हूं, इण वास्ते म्हे पत्र पत्रिकाओं में लेख लिख्या। कविता सूं आपरी बात कही। पण आज खुशी है कि सब लोग इण सारूं आगे आया है। तीस मार्च राजस्थान दिवस माथै सगला लोग एक दिन रो उपवास राख न अरदास करें।’

एबीईईओ कमलसिंह राणीगांव ने कहा ‘राजस्थानी रो बोलचाल में ज्यादा सूं ज्यादा प्रयोग होवे। जिण सूं घर परिवार में इण भाषा रै प्रति मोह जागसी। ’

कमठा मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण वडेरा ने कहा ‘राजस्थानी मान्यता रो ओ हेलो घर घर से उठावणो पड़सी। राजस्थानी री मान्यता सारूं ईमानदारी, वफादारी सूं काम करणो पड़सी।’

कृष्णा संस्था के चंदनसिंह भाटी ने कहा ‘बाड़मेर सूं चली आ मान्यता री आवाज राजस्थान रै गांव गांव तक पहुंचसी। गांव-गांव सूं उठयूड़ी आवाज विधानसभा और संसद में पहुंच राजस्थानी ने मान्यता दैरासी।’

सामाजिक कार्यकर्ता रणवीरसिंह भादू ने कहा ‘राजस्थानी भाषा ने पाठ्यक्रम में लागू करवाणों पड़सी। छोटी कक्षाओं सूं टाबरों ने इणरो ज्ञान कराणों पड़सी।’

जिला परिषद सदस्य कोसर बानो ने कहा ‘राजस्थानी भाषा ने मान्यता दिलाण सांरी म्हारी दिलीं ख्वाहिश है।’

पार्षद सुरतानसिंह ने कहा ‘राजस्थानी भाषा रै साथै-साथै अठे री परंपरागत देशी ऊन हूं बणन वाला उत्पाद माथै भी संकट है। राजस्थानी भाषा जदै हूं छोड़ी बिण हूं पछै अठै रो पहनावो छूट गो, संस्कृति बिखर गी।’

पूर्व जिला परिषद सदस्य रिड़मलसिंह दांता ने कहा कि ‘मायड़ भाषा री मान्यता सारूं सब लोगों ने मिलजुल प्रयास करनो पड़सी। इणमें ही सगला राजस्थानियों रो मान बढ़सी।

जिला कांग्रेस कमेटी सदस्य युसुफ खान ने कहा कि ‘ऐडो जमाणों आयो है के आपरे टाबरों ने लोग कैवे बेटा मारवाड़ी मत बोलिजे म्हारो मान सम्मान घट जावेला। इण में सुधार लाणो पड़सी। मायड़ भाषा ने बोलण सारूं हिचक छोडऩी पड़सी।’

अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खां ने कहा कि ‘राजस्थानी भाषा, संस्कृति, लोक कला रै सारूं म्हारो विश्व में घणों घणों मान सम्मान होवे। बठै रा लोग अठै रा मीठा गीतों व धुनों ने सुण मस्ती में डूब जावे। अपणी नकल करणे री कोशिश करें। पणे अठे तो इण सूं लोग दूर भागे। नुवां बनड़ा तो राजस्थानी रा बोल ही ना समझै। अबे इण रो बदलाव करणो चाहिजे।’

कलाकार दिलावर खां ने कहा ‘आपरे टाबरों ने भले ही अंग्रेजी या हिंदी स्कूलों में पढ़ावो। पण राजस्थानी रो घरों व व्यवहार में घणों घणों उपयोग होनो चाहिजे। इणरे सारूं सब लोगों ने एको राखणों पड़सी।’

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

रेतीले धोरों पर उफनती रहीं साँस्कृतिक धाराएँ बेस्ट ऑफ राजस्थान कार्यक्रम ने ला दी थिरकन रंगीन आतिशबाजी के साथ मरु महोत्सव का समापन







रेतीले धोरों पर उफनती रहीं साँस्कृतिक धाराएँ
बेस्ट ऑफ राजस्थान कार्यक्रम ने ला दी थिरकन
रंगीन आतिशबाजी के साथ मरु महोत्सव का समापन

जैसलमेर, 18 फरवरी/मरु भूमि से लेकर दुनिया के कोनेकोने तक जैसलमेर को गौरव दिलाने वाले मरु महोत्सव2011 का शुक्रवार रात जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर सम के रेतीले मखमली धोरों पर समापन हो गया। धरती पर साँस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम के बाद आसमान में रंगीन आतिशबाजी के सुनहरे नज़ारों के साथ ही तीन दिवसीय उत्सवी मेले ने विराम पा लिया।
इसका आयोजन राजस्थान पर्यटन तथा जैसलमेर जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। तीन दिनों में भारत के विभिन्न प्रदेशों के साथ ही विश्व के कई देशों से आए पर्यटकों को मिलाकर हजारों सैलानियों ने मरु महोत्सव के विभिन्न आयोजनों का लुत्फ उठाते हुए जैसाण की लोक संस्कृति, परम्पराओं, ऐतिहासिक शिल्पस्थापत्य के स्मारकों और नैसर्गिक सौन्दर्य से रूबरू होकर पर्यटन का आनंद पाया।
मरु महोत्सव के समापन पर हुई शानदार साँस्कृतिक कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के कलाकारों और दलों ने एक से ब़कर एक मनोहारी कार्यक्रम पेश कर रसिकों को खूब आनंदित किया।
थार संगीत की मिठास बिखेर चुके जिले के मूलसागर निवासी तगाराम भील ने अलगोजा एवं सितार पर राजस्थान लोकगीतों की धुनें बिखेर कर दर्शकों का मन मोह लिया। पारसनाथ के संगीत निर्देशन में प्रसिद्ध कालबेलिया पार्टी ने कालबेलिया नृत्य पेश का राजस्थानी संस्कृति की गंध धोरों पर बिखरा दी। बीन की धुन, डफली की ताल और ोलक की थाप पर नागिन की तरह बल खाती हुई कालबेलिया नृत्यांगनाओं ने ॔॔काल्यो कूद पड्यो मेला मा...; के बोल पर भावपूर्ण नृत्य पेश किया।
जैसलमेर के ख्यातनाम कलाकार थाने खां एवं उनकी टीम ने सूफियाना अंदाज में ॔॔दमादम मस्त कलन्दर......’’ बोल पर प्रस्तुति देते हुए पूरे माहौल को सूफी संगीत से सरोबार कर दिया। इसी टीम ने ॔॔जब देखूं बने री लाल पीली अंखियाँ..........’’ राजस्थानी गीत पेश किया।
मेवाती अंचल के भपंग वादक नरूदीन मेवाती ने ोलक की लय ताल पर ॔॔ राम नाम की भपंग वादन के साथ हास्य व्यंग से भरपूर गीत प्रस्तुत कर भरपूर मनोरंजन किया।
सांस्कृतिक संध्या में डीग भरतपुर के मशहूर लोक कलाकार अशोक शर्मा एण्ड पार्टी द्वारा ’’ब्रज की प्रसिद्ध फूलों की होली’’ एवं ॔॔मयूर नृत्य’’ की आकर्षण भरी प्रस्तुतियों से रेतीले धोरों को फागुनी मस्ती से भर दिया।
पोकरण के लोक कलाकार रेवताराम ने ॔कच्छी घोड़ी’ नृत्य पेश किया। आरंभ में लिटिल हार्ट एजुकेशन इंस्टीट्यूट, जैसलमेर के कलाकारों ने स्वागत गीत ॔॔केसरिया बालम आवो ने पधारो म्हारे देस........’’. पेश कर सभी मौजूद मेहमानों का स्वागत किया।
नाद स्वरम संगीत संस्थान, जैसलमेर के भजन गायकों ने सुमधुर भजन पेश कर जैसलमेर पर माँ शारदा की कृपा को सिद्ध कर दिखाया। इन भजन गायकों ने होरी भजन सुनाकर धोरों पर फागुनी मौजमस्ती का दरिया उमड़ा दिया।
आकाशवाणी के वरिष्ठ उद्घोषक जफर काँ सिंधी एवं बीना चित्तौड़ा ने खनकती आवाज में संचालन करते हुए शेरोशायरियों और मरु महिमा के जरिये मरु महोत्सव की इस अंतिम संध्या को खूब ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।
रंगीन नज़ारों ने मीलों तक गायी मरु महिमा
सम के धोरों पर यादगार साँस्कृतिक समारोह के बाद आतिशबाजी के रंगीन नज़ारों ने मीलों तक मरु महोत्सव की सफलता का पैगाम गुंजा दिया। शोरगरों द्वारा सम के लहरदार रेतीले धोरों पर शानदार रंगीन आतिशबाजी की गई। आसमान में छाते रहे आतिशबाजी के रंगों ने दर्शकों को मजा ला दिया। इसके उपरान्त सैलानी अगले वर्ष फिर मरु महोत्सव में शामिल होने का संकल्प ले प्रस्थित हुए।
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सम के धोरों ने गुंजाया मरु महोत्सव का पैगाम
मखमली धरा पर उतरा उत्सवी उल्लास का ज्वार
जैसलमेर, 18 फरवरी/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त मरु महोत्सव तीसरे दिन शुक्रवार को सम के धोरों पर केन्द्रित रहा जहाँ हजारों देशीविदेशी पर्यटकों और क्षेत्रवासियों की मौजूदगी में नैसर्गिक माहौल में सुरमई साँझ ने हर किसी को दिली सुकून का अहसास करा दिया।
प्रकृति की गोद में सम के रेतीले मखमली धोरों पर हुए विभिन्न कार्यक्रमों ने उल्लास का दरिया उमड़ा दिया। सम के विषम धोरों का आकर्षण देश के कोनेकोने से लेकर दुनिया के कई देशों के सैलानियों को अपनी ओर खीच लिया। सम के रेतीले धोरों पर शुक्रवार को पूरी दुनिया के सिमट आने जैसा नज़ारा दिखा। रेतीले धोरों पर उमड़े लोगों ने खूब आनंद लिया।
कैमल रेस देखने उमड़ी जनगंगा
सम के धोरों पर शुक्रवार को उमड़े हजारों सैलानियों ने ऊँटों की दौड़ का जमकर आनंद लिया। कैमल रेस में कुल 41 ऊँटों ने हिस्सा लिया। इनमें एक किलोमीटर रेस में बाद में पन्द्रह ऊँट शेष रहे जिनमें सम के सगरों की बस्ती के ऊँटों ने बाजी मारी। ऊँट दौड़ प्रतियोगिता में श्री जगमाल काँप्रथम, श्री साबू काँद्वितीय तथा श्री सुमार काँतृतीय रहे। इन्हें जिला कलक्टर श्री गिरिराजसिंह कुशवाहा तथा जिला पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया ने नगद पुरस्कार, मरु महोत्सव का प्रतीक चिह्न तथा प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
विजेताओं को दिया गया पुरस्कार
कैमल रेस के विजेताओं में प्रथम श्री जगमाल काँ को आठ हजार रुपए, द्वितीय रहे श्री साबू काँ को पांच हजार रुपए तथा तृतीय स्थान पर रहे श्री सुमार काँ को तीन हजार रुपए का नगद पुरस्कार प्रदान किया गया। इनके साथ ही अंतिम दौर में शामिल सभी ऊँटों के मालिकों को सांत्वना पुरस्कार के रूप में पाँच सौ पाँच सौ रुपए का नकद पुरस्कार दिया गया। इस आयोजन में कैमल रेस एसोसिएशन, होटल रंगमहल, पी.एस. राजावत आदि का योगदान रहा। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री बलदेवसिंह उज्ज्वल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एच.एस. मीणा, पर्यटन विभाग के उपनिदेशक श्री नन्दलाल अलावदा एवं सहायक निदेशक श्री विकास पण्ड्या सहित जिलाधिकारी, सीमा सुरक्षाबल, वायुसेना तथा अन्य सैन्य अधिकारीगण, बड़ी संख्या में देशीविदेशी मेहमान और क्षेत्रवासी उपस्थित थे।
शुक्रवार को सैलानियों ने सम के स्पंजिया धोरों पर च़नेउतरने और सैर करने का आनंद लिया वहीं रेगिस्तान के जहाज की सवारी का मजा लेने वालों की संख्या भी कोई कम नहीं थी। शुक्रवार शाम हल्की बूंदाबांदी का भी सैलानियों ने मजा लिया।
जैसाण में बही लोक संस्कृति की रंगीन सरिताएँ
देशदुनिया के मेहमानों ने लिया भरपूर आनंद
मनोहारी रहा विभिन्न प्रदेशों की सँस्कृति का दिग्दर्शन
जैसलमेर, 18 फरवरी/मरु महोत्सव के अन्तर्गत जैसलमेर के शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में पिछली दो संध्याओं में प्रस्तुत लोक साँस्कृतिक कार्यक्रमों ने हिन्दुस्तान के विभिन्न प्रदेशों की कलासंस्कृति और साहित्य की सरिताओं ने देशदुनिया के हजारों मेहमानों के दिलों पर खासी यादगार छाप छोड़ी।
राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सवों और समारोहों में धाक जमाने वाले मशहूर कलाकारों के समूहों ने अपनेअपने प्रदेशों की लोक संस्कृति के प्रतिनिधि कार्यक्रमों का प्रदर्शन करते हुए भारत की इन्द्रधनुषी संस्कृति का दिग्दर्शन कराते हुए भरपूर मनोरंजन किया। सर्द रात के बावजूद मनोहारी कार्यक्रमों और माधुर्य भरी प्रस्तुतियों की श्रृंखलाओं ने अलग ही उष्मा का अहसास करा दिया।
प्रदेश व देश के विभिन्न हिस्सों से आए सैलानियों, विदेशी पर्यटकों के साथ ही जैसलमेरवासियों ने दोनों ही दिन आयोजित साँस्कृतिक संध्या का पूरा लुत्फ उठाया।
इनमें गैर नृत्य (लाल आंगी), तेरहताली नृत्य, मशक वादन, भपंग वादन, कालबेलिया नृत्य, गवरी नृत्य, रासगरबा, मयूरचरकुला नृत्य, राजस्थानी नृत्यों, बालिकाओं द्वारा प्रस्तुत नृत्यों, उत्तरमध्य क्षेत्रीय साँस्कृतिक केन्द्र इलाहाबाद से सम्बद्ध पंजाब, महाराष्ट्र, मथुरा, आंध्रप्रदेश, गुजरात, उड़ीसा और राजस्थान के कलाकारों के दल ने आकर्षक वेशभूषा, मनोहारी भावभंगिमाओं और माधुर्य से सिक्त सांगीतिक कार्यक्रमों ने रसिकों को आनंदित करते हुए खूब वाहवाही लूटी।
इन कार्यक्रमों में जिला प्रशासन के अधिकारियों, सैन्य अधिकारियों, देश के विभिन्न हिस्सों से आए विशिष्टजनों और हजारों की संख्या में देशीविदेशी सैलानियों ने हिस्सा लिया। बड़ी संख्या में पर्यटकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों को अपने कैमरे में कैद किया।
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कुलधरा में पुरातन ग्राम्य जीवन से देशीविदेशी पर्यटक हुए रूबरू,
लोक कलाकारों ने गीतसंगीत और नृत्यों से मन मोहा
जैसलमेर, 18 फरवरी/ऐतिहासिक गाथाओं से भरे पालीवालों के प्राचीन परित्यक्त गाँव कुलधरा में शुक्रवार का दिन देशविदेश से आए सैलानियों के लिए आकर्षण का ख़ासा केन्द्र बना रहा।
इन सैलानियों ने कुलधरा की खण्डहर बस्तियों को देखा तथा प्राचीन भवन निर्माण और ग्राम्य लोक जीवन शैली को अपने कैमरों में कैद किया। इन सैलानियों ने पुराने मन्दिर, मकान और परिसरों को देखा तथा इनमें फोटो खिंचवाने का आनंद लिया। सैलानी कुलधरा की दूरदूर छितराए खण्डहरों में गए और पुरातन ग्राम्य जीवन शैली को करीब से देखा।
कुलधरा में स्थानीय लोक कलाकारों के समूहों ने गीतसंगीत, नृत्यों और कई मनोरंजक कार्यक्रमों के माध्यम से देशदुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आए मेहमानों का मनोरंजन करते हुए दिल जीता। कई विदेशी और देशी मेहमानों ने इन कलाकारों के साथ नाचगान किया।

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

desert fair jaisalmer photo














मरु महोत्सव का दूसरा दिन रहा रेगिस्तानी जहाज के नाम पणिहारी मटका रेस एवं देशीविदेशी सेलानियों की रस्साकस्सी रही आकर्षण का केन्द्र


















मरु महोत्सव का दूसरा दिन रहा रेगिस्तानी जहाज के नाम
पणिहारी मटका रेस एवं देशीविदेशी सेलानियों की रस्साकस्सी रही आकर्षण का केन्द्र
जैसलमेर ,17 फरवरी। मरु महोत्सव 2011 के कार्यक्रमों की कड़ी में दूसरे दिन गुरुवार को स्वर्ण नगरी जैसलमेर के पास स्थित देदानसर मैदान में रेगिस्तानी जहाज के विभिन्न कार्यक्रम बहुत ही रोचक रहे वहीं महोत्सव में पहली बार लीडर नीतिन खन्ना के निर्देशन में एयरो मॉडल फ्लाईंग प्रदर्शन दर्शकों को मोहित कर गया। समारोह के अवसर पर एयर मार्शल श्री राजवीर, महानिरीक्षक रेल्वे, श्री गोपाल गुप्ता, जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा, पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया, स्टेशन कमान्डर एयरफोर्स स्टेशन जैसलमेर ग्रुप केप्टन श्री राजीव रंजन, नगरपालिकाध्यक्ष श्री अशोक तंवर, अतिरिक्त जिला कलक्टर बलदेव सिंह उज्जवल के साथ ही मेला व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारीगण एवं भारी संख्या में देशीविदेशी सैलानी उपस्थित थे।
पणिहारी मटका रेस ने सभी दर्शकों को किया मोहित
मरु महोत्सव के दूसरे दिन पणिहारी मटका रेस प्रतियोगिता से देशीविदेशी महिलाएँ यहां की पणिहारी पेयजल सँस्कृति से रूबरू हुई। पणिहारी मटका रेस में महिलाओं ने दस मीटर पर रखी ई़ाणी को अपने सिर पर रख कर पानी से भरी हुई मटकी को उठाया एवं आगे के लिये दौड़ लगाई। शहरी संस्कृति की महिलाओं के साथ ही विदेशी महिलाऍ भी इसमें शामिल हुई।
पणिहारी मटका रेस में 19 महिलाओं ने भाग लिया। जिसमें ठेठ ग्रामीण परिवेश की बालिका शीला विश्नोई तेज दौड़ती हुई सबसे पहले पहुँची। उसके बाद दूसरे नम्बर पर मीरा मोयल एवं तीसरे नम्बर पर मिस रीना रही। मटका रेस में दौड़ती हुई महिलाऍं जहां पानी से भीग गई वहीं कई महिलाऍ मटका नहीं उठा सकीं। इस पणिहारी रेस को देख कर दर्शकगण अपनी हँसी नहीं रोक सके।
विदेशी मेहमानों ने रस्साकसी में मारी बाजी
देदानसर मैदान में आयोजित भारतीय एवं विदेशी पुरुषों तथा महिलाओं की रस्साकसी भी बहुत ही रोचक एवं आकर्षण का केन्द्र रही। इस बार दोनों वर्ग की प्रतियोगिताओं विदेशी मेहमानों ने बाजी मारी।
पुरुष व महिला रस्साकस्सी प्रतियोगिता में विदेशी पुरुषों एवं महिलाओं ने अपने दमखम का जोर लगा कर लगातार दोनों राऊण्ड में भारतीय मेजबानों को अपनी और खींच कर विजयश्री हासिल की। विदेशी महिलाऍं इस जीत की खुशी से झूम उठी।
ऊँटों के श्रृंगार से रूबरू हुए दर्शक
मरु महोत्सव में गुरुवार को ऊँट श्रृंगार प्रतियोगिता भी बहुत ही आकर्षण का केन्द्र रही एवं दर्शक ऊँट के श्रृंगार से रूबरू हुए। इस प्रतियोगिता में 5 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। ऊँंटों को मोरी, गोरबन्ध, कन्ठमाल, लूम, परची, पिलाण, तंग, मोड़, पायल, घूघरा, पूँछ बंधनी इत्यादि श्रृंगारों से ऊँटों को सजाया और उन पर सजेधजे सवार थे।
ऊँंट श्रृंगार प्रतियोगिता के निर्णायक एयर मार्शल राजवीर, रेल्वे आई.जी गोपाल कृष्ण गुप्ता तथा डॉ. शालिनी गुप्ता ने श्रृंगारित ऊँंट को बारीकी से जाँच परख कर होटल पैराडाईज के श्री मीरेखां पतंग द्वितीय ऊँट को प्रथम स्थान पर रखा। इसमें द्वितीय स्थान पर के.के ट्रेवल्स के श्री गिरधरराम का तथा पैराडाईज का ही फतनखां का जॉनी ऊँट तृतीय स्थान पर रहा।
ऊंट की मंथर चाल से दर्शक हुए अभिभूत
शानए-मरूधरा प्रतियोगिता भी रेगिस्तानी जहाज के नाम रही। इसमें 6 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसमें प्रति प्रतियोगी को मात्र कच्छीबनियान धारण किए हुए उन्हें निर्धारित 100 मीटर की दूरी तय करनी थी। ऊँट सवार ने निर्धारित दूरी पर रखे जूते पहने अपना टेवटा बांधा तथा कुर्ता पहना एवं उसके बाद साफा बांध कर ऊंट पर गद्दी एवं पिलाणा जमा कर उसे तंग से बांध कर मंथर चाल से पहुँचा। यह नजारा इतना मनोहारी और हास्यप्रधान रहा था कि दर्शक हंसहंस का लोटपोट हो गए। इसमें मानाराम का ऊंट सबसे पहले पहुॅचा एवं प्रथम स्थान पर रहा। इसमें चैनाराम द्वितीय एवं बिसनाराम तृतीय स्थान पर रहे।
कैमल पोलो मैच में ऊंटों ने निभाया पूरा साथ, सीमा सुरक्षा बल ने 20 से जीता मैच
कैमल पोलो संघ इण्डिया एवं सीमा सुरक्षा बल की टीमों के मध्य खेले गए कैमल पोलो मैच में अनबोल पशु ऊँट ने पोलो खिलाड़ियों को पूरा साथ दिया। इस पोलो मैच में सीमा सुरक्षा बल की टीम ने 2 गोल दाग कर विजयश्री हासिल की एवं कैमल पोलो एसोसियेशन की टीम को पराजित किया। ऊँट पर सवार पोलो खिलाड़ियों ने बड़ी स्टीक के सहारे अच्छा प्रदर्शन किया।
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प्रतियोगिताओं के विजेताओं को किया पुरस्कृत
विजेताउप विजेता टीमों को शील्ड प्रदान की
जैसलमेर,17 फरवरी। मरु महोत्सव के दूसरे दिवस गुरुवार को देदानसर मैदान में आयोजित हुई विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।
ऊँट श्रृंगार प्रतियोगिता के प्रथम विजेता श्री मीराखां ( पैराडाईज ), द्वितीय विजेता श्री गिरधर राम ( के.के.टेवल्स ) तथा तृतीय विजेता फतनखां ( पैराडाईज ) को जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा ने पुरस्कार एवं स्मृति चिन्ह भेंट किए। इसी प्रकार शानए-मरूधरा प्रतियोगिता में प्रथम विजेता रहे मानाराम, द्वितीय विजेता चैनाराम एवं तृतीय विजेता विशनाराम को पुलिस अधीक्षक श्री अंशुमन भोमिया ने पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया।
रस्साकस्सी प्रतियोगिता के महिला टीम विजेता को श्रीमती कुशवाहा ने तथा पुरुष विजेता टीम को गु्रप कैप्टन राजीव रंजन ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। पणिहारी मटका रेस में प्रथम विजेता शीला विश्नोई, द्वितीय विजेता मीरा मोयल एवं तृतीय विजेता मिस रीना को जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने तथा कैमल पोलो मैंच की विजेता टीम सीमा सुरक्षा बल के कप्तान को जिला कलक्टर ने शील्ड प्रदान की एवं उप विजेता टीम कैमल पोलो एसोसिएशन के कप्तान को नगरपालिकाध्यक्ष श्री अशोक तंवर ने शील्ड प्रदान की।

शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

मरु महोत्सव16 से 18 फरवरी







मरु महोत्सव16 से 18 फरवरी तक
जैसलमेर। जैसलमेर में पर्यटन विभाग एवं जिला प्रषासन के संयुक्त तत्वावधान में आगामी 16 से 18 फरवरी तक आयोजित होने वाले मरु महोत्सव को लेकर इन दिनों व्यापक तैयारियां जारी हैं। 
पर्यटन स्वागत केन्द्र के सहायक निदेशक विकास पण्ड्या ने बताया कि तीन दिवसीय मरु महोत्सव के समारोहों की श्रृंखला में प्रथम दिवस 16 फरवरी को गडसीसर से शहीद पूनमसिंह स्टेडियम तक भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया जाएगा। इसमें सीमा सुरक्षा बल के सजे धजे ऊँट, मरुश्री व मूंछ प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतियोगी शरीक होंगे। सिर पर मंगल कलष धारण किये हुए स्कूली छात्राएँ इसमें शामिल होंगी। मूमल महेन्द्रा की सजी हुई झांकियों के साथ ही पर्यटन विभाग द्वारा आमंत्रित कलाकारों के समूह अपनी कला का प्रदर्षन करते हुए शामिल होंगे।
 
शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में मरु समारोह उद्घाटन के साथ ही श्रीमती किषनी देवी मगनीराम मोहता राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, जैसलमेर की बालिकाओं द्वारा घूमर नृत्य प्रस्तुत किया जायेगा। उसके बाद मूमल महेन्द्रा, साफा बाँध, मिस मूमल, मिस्टर डेजर्ट व मूँछ प्रतियागिताएँ विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।
 
शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में शाम को उत्तर मध्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र, इलाहाबाद के 105 कलाकारों द्वारा ’सप्तरंग’ कार्यऋम प्रस्तुत किया जाएगा। इनमें देश के विभिन्न हिस्सों से मशहूर कलाकार अपना फन दिखाएंगे।
 
तीन दिवसीय मरु महोत्सव के दूसरे दिन 17 फरवरी को सुबह देदानसर मैदान में ऊँट श्रृंगार, शान ए मरुधर, रस्सा कस्सी, पणिहारी मटका रेस, केमल पोलो मैच की प्रतियोगिताएँ होंगी। इनके साथ ही भारतीय वायुसेना दल के सदस्यों द्वारा पैराड्रोपिंग शो का प्रदर्षन किया जायेगा।
 
शाम को शहीद पूनमसिंह स्टेडियम में सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा ऊँटों के विभिन्न करतबों (केमल टेटू शो) का आयोजन किया जायेगा। इनमें राजस्थान व गुजरात के विख्यात कलाकारों द्वारा लोक नृत्य व गायन कार्यऋमों का प्रस्तुतीकरण किया जायेगा।
 
तीन दिवसीय मरु महोत्सव तीसरे व अन्तिम दिन 18 फरवरी को सम सेण्ड ड्युन्स पर ऊँट दौड प्रतियोगिता का आयोजन तथा भारतीय वायु सेना के जांबाजों द्वारा पैराड्रोपिंग शो का प्रदर्षन किया जायेगा। इसके बाद राजस्थान के विख्यात कलाकारों द्वारा लोक गायन व नृत्य कार्यऋम प्रस्तुत किया जायेगा। भव्य आतिषबाजी के साथ ही मरु महोत्सव का समापन हो जाएगा।
 
जैसलमेर का तीन दिवसीय मरु महोत्सव अन्तर्राष्ट्रीय पहचान रखता है और इसमें बडी संख्या में देशी विदेशी मेहमानों का पर्यटन कुंभ जुटता है।