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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2013

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र सियासत के डोर राजपूतो के पास गाजी फ़क़ीर के पास नहीं


जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र चुनाव पूर्व सर्वे रिपोर्ट 


राजपूतो के बीच घमाशान होने के प्रबल आसार 

सियासत के डोर राजपूतो के पास गाजी फ़क़ीर के पास नहीं

- दुनिया के सबसे बड़े विधानसभा चुनाव क्षेत्र के रूप में जैसलमेर की छठा निराली है।गोवा, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, दिल्ली, अंडमान-निकोबार, दादर, नगर हवेली और लक्षद्वीप वगैरह से भी बड़ा है यह विधानसभा चुनाव क्षेत्र।


इसका क्षेत्रफल 28 हजार 875 वर्ग किलोमीटर है, जिसका करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर भाग भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा है।जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में राजपूतो का दबदबा रहा हें। अब तक हुए तेरह विधानसभा चुनावो में ग्यारह राजपूत उम्मीदवार विधायक बने एक एक बार ब्राहमण और मेघवाल जाती से विधायक बने। राजपूत बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस चार बार तो भाजपा तीन बार चुनाव जीती चार बार निर्दलीय ,एक एक बार जनता पार्टी ,जनता दल और स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते।

जातिगत समीकरण। जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में राजपूत बाहुल्य तीन क्षेत्र खडाल ,सोढाण और बसिया हें जन्हा उनसितर हज़ार राजपूत बसते हें वाही 37 हज़ार सिन्धी मुस्लिम ,छबीस हज़ार अनुसूचित जाती ,तेरह हज़ार अनुसूचित जन जाती बीस हज़ार रवाना राजपूत और हजुरी,तेरह हज़ार अनुसूचित जनजाति ,अन्य बड़े समाजो में ब्राहमण ,माली ,शामिल हें। इस बार करीब बीस हज़ार नए युवा मतदाता जुड़े हें। मुस्लिम और अनुसूचित जाती कांग्रेस के साथ रहे हें वाही राजपूत भाजपा के हें ,गैर कांग्रेसी विचारधारा के राजपूत इस सीट से जीते हें। कुछ राजपूत कांग्रेस में भी हें।


गत चुनाव। । गत चुनावों में भाजपा के छोटू सिंह भाटी और कांग्रेस की श्रीमती सुनीता भाटी के बीच मुकाबला था मगर कांग्रेस के बागी गोवर्धन कल्ला ,रेशमाराम ,भाजपा के किशन सिंह भाटी भी मैदान में थे ,जिसके कारन भाजपा यह सीट निकलने में कामयाब हुई


इस बार विधानसभा चुनावो में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना हें कांग्रेस के दावेदारों की फेहरिस्त में सुनीता भाटी के आलावा रुपाराम धनदे ,उम्मेद सिंह तंवर ,दिनेश्पल सिंह ,अशोक तंवर ,जनक सिंह ने भी दावेदारी कर राखी हें ,संभावना बलवंती हें की पुराने प्रतिद्वंदियों सुनीता बहती और छोटू सिंह के बीच मुकाबला होना तय हें। शहरी क्षेत्र के मतदाताओं पर परिणाम निर्भर हें जो शहर के अधिक से अधिक मत लेगा विजय उसी की होगी। कांग्रेस के इस फरमान के बाद की बाहरी प्रत्यासी को मैदान उतरा जायेगा के बाद सुनीता पर फिर तलवार लटक सकती हें। हालांकि वो पिछला चुनाव जैसलमेर से लड़ी थी। साले मोहम्मद विधायक पोकरण भी बाहरी प्रत्यासी हें। वो खुद जैसलमेर हें।

वर्तमान विधायक। गत पांच सालो में वर्तमान विधायक छोटू सिंह हर मोर्चे पर सक्रीय रहे ,विकास के काम ज्यादा नहीं हुए क्यूंकि सत्ता उनके विरोधी दल की हें फिर भी उन्होंने सक्रियता दिखाई लोगो की समस्याओ के समाधान के लिए उनके साथ खड़े नज़र आये। विधायक कोष की राशी का भी उन्होंने पूरा उपयोग जन हित में किया ,उन पर भेदभाव या भरष्टाचार का कोई आरोप नहीं हें। साफ़ छवि के कारन उन्हें पार्टी दुबारा मौका दे सकती हें हालांकि पूर्व विधायक संघ सिंह उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हें ,सांग सिंह भी पांच सालो तक किसानो की समस्याओ के निदान के लिए उनके साथ तत्परता से खड़े रहे।

गाजी फ़क़ीर का हौवा। ज़ब जब चुनाव आते हें अल्पसंख्यक धर्म गुरु फक्लिर को रहनुमा बताकर जैसलमेर की राजनीती उनके इशारे पर चलने की बात कही जाती हें मगर पिछले तरह चुनावो में गाजी फ़क़ीर का एक मात्र उम्मीदवार मुल्तानाराम बारुपाल ही जीत पाए ,गाजी का भाई भी विधानसभा चुनाव लड़ा मगर सफल नहीं हुआ ,एक बार भी जैसलमेर से अल्पसंख्यक विधायन नहीं बना। गाजी फ़क़ीर के वोटो की राजनीती इस बार कितना सारा दिखाएगी यह समय के गर्भ में हें ,फ़क़ीर परिवार और सुनीता भाटी के बीच राजनीती मतभेद जग जाहिर हें ऐसे में फ़क़ीर के अनुयायी सुनीता भाटी के साथ खड़े रहेंगे पर संशय बरकरार हें। गत चुनावो में कांग्रेस के उम्मीदवार की हार का कारन फ़क़ीर परिवार था।

गाजी परिवार की रणनीति। । गाजी फ़क़ीर परिवार मुस्लिम मेघवाल गठजोड़ को फिर आजमाने के लिए प्रयासरत हें इसके लिए उन्होंने रुपाराम धनदे को चुना हें ,फ़क़ीर परिवार उन्हें टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हें। इसमे वो सफल होते नज़र आ रहे थे मगर सुनीता भाटी ने आलाकमान को स्पष्ट कहा की वो चुनावो में निष्क्रिय रहेगी ,सुनीता बहती का दबदबा अछ ख़ासा हें। पार्टी ने रुपाराम की जीत की जिम्मेदारी पोकरण विधायक साले मोहम्मद को लेने को कहा तो वो पीछे खिसक गए। गाजी फ़क़ीर परिवार पिछले चार माह से विवादों में घिरा हें। पुलिस द्वारा गाजी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट खोलने ,विधायक साले मोहम्मद पर पाक जासूस को पनाह देने ,और छोटे पुत्र पर भर्ष्टाचार के आरोप लगने से फ़क़ीर परिवार की राजनितिक पायदान निचे गिरी हें। जैसलमेर शहर में फ़क़ीर परिवार समर्थको का दबदबा हें। सरकारी विभागों में इनके हसक्षेप के कारण अन्य समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हें।

भाजपा और कांग्रेस के पास अपनी प्रतिष्ठा बचने के अवसर हें इस बार। कांग्रेस हमेशा राजपूत उम्मीदवारों के सहारे ही चुनाव जीती हें एक बार ब्राहमण उम्मीदवार गोर्धन कल्ला चुनाव जीते।

राजपरिवार का दखल। । राजपरिवार का जैसलमेर की राजनीती में कोई विशेष दखल नहीं हें। लम्बे समय तक जैसलमेर की राजनीती राजपरिवार के इर्द गिर्द घुमि बाद में लगातार हारो के कारन इनका मोहभंग हो गया। सीधे तौर पर राजघराने के सदस्य स्वर्गीय चंद्रवीर सिंह की पत्नी श्रीमती रेणुका भाटी भाजपा के साथ जुडी हें सक्रीय भी हें। मगर अब चुनावो में राजपरिवार के दबदबे जैसी बात नहीं हें।


भितरघात। …. भीतरघात का डर दोनों दलों को सता रहा हें। सांग सिंह भाटी सशक्त दावेदार हें उन्हें टिकट नहीं मिलती तो उनका रुख भाजपा का कांग्रेस में सुनीता भाटी के उम्मीदवार होने की स्थति में गाजी फक्लिर परिवार पर निगाहें रहेगी। जैसलमेर के उभरते राजनितिक सितारे सुनीता भाटी को जीता कर अपने राजनितिक भविष्य पर ग्रहण लगेंगे ऐसा नहीं लगता।

सोमवार, 22 जुलाई 2013

हेमाराम चौधरी की सियासती बादशाहत को वसुंधरा की चुनौती ..भाजपा को कूटनीति अपनानी होगी

विधानसभा क्षेत्र गुड़ा मालानी

हेमाराम चौधरी की सियासती बादशाहत को वसुंधरा की चुनौती ..भाजपा को कूटनीति अपनानी होगी


वसुंधरा राजे हर हाल में गुडा सीट जितना चाहती हें


चन्दन सिंह भाटी

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की गुड़ा मालानी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता हें ,जन्हा राज्य सरकार में राजस्व मंत्री हेमा राम चौधरी की सियासती बादशाहत कायम हें .हेमाराम चौधरी ने कभी इस विधानसभा सीट को इक्यावन हज़ार से अधिक रिकोर्ड मतों से जित कर परचम लहराया था मगर गत दो चुनावों में जीत का अंतर मात्र दस हज़ार रहा .जो साफ़ करता हें की उनकी सियासती जमीन खिसक रही हें , वे कमज़ोर आज भी नहीं लगते उनका विधानसभा के मतदाताओ से सीधा संपर्क उन्हें मज़बूत बनता हें ,हालांकि चर्चे हें की इस बार हेमाराम चौधरी बायतु से चुनाव लड़ सकते हें .मगर हमारा आंकलन हें की हेमाराम गुडा से ही चुनाव लड़ेंगे .इस बार भी उनके सामने चिरपरिचित उम्मीदवार भाजपा के लाधुराम विश्नोई होंगे .लादुराम विश्नोई ने हाल ही में सुराज यात्रा के दौरान वसुंधरा राजे की जिले में सफलतम सभा कराई .इस सभा में पचीस हज़ार से अधिक की भीड़ जुटा उन्होंने साबित करने में कोई कसार नहीं छोड़ी की इस बार हेमाराम चौधरी के लिए उनसे मुकाबला आसान नहीं होगा .लादुराम को वसुंधरा राजे ने पुरे नंबर दिए .इधर हेमाराम चौधरी के साथ भाजपा के पूर्व मंत्री और पचपदरा के पूर्व विधायक अमर राम का जाटकलबी वोटो का पेक्ट वसुंधरा राजे के हस्तक्षेप के बाद ख़त हो जाने से हेमाराम की जमीन खिसकती नज़र आ रही हें .पेक्त ख़त्म होने के अंदेशे से ही उन्होंने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की .चोङ्ग्रेस्स के दिग्गज नेता भी चाहते हें की हेमाराम चौधरी सरीखे नेता को उनकी पसंद की सीट से चुनाव लड़वाना चाहिए मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहते की हेमाराम बाड़मेर से चुनाव लदे ।हेमारम चुनावों में खर्चा कम करते हें ,लाधुराम ने हेमाराम चौधरी को चुनाव में खर्च करना अवश्य सिखा दिया मगर सियासी चालो में अक्सर मात खा जाते हें .हेमाराम चौधरी भावुक और संवेदनशील हें जिसका फायदा उन्हें चुनावो में मिलाता हें ,लाधुराम विश्नोई बिना किसी रणनीति के चुनाव लड़ते रहे हें ,चुनावों में पैसा पानी की तरह बहा देने से वोट नहीं मिलते यह पिछले दो चुनावों में जनता ने साबित कर दिया .लाधुराम विश्नोई की सबसे बड़ी कमजोरी भाजपा कार्यकर्ताओ पर कमज़ोर पकड़ हें ,वे दूसरो के भरोशे चुनाव लड़ते रहे हें जिसके कारन उन्हें मात मिली .कार्यकर्ताओ तथा विश्नोई जाती का विशवास हासिल नहीं कर पाए ,रही सही कसार पचपदरा के भाजपा के वरिष्ट नेता अमराराम पूरी कर देते हें ,अमराराम कलबी जाती के सशक्त नेता हें ,लाधुराम अमराराम का दिल जितने में नाकाम रहे थे मगर इस बार वसुंधरा राजे ने हस्तक्षेप किया जिसका असर आने वाले चुनाव में नज़र आयेगा . जिसके चलते कलबी मतदाताओ का झुकाव हेमाराम की तरफ रहा वही सिन्धासवा हरनियां में लाधुराम काफी कमज़ोर रहे जो की विश्नोई जाती का गढ़ हें दुधु ,सूरते की बेरी जैसे गाँवो में लाधुराम की कोई पकड़ नहीं हें .लाधुराम को एक सशक्त जात नेता की भी दरकार रहेगी जो जात मतदाताओ का मानस भाजपा की और मोड़ सके .गुडा से पूर्व में चुनाव लड़ चुके कैलाह बेनीवाल का उपयोग इस चुनावों में भाजपा को करना होगा तभी यह सीट निकल पाएगी .लाधुराम विश्नोई के आलावा भाजपा किसी और उम्मीदवार के बारे में सोच भी नहीं रही .इस बार भाजपा अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने गुडा सीट को प्राथमिकता देकर हर हालत में जीतने का मुख्य नेताओ को निर्देश दिए हें ,बाड़मेर और गुडा सीट पर वसुंधरा की ख़ास नज़र हें .बहरहाल कांग्रेस के पास तुरुप के पत्ते के रूप में हेमाराम चौधरी मौजूद हें ,गत चार सालो में हेमाराम का कद बढ़ा हें उनका नाम मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तक के लिए आगे आया ,कांग्रेस हेमाराम को राजस्थान के जाट नेता के रूप में प्रस्तुत करेगी .यह तय माना जा रहा हें ,लाधुराम विश्नोई को पहले भाजपा तथा विश्नोई जाती पर पकड़ बनाने के साथ मतदाताओ से सीधा संपर्क स्थापित करना होगा तभी वो हेमाराम के सामने टिक पायेंगे।इस बार परिस्थितिया बदल रही हें . वसुंधरा राजे की सभा में आई भीड़ को वोटों में बदलना ही लादूराम के सामने सबसे बड़ी चुनौती हें .वसुन्धर राजे की सभा ने खासा प्रभाव छोड़ा हें 

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शनिवार, 6 अप्रैल 2013

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र .......भाजपा कांग्रेस में उमीदवारो की फौज

उम्मेद सिंह तंवर

मनोहर सिंह अडबाला

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र .......भाजपा कांग्रेस में उमीदवारो की फौज


जितने कार्यकर्ता उतने ही दावेदार 

कांग्रेस उम्मेद सिंह पर खेल सकती हें दाव



नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में स्थानीय नेता अभी से जुट गए हें ,कांग्रेस इस सीट को हासिल करने के लिए नए उम्मीदवार पर डाव खेलेगी तो भाजपा अपने वर्तमान विधायक की गतिविधियों और कामकाज से ज्यादा भरोसा उन पर नहीं कर रही .गत विधानसभा चुनावों में भाजपा के छोटू सिंह बहती ने कम अंतर से यह सीट निकाली थी ,कांग्रेस को उनके बागी उम्मीदवारों ने जोर का झटका दिया था .पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला की निर्दलीय उम्मीदवारी ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था ,कांग्रेस के उम्मीदवार सुनीता बहती और भाजपा के छोटू सिंह के बीच के इस मुकाबले को किशन सिंह बहती और गोवर्धन कल्ला ने चतुश्कोनिय बना कर दिलचस्प कर दिया था अंततः यह सीट भाजपा की झोली में गई ,भाजपा विधायक छोटू सिंह बहती अपने कार्यकाल में कोई ख़ास उपलब्धि हासिल करने में नाकाम रहे ,वही भाजपा के कार्यकर्ताओ का भी विशवास प्राप्त नहीं कर पाए जिसका नतीजा हें की जिला परिषद् सदस्य मनोहर सिंह भाटी अडबाला भाजपा की और से सशक्त दावेदार के रूप में उभर कर सामने आये हें ,उनकी राजपूत समाज के अलावा एनी समाजो में गहरी पथ हें ,युवा भी हें ,काफी लोकप्रिय हें जिसके कारण उनकी सशक्त उम्मीदवारी को नहीं जा सकता वैसे पूर्व विधायक सांग सिंह भी दावेदारी में हें मगर भाजपा उनके दामन में लगे सी दी काण्ड के दाग के कारन उनकी अनदेखी करे तो कोई आश्चर्य नहीं .इधर कांग्रेस ने भी अपनी सत्ता होने के मौके को सही तरीके से भुना नहीं पाई ,जैसलमेर शहर में नगर पारिषद के सभापति अशोक सिंह तंवर और यु आई टी अध्यक्ष उम्मेद िंह तंवर को अवसर देकर हजूरी समाज को लुभाने का प्रयास किया .मगर कांग्रेस को इसमे ज्यादा सफलता मिलेगी इसमे संदेह हें ,पोकरण विधायक साले मोहम्मद का जैसलमेर क्षेत्र में जबरदस्त हस्तक्षेप के कारण मुस्लिम जैसलमेर में एनी कांग्रेसी कार्यकर्ताओ पर हावी रहे जिसकी शिकायक इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वरिष्ठ कार्यकर्ताओ ने की थी जिसके चलते साले मोहम्मद के पर भी कतरे गए मगर जैसलमेर में अल्पसंख्यको के बढ़ाते प्रभाव के कारन एनी समाजो का कांग्रेस से मोह भंग हुआ इसमे कोई दो राय नहीं .भाजपा इस मौके को भुनाना चाहेगी .जैसलमेर से भाजपा और कांग्रेस की तरफ से राजपूत उम्मीदवारों के बीच उम्मेद सिंह तंवर बन कर , हें कांग्रेस नहीं कर क्योकि तंवर गहलोत के नजदीक होने के साथ ही कांग्रेस संघठन में गहरी पेठ रखते हें ,नगर परिषद् के सभापति अशोक तंवर को एक विधायक के तौर पर कार्य करने का भरपूर अवसर था मगर वो इस अवसर को भुना नहीं पाए .जैसलमेर राज परिवार की राजनीती में घटती दिलचस्पी के कारन एनी लोगो को अवसर मिलेंगे .भाजपा के पास रणवीर सिंह खुहडी ,मनोहर सिंह अडबाला ,सांग सिंह भाटी ,स्वरुप सिंह हमीर जैसे दावेदार हें तो कांब्ग्रेस के पास सुनीता बहती ,उम्मेद सिंह तंवर ,अशोक सिंह तंवर ,जनक सिंह भाटी ,गोवर्धन कल्ला जैसे दावेदार हें ,

बुधवार, 20 मार्च 2013

हेमाराम चौधरी की सियासती बादशाहत बरकरार ..भाजपा को कूटनीति अपनानी होगी

विधानसभा क्षेत्र गुड़ा मालानी

हेमाराम चौधरी की सियासती बादशाहत बरकरार ..भाजपा को कूटनीति अपनानी होगी


वसुंधरा राजे हर हाल में गुडा सीट जितना चाहती हें



चन्दन सिंह भाटी


बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की गुड़ा मालानी विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ मन जाता हें ,जन्हा राज्य सरकार में राजस्व मंत्री हेमा राम चौधरी की सियासती बादशाहत कायम हें .हेमाराम चौधरी ने कभी इस विधानसभा सीट को इक्यावन हज़ार से अधिक रिकोर्ड मतों से जित कर परचम लहराया था मगर गत दो चुनावों में जीत का अंतर मात्र दस हज़ार रहा .जो साफ़ करता हें की उनकी सियासती जमीन खिसक रही हें ,मागे वे कमज़ोर आज भी नहीं लगते उनका विधानसभा के मतदाताओ से सीधा संपर्क उन्हें मज़बूत बनता हें ,हालांकि चर्चे हें की इस बार हेमाराम चौधरी बायतु से चुनाव लड़ सकते हें .मगर हमारा आंकलन हें की हेमाराम गुडा से ही चुनाव लड़ेंगे .इस बार भी उनके सामने चिरपरिचित उम्मीदवार भाजपा के लाधुराम विश्नोई हिन्ज ,लाधुराम ने हेमाराम चौधरी को चुनाव में खर्च करना अवश्य सिखा दिया मगर सियासी चालो में अक्सर मात खा जाते हें .हेमाराम चौधरी भावुक और संवेदनशील हें जिसका फायदा उन्हें चुनावो में मिलाता हें ,लाधुराम विश्नोई बिना किसी रणनीति के चुनाव लड़ते रहे हें ,चुनावों में पैसा पानी की तरह बहा देने से वोट नहीं मिलते यह पिछले दो चुनावों में जनता ने साबित कर दिया .लाधुराम विश्नोई की सबसे बड़ी कमजोरी भाजपा कार्यकर्ताओ पर कमज़ोर पकड़ हें ,वे दूसरो के भरोशे चुनाव लड़ते रहे हें जिसके कारन उन्हें मात मिली .कार्यकर्ताओ तथा विश्नोई जाती का विश्वास्ड्स हासिल नहीं कर पाए ,रही सही कसार पचपदरा के भाजपा के वरिष्ट नेता अमराराम पूरी कर देते हें ,अमराराम कलबी जाती के सशक्त नेता हें ,लाधुराम अमराराम का दिल जितने में नाकाम रहे जिसके चलते कलबी मतदाताओ का झुकाव हेमाराम की तरफ रहा वही सिन्धासवा हरनियां में लाधुराम काफी कमज़ोर रहे जो की विश्नोई जाती का गढ़ हें दुधु ,सूरते की बेरी जैसे गाँवो में लाधुराम की कोई पकड़ नहीं हें .लाधुराम को एक सशक्त जात नेता की भी दरकार रहेगी जो जात मतदाताओ का मानस भाजपा की और मोड़ सके .गुडा से पूर्व में चुनाव लड़ चुके कैलाह बेनीवाल का उपयोग इस चुनावों में भाजपा को करना होगा तभी यह सीट निकल पाएगी .लाधुराम विश्नोई के आलावा भाजपा किसी और उम्मीदवार के बारे में सोच भी नहीं रही .इस बार भाजपा अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने गुडा सीट को प्राथमिकता देकर हर हालत में जीतने का मुख्य नेताओ को निर्देश दिए हें ,बाड़मेर और गुडा सीट पर वसुंधरा की ख़ास नज़र हें .बहरहाल कांग्रेस के पास तुरुप के पत्ते के रूप में हेमाराम चौधरी मौजूद हें ,गत चार सालो में हेमाराम का कद बढ़ा हें उनका नाम मुख्यमंत्री से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष तक के लिए आगे आया ,कांग्रेस हेमाराम को राजस्थान के जाट नेता के रूप में प्रस्तुत करेगी .यह तय माना जा रहा हें ,लाधुराम विश्नोई को सब्व्से पहले भाजपा तथा विश्नोई जाती पर पकड़ बनाने के साथ मतदाताओ से सीधा संपर्क स्थापित करना होगा तभी वो हेमाराम के सामने टिक पायेंगे