जैसलमेर दुनिया का अनूठा गजेटेड़ हनुमान मंदिर
जैसलमेर अब तक आपने सरकारी तंत्र में अफसरों की गजेटेड़ या नॉन गजेटेड़ (राजपत्रित अथवा अराजपत्रित) किस्मों के बारे मंी सुना होगा। मगर अब ऐसे हनुमानजी महाराज का पता चला है जो 'गजेटेड़' हैं। जैसलमेर जिला मुख्यालय पर स्थित मन्दिर में विराजित बजरंग बली 'गजेटेड़ हनुमान' के नाम से जाने और पूजे जाते हैं। जन-जन में इनके प्रति अगाध आस्था और श्रृद्धा भाव हिलोरें लेता है। पूरी दुनिया में यह अपनी तरह के अन्यतम हनुमान हैं।
राजस्थान के ठेठ पश्चिम में मरुस्थलीय जैसलमेर जिले में गजेटेट हनुमान जी का मन्दिर भक्तों की आस्था का बड़ा भारी केन्द्र है। यह मंदिर जैसलमेर शहर में मुख्य डाकघर के सामने पुराने बिजली घर स्थित जोधपुर विद्युत वितरण निगम कार्यालय परिसर में है जहाँ हनुमान भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
सदियों पुरानी है हनुमान प्रतिमा
निज मन्दिर में गजेटेड़ हनुमानजी की पाँच फीट की भव्य मूर्ति सदियों पुरानी बतायी जाती है। जिस स्थान पर मन्दिर बना है वहाँ पहले घना जंगल था जहाँ इस प्राचीन मूर्ति की तपस्वियों और सिद्ध संतों द्वारा एकान्त सेवन के साथ ही पूजा-अर्चना की जाती रही।
शहर का विस्तार होने से हनुमान भक्तों का ध्यान इस ओर गया। बाद में मन्दिर बनाया गया जो अब लगातार विस्तार पाता जा रहा है। मन्दिर के गर्भगृह में भगवान श्री हनुमानजी के सम्मुख पिछले ढाई दशक से अखण्ड दीपक जल रहा है। निज मन्दिर के द्वार के समीप गोवद्र्धन(शिलालेख स्तंभ) है जिससे इस क्षेत्र की प्राचीनता का बोध होता है।
हिन्दुस्तान का यह पहला हनुमान मंदिर है जिसमें बिराजित हनुमान जी महाराज गजेटेड़ यानि राजपत्रित हैं। हनुमान भक्तों की गजेटेड़ हनुमान पर अटूट आस्था है। भक्तों का मानना है कि हनुमानजी हर किसी की मुराद जरूर पूरी करते हैं। चूंकि बिजली विभाग के परिसर में हैं अत: इन हनुमानजी को भक्तगण 'करंट बालाजी' के नाम से भी पुकारते हैं। इन भक्तों की पक्की मान्यता है कि जो भी भक्त हनुमान दादा के दरबार में आ जाता है, हनुमानजी उनकी सारी मनोकामनाएं करंट की मानिंद पूर्ण करते हैं।
सरकारी नुमाइन्दों ने बनाया गजेटेड़
हनुमानजी को गजेटेड़ क्यों कहा जाता है और वे गजेटेड़ कब बने, इसका कोई धार्मिक या शास्त्रीय प्रमाण तो नहीं मिलता लेकिन माना जाता है कि ज्यादातर सरकारी लोगों की आवाजाही तथा चमत्कारिक प्रतिमा की वजह से उन्हें यह नाम मिला। गजेटेड़ होने की वजह से ख़ासकर राज-काज से जुड़े कामों में हनुमान जी विशेष मदद करते हैं। यही कारण है कि यहाँ आने वाले हनुमान भक्तों में सरकारी सेवाओं में जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या भी खूब रहती है।
हनुमान मन्दिर में पिछले 25 बरस से पूजा करते आ रहे मुख्य पुजारी किशनलाल के अनुसार वर्षों पूर्व हनुमान भक्त शिक्षक एवं ज्योतिषाचार्य हेमराज व्यास ने यहाँ बड़े-बड़े अफसरों की श्रद्धा को देख इसे गजेटेड हनुमान नाम दे दिया, तभी से यह नाम चल निकला है।
बरसों पहले तक जैसलमेर मूल शहर से बाहर होने की वजह से शहरी लोगों का आवागमन यहाँ कम था। जबकि कलक्ट्री-कचहरी और दूसरे सरकारी दफ्तरों के यह खूब करीब है और इस वजह से हनुमान उपासक कई गजेटेट ऑफिसर यहाँ नियमित रूप से दर्शन करने के लिए आते रहते।
एकांत में होने की वजह से दशकों पूर्व छोटे से स्थल में बिराजमान हनुमान जी के दर्शन व पूजन के लिए पास के दफ्तरों में काम करने वाले सरकारी लोगों का आना-जाना बढऩे लगा। इन लोगों के लिए यही पड़ोसी भगवान हुआ करते थे जहां फुर्सत पाकर शोर-शराबे से दूर तल्लीनता से उपासना हो सकती थी। इनमें कई भक्तगण यहीं बैठकर हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकाण्ड आदि करते।
ट्रांसफर-प्रमोशन और नौकरी का सुकून मिलता है यहाँ
इनमें कई सारे ऐसे होते जो अपने ट्राँसफर, प्रमोशन के लिए हनुमान जी से प्रार्थना करते। कई सरकारी अधिकारी ऐसे भी होते, जिन्हें सजा के तौर पर दूरस्थ जैसलमेर दिखा दिया जाता है, इनके लिए यही हनुमानजी आशा की किरण साबित हुए थे। इस वजह से ये सरकारी नुमाइन्दे यहीं आकर मिन्नतें करते व हनुमान जी की साधना करते। इनकी मनोकामनाएँ पूरी होती रही। इसकी चर्चा एक से लेकर दूसरे अफसरों तक होने लगी। इससे सरकारी क्षेत्र के लोगों का विश्वास गजेटेड़ हनुमानजी पर जमता गया। इस वजह से हनुमानजी गजेटेड हनुमान के रूप से प्रसिद्ध हो गये।
कृपा बरसाते हैं राम-लक्ष्मण-जानकी
गजेटेड़ हनुमान मन्दिर परिसर में ही राम मन्दिर बना हुआ है जिसमें भगवान श्रीराम, भगवती सीता तथा लक्ष्मण की श्वेत पाषाण से बनी मनोहारी मूर्तियाँ हैं जिनके सम्मुख विनय मुद्रा में बैठे हुए हनुमानजी की आकर्षक मूर्ति है। कई भक्त ऐसे हैं जो अपने कर्मयोग की शुरूआत गजेटेड़ हनुमान मन्दिर से करते हैं। यहां हनुमानजी, भैरव तथा राम दरबार के दर्शन के बाद ही वे अपने काम-धंधों की ओर रुख करते हैं।
नींव से निकली भैरव प्रतिमा
मन्दिर प्रवेश करते ही वाम पाश्र्व में पौन फीट की भैरवमूर्ति है जिसके पास अखण्ड दीपक है। भैरव की यह प्राचीन मूर्ति शहर में किसी सेठ के घर नींव खोदते वक्त निकली थी जिसे यहाँ लाकर प्रतिष्ठित किया गया। यहीं एक्वेरियम में श्रीराम सेतु की पानी में तैर रही वाली एक शिला आकर्षण जगाती है।
हर कोना दर्शाता है हनुमानजी की लीलाओं को
पूरा मन्दिर परिसर हनुमानजी की लीलाओं भरे चित्रों और रामायण की चौपाइयों से अटा पड़ा है। मन्दिर के बाहर पवित्र शमी का प्राचीन वृक्ष होने के साथ ही अब पीपल, तुलसी आदि भी पल्लवित हो रहे हैं।
दूर-दूर तक मशहूर हैं गजेटेड़ हनुमान जैसलमेर शहर के निरंन्तर विस्तार से अब यह मंदिर शहर के बीच प्रतीत होता है। भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी और कालान्तर में विकास व विस्तार के चलते अब गजेटेड़ हनुमान मंदिर दर्शनीय श्रृद्धास्थल के रूप में बदल गया हैं।
मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों का जमघट लगा रहता है। इन दोनों ही दिनों में हनुमानजी का विशेष श्रृंगार होता है। मंगल-शनि को वाद्यों की संगत पर सुन्दरकाण्ड व हनुमानचालीसा के सामूहिक पारायण के साथ ही वर्ष में अनेक अवसरों पर अखण्ड रामायण पारायण और अन्य वृहत हनुमान उपासनापरक अनुष्ठानों का आयोजन होता है जिनमें बड़ी संख्या में हनुमान भक्त हिस्सा लेते हैं।
देशी-विदेशी सैलानी भी पहुँचते हैं शरण में
हर वर्ष हनुमान जयंती के अवसर पर तीन दिवसीय विशाल समारोह होता है जिनमें रामचरित मानस का अखण्ड पारायण, हनुमान पंचामृत स्नान, कलश-शोभायात्रा, हनुमान यज्ञ तथा विशेष श्रृंगार, श्रीराम भण्डारा आदि का आयोजन जैसलमेर की धार्मिक परम्परा में शामिल है। जैसलमेर शहर भर से भक्त यहाँ उमड़ते हैं।
भक्तों की अगाध श्रद्धा और आस्था के कारण गजेटेड़ हनुमान अब जैसलमेर के हनुमान तीर्थ के रूप में दूर-दूर तक मशहूर हो चुका है। भक्तों ने हनुमान धाम के रूप में इसके विकास में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। जैसलमेर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक भी अब गजेटेड़ हनुमानजी आकर अपने आपको धन्य मानते हैं।