बाड़मेर सी एस आर के पैसे का हिसाब मांगो कलेक्टर साहब।।बंदरबांट को रोको ।।जनता को लाभ पहुंचाओ।।*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक चन्दन सिंह भाटी*
*बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में कार्यरत केयर्न इंडिया,वेदांता और राजवेस्ट पावर प्लांट परियोजनाओं में सी एस आर फंड की व्यवस्था है।जिसका उद्देश्य परियोजना के आसपास और प्रभावित गांवों का सामुदायिक संगठन से विकास करना जिसके लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित है जो अब तक कि सबसे नकारा कमिटी हैं क्योंकि सी एस आर का फंड कंपनी अधिकारी अपनी मनमर्जी से बंदरबांट करते हैं।जिसमे लेनदेन करने वाली संस्थाए खूब फल फूल रही हैं।इस मद में अब तक कम्पनियों ने करोड़ो रुपये व्यय करने का दावा कर रही हैं।मगर यह पैसा आज तक प्रभावित क्षेत्र और उनके रहवासियों को राहत नही दे सका।निरंकुश हो चुके अधिकारी अपनी गणित को ध्यान में रख चंद संगठनों के साथ सेटिंग रख उन्ही को बजट आवंटित करती हैं इन अधिकारियों को हिसाब पूछने वाला कोई नही।।यह मामला विधानसभा में भी उठा।इसके खिलाफ धरने प्रदर्शन भी हुए मगर इन कंपनियों के कानों पे जूं नही रेंगी।इनकी मनमर्जी अनवरत जारी हैं।क्योंकि इनका कहना है सूचना का अधिकार इन पे लागू नही हैं।आर टी आई लगाई तो उसका जवाब एक लाइन में देते है कि हम आपको सूचना राष्ट्रहित में नही दे सकते।।जिला कलेक्टर सी एस आर कमिटी के अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें पता नही की कितना बजट ये लोग सामुदायिक विकास के नाम ठग चुके हैं।।जिला कलेक्टर को चाहिए जिन जिन संस्थाओं को सी एस आर बजट आवंटन किया उनकी स्पेसल ऑडिट के साथ कार्यो का भौतिक सत्यापन कराया जाए।।उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाए।सूत्रों की माने तो सारा खेल कमीशन खोरी पे चलता हैं।।सी एस आर फंड से बाड़मेर और बाड़मेर के गांवों का विकास होना चाहिए।इस फंड के पैसे का सदुपयोग हो।इसके लिए जिला कलेक्टर को कड़े कदम उठाने होंगे साथ ही चापलूस किस्म की संस्थाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।।*
*बाड़मेर की जनता को युवा और ऊर्जावान कलेक्टर से बड़ी उम्मीदें हैं।भ्रस्टाचार के इस खेल की कलाई भी आप ख़ौल सकते हैं। सी एआस आर फंड का आवंटन सी एस आर कमिटी के माध्यम से स्वीकृति के बाद हो ऐसी व्यवस्था की जाए।।ताकि बाड़मेर की जनता को इसका लाभ मिले।।*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक चन्दन सिंह भाटी*
*बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में कार्यरत केयर्न इंडिया,वेदांता और राजवेस्ट पावर प्लांट परियोजनाओं में सी एस आर फंड की व्यवस्था है।जिसका उद्देश्य परियोजना के आसपास और प्रभावित गांवों का सामुदायिक संगठन से विकास करना जिसके लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित है जो अब तक कि सबसे नकारा कमिटी हैं क्योंकि सी एस आर का फंड कंपनी अधिकारी अपनी मनमर्जी से बंदरबांट करते हैं।जिसमे लेनदेन करने वाली संस्थाए खूब फल फूल रही हैं।इस मद में अब तक कम्पनियों ने करोड़ो रुपये व्यय करने का दावा कर रही हैं।मगर यह पैसा आज तक प्रभावित क्षेत्र और उनके रहवासियों को राहत नही दे सका।निरंकुश हो चुके अधिकारी अपनी गणित को ध्यान में रख चंद संगठनों के साथ सेटिंग रख उन्ही को बजट आवंटित करती हैं इन अधिकारियों को हिसाब पूछने वाला कोई नही।।यह मामला विधानसभा में भी उठा।इसके खिलाफ धरने प्रदर्शन भी हुए मगर इन कंपनियों के कानों पे जूं नही रेंगी।इनकी मनमर्जी अनवरत जारी हैं।क्योंकि इनका कहना है सूचना का अधिकार इन पे लागू नही हैं।आर टी आई लगाई तो उसका जवाब एक लाइन में देते है कि हम आपको सूचना राष्ट्रहित में नही दे सकते।।जिला कलेक्टर सी एस आर कमिटी के अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें पता नही की कितना बजट ये लोग सामुदायिक विकास के नाम ठग चुके हैं।।जिला कलेक्टर को चाहिए जिन जिन संस्थाओं को सी एस आर बजट आवंटन किया उनकी स्पेसल ऑडिट के साथ कार्यो का भौतिक सत्यापन कराया जाए।।उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाए।सूत्रों की माने तो सारा खेल कमीशन खोरी पे चलता हैं।।सी एस आर फंड से बाड़मेर और बाड़मेर के गांवों का विकास होना चाहिए।इस फंड के पैसे का सदुपयोग हो।इसके लिए जिला कलेक्टर को कड़े कदम उठाने होंगे साथ ही चापलूस किस्म की संस्थाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे।।*
*बाड़मेर की जनता को युवा और ऊर्जावान कलेक्टर से बड़ी उम्मीदें हैं।भ्रस्टाचार के इस खेल की कलाई भी आप ख़ौल सकते हैं। सी एआस आर फंड का आवंटन सी एस आर कमिटी के माध्यम से स्वीकृति के बाद हो ऐसी व्यवस्था की जाए।।ताकि बाड़मेर की जनता को इसका लाभ मिले।।*