आदर्श शिक्षक गुरु ईश्वर का दूसरा रूप पुखराज गुप्ता
बाड़मेर मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इस नाते उनके लिए कुछ ऐसेकर्तव्य निर्धारित है जिसका पालन करना अति आवश्यक है।अध्यापक / गुरु ईश्वर का दूसरा रूप माना गया है। हमारे धर्म मेंतीन ऋण माने गये है। पितृ ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण। इनतीनों ऋणों को पूर्ण करने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है।जब मनुष्य अपने माता-पिता की सेवा तन और मन से करता हैतब वह पितृ ऋण से मुक्त होता है उसी प्रकार ऋषि ऋण तभी पूर्णहोता है जब विद्यार्थी शिक्षा अध्ययन कर अपने माता-पिता औरअध्यापक को सम्मान देता है। प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरु कुल में शिक्षा करते थे
शिक्षक बनाना कोई बड़ी बात नहीं हें मगर शिक्षक बन कसर पथ प्रदशक बनाना बहुत कठिन हें ,बाड़मेर के आदर्श शिक्षको में श्री पुखराज गुप्ता आज भी छोटे बड़े सभी लोगो के मन में समाये हें ,कठोर अनुशं ,मृदुभाषी ,सहज ,सरल ,सादगी की बानगी उनके व्यक्तित्व से निखरती हें ,सरकारी सेवा के बाद उन्होंने एक निजी कोचिंग सेंटर खोला ,उनके अनुशासन प्रियता और छात्रो के उज्जवल भविष्य के लिए की गयी कड़ी मेहनत ने कई आदर्श नागरिक तैयार किये ,राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ को समर्पित पुखराज जी गुप्ता जैसा आकर्षक शिक्षक व्यक्तित्व और कोई नहीं ,आज भी उनके चहरे पे वो ही तेज़ हें। कठोर अनुशासन के कारण छात्रो में उनका सम्मानित खौफ रहता था। उनकी डांट सुनाने की बजाय कमजोर छात्र भी नियमित पढ़ के पूर्ण तयारी के साथ आते थे ,राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को बाड़मेर सदा याद। आज के समय पुखराज गुप्ता जैसे चाँद शिक्षक समाज और देश को मिल जाए तो भारत का भविष्य फिर स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा सकता हें ,अध्यापक अपने संयम, सदाचार, आचरण, विवेक, सहनशीलता से बच्चों को महान् बनातेहैं। मनुष्य का जीवन बार बार नहीं मिलता इसीलिए मनुष्य अपने कर्तव्य से मुंह नहीं फिरसकता। अध्यापन एक उत्तम कार्य है। अध्यापन कार्य से आशीर्वाद मिलता है और हमारा जीवनसफल हो जाता है।
बाड़मेर मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इस नाते उनके लिए कुछ ऐसेकर्तव्य निर्धारित है जिसका पालन करना अति आवश्यक है।अध्यापक / गुरु ईश्वर का दूसरा रूप माना गया है। हमारे धर्म मेंतीन ऋण माने गये है। पितृ ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण। इनतीनों ऋणों को पूर्ण करने से मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है।जब मनुष्य अपने माता-पिता की सेवा तन और मन से करता हैतब वह पितृ ऋण से मुक्त होता है उसी प्रकार ऋषि ऋण तभी पूर्णहोता है जब विद्यार्थी शिक्षा अध्ययन कर अपने माता-पिता औरअध्यापक को सम्मान देता है। प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरु कुल में शिक्षा करते थे
शिक्षक बनाना कोई बड़ी बात नहीं हें मगर शिक्षक बन कसर पथ प्रदशक बनाना बहुत कठिन हें ,बाड़मेर के आदर्श शिक्षको में श्री पुखराज गुप्ता आज भी छोटे बड़े सभी लोगो के मन में समाये हें ,कठोर अनुशं ,मृदुभाषी ,सहज ,सरल ,सादगी की बानगी उनके व्यक्तित्व से निखरती हें ,सरकारी सेवा के बाद उन्होंने एक निजी कोचिंग सेंटर खोला ,उनके अनुशासन प्रियता और छात्रो के उज्जवल भविष्य के लिए की गयी कड़ी मेहनत ने कई आदर्श नागरिक तैयार किये ,राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ को समर्पित पुखराज जी गुप्ता जैसा आकर्षक शिक्षक व्यक्तित्व और कोई नहीं ,आज भी उनके चहरे पे वो ही तेज़ हें। कठोर अनुशासन के कारण छात्रो में उनका सम्मानित खौफ रहता था। उनकी डांट सुनाने की बजाय कमजोर छात्र भी नियमित पढ़ के पूर्ण तयारी के साथ आते थे ,राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को बाड़मेर सदा याद। आज के समय पुखराज गुप्ता जैसे चाँद शिक्षक समाज और देश को मिल जाए तो भारत का भविष्य फिर स्वर्ण अक्षरों में लिखा जा सकता हें ,अध्यापक अपने संयम, सदाचार, आचरण, विवेक, सहनशीलता से बच्चों को महान् बनातेहैं। मनुष्य का जीवन बार बार नहीं मिलता इसीलिए मनुष्य अपने कर्तव्य से मुंह नहीं फिरसकता। अध्यापन एक उत्तम कार्य है। अध्यापन कार्य से आशीर्वाद मिलता है और हमारा जीवनसफल हो जाता है।