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शुक्रवार, 8 मार्च 2013

बाड़मेर एसडीएम विनिता सिंह मेहनत के बूते पर मुकाम पाने वाली महिलाओं में

मेहनत से पाई मंजिल

चूल्हे-चौके से बाहर निकल लिखी नई इबारत 

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस : हर क्षेत्र में महिलाओं ने जमाई धाक, शिक्षा रूपी उजाले से रोशन की जिंदगी 

बाड़मेर  कभी अबला कही जाने वाली नारी ने अब जोश भरे जज्बे से नई इबारत लिख दी है। थार की बेटियों ने शिक्षा रूपी उजाले से जिंदगी रोशन करने की ठान ली तो हालात बदलते गए। जुनून व मेहनत से मुकाम हासिल कर अबला के सबला होने का अहसास करवा दिया। पुरुष प्रधान समाज की रूढ़ीवादी सोच व विकट हालातों का मुकाबला करते हुए महिलाओं ने राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक क्षेत्र में धाक जमाई। नतीजतन ये महिलाएं युवा पीढ़ी की प्रेरणा स्त्रोत बनी है। पेश है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रिपोर्ट- 




बाड़मेर एसडीएम विनिता सिंह मेहनत के बूते पर मुकाम पाने वाली महिलाओं में शामिल हंै। प्रशासनिक अधिकारी बनने का लक्ष्य तय कर विनिता ने अनवरत पढ़ाई जारी रखी। वर्ष 2006 में जयपुर में एम ए प्रथम वर्ष में अध्ययनरत रहते हुए प्रथम बार आरएएस परीक्षा दी। पहले प्रयास में ही आरएएस बन गई। वे बताती है कि मन में कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो हर मुश्किल आसां हो जाती है। बस जरूरत है सिर्फ जोश व जज्बे की। एसडीएम पद पर रहते हुए महिलाओं व बालिकाओं की मजबूती से पैरवी करना फितरत में शुमार है।

नसीहत: बेटियां अपने वजूद को पहचाने

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उन्नति के लिए अपनी पहचान कायम करने की जरूरत है। जो सिर्फ शिक्षा से ही संभव है। महिलाएं भी पुरूषों के साथ कदमताल करते हुए हर क्षेत्र में दबदबा कायम करे। शिक्षा ही सफलता की पहली सीढ़ी है। थार की बेटियां में मुकाम पाने की ललक है। बस जरूरत है प्रोत्साहन की। पुरुष प्रधान समाज की अवधारणा को बदलने के लिए महिलाओं को जागरूक होकर प्रयास करने चाहिए।