कल से आश्चिन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र का शुभ प्रारम्भ हो रहा है। इस दिन हस्त नक्षत्र, प्रतिपदा तिथि के दिन शारदिय नवरात्रों का पहला नवरात्र होगा। शास्त्रों में वर्णित है कि नवरात्रों में श्री राम ने आदशक्ति की पूजा करने के उपरांत अपनी खोई हुई शक्तियों को वापिस पाया था।
मार्कण्डेय पुराण के मतानुसार, दुर्गा सप्तशती में मां भगवती ने वचन किए हैं कि शक्ति-पूजा नवरात्र के दिनों में महापूजा है। भारतीय संस्कृति में नवरात्र पूजन का विशिष्ट महत्त्व है। नवरात्र के दिनों में रामलीला, रामायण, भागवत पाठ, अखंड कीर्तन आदि सामूहिक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। पावन पर्व नवरात्र में देवी दुर्गा की कृपा, सृष्टि की सभी रचनाओं पर समान रूप से बरसती है।
नव शब्द का अर्थ है नौ अथवा नया। अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी ‘नवरात्र’ नाम सार्थक है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्त्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।
पुरातन समय में दुर्गम नाम के दैत्य ने कठोर तप के बल पर परम पिता ब्रह्मा को खुश कर उनसे वर प्राप्ति के उपरांत चार वेदों व पुराणों को अपने अधीन करके कहीं छिपा दिया। वेदों पुराणों के प्रत्यक्ष न होने से सारे जग में वैदिक कर्मकाण्ड बंद हो गए और पृथवी वासी घोर अकाल से तड़पने लगे। सभी दिशाओं में हाहाकार मच गया। सृष्टि विनाश के कगार पर पहुंच गई।
सृष्टि को बचाने के लिए देवताओं ने उपवास रखकर नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासना की और माता से सृष्टि को बचाने की विनती की। अपने भक्तों की पुकार पर मां ने असुर दुर्गम को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों के बीच भंयकर युद्ध का आगाज हुआ। मां ने दुर्गम का संहार कर देवताओं को निर्भय कर दिया। तभी से नव व्रत अर्थात नवरात्र का शुभारंभ हुआ।
मार्कण्डेय पुराण के मतानुसार, दुर्गा सप्तशती में मां भगवती ने वचन किए हैं कि शक्ति-पूजा नवरात्र के दिनों में महापूजा है। भारतीय संस्कृति में नवरात्र पूजन का विशिष्ट महत्त्व है। नवरात्र के दिनों में रामलीला, रामायण, भागवत पाठ, अखंड कीर्तन आदि सामूहिक धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। पावन पर्व नवरात्र में देवी दुर्गा की कृपा, सृष्टि की सभी रचनाओं पर समान रूप से बरसती है।
नव शब्द का अर्थ है नौ अथवा नया। अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी ‘नवरात्र’ नाम सार्थक है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्त्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।
पुरातन समय में दुर्गम नाम के दैत्य ने कठोर तप के बल पर परम पिता ब्रह्मा को खुश कर उनसे वर प्राप्ति के उपरांत चार वेदों व पुराणों को अपने अधीन करके कहीं छिपा दिया। वेदों पुराणों के प्रत्यक्ष न होने से सारे जग में वैदिक कर्मकाण्ड बंद हो गए और पृथवी वासी घोर अकाल से तड़पने लगे। सभी दिशाओं में हाहाकार मच गया। सृष्टि विनाश के कगार पर पहुंच गई।
सृष्टि को बचाने के लिए देवताओं ने उपवास रखकर नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासना की और माता से सृष्टि को बचाने की विनती की। अपने भक्तों की पुकार पर मां ने असुर दुर्गम को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों के बीच भंयकर युद्ध का आगाज हुआ। मां ने दुर्गम का संहार कर देवताओं को निर्भय कर दिया। तभी से नव व्रत अर्थात नवरात्र का शुभारंभ हुआ।