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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

प्यार के इस बांग में दो फूल सलीम और अनारकली



आज के समय में प्यार की अहमियत बहुत कम ही जानते है. ज्यादातर लोगों के प्यार महज क्षणिक मौज मस्ती का साधन है. लेकिन वास्तव में अगर प्यार की अहमियत को समझना है तो प्यार की उन सच्ची कहानियों की तरफ देखना होगा जो कई सौ सालों से आशिक बिरादरी में सुनाई जा रही हैं.


प्यार के इस बांग में दो फूल भारत में सबसे ज्यादा मशहूर हैं. एक है मुगल साम्राज्य के सलीम और दूसरी उनकी महबुबा अनारकली. दोनों के बारें में काफी कुछ सुनने और पढ़ने को मिलता है लेकिन कई लोग यह भी कहते है कि उनके बीच प्रेम जैसा कुछ नहीं था.


वैसे आजकल के नौजवानों में ऐसे भी कम नहीं होगे जिन्हें सलीम और अनारकली के बारें में कुछ पता ही नहीं होगा. प्यार को एक पवित्र दर्जे तक पहुंचाने में सलीम और अनारकली का काफी योगदान रहा है. आइयें जान लीजिए आप भी कौन है सलीम और कौन है अनारकली.

सलीम और अनारकली


मुग़ल साम्राज्य के राजकुमार सलीम अपने ही दरबार की एक खूबसूरत नर्तकी अनारकली से प्यार करने लगे. अनारकली के प्यार में पागल सलीम अपने पिता और मुगल शासक अकबर से जंग के लिए भी तैयार हो गए. पिता को बेटे का यह प्यार कतई मंजूर नहीं था. सलीम ने अपने पिता के खिलाफ जंग छेड़ दी, पर महाराजा के ताकत के सामने वह टिक नहीं पाए. आखिरकार उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. सलीम के ही सामने अनारकली को ज़िन्दा दीवार में चुनवा दिया गया. लोगों का कहना है कि जहां अनारकली को चुनवाया गया उससे होकर एक सुरंग भी निकाली गई, ताकि अनारकली वहां से हमेशा के लिए चली जाए. कहते हैं कि वह फिर कभी लौटकर नहीं आई और इस तरह उनकी प्रेम-कहानी का अन्त हो गया.