बाड़मेर सरहदी गाँवो में पानी पर खिंची तलवारें,जाति और गांव आधारित पानी का हुआ बंटवारा
चंदन सिंह भाटी
बाडमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसें सबसे दुर्गम ग्राम पंचायत खबडाला में गतपांच सालों से पानी की भारी किल्लत झेलनें के बाद गांव में पानी को लेकर खिंचने वाली तलवारों पर लगाम कसकर ग्रामीणों ने आपसी सहमती बना कर प्रत्येक गांव में पानी का बंटवारा कर अनुकरणीय उदाहरण पो किया।यह अलग बात हैं कि गांव में पानी एक माह में दो बार ही आता हैं।
खबडाला गांव के पूर्व सरपंच रतन सिंह सोढ़ा नें बताया कि विगत पांच सालों से खबडाला ग्राम पंचायत सहित बंधडा,बचिया,पूंजराज का पार,सगरानी,पिपरली,द्राभा,गारी,मणिहारी सहित 94 गांवों में पेयजल की जबरदस्त किल्लत के चलतें ग्रामीणें के सामने बडी समस्या खडी हो गई।खबडाला गांव में पानी के दो होज सरकारी योजना में बने हुऐ हैं।एक 20 साल पुराना हैं।दूसरा तीन साल पहलें बना जिसे आज तक पाईप लाईन से जोडा ही नही गया।लाखों रूप्यें खर्च कर हौज के पास ही पशुओं कें लियें पानी की खेली भी बनाई गई थी।जो आज भी सूखी पडी हैं।पुराने होज में एक माह में महज दो दिन पानी की आपूर्ति होती हैं।आपूर्ति के समय आसपास के गांवों के ग्रामीण भी पानी भरने आते हैं।इतना कम पानी हमारे एक गांव की भी प्यास नहीं बुझा पाता ऐसे में दूसरे गांवों के लोगों को कैसे पानी भरने दे।इसी बात को लेकर गांवों के बीच झगडे भी होने लगे।कई बार तलवारें भी खींची। पानी भरने को लेकर आपसी संर्धश होनें के कारण गिराब थानें में मुकदमा भी दर्ज हुआ।रोज रोज की परोानी सें निपटने के लिऐं ग्रामीणों नें सर्व सम्मति से ग्राम पंचायत के आठों गांवों की समझौता बैठक बुला कर पानी का बंअवारा करने का निर्णय लिया गया।गांव के ही टीकमारीम मेघवाल नें बताया कि पानी के बंटवारे के तहत दो दो गांवों की बारी तय की कि पानी आपूर्ति के दिन निर्णित गांव के लोग ही पानी भरेंगे। उन्होने बताया कि गावों में पेयजल की आपूर्ति नाम मात्र ही होती हैं,गांव में परम्परागत पानी के स्त्रोत बेरिया हैं। जिसके कारण आम आदमी की जरुरत तों जैसे तैसे पूरी जाती हैं मगर पशुओं को पानी कहॉ से पिलाऐं,गांव में लगभग एक हजार गायें,30 हजार भेड बकरीयॉ हैं।जिन्हें पीने के लिऐ पानी चाहियें।पशुधन के लिऐ पानी की वयवस्था के लियें 15 किलोमीटर दूर तक के गांवों में जाना पडता हैं।गांव की बेरियों का जीर्णेद्घार सरकारी योजलाओं में किया जाऐ तो ग्रामीणे के समक्ष पेयजल की किललत कुछ हद तक हल हो जाऐंगी।
इस साल पड़ी भीषण गर्मी के चलते बेरियो का पानी भी रीत गया जिससे परेशानी और बढ़ गयी ,बेरियो का भी बंटवारा जातिगत आधार पर हो रख हैं ,स्वर्ण जातियों के लिए अलग और अनुसूचित जाति के लिए अलग बेरियां हैं
पेयजल स्रोत पाइप लाइन दुरुस्त कराने के लिए ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जलदाय विभाग को सेकड़ो स्मरण ज्ञापन और लिखित शिकायतें दी मगर कोई कार्यवाही अम्ल में नहीं ली गयी
जिला प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक बताया गया मगर किसी प्रकार की मदद नही हुई।गांव की महिला श्रीमति गोमती मेगवाल नें बताया कि मणिहारी गांव की होदी में वाल्व खराब होने के कारण पानी फालतू बह जाहैं ,वाल्व को ठीक कर दे तो हमारे गांव को पानी आपूर्ति हो सकती हें।गडरा रोड कें अधिशाषी अभियंता नें बताया कि खबउाला में पेयजल की समस्या हैं।पाईप लाईन खराब हैं इसे से जल्द दुरूस्त कर दिया जाऐगा।एक सप्ताह में पानी की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर दिया जाऐगा।बहरहाल ग्रामीणों ने रोज के झगडों सें परोान होकर पानी का बंटवाडा तो कर दिया मगर पानी आता ही नही तों बांटे क्या।दो बून्द पानी हलक में उतारनें की ग्रामीणो की तमाम कोशिशी जिलाप्रशासन कें ढुलमुल रवैयें कारण बेकार हो रही हैं।
चंदन सिंह भाटी
बाडमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसें सबसे दुर्गम ग्राम पंचायत खबडाला में गतपांच सालों से पानी की भारी किल्लत झेलनें के बाद गांव में पानी को लेकर खिंचने वाली तलवारों पर लगाम कसकर ग्रामीणों ने आपसी सहमती बना कर प्रत्येक गांव में पानी का बंटवारा कर अनुकरणीय उदाहरण पो किया।यह अलग बात हैं कि गांव में पानी एक माह में दो बार ही आता हैं।
खबडाला गांव के पूर्व सरपंच रतन सिंह सोढ़ा नें बताया कि विगत पांच सालों से खबडाला ग्राम पंचायत सहित बंधडा,बचिया,पूंजराज का पार,सगरानी,पिपरली,द्राभा,गारी,मणिहारी सहित 94 गांवों में पेयजल की जबरदस्त किल्लत के चलतें ग्रामीणें के सामने बडी समस्या खडी हो गई।खबडाला गांव में पानी के दो होज सरकारी योजना में बने हुऐ हैं।एक 20 साल पुराना हैं।दूसरा तीन साल पहलें बना जिसे आज तक पाईप लाईन से जोडा ही नही गया।लाखों रूप्यें खर्च कर हौज के पास ही पशुओं कें लियें पानी की खेली भी बनाई गई थी।जो आज भी सूखी पडी हैं।पुराने होज में एक माह में महज दो दिन पानी की आपूर्ति होती हैं।आपूर्ति के समय आसपास के गांवों के ग्रामीण भी पानी भरने आते हैं।इतना कम पानी हमारे एक गांव की भी प्यास नहीं बुझा पाता ऐसे में दूसरे गांवों के लोगों को कैसे पानी भरने दे।इसी बात को लेकर गांवों के बीच झगडे भी होने लगे।कई बार तलवारें भी खींची। पानी भरने को लेकर आपसी संर्धश होनें के कारण गिराब थानें में मुकदमा भी दर्ज हुआ।रोज रोज की परोानी सें निपटने के लिऐं ग्रामीणों नें सर्व सम्मति से ग्राम पंचायत के आठों गांवों की समझौता बैठक बुला कर पानी का बंअवारा करने का निर्णय लिया गया।गांव के ही टीकमारीम मेघवाल नें बताया कि पानी के बंटवारे के तहत दो दो गांवों की बारी तय की कि पानी आपूर्ति के दिन निर्णित गांव के लोग ही पानी भरेंगे। उन्होने बताया कि गावों में पेयजल की आपूर्ति नाम मात्र ही होती हैं,गांव में परम्परागत पानी के स्त्रोत बेरिया हैं। जिसके कारण आम आदमी की जरुरत तों जैसे तैसे पूरी जाती हैं मगर पशुओं को पानी कहॉ से पिलाऐं,गांव में लगभग एक हजार गायें,30 हजार भेड बकरीयॉ हैं।जिन्हें पीने के लिऐ पानी चाहियें।पशुधन के लिऐ पानी की वयवस्था के लियें 15 किलोमीटर दूर तक के गांवों में जाना पडता हैं।गांव की बेरियों का जीर्णेद्घार सरकारी योजलाओं में किया जाऐ तो ग्रामीणे के समक्ष पेयजल की किललत कुछ हद तक हल हो जाऐंगी।
इस साल पड़ी भीषण गर्मी के चलते बेरियो का पानी भी रीत गया जिससे परेशानी और बढ़ गयी ,बेरियो का भी बंटवारा जातिगत आधार पर हो रख हैं ,स्वर्ण जातियों के लिए अलग और अनुसूचित जाति के लिए अलग बेरियां हैं
पेयजल स्रोत पाइप लाइन दुरुस्त कराने के लिए ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जलदाय विभाग को सेकड़ो स्मरण ज्ञापन और लिखित शिकायतें दी मगर कोई कार्यवाही अम्ल में नहीं ली गयी
जिला प्रशासन को कई बार लिखित और मौखिक बताया गया मगर किसी प्रकार की मदद नही हुई।गांव की महिला श्रीमति गोमती मेगवाल नें बताया कि मणिहारी गांव की होदी में वाल्व खराब होने के कारण पानी फालतू बह जाहैं ,वाल्व को ठीक कर दे तो हमारे गांव को पानी आपूर्ति हो सकती हें।गडरा रोड कें अधिशाषी अभियंता नें बताया कि खबउाला में पेयजल की समस्या हैं।पाईप लाईन खराब हैं इसे से जल्द दुरूस्त कर दिया जाऐगा।एक सप्ताह में पानी की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर दिया जाऐगा।बहरहाल ग्रामीणों ने रोज के झगडों सें परोान होकर पानी का बंटवाडा तो कर दिया मगर पानी आता ही नही तों बांटे क्या।दो बून्द पानी हलक में उतारनें की ग्रामीणो की तमाम कोशिशी जिलाप्रशासन कें ढुलमुल रवैयें कारण बेकार हो रही हैं।