बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी
बाड़मेर: राजस्थान के थार मरुस्थल के सरहदी इलाकों में इन दिनों पाकिस्तान के सिंध सूबे के लोक गीत गूंज रहे हैं। इन लोक गीतों में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़े प्रसंगों को फिल्माने के साथ संगीतबद्ध किया गया है।बेनजीर कि मौत के कई साल बाद भी इन अलबमों के प्रति दीवानगी सरहदी क्षेत्रो में देखि जा रही हें। पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर जिले के कई गाँवो के लोग बेनजीर भुट्टो से ख़ास लगाव रखते हें उनकी शहादत को आज भी इस अलबमों के जरिये सुनते हें।
थार और सिंध का पुराना नाता रहा है। इतना ही नहीं, रस्मों-रिवाज के साथ यहां की रवायतों में भी गहरा ताल्लुक रहा है। आपस में रिश्तेदारियां तो आज भी होती हैं। हां, इससे पहले लोकगीतों में अपने इलाके से जुड़े किस्से, रस्मों-रिवाजों का गुनगान होता था, लेकिन अब सिंधी लोक कलाकार अपने गीतों में भुट्टों के जीवन से जुड़े प्रसंगों को गुनगुना रहे है। इंटरनेट पर यूट्यूब के अलावा थार एक्सप्रेस में आने वाले यात्री अपने साथ मोबाइल चिप और पेन ड्राइव में ये गीत लेकर आ रहे हैं।
सिंध के लोक कलाकारों ने अपनी जुबां में गाए गीतों में भुट्टों को ‘चार सूबों की जंजीर, दुश्मनों के सीने में थी तीर’ बताया है। कलाकारों ने गाया है कि ‘या अल्लाह या रसूल बेनजीर बेकसूर।’ ‘आठ साल बाद रखा देश में कदम और कदम पर दुश्मनों ने रखा बम’ एक खास गीत है, जिसमें भुट्टों के पाकिस्तान छोड़ देने के आठ साल बाद पाकिस्तान आने और फिर उनकी हत्या के प्रसंग का उल्लेख किया गया है।
गीतों में बेनजीर को शहीद और सिंध की रानी बताते हुए उनके राजनैतिक दौरे, तीखे भाषण, समर्थकों की भीड़ और उनकी अपनी आवाज में ‘क्या मुल्क को बचाने में मेरा साथ दोगे’ जैसे तीखे तेवरों को दिखाया गया है। वीडियों में उनकी हत्या के फुटेज को भी दिखाया गया है। इस अलबम में एक गीत है- ‘सिन्ध की रानी हुई शहीद, घर-घर में कोहराम आया।’
इस विषय में बाड़मेर के लोकगीत म्यूजिक कंपोजर सत्तारभाई का कहना है, ‘थार-सिंध के लोक गीतों को पहले भी दोनों मुल्कों में सुना जाता था, लेकिन लोक कलाकारों की ओर से राजनेताओं के बारे में गीत और चित्रण अभी प्रचलन में आने के साथ ही हमजुबां होने से भी पंसद किए जा रहे हैं।’
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