थार चुनावी रणभेरी २०१३ राजनितिक शख्शियत - बाड़मेर जैसलमेर के संसद रहे रामनिवास मिर्धा
जीवन परिचय :
जीवन परिचय :
कांग्रेस के कद्दावर नेता रामनिवास मिर्धा इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में वर्षो तक विभिन्न मंत्रालयों में मंत्री रहे। उनका जन्म 24 अगस्त 1924 को नागौर जिले के कुचेरा ग्राम में तत्कालीन जोधपुर रियासत के पुलिस महानिरीक्षक बलदेवराम मिर्धा के यहां हुआ। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एमए तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि स्त्रातक किया। मिर्धा ने कुछ दिनों तक जिनेवा में भी अध्ययन किया। मिर्धा राजस्थान प्रशासनिक सेवा के भी अधिकारी रहे।
राजनीतिक परिचय :
राजनीतिक परिचय :
मिर्धा ने 1953 में राज्य सेवा से इस्तीफा दिया और जायल क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस टिकट पर विधायक चुने गए। वो 13 नवम्बर 1954 से मार्च 1957 तक सुखाडिया मंत्रिमंडल में कृषि, सिंचाई और परिवहन आदि विभागों में मंत्री रहे। 1957 के चुनाव में वो लाडनूं और 1962 में नागौर से फिर विधायक चुने गए।
मिर्धा लगातार 25 मार्च 1957 से 2 मई 1967 तक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे। 1970 में पहली बार इंदिरा गांधी की सरकार में गृहराज्य मंत्री नियुक्त हुए और 1977 तक आपूर्ति एवं पुनर्वास राज्यमंत्री रहे। 1977 से 80 तक राज्यसभा के उपाध्यक्ष रहे। मिर्धा ने 1983 में सिंचाई राज्य मंत्री और 1984 में विदेश राज्यमंत्री का पद ग्रहण किया।
राजीव गांधी सरकार में उन्होंने केबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत होकर वस्त्र मंत्रालय का भी कार्यभार संभाला। दिसंबर 1984 में मिर्धा ने पहली बार नागौर से लोकसभा चुनाव लडा और नाथूराम मिर्धा को पराजित किया। उसके बाद वो 1991 के मध्यावधि चुनाव में बाडमेर लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए। मिर्धा कई सालों तक राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। उनके छोटे बेटे हरेन्द्र मिर्धा भी पिछली अशोक गहलोत के मंत्री मंडल में मंत्री थे। हरेन्द्र मिर्धा कुशल राजनेता हें।
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मिर्धा लगातार 25 मार्च 1957 से 2 मई 1967 तक राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष रहे। 1970 में पहली बार इंदिरा गांधी की सरकार में गृहराज्य मंत्री नियुक्त हुए और 1977 तक आपूर्ति एवं पुनर्वास राज्यमंत्री रहे। 1977 से 80 तक राज्यसभा के उपाध्यक्ष रहे। मिर्धा ने 1983 में सिंचाई राज्य मंत्री और 1984 में विदेश राज्यमंत्री का पद ग्रहण किया।
राजीव गांधी सरकार में उन्होंने केबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत होकर वस्त्र मंत्रालय का भी कार्यभार संभाला। दिसंबर 1984 में मिर्धा ने पहली बार नागौर से लोकसभा चुनाव लडा और नाथूराम मिर्धा को पराजित किया। उसके बाद वो 1991 के मध्यावधि चुनाव में बाडमेर लोकसभा क्षेत्र से भी चुने गए। मिर्धा कई सालों तक राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। उनके छोटे बेटे हरेन्द्र मिर्धा भी पिछली अशोक गहलोत के मंत्री मंडल में मंत्री थे। हरेन्द्र मिर्धा कुशल राजनेता हें।
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