जैसलमेर सभापति चुनाव सचिन गहलोत की मूंछ की लड़ाई बनी
जैसलमेर जैसलमेर नगर परिषद चुनावो में बहुमत से दूर रही कांग्रेस और भाजपा अपने अपने सभापति बनाने के दांव हैं कोंग्रस के चार तो भाजपा का एक प्रत्यासी मैदान में हे ,कांग्रेस की लड़ाई विधायक रूपाराम धंदे और फ़क़ीर परिवार से निकल सचिन पायलट और अशोक गहलोत की मूंछ की लड़ाई बन गयी हैं ,सचिन पायलट गट के विधायक रूपाराम धंदे अपने आदमी को सचिन से टिकट दिला पहली बाज़ी जीत ली. तो फ़क़ीर गुट ने पूर्व विधायक दिवंगत गोवर्धन कल्ला के परिवार के हरिवल्लभ कल्ला पर दांव खेलते हुए उन्हें सभापति का दावेदार बनाते हुए फार्म दाखिल करवा दिया , इधर सूत्रानुसार विधायक खेमे में दस तो फ़क़ीर गुट के पास तीन निर्दलीय सहित 16 पार्षद होने का दावा किया जा रहा हैं ,इधर भाजपा द्वारा पहली बार राजपूत उम्मीदवार उतारने के बाद भाजपा में धड़ेबंदी हो गई ,भाजपा में तोड़फोड़ की सम्भावना इंकार नहीं किया जा सकता ,कांग्रेस ने सामान्य चेहरा कमलेश छंगाणी को उतरा जिस पर विवाद उभर आया ,कांग्रेस के अधिकांश लोग हरिवल्ल्भ कल्ला को बनाने के पक्ष में हैं ,सभापति की इस जंग को सचिन गहलोत की लड़ाई के रूप में देखि जा रही हैं ,सूत्रानुसार अशोक गहलोत की इच्छा हे हरिवलभ कल्ला सभापति बने ,उनके इसारे पर ही कल्ला को मैदान में उतारा गया हैं ,जैसलमेर की राजनीती में चाणक्य माने जाने वाले धुरंधर फ़क़ीर गुट खुलकर कल्ला का साथ दे रहे हैं ,इस गुट मे पूर्व सभापति अशोक तंवर ,प्रधान अमरदीन फ़क़ीर ने कमान संभल रखी हैं ,तो कांग्रेस प्रत्यासी के पक्ष में विधायक रूपाराम धंदे अपनी ताकत लगा रहे हैं ,भाजपा द्वारा शहर की दो प्रमुख जातियों ब्राह्मण और हज़ूरी के उम्मीदवारों को किनारे कर राजपूत उम्मीदवार विक्रम सिंह को उतारा हे जिसे अधिकांश भाजपाई पचा नहीं पा रहे ,विधायक खेमे के दो पार्षद फ़क़ीर के साथ हे फ़क़ीर गट ने तीन निर्दलीय और भाजपा के कुछ पार्षदों का समर्थन हासिल करने का दावा किया हैं ,चुनाव में तीन दिन बाकि हैं,एक बार फिर वर्चस्व की इस लड़ाई में कौन आगे रहेगा यह समय के गर्भ में हैं,कांग्रेस के ही दो पार्षद प्रवीण सुदा और खीम सिंह भी सभापति पद के लिए ताल ठोक चुके हैं , सम्भावना हे ये दोनों फ़क़ीर गुट के समर्थन में फार्म वापिस लेंगे,सभापति चुनाव को विधायक और फ़क़ीर गुट अपनी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना बैठे हैं , भाजपा कांग्रेस की गुटबाज़ी का फायदा उठा कांग्रेस से जीते राजपूत उम्मीदवारों को समाज के नाम पर तोड़ने का दांव खेल रही हैं,
फ़क़ीर परिवार की जीत संभव है। इनके पास जातिवाद नही है। सबके लिए सम्मान है।
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