*थार की चुनाव रणभेरी 2019 हमारे सांसद*
*थार की राजनीति और सामाजिक शख्सियत महाराज रघुनाथ सिंह जी ,जनता के सच्चे हमदर्द*
*आम जन के साथ घुलमिल के रहते थे,उनके सुखदुख के साथी रहे*
*चन्दन सिंह भाटी बाड़मेर न्यूज ट्रैक के लिए*
देश आजाद होने के बाद लोक तंत्र की स्थापना का महापर्व संसदीय चुनाव का दौर शुरू ही हुआ था।।उस वक़्त राजनीति के कोई मायने नही थे।।चुनाव में प्रभावशाली व्यक्ति को मैदान में उतारा जाता था ताकि वो जनता के सुख दुख में काम आ सके।बाड़मेर जेसलमेर जिलो को मिलाकर संसदीय क्षेत्र स्थापित था।।देश का पहला विशाल बहु भाग में फैला सनसदिय क्षेत्र।।देस दूसरे आम चुनाव की तैयारी 1957 को आरम्भ हुई।।उस वक़्त देसी रियासतों का एकीकरण भी हुआ था।।आम चुनाव में राजपरिवारों का दबदबा था।।1957 के चुनाव में कांग्रेस ने गोरधन दास बिनानी को मैदान में उतारा तो जेसलमेर के महाराज कैप्टेन (आर्मी की और से सम्मान) रघुनाथ सिंह जी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे।।इन चुनाव में महाराज रघुनाथ सिंह ने गोवर्धन दास को करीब बीस हजार वोट से हराकर संसद में प्रवेश किया। महाराज रघुनाथ सिंह जी जेसलमेर की जनता की आंखों के नूर थे।।उनके और जनता के बीच दूरियां नही थी।।वो महाराज जवाहर सिंह जी की परंपरा को ही आगे बढ़ा रहे थे।।18 नवम्बर 1920 को जन्मे रघुनाथ सिंह जीने मेयो कॉलेज से शिक्षा अर्जित की।।उनका विवाह1950 में महारानी श्रीमती मुकुट राज्यलक्ष्मी नेपाल के संग हुआ।शादी के चार माह बाद ही उनका राजतिलक 27 अगस्त 1950 को हुआ।।घुड़ सवारी,तैराकी,शूटिंग,हाईकिंग,और पतंगबाजी के महाराज रघुनाथ सिंह बड़ा शौक रखते थे।।उनके चार पुत्रियां दो पुत्र युवराज बृजराज सिंह और पृथ्वीराज सिंह थे।।युवराज पृथ्वीराज सिंह का 1997 में निधन हो गया।। युवराज बृजराज सिंह जी का महारावल के रूप में राजतिलक हुआ।।।
*जेसलमेर में पर्यटन के भीष्म पितामह*
जेसलमेर को विश्व पटल पर उभारने और जेसलमेर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने का श्रेय भी महाराज रघुनाथ सिंह जी को जाता है।उनके कार्यकाल में विख्यात फ़िल्म निदेशक सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म सोनार किला के जरिये जेसलमेर की खूबसूरत पर्यटक स्थलों को विश्व पटल के सामने रखा।सत्यजीत रे को प्रेरित महाराज रघुनाथ सिंह ने किया उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करवाई।।सोनार किला फ़िल्म के प्रदर्शन के साथ ही जेसलमेर पर्यटन क्षेत्र के रूप में चर्चित हुआ।।देस विदेश से लोग जेसलमेर देखने पहुंचने लगे।।इसी बीच जेसलमेर की लोकेशन सोनार किला में देख विख्यात फ़िल्म कलाकार सुनील दत्त ने अपनी फिल्म रेशमा और शेरा का फिल्मांकन जेसलमेर में करने की इच्छा लेकर महाराज रघुनाथ सिंह जी से मुलाकात की।।उस वक़्त महाराज ने फ़िल्म यूनिट की समस्त व्यवस्थाएं सुलभ करवाई।।जिसकी बदौलत सुनील दत्त रेशमा और शेरा जैसी बेजोड़ खूबसूरत फ़िल्म बना पाए।इस फ़िल्म में जेसलमेर के अंदरूनी भागो और रेगिस्तानी धोरों और लोक जीवन को बड़ी खूबसूरती के साथ उभारा। यही से जेसलमेर का पर्यटन दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ता गया ।
*मिलनसार और मददगार थे रघुनाथ सिंह*
जेसलमेर के महाराज होने के नाते रघुनाथ सिंह पर काफी बंदिशें थी।।मगर उन्होंने इन बंदिशों को दरकिनार कर अपनी जनता के मददगार बने।।जरूरतमंद लोगों की मदद करना उनकी प्राथमिकता रही ।उन्होंने आमो अवाम को कष्ट में नही रहने दिया।।आर्थिक मोर्चो पर भी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते। जजेसलमेर में कोई तीज़ त्योहार हो वो जनता जे साथ ही मनाते। नजराना भी भेंट करते।जनता के सुख दुख में भी शरीक होते।।उन्हें होली की गैर खेलने जा बड़ा शौक था। घण्टो तक गैर खेलते। फाग गाते। तीज़ त्योहार रघुनाथ सिंह जी के बिना जनता कल्पना नही करते।।निर्धन और जरूरतमंद परिवारों की बालिकाओं के विवाह भी खुद के खर्चे से करवाते। उनका दरबार चौबीस घण्टे आमजनता के लिए खुला रहता।कोई फरियादी खाली हाथ नही जाता।।
*अकाल में की मदद आज भी लोगो को याद है*
छपनिया अकाल में स्थितियां बेहद नाजुक हो गई थी इस रेगिस्तानी जनता की।अकाल के दुर्भिक्ष में जीना मुश्किल हो गया।सात सात अकाल लगातार।।राज्य सरकार ने जेसलमेर के लोगो को गंगानगर बीकानेर में बसाने का फैसला लिया।जिसका महाराज रघुनाथ सिंह जी ने कड़ा विरोध करते हुए अपने स्तर पर राहत कार्य चलाने का फैसला किया।इस वक़्त महाराज रघुनाथ सिंह ने आमजन को अपना गांव छोड़ नही जाने को कहा।।उन्होंने उसी वक़्त बड़े पैमाने पर जिले भर में राहत कार्य शुरू करवा दिए।।रघुनाथ सिंह ने रियासत का खजाना आम जनता की मदद के लिए खोल दिया। बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू होने के साथ ही जनता को भी राहत मिली।पशुधन के लिए भी बड़े पैमाने पर व्यवस्थाएं की।।अकाल में रघुनाथ सिंह की संवेदनषीलता और मानवीय गुणों के कारण लोग उन्हें देवता तुल्य मानने लगे।।रघुनाथ सिंह लोक संस्कृति ,परंपराओं का निर्वहन करने वाले,बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करने के गुण थे। इन्ही गुणों के कारण जनता एक शासक के रूप में उन्हें बहुत मां सम्मान देती थी।।राजनीति में रहते हुए उन्होंने जेसलमेर के विकास के भरसक प्रयास किये।।
उन्हें राजनीति ज्यादा रास नही आई।।वो अपनी जनता की सेवा में ही खुश रहे।। जेसलमेर की जनता आज भी उन्हें याद करती है।।अट्ठाइस फरवरी उनीस सौ ब्यासी को आपका देवगमन हुआ।।लोगो की आंखों से आंसू रुकने का नाम नही ले रहे थे।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें