बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

थार की चुनावी धार। पचपदरा विधानसभा . अशोक गहलोत के लिए रिफायनरी पचपदरा प्रतिष्ठा की सीट बनी


थार की चुनावी धार। पचपदरा विधानसभा . अशोक गहलोत के लिए रिफायनरी पचपदरा प्रतिष्ठा की सीट बनी 

धाकड़ उम्मीदवार देख रहे हें गहलोत। .भाजपा का अमराराम पर भरोसा 


भाटी चन्दन सिंह 

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में चौदहवी विधानसभा के लिए वाले विधानसभा चुनावो में दोनों प्रमुख दलों में टिकट वितरण में हो रही देरी से नेताओ की नींद उडी हुई हें खासकर वर्तमान विधायको की। कांग्रेस जन्हा एंटी इन्कम्बसी का असर ख़त्म करने के लिए वर्तमान विधायको की टिकट काटने की रही हें बाड़मेर जिले के तीन विधायको पर आशंका के बादल मंडरा रहे हें। सबसे प्रमुख नाम पचपदरा विधानसभा का हें मदन प्रजापत विधायक हें।इसी स्थान पर अशोक गहलोत ने रिफायनरी का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गांधी से कराया जिसके कारन यह सीट कांग्रेस और अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन ,गयी वर्तमान विधायक का असंतुष्ट कार्यकाल अशोक गहलोत की नज़रो में हें। विधायक ने जनहित और विकास कार्यो की बजाय प्रोपर्टी डीलिंग कार्यो तथा अधिकारियो कर्मचारियों के ट्रांसफर में दिलचस्पी दिखाई। विधायक ने बालोतरा और आसपास में कई अवेध आवासीय कालोनिय काटी। भूमाफियो के साथ सरकारी जमीनों पर कब्जे के आरोप भी लगे। इसी के चलते उनकी टिकट कटना तय हें। वर्तमान में भंवर सिंह राजपुरोहित ,निर्मलदास ,अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत ,क्षेत्रीय सांसद के नाम दावेदारों में प्रमुख तौर पर लिए रहे हें। पचपदरा से संजीवनी क्रेडिट कोपरेटिव के मालिक विक्रम सिंह इन्द्रोई ने भी अपनी दावेदारी की मगर इस क्षेत्र के कांग्रेस्सियो ने उनके खिलाफ लामबंद होकर उनकी दावेदारी को कमज़ोर कर दिया। पचपदरा से भाजपा की और से सशक्त दावेदार वरिष्ठ नेता अमराराम चौधरी हें ,भाजपा को ही तवज्जो दे रही हें ,हालाँकि यहाँ भाजपा के एक दर्जन नेताओं ने दावेदारी पेश की हें। नगर पालिका अध्यक्ष महेश बी कतार में हें ,मगर वर्तमान परिस्ताथियो में एक मात्र अमराराम पर ही पार्टी भरोसा कर रही हें। बसापा बे अपना राजपूत उम्मीदवार उतार कर इरादे साफ़ कर दिए हें। कांग्रेस यहाँ गुटबाजी और भीतरघात से कैसे बचेगी यह देखने की बात हें। इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाती के तीस हज़ार ,कलबी बीस हज़ार ,राजपूत रवाना राजपूत बीस हज़ार ,जाट पांच हज़ार ,पुरोहित जैन बीस से पचीस हज़ार मुसलमान आठ से दस हज़ार ,माली दस हज़ार हज़ार मोटे तौर पर हें। पचपदरा से पटौदी आर आई सर्कल परिसीमन के बाद अलग हो गया। वर्तमान में मदन प्रजापत के खिलाफ असंतोष भाजपा के पक्ष में हें। कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल रहा। कांग्रेस और गहलोत के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हें ,जिसे हर हाल में कांग्रेस जीतना चाहती हें। 

गत चुनावो में दोनों दलों में भितरघात था मगर कांग्रेस ने समय रहते दिया ,भाजपा के भंडारी ने भाजपा के समीकरण तहस नहस कर लिए ,अमराराम चौधरी इसी कारन हार गए। भाजपा की गुटबाजी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के दौरे पर साफ़ दिखी। गुटबाजी के कारन और कार्यकर्ताओ के आक्रोश को चतुर्वेदी झेल नहीं पाए भाग खड़े हुए। पचपदरा में अमराराम का खासा प्रभाव हें ,आम आदमी की जिंदगी जीने वाले अमराराम आम लोगो के बीच हमेशा उपलब्ध रहे हें यही उनकी खाशियत हें। अमराराम पर गुडा विधायक के साथ कलबी जाति के मतदाताओ के क्रोस पेक्ट का आरोप भी हें जिसके चलते भाजपा बार बार गुडा से हार रही हें। पचपदरा से कांग्रेस की श्रीमती मदन कौर कई बार विधायक रही उनका भी खासा प्रभाव था। बाईजी के नाम से मशहूर मदन कौर ने पचपदरा में लगातार हार के बाद क्षेत्र छोड़ दिया था ,अब दस सालो से जिला प्रमुख हें। --

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