बाड़मेर में रिफायनरी की कोई संभावना नहीं दो साल तक
बाड़मेर। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी को लेकर कितनी ही बयान बाजियां करते रहे, लेकिन हकीकत में राजस्थान सरकार की ढिलाई के कारण ही रिफायनरी अटकी हुई है।रिफायनरी अगले दो साल तक लगने की कोई संभावना नहीं हें .
यह खुलासा बाड़मेर सांसद हरीश चौधरी द्वारा लोकसभा में पुछे गए एक प्रश्न के जवाब में हुआ, जिसमें केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेडडी ने रिफायनरी में देरी के राजस्थान सरकार को जिम्मेदार ठहराया। केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी के मामलें में ओएनजीसी को राजस्थान सरकार के सकारात्मक जवाब का इंतजार है।
बाड़मेर सांसद को लिखे पत्र में केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेडडी ने बताया कि राजस्थान सरकार ने रिफायनरी के संबध में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी भागीदारी, 15 वर्ष के लिए बिना ब्याज के ग्यारह सौ करोड़ रूपए के ऋण और कुछ अन्य शर्तो के संबध में अब तक सिद्वातंत: मंजूरी दी है, जबकि ओएनजीसी इस मामलें में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व सिद्वातंत: मंजूरी के बजाय केबिनेट मंजूरी का इंतजार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी के लिए साल 2010 में गठित त्रिपाठी कमेटी ने बाड़मेर में बड़ी रिफायनरी के बजाय 4.5 से 6 मिलीयन टन की रिफायनरी लगाने की बात कही थी। त्रिपाठी कमेटी की रिपोर्ट के बाद रिफायनरी की सबसे बड़ी भागीदार मानी जा रही ओएनजीसी ने बाड़मेर में 4.5 मिलीयन टन रिफायनरी के लिए इंजीनीयर्स इण्डिया लिमिटेड की टीम से तकनीकी रिर्पोट और भारतीय स्टेट बैंक से वित्तीय रिर्पोट मंगवायी। इस रिर्पोट के बाद ओएनजीसी को बाड़मेर में रिफायनरी लगाना घाटे का सौदा लगा, जिसके बाद कंपनी ने राजस्थान सरकार से रिफायनरी में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी भागीदारी, 15 वर्ष के लिए बिना ब्याज के ग्यारह सौ करोड़ रूपए के ऋण और कुछ अन्य जरूरतों के संबध में शर्त रखी।
ओएनजीसी का कहना है कि राजस्थान सरकार उसकी शर्तो पर सिद्वातंत: सहमत है, लेकिन इस मामलें में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व केबिनेट मंजूरी जरूरी है।
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