गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

*थार की चुनाव रणभूमि 2018* *जैसलमेर फकीर परिवार के अलावा किसी नेता की वंशवाद राजनीति का इतिहास नही*


*थार की चुनाव रणभूमि 2018*

*जैसलमेर फकीर परिवार के अलावा किसी नेता की वंशवाद राजनीति का इतिहास नही*

*बाड़मेर न्यूज ट्रैक*


जैसलमेंर की राजनीति में भी वंशवाद नही पनपा।।अलबत्ता अब गाज़ी फकीर और रूपाराम धनदे परिवार चुनावों में अपना प्रभाव रखते है।इन दो परिवारों में राजनीति की वंश बैल बढ़ रही है।।जबकि जेसलमेर विधायको में हुकुम सिंह दो बार विधायक बने,इनके परिवार से इनके पुत्र डॉ जितेंद्र सिंह तीन चुनाव लड़े एक बार जीते दो बार हारे।।इसके अलावा किशन सिंह भाटी,भोपाल सिंह ,छोटू सिंह भाटी,चन्द्रवीर सिंह भाटी,मुल्तानाराम बारूपाल,सांग सिंह ,गोवर्धन कल्ला के परिवार से कोई राजनीति में नही है इनके उत्राधिकारीं की गादी खा ली रही।।सरहद की राजनीति के खेवनहार मानें जाने वाली मुस्लिम धर्मगुरु गाज़ी फकीर के परिवार से पहले उनका भाई फतेह मोहम्मद,उनके पुत्र साले मोहम्मद,अब्दुला फकीर और अमरदीन फकीर राजनीति में सक्रिय रहे।।अब्दुला  फकीर जिला प्रमुख,साले मोहम्मद पोकरण से विधायक,और अमरदीन फकीर जेससलमेर प्रधान है।।फतेह मोहम्मद विधान सभा का चुनाव लड़े और हारे बाद में जिला प्रमुख बने।।

रूपाराम धनदे पिछले चुनाव से इन वक़्त पहले राजनीति में आये धूमकेतु की तरह छा गए।विधान सभा का चुनाव लड़ा नाममात्र वोट से हार गए।।इसके बाद पंचायत राज चुनाव में अपना दमखम दिखा अपनी पुत्री अंजना मेघवाल को जिला प्रमुख बनाया।।।

अंजना मेघवाल अपने सरल ,सहज स्वभाव और मृदुभाषी होने के कारण जिले में अपनी खास पहचान बना चुकी है।।अंजना भविष्य की राजनीति की धुरंधर है। इधर जिले की राजनीति अब तक गाज़ी फकीर परिवार पर आश्रित रही।।भाजपा हो या कांग्रेस हर पार्टी का नेता उनके यहां धोक देने जरूर जाता था। फ़क़ीर परिवार ने अपने राजनीति वर्चस्व को चुनोती देने वाले नेताओं का राजनीति केरियर खत्म कर दिया।।कोई बड़ा नेता जेसलमेर की धरती पर पनप नही  पाया।

अलबत्ता चन्द्रवीर सिंह जी भाटी मे बड़ी राजनीति संभावनाए दिखी मगर उनका निधन होने से रिक्तता चली आई।।चन्द्रवीर सिंह जिले की राजनीति में सिरमौर थे।चन्द्र वीर सिंह एक बार विधायक रहे दूसरी बार सांसद का चुनाव लड़ा।मगर सांसद चुनाव वो वृद्धि चंद जैन से हार गए।उनका अपना प्रभाव रहा।।उनके बाद उनकी धर्मपत्नी श्रीमती रेणुका भाटी राजनीति में सक्रिय रही।जिला प्रमुख बनी।।इससे आगे वो गुटबाज़ी के चलते बढ़ नही पाई।।रेणुका भाटी पढ़ी लिखी आधुनिक विकास की हिमायती थी ।राजनीति में उनके आगे बढ़ने से कई राजनेताओं का करियर चौपट हो जाता उन्हें आगे बढ़ने नही दिया।।

राजपरिवार से महारावल रघुनाथ सिंह जी सांसद रहे।।उनके बाद राजपरिवार से कोई राजनीति में नही आया।।अलबत्ता इस बार राजपरिवार की बहू महारानी रासेश्वरी राज्यलक्ष्मी चुनाव मैदान में है।।यह वंशवाद की राजनीति के दायरे में नही आता।।

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