रविवार, 6 अक्टूबर 2013

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

कड़ी टक्कर और दिलचस्प मुकाबला होगा बाड़मेर में कांग्रेस भाजपा में 

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर की सीट पर सभी की नज़ारे हें। विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ एक बार फिर हलचल शुरू हो गयी। बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में वाही उम्मीदवार जीतेगा जिसके पक्ष में जातिगत समीकरण होंगे ,बाड़मेर में कांग्रेस की और से वर्तमान विधायक मेवाराम जैन एकमात्र उम्मीदवार हें। कोई आकस्मिक बड़ा फेरबदल टिकट वितरण में न हो तो उनकी उम्मीदवारी तय हें ,मगर बाड़मेर के जाट नेता मुख्यालय की सीट अपने पास रखना चाहते हें। एन वक्त पर कांग्रेस जाट उम्मीदवार मैदान में उतर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। भाजपा के उम्मीदवार दावेदारों की लम्बी फ़ौज हें। बाड़मेर के कद्दावर नेता गंगाराम चौधरी की पौती डॉ प्रियंका चौधरी ,पिछला चुनाव हरी मृदुरेखा चौधरी ,राम सिंह बोथिया ,रतन लाल बोहरा ,मूलाराम भाम्भू ,अमिता चौधरी ,रणवीर सिंह भादू ,कैलाश बेनीवाल और भी कई नाम हें। मगर इनमे सबसे सशक्त दावेदारी डॉ प्रियंका चौधरी की हें। गंगाराम चौधरी की पौती होने के नाते उनकी दावेदारी वजनदार बनती हें साथ ही बाड़मेर सीट पर प्रियंका चौधरी ही कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हें। शेष उम्मीदवार मेवाराम जैन के सामने टिक नहीं पाएंगे ,गंगाराम का अपना प्रभाव था जो ग्रामीण अंचलो में आज भी बरकरार हें। 


कहने को जाट बेल्ट के आलावा भाजपा के परंपरागत वोट और कांग्रेस के असंतुष्ट के सहारे भाजपा को बाड़मेर से उम्मीद हें तो वर्तमान विधायक मेवाराम जैन कुछ क्षेत्रो में मजबूत हें मगर त्रिपन हज़ार मतों के साथ सबसे ज्यादा वोट जाटो के हें जो मेवाराम से इस बार छिटक सकते हें। गत चुनावो में भी मेवाराम के साथ कांग्रेस के गोर्धन सिंह और मुकनाराम गोरसिया सारथि बने थे ,बाकी कांग्रेसियों ने अपने आप को दूर रखा था। भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खुले आम थे। इन कार्यकर्ताओ में कुछ इस बार भाजपा की दावेदारी भी कर रहे हें। मेवार जैन को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए एडी से छोटी का जोर लगाना होगा साथ ही उन्हें हराने में जुटे प्रभावशाली लोगो पर भी नज़र रखनी होगी ,बाड़मेर में करीब राजपूत ,बीस हज़ार रावन राजपूत ,बारह हज़ार मुस्लिम ,दस से बारह हज़ार जैन ,तीस हज़ार अनुसूचित जाती जनजाति के थोक वोट हें। पिछले चुनावो की हर जीत का अंतर कोई ज्यादा न था बारह हज़ार वोट भाजपा को इधर उधर करने हें जीतने के लिए तो कांग्रेस उम्मीदवार को गंगाराम चौधरी की चुनावी रणनीति को सबसे पहले पार पाना होगा ,गंगाराम का राजनितिक जीवन अनुभव कांग्रेस प्रत्यासी की उम्र के बराबर हें ,गंगाराम हमेशा एक चुनावी रणनीति अपना कर चुनाव लडे और जीते ,उन्होंने दिग्गजों को आसानी से हराया हें। कांग्रेस उम्मीदवार दुआ करे उनके सामने गंगाराम परिवार न हो। भाजपा के लिए सबसे सशक्त उम्मीदवार प्रियंका हें। कांग्रेस प्रत्यासी अपने पांच साल के कार्यकाल का जवाब भी देंगे। चुनावो में कुछ उम्मीदवार अन्य दलों के उतरेंगे तो कुछ निर्दलीय भी लड़ेंगे जो दोनों दलों को नुकसान करेंगे


बाड़मेर विधायक के पक्ष में। बाड़मेर में गत पांच सालो में विकास कार्य खूब हुए ,ओवर ब्रिज ,नया बस स्टेंड ,विद्यालय ,स्वास्थ्य केंद्र ,,टाँके हेंड पम्प,जैसे कई काम विधायक के पक्ष में हें.


विपक्ष में। . स्थानान्तारानो में राजनीती ,गुटबाजी ,विभिन समाजो के साथ असामंजस्य ,आम आदमी को कम नहीं ,विधायक कोष से चहेतो को लाभ ,ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या का निदान नहीं ,जातिगत असंतुलित समीकरण ,नगर परिषद् कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप ,प्रभाव शाली व्यक्तियों का आर्थिक नुक्सान


भाजपा उम्मीदवार पक्ष में वसुंधरा राजे और नरेन्द्र मोदी की लोक प्रियता का फायदा ,जाट प्रत्यासी ,भाजपा के साथ अन्य समाजो का जुड़ना ,विधायक से व्यक्तिगत नाराज प्रभावी लोगो का समर्थन


विपक्ष में कमज़ोर संगठन ,नेतृत्व का आभाव ,गुटबाजी ,कार्यकर्ताओ से दुरी ,चार साल लोगो के बीच से नदारद ,आपसी मतभेद ,

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