थार की चुनावी धार बाड़मेर की राजनीती में महिलाओं की भागीदारी
एक मात्र महिला विधायक रही श्रीमती मदन कौर
बाड़मेर।महिला सशक्तिकरण के तमाम दावों के बावजूद सीमांत जिले में आधी आबादी को चुनावी भीड़ का हिस्सा ही बनाया जा रहा है। कांग्रेस भाजपा दोनों मुख्य दलों में महिला नेतृत्व का इतिहास कमजोर रहा हैऔर वर्तमान के भी यही हाल है।
जिले में करीब चौदह लाख मतदाताओं में से साढ़े छह लाख महिलाओं के वोट है। पंचायती राज में पचास प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होने से जिले में करीब साढ़े तीन सौ महिलाएं सरपंच, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य है। वार्ड पंच मिलाए जाए तो यह संख्या ढाई हजार के करीब होगी। इस सबके बावजूद विधानसभा में महिलाओं के नेतृत्व के रूप में एकमात्र श्रीमती मदनकौर सफल रही है।
भाजपा ने पिछली बार मृदुरेखा चौधरी को अवसर दिया लेकिन वे जीतने में असफल रही। इस बार बाड़मेर और शिव विधानसभा क्षेत्र के अलावा महिलाओं की दावेदारी किसी भी जगह सशक्त रूप से सामने नहीं आई है।बाड़मेर से डॉ प्रियंका चौधरी ,मृदुरेखा चौधरी , चौधरी तो शिव में शम्मा खान ने सशक्त दावेदारी पेश की हें।
महिला मतदाता
शिव- 101998
बाड़मेर- 90092
बायतु- 84679
पचपदरा- 85550
सिवाना- 92395
गुड़ामालानी- 87103
चौहटन- 100897
योग- 642714
इस बार दावेदारी
कांग्रेस-
- शम्माखान शिव से
-पचपदरा से शारदा चौधरी
- सिवाना से विजयलक्ष्मी राजपुरोहित
- चौहटन से गीता मेघवाल ( जैसा कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष फतेहखां ने बताया)
भाजपा
- बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, मृदुरेखा चौधरी और अमिता चौधरी एवं अन्यत्र से कोई नहीं(जैसा कि भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर पर्बतसिंह ने बताया)
पहली बार ऎसा-
-यह पहला अवसर है जब बाड़मेर में भाजपा में तीन महिलाएं दावेदारी में संघर्षरत है। ऎसा पहले कभी नहीं हुआ।
- कांग्रेस में मौजूदा विधायक और वक्फ मंत्री अमीनखां के सामने भी सशक्त दावेदारी में शम्माखान सामने आई है।
विधान सभा में अब तक
-1957 में बाड़मेर विधानसभा सीट से कांग्रेस की तरफ से श्रीमती रूकमणीदेवी पहली महिला ने राम राज्य परिषद के तनसिंह के सामने चुनाव लड़ा, लेकिन वे 4359 मतों से हार गई।
-1962 में पचपदरा विधानसभा की सीट पर कांग्रेस की श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय अमरसिंह के सामने चुनाव लड़ा और 2494 मतों से हारी।
-1967 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जनसंघ के चम्पालाल बांठिया को 17157 मतों से पराजित किया। जिले में पहली बार महिला को प्रतिनिधित्व मिला।
- 1972 में पचपदरा विधानसभा से कांग्रेस से श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय तेजसिंह को 2983 मतों से हराया।
-1977 में श्रीमती मदनकौर लगातार तीसरी बार पचपदरा से जीती, उन्होंने जनता पार्टी के चम्पालाल बांठिया को 2465 मतों से पराजित किया।
-1980 के मध्यावधि चुनाव में मदनकौर पचपदरा से कांगेस अर्स की प्रत्याशी बनी, इस बार कांग्रेस से अमराराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और वे जीत गए।
-1990 में गुड़ामालानी से श्रीमती मदनकौर ने जनता दल से चुनाव लड़ा,उन्होंने कांग्रेस इ के चैनाराम को 23527 मतों से पराजित किया।
-मदनकौर को 30 मई से 24 नवंबर 1990 तक भैरोसिंह शेखावत सरकार में वन मंत्री बनाया गया।
-1993 में मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा और वे हार गई।
-1998 में श्रीमती मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में निर्दलीय के रूप में बाड़मेर विधानसभा से पप्पूदेवी ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई
-2008 में श्रीमती मृदुरेखा चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन वे कांग्रेस के मेवाराम जैन से हार गई।
भीड़ के लिए महिलाएं
राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं को तवज्जां देना भी जरूरी है।जब भी राजनीतिक सभाएं होती है महिलाओं के लिए जगह आरक्षित रहती है। इसे भरने के लिए पूरी कोशिश होती है। जैसे ही सभा खत्म महिलाओं को तमाम राजनीतिक दल भूल जाते है।
महिलाओं से जुड़े मुद्दे-
- महिला सुरक्षा,चिकित्सा एवं शिशु अस्पताल
- महिला महाविद्यालयों की स्थापना
- महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध
-डेयरी और कृषि में महिलाओं को रोजगार
- महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण
जिले में क्या स्थिति-
- जिले में बाड़मेर बालोतरा के अलावा कहीं महिला रोग विशेषज्ञ नहीं
- सड़क किनारे के विद्यालयों के अलावा महिला शिक्षिकाएं नहीं
-महिला अधिकारी जिले मे बहुत कम
- महिलाओं की पुलिस में नफरी भी कम
-महिला साक्षरता व शिक्षा में पिछड़ापन
- गांवों में आठवीं और दसवीं उत्तीर्ण महिलाएं मिलना मुश्किल
जिले की स्थिति
जिला परिषद सदस्य
37 में से 18 महिलाएं
पंचायत समिति सदस्य
पं स सदस्य महिलाएं
सिवाना 25 11
धोरीमन्ना 25 16
बाड़मेर 23 14
चौहटन 23 12
सिणधरी 23 11
बालोतरा 27 16
शिव 17 09
बायतु 21 12
योग 184 101
पंस सरपंच महिला
बालोतरा 54 30
बायतु 47 23
बाड़मेर 50 29
चौहटन 51 30
सिवाना 40 21
शिव 45 26
सिणधरी 46 27
धोरीमन्ना 47 26
योग 380 212
नगरपरिषद बाड़मेर
40 में से 21
नगर परिष्ाद बालोतरा
35 महिला 10
मुश्किल है राजनीति।।मदन कौर
आप राजनीति में कैसे आई-
डॉक्टर बनना चाहती थी। मेरे पिताजी के साथ सामाजिक कार्यो से जुड़ी थी। कॉलेज के जमाने में 1954 में कांग्रेस से जुड़ गई । सामाजिक कार्य के चलते ही 1956 में बालेसर मे पंचायती राज में सदस्य बनी। इसके बाद विधानसभा और अब 78 वर्ष की हो गई हूं, इस राजनीति में।
राजनीति में महिलाएं क्यों अभी तक पीछे है- शिक्षा कमी है। मुश्किल क्षेत्र है। अनिश्चितता और संघर्ष है।पढ़ी लिखी महिलाएं भी इसमें नहीं आना चाहती।यह रूचि का क्षेत्र है।
अब महिलाओं के लिए माहौल कैसा है- अब राजनीति साफ सुथरी नहीं रही। बहुत पैसा खर्चहोता है। कई संघर्ष है।यह रूचि पर निर्भर है। मैं भी सोचती हूं अब राजनीति करना मुश्किल हो गया है।
महिलाओं का नेतृत्व करती है चित्रा सिंह
भाजपा ने वर्ष 2004 में एक नवाचार हुआ।भाजपा के सांसद प्रत्याशी मानवेन्द्रसिंह की धर्मपत्नी श्रीमती चित्रासिंह महिलाओं के वोट जुटाने के लिए प्रचार प्रसार को पहुंची।उन्होंने गांव गांव सभाएं की।मानवेन्द्र को इस चुनाव में बड़ी जीत मिली।तब से चित्रासिंह भाजपा में किसी पद पर तो नहीं हैलेकिन सक्रिय रहते हुए भाजपा में महिलाओं की अनौपचारिक कमान संभाले हुए है।
महिलाओं को नहीं जोड़ा जाता-
महिलाओं की आमतौर पर शिकायत रहती है कि उनको जोड़ने में कमी रहती है।महिला को नेतृत्व मिलना चाहिए।आधी आबादी है। उनकी अपनी समस्याएं और शिकायतें।बाड़मेर क्षेत्र में महिलाएं महिला को ही सहज रूप से अपनी बात कह पाती है।मैं तो हमेशा ठोस पैरवी करती हूं कि महिला को टिकट दिया जाए। - चित्रासिंह --
डॉ प्रियंका चौधरी पेशे से चिकित्सक डॉ प्रियंका से तालुक रखती हें। जाट नेता गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका समाज सेवा और बाड़मेर के विकास का जज्बा राजनीती में उतारी हें।
एक मात्र महिला विधायक रही श्रीमती मदन कौर
बाड़मेर।महिला सशक्तिकरण के तमाम दावों के बावजूद सीमांत जिले में आधी आबादी को चुनावी भीड़ का हिस्सा ही बनाया जा रहा है। कांग्रेस भाजपा दोनों मुख्य दलों में महिला नेतृत्व का इतिहास कमजोर रहा हैऔर वर्तमान के भी यही हाल है।
जिले में करीब चौदह लाख मतदाताओं में से साढ़े छह लाख महिलाओं के वोट है। पंचायती राज में पचास प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होने से जिले में करीब साढ़े तीन सौ महिलाएं सरपंच, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य है। वार्ड पंच मिलाए जाए तो यह संख्या ढाई हजार के करीब होगी। इस सबके बावजूद विधानसभा में महिलाओं के नेतृत्व के रूप में एकमात्र श्रीमती मदनकौर सफल रही है।
भाजपा ने पिछली बार मृदुरेखा चौधरी को अवसर दिया लेकिन वे जीतने में असफल रही। इस बार बाड़मेर और शिव विधानसभा क्षेत्र के अलावा महिलाओं की दावेदारी किसी भी जगह सशक्त रूप से सामने नहीं आई है।बाड़मेर से डॉ प्रियंका चौधरी ,मृदुरेखा चौधरी , चौधरी तो शिव में शम्मा खान ने सशक्त दावेदारी पेश की हें।
महिला मतदाता
शिव- 101998
बाड़मेर- 90092
बायतु- 84679
पचपदरा- 85550
सिवाना- 92395
गुड़ामालानी- 87103
चौहटन- 100897
योग- 642714
इस बार दावेदारी
कांग्रेस-
- शम्माखान शिव से
-पचपदरा से शारदा चौधरी
- सिवाना से विजयलक्ष्मी राजपुरोहित
- चौहटन से गीता मेघवाल ( जैसा कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष फतेहखां ने बताया)
भाजपा
- बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, मृदुरेखा चौधरी और अमिता चौधरी एवं अन्यत्र से कोई नहीं(जैसा कि भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर पर्बतसिंह ने बताया)
पहली बार ऎसा-
-यह पहला अवसर है जब बाड़मेर में भाजपा में तीन महिलाएं दावेदारी में संघर्षरत है। ऎसा पहले कभी नहीं हुआ।
- कांग्रेस में मौजूदा विधायक और वक्फ मंत्री अमीनखां के सामने भी सशक्त दावेदारी में शम्माखान सामने आई है।
विधान सभा में अब तक
-1957 में बाड़मेर विधानसभा सीट से कांग्रेस की तरफ से श्रीमती रूकमणीदेवी पहली महिला ने राम राज्य परिषद के तनसिंह के सामने चुनाव लड़ा, लेकिन वे 4359 मतों से हार गई।
-1962 में पचपदरा विधानसभा की सीट पर कांग्रेस की श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय अमरसिंह के सामने चुनाव लड़ा और 2494 मतों से हारी।
-1967 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जनसंघ के चम्पालाल बांठिया को 17157 मतों से पराजित किया। जिले में पहली बार महिला को प्रतिनिधित्व मिला।
- 1972 में पचपदरा विधानसभा से कांग्रेस से श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय तेजसिंह को 2983 मतों से हराया।
-1977 में श्रीमती मदनकौर लगातार तीसरी बार पचपदरा से जीती, उन्होंने जनता पार्टी के चम्पालाल बांठिया को 2465 मतों से पराजित किया।
-1980 के मध्यावधि चुनाव में मदनकौर पचपदरा से कांगेस अर्स की प्रत्याशी बनी, इस बार कांग्रेस से अमराराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और वे जीत गए।
-1990 में गुड़ामालानी से श्रीमती मदनकौर ने जनता दल से चुनाव लड़ा,उन्होंने कांग्रेस इ के चैनाराम को 23527 मतों से पराजित किया।
-मदनकौर को 30 मई से 24 नवंबर 1990 तक भैरोसिंह शेखावत सरकार में वन मंत्री बनाया गया।
-1993 में मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा और वे हार गई।
-1998 में श्रीमती मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में निर्दलीय के रूप में बाड़मेर विधानसभा से पप्पूदेवी ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई
-2008 में श्रीमती मृदुरेखा चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन वे कांग्रेस के मेवाराम जैन से हार गई।
भीड़ के लिए महिलाएं
राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं को तवज्जां देना भी जरूरी है।जब भी राजनीतिक सभाएं होती है महिलाओं के लिए जगह आरक्षित रहती है। इसे भरने के लिए पूरी कोशिश होती है। जैसे ही सभा खत्म महिलाओं को तमाम राजनीतिक दल भूल जाते है।
महिलाओं से जुड़े मुद्दे-
- महिला सुरक्षा,चिकित्सा एवं शिशु अस्पताल
- महिला महाविद्यालयों की स्थापना
- महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध
-डेयरी और कृषि में महिलाओं को रोजगार
- महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण
जिले में क्या स्थिति-
- जिले में बाड़मेर बालोतरा के अलावा कहीं महिला रोग विशेषज्ञ नहीं
- सड़क किनारे के विद्यालयों के अलावा महिला शिक्षिकाएं नहीं
-महिला अधिकारी जिले मे बहुत कम
- महिलाओं की पुलिस में नफरी भी कम
-महिला साक्षरता व शिक्षा में पिछड़ापन
- गांवों में आठवीं और दसवीं उत्तीर्ण महिलाएं मिलना मुश्किल
जिले की स्थिति
जिला परिषद सदस्य
37 में से 18 महिलाएं
पंचायत समिति सदस्य
पं स सदस्य महिलाएं
सिवाना 25 11
धोरीमन्ना 25 16
बाड़मेर 23 14
चौहटन 23 12
सिणधरी 23 11
बालोतरा 27 16
शिव 17 09
बायतु 21 12
योग 184 101
पंस सरपंच महिला
बालोतरा 54 30
बायतु 47 23
बाड़मेर 50 29
चौहटन 51 30
सिवाना 40 21
शिव 45 26
सिणधरी 46 27
धोरीमन्ना 47 26
योग 380 212
नगरपरिषद बाड़मेर
40 में से 21
नगर परिष्ाद बालोतरा
35 महिला 10
मुश्किल है राजनीति।।मदन कौर
आप राजनीति में कैसे आई-
डॉक्टर बनना चाहती थी। मेरे पिताजी के साथ सामाजिक कार्यो से जुड़ी थी। कॉलेज के जमाने में 1954 में कांग्रेस से जुड़ गई । सामाजिक कार्य के चलते ही 1956 में बालेसर मे पंचायती राज में सदस्य बनी। इसके बाद विधानसभा और अब 78 वर्ष की हो गई हूं, इस राजनीति में।
राजनीति में महिलाएं क्यों अभी तक पीछे है- शिक्षा कमी है। मुश्किल क्षेत्र है। अनिश्चितता और संघर्ष है।पढ़ी लिखी महिलाएं भी इसमें नहीं आना चाहती।यह रूचि का क्षेत्र है।
अब महिलाओं के लिए माहौल कैसा है- अब राजनीति साफ सुथरी नहीं रही। बहुत पैसा खर्चहोता है। कई संघर्ष है।यह रूचि पर निर्भर है। मैं भी सोचती हूं अब राजनीति करना मुश्किल हो गया है।
महिलाओं का नेतृत्व करती है चित्रा सिंह
भाजपा ने वर्ष 2004 में एक नवाचार हुआ।भाजपा के सांसद प्रत्याशी मानवेन्द्रसिंह की धर्मपत्नी श्रीमती चित्रासिंह महिलाओं के वोट जुटाने के लिए प्रचार प्रसार को पहुंची।उन्होंने गांव गांव सभाएं की।मानवेन्द्र को इस चुनाव में बड़ी जीत मिली।तब से चित्रासिंह भाजपा में किसी पद पर तो नहीं हैलेकिन सक्रिय रहते हुए भाजपा में महिलाओं की अनौपचारिक कमान संभाले हुए है।
महिलाओं को नहीं जोड़ा जाता-
महिलाओं की आमतौर पर शिकायत रहती है कि उनको जोड़ने में कमी रहती है।महिला को नेतृत्व मिलना चाहिए।आधी आबादी है। उनकी अपनी समस्याएं और शिकायतें।बाड़मेर क्षेत्र में महिलाएं महिला को ही सहज रूप से अपनी बात कह पाती है।मैं तो हमेशा ठोस पैरवी करती हूं कि महिला को टिकट दिया जाए। - चित्रासिंह --
डॉ प्रियंका चौधरी पेशे से चिकित्सक डॉ प्रियंका से तालुक रखती हें। जाट नेता गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका समाज सेवा और बाड़मेर के विकास का जज्बा राजनीती में उतारी हें।
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