बुधवार, 24 सितंबर 2014

बाड़मेर आखिर प्लेसमेंट एजेंसी को काम से क्यों रोका ?शिविर बंद किये।

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग खबरों  से घबराए। .

बाड़मेर आखिर प्लेसमेंट एजेंसी को काम से क्यों रोका ?शिविर बंद किये।

बाड़मेर जिले के स्वास्थ्य विभाग में फैले भरष्टाचार की www.bmrnewstrack.blogspot.com में प्रकाशित सिलसिलेवार खबरों के बाद जयपुर से आई विशेष जांच से खौफ खाए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने आनन फानन में नए कार्य रोक दिए ,जिसमे आशा सहयोगिनी प्रशिक्षण और प्लेसमेंट एजेंसी का काम प्रमुख हैं.

 आशा सहयोगिनी प्रशिक्षण शिविरो में धांधलेबाजी की खबर    www.bmrnewstrack.blogspot.com में प्रकाशित होने के बाद प्रशिक्षण शिविर जो विभागीय कार्मिक के घर संचालित किया जा रहा था को तत्काल बंद कर दिया ,जबकि विभागीय अधिकारियो ने दावा  किया था कि  प्रशिक्षण नियमानुसार चल रहा हैं ,सवाल उठता हे की यदि प्रशिक्षण शिविरो में कोई भरष्टाचार नहीं था तो उसे बिना कोई पूर्व सूचना के बंद क्यों किया ,सम्बंधित अधिकारी का कहना हे की यूँही बंद कर दिया। सरकारी योजना का काम यूँही बीच में बंद करने से विभागीय कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए ,हैं प्रशिक्षण बंद कर अधिकारी भरष्टाचार पर पर्दा डालने का असफल प्रयास कर रहे हैं ,

जानकारी के अनुसार इसी तरह प्लेसमेंट एजेंसी को गलत तरीके से करोडो का कार्य आवंटन भी विभाग ने रोक दिया ,विभाग द्वारा  यह कार्य बालोतरा की एक संस्था को स्थानीय सांसद की अनुसंशा पर नियमो को ताक में रख कर दिया था ,जबकि इस प्लेसमेंट एजेंसी का रोजगार निदेशालय में पंजीयन 2010 को समाप्त हो चूका था ,जबकि विभागीय अधिकारियो ने नियम कायदे ताक  पर रख  एजेंसी को काम आवंटित कर दिया था ,समाचार प्रकाशन के तुरंत बाद विभाग द्वारा प्लेसमेंट एजेंसी के मूल दस्तावेज मांगे थे जो विभाग को उपलब्ध नहीं कराये गए ,विभाग ने एजेंसी को फ़िलहाल कार्य करने से रोक दिया हैं।

इधर विभाग पर उंगलिया उठ रही हैं की निविदा के समय विभाग द्वारा समस्त दस्तावेज एजेंसियों से पूर्व में ही ले लिए गए थे ,जबकि यह एजेंसी पिछले तीन सालो से विभाग में कार्मिको की मिलीभगत से नियम विरुद्ध कार्य कर रही थी ,गत वर्ष प्लेसमेंट एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराये कार्मिको ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से प्लेसमेंट एजेंसी की शिकायत की थी कि रोजगार के बदले एजेंसी उन्हें मिलने वाले मानदेय में से दो दो हज़ार रुपये सुविधा शुल्क के कटती हे जिस पर एजेंसी के खिलाफ कार्यवाही भी प्रस्तावित की थी मगर बाद में कार्मिको की मिलीभगत से मामले को दबा दिया गया ,इस बार फिर इसी एजेंसी को राजनैतिक दबाव में कार्य आवंटित कर दिया ,अब जबकि जयपुर निदेशालय द्वारा जांच शुरू की जा चुकी हे विभाग ने आनन फानन में कार्य रोक दिए ,

सवाल उठता हे की जब कार्यो में भरष्टाचार नहीं हुआ तो कार्य तत्काल क्यों रोके गए ,इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए  


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