शनिवार, 16 मार्च 2013

कलेक्टर को गुमराह कर लाखो रुपयों का आवंटन किया रिश्तेदारों की संस्था को आयुक्त ने

कलेक्टर को गुमराह कर लाखो रुपयों का आवंटन किया रिश्तेदारों की संस्था को आयुक्त ने

बाड़मेर नगर परिषद् बाड़मेर भरष्टाचार का अड्डा बन गया ,आयुक्त से लेकर कर्मचारी बेखौफ होकर सरकारी योजनाओ को चुना लगा रहे हें .स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना में कलेक्टर को गुमराह कर आयुक्त ने अपने गृह जिले की संस्थाओ को लाखो रुपयों का फायदा पहुँचाया .आयुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय के जांच आदेशो की परवाह किये बिना अपने गृह जिले की स्वजातीय संस्था सहिक कई बेनामी संस्थाओ को कार्य आवंटित किया जबकि इस संस्थाओ का सी एस डी की बैठक में अनुमोदन नहीं हें .नगर परिषद् बाड़मेर द्वारा जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता में जनवरी माह में डूडा की बैठक का आयोजन कर स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के तहत संस्थाओ के चयन का अनुमोदन किया गया था .उक्त बैठक में मात्र दो संस्थाओ का अनुमोदन जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा किया गया था .जबकि इसके बाद आयुक्त नगर परिषद् और दुदा के सचिव द्वारा कुछ संस्थाओ से मिली भगत कर इस सूचि में चार नै संस्थाओ को जोड़ा गया जिसमे आयुक्त के गृह नगर गंगानगर जिले की एक संस्था शामिल हें ,कुछ संस्थाओ को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से आयुक्त नगर परिषद् तथा डूडा के सचिव द्वारा नियमो के विरुद्ध श्रीमान को गुमराह कर लगभग स्तर लाख रुपये के कार्य आवंटन किये गए .आश्चर्यजनक पहलु हें की डूडा की बैठक में बिना अनुमोदन के बिना मानदंड के इन संस्थाओ को घर से बुलाकर कार्य दिया गया जबकि बाड़मेर जिले में राष्ट्रीय स्तर की तीस से अधिक संस्थाए कार्य कर रही हें ,सबसे बड़ी बात नगर परिषद् द्वारा संस्थाओ से इस कार्य हेतु आमंत्रित करने के लिए निविदा का प्रकाशन समाचार पत्रों में नहीं किया .आयुक्त के रिश्तेदारों की संस्था को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से सरकारी योजना को चुना लगाया गया .इस बारे में आपको पूर्व में भी सूचित किया गया था की नगर परिषद् के आयुक्त और कार्मिको की संस्थाओ के साथ मिलीभगत हे काम करने वाली स्थानीय संस्थाओ को दरकिनार कर रेड्डी संस्था को काम गत पांच सालो से दिया जा रहा हें ,इस संस्था द्वारा काम भी नहीं किया जाता मिलीभगत और आपसी बाँट के चलते भुगतान उठा लिया जाता हें ,इस बार भी यही .इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा पंचायत राज सचिव को जांच के आदेश भी दिए गए थे ,मगर आयुक्त द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशो की अनदेखी कर नियमो के विरुद्ध अपनी मनमर्जी से चहेती संस्थाओ को कार्य आवंटित किया हें .उक्त प्रकरण की प्रशासनिक अधिकारी से तत्काल जांच करा कार्य आवंटन पर रोक लगाई जाये तथा आयुक्त और कार्मिको के खिलाफ सरकारी राशी के दुरूपयोग पर नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाए .ग्रुप फॉर पीपुल्स ने इस आशय का ज्ञापन जिला कलेक्टर तथा मुख्यमंत्री को भेजा हें

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