फीकी पड़ रही चंग की रंगत थार में
ओम प्रकाश सोनी
बालोतरा। होली पर्व को लेकर बालोतरा में फाग की मस्ती को दुगुना करने वाले वाद्य यंत्र चंग कर ब्रिकी जोरोे पर है। शहर में चंग विक्रेताओ की दुकानो पर चंग खरीदने वाले लोगो की भीड़ उमड़ रही है। बाजार में मांग के अनुसार पांच सो रूपये से लेकर दो हजार रूपयो के चंग उपलब्ध है। विषेषकर ग्रामीण इलाको में होली पर चंग की थाप पर फाग गाने की प्रथा ओर रवायतो को लोग जीवीत रखे हुये है। इस बार मंहगाई की मार चंग पर भी दिखने लगी है। चंग को बनाने का वर्षो से काम करते आ रहे लोग बताते है कि आधुनिक संगीत यंत्रो ओर डीजे आदि के सामने चंग ओर ढोल जेसे परम्परागत वाद्य यंत्रो की चमक फीकी पड़ने लगी है। चंग बनाने में मेहनत बहुत लगती है पर मुनाफा नाम मात्र का होता है। मंहगाई की मार से चंग की किमते भी बढ गई है। चंग खरीदने आने वाले लोगो को चंग की उची कीमत एक बार खरीद करने से पहले सोचने को मजबूर करती है। चंग के निर्माताओ को कहना है कि वर्ष दर वर्ष चंग की बिक्री में कमी आ रही है। ऐसे में आने वाले समय में होली की मस्ती ओर चंग की थाप का आने वाली पीढी आनंद ही नही ले पायेगी।
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बालोतरा। होली पर्व को लेकर बालोतरा में फाग की मस्ती को दुगुना करने वाले वाद्य यंत्र चंग कर ब्रिकी जोरोे पर है। शहर में चंग विक्रेताओ की दुकानो पर चंग खरीदने वाले लोगो की भीड़ उमड़ रही है। बाजार में मांग के अनुसार पांच सो रूपये से लेकर दो हजार रूपयो के चंग उपलब्ध है। विषेषकर ग्रामीण इलाको में होली पर चंग की थाप पर फाग गाने की प्रथा ओर रवायतो को लोग जीवीत रखे हुये है। इस बार मंहगाई की मार चंग पर भी दिखने लगी है। चंग को बनाने का वर्षो से काम करते आ रहे लोग बताते है कि आधुनिक संगीत यंत्रो ओर डीजे आदि के सामने चंग ओर ढोल जेसे परम्परागत वाद्य यंत्रो की चमक फीकी पड़ने लगी है। चंग बनाने में मेहनत बहुत लगती है पर मुनाफा नाम मात्र का होता है। मंहगाई की मार से चंग की किमते भी बढ गई है। चंग खरीदने आने वाले लोगो को चंग की उची कीमत एक बार खरीद करने से पहले सोचने को मजबूर करती है। चंग के निर्माताओ को कहना है कि वर्ष दर वर्ष चंग की बिक्री में कमी आ रही है। ऐसे में आने वाले समय में होली की मस्ती ओर चंग की थाप का आने वाली पीढी आनंद ही नही ले पायेगी।
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