नई दिल्ली: भारत विविधताओं भरा देश है जहां अजूबों और आश्चर्यों की कमी नहीं है। देश के लगभग हर राज्य में ऐसी ही खूबियां पाई जाती हैं। राजपूताना विरासत के अपने में समेटे राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। राजस्थान को भारत की आन और राजपूतों की शान माना जाता हैं। इसी राज्य में गुलाबी शहर के बीचों बीच बना हवा महल अपनी सुंदरता और अनोखी डिजाइन के कारण सबको आकर्षित करता है।
यह क्या आप जानते है कि इस हवामहल में ऐसा क्या है जो आज भी लोगों और वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। हवा महल को वास्तुकारों ने लाल चंद ने डिजाइन किया था। यह महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। लेकिन क्या इस बारें में जानते है कि यह इस इमारत में ऐसा क्या है जो एक शोध का विषय बना हुआ है। जिसके बारें में आज तक कोई भी ठीक से नही बता पाया है। जानिए ऐसा क्या खास है इस महल में।
हवामहल के नाम में छुपा एक मतलब
हवामहल का मतलब है कि हवाओं की एक जगह। यानी कि यह एक ऐसी अनोखी जगह है, जो पूरी तरह से ठंडा रहता है। हवामहल को साल 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इस पांच मंजिला इमारत को बहुत ही अनोखे ढंग से बनाया गया है।
यह ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़ी है और बाहर से देखने में किसी मधुमक्खी के छत्ते के समान दिखती है। इस हवामहल में 953 छोटी खिड़कियां हैं जिससे ठंडी और ताजी हवा आती रहती है। जिसके कारण यह जगह बिल्कुल ठंडी रहती है।
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हवामहल को डिजाइन करने वाला कौन था
राजस्थान का मौजूद पिक सिटी जे अपने ही इमारतों और धरोहरों के लिए फेमस हैं। इन्ही में से एक है हवा महल। जो अपनी खूबसूरती और खासियत के कारण दुनिया में मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते है इस अनोखे महल को किसने डिजाइन किया है। तो हम आपको बता दें कि इस अनोखे और खूबसूरत महल को लाल चंद्र उस्ताद ने किया था।
हवामहल की डिजाइन के पीछें क्या है खास
जब महाराज सवाई प्रताप सिंह इस हवामहल को बनवाने का मन हुआ तो उन्होनें वास्तुकार लाल चंद्र उस्ताद को बुलाया और उन्होनें इस महल की डिजाइन इस तरह बनाई जो कभी सोची भी नही जा सकती थी। इसकी डिजाइन हिंदू धर्म के भगवान श्री कृष्ण के राजमुकुट जैसी बनी थी। ऐसा बाहर से देखने में लगता है।
हवामहल में ऊपर की मंजिल में जाने के लिए कोई सीढ़ी नहीं-
आपको यह जान कर अचंभा होगा कि पांच मंजिला बनी इस इमारत को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसमें ऊपर की मंजिल में जाने के लिए एक भी सीढ़ियां नहीं बनी हुई है। अगर आपको सबसे ऊपर की मंजिल में जाना है तो सिर्फ रैंप बने हुए हैं।
हवामहल को बनाने के पीछे क्या कारण था?
हवा महल को देखकर हमारे मन में एक सवाल जरुर आता है कि आखिर इसे किस मकसद के लिए बनवाया, तो हम आपको बता दें कि इसके पीछें क्या कारण था। इस महल को राजपूत की रानियां और राजकुमारियां इन झरोखों में बैठकर विशेष मौकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को देख सकें। राजपूत के समय में यह नही था कि उनके महल की कोई स्त्री घर से बाहर निकले। जिसके कारण यह बनवाया गया।
यह है दुनिया की सबसे बड़ी बिना नीव की इमारत
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह इमारत बिना किसी नीव की बनी हुई है। जो अपने आप पर एक अजूबा है। यह दुनिया की सबसे बड़ी बिना नीव की इमारत मानी जाती हैं।
हवामहल में पांच मंजिला होने के कारण यह 87 डिग्री कोण में बना हुआ है। जो एक आश्चर्य हैं।
वामहल है राजपूत और मुगल कला का बेजोड़ नमूना-
हवामहल सबसे ज्यादा अपनी संस्कृति और इसकी डिजाइन के कारण फेमस है। हवामहल राजपूत और मुगलकला का बेजोड़ नमूना है। इस महल में आपको राजपूत का नमूना यहां कि गुंबददार छत, कमल, और फूलों में मिल जाएगा। वही मुगल का नमूना आपको मेहराव और यहां पर की गई बारीक नक्काशी में में मिल जाएगा।
हवामहल में की गई डिजाइन है मधुमक्खी के छत्तें की तरह-
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि इस महल में 953 खिड़कियां है जिन्हें झरोखा कहा गया है। जो भीषण गर्मी पडने पर भी ठंडा रहता है। जैसे कि किसी एयर कंडीशनर कमरें में बैठे हो। इसकी डिजाइन इस तरह बनाई गई है जैसे कि मधुमक्खी का कोई छत्ता बना हो।
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