सिकंदर अली भुट्टो |
एक महिला को उसके पति से बचाने की कोशिश करने वाले पाकिस्तानी पत्रकार व मानवाधिकार कार्यकर्ता सिकंदर अली भुट्टो को सिंध प्रांत की एक पंचायत ने मौत की सजा सुनाई है। पंचायत ने सजा में कहा है कि सिकंदर को भूखे कुत्तों के सामने उनका पेट भरने के लिए फेंक दिया जाए। सिकंदर अली ने उस औरत का पक्ष लिया था, जिसे उसके पति ने निर्ममता से पीटकर मार डाला था। 15 मार्च को सिंध प्रांत की पंचायत ने उन्हें यह सजा सुनाई है। ताजा मिली जानकारी के मुताबिक सिकंदर अभी जिंदा हैं और उन्होंने कराची में अपने किसी दोस्त के यहां शरण ली हुई है।
सिकंदर अली भुट्टो पाकिस्तान के दहरकी और घोतकी (सिंध प्रांत) के जाने माने पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा वह दहरकी प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष हैं जो पाकिस्तान प्रेस क्लब से संबद्ध है। वह वन टीवी नाम के एक चैनल के संवाददाता भी हैं।
इस मामले की शुरुआत पिछले वर्ष के 7 दिसंबर को हुई। दहरकी के मौला अलकुतुब कस्बे में शहनाज भुट्टो नाम की एक महिला को उसके पति राना भुट्टो और उसके भाइयों ने पीट-पीटकर मार डाला था। वह महिला अपने पति के अवैध संबंधों और घर में लगातार हो रही उसकी बेइज्जती का विरोध कर रही थी। वहीं उक्त महिला के पति का आरोप है कि उसके सिकंदर अली भुट्टो से अवैध संबंध थे जिसकी वजह से सिकंदर अली उसकी मदद कर रहे थे।
शहनाज की हत्या करने के लिए मौला अलकुतुब में दस हथियारबंद लोग गए थ। बताते हैं कि यह सभी पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सदस्य थे। इनका यह भी आरोप है कि सिकंदर अली शहनाज की मदद से उनकी प्रॉपर्टी भी कब्जाने की कोशिश कर रहे थे। इस हत्याकांड में अभी तक राना भुट्टो, राना की दूसरी मां का बेटा अब्दुल मजीद गिरफ्तार किए गए हैं।
शहनाज भुट्टो कई वर्षों से घरेलू हिंसा का शिकार हो रही थीं। इसकी शिकायत उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, सिंध प्रांत पुलिस के आईजी, वहां के हाईकोर्ट सहित दर्जनों जगहों पर की हुई थी। उन्होंने शिकायत में कहा था कि न सिर्फ उनका पति उन्हें पीटता था, बल्कि उसके देवर भी गाहे बगाहे उसकी पिटाई किया करते थे। हालांकि वर्ष 2009 में वहां की पंचायत ने फैसला दिया था कि शहनाज का पति राना भुट्टो उसकी पिटाई नहीं करेगा। इसके बावजूद शहनाज की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उसने उसकी पिटाई चालू रखी।
पत्रकार व मानवाधिकार कार्यकर्ता सिकंदर अली भुट्टो ने यह मामला वहां की अदालत से लेकर सरकारी अधिकारियों के सामने उठाया। इसके अलावा उन्होंने शहनाज की मुकदमा फाइल करने में भी मदद की। बाद में जब हत्यारों ने शहनाज की हत्या कर दी, तो उन्होंने हत्या को जायज ठहराने के लिए शहनाज व सिकंदर में नाजायज संबंधों का आरोप लगाया। इसके बाद वहां के हाईकोर्ट ने सिकंदर को सुरक्षा दिए जाने के आदेश दिए। तब से सिकंदर छुपे हुए हैं और उनके परिवार को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। सिकंदर का कहना है कि उनकी हत्या करने वाले लोग उनसे दो लाख रुपये के बदले उनकी जान बख्शने की डील कर रहे हैं।
पूरे मामले में लोकल पुलिस का रोल भी संदिग्ध है। अदालती आदेश के बावजूद पुलिस ने सिकंदर को सुरक्षा नहीं मुहैया कराई है। इसके अलावा जिस पंचायत ने सिकंदर को भूखे कुत्तों के सामने फेंकने का हुक्म सुनाया, उसके खिलाफ भी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है।
सिकंदर अली भुट्टो पाकिस्तान के दहरकी और घोतकी (सिंध प्रांत) के जाने माने पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। इसके अलावा वह दहरकी प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष हैं जो पाकिस्तान प्रेस क्लब से संबद्ध है। वह वन टीवी नाम के एक चैनल के संवाददाता भी हैं।
इस मामले की शुरुआत पिछले वर्ष के 7 दिसंबर को हुई। दहरकी के मौला अलकुतुब कस्बे में शहनाज भुट्टो नाम की एक महिला को उसके पति राना भुट्टो और उसके भाइयों ने पीट-पीटकर मार डाला था। वह महिला अपने पति के अवैध संबंधों और घर में लगातार हो रही उसकी बेइज्जती का विरोध कर रही थी। वहीं उक्त महिला के पति का आरोप है कि उसके सिकंदर अली भुट्टो से अवैध संबंध थे जिसकी वजह से सिकंदर अली उसकी मदद कर रहे थे।
शहनाज की हत्या करने के लिए मौला अलकुतुब में दस हथियारबंद लोग गए थ। बताते हैं कि यह सभी पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सदस्य थे। इनका यह भी आरोप है कि सिकंदर अली शहनाज की मदद से उनकी प्रॉपर्टी भी कब्जाने की कोशिश कर रहे थे। इस हत्याकांड में अभी तक राना भुट्टो, राना की दूसरी मां का बेटा अब्दुल मजीद गिरफ्तार किए गए हैं।
शहनाज भुट्टो कई वर्षों से घरेलू हिंसा का शिकार हो रही थीं। इसकी शिकायत उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, सिंध प्रांत पुलिस के आईजी, वहां के हाईकोर्ट सहित दर्जनों जगहों पर की हुई थी। उन्होंने शिकायत में कहा था कि न सिर्फ उनका पति उन्हें पीटता था, बल्कि उसके देवर भी गाहे बगाहे उसकी पिटाई किया करते थे। हालांकि वर्ष 2009 में वहां की पंचायत ने फैसला दिया था कि शहनाज का पति राना भुट्टो उसकी पिटाई नहीं करेगा। इसके बावजूद शहनाज की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए उसने उसकी पिटाई चालू रखी।
पत्रकार व मानवाधिकार कार्यकर्ता सिकंदर अली भुट्टो ने यह मामला वहां की अदालत से लेकर सरकारी अधिकारियों के सामने उठाया। इसके अलावा उन्होंने शहनाज की मुकदमा फाइल करने में भी मदद की। बाद में जब हत्यारों ने शहनाज की हत्या कर दी, तो उन्होंने हत्या को जायज ठहराने के लिए शहनाज व सिकंदर में नाजायज संबंधों का आरोप लगाया। इसके बाद वहां के हाईकोर्ट ने सिकंदर को सुरक्षा दिए जाने के आदेश दिए। तब से सिकंदर छुपे हुए हैं और उनके परिवार को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। सिकंदर का कहना है कि उनकी हत्या करने वाले लोग उनसे दो लाख रुपये के बदले उनकी जान बख्शने की डील कर रहे हैं।
पूरे मामले में लोकल पुलिस का रोल भी संदिग्ध है। अदालती आदेश के बावजूद पुलिस ने सिकंदर को सुरक्षा नहीं मुहैया कराई है। इसके अलावा जिस पंचायत ने सिकंदर को भूखे कुत्तों के सामने फेंकने का हुक्म सुनाया, उसके खिलाफ भी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है।