रविवार, 29 सितंबर 2019

जैसलमेर रूमालों वाला तनोट माता मन्दिर,लाखो रूमालों में झलकती आस्था

जैसलमेर रूमालों वाला तनोट माता मन्दिर,लाखो रूमालों में झलकती आस्था


जैसलमेर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर  दर्शन  करने आते हैं ।इस निज  मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें  का रूमालों का शानदार  मंदिर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।

तनोट माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवश्य  बांधता हैं।प्रति दिन आने वाले सैकडो श्रद्धालुओं  द्घारा इस परिसर में इतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रद्धालु  मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं,एक लाख से अधिक रूमाल बंधे  हैा

व्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बढ़ी  हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई  ।

भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दर्शनीय और आकर्षक हैं ,नवरात्री में इन मंदिरो को विशेष रूप से सजाया जाएगा ,लाखो श्रद्धालु देश के कोने कोने से आएंगे ,जैसलमेर शहर से  निशुल्क बसों की व्यवस्था भी होती हैं 

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