मंगलवार, 18 सितंबर 2018

राजस्थान चुनाव 2018 तो अमित शाह का विश्वास खो चुकी वसुंधरा राजे,अमित शाह के दौरों से यही लगता है*

राजस्थान चुनाव 2018

तो अमित शाह का विश्वास खो चुकी वसुंधरा राजे,अमित शाह के दौरों से यही लगता है*

*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*

*राजस्थान की भाजपा की राजनीति में खलबली मची हुई है।।वसुंधरा राजे के प्रभाव के आगे नतमस्तक हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने राजस्थान के दौरों में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से दूरी बना के रखी है जो सत्ता के गलियारों में चर्चा बनी वही।राजनीति के धुरंधर कयास लगा रहे है। संघ और खुफिया एजेंसियों के रिपोर्टों ने केंद्रीय नेतृत्व की नींद उड़ा दी है।।संघ और खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर विपरीत टिपणियां की रिपोर्ट पेश की जिसमे बताया कि वसुंधरा राजे यात्रा के दौरान प्रदेश संगठन के नेताओ को कोई तवज्जो नही दे रही।संगठन के समानांतर संगठन बना गौरव यात्रा निकाल रही जिससे भाजपा का कार्यकर्ता कन्फ्यूज हो रहा।।साथ ही राजस्थान गौरव यात्रा के विरोध,वसुंधरा राजे की खिलाफत विभिन वर्गों और समाजो द्वारा करने का उल्लेख भी इन रिपोर्ट में किया गया है।बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक ने इसी पटल पर पूर्व में संकेत दिए थे कि राजस्थान की बागडौर खुद अमित शाह और नरेंद्र मोदी खुद संभालेंगे।।केंद्रीय नेतृत्व जान गया कि वसुंधरा राजे राजस्थान जीत नही सकती।।अमित शाह के दौरे उसी अनुरूप  बनाये गए।पूर्व में जोधपुर प्रवास के दौरान अमित शाह और वसुंधरा राजे का संयुक्त रोड शो का प्रस्ताव भेजा गया था।।मगर वसुंधरा राजे की यात्रा का जोधपुर संभाग में हुए विरोध को देखते हुए अमित शाह ने एकल कार्यक्रम को अंतिम रूप देकर वसुंधरा राजे को झटका दे दिया। एक और जंहा वसुंधरा राजे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी,राजेन्द्र राठौड़,यूनुस खान ,सुमन शर्मा की टीम के साथ अपनी यात्रा में लगी है तो अमित शाह ने भाजपा संगठन को तवज्जो देकर प्रदेश अध्यक्ष मदनलाल सैनी,संगठन महामंत्री चंद्र शेखर,भूपेंद्र यादव,ओमप्रकाश माथुर, गजेंद्र सिंह शेखवत के साथ अपने दौरे पूरे कर भाजपा कार्यकर्ताओ को संकेत दे रहे है कि उनके लिए भाजपा और कमल निशान महत्वपूर्ण है व्यक्ति विशेष नही। चुनाव में कमल को ध्यान में रखे। अलबत्ता सूत्रों की माने तो अमित शाह जोधपुर में कार्यकर्ताओं की कम उपस्थिति को भी अमित शाह ने गम्भीरत से लिया। आने वाले दिनों में भाजपा की अंदरूनी राजनीति में उठापटक की संभावनाओं से इनकार नही किया जा सकता। यह स्पष्ठ हो गया कि राजस्थान में भाजपा को ध्रुवों में बंट कर काम कर रही है।जो शुभ संकेत नही है।।*

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