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रविवार, 6 अप्रैल 2014

जसवंत की बगावत के बाद बाड़मेर में कमल खिलेगा?


जसवंत की बगावत के बाद बाड़मेर में कमल खिलेगा?

आभा शर्मा

साभार बाड़मेर से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए




रेगिस्तानी इलाकों में रेत के बबूले उठना आम बात है और रेत के धोरों का रातों-रात जगह बदलना भी. पर देश के सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र बाड़मेर की राजनीति में जो भँवर इस बार आया है वो अपनी तरह का पहला है.

राजनीतिक जीवन की संध्या में अपना 'आखिरी चुनाव' लड़ने को घर लौटे वरिष्ठ नेता 76 वर्षीय जसवंत सिंह के लिए तो यह अपनी जड़ों से जुड़ने का पहला और आखिरी मौका है. बाड़मेर में इस बार त्रिकोणीय संघर्ष है जिसमें उनका मुख्य मुकाबला कुछ ही दिनों पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जाट नेता कर्नल सोना राम से है.

यह भी एक विचित्र संयोग ही है कि जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह ने भी अपना पहला चुनाव 1999 में कर्नल सोना राम के ख़िलाफ़ ही लड़ा था, हालांकि तब मानवेन्द्र जीत नहीं पाए थे. वैसे पांच साल बाद दो लाख से अधिक मतों से जीत दर्ज कर मानवेन्द्र ने इस सरहदी लोकसभा सीट पर पहली बार भाजपा का परचम लहरा दिया था.

अब माहौल कुछ और है. जसवंत सिंह भाजपा से निष्कासन के बाद स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं तो जीवन भर कांग्रेस में रहे कर्नल अब भाजपा में. कांग्रेस की तरफ़ से वर्तमान सांसद हरीश चौधरी प्रत्याशी बनाए गए हैं.
'जातिगत प्रतिष्ठा'


राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए भी यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है और वो कर्नल सोनाराम की जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं. भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए बाड़मेर में आगामी 12 अप्रैल को पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की सभा भी आयोजित की गई है.

 
वैसे जसवंत सिंह इस चुनाव को 'जातिगत प्रतिष्ठा' का सवाल नहीं मानते और न ही ये उनके लिए जाट और राजपूत के बीच का संघर्ष है. उनका कहना है, "मैंने अपने राजनीतिक जीवन में कभी जाति आधारित राजनीति नहीं की." हालांकि उनके मन में इसे लेकर बड़ी पीड़ा है कि जो कभी 'पराए' थे अब वो 'अपने' हो गए और जो 'अपने' थे वो 'पराए'.

जिस पार्टी में इतना लम्बा सफ़र तय किया उसमें किसी और के अपना बन जाने और ख़ुद के बेगाना बन जाने का उन्हें बहुत दर्द है. बीबीसी से बातचीत में भाजपा से निकाले जाने पर अपनी कसक और भावना उन्होंने यूँ बयां की, "मैं बैरी सुग्रीव पियारा, अवगुन कौन नाथ मोहि मारा?"

वो यह भी स्वीकार करते हैं कि पार्टी के कांग्रेस से आए व्यक्ति को टिकट देने से बाड़मेर की जनता का अपमान हुआ है. इस संसदीय क्षेत्र के बहुत से लोग भी इस बात से सहमत हैं.
मतदाताओं की सहानुभूति


बाड़मेर शहर में एक चश्मे की दुकान के मालिक गिरीश कुमार सोनी कहते हैं, "जनता का रुझान जसवंत सिंह जी की तरफ़ है. इतने 'सीनियर लीडर को लास्ट प्वॉयंट पर किक आउट' करके भाजपा ने ठीक नहीं किया. मतदाताओं की सहानुभूति जसवंत सिंह जी के साथ है और अभी कोई चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि उनकी प्रतिष्ठा की बात ही मुख्य है."

 
इस शहर में एक गन्ने के रस की दुकान चलाने वाले कुम्हार चंद का भी यही मानना है, "निर्दलीय प्रत्याशी ही आगे हैं. उनका ही माहौल है. और कोई मुद्दा फ़िलहाल नहीं है."

बाड़मेर में टैक्सी चलाने वाले किशनराम देवासी का कहना है, "वो जातिवाद के आधार पर वोट नहीं देंगे. वो आदमी और काम देखते हैं, पार्टी नहीं. इसलिए जसवंत सिंह को वोट देंगे. उन्होंने विकास के काम किए हैं और अब भी करेंगे."

वैसे इस सरहदी रेगिस्तानी प्रदेश का विकास सभी चाहते हैं चाहे वो महाबार पीथल गाँव की अनपढ़ महिला हो या गुड़ीसर की पारु. बच्चों के पढ़ने को स्कूल, बिजली और पानी, की कमी हर किसी को खलती है. मोहनलाल जीनगर मनिहारी का ठेला लगाते हैं और उन्हें नेताओं के झूठे वादों पर कोई ऐतबार नहीं.
मरू प्रदेश की आवाज़


'छोटी-मोटी दुकान' चलाने वाले नारायण जोशी को सरहद के नज़दीक होने की वजह से क्षेत्र की सुरक्षा की भी चिंता है तो पानी और शिक्षा की कमी भी इन्हें बहुत सालती है. स्वयं जसवंत सिंह का मन भी मरुभूमि की प्यास बुझाने का है पर अभी तक यह 'अधूरा सपना' ही है.

 
इसके अलावा बाड़मेर की राजस्थान की राजधानी जयपुर से बढ़ती दूरी भी उन्हें बहुत नागवार लगती है. वो पूछते हैं, "न केवल भौगोलिक बल्कि वैचारिक, व्यावहारिक, बोलचाल सब कुछ निरंतर दूर होता जा रहा है. जब छोटे-छोटे नए प्रदेश बनाए जा रहे हैं तो मरू प्रदेश की आवाज़ क्यों नहीं सुनी जाए."

पिछला चुनाव देश के पश्चिमी छोर दार्जीलिंग से जीतने वाले जसवंत सिंह पूरब के अपने रेगिस्तानी अंचल में मिल रहे मान-सम्मान, स्नेह-समर्थन से अभिभूत हैं. वैसे वे इसे अपना सौभाग्य मानते हैं कि चाहे चित्तौड़ हो या जोधपुर या दार्जीलिंग, लोगों ने उन्हें अपार स्नेह दिया है.

उधर भाजपा में भी कर्नल सोना राम को टिकट दिए जाने की वजह से कार्यकर्ताओं में ज्यादा ख़ुशी नहीं है. हालांकि पार्टी अनुशासन से बंधे हुए कोई भी खुलकर अपनी नाराज़गी का इज़हार नहीं करता.
'जातिवाद' की राजनीति


जसवंत सिंह के चुनाव प्रचार की कमान उनकी पुत्रवधु चित्रा सिंह के हाथ में है.

एक स्थानीय कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त के साथ कहा कि यह दरअसल जसवंत सिंह और सोना राम के बीच की नहीं बल्कि असली और नकली भाजपा के बीच की लड़ाई है. कुछ और लोग कहते हैं, "कर्नल सोना राम ने सदा जातिवाद की राजनीति की है और उन्हें समूचे बाड़मेर के विकास का नहीं बल्कि अपने बायतु क्षेत्र का ही अधिक ख्याल रहता है."

 
यह भी कहा जा रहा है कि कर्नल सोना राम के आक्रामक तेवरों से दुखी कांग्रेस उनके पाला बदल लेने से राहत की सांस ले रही है. जब मुक़ाबला वाकई असली और नकली भाजपा के बीच दिखाई दे रहा है तो विधान सभा के नतीजों से निराश कांग्रेस अभी भी कोई ख़ास उत्साह के मूड में नहीं है.

पार्टी समर्थक मुकेश माहेश्वरी कहते हैं कि पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी का इंतज़ार है. यदि उनकी एक बड़ी रैली हो जाए तो निराश कार्यकर्ता सक्रिय हो सकते हैं. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कर्नल सोना राम को जिताने के लिए पूरी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं.

जसवंत सिंह के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रही उनकी पुत्रवधू चित्रा सिंह का कहना है कि राजपूत नेताओं पर भाजपा की तरफ़ से बहुत दवाब डाला जा रहा है कि वे उनके ससुर का साथ न दें. छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ताओं को भी बार-बार चेतावनी दी जा रही है.
धरती पुत्र


भौगोलिक दृष्टिकोण से देश के सबसे बड़े संसदीय निर्वाचन क्षेत्र बाड़मेर संसदीय क्षेत्र में आठ विधान सभा क्षेत्र हैं जिसमे एक जैसलमेर ज़िले का भी है.

चूँकि मानवेन्द्र सिंह वर्तमान में बाड़मेर के ही शिव विधान सभा क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं और आधिकारिक रूप से अपने पिता के चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं ले सकते, चित्रा सिंह पूरी मेहनत और समर्पण से अपने ससुर की जीत पक्की करने में लगी है.



उनके मुताबिक, "सिंह को मुस्लिम मतदाताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है और अन्य जातियों का भी. उनका कहना है "लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और सब समुदाय के लोग हमारे साथ हैं."

जो लोग अमल (अफीम) के शौक़ीन हैं वो अपने नए सांसद से डोडा पोस्त का सरकारी कोटा बढ़ाने की उम्मीद भी करते हैं. बाड़मेर में 'रियाण' की संस्कृति भी है और कर्नल सोना राम ने जनता की इसी नब्ज़ को पकड़ते हुए अपनी एक सभा में मुख्यमंत्री से डोडा पोस्त की समस्या का ज़िक्र किया और आग्रह किया कि सरकारी कोटा बढ़ाया जाए.

कर्नल सोना राम और जसवंत सिंह दोनों ही बाड़मेर के धरती पुत्र हैं और इत्तेफ़ाकन दोनों पूर्व फौजी भी. दोनों के लिए ही यह चुनाव एक नई पहचान का सवाल भी है. कुल मिलाकर बाड़मेर पर पूरे राजस्थान की निगाहें हैं कि इस दिलचस्प त्रिकोणीय संघर्ष में उलझी सीट पर ऊँट किस करवट बैठेगा?

मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

कर्नल सोनाराम कि उम्मीदवारी खतरे में ?

कर्नल सोनाराम की उम्र 10 साल में 14  साल बढ़ी

कर्नल सोनाराम कि उम्मीदवारी खतरे  में ?

हलफनामे में गलत जानकारी से रद्द हो सकती हे उम्मीदवारी 


बाड़मेर बाड़मेर भाजपा प्रत्यासी कर्नल सोनाराम कि मुश्किलें बढ़ने का संकेत हें। कर्नल द्वारा नामांकन के समय दिए हलफनामो में गलत जानकारी देकर मुशीबत मोल ले ली हें।बताया जा रहा हें कि इस गलत जानकारी के आधार पर लोकसभा चुनाव उम्मीदवार के तौर पर उनका नामांकन पात्र तक खारिज हो सकता 
 और उनको अयोग्य घोषित किया जासकता हें। खुद मुख्य चुनाव आयुक ने इस बात कि पुष्टि कि हें  ंउख्य चुनाव अायुक्त कि माने तो यदि कोई व्यक्ति हलफनामे में दी गयी जानकारी को न्यायलय में चुनौती देता हे तो सम्बंधित उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जा सकता हें। 

क्या हें पूरा मामला  

कर्नल सोनाराम कि  लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले कर्नल सोनाराम की उम्र पिछले १० साल में 14 साल बढ़ गई। 2004 में सोनाराम 59 वर्ष के थे, जो 2014 में 73 साल के हो गए हैं। वर्ष 2008 में सोनाराम 65 वर्ष के थे। वहीं, जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी की उम्र पांच साल में सिर्फ चार साल ही बढ़ी है। लोकसभा चुनाव के लिए पेश किए गए हलफनामों की बी एन टी  ने पड़ताल की तो आयु संबंधी कई रोचक जानकारियां सामने आईं। कुछ नेताओं की उम्र समय से ज्यादा बढ़ी है तो कुछ की कम हुई है।
उम्र समय से ज्यादा बढ़ी
उदयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार रघुवीर मीणा पांच साल में ७ साल बड़े हुए हैं। 2009 के शपथ पत्र के अनुसार मीणा 48 वर्ष के थे, जो 2014 में 55 वर्ष के हो गए। श्रीगंगानगर से भाजपा उम्मीदवार निहालचंद मेघवाल की 2004 से 2009 के बीच उम्र पांच साल बढ़ी, लेकिन 2009 से 2014 के बीच वे छह साल बड़े हो गए।
इनकी उम्र ज्यादा बढ़ती है
नाम 2014 2013 2009 2008 2004
कर्नल सोनाराम 73 72 - 65 59
निहालचंद 43 -- 37 32
सुभाष महरिया 57 57 52 46
रघुवीर मीणा 55 - - 48
इनकी समय से कम रही
जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी की उम्र पांच साल में सिर्फ चार साल बढ़ी है। 2009 में जोशी 59 वर्ष के थे, जो अब 63 के हुए हैं। इसी तरह जोधपुर से चुनाव लड़ रहीं चंद्रेश कुमारी 2009 में 65 वर्ष की थीं जो अब तक 69 वर्ष की ही हुई हैं।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले कर्नल सोनाराम की उम्र पिछले १० साल में 14 साल बढ़ गई। 2004 में सोनाराम 59 वर्ष के थे, जो 2014 में 73 साल के हो गए हैं। वर्ष 2008 में सोनाराम 65 वर्ष के थे। वहीं, जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी की उम्र पांच साल में सिर्फ चार साल ही बढ़ी है। लोकसभा चुनाव के लिए पेश किए गए हलफनामों की भास्कर ने पड़ताल की तो आयु संबंधी कई रोचक जानकारियां सामने आईं। कुछ नेताओं की उम्र समय से ज्यादा बढ़ी है तो कुछ की कम हुई है।


उम्र समय से ज्यादा बढ़ी

उदयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार रघुवीर मीणा पांच साल में ७ साल बड़े हुए हैं। 2009 के शपथ पत्र के अनुसार मीणा 48 वर्ष के थे, जो 2014 में 55 वर्ष के हो गए। श्रीगंगानगर से भाजपा उम्मीदवार निहालचंद मेघवाल की 2004 से 2009 के बीच उम्र पांच साल बढ़ी, लेकिन 2009 से 2014 के बीच वे छह साल बड़े हो गए। 
कोर्ट कर सकता है डिसक्वालीफाई : जैन

॥शपथ पत्र में गलत जानकारी देना अथवा तथ्य छिपाना गंभीर मामला है। कोई इसे यदि कोर्ट में चुनौती देता है तो गलत जानकारी देने वाले उम्मीदवार को चुनाव के लिए डिसक्वालीफाई किया जा सकता है। निर्वाचन आयोग कार्रवाई नहीं कर सकता। वह शपथ पत्र के सारे कॉलम भरे गए कि नहीं, यही देखता है।

-अशोक जैन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी
विधानसभा चुनाव में गड़बड़ उम्र थी
चार माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भी कई नेताओं ने अपनी उम्र गलत बताई थी। बानसूर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले रोहिताश्व कुमार की उम्र पांच साल में 23 साल बढ़ गई थी। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में खेल राज्यमंत्री रहे मांगीलाल गरासिया ने पांच साल में अपनी उम्र तीन साल ही बढ़ाई। गहलोत सरकार के मुख्य सचेतक रहे रघु शर्मा ने पांच साल में अपनी उम्र आठ साल बढ़ा दी थी तो भाजपा विधायक अनीता गुर्जर और संजना आगरी की उम्र पांच साल में एक साल छोटी हो गई। सोजत विधायक संजना आगरी ने 2008 में अपनी उम्र 37 साल बताई थी, जो 2013 में 36 साल ही रह गई। इसी तरह अनीता गुर्जर 2008 में 43 वर्ष की थीं, जो 2013 में 42 वर्ष की रह गईं। पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया की उम्र पांच साल तक स्थिर रही। 2008 में सिनोदिया ने अपनी उम्र 67 वर्ष बताई थी, जो 2013 में भी वही रही।

मंगलवार, 25 मार्च 2014

खुलासा। जसवंत सिंह का टिकट कटवाने में अम्बानी परिवार का षड्यंत्र ?

खुलासा। जसवंत सिंह का टिकट कटवाने में अम्बानी परिवार का षड्यंत्र ?


बाड़मेर जसवंत सिंह कि टिकट बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से कट कर पुरे देश में भाजपा घिर गई हें ,जसवंत कि टिकट काटने पर अब भाजपा के वरिष्ठ नेता अपनी ही पार्टी को घेरने में लग गए हें ,आखिर राजनाथ सिंह और वसुंधरा राजे कि क्या मज़बूरी थी कि उन्होंने केंद्रीय चुनाव समिति में जसवंत कि टिकट का मशाला नहीं रखा तथा राजनाथ और वसुंधरा ने ही सब कुछ कर लिया ,अब बात सामने आ गयी कि जसवंत सिंह कि टिकट कटवाने में अम्बानी और जिंदल औद्योगिक घरानो का हाथ हें। बाड़मेर में तेल गेस और रिफायनरी के बड़े प्रोजेक्ट आये हुए हें ,इन पर अम्बानी और जिंदल ग्रुप कि निगाहे हें ,इन घरानो को जानकारी थी अगर बाड़मेर से जसवंत सिंह सांसद बन गए तो उनके मनसूबे पुरे नहीं होंगे ,चूँकि अम्बानी ग्रुप पचपदरा में प्रस्तावित रिफायनरी लेने के फ़िराक में हें। अटल बिहारी वाजपई सरकार में वित् मंत्री रहते हुए जसवंत सिंह ने अम्बानी ग्रुप के कई अनैतिक कार्यो को रोका था ,अम्बानी समूह जनता हें कि जसवंत सिंह के रहते अम्बानी को बाड़मेर में सफलता नहीं मिलनी हें ,इसी को ध्यान में रख भाजपा के दिग्गज नेताओ के साथ जसवंत को बाड़मेर से आने से रोकने का षड्यंत्र रचा गया ,इस षड्यंत्र में राजनाथ सिंह ने पूरी भूमिका तैयार कि ,राजनाथ के इशारे पर वसुंधरा ने ठेकेदार जन प्रतिनिधि कर्नल सोनाराम चौधरी को बाड़मेर से भाजपा कि और से चुनाव लड़ने को तैयार किया गया ,जसवंत सिंह कि टिकट क्यूँ कटी इसका जवाब भाजपा आज तक नहीं दे पाई ,जबकि सुषमा स्वराज ने भी खुलासा किया था कि जसवंत सिंह कि टिकट चुनाव समिति ने नहीं काटी ,


अम्बानी ग्रुप के इस षड़यंत्र का शिकार हुए जसवंत सिंह के समर्थको में सुगबुगाहट शुरू हो गयी ,आने वाले दिनों में मिडिया जगत इस मुद्दे को जबर्दस्त तरीके से सामने लाएगी। इस मुद्दे पर जसवंत समर्थक खुले आम वक्तव्य देने लगे हें। जसवंत सिंह के समर्थक दुर्जन सिंह भाटी ने बताया कि यह जगजाहिर है कि जसवंत का टिकट अम्बानी और जिंदल समूह ने कटवाया हें। चूँकि सांसद रहते हुए जसवंत सिंह के पुत्र ,मानवेन्द्र सिंह ने जिंदल समूह के राजवेस्ट पवार प्लांट के खिलान भूमि अवाप्ति मुद्दे पर जोरदार आंदोलन किया था। रिफायनरी मुद्दे पर भी उनका स्पष्ट रुख अम्बानी परिवार को परेशां कर रहा था ,इसीलिए उनका टिकट कटवा कर किसी अन्य को दिलाया।

शुक्रवार, 21 मार्च 2014

जसवंत कि अनदेखी से भाजपा के लिए मारवाड़ खतरे में जोधपुर ,जालोर ,पली और बीकानेर होंगे प्रभावित


जसवंत कि अनदेखी से भाजपा के लिए मारवाड़ खतरे में

जोधपुर ,जालोर ,पली और बीकानेर होंगे प्रभावित


बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी ने वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह को बाड़मेर से टिकट न देकर नरेंद्र मोदी कि प्रधानमंत्री कि राह कठिन कर दी ,अब जसवंत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे ,जसवंत सिंह कि टिकट काटने से जोधपुर ,पली ,बीकानेर ,जालोर में भाजपा प्रत्यासियो कि राह कठिन हो जायेगी ,

नरेंद्र मोदी लहर कि चकाचौंध में भाजपा प्रदेश को मुगालता था कि भाजपा से पत्थर खड़ा करेंगे जीत जायेंगे ,वसुंधरा राजे ने कई स्थानो पर पत्थर खड़े कर दिए ,लोगो कि भावनाए जिन प्रत्यासियो के साथ जुडी थी उनको दरकिनार कर गैरो और पार्टी लाइन से बाहर के लोगो को टिकट दिया।

राजस्थान में मिशन 24 खतरे में 14 सीटो पर सिमट जायेगी

राजस्थान भाजपा के मिशन 25 कि हवा टिकट वितरण के साथ निकल गयी ,जोधपुर ,जयपुर ग्रामीण ,जालोर ,चित्तोड़ ,,भीलवाड़ा सीकर ,अजमेर और पाली भाजपा से दूर हो रही हें। सभी पच्चीस टिकटों कि घोषणा के बाद जोधपुर ,पाली ,बीकानेर ,और जालोर भाजपा के हाथ से एकदम छिटकती नज़र आ रही हें ,बाड़मेर से वसुंधरा राजे कि हठधर्मिता के कारन जसवंत सिंह को टिकट नहीं देने से राजपूत समाज में भाजपा के प्रति आक्रोश बढ़ा जिसके साथ नरेंद्र मोदी प्रभाव भी प्रभावित हो गया ,बाड़मेर से जसवंत सिंह निर्दलीय सोमवार को अपंने नामांकन दाखिल करेंगे ,आदर्श स्टेडियम में करीब दो लाख लोगो कि मौजूदगी में जसवंत सिंह ,नामांकन दाखिल करेंगे ,इसके लिए जसवंत सिंह के वकील डूंगर सिंह से नामांकन फॉर्म के चार सेट उठाए गए हें।

गुरुवार, 20 मार्च 2014

बाड़मेर भाजपा लोकसभा चुनाव कार्यालय पर जड़े ताले ,कर्नल का जोरदार विरोध

बाड़मेर भाजपा लोकसभा चुनाव कार्यालय पर जड़े ताले ,कर्नल का जोरदार विरोध


बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी बाड़मेर जिला संघठन ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा बाड़मेर जैसलमेर संसदीय सीट के लिए कांग्रेस नेता कर्नल सोनाराम चौधरी कि उम्मीदवारी घोषित करने के प्रयासो के खिलाफ एक माह पूर्व खोले गए लोकसभा चुनाव कार्यालय पर ताले ठोक दिए तथा संगठन के समस्त पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओ ने कर्नल कि उम्मीदवारी का जोरदार विरोध करते हुए संगठन से इस्तीफे देने का ऐलान कर दिया ,
बाड़मेर से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह टिकट मांग रहे थे उनकी उम्मीदवारी तैसिडा थी इसी बीच वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को भाजपा में शामिल करा उन्हें बाड़मेर से टिकट देने का अनुमोदन केंद्रीय चुनाव समिति के समक्ष रख दिया ,केंद्रीय चुनाव समिति ने कर्नल का टिकट रोक दिया ,मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस कदम कि भाजपा के पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओ ने निंदा कर कर्नल कि उम्मीदवारी का जोरदार विरोध किया ,गुरूवार शाम पांच बजे लोकसभा चुनाव कार्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य स्वरुप सिंह राठोड ,दिलीप पालीवाल के नेतृत्व में बैठक का आयोजन कर कर्नल कि दावेदारी को ,किया राठोड ने कहा कि जो व्यक्ति पिछले बीस सालो से भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ता आया हो उसे तुरंत टिकर देना कार्यकर्ताओ का अपमान हें। कर्नल कि उम्मीदवारी किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं। उन्होंने दो टूक शब्दो में कहा कि बाड़मेर को सिर्फ जसवंत सिंह उम्मीदवार चाहिए ,पार्टी जसवंत सिंह को टिकर देती हें तो ठीक वर्ना पूरा संगठन जसवंत सिंह को निर्दलीय जितने में साथ खड़ा रहेगा ,सभी पदाधिकतरियो और कार्यकर्ताओ ने एक राय होकर कार्यालय पर ताले जड़ दिए ,भाजपा के वरिष्ट नेता दिलीप पालीवाल ने कहा कि जसवंत सिंह कि उम्मीदवारी कि घोषणा के बाद ही कार्यालय के ताले खुलेंगे।

कर्नल कि दावेदारी से बाड़मेर जैसलमेर भाजपा में मचा बवाल , सामूहिक इस्तीफे कि तैयारियां


कर्नल कि दावेदारी से बाड़मेर जैसलमेर भाजपा में मचा बवाल , सामूहिक इस्तीफे कि तैयारियां

बाड़मेर उर्व वित् मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह पर कांग्रेसी नेता और एक दिन पहले भाजपा में आये कर्नल सोनाराम चौधरी कि बाड़मेर से दावेदारी का स्थानीय भाजपा नेताओ ने जबर्दस्त विरोध किया हें। बाड़मेर जैसलमेर में कर्नल के भाजपा कि सम्भावित उम्मीदवारी पर बवाल मच गया हें। पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता सामूहिक इस्तीफे देने कि तैययारी में जुट गए हें। वसुंधरा राजे द्वारा जिताऊ और जन उम्मीदवार के रूप में जसवंत सिंह कि आपसी रंजिस के कारन टिकट कटवा कर्नल सोनाराम चौधात्री को दिलाने कि सिफारिश का जोरदार विरोध शुरू कर दिया हें ,सूत्रानुसार भाजपा के वरिष्ठ और अन्य कार्यकर्ता शाम आठ बजे मानवेन्द्र सिंह से मिलने उनके निवास पहुँच जसवंत सिंह को निर्दलीय मैदान में उतरने का दबाव बनाने जा रहे हें ,वैसे जसवंत सिंह भाजपा टिकट देती हे या नहीं इसकी परवाह किये बिना चौबीस मार्च को नामांकन दाखिल करने कि घोषणा कर चुके हें। उन्होंने साफ़ संकेत दिए कि वो जोधपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगे उनका प्रथम लक्ष्य अपने गृह जिले से चुनाव लड़ना हें। भाजपा संघठन में भी कर्नल के नाम का जोरदार विरोध शुरू हो गया हें। भाजपा कार्यकर्ताओ ने सामूहिक बयां दिया कि बाड़मेर से कर्नल सोनाराम भाजपा प्रत्यासी के तौर पर कतई मंजूर नहीं बाड़मेर के सभी छह भाजपा विधायको ने जसवंत सिंह के नाम पर सहमति जताई हें। भाजपा के कार्यकर्ता ओम प्रकाश त्रिवेदी ने बताया कि भाजपा में सिर्फ जसवंत सिंह को ही टिकट मिलना चाहिए। बीस साल भाजपा के खिलाफ लड़ते रहे कांग्रेस नेता को टिकट बर्दास्त नहीं हें। जसवंत सिंह के समर्थन में इस्तीफे देने को तैयार हें

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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

लोकसभा चुनाव। । जयपुर में पेश हुई दावेदारियां जसवंत सिंह में जताया विशवास कार्यकर्ताओ ने

लोकसभा चुनाव। । जयपुर में पेश हुई दावेदारियां जसवंत सिंह में जताया विशवास कार्यकर्ताओ ने


बाड़मेर बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्यासियो के फीड बेक बैठक जयपुर में सम्पन हुई जंहा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ,प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी सहित बाड़मेर के जिला अध्यक्ष मेजर पर्वत सिंह ,सहित अग्रीम संघठनो के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए ,बैठक में लोक सभा चुनावो के लिए जसवंत सिंह ,डॉ प्रियंका चौधरी ,तन सिंह चौहान ,ऍन आर चौधरी के नाम सामनरे आये वाही अधिकांस कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियो ने एक स्वर से जसवंत सिंह को बाड़मेर चुनाव लड़ाने कि बात कही। कार्यकर्ताओ ने कहा कि बाड़मेर कांग्रेस कि परंपरागत सीट हें जो सिर्फ जसवंत सिंह ही भाजपा के लिए सीट निकाल सकते हें। अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाअध्यक्ष मौलवी अब्दुल करीम ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्र के चार लाख मुस्लिम भाजपा के साथ जसवंत सिंह के जरिये ही जुड़ सकते हें ,उन्होंने कहा कि मुस्लिम मतदाताओ के सहयोग के बिना बाड़मेर कि सीट कोई नहीं निकाल सकता ,जसवंत सिंह सरहदी क्षेत्र के मुस्लिमो में बेहद लोक प्रिय हें मुस्लिमो का उन्हें विशवास प्राप्त हें। अन्य कार्यकर्ताओ ने जसवंत सिंह को चुनाव लड़ाने कि बात कही ,बैठक में डॉ प्रियंका चौधरी कि तरफ से मजबूत दावेदारी पेश हुई ,वाही अन्य दावेदारियों में तन सिंह चौहान ,और नाथू राम चौधरी के नाम भी सामने आये। बैठक के दौरान वसुंधरा राजे ने कहा कि लोक सभा के लिए जिताऊ उम्मीदवार कार्यकर्ताओ कि भावना को ध्यान में रख कर चुने जायेंगे। पार्टी एक जुट होकर चुनाव लड़े तभी टारगेट पूरा कर पाएंगे

शनिवार, 23 नवंबर 2013

शिव में भाजपा प्रत्यासी मानवेन्द्र सिंह को मिला जाट समाज का खुला समर्थन

शिव में भाजपा प्रत्यासी मानवेन्द्र सिंह को मिला जाट समाज का खुला समर्थन

जाट राजपूत राजनितिक इतिहास रचेंगे। । मानवेन्द्र सिंह


चन्दन सिंह भाटी

बाड़मेर जिले कि सर्वाधिक चर्चित विधानसभा सीट शिव से भाजपा प्रत्यासी मानवेन्द्र सिंह को शनिवार को शिव के जाट समाज के मतदाताओ ने खुले समर्थन का ऐलान रामसर के श्री रामदान चौधरी छात्रावास में आयोजित पंचायत में किया गया। पंचायत में कद्दावर जाट नेता पूर्व राजस्व ंमंत्री गंगाराम चौधरी कि पोती और बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी ,शिव प्रत्यासी मानवेन्द्र सिंह ,पूर्व विधायक हरी सिंह सोढा ,डॉ जालम सिंह रावलोत ,नवल किशोर गोदारा ,हेमंत गोदारा ,पूनम चंद चौधर ,बाल सिंह खड़ीं रंजीत चौधरी ,सहित जात समाज के हज़ारो कि तादाद में लोग उपस्थित थे। उल्लेखनीय हें बाड़मेर प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी को राजपूत समाज ने खुला समर्थन किया हें। अब जाट समाज भी खुल कर मानवेन्द्र सिंह के समतर्थं में आगे आया और आज समाज कि पंचायत कर समर्थन का एलान किया।


इस सभा को सम्बोधित करते हुए मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि आज वाकई बाड़मेर कि राजनीती में नया अध्याय जुड़ा हें ,राजनितिक प्रतविद्वंदी माने जेन वाले जाट राजपूत एक हो गए ,यह ऐतिहासिक निर्णय हें। जाट राजपूत मिलकर राजनीती में नया इतिहास रचेंगे ,उन्होंने कहा कि हमारे लिए आपसी विशवास बहाल रखन महत्वपूर्ण हें ,उन्होंने कहा कि समाज और क्षेत्र के विकास के लिए वो सदैव तत्पर रहेंगे ,मानवेन्द्र ने जाट राजपूत एकता को बेमिसाल बताया तथा भाजपा के लिए ख़ास बताया। इस अवसर पर डॉ प्रियंका चौधरी ने कहा कि बाड़मेर में मुझे राजपूतो का पूरा समर्थन मिल रहा हें ,मानवेन्द्र सिंह मेरे बड़े भाई हें जाट समाज ने उन्हें अपना समर्थन देकर राजनितिक में नै सोच को जन्म दिया जो बाड़मेर कि राजनीती का इतिहास बनेगी ,उन्होंने कहा कि जाट समाज मानवेन्द्र सिंह को जितने के लिए रत दिन एक कर दे ,उन्होंने कहा कि राजनीती सेवा का माध्यम हे इसमे निजी स्वार्थो को कोई स्थान नहीं हें। डॉ प्रियंका ने आह्वान किया कि जिस तरह से राजपूत उन्हें खुल कर समर्थन दे रहे हें उसी प्रकार मानवेन्द्र जी को जितने ने लग जाए।


उल्लेखनीय हें शिव विधानसभा क्षेत्र में जाटो के बतीस हज़ार वोट हें जो निर्णायक हें ,अब तक कांग्रेस के परंपरागत वोट माने जेन वाले जाट वोटो में भाजपा ने बड़ी सेंध लगाई हें।


सभा को जाट नेताओ ,समाज के मौजिज लोगो के साथ पूर्व विधायक डॉ जालम सिंह रावलोत ,हरी सिंह सोढा ,रंजीत चौधरी ,नवल किशोर गोदारा ,हेमंत गोदारा ,पूनम चंद चौधरी सहित कई नेताओ ने सम्बोधित किया।

रविवार, 27 अक्तूबर 2013

मिलिए। गुडा मालानी विधानसभा भाजपा के संभावित प्रत्यासी लादूराम विश्नोई से

मिलिए। गुडा मालानी विधानसभा भाजपा के संभावित प्रत्यासी लादूराम विश्नोई से 

बाड़मेर आगामी विधानसभा चुनावो में भाजपा गुड़ा मालानी विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर दो बार हारे लादूराम विश्नोई को मैदान में उतर सकती हें। लादूराम विश्नोई गत दो चुनाव गुड़ा से लदे। एक बार ग्यारह हज़ार मतों से दूसरी बार नौ हज़ार मतों से चुनाव हारे। लेकिन प्रथम बार हरने के बाद भी लादूराम विश्नोई पर मुख्यमंत्री वसुन्धात्र राजे की विशेष कृपा रही उन्हें मुख्यमंत्री मोनिटरिंग सलाहकार का पद देकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया। इस दौरान उन्होंने गुडा के विकास के सतत प्रयास किये।बाद में उन्हें विवादों के चलते इस्तीफा भी देना पड़ा। लादूराम विश्नोई की ग्रामीण क्षेत्रो में अछि पकड़ हे। मगर हर बार रणनीति के आभाव में जीतते जीतते चुनाव हार जाते हें। उनके सामने दोनों बार कांग्रेस के हेमाराम चौधरी थे। लादूराम विश्नोई की कमजोरी कार्यकर्ताओ की क्षमता की परख का आभाव हें। पैसा खर्च करने के बावजूद चुक जाते हें। इस बार लादूराम विश्नोई फिर चुनाव लड़ेंगे। गत दस सालो से राजनीती में होने के कारन कई समीकरणों को उन्होंने समझा हें। सहज सरल स्वाभाव के विश्नोई हमेशा अपने कार्यकर्ताओ की मदद के लिए तत्पर रहते हें। गुडा मालानी में इस बार चुनावी समर बेहद रोमांचक होने की उम्मीद हें 

शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

मिलिए संभावित भाजपा प्रत्यासी विधानसभा चौहटन तरुण कागा

मिलिए संभावित भाजपा प्रत्यासी विधानसभा  चौहटन तरुण कागा 




बाड़मेर एक दिसंबर को होने वाले चौदहवी विधानसभा के गठन के चुनावो में बाड़मेर जिले की अनुसूचित जाती की आरक्षित सीट चौहटन से भाजपा के संभावित प्रत्यासी तरुण कागा के प्रबल आसार हें। तरुण कागा चौहटन क्षेत्र की राजनीती में प्रभावी वजूद रखते हें। उनकी पत्नी श्रीमती मिश्री काग चौहटन की प्रधान रही। तरुण कागा सहज ,सरल स्वाभाव के उम्मीदवार हें। साफ़ छवि के करम लोगो के बीच काफी लोक प्रिय हें ,तरुण काग दो बार विधान्सब्झा चुनाव चौहटन से लड़ चुके हें ,गत चुनावो में वो कांग्रेस के वर्तमान विधायक पदमाराम से चुनाव हार गए उससे पहले 20003 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने करीब सत्रह हज़ार मत लिए थे ,बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए ,भाजपा ने उन्हें 2008 में प्रत्यासी बनाया ,ंअगर वे चुनाव हार गए। इस बार लोगो ने तरुण काग के प्रति जबरदस्त समर्थन दिखाया ,ब्लोक चौहटन भाजपा ने भी तरुण काग को पूरा समर्थन दिया। वर्तमान विधायक पदम राम के रबर स्टेम्प की छवि का फायदा इस बार तरुण काग को मिल सकता हें। बाहरी प्रत्यासी को टिकट का विरोध भी तरुण काग की स्थति को मजबूत करता हें भाजपा में। इसके आलावा उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेताओ का सहयोग प्राप्त हें। तरुण काग चौहटन को विकाश शील देखना चाहते हें इसी को अपना सपना बताते हें। मतदाताओ से वैसे उनका सीधा संपर्क रहा हें। तरुण काग बाखासर में नमक उत्पादन ,गफानो सहित ग्रामीण क्षेत्रो में पेयजल की योजनाओ को सुचारू करने ,चौहटन में हस्त शिल्प बिक्री केंद्र की स्थापना उनका प्रमुख लक्ष्य रहेगा।

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र सियासत के डोर राजपूतो के पास गाजी फ़क़ीर के पास नहीं


जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र चुनाव पूर्व सर्वे रिपोर्ट 


राजपूतो के बीच घमाशान होने के प्रबल आसार 

सियासत के डोर राजपूतो के पास गाजी फ़क़ीर के पास नहीं

- दुनिया के सबसे बड़े विधानसभा चुनाव क्षेत्र के रूप में जैसलमेर की छठा निराली है।गोवा, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, दिल्ली, अंडमान-निकोबार, दादर, नगर हवेली और लक्षद्वीप वगैरह से भी बड़ा है यह विधानसभा चुनाव क्षेत्र।


इसका क्षेत्रफल 28 हजार 875 वर्ग किलोमीटर है, जिसका करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर भाग भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा है।जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में राजपूतो का दबदबा रहा हें। अब तक हुए तेरह विधानसभा चुनावो में ग्यारह राजपूत उम्मीदवार विधायक बने एक एक बार ब्राहमण और मेघवाल जाती से विधायक बने। राजपूत बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस चार बार तो भाजपा तीन बार चुनाव जीती चार बार निर्दलीय ,एक एक बार जनता पार्टी ,जनता दल और स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते।

जातिगत समीकरण। जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में राजपूत बाहुल्य तीन क्षेत्र खडाल ,सोढाण और बसिया हें जन्हा उनसितर हज़ार राजपूत बसते हें वाही 37 हज़ार सिन्धी मुस्लिम ,छबीस हज़ार अनुसूचित जाती ,तेरह हज़ार अनुसूचित जन जाती बीस हज़ार रवाना राजपूत और हजुरी,तेरह हज़ार अनुसूचित जनजाति ,अन्य बड़े समाजो में ब्राहमण ,माली ,शामिल हें। इस बार करीब बीस हज़ार नए युवा मतदाता जुड़े हें। मुस्लिम और अनुसूचित जाती कांग्रेस के साथ रहे हें वाही राजपूत भाजपा के हें ,गैर कांग्रेसी विचारधारा के राजपूत इस सीट से जीते हें। कुछ राजपूत कांग्रेस में भी हें।


गत चुनाव। । गत चुनावों में भाजपा के छोटू सिंह भाटी और कांग्रेस की श्रीमती सुनीता भाटी के बीच मुकाबला था मगर कांग्रेस के बागी गोवर्धन कल्ला ,रेशमाराम ,भाजपा के किशन सिंह भाटी भी मैदान में थे ,जिसके कारन भाजपा यह सीट निकलने में कामयाब हुई


इस बार विधानसभा चुनावो में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना हें कांग्रेस के दावेदारों की फेहरिस्त में सुनीता भाटी के आलावा रुपाराम धनदे ,उम्मेद सिंह तंवर ,दिनेश्पल सिंह ,अशोक तंवर ,जनक सिंह ने भी दावेदारी कर राखी हें ,संभावना बलवंती हें की पुराने प्रतिद्वंदियों सुनीता बहती और छोटू सिंह के बीच मुकाबला होना तय हें। शहरी क्षेत्र के मतदाताओं पर परिणाम निर्भर हें जो शहर के अधिक से अधिक मत लेगा विजय उसी की होगी। कांग्रेस के इस फरमान के बाद की बाहरी प्रत्यासी को मैदान उतरा जायेगा के बाद सुनीता पर फिर तलवार लटक सकती हें। हालांकि वो पिछला चुनाव जैसलमेर से लड़ी थी। साले मोहम्मद विधायक पोकरण भी बाहरी प्रत्यासी हें। वो खुद जैसलमेर हें।

वर्तमान विधायक। गत पांच सालो में वर्तमान विधायक छोटू सिंह हर मोर्चे पर सक्रीय रहे ,विकास के काम ज्यादा नहीं हुए क्यूंकि सत्ता उनके विरोधी दल की हें फिर भी उन्होंने सक्रियता दिखाई लोगो की समस्याओ के समाधान के लिए उनके साथ खड़े नज़र आये। विधायक कोष की राशी का भी उन्होंने पूरा उपयोग जन हित में किया ,उन पर भेदभाव या भरष्टाचार का कोई आरोप नहीं हें। साफ़ छवि के कारन उन्हें पार्टी दुबारा मौका दे सकती हें हालांकि पूर्व विधायक संघ सिंह उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हें ,सांग सिंह भी पांच सालो तक किसानो की समस्याओ के निदान के लिए उनके साथ तत्परता से खड़े रहे।

गाजी फ़क़ीर का हौवा। ज़ब जब चुनाव आते हें अल्पसंख्यक धर्म गुरु फक्लिर को रहनुमा बताकर जैसलमेर की राजनीती उनके इशारे पर चलने की बात कही जाती हें मगर पिछले तरह चुनावो में गाजी फ़क़ीर का एक मात्र उम्मीदवार मुल्तानाराम बारुपाल ही जीत पाए ,गाजी का भाई भी विधानसभा चुनाव लड़ा मगर सफल नहीं हुआ ,एक बार भी जैसलमेर से अल्पसंख्यक विधायन नहीं बना। गाजी फ़क़ीर के वोटो की राजनीती इस बार कितना सारा दिखाएगी यह समय के गर्भ में हें ,फ़क़ीर परिवार और सुनीता भाटी के बीच राजनीती मतभेद जग जाहिर हें ऐसे में फ़क़ीर के अनुयायी सुनीता भाटी के साथ खड़े रहेंगे पर संशय बरकरार हें। गत चुनावो में कांग्रेस के उम्मीदवार की हार का कारन फ़क़ीर परिवार था।

गाजी परिवार की रणनीति। । गाजी फ़क़ीर परिवार मुस्लिम मेघवाल गठजोड़ को फिर आजमाने के लिए प्रयासरत हें इसके लिए उन्होंने रुपाराम धनदे को चुना हें ,फ़क़ीर परिवार उन्हें टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हें। इसमे वो सफल होते नज़र आ रहे थे मगर सुनीता भाटी ने आलाकमान को स्पष्ट कहा की वो चुनावो में निष्क्रिय रहेगी ,सुनीता बहती का दबदबा अछ ख़ासा हें। पार्टी ने रुपाराम की जीत की जिम्मेदारी पोकरण विधायक साले मोहम्मद को लेने को कहा तो वो पीछे खिसक गए। गाजी फ़क़ीर परिवार पिछले चार माह से विवादों में घिरा हें। पुलिस द्वारा गाजी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट खोलने ,विधायक साले मोहम्मद पर पाक जासूस को पनाह देने ,और छोटे पुत्र पर भर्ष्टाचार के आरोप लगने से फ़क़ीर परिवार की राजनितिक पायदान निचे गिरी हें। जैसलमेर शहर में फ़क़ीर परिवार समर्थको का दबदबा हें। सरकारी विभागों में इनके हसक्षेप के कारण अन्य समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हें।

भाजपा और कांग्रेस के पास अपनी प्रतिष्ठा बचने के अवसर हें इस बार। कांग्रेस हमेशा राजपूत उम्मीदवारों के सहारे ही चुनाव जीती हें एक बार ब्राहमण उम्मीदवार गोर्धन कल्ला चुनाव जीते।

राजपरिवार का दखल। । राजपरिवार का जैसलमेर की राजनीती में कोई विशेष दखल नहीं हें। लम्बे समय तक जैसलमेर की राजनीती राजपरिवार के इर्द गिर्द घुमि बाद में लगातार हारो के कारन इनका मोहभंग हो गया। सीधे तौर पर राजघराने के सदस्य स्वर्गीय चंद्रवीर सिंह की पत्नी श्रीमती रेणुका भाटी भाजपा के साथ जुडी हें सक्रीय भी हें। मगर अब चुनावो में राजपरिवार के दबदबे जैसी बात नहीं हें।


भितरघात। …. भीतरघात का डर दोनों दलों को सता रहा हें। सांग सिंह भाटी सशक्त दावेदार हें उन्हें टिकट नहीं मिलती तो उनका रुख भाजपा का कांग्रेस में सुनीता भाटी के उम्मीदवार होने की स्थति में गाजी फक्लिर परिवार पर निगाहें रहेगी। जैसलमेर के उभरते राजनितिक सितारे सुनीता भाटी को जीता कर अपने राजनितिक भविष्य पर ग्रहण लगेंगे ऐसा नहीं लगता।

गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

बाड़मेर सरहद के सेकड़ो अल्पसंख्यक भाजपा में हुए शामिल ,मानवेन्द्र की बड़ी सभा आयोजित



अल्पसंख्यकों को भाजपा से डराने की जरुरत नहीं। मानवेन्द्र सिंह


सरहद के सेकड़ो अल्पसंख्यक भाजपा में हुए शामिल ,मानवेन्द्र की बड़ी सभा आयोजित

बाड़मेर भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह ने कहा की अब कांग्रेस मुसलमानों को भाजपा से डराना छोड़ दे। भाजपा से डरने की जरुरत नहीं ,भाजपा आपकी हमराही हें जो आपके सपनो को साकार करेगी। मानवेन्द्र सिंह शिव विधानसभा क्षेत्र के मापुरी गाँव में उनके सम्मान में आयोजित दावत ए खास के बाद सम्मलेन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा की अभी दो दिन पहले मुस्लिम धर्म गुरु द्वारा कांग्रेस को स्पष्ट कहा गया की भाजपा का डर अब न बताये। उन्होंने कहा अब समय आ गया हें सरहद के रखवाले अल्पसंख्यक भाजपा की मुख्यधारा से जुड़े और विकास की राह पर चले। उन्होंने कहा की भाजपा का में सांसद रहा। अल्पसंख्यकों को कोई परेशानी किसी प्रकार की नहीं हुई ,उन्होंने कहा की भाजपा कांग्रेस नहीं हें। हम कथनी करनी में फर्क नहीं रखते।अल्पसंख्यक बाहुल्य गाँवों का विकास भाजपा के समय ही हुआ। उन्होंने कहा की समय बदल रहा हें बदलते समय की नब्ज पहचानना जरुरी हें यह वक्त निकल गया तो अल्पसंख्यक वर्ग फिर पचास साल पिछड़ जाएगा। मानवेन्द्र सिंह का अल्पसंख्यक वर्ग के सेकड़ो लोगो ने गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान पूर्व विधायक हरी सिंह सोढा ने कहा की कांग्रेस ने अल्पसंख्यको को हमेशा वोट बेंक के रूप में इस्तेमाल किया। सरहद के गाँव आज भी मुलभुत सुविधाओं से वंचित हें। उन्होंने कहा की सरहद के गाँवो में रोड हें उस पर डामर नहीं ,स्कूल हे अध्यापक नहीं ,अस्पताल हे डॉक्टर नहीं ,बिजलीघर हें लाइनमैन नहीं। कैसे विकास होता। उन्होंने कहा की सरहद दो बूंद पानी के लिए आज भी तरस रहा हें। इदिरा गाँधी नहर गडरा तक लाने की योजना भाजपा राज में लाये थे कांग्रेस सांप की तरह उस पर कुंडली मार के बैठी हें। डी ऍन पी का मुद्दा गौण हो गया। इस अवसर पर मुराद अली मेहर ने कहा की में बदलाव आ रहा हें अल्पसंख्यक भाजपा के साथ जुड़ रहे हें। हमें मानवेन्द्र सिंह पर भरोसा हें। उन्होंने कहा की इस बार कमर कास लो आज आप लोगो को इतनी बड़ी तादाद में यहाँ देख ख़ुशी हो रही हें। इस अवसर पर भाजपा शिव ब्लोक अध्यक्ष गिरधर सिंह कोटडिया ,जालम सिंह रावलोत ,पूर्ण सिंह राजपुरोहित ,जब्बल खान खानियानी ,मापुरी सरपंच अमिन खान ,सफी खान शम्मा ,इशक खान उतरबा ,पवन खान ,सरादीन अजबनी ,उम्मीद खान रानासर ,गाणी खान मठरानी ,आलम खान ,हुसैन खान ,हुकमाराम ,विरमाराम ,काजी खान बादल खान ,हाजी सर्दीन ,हलिम खान ,मलार खान वकील ,नूर मोहम्मद ,सलीम खान ,इमाम खान ,रहमतुल्लाह ,शाकर खान लादूराम ,धेलु खान ,अमिन हामिद ,सहित सेकड़ो लोग उपस्थित थे। आज मापुरी में पांच सौ एक मुस्लिमो ने मानवेन्द्र सिंह में विशवास जताते हुए भाजपा में शामिल हुए .इससे पूर्व मापुरी सरपंच अमिन खान ने अपने समर्थको के साथ भाजपा में शामिल शामिल हुए। मानवेन्द्र सिंह और हरी सिंह सोढ़ा ने उन्हें मालाये पहना भाजपा में स्वागत किया।

रविवार, 13 अक्तूबर 2013

शिव विधानसभा क्षेत्र ..उम्मीदवारों के नाम की मगजमारी ,कौन हें शिव के उम्मीदवार


चुनावी रणभेरी २०१३। । बाड़मेर शिव विधानसभा क्षेत्र 

दोनों दलों में उम्मीदवारों के नाम की मगजमारी ,कौन हें शिव के उम्मीदवार 

शिव के नतीजे सांसद नतीजे करेंगे 
अल्पसंख्यको का भाजपा में झुकाव चुनाव दिलचस्प बनाएगा 


बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर की सीमावर्ती शिव विधानसभा मोजुद समय में सर्वाधिक चर्चित सीट हो गई हें। भाजपा और कांग्रेस हर हाल में सीट जीतना चाहते हें इसी को उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देने में मगजमारी करनी पड़ रही हें ,वर्तमान में कांग्रेस के खान विधायक हें और उन्हें सरकार में मंत्री पद हासिल हें। अपने अनर्गल बयानों को लेकर हमेशा चर्चित रहने वाले खान को पहली मर्तबा अल्पसंख्यक दिग्गज नेता स्वर्गीय अब्दुल हादी परिवार से कड़ी चुनौती दावेदारी को लेकर मिली हें। गत चुनावो में अमिन खान अंतिम चुनाव बता कर लड़ा था जिसमे लोगो ने दिल खोलकर उन्हें समर्थन देकर जिताया। सरकार में उन्हें अल्पसंख्यक और ग्रामीण मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग देकर मंत्री बनाया। मगर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल टिपणी कर विवादों में फंसे और उन्हें इस्तीफा देना पडा। साल बाद उन्हें वापस मंत्री मंडल में शामिल किया। इसके बाद विवादास्पद बयान आते ,रहे बार अब्दुल हादी की पुत्र वधु शम्मा खान जो की चौहटन की प्रधान हें ने शिव से अपनी सशक्त दावेदारी पेश कर अमिन के सामने संकट खडा कर दिया। शम्मा खान को बाड़मेर के दिग्गज जाट नेताओ का समर्थन हासिल हें। 

पढ़ी लिखी होने के साथ राजनितिक अनुभव उन्हें अमिन से आगे रखता हें , शमा युवा और महिला हें इसका फायदा भी मिल सकता हें। शमा ने कांग्रेस में उच्च स्तर पर अपनी पेठ जमाई हें। अमिन खान चार बार शिव से विधायक रहे मगर लगातार दो बार चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाए। विगत विधानसभा चुनावो के बाद हुए लोक सभा चुनावो में कांग्रेस उम्मीदवार शिव से पिछड़ गए थे। कांग्रेस जिसको भी टिकट देगी भितरघात जरुर होगा। इधर भाजपा में पूर्व विधायक डॉ जालम सिंह रावलोत टिकट के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हें। चुनाव हारने के बाद भी रावलोत क्षेत्र की जनता से जुड़े रहे यह उनको टिकट दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकती हें। अपने विधायकी कार्यकाल में जालम सिंह ने शिव में विकास खूब कराया।

मगर जालम सिंह का पार्टी में विरोध हें। शिव में तेरह अन्य दावेदार हें जिसमे राजेंद्र सिंह भियांड ,मुराद अली म्रेहर ,हरी सिंह सोढा ,रूप सिंह ,स्वरुप सिंह ,प्रमुख हें। इन लोगो ने वसुंधरा राजे को जालम सिंह के अलावा किसी को टिकट देने की मांग की। थी वसुंधरा राजे अल्पसंख्यको को भाजपा से जोड़ने के लिए सियासी दांव खेल सकती हें। पहली बार अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतार मुसलमानों को रिझाने की पहल से इंकार नहीं किया सकता। मुराद अली मेहर सशक्त दावेदार हें। हालांकि शिव में मुस्लिमो का बड़ी तादाद में भाजपा के जुड़ना अमिन खान के लिए सिरदर्द साबित हो रहा हें।इतना ही नहीं अमिन खान के गाँव के कई लोग भाजपा का दामन थाम चुके हें। जो अमिन के लिए बड़ा झटका था। 

जालम सिंह रावलोत को स्वयं सेवक संघ का उम्मीदवार माना जाता हें ,जालम सिंह की कांग्रेस नेताओ से नजदीकियों की खबरों से संघ नाराज़ चल रहा हें। भाजपा प्रदेश अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वास पात्रो की सूचि से जालम सिंह बाहर हें। भाजपा के पास विकल्प नहीं हें। कांग्रेस और भाजपा नए दावेदारों पर दांव लगाने के इच्छुक हें मगर दोनों जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हें। इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों को उतार दे तो कोई आश्चर्य नहीं। यह संभावना भी प्रबल हें की दो नए चहरे उतारे। 

शिव में भाजपा की टिकट उसी को मिलेगी जो पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह चाहेंगे। वसुंधरा राजे ने शिव की टिकट मानवेन्द्र सिंह पर छोड़ दी हें। वहीं अमिन खान का प्रयास हें खुद की टिकट कटे तो जिला अध्यक्ष फ़तेह खान या उनके पुत्र शेर खान को टिकट दी जाए। अमिन खान की बाड़मेर के जाट नेताओ से दुरी उन्हें भारी पड सकती हें। 

शिव विधानसभा में 470 गाँव ,74 ग्राम पंचायते ,8 राजस्व मंडल और 74 पटवार मंडल शामिल हें। चौहटन का बिजराड राजस्व वृत्त शिव में शामिल हें 

अब तक हुए दस विधानसभा चुनावो में कांग्रेस छह बार ,भाजपा दो बार ,जनता पार्टी दो बार जीती हें। 

समीकरण जातिगत। .शिव विधानसभा में मुस्लिम मेघवाल जात गठबंधन कांग्रेस के साथ रहा हें ,राजपूत और अन्य समाज भाजपा के साथ। शिव में 53000 मुसलमान ,34000 अनुसूचित जाति 20000 रावना राजपूत ,22000 राजपूत ,28000 जाट ,10000 अनुसूचित जन जाति ,8000 कुम्हार ,5000 पुरोहित 4000 चारण प्रमुख मतदाता हें। 


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रविवार, 6 अक्तूबर 2013

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

कड़ी टक्कर और दिलचस्प मुकाबला होगा बाड़मेर में कांग्रेस भाजपा में 

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर की सीट पर सभी की नज़ारे हें। विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ एक बार फिर हलचल शुरू हो गयी। बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में वाही उम्मीदवार जीतेगा जिसके पक्ष में जातिगत समीकरण होंगे ,बाड़मेर में कांग्रेस की और से वर्तमान विधायक मेवाराम जैन एकमात्र उम्मीदवार हें। कोई आकस्मिक बड़ा फेरबदल टिकट वितरण में न हो तो उनकी उम्मीदवारी तय हें ,मगर बाड़मेर के जाट नेता मुख्यालय की सीट अपने पास रखना चाहते हें। एन वक्त पर कांग्रेस जाट उम्मीदवार मैदान में उतर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। भाजपा के उम्मीदवार दावेदारों की लम्बी फ़ौज हें। बाड़मेर के कद्दावर नेता गंगाराम चौधरी की पौती डॉ प्रियंका चौधरी ,पिछला चुनाव हरी मृदुरेखा चौधरी ,राम सिंह बोथिया ,रतन लाल बोहरा ,मूलाराम भाम्भू ,अमिता चौधरी ,रणवीर सिंह भादू ,कैलाश बेनीवाल और भी कई नाम हें। मगर इनमे सबसे सशक्त दावेदारी डॉ प्रियंका चौधरी की हें। गंगाराम चौधरी की पौती होने के नाते उनकी दावेदारी वजनदार बनती हें साथ ही बाड़मेर सीट पर प्रियंका चौधरी ही कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हें। शेष उम्मीदवार मेवाराम जैन के सामने टिक नहीं पाएंगे ,गंगाराम का अपना प्रभाव था जो ग्रामीण अंचलो में आज भी बरकरार हें। 


कहने को जाट बेल्ट के आलावा भाजपा के परंपरागत वोट और कांग्रेस के असंतुष्ट के सहारे भाजपा को बाड़मेर से उम्मीद हें तो वर्तमान विधायक मेवाराम जैन कुछ क्षेत्रो में मजबूत हें मगर त्रिपन हज़ार मतों के साथ सबसे ज्यादा वोट जाटो के हें जो मेवाराम से इस बार छिटक सकते हें। गत चुनावो में भी मेवाराम के साथ कांग्रेस के गोर्धन सिंह और मुकनाराम गोरसिया सारथि बने थे ,बाकी कांग्रेसियों ने अपने आप को दूर रखा था। भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खुले आम थे। इन कार्यकर्ताओ में कुछ इस बार भाजपा की दावेदारी भी कर रहे हें। मेवार जैन को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए एडी से छोटी का जोर लगाना होगा साथ ही उन्हें हराने में जुटे प्रभावशाली लोगो पर भी नज़र रखनी होगी ,बाड़मेर में करीब राजपूत ,बीस हज़ार रावन राजपूत ,बारह हज़ार मुस्लिम ,दस से बारह हज़ार जैन ,तीस हज़ार अनुसूचित जाती जनजाति के थोक वोट हें। पिछले चुनावो की हर जीत का अंतर कोई ज्यादा न था बारह हज़ार वोट भाजपा को इधर उधर करने हें जीतने के लिए तो कांग्रेस उम्मीदवार को गंगाराम चौधरी की चुनावी रणनीति को सबसे पहले पार पाना होगा ,गंगाराम का राजनितिक जीवन अनुभव कांग्रेस प्रत्यासी की उम्र के बराबर हें ,गंगाराम हमेशा एक चुनावी रणनीति अपना कर चुनाव लडे और जीते ,उन्होंने दिग्गजों को आसानी से हराया हें। कांग्रेस उम्मीदवार दुआ करे उनके सामने गंगाराम परिवार न हो। भाजपा के लिए सबसे सशक्त उम्मीदवार प्रियंका हें। कांग्रेस प्रत्यासी अपने पांच साल के कार्यकाल का जवाब भी देंगे। चुनावो में कुछ उम्मीदवार अन्य दलों के उतरेंगे तो कुछ निर्दलीय भी लड़ेंगे जो दोनों दलों को नुकसान करेंगे


बाड़मेर विधायक के पक्ष में। बाड़मेर में गत पांच सालो में विकास कार्य खूब हुए ,ओवर ब्रिज ,नया बस स्टेंड ,विद्यालय ,स्वास्थ्य केंद्र ,,टाँके हेंड पम्प,जैसे कई काम विधायक के पक्ष में हें.


विपक्ष में। . स्थानान्तारानो में राजनीती ,गुटबाजी ,विभिन समाजो के साथ असामंजस्य ,आम आदमी को कम नहीं ,विधायक कोष से चहेतो को लाभ ,ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या का निदान नहीं ,जातिगत असंतुलित समीकरण ,नगर परिषद् कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप ,प्रभाव शाली व्यक्तियों का आर्थिक नुक्सान


भाजपा उम्मीदवार पक्ष में वसुंधरा राजे और नरेन्द्र मोदी की लोक प्रियता का फायदा ,जाट प्रत्यासी ,भाजपा के साथ अन्य समाजो का जुड़ना ,विधायक से व्यक्तिगत नाराज प्रभावी लोगो का समर्थन


विपक्ष में कमज़ोर संगठन ,नेतृत्व का आभाव ,गुटबाजी ,कार्यकर्ताओ से दुरी ,चार साल लोगो के बीच से नदारद ,आपसी मतभेद ,

शुक्रवार, 31 मई 2013

सांग सिंह प्रबल दावेदार पर साले मोहम्मद से पैक्ट की चर्चाएँ पड़ सकती हें भारी



जैसलमेर की ताज़ा राजनीती पर ख़ास रिपोर्ट जैसलमेर किस करवट बदलेगी राजनीती


सांग सिंह प्रबल दावेदार पर साले मोहम्मद से पैक्ट की चर्चाएँ पड़ सकती हें भारी



चन्दन सिंह भाटी


जैसलमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसे राजस्थान के अंतिम जिले जैसलमेर में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर स्थानीय नेताओं की जोर आश्माऎस शुरू हो गयी .जिले में दप विधानसभा सीटें जैसलमेर और पोकरण हें ,जन्हा वर्त्तमान में जैसलमेर सीट भाजपा और कांग्रेस के पास पोकरण हें .वर्त्तमान भाजपा विधायक छोटू सिंह भाटी का कार्यकाल कोई नहीं रहा .राजनितिक नासमझ के कारण कई मौको पर छोटू सिंह जनता के बीच अपनी छवि नहीं बना पाए वाही छोटू सिंह द्वारा वर्त्तमान कांग्रेस सरकार का हर कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करने से भाजपा के आला नेता भी उनसे नाराज़ हें ,बताया जा रहा हें की कांग्रेस के हर कार्यक्रम में शरीक होकर छोटू सिंह गुणगान करते नज़र आने से भाजपा कार्यकर्ता खफा हें ,विकास के नाम पर भी छोटू सिंह कुछ भी नहीं कर पाए .विधायक कोटे का भी उपयोग नहीं कर पाए ,वर्तमान विधायक भाजपा प्रदेश अध्यक्षा वसुंधरा राजे की टीम से मेल नहीं खाते उन पर गाज गिर सकती हें ,भाजपा के पास दावेदारों में पूर्व विधायक सांग सिंह ,रेणुका भाटी ,मनोहर सिंह अडबाला ,रणवीर सिंह सोढा शामिल हें ,सांग सिंह ने गत पांच सालो में अपनी छवि जन नेता की बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी .जनता हो या किसान या छात्र हर आन्दोलन में साथ खड़े नज़र आये वही जन हित मुद्दों की पैरवी ,कांग्रेस नेताओं ,मंत्रियों का घेराव करने में भी अग्रणी ,रहे सांग सिंह जैसलमेर से सशक्त दावेदार हें मगर दो मर्चों पर वो भी कमज़ोर साबित हो रहे हें छोटू सिंह पर राजनितिक आरोप हें की उन्होंने अल्पसंख्यक नेता और पोकरण विधायक साले मोहम्मद से पेक्ट कर रखा हें की वो पोकरण में उनकी मदद करेंगे साले मोहम्मद जैसलमेर में मुसलमानों के वोट दिला कर मदद करे।इसी पेस्ट की शिकायत वसुंधरा राजे तक भाजपा के स्थानीय नेताओ ने की हें ,सांग सिंह पर कथित सी डी प्रकरण में शामिल होने की चर्चे हें ,इस सी डी को राज्य के एक चेनल ने चलाया था जिसके चलते उनकी टिकट कटी थी , इस बार सांग सिंह को टिकट मिली तो काफी भरी उम्मीदवार साबित होंगे अलबता एनी उम्मीदवारों में मनोहर सिंह अडबाला की साफ़ छवि और युवा होने के कारन उन्हें प्राथमिकता मिले तो कोई आश्चर्य नहीं सांग सिंह अगर फ़क़ीर परिवार के साथ किये कथित पेक्ट को छोड़ते हें तो भाजपा को पोकरण में भी सफलता मिल सकती हें ,कांग्रेस के पास भी जैसक्मेर में दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त हें ,उम्मेद सिंह तंवर ,सुनीता भाटी ,सभापति अशोक सिंह तंवर ,गोवर्धन कल्ला ,दिनेश पाल सिंह ,जनक सिंह सत्तो ,देव्कारम माली ,इनमे उम्मेद सिंह तंवर और सुनीता भाटी सशक्त दावेदार हें ,अशोक गहलोत से नज़दीकियों का फायदा उम्मेद सिंह तंवर को मिले तो कोई आश्चर्य नहीं ,पोकरण में कांग्रेस के पास एक मात्र उम्मीदवार साले मोहम्मद हें वहीं भाजपा की और से गत चुनावों में बहुत कम अंतर से हरे शैतान सिंह ,पूर्व शिव विधायक जालम सिंह रावलोत ,मुराद अली मेहर के साथ साथ पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह नाम भी चर्चा में हें ,शैतान सिंह को भाजपा एक और मौका दे सकती हें क्योंकि गत चुनावों में एक बारगी शैतान सिंह की जीत तय हो गयी थी मगर पोस्टल मतों में गणित बिगाड़ दिया लगभग पांच सौ मतों से चुनाव हार गए थे .भाजपा को पोकरण सीट निकलने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे क्योंकि वर्तमान विधायक साले मोहम्मद ने अपने कार्यकाल में हर वर्ग के लोगो का काम किया हें ,अलबता पोकरण और जैसलमेर प्रशासन में साले मोहम्मद समर्थको का दबदबा अन्य समाज के लोगो को पसंद नहीं आ रहा ,साले मोहम्मद के समर्थको का जिला प्रशासन में इस कदर आंतक हें की कोई अधिकारी इनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते ,हर किसी के पास साले मोहम्मद जैसा पॉवर होना साले मोहम्मद के खिलाफ जा सकता हें .फ़क़ीर परिवार की बादशाहत को ग्रान लग चुका हें ,गाजी फ़क़ीर के नेपथ्य में जाने से और अल्पसंख्यक समुदाय में गाजी फ़क़ीर के विरोध के कारण कई मुस्लिम नेता उनके खिलाफ हो गए वर्तमान में जैसलमेर की राजनीती में भाजपा कांग्रेस के पास एक एक सीट जीतने का मौका हें मगर जो चुनाव में पूर्ण राजनितिक कूटनीति और रन निति से लडेगा उसे सफलता मिल सकती हें ,पिछली बार बागियों ने दोनों दलों का खेल बिगाड़ दिया था ,छोटू सिंह को शहरी मतदाताओ के अतिरिक्त समर्थन के कारन सफलता मिल गयी थी .--

रविवार, 7 अप्रैल 2013

युवाओं ने भाजपा का दामन थामा ...मानवेन्द्र सिंह में जताया विशवास


युवाओं ने भाजपा का दामन थामा ...मानवेन्द्र सिंह में जताया विशवास

गनपत भार्गव ,कोमरेड द्वारकेश के पुत्र कृष्णा कुमार जैन भाजपा में शामिल हुए

बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मेंबाड़मेर के दो सौ कार्यकर्ताओ ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण करपूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह में विशवास व्यक्त किया .सर्किट हाउस मेंआयोजित कार्यक्रम में बाबू शेख ,मुबारक मिरासी , शौकत ,शाह मोहम्मदकोटवाल ,सलीम खान ,पीर मोहम्मद ,वसीम शैख़ ,इलियास ,सवाई खान मीर ,पठानखान ,सवाई खान ,हकीम खान ,गनपत भार्गव ,के नेतृत्व में कोटवाल ,मिरासी,सिपाही ,समाज के दो सौ युवाओं ने मानवेन्द्र सिंह में विशवास व्यक्तकरते हुए भाजपा में शामिल हुए वहीं बाड़मेर के मजदूर नेता कोमरेड द्वारकेशके पुत्र कृष्णा कुमार जैन भी भाजपा में शामिल हुए जन्हा मानवेन्द्रसिंह ने युवाओं को मालाये पहन कर उनका भाजपा में स्वागत किया ,मानवेन्द्र
सिंह ने कहा की युवाओं का भविष्य भाजपा में संवरेगा ,युवा कार्यकर्तापार्टी की रीड की हड्डी हें ,उनकी मेहनत से राज्य में सरकार बनायेंगे

चोहटन आज भी विकास से महरूम ..मानवेन्द्र सिंह



चोहटन आज भी विकास से महरूम ..मानवेन्द्र सिंह


बाड़मेर भाजपा के राष्ट्रिय कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व सांसद मानवेन्द्रसिंह ने रविवार को चौहटन विधान सभा के दर्जन से अधिक गाँवों में जन सभाएकर आम जनता को बाड़मेर में जून में आने वाली सुराज संकल्प यात्रा मेंभागीदारी के लिए आमंत्रित किया .मानवेन्द्र सिंह ने आज गंगासरा फागालिया,तडला साता ,बाखासर ,बाबरवाला हाथला भलगांव सुहागी आदी गाँवो का दौरा करजन सभाए की .उनके साथ रतन सिंह बाखासर ,बालाराम मंडल अध्यक्ष ,आदुराममेघवाल ,तरुण कागा ,बशीर धरेजा ,राय सिंह बाखासर भरत दान पूर्व सरपंच तडला थे .बाखासर में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मानवेन्द्र सिंह ने कहा की पिछले चार सालो में क्षेत्र के विकास कार्य ठप्प पड़े हें,उन्होंने राज्य सरकार को आड़े हाथो लेते हुए कहा की सरकार द्वारा निःशुल्क जांच योजना आज लागू की हें जबकि पूर्व में निःशुल्क दवा योजना का लाभ आम जन को मिल नहीं पा रहा उन्होंने आरोप लगाया की आज तक निःशुल्कदवा योजना में शामिल छह सौ दवाईयों में से साठ सतर दवाईया भी उपलब्धनहीं करा पाई .अस्पतालों में लोगो को विशेषग्य चिकित्सको के आभाव मेंउपचार नहीं मिल रहा .चिकित्सक लगाने की बजाय आम जनता को निःशुल्कयोजनाओ के नाम पर ठगा जा रहा हें ,उन्होंने खुलासा किया की जो स्कीम आजलागू करने का ढिंढोरा सरकार पीट रही हें 

इनमे अधिकांस जांचे वसुंधरासरकार के समय से निःशुल्क चल रही हें ,उन्होंने कहा की चौहटन मेंओद्योगिक विकास की संभावनाओ को वसुंधरा राजे सरकार के समय तलाशा गया था.बाखासर के रण क्षेत्र में नमक उद्योग लगाने की योजाना को अंतिम रूप दियाथा जिसे गहलोत सरकार ने बंद कर दिया ,उन्होंने कहा की चौहटन को नमक तथाहस्तशिल्प उद्योग के विकास की महती आवश्यकता हें ,इसलिए आगामी विधान सभाचुनावों में चौहटन क्षेत्र की सरकार में भागीदारी जरुरी हें ,उन्होंनेकहा की सरकार पेयजल योजनाओ पर हज़ारो करोड़ रुपये खर्च करने का दावा कर रहीहें मगर आज भी सरहदी चौहटन क्षेत्र की जनता प्यासी हें ,उन्हें आज भीपीने का पानी मीलो पैदल चल कर लाना पद रहा हें ,उन्होंने कहा की नर्मदानहर का पानी चौहटन लाने का वादा राज्य की गहलोत सरकार ने किया था 

मगर नर्मदा नहर का पानी चौहटन लाने की योजना आज तक सिरे नहीं चडी .इस अवसर पररतन सिंह बाखासर ने कहा की चोहटन की जनता इस बार भुलावे में नहीं आयेकांग्रेस की कथनी और करनी में अंतर हें इसे जनता को समझाना होगा,उन्होंने कहा की वसुंधरा राजे की सुराज यात्रा को सफल बनाने के लिए आपलोगो की भागीदारी जरुरी हें ,जनता को भ्रमित करने वाली गहलोत सरकार कोमुंह तोड़ जवाब देना होगा .उन्होंने आरोप लगाया की चौहटन की विकास योजनाओको कांग्रेस के दो घरानों की आपसी लड़ाई में रोकी जा कर जनता के हितो केसाथ कुठाराघात किया जा रहा हें ,.तरुण कागा ने कहा की चौहटन के किसानो के
साथ राज्य सरकार ने किया हें ,किसानो की निरंतर अनदेखी की जा रही हेजिसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा .आदुराम मेघवाल ने कहा की भाजपा की प्रदेशअध्यक्ष वसुंधरा राजे को सुराज संकल्प यात्रा में जबरदस्त जन समर्थन मिलरहा हें जिससे गहलोत सरकार हें . कर जनता को भ्रमित करने का प्रयासकर रही हें मगर अब जनता गहलोत की चुनावी चलो को समझ गयी हें ,इसका समय पर मुंह तोड़ जवाब ,देगी

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

कार्यकर्ताओ के खून पसीने से सीची हें भाजपा



भाजपा का स्थापना दिवस मनाया


कार्यकर्ताओ के खून पसीने से सीची हें भाजपा

बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस शनिवार शाम को स्थानीय सर्किट हाउस में पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह के मुख्य आतिथ्य और वेद वल्लभ शास्त्री ,गोविन्द जी खत्री और आसुलाल बोथरा के विशेष आतिथ्य और भाजपा जिला अध्यक्ष मेजर पर्वत सिंह की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजित किया गया .इस अवसर पर मेजर मानवेन्द्र सिंह ने कहा की भाजपा अनुशासित पार्टी हें ,कार्यकर्ताओ का हमेशा मान सम्मान किया जता हें उन्होंने कहा की आज प्रदेश अध्यक्षा वसुंधरा राजे सुराज संकल्प यात्रा के जरिये आम जनता के बीच जाकर जनता से रूबरू हो रही हें ,उन्होंने कहा की कार्यकर्ता अगले दो माह तक सुराज यात्रा के बाड़मेर में सफलता सुनिश्चित करने में जुट जाए ,उन्होंने कहा की भाजपा देश हित को सर्वोपरि मानती हें ,कार्यकर्ताओ के खून पसीने से सींची पार्टी हें ,कार्यकर्ता की हर बात को ऊपर तक पहुँचाया जाएगा ,उन्होंने स्पष्ट कहा की कार्यकर्ता भाजपा में विशवास रखे इसे सहारे हम आगे बढ़ पायेंगे ,इस अवसर पर मौलाना अब्दुल करीम ने कहा की आगामी विधान सभा चुनावों में भाजपा की सफलता सुनिश्चित करने में कार्यकर्ताओ की अहम् भूमिका रहेगी अभी से कमर कास ले ,प्रियंका चौधरी ने कहा की भाजपा किसानो के हितो को सकारात्मक तरीके से सोचती हें आम जनता की पार्टी हें ,उन्होंने कहा भाजपा जनता के सुख दुःख में हमेश शरीक होती हें ,इस अवसर पर स्वरुप सिंह राठोड ने कहा की जनसंघ से लेकर जनता पार्टी और भाजपा देश भक्ति की मिशल रही हें ,कैलाश बेनीवाल ने कहा की कांग्रेस की कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहा हें इस अंतर को समझने का समय आ गया हें ,इस अवसर पर रूप सिंह राठोड ,असरफ अली ,म्रदुरेखा चौधरी ,अमिता चौधरी ,राम सिंह बोथिय ,तरुण कागा ,आदुराम मेघवाल ,,बलराम प्रजापत सहित कई नेताओ ने संबोधन दिया कार्यकर्ताओ ने आकाश गुंजायमान कर दिया

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र .......भाजपा कांग्रेस में उमीदवारो की फौज

उम्मेद सिंह तंवर

मनोहर सिंह अडबाला

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र .......भाजपा कांग्रेस में उमीदवारो की फौज


जितने कार्यकर्ता उतने ही दावेदार 

कांग्रेस उम्मेद सिंह पर खेल सकती हें दाव



नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में स्थानीय नेता अभी से जुट गए हें ,कांग्रेस इस सीट को हासिल करने के लिए नए उम्मीदवार पर डाव खेलेगी तो भाजपा अपने वर्तमान विधायक की गतिविधियों और कामकाज से ज्यादा भरोसा उन पर नहीं कर रही .गत विधानसभा चुनावों में भाजपा के छोटू सिंह बहती ने कम अंतर से यह सीट निकाली थी ,कांग्रेस को उनके बागी उम्मीदवारों ने जोर का झटका दिया था .पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला की निर्दलीय उम्मीदवारी ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था ,कांग्रेस के उम्मीदवार सुनीता बहती और भाजपा के छोटू सिंह के बीच के इस मुकाबले को किशन सिंह बहती और गोवर्धन कल्ला ने चतुश्कोनिय बना कर दिलचस्प कर दिया था अंततः यह सीट भाजपा की झोली में गई ,भाजपा विधायक छोटू सिंह बहती अपने कार्यकाल में कोई ख़ास उपलब्धि हासिल करने में नाकाम रहे ,वही भाजपा के कार्यकर्ताओ का भी विशवास प्राप्त नहीं कर पाए जिसका नतीजा हें की जिला परिषद् सदस्य मनोहर सिंह भाटी अडबाला भाजपा की और से सशक्त दावेदार के रूप में उभर कर सामने आये हें ,उनकी राजपूत समाज के अलावा एनी समाजो में गहरी पथ हें ,युवा भी हें ,काफी लोकप्रिय हें जिसके कारण उनकी सशक्त उम्मीदवारी को नहीं जा सकता वैसे पूर्व विधायक सांग सिंह भी दावेदारी में हें मगर भाजपा उनके दामन में लगे सी दी काण्ड के दाग के कारन उनकी अनदेखी करे तो कोई आश्चर्य नहीं .इधर कांग्रेस ने भी अपनी सत्ता होने के मौके को सही तरीके से भुना नहीं पाई ,जैसलमेर शहर में नगर पारिषद के सभापति अशोक सिंह तंवर और यु आई टी अध्यक्ष उम्मेद िंह तंवर को अवसर देकर हजूरी समाज को लुभाने का प्रयास किया .मगर कांग्रेस को इसमे ज्यादा सफलता मिलेगी इसमे संदेह हें ,पोकरण विधायक साले मोहम्मद का जैसलमेर क्षेत्र में जबरदस्त हस्तक्षेप के कारण मुस्लिम जैसलमेर में एनी कांग्रेसी कार्यकर्ताओ पर हावी रहे जिसकी शिकायक इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वरिष्ठ कार्यकर्ताओ ने की थी जिसके चलते साले मोहम्मद के पर भी कतरे गए मगर जैसलमेर में अल्पसंख्यको के बढ़ाते प्रभाव के कारन एनी समाजो का कांग्रेस से मोह भंग हुआ इसमे कोई दो राय नहीं .भाजपा इस मौके को भुनाना चाहेगी .जैसलमेर से भाजपा और कांग्रेस की तरफ से राजपूत उम्मीदवारों के बीच उम्मेद सिंह तंवर बन कर , हें कांग्रेस नहीं कर क्योकि तंवर गहलोत के नजदीक होने के साथ ही कांग्रेस संघठन में गहरी पेठ रखते हें ,नगर परिषद् के सभापति अशोक तंवर को एक विधायक के तौर पर कार्य करने का भरपूर अवसर था मगर वो इस अवसर को भुना नहीं पाए .जैसलमेर राज परिवार की राजनीती में घटती दिलचस्पी के कारन एनी लोगो को अवसर मिलेंगे .भाजपा के पास रणवीर सिंह खुहडी ,मनोहर सिंह अडबाला ,सांग सिंह भाटी ,स्वरुप सिंह हमीर जैसे दावेदार हें तो कांब्ग्रेस के पास सुनीता बहती ,उम्मेद सिंह तंवर ,अशोक सिंह तंवर ,जनक सिंह भाटी ,गोवर्धन कल्ला जैसे दावेदार हें ,

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2013

"आप साथ दो तो मैं लड़ने के लिए तैयार"

"आप साथ दो तो मैं लड़ने के लिए तैयार"
 

राजसमन्द। प्रदेश और केन्द्र में सत्ता परिवर्तन के संकल्प के साथ मेवाड़ के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चारभुजा से गुरूवार को शुरू भाजपा ने सुराज संकल्प यात्रा का दूसरे दिन जिले के देवगढ़,आमेट,कुंवारिया एवं रेलमगरा क्षेत्र में जगह-जगह स्वागत किया गया।

राजे ने जगह-जगह लोगों को संबोधन करेते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार में किसान को खाद बीज मिल रहा है या नहीं,लोगों की चिकित्सा व्यवस्था पूरी है की नहीं,रोजगार के प्रदेश में क्या स्थिति है।

स्कूलों में शिक्षक है या नहीं यह सभी सरकार के दावों की हकीकत जानने आई हूं। दो दिन में इस बात का अहसास हो गया है कि सरकार ने सिर्फ दावें ही किए है। इससे ज्यादा कुछ नहीं किया है। उन्होंने जगह-जगह लोगों से कहा कि मैं आपके हक के लिए लड़ने को तैयार हूं क्या आप मेरा साथ दोगे।

इस दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने रथ पर वसुन्धरा को फूलो से लाद दिया तो कहीं मां दुर्गा तो कहीं पर भगवान देवनारायण की तस्वीर व तलवार भेंट कर उन्हें अपना समर्थन भी दिया। इस दौरान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुन्धरा राजे ने कई जगह अपने उद्बोधन में कहा किवे कांग्रेस के दावों का सच जानने के लिए जनता के बीच आई है।


इससे पूर्व शुक्रवार सुबह करीब 10 बजकर 20 मिनट पर वसुन्धरा का रथ सुराज का लक्ष्य लेकर देवगढ़ से आमेट की ओर बढ़ा। देवगढ़ में उन्होंने लोगों को कहा कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे देवगढ़ में महाविद्यालय एवं पेयजल की समस्या का निदान करेंगी।

इसके बाद जिसके स्वादड़ी पहुंचने पर वहां लोगों ने राजे का स्वागत किया। इसके बाद जिरण एवं चित्तौड़ी में भी राजे के सुवागत किया गया। जहां पर कुछ महिलाओं ने उन्हें चुन्दड़ी ओढ़ाई। इसके बाद उन्होंने कहा कि वे इस चुन्दड़ी की लाज रखेगी।

आमेट में जगह-जगह स्वागत
राजे के आमेट में पहुंचने के साथ ही उनका जगह-जगह स्वागत किया गया। नगर में सभी समाजों एवं सम्प्रदाय के लोगों ने राजे का स्वागत किया गया। उनके साथ नेता प्रतिपक्ष गुलाचंद कटारिया,यात्रा के संयोजक भूपेन्द्र यादव,पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह राठौड़ भी रथ में साथ थे।

इस दौरान मुस्लिम समाज के लोगों ने मजिस्द के बाहर राजे का स्वागत कर अपना समर्थन की बात कही। इसके बाद आमेट में राजे जयसिंह श्याम मंदिर पहुंची और उन्होंने वहां पूजा अर्चाना की। यहां से राजे का रथ सरदारगढ़ पहुंचा और वहां पर भी लोगों उन्हें तलवार भेंट की।

मां की यादें हुई ताजी
राजे के रथ जब सरदारगढ़ पहुंचा तो जहां एक ओर ग्रामीण उनके स्वागत को आतुर थे तो दूसरी ओर में भीड़ को चिरती हुई राजे की निगाहें एक तस्वीर पर पहुंची। उसमें उनकी माता विजयराजे सिन्घिया का फोटो दिखाई दिया। जिसे देख कर उस तस्वीर को उन्होंने अपने पास मंगवाई और उसे देख कर वे अभिभूत हो गई। उसमें उनकी माता के 80 के दशक में आमेट क्षेत्र के दौरे के दौरान के फोटो थे। जिसे बाद में वे अपने साथ ले गई।

घोड़े से भी लाड़ लड़ाया
जब राजे की यात्रा कुकाड़ा पहुंची तो वहां पर मक्खनसिंह नामक युवक ने रथ के आगे अपने दो घोड़ो का नचा कर राजे का स्वागत किया। इसके बाद राजे ने इन घोड़ो को अपने पा बुलाया कर उसे हाथ फैर लाड़ कर उसे सैल्युट किया।

जिसका विधानसभा क्षेत्र वो रथ में
राजे का रथ जिस विधायक के क्षेत्र में गया उस क्षेत्र का विधायक रथ में सवार हुआ। देवगढ़ में रथ में भीम देवगढ़ विधायक हरि सिंह रावत सवार होकर चले तो आमेट विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह राठौड़ रथ में सवार नजर आए। जैसे ही साकरोदा चौराहा आया तो उस रथ में राजसमन्द विधायक किरण माहेश्वरी नजर आई।

आगरिया के लोग हुए निराश
राजे का आमेट से आगरिया होकर यात्रा के सरदारगढ़ पहुंचने कर कार्यक्रम निर्घारित था। चूंकि पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह का गांव होने से यहां पर लोगों में अत्यधिक उत्साह था लेकिन समय के अभाव में आगरिया का कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया। जिससे वहां के लोगों को निराशा हाथ लगी।

यात्रा में जेबतराशी भी
यात्रा के दौरान कुछ जेबतराश भी साथ थे। जिन्हें आमेट में कुछ कार्यकर्ताओं ने पकड़ कर उनकी जमकर पिटाई कर दी। बाद में पुलिस को सौप दिया। आमेट थाना प्रभारी विवेक सिंह ने बताया कि इस दौरान 11 जेबतराशों को चिन्हित कर उन्हें हिरासत में लिया गया। जिनसे पुलिस पूछताछ कर रही है।

दो दिन में यात्रा के दौरान करीब एक लाख रूपए से अधिक की जेबतराशी हुई थी। देवगढ़ में गुरूवार को सभा के दौरान भंवर लाल शर्मा का मोबाईल,भगवतसिंह का बटुआ,अर्जुनलाल सालवी का पर्स व मोबाइल चुरा कर लिया था।