सोमवार, 17 मार्च 2014

मोदी को चुनाव में हराने की चुनौती मंजूर: केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल ने रविवार को घोषणा की कि वह वाराणसी से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी का सामना करने को तैयार हैं लेकिन साथ ही शर्त लगाई कि वह ऐसा तभी करेंगे जब लोग चाहेंगे।Image Loading
यहां एक रैली को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि वह मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ें और वह गुजरात के मुख्यमंत्री की चुनौती को स्वीकार करते हैं कि जिन्हें पराजित किया जाना चाहिए। बहरहाल केजरीवाल ने कहा कि वह 23 मार्च को वाराणसी में रैली करेंगे और लोगों की प्रतिक्रिया देखेंगे और संकेत दिया कि इसके बाद ही वह अंतिम निर्णय करेंगे।

उन्होंने कहा कि मैं 23 मार्च को वाराणसी जाऊंगा। हम वाराणसी में रैली करेंगे। वाराणसी के लोग जो कहेंगे वही अंतिम होगा। अगर वाराणसी के लोग मुझे यह जिम्मेदारी देने का निर्णय करते हैं तो मैं तहेदिल से इसे स्वीकार करूंगा।

केजरीवाल ने कहा कि लेकिन इस चुनाव को मैं आज स्वीकार नहीं करता हूं। मैं वाराणसी जाऊंगा। 23 मार्च को हम वाराणसी में रैली करेंगे। मैं इस देश के लोगों से अपील करता हूं कि वे 23 को वाराणसी आएं। उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुझे टिकट दिया है लेकिन पार्टी द्वारा टिकट देना मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है। जिस दिन इस देश के लोग मुझे टिकट देंगे मैं नरेन्द्र मोदी के खिलाफ लड़ूंगा।

केजरीवाल ने मोदी की इस बात को भी लेकर आलोचना की कि भाजपा नेता दो क्षेत्रों से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और कहा कि वह सुरक्षित सीट की तलाश कर रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि दोस्तों, मैं पिछले कुछ दिनों से सुन रहा हूं कि मोदी दो जगहों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। वह सुरक्षित सीट की तलाश कर रहे हैं...सुना है कि वह गुजरात के एक सीट से भी चुनाव लड़ेंगे।

उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा करते हैं तो मानो वह गुजरात के नेता हैं लेकिन देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। केजरीवाल ने कहा कि उन्हें एक सीट से लड़ना था। दो सीटों से लड़ना़...लोगों को निश्चित रूप से संदेह होगा कि वह सुरक्षित सीट की तलाश क्यों कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम बहादुर प्रधानमंत्री चाहते हैं। क्या हम ऐसा प्रधानमंत्री चाहते हैं जिसे सुरक्षित सीट की तलाश है।

रविवार, 16 मार्च 2014

वृन्दावन: रंग खेलकर विधवाओं ने तोड़े कुरीतियों के बंधन

भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृन्दावन में निवास करने वाली विभिन्न प्रदेशों की विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रही कुरीतियों को तोड़ते हुए पहली बार अबीर-गुलाल से रंग भरी होली खेली. बुजुर्ग महिलायें, विधवायें एवं परित्यक्त महिलाओं में से ही कुछ एक ने राधा-कृष्ण तथा गोपियों के रूप धर कर एक-दूसरे से जमकर होली खेली.

इस कार्यक्रम में इन महिलाओं ने करीब ढाई कुंतल गुलाल व चार सौ किलो फूलों की वर्षा कर अपनी खुशी का इजहार किया. यह संभवत: पहला मौका था जब महिलाओं का उल्लास फूटा पड़ रहा था. उनको यह अवसर उपलब्ध कराया था गैर-सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल ने. इस संगठन ने वृंदावन की 1000 विधवाओं के जीवन-स्तर में सुधार के लिए न केवल तमाम उपाय किये हैं, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए भी तमाम प्रयास किये हैं.

इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के मुखिया डा. बिन्देश्वरी पाठक ने कहा कि उन्होंने विधवा एवं समाज द्वारा परितयक्त महिलाओं को भी सामान्य जीवन व्यतीत करने का मौका देने के लिए होली के इस कार्यक्रम का आयोजन किया है.

पाठक ने बताया कि वृन्दावन में आयोजित इस कार्यक्रम से दुनिया भर में यह संदेश जाएगा कि भारत की विधवा महिलाओं ने सदियों से चली आ रहीं कुरीतियों की बेड़ियां तोड़ दी हैं. अब वे भी अन्य जनसामान्य के समान ही जीने का अधिकार रखती हैं. पाठक ने महिलाओं से अपील की कि वे मनचाहा भोजन करें, गाएं-बजाएं, अपनी इच्छानुसार गीत-संगीत के कार्यक्रमों में शामिल हों और यदि चाहे तो मनचाहे साथी के साथ शादी कर घर बसाएं.

उन्होंने कहा कि अगले चरण में सुलभ का प्रयास होगा कि ये महिलाएं गांवों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अलख जगाएं. उन्होंने कहा कि इन महिलाओं को नर्सिंग के सामान्य कार्यों का प्रशिक्षण देकर तथा अहानिकारक दवाओं की जानकारी देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का प्रयास किया जाएगा. पाठक ने बताया कि इसी प्रकार का आयोजन वाराणसी में भी किया जा रहा है.



 

आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले पर शख्स पर तेजाब से हमला



आसाराम के खिलाफ चल रहे बलात्कार मामले में एक गवाह पर दो अज्ञात लोगों ने रविवार को तेजाब से हमला किया. आसाराम और उनके पुत्र के खिलाफ चल रहे बलात्कार के मामले के गवाहों पर यह तीसरा तेजाब हमला था.
आसाराम
पुलिस उपायुक्त शोभा भुटदा ने बताया, ‘वेसु इलाके में दो लोगों ने आसाराम के खिलाफ चल रहे बलात्कार मामले के गवाह पर तेजाब से हमला किया.’ अधिकारी ने बताया, ‘पीड़ित की पहचान दिनेश सिंधी (39) के रूप में हुई है. इसने मामले में आसाराम के खिलाफ गवाही दी है.’ उन्होंने कहा, ‘वेसु रॉयल रेसीडेंसी के पास अपने घर जा रहे दिनेश पर यह हमला हुआ. बाइक सवार दो लोगों ने उन्हें ओवरटेक किया और उनपर तेजाब फेंका.’ दिनेश को निजी अस्पताल में ले जाया गया है.

आसाराम और उनके पुत्र नारायण साई के खिलाफ चल रहे बलात्कार मामलों के गवाहों पर यह तीसरा तेजाब हमला किया गया है.

गवाहों को पुलिस सुरक्षा देने के संबंध में पूछने पर शोभा ने कहा, ‘ज्यादातर गवाहों को पुलिस सुरक्षा दी गई है लेकिन इन तीनों ने सुरक्षा लेने से मना कर दिया था.’

पुलिस जब दिनेश से पूछताछ करने अस्पताल पहुंची और दिनेश ने अपने बारे में जानकारी दी तो पुलिस भी हैरान रह गई थी क्योंकि दिनेश आसाराम का पूर्व साधक था.

28 फरवरी को नारायण साईं बलात्कार मामले की फरियादी के पति पर चाकू से जानलेवा हमला, फिर 12 मार्च को आसाराम बलात्कार मामले की गवाह के पति पर हमला और अब दिनेश पर एसिड अटैक की घटना ने शहर में दहशत का माहौल बना दिया है.


सूरत की एक महिला ने आसाराम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने महिला को 1997 से 2006 के बीच अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखा और बार-बार बलात्कार किया. इस दौरान महिला अहमदाबाद के बाहर स्थित आसाराम के आश्रम में रहती थी. महिला की छोटी बहन ने आसाराम के पुत्र नारायण साई के खिलाफ ऐसी ही शिकायत दर्ज करायी है.

सितंबर 2013 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से आसाराम (72) जोधपुर की जेल में बंद है.


 

गंगाराम चौधरी कि स्थति नाज़ुक। आई सी यु में हुए भर्ती



बाड़मेर खांटी नेता गंगाराम चौधरी के स्वास्थ्य में रविवार को आई गिरावट के बाद उन्हें बाड़मेर के राजकीय अस्प्ताल में उपचार के लिए दाखिल कराया गया हें। उन्हें आई सी यु में उपचार दिया जा रहा हें।

श्रीलंकाई बल्लेबाज संगकारा ने की संन्यास की घोषणा

ढाका। श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान कुमार संगकारा ने घोषणा की है कि वह ट्वेंटी-20 विश्व कप के बाद अंतर्राष्ट्रीय ट्वेंटी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे।
विश्व क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में शुमार संगकारा ने हालांकि कहा कि वह फ्रेंचाइजी आधारित ट्वेंटी-20 लीग में खेलते रहेंगे। इससे यह तय हो गया है कि वो बीसीसीआई द्वारा आयोजित इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में खेलते रहेंगे।

हालांकि आईपीएल के सातवें संस्करण संगकारा नहीं खेल रहे हैं। आईपीएल में वो डेक्कन चार्जस, किंग्स इलेवन पंजाब और सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से कप्तानी कर चुके हैं।

संगकारा ने श्रीलंका के लिए खेले 50 अंतर्राष्ट्रीय ट्वेंटी-20 मैच में 32.77 की औसत से कुल 1311 रन बनाए हैं। अब तक संगकारा का स्ट्राइक रेट 120 का रहा है।

समाचार पत्र `संडे आइलैंड` ने 36 वर्षीय संगकारा के हवाले से लिख कि निश्चित तौर पर यह मेरा अंतिम ट्वेंटी विश्व कप होगा. मैं इसके बाद अंतर्राष्ट्रीय ट्वेंटी-20 क्रिकेट नहीं खेलूंगा। यह दुखद लेकिन सच है।

संगकारा ने आगे कहा कि हालांकि इसके बाद मेरा ट्वेंटी-20 करियर समाप्त नहीं हो रहा क्योंकि मैं फ्रेंचाइजी आधारित ट्वेंटी-20 लीग में खेलता रहूंगा। मेरा मानना है कि जब आपके लिए आगे और विश्व कप खेलने की उम्मीद खत्म हो जाती है आपको युवा खिलाडियों के लिए रास्ता बनाने का काम करना चाहिए।

संगकारा 2009 ट्वेंटी-20 विश्व कप के दौरान श्रीलंकाई टीम के कप्तान थे। इसके अलावा उन्होंने अपनी टीम को 2012 विश्व कप के फाइनल में पहुंचाने में अहम योगदान दिया था। हालांकि दोनों विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका को हार का सामना करना पड़ा था। -  

बाड़मेर होलिका दहन हुआ सम्पन। क़ल रंग बरसेंगे

बाड़मेर होलिका दहन हुआ सम्पन। क़ल रंग बरसेंगे 


बाड़मेर होली का पर्व रविवार को उमंग और उल्लास से मनाया गया । चौराहों पर गोधूलीबेला में शाम 6.32 बजे से विभिन मोहल्लो में होलिका दहन किया गया । बाड़मेर शहर में सुभाष चौक ,हनुमान मंदिर ,सहित दो दर्जन से अधिक स्थानो पर होलिका दहन किया गया।  अब सोमवार को धुलंडी पर गुलाबी शहर में प्रेम और स्नेह के रंग बरसेंगे। जाति-वर्ग का भेद भूलकर लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर खुशी बांटेंगे। वहीं, सड़कों पर मस्तानों की टोलियां ढोल-नगाड़ों की धुनों पर हुल्लड़ मचाते हुए दिखाई देंगे। घरों में भी पकवानों की खुशबू महकेगी। मंदिरों में लोग ठंडाई का आनंद लेंगे।

भक्तों संग होली खेलेंगे गोविंद

शहर के आराध्य चारभुजा  मंदिर में रविवार को होली के रंग बिखरेंगे। भगवान चारभुजा जी  और राधाजी के हाथ में सोने की पिचकारी होगी। मंदिर जगमोहन से भक्तों पर गुलाल व पिचकारी से रंगों की वर्षा की जाएगी। आज़ाद चौक  स्थित मंदिर मेंं विशेष झांकी सजेगी।

प्रतिपदा से गणगौर पूजन शुरू

अखंड सुहाग की कामना एवं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए महिलाएं व कुंआरी कन्याएं 17 मार्च से पार्वती के स्वरूप गणगौर की पूजा करेगी। इस दिन से महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के साथ-साथ उन्नति की कामना को लेकर शिव के रूप में ईश व माता पार्वती के रूप में गणगौर की पूजा कर 16 दिन तक देवी को मनाएगी। गणगौर का पर्व 2 अप्रेल को मनाया जाएगा। इससे एक दिन पूर्व 1 अप्रेल को सिंजारा होगा। गणगौर में 16 दिन तक 16 देवियों की पूजा होगी। इस बीच 23 मार्च को रांधापुआ और 24 मार्च को शीतलाष्टमी (बास्योड़ा) का त्योहार मनाया जाएगा। - 

गिटर पिटर। … आडवाणी राजस्थान से लड़ेंगे चुनाव ?

गिटर पिटर। … आडवाणी राजस्थान से लड़ेंगे चुनाव ?

बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लाल कृष्णा आडवाणी इस बार लोकसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने का मानस बना चुके हें। पार्टी के विशेष सूत्रो ने बताया कि आडवाणी को जयपुर से भाजपा चुनाव लड़ाएगी। आडवाणी पूर्व में गुजरात के गांधीनगर से सांसद हें इस बार आडवाणी ने गुजरात से चुनाव नहीं लड़ने का संकेत दिया हें। पार्टी सूत्रो के अनुसार आडवाणी को जयपुर और जसवंत सिंह को बाड़मेर से चुनाव लड़ाया जाएगा। हालांकि इस पर चर्चा हो चुकी हें किन्तु अंतिम निर्णय नहीं लिया। पूर्व में भाजपा का मानस अरुण जैतली को जयपुर से चुनाव लड़ने कि मंशा थी मगर जैतली जयपुर से लड़ना नहीं चाहते थे। उन्हें अमृतसर भेजा गया हें।

श्रीगंगानगर में एंटी बम से दहशत, पूरा इलाका सील

/श्रीगंगानगर। श्रीगंगानगर में प्राचीन शिवालय के सामने शिवलंगर समिति के बाहर वाले कमरे में एंटी बम मिलने से शहर में दहशत का माहौल है, और पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है। श्रीगंगानगर में एंटी बम से दहशत, पूरा इलाका सील
सीओ सिटी राजेन्द्र ने बताया कि दोपहर 1 बजे हमें इस एंटी बम के बारे में जानकारी मिली, हमने मौके पर पहुंच कर सेना को इस बारे में सूचना दे दी। सेना के तकनीकी टीम ने इस एंटी बम को अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।

आशंका जताई जा रही है कि यह एंटी बम बारूद से भरा हुआ है, लेकिन अभी तक आधिकारिक तौर पुष्टि नहीं हो पाई है।

पाकिस्तान में धर्मग्रंथ जलाए जाने से नाराज भीड़ ने मंदिर में आग लगाई

लरकाना। पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत के लरकाना जिले में एक अल्पसंख्यक युवका द्वारा कथित रूप से धर्मग्रंथ के कुछ पन्ने जलाए जाने के बाद स्थिति खराब हो गई है। धर्मग्रंथ जलाए जाने से उग्र भीड़ ने एक मंदिर और एक धर्मशाला में आग लगा दी।
पाकिस्तान में धर्मग्रंथ जलाए जाने से नाराज भीड़ ने मंदिर में आग लगाई
जियो न्यूज के हवाले से आई खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने शनिवार की शाम आग लगाने के बाद हिन्दु युवक के घर को घेर लिया था, जिसे बाद में पुलिस ने आंसू गैस के गोले और गोली चलाने की चेतावनी देकर खाली कराया। पुलिस ने शहर के जिन्ना बाग और कुछ दूसरे इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है।

वहां के स्थानीय हिन्दू पंचायत की प्रमुख कल्पना देवी ने जियो न्यूज को बताया कि हिन्दू समुदाय का वह व्यक्ति ड्रग्स लेने का आदी है। लरकाना, भुट्टो परिवार का गृह शहर है और वहां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का कब्जा है।

3 बच्चों को लेकर कुएं में कूदी मां, बच्चों की मौत

टोंक। राजस्थान में टोंक जिले के पचेवर थानान्र्तगत बीती रात एक महिला के तीन बच्चों के साथ कूएं में कूद जाने से बच्चों की मौत हो गई हालांकि महिला जीवित बच गई।
पुलिस ने बताया कि पचेवर से 15 किलोमीटर दूर कुराड गांव में सोनू उर्फ कांता नट (28) अपने पति के किसी बात पर डांट देने से नाराज होकर रात दो बजे तीनों बच्चे सपना (7) हंसराज (5) तथा एक वर्षीय युवराज को साथ लेकर कुएं में कूद गई। बाद में महिला ने कुए में एक रस्सी पकड़ ली और चिल्लाने लगी जिससे ग्रामीण और उसका पति वहां आ गए।

घटना की सूचना देने पर पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों कीमदद से सपना को रात को ही कुंए से जिंदा बाहर निकाल लिया गया जबकि बच्चों की पानी में डूब जाने से मौत हो गई।

तीनों बच्चों के शव सुबह निकाले गए तथा मालपुरा के अस्पताल पहुंचाएं जहां पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए। पुलिस ने महिला के विरूद्ध 302 एवं 309 की धारा लगाकरआत्महत्या एवं हत्या का मामला दर्ज किया है। - 

वे महीने में एक बार अपवित्र हो जाती हैं!



वे महीने में एक बार अपवित्र हो जाती हैं!





"मैं अब अपनी बेटियों को चौपदी के लिए नहीं भेजूंगी।" 22 साल की मुना देवी सौद पश्मिची नेपाल के अछम जिले के एक गांव में अपने घर की देहरी पर यह बात जोर देते हुए कहती हैं। उनका गांव लेगुड्सेन अछम की पहाड़ियों की तलहटी में बसी एक छोटी बस्ती की तरह है। इस तरह के सुदूर इलाकों में चौपदी की प्रथा सदियों से चली आ रही है। नेपाल के शहरों में भी या बाहरी दुनिया में इस लफ़्ज़ के बारे में ज्यादा जानकारी शायद ही किसी को होगी। धुना देवी को माहवारी के वक्त घर से बाहर वाले कमरे में सोने में दिक्कत होती है, क्योंकि वहां बहुत ठंड रहती है। तंग कमरे में कोई खिड़की तक नहीं है, एक छोटा सा दरवाजा है और इतनी-सी जगह जिसमें बमुश्किल एक बिस्तर आ पाए। आइए, जानते हैं इस प्रथा के बारे में।



लेगुड्सेन जैसे इलाकों में महिलाओं को माहवारी के दौरान घरों में जाने की इजाजत नहीं दी जाती। उन्हें मंदिरों से भी दूर रहने के लिए कहा जाता है। वह पानी के सार्वजनिक स्रोतों का इस्तेमाल नहीं कर सकतीं, जानवरों का चारा भी नहीं छू सकतीं, शादी जैसे सामाजिक उत्सवों में शरीक नहीं हो सकतीं।

ये रिवाज यहीं खत्म नहीं होते। माहवारी वाली महिलाओं को जो व्यक्ति खाना देता है, वह भी इस बात का ख्याल रखता है कि भोजन तक का उसे स्पर्श न हो। माहवारी वाली महिलाओं को घर के भीतर सोने की इजाजत नहीं दी जाती। इसके बदले उन्हें घर के बाहर अमानवीय परिस्थितियों में रहना पड़ता है। नेपाल के सुदूर पश्चिमी इलाकों में कमोबेश हर जगह ऐसे ही हालात हैं।




वे महीने में एक बार अपवित्र हो जाती हैं!

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जैसे किसी आयोजन के बारे में यहां की महिलाओं ने शायद ही सुना होगा। हालांकि, इन महिलाओं को परिवार, संस्कृति, समुदाय और ईश्वर के भय के बारे में ज़रूर मालूम है और इसी वजह से वे इस परंपरा को तोड़ने से हिचकती रही हैं। भले ही महिलाएं चौपदी को नापसंद करती हों, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इस परंपरा को अपनी जिंदगी के एक हिस्से के तौर पर अपनाया हुआ है।


राजस्थान की होली के विविध रंग

राजस्थान की होली के विविध रंग 

राजस्थान के विभिन्न इलाकों में होली मनाने का अलग और खास अंदाज है। होली के मौके पर जानिए राज्य की होली से जुडी अनूठी परंपराओं के बारे में।


लट्ठमार होली

भरतपुर के ब्रजांचल में फाल्गुन का आगमन कोई साधारण बात नहीं है। यहां की वनिताएं इसके आते ही गा उठतीं हैं "सखी री भागन ते फागुन आयौ, मैं तो खेलूंगी श्याम संग फाग।" ब्रज के लोकगायन के लिए कवि ने कहा है "कंकड" हूं जहां कांकुरी है रहे, संकर हूं कि लगै जहं तारी, झूठे लगे जहं वेद-पुराण और मीठे लगे रसिया रसगारी।" यह रसिया ब्रज की धरोहर है, जिनमें नायक ब्रजराज कृष्ण और नायिका ब्रजेश्वरी राधा को लेकर ह्वदय के अंतरतम की भावना और उसके तार छेडे जाते हैं। गांव की चौपालों पर ब्रजवासी ग्रामीण अपने लोकवाद्य "बम" के साथ अपने ढप, ढोल और झांझ बजाते हुए रसिया गाते हैं। डीग क्षेत्र ब्रज का ह्वदय है, यहां की ग्रामीण महिलाएं अपने सिर पर भारी भरकम चरकुला रखकर उस पर जलते दीपकों के साथ नृत्य करती हैं। संपूर्ण ब्रज में इस तरह आनंद की अमृत वर्षा होती है। यह परंपरा ब्रज की धरोहर है। रियासती जमाने में भरतपुर के ब्रज अनुरागी राजाओं ने यहां सर्वसाधारण जनता के सामने स्वांगों की परंपरा को संरक्षण दिया। दामोदर जैसे गायकों के रसिक आज भी भरतपुर के लोगों की जबान पर हैं जिनमें शृंगार के साथ ही अध्यात्म की धारा बहती थी। बरसाने, नंदगांव, कामां, डीग आदि स्थानों पर ब्रज की लट्ठमार होली की परंपरा आज भी यहां की संस्कृति को पुष्ट करती है। चैत्र कृष्ण द्वितीया को दाऊजी का हुरंगा भी प्रसिद्ध है। 

गेर नृत्य 

पाली के ग्रामीण इलाकों में फाल्गुन लगते ही गेर नृत्य शुरू हो जाता है। वहीं यह नृत्य डंका पंचमी से भी शुरू होता है। फाल्गुन के पूरे महीने रात में चौहटों पर ढोल और चंग की थाप पर गेर नृत्य किया जाता है। मारवाड गोडवाड इलाके में डांडी गैर नृत्य बहुत होता है और यह नृत्य इस इलाके में खासा लोकप्रिय है। यहां फाग गीत के साथ गालियां भी गाई जाती हैं। 

मुर्दे की सवारी 

मेवाड अंचल के भीलवाडा जिले के बरून्दनी गांव में होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी पर खेली जाने वाली लट्ठमार होली का अपना एक अलग ही मजा रहा है। माहेश्वरी समाज के स्त्री-पुरूष यह होली खेलते हैं। डोलचियों में पानी भरकर पुरूष महिलाओं पर डालते हैं और महिलाएं लाठियों से उन्हें पीटती हैं। पिछले पांच साल से यह परंपरा कम ही देखने को मिलती है। यहां होली के बाद बादशाह की सवारी निकाली जाती है, वहीं शीतला सप्तमी पर चित्तौडगढ वालों की हवेली से मुर्दे की सवारी निकाली जाती है। इसमें लकडी की सीढी बनाई जाती है और जिंदा व्यक्ति को उस पर लिटाकर अर्थी पूरे बाजार में निकालते हैं। इस दौरान युवा इस अर्थी को लेकर पूरे शहर में घूमते हैं। लोग इन्हें रंगों से नहला देते हैं। 

चंग-गींदड 

फाल्गुन शुरू होते ही शेखावाटी में होली का हुडदंग शुरू हो जाता है। हर मोहल्ले में चंग पार्टी होती है। होली के एक पखवाडे पहले गींदड शुरू हो जाता है। जगह- जगह भांग घुटती है। हालांकि अब ये नजारे कम ही देखने को मिलते हैं। जबकि, शेखावाटी में ढूंढ का चलन अभी है। परिवार में बच्चे के जन्म होने पर उसका ननिहाल पक्ष और बुआ कपडे और खिलौने होली पर बच्चे को देते हैं। 

तणी काटना 

बीकानेर क्षेत्र में भी होली मनाने का खास अंदाज है। यहां रम्मतें, अनूठे फागणियां, फुटबाल मैच, तणी काटने और पानी डोलची का खेल होली के दिन के खास आयोजन हैं। रम्मतों में खुले मंच पर विभिन्न कथानकों और किरदारों का अभिनय होता है। रम्मतों में शामिल होता है हास्य, अभिनय, होली ठिठोली, मौजमस्ती और साथ ही एक संदेश। 

कोडे वाली होली 

श्रीगंगानगर में भी होली मनाने का खास अंदाज है। यहां देवर भाभी के बीच कोडे वाली होली काफी चर्चित रही है। होली पर देवर- भाभी को रंगने का प्रयास करते हैं और भाभी-देवर की पीठ पर कोडे मारती है। इस मौके पर देवर- भाभी से नेग भी मांगते हैं।

होली मनाने को लेकर उत्साहित सीमा प्रहरी



जैसलमेर।वे परिवार से बेहद दूर है, उनकी खुशियो मे शामिल होने से पहले देश की सुरक्षा का ध्यान इन्हे रखना है। वे मन मे तो परिवार व परिचितो के साथ होली खेलने की आरजू रखते हैं, लेकिन अगले ही पल उन्हे सरहद की निगरानी के दायित्व का बोध होता है और वे जुट जाते हैं कर्तव्य पथ पर निर्वहन करने को। 
ऎसे सुरक्षा प्रहरियो को होली पर घर जैसा माहौल देने का प्रयास सीमा सुरक्षा बल की ओर से किया जा रहा है। होली पर्व पर अपने परिवार से सैकड़ो किमी दूर रहने वाले सीमा सुरक्षा बल के जवान, अपने साथियो के साथ खुशियां मनाएंगे। अलग प्रदेश, स्थान, माहौल व भाषा होने के बावजूद सभी जवान एक दूसरे से होली खेलकर पर्व की खुशियां मनाने को लेकर उत्साहित है, वहीं वे विविधता मे एकता का संदेश भी देना चाहते हैं। गौरतलब है कि सीमा सुरक्षा बल के जवान अपने परिवार से दूर रहकर पर्व का लुत्फ नहीं उठा पाते, ऎसे मे सीसुब जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए जवानो व अधिकारियो का सामूहिक रूप से होली पर्व मनाने का प्रयास करता है, ताकि जवानो को यहां परिवार जैसा महसूस हो और घर की कमी नहीं खले। पर्व की खुशियो से उत्साहित गुलाल से होली खेलने के दौरान फिल्मी गीतो पर नाचते भी है और गाते भी हैं।

जैसलमेर नगरपरिषद विकास के नाम पर 20 लाख का चूना!

जैसलमेर। जैसलमेर मे नगरपरिषद के निर्माण कार्यो मे वित्तीय अनियमितता बरतने का मामला सामने आया है। जांच मे यह पुष्टि हुई है कि विकास के लिहाज से कराए गए कार्य मे करीब 20 लाख रूपए का नुकसान नगरपरिषद को पहुंचा है। गौरतलब है कि पंचायत समिति सम से गीता आश्रम मार्ग तक डिवाइडर, रैलिंग व पौधे लगाने का कार्य एक फर्म को दिया गया। गत 18 फरवरी 2013 को कनिष्ठ अभियंता की रिपोर्ट पर कार्य की ले आउट देखने पर कार्य प्रगति पर होना पाया गया।
इसके बाद जब 5 मार्च 2013 को 20 लाख 41 हजार 309 रूपए का बिल बनाकर सहायक अभियंता को पेश किया और 1 मई 2013 को 17 लाख 4 हजार 493 रूपए का भुगतान करने के बाद कनिष्ठ अभियंता ने रिपोर्ट की कि "फिलहाल सप्लाई कार्य का भुगतान करना उचित है।" फर्म के निवेदन पर कार्य के लिए 30 नवंबर 2013 तक समयावधि बढ़ाई गई। फर्म ने 8 नवंबर 2013 को लिखित मे रैलिंग कार्य का भुगतान करने का निवेदन आयुक्त से किया, जिसमे यह लिखा गया कि फर्म ने करीब 34 लाख का कार्य कर दिया गया है और करीब 14 लाख का भुगतान बाकी है, जो दिलाया जाए।

यहां निकला गड़बड़झाला

संबंधित कार्य की माप कनिष्ठ अभियंता से कराया गया। पूर्व मे कनिष्ठ अभियंता ने 511 नंबर फ्रेम का भुगतान 28 , 8 6 6 किग्रा बनाया गया। वर्तमान कनिष्ठ अभियंता की जांच के अनुसार मौके पर 38 3 नग विभिन्न साइज के लगाए हुए पाए गए, जिनका वजन 19, 308 .71 किग्रा पाया गया। यह पूर्व भुगतान बिल से 9557 किग्रा कम पाया गया है। जांच मे पाया गया कि 5, 8 3, 426 रूपए का अधिक भुगतान फर्म को किया गया। मौके पर लगाए गए रैलिंग, फ्रेम व कार्य के लिए टेडर मे लिया गया आईटम भिन्न है। कार्य तकनीमा के अनुसार नहीं होने से नगरपरिषद को 20 लाख 41 हजार 309 रूपए की वित्तीय हानि पहुंचाई गई।

पहले भी उजागर हो चुका है गड़बड़झाला

करीब एक साल पहले बिना काम किए ही 6 2 लाख का भुगतान उठा लेने का मामला सामने आ चुका है। कागजो मे शहरी विकास को लेकर सड़क बनाने से लेकर नाली व फर्श निर्माण का कार्य हो गया और भुगतान भी उठा लिया, वह भी करीब 6 2 लाख। हकीकत मे मौके पर कोई कार्य ही नहीं हुए। इस संबंध मे हुई जांच मे घोर अनियमितताएं व फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। यह मामला जैसलमेर नगर मे गीता आश्रम कच्ची बस्ती में नाली-फर्श और बाड़मेर तिराहे से एसबीबीजे चौराहा जाने वाले सड़क मार्ग पर कारपेट बिछाने के कार्य था, जहां हकीकत मे यहां कोई कार्य ही देखने को नहीं मिला, जबकि इसकी एवज मे 6 2 लाख रूपए का भुगतान भी हो गया।

इन्होने कहा

काम पूरा नहीं होने के बाद भी पेमेंट होना भ्रष्टाचार को दर्शाता है। इस संबंध मे मुख्यमंत्री को अवगत कराया जाएगा, ताकि बोर्ड मे भ्रष्टाचार पर नकेल कसी जा सके।-दलपतराम मेघवाल, पार्षद, नगरपरिषद, जैसलमेर

विकास कार्य मे अनियमितता सबंधी मामला सामने आने पर मौके पर जांच कराई गई और पूरा कार्य तकनीमा के अनुसार नहीं हुआ है और पूरा कार्य गलत हुआ है। -जयसिंह परिहार, सहायक अभियंता, नगरपरिषद, जैसलमेर -  

मतदाताओं को संदेश देने बाइक पर निकले कलक्टर

जोधपुर।लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए शुक्रवार को निकाली गई मोटर साइकिल रैली में जिला निर्वाचन अधिकारी (कलक्टर) डॉ. प्रीतम बी. यशवंत स्वयं भी मोटरसाइकिल से संदेश देने निकले। उन्होंने रैली की कमान संभाली और शहर के विभिन्न मार्गो पर मोटरसाइकिल चलाकर मतदाता जागरूकता का संदेश दिया।

नेहरू युवा केन्द्र, जिला क्रीड़ा परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में निकाली गई रैली के दौरान जिला कलक्टर ने अपनी मोटर साइकिल के आगे "आपका मतदान लोकतंत्र की जान" तख्ती भी लगा रखी थी। जिला कलक्टर कार्यालय से रैली का शुभारंभ किया गया। उपखण्ड अधिकारी शिवंागी स्वर्णकार तथा प्रशिक्षु आईएएस रूकमणी रियार ने हरी झण्डी दिखाकर रैली को रवाना किया।


यहां से निकली रैली

रैली कलक्ट्रेट से पावटा चौराहा, उदयमंदिर, मेड़ती गेट, हाथीराम का ओडा, घण्टाघर, नई सडक, सोजती गेट, पुरी तिराहा, राजरणछोड़दासजी मंदिर, महात्मा गांधी अस्पताल के बाहर, जालोरी गेट, शनिpर जी का थान, पंाचवी रोड, बॅाम्बे मोटर चौराहा, बारहवीं रोड, जलजोग चौराहा, सरदारपुरा सी रोड, महावीर कॅाम्पलेक्स, जेडीए सर्किल, भास्कर चौराहा, भाटी चौराहा, रातानाडा होते हुए यूथ हॅास्टल पहुंचकर संपन्न हुई।

नेहरू युवा केन्द्र के जिला समन्वयक एसएस जोशी ने रैली के यूथ हॅास्टल पहुंचने पर स्वागत किया। इस अवसर पर जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढाने के लिए किए जाने वाले विविध प्रयासो की एक श्ृंखला होती है, रैली के माध्यम से उसकी शुरूआत की गई है। स्वीप सह प्रभारी महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदेशक शशि शर्मा ने भी संबोधित किया। 

रियासतकाल से जारी है भीनमाल की 'घोटा गेर'

भीनमाल में दूसरे दिन घोटा गेर का होता है आयोजन, इस वजह से तीसरे दिन होती है धुलंडी
 
रियासतकाल से जारी है भीनमाल की 'घोटा गेर'
भीनमाल भीनमाल शहर में रिसायतकाल में शुरू हुई घोटा गेर आज भी अपनी पहचान बनाए हुए हैं। होली के पर्व पर प्रति वर्ष परंपरागत घोटा गेर का आयोजन होता है, जिसमें नगर सहित उपखंड क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग शिरकत करते है। भीनमाल शहर में शांति और भाईचारा को बढ़ावा देने के लिए रियासतकाल से घोटा गेर का आयोजन हो रहा है। होली के दूसरे दिन नगर के आथमणा वास व उगमणा वास में अलग-अलग गेरों का आयोजन होता है, जो नगर के विभिन्न मंदिरों में धोक लगाने के बाद अंतिम दर्शन चंडीनाथ महादेव में होता है। इसके बाद गैर नृत्य करते हुए दोनों गैरों का संगम बड़े चोहटे पर होता है। जहां घोटे से करीब दो घंटे तक लगातार भीनमाल के प्रसिद्ध बाबरिया ढोल पर गेर नृत्य का आयोजन होता है। जहां लोग नृत्य कर अपनी शक्ति और कुशलता का परिचय देते है। इस दौरान विभिन्न समाजों के मौजिज लोग ढोल के पास बैठकर नृत्य का लुत्फ उठाते हैं। 
तीसरे दिन होती है धुलंडी
देशभर में होली के दूसरे दिन धुलंडी का आयोजन होता है, लेकिन भीनमाल में दूसरे दिन घोटा गेर की वजह से तीसरे दिन धुलंडी का आयोजन होता है। इस कारण होली के बाद लगातार दो दिन तक बाजार बंद रहता है।
आग के वेग से देखते है शगुन : होली के पर्व पर नगर के विभिन्न गली-मौहल्लों में होलिका दहन का आयोजन होता है। जिसमें आग के वेग के अनुसार आगामी वर्ष का शगुन देखते हैं। वहीं होलिका दहन वाले स्थान पर जमीन में मिट्टी के पात्र में बाजरा सहित सात प्रकार का अनाज व पानी भरकर जमीन में गाड देते हैं। जिसे दूसरे दिन निकालकर अनाज को देखते है, जो अनाज ज्यादा मुलायम होगा। उसकी फसल अगले वर्ष में अच्छी मानी जाती है।

बेटे ने प्यार किया, मां को न्यूड कर घुमाया

जांजगीर-चांपा। बेटे ने प्यार किया और उसके प्यार की कीमत मां को चुकानी पड़ी। प्यार करने वाली लड़की के परिजनों ने अपमान का बदला लेने के लिए लड़के की मां को निर्वस्त्र कर न केवल पिटाई की, बल्कि गाजे-बाजे के साथ पूरे गांव में घुमाया। अब पीडिता को थाने से भी न्याय नहीं मिल रहा है। उस पर राजीनामा के लिए दबाव बनाया जा रहा है। महिला ने एसपी से न्याय की गुहार की है।
मामला डभरा क्षेत्र के रेड़ा गांव का है। 10 मार्च की शाम 4.30 बजे लड़के की मां जब अपने घर मे अकेली थी तब गांव के डहुकलाल सारथी और उसके साथ दर्जनों अन्य लोग अचानक घर मे घुस गए और मारपीट शुरू कर दी।

महिला को पीटते हुए घर से निकाला और बैंड बाजे के साथ घसीटते हुए अपने घर ले गए। यहां महिला को निर्वस्त्र कर अमानवीय हरकत की गई। उसकी सोने की चेन लूट ली गई। रात 10 बजे तक आबरू बचाने के लिए महिला चीखती रही। लेकिन, ग्रामीण तमाशबीन बने रहे। महिला का पति जब घर पहुंचा तब उसने थाने में शिकायत की।

सुनवाई नहीं
पति की शिकायत पर पुलिस गांव पहुंची, लेकिन मामले को दबाने और समझौता कराने की कोशिश की। न्याय न मिलने पर पीडित परिवार पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा। शिकायत पर एएसपी विजय अग्रवाल ने मामले की जांच के लिए डभरा पुलिस को निर्देशित किया है।

इसलिए की पिटाई
पीडित महिला ने बताया कि उसका बेटा अगस्त 2013 में गांव के ही डहुकलाल की बेटी को अपने साथ जम्मू-कश्मीर ले गया था। कुछ दिन बाद वह युवती को गांव छोड़कर जम्मू-कश्मीर चला गया। इसी अपमान का बदला लेने के लिए आरोपियों ने हैवानियत का खेल खेला।

ये थे पिटाई में शामिल

डहुकलाल सारथी, जोसिक पिता अनुजराम, टीकाराम पिता नरेश कुमार, पुनाउ पिता मोहन, जगदीश पिता सुंदरसाय, प्रेमकुमारी पति गोविंद, मुनुदाई पति सुंदर सारथी, सावित्री पति अनुजराम, कौशिल्या पति डहुकलाल, सुनीता पति दीनदयाल, शुभकुमारी पति नरेशकुमार और दीनदयाल पिता डहुकलाल।

झूठी शिकायत

मामला प्रेम प्रसंग से सम्बंधित है। इसी को लेकर दोनों पक्षों में विवाद होता रहता था। महिला झूठ बोल रही है। उसके साथ कुछ नहीं हुआ। दोनों पक्षों के बीच राजीनामा नहीं हुआ तो महिला उच्चाधिकारियों से शिकायत कर रही है।
-धन्नू यादव, टीआई, डभरा

जांच कराई जाएगी
महिला ने ज्यादती होने की शिकायत की है। आरोपो की जांच कराई जाएगी। दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
- विजय अग्रवाल, एएसपी

महिला के साथ ज्यादती
महिला के साथ ज्यादती हुई है। मैं उसके घर गया था। महिला के कपड़े फटे थे। पीडिता को न्याय दिलाने के लिए एसपी कार्यालय पहुंचा हूं।
- रामसिंह सिदार, सरपंच, रेड़ा - 

शनिवार, 15 मार्च 2014

बीजेपी का ऎलान : वाराणसी से मोदी, लखनऊ से राजनाथ, जेटली अमृतसर से लड़ेंगे चुनाव

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी पहली बार उत्तर प्रदेश मेंं वाराणसी सीट से, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह लखनऊ और राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरूण जेटली पंजाब में अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा की केंदीय चुनाव समिति की ग्यारह घंटे चली मैराथन बैठक में पार्टी के दिग्गज नेताओं को चुनाव लड़ाने का फैसला किया गया। पार्टी ने चौथी सूची जारी करते हुये उत्तर प्रदेश के लिए 58 उम्मीदवारों के नाम तय किये। बीजेपी का ऎलान : वाराणसी से मोदी, लखनऊ से राजनाथ, जेटली अमृतसर से लड़ेंगे चुनाव
मोदी को वाराणसी से चुनाव लड़ाने का निर्णय लेने के बाद इस सीट से वर्तमान सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को कानपुर से उम्मीदवार घोषित किया गया। राजनाथ सिंह गाजियाबाद के बजाय इस बार लखनऊ से चुनाव लड़ेंगे। यह सीट पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने और फिर उनके सहयोगी लालजी टंडन ने जीती थी।

टंडन ने पहले यह सीट छोड़ने में टालमटोल किया था। चुनाव समिति ने सिंह को इस सीट से किस्मत आजमाने का मौका दे दिया है। अरूण जेटली पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायेंगे और पार्टी ने उन्हें अमृतसर से टिकट दे दिया है। अभी तक सीट पर जाने माने क्रिकेटर नवजोत सिद्धू के पास थी। जिन्होंने घोषणा की है कि अगर जेटली उनकी सीट से चुनाव लड़े तो वह नाराज नहीं होंगे। लेकिन कहीं और से चुनाव नहीं लड़ेंगे।

वाराणसी - नरेंद्र मोदी
लखनऊ - राजनाथ सिंह
मुरली मनोहर जोशी - कानपुर
अरूण जेटली - अमृतसर
सहारनपुर- राघव रतन पाल
इटावा - अशोक दोहरे
भदोही - वीरेन्द्र सिंह मस्त
कैराना - हुकुम सिंह
मुजफ्फरनगर - संजीव पलियान
बिजनौर- राजेन्द्र सिंह
मुरादाबाद - कुंवर सवेर्रश सिंह
मेरठ - राजेन्द्र अग्रवाल
आगरा- राम शंकर कटेरिया
नोएडा - महेश शर्मा
फिरोजाबाद - एसपी सिंह बघेल
पीलीभीत - मेनका गांधी
सीतापुर - रमेश वर्मा
हरदोई - अंशुल वर्मा
सुल्तानपुर - वरूण गांधी
कन्नौज - सुब्रत पाठक
झांसी - उमा भारती
फतेहपुर - निरंजन ज्योति
फैजाबाद - लल्लू सिंह
राजबीर सिंह - एटा
गोरखपुर- योगी आदित्यनाथ
लालगंज - नीलम सोनकर
रॉबर्टसगंज - छोटेलाल खरवार
बस्ती - हरीश दि्वेदी
देवरिया - कलराज मिश्रा
जौनपुर - केपी सिंह
चंदौली - महेन्द्र नाथ पांडे

दिल्ली
चांदनी चौक - हर्षवर्धन
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली - मनोज तिवारी
पूर्वी दिल्ली - महेश गिरी
नई दिल्ली - मीनाक्षी लेखी
पश्चिमी दिल्ली - प्रवेश वर्मा
दक्षिण दिल्ली - रमेश विधूंड़ी
उत्तर पश्चिम दिल्ली - उदितराज

पंजाब
अमृतसर - अरूण जेटली

हरियाणा
गुड़गांव - राव इंद्रजीत सिंह

ओडिशा
अस्का - महेश मोहंती

चंडीगढ़ - किरण खेर

छत्तीसगढ़
सरगुजा - कमलभान सिंह
रायगढ़ - विष्णु देव सहाय
कोरबा - बंशी लाल महतो
बिलासपुर - रतनलाल साहू
राजनांदगाव - अभिषेक सिंह
रायपुर - रमेश बाइस
बस्तर - दिनेश कश्यप
कांकेर - बिक्रम उसेंडी

बिहार
पटना साहिब - शत्रुघन सिंहा
महाराजगंज - जनार्दन सिंह

उत्तराखंड
हरिद्वार - रमेश पोखरियाल निशंक
गढ़वाल पौढ़ी - बीसी खडंूरी
नैनीताल - भगत सिंह कोश्यारी
टिहरी - महारानी राज लक्ष्मी

सिक्किम
नरवभतु खाती वाड़ा

बाड़मेर जिले में 315 हिस्ट्रीशीटर ,पुलिसवाले हुलिया नहीं जानते, हाल क्या बताएंगे?



बाड़मेर। पुलिस के पास जिन व्यक्तियों का हुलिया ही नहीं है, वह हर सप्ताह उनकी निगरानी कर रही है। इतना ही नहीं उनकी गतिविधियों पर पूरी नजर में रखी जा रही है। सुनने व समझने में यह भले ही अजीब लगे, लेकिन हिस्ट्रीशीटर्स के मामले में बाड़मेर पुलिस का रवैया कुछ ऎसा ही है।
हुलिया नहीं जानते, हाल क्या बताएंगे?
बाड़मेर जिले में 315 हिस्ट्रीशीटर है, जिनमें से 28 हिस्ट्रीशीटर के फोटो पुलिस के पास नहीं है। जिन हिस्ट्रीशीटर के फोटो नहीं है, पुलिस की वेबसाइट में हिस्ट्रीशीटर के फोटो के स्थान पर स्पष्ट रूप से नॉट अवलेबल लिखा हुआ है। बिना फोटो वाले हिस्ट्रीशीटर ज्यादा पुराने हो, ऎसा नहीं है। बाईस वर्ष से लेकर बहत्तर वर्ष की उम्र तक हिस्ट्रशीटर के मामले में यही हाल है। हिस्ट्रीशीटर्स की गतिविधियों पर निगरानी रखने के मामले में कितनी गंभीर है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है। नियमानुसार हिस्ट्रीशीटर का तीन एंगल (सीधा, दांए, बांए) से फोटो पुलिस के पास उपलब्ध होना चाहिए ताकि हुलिया बदलने की स्थिति में भी उसकी पहचान की जा सके और उस पर निगरानी रखी जा सके।

बिना फोटो वाले हिस्ट्रीशीटर

पुलिस के पास जिन अठाईस हिस्ट्रीशीटर के फोटो नहीं है, उनके नाम मनोहरलाल निवासी डोली (थाना कल्याणपुर), पपूसिंह निवासी बालोतरा (थाना बालोतरा), किशनाराम निवासी बायतु चिमनजी, लूम्बाराम निवासी सेवनियाला, मोटाराम निवासी कोसरिया, उमाराम निवासी कोलू (थाना बायतु), बाबूराम निवासी बोला, भोमाराम निवासी आदर्श बस्ती नांद, धनाराम निवासी केरावा, जगदीश निवासी विशाला, जार मोहम्मद निवासी तिरसिंगड़ी, खीमदान निवासी सुरा, खेताराम निवासी आटी, खेताराम निवासी विशाला, मालाराम निवासी जालीपा आगोर, मालाराम निवासी आदर्श बस्ती नांद, नखतसिंह निवासी मारूड़ी, सलीम निवासी विशाला, उम्मेद अली निवासी धनोड़ा (थाना बाड़मेर ग्रामीण), गोपालसिंह निवासी खारा राठौड़ान (थाना रामसर), ओमप्रकाश निवासी रेलवे कुआं संख्या तीन बाड़मेर, पवनकुमार निवासी कल्याणपुरा बाड़मेर (थाना कोतवाली), जीवराजसिंह निवासी भिंयाड़ (थाना शिव), छुगसिंह निवासी दूधवा, राजूसिंह निवासी चौहटन (थाना चौहटन), भागीरथराम निवासी नेड़ी नाडी (थाना धोरीमन्ना), रेखाराम निवासी नोखड़ा (थाना रागेश्वरी), श्रवणकुमार निवासी बारासण (थाना गुड़ामालानी) है।

निगरानी पर असर नहीं

हिस्ट्रीशीटर के फोटो उपलब्ध नहीं होने का निगरानी पर कोई असर नहीं पड़ता है। उनकी गतिविधियों पर पुलिस नजर रहती है। बीट कांस्टेबल यह दायित्व निभाते हैं। फिर भी जिन हिस्ट्रीशीटर के फोटो उपलब्ध नहीं है, उनके फोटो लेकर वेबसाइट व संबंधित फाइलों को अपडेट किया जाएगा।
-रघुनाथ गर्ग, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बाड़मेर

जिले में सर्किल व थानावार हिस्ट्रीशीटर का ब्यौरा
बाड़मेर : हिस्ट्रीशीटर (124)
थाना बायतु 11
थाना बाड़मेर ग्रामीण 13
थाना गिड़ा 17
थाना गिराब 12
थाना कोतवाली 25
थाना नागाणा 14
थाना सदर 15
थाना शिव 17
बालोतरा : हिस्ट्रीशीटर (79)
थाना बालोतरा 28
थाना कल्याणपुर 14
थाना मण्डली 2
थाना पचपदरा 6
थाना समदड़ी 12
थाना सिवाना 17
चौहटन : हिस्ट्रीशीटर (57)
थाना बिंजराड़ 12
थाना चौहटन 24
थाना गडरारोड 13
थाना रामसर 8
गुड़ामालानी : हिस्ट्रीशीटर (55)
थाना बाखासर 9
थाना धोरीमन्ना 16
थाना गुड़ामालानी 10
थाना सेड़वा 11
थाना सिणधरी 9
जिले में कुल हिस्ट्रीशीटर 315

हरियाणा में जींद के कुंआरे लड़कों ने बनाई 'रांडा यूनियन', बोले- 'दुल्हन दो, वोट लो'

हरियाणा में जींद के बीबीपुर की पंचायत ने लोकसभा चुनावों में वोट देने के लिए एक अजीबोगरीब शर्त रख दी है. पंचायत ने अपनी मांग को मनवाने के लिए एक नया तरीका अपनाया है. पंचायत ने इस बार उन्हीं प्रत्याशियों को वोट देने का ऐलान किया है जो उनके गांव के कुंआरे लड़कों की शादी करवाएंगे.symbolic image
इस मांग को मनवाने और उसे और मजबूती देने के लिए गांव वालों ने एक कुंआरों का ग्रुप भी बनाया है. इनका नारा है - 'बहू दो वोट लो'. जो इनके लिए दुल्हन लाकर उनकी शादी करवाएगा, वही उनके गांव के कुंआरों का भी वोट पाएगा.

इससे पहले बीबीपुर गांव सरपंच सुनील जागलान भ्रूण हत्या को लेकर खाप की महांपचायत का आयोजन भी कर चुके है. उनकी इस पहल पर विदेशी मीडिया ने भी उन्हें कवर किया था.

दरअसल हरियाणा में घटता लिंगानुपात इस स्थिति की अहम वजह है. हरियाणा में एक हजार लड़कों पर मात्र 877 लड़कियां हैं.

जींद के इस गांव के सरपंच सुनील जगलान कहते हैं कि गांव वाले अब इस मुद्दे को पूरी तरह से उठा चुके है. उनका कहना है कि अब वोट उसी को मिलेगा जो बहू देगा.

हरियाणा में दुल्हन ना मिलने के कारण हजारों युवक कुंवारे हैं. राज्य में कन्या भ्रूण हत्या से सेक्स रेश्यो में असंतुलन आया है. इससे कई शादी योग्य युवकों के सामने दुल्हन का संकट खड़ा है. इसी समस्या के चलते हरियाणा के जींद जिले के गांव बीबीपुर के इन कुंवारे युवकों ने 'रांडा यूनियन' नाम से अपना संगठन बनाया है. लोकसभा चुनावों के इस मौसम में उन्होंने वोट को हथियार बनाते हुए 'बहू दिलाओ, वोट पाओ' का नारा उछाला है.

हम ​आपको बता दें कि एक सर्वे के अनुसार हरियाणा के करीब 7000 गांवों में से हर एक गांव में करीब 150 नौजवान ऐसे हैं जो 25 साल या उससे ज्यादा की उम्र के हो चुके हैं लकिन उनकी शादियां नहीं हो रही है.


  

भगोरिया मेला: पान-गुलाल से चुने जाते हैं जीवन साथी, भागकर करनी पड़ती है शादी



आपने अपने जीवन साथी को लेकर कई ख्‍वाब संजोए होंगे. एक अच्‍छे पार्टनर के इंतजार में हो सकता है आपने लंबा समय भी बिता दिया हो, लेकिन मध्‍य प्रदेश के निमांड इलाके में एक मेला लगता है जहां पान-गुलाल से ही जीवनसाथी चुन लिया जाता है.
(Symbolic Image)
दरअसल, होली पर्व के निकट ही झाबुआ, धार, बडवानी और अलिराजपुर में उत्साह और उमंग से सराबोर जनजातीय वर्ग का प्रमुख मेला भगोरिया का अयोजन होता है. मान्‍यता के अनुसार युवक और युवतियां अपने मनपसंद जीवन साथी की तलाश के लिए ही यहां आते हैं. वे पान खिलाकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं और दिल जीतने की कोशिश करते हैं.

बांसुरी की आवाज पर थिरकते हैं कदम
मेले में विवाह के योग्य युवक और युवतियां सज-धजकर आते हैं, लेकिन दिल जीतने का काम इतना आसान भी नहीं होता. इसके लिए युवक जहां हाथ में बांसुरी थामे मांदर की थाप पर थिरकते हैं, वहीं युवतियां घूंघट की ओट से अपने प्रियतम को रिझाती हैं.



धार के भगोरिया मेला में सज-धजकर आए फूल सिंह कहते हैं, 'मैं यहां यह उम्मीद लेकर आया हूं कि मुझे कोई युवती मिल जाएगी, जिसके साथ मैं अपना जीवन खुशी-खुशी बिताउंगा.' वे आगे कहते हैं कि मान्‍यता के अनुसार, पहले तो वे मनपसंद युवती को पान खिलाएंगे और फिर उसकी ओर से भी पान खाने की पहल पर वे भाग कर शादी कर लेंगे.

भागकर शादी करने की है प्रथा
इन मेलों में आने वाले मौज-मस्ती का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते. मेले में झूलों से लेकर आइस्क्रीम और गोलगप्पों का बाजार सजा है. मुकाम सिंह कहते हैं कि भगोरिया मेले को लेकर मान्यता है कि इस मौके पर युवक-युवती एक दूसरे को पान खिला दें या एक दूसरे के गाल पर गुलाल लगा दें तो मान लिया जाता है कि दोनों में प्रेम हो गया है. इतना ही नहीं वे दोनों मौका पाकर भाग जाते हैं और विवाह बंधन में बंध जाते हैं. भाग कर शादी करने के कारण ही इस पर्व को भगोरिया पर्व कहा जाता है.

राज्य सरकार के मंत्री अंतर सिंह आर्य का कहना है कि यह उत्साह और उमंग का त्योहार है. यही कारण है कि इस पर्व के मौके पर लगने वाले मेलों में हर आयु वर्ग के लोग हिस्सा लेते हैं. यह पर्व जनजातीय वर्ग की सांस्कृति का प्रतीक है.


 

होली के अदभूत देवता - र्इलोजी


होली के अदभूत देवता - र्इलोजी


होली का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास, उमंग, विशेष उत्साह एवं उछड़कूद के साथ देश के कौने-कौने में मनाया जाता है । चारों ओर रंग-बिरंगी पिचकारियों की बौछारे बरसती नजर आती है । अनेकों रंगों, गुलाल एवं अबीर होली के आकर्षण बने रहते हैं । विशाल देश जिसमें अनकों धर्म, जाति, सम्प्रदाय के लोग निवास करते है लेकिन होली के इस रंगीन त्यौहार को सभी मिल जुलकर मनाते है । राष्ट्रीय एकता, आत्मीयता, बन्धुत्व की भावना इस त्यौहार में दिखार्इ देती है । यह त्यौहार देश के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न तौर तरीकों के साथ मनाया जाता है । कहीं लठ मार होली चलती है, तो कहीं रंग गुलाल उड़ते है । कहीं भाभी देवरों के बीच होली है तो कहीं बेत की मार देखने को मिलती है । कहीं कीचड़ एवं धूल भरी होली खेली जाती है तो कहीं पत्थरों की बौछारे भी होती है । विभिन्न प्रकार की होली खेलने पर भी अनेकों रंग इस त्यौहार में रंगीनी ले ही आते है । राग फाग, संग का साथ, नृत्यों की थरकन, मस्ती की मल्हार, गधों की सवारी, जिन्दों का जनाजा इस त्यौहार के अलबेले आकर्षण होते है । वहां इस त्यौहार पर अदभूत देवता र्इलोजी का पूजन राजस्थान प्रदेश के अनेकों स्थानों पर बड़े ही चाव से किया जाता है । र्इलोजी होली के देवता है जिसे फागण देवता से भी राजस्थान में सम्बोधित किया जाता है । जो शहरों एवं कस्बों के मध्य भाग में, आम चौराहों पर और जहां जनमानस का अधिकाधिक आवागमन होता है वहां इसकी स्थापना की जाती है । यह र्इलोजी एक विशाल बैठी हुर्इ प्रतिमा होती है । कहीं पर भी र्इलोजी की खड़ी अथवा सोर्इ हुर्इ प्रतिमा का निर्माण देखने को नहीं मिला है । यह पाषाणों, र्इटों आदि की चुनार्इ से इसका निर्माण किया जाता है । जिस पर प्लास्टर कर इसे मनुष्य की आकृति में बदल दिया जाता है । सिर पर सुन्दर पाग-साफा, कानों में कुण्डल, गले में हार, गोल मटोल चेहरा, चमकती हुर्इ विशाल आंखें, हाथों की भुजाओं पर बाजुबन्द, कलार्इयों में कंगन, भारी भरकम शरीर, फैला हुआ पेट, विशाल पैरों के घुटनों को आगे किये हुए यह र्इलोजी होते है । लिंग का स्थान विशेष तौर से बनाया जाता है । इनके शरीर पर विभिन्न रंगों की रंगीनी की जाती है । जो प्रतिमा की सुन्दरता में चार चांद जड़ देते है । होली के दिन इस प्रतिमा को सुन्दर वस्त्रों से भी सुशोभित किया जाता है और कहीं-कहीं पर वस्त्रों के स्थान पर रंग ही प्रतिमा पर पोत दिये जाते है जिससे प्रतिमा अति आकर्षक दिखार्इ देती है । सिर पर बनी पाग में दुल्हों की भांति कलंगी, तुरे, मोर आदि लगाये जाते है और गले में हार पहनाया जाता है । हाथों में नारियल थमा देते है । यह र्इलोजी कौन थे, इनका पूजन क्यों किया जाता है, इनको इतना सजाया और संवारा क्यों जाता है यह विचारणीय प्रश्न सामने खड़ा होना स्वाभाविक है । बड़े बजुर्गो के कथनासुार र्इलोजी नासितक राजा हिरण्यकश्यप के होने वाले बहनोर्इ थे । जो इसकी बहन होलिका से शादी करने के लिये दुल्हे की वेशभूषा में बनठनकर विशाल बरात लेकर आये थे । लेकिन निर्दयी राजा हिरण्यकश्यप प्रहलाद को जिन्दा जलाने के लिये अगिन से न जलने का वरदान प्राप्त अपनी बहन होलिका की गोद में उसे धधकती चित्ता में बिठा दिया । अगिन की धूं-धूं में होलिका जलकर राख हो गर्इ और प्रहलाद सकुशल बच गया । आसितक प्रहलाद ने नासितक राजा हिरण्यकश्यप पर विजय अवश्य ही प्राप्त की लेकिन र्इलोजी ने अपने होने वाली वधु को सदा-सदा के लिये खो दिया । इस गम में इन्होंने जली हुर्इ होलिका की राख को अपने शरीर पर मलकर अपनी इच्छा को पूर्ण किया और आजीवन अखण्ड कुंवारे रह गये । इसी कारण होली का दूसरा दिन धूलेली अर्थत धूलभरी होली के रूप में मनाया जाता है । इसी प्रकार दंतकथाओं के अनुसार ये शहर एवं कस्बों के रक्षक देवता के रूप में इनकी स्थापना की जाती है । कहा जाता है कि ये क्षेत्रपाल, भैरू का रूप है । जो कि अक्सर बांझ महिलाओं को पुत्र दिया करते है । इस सम्बन्ध में अनेकों कथाऐं विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित हैं । कहा जाता है कि एक सेठ के कार्इ पुत्र नहीं हुआ । र्इलोजी की होली के दिन लिंग पूजा की गर्इ और उसे पुत्र की प्रापित हुर्इ । याचना के अनुसार उसे जीवित पाडे-भैसे की बलि देनी थी लेकिन सेठ ने हत्या न करके भैसे को र्इलोजी-क्षेत्रपाल-भैरू की प्रतिमा के बांध कर चला गया । कुछ समय पश्चात भैसा रस्सी समेत प्रतिमा को उखाड़ कर घसीटता हुआ भागने लगा । रास्ते में एक देवी ने र्इलोजी की यह दशा देखी तो वह खिलखिलाकर हंसने लगी और मजाक करने लगी । तब र्इलोजी ने आवेश में आकर कहा कि तू तो मठ में बैठी मटका करे है सेठ ने बेटा कोनी दिया । मैं दिया जको म्हारो हाल देख । उसी दिन से र्इलोजी मजाक का प्रतीक बन बैठा । आज भी र्इलोजी को होली के कुछ दिन पूर्व में ही हर्षोल्लास के साथ सजाया संवारा जाता है । अनेकों राग फाग इनके जीवन पर गार्इ जाती है । जिसमें \र्इलोजी रो विया आयो लगनिया कुण लिखसी रे आदि राग फाग के तौर पर अपने सगे सम्बनिधयों, मित्रों, हमझोलियों की मजाक को जोड़कर गाते है । होलिका के जलने के कारण र्इलोजी डोकरो गले रे बांध्यों टोकरों । इन्हीं र्इलोजी की होली के दिन खूब पूजा की जाती है । कहा जाता है कि र्इलोजी का एक ही चमत्कार प्रसिद्ध है कि यह बांझ सित्रयों को पुत्र देते है जिसके कारण इनके लिंग की पूजा की जाती है । होली के दिन र्इलोजी की पूजा हेतु नारियल चढाये जाते है । अगरबत्तियों का धूप किया जाता है । लिंग पर कुंकुम के छींटे दिये जाते है और उन पर पुष्प बरसाये जाते है । लेकिन आजकल युवा वर्ग द्वारा भददी गालियों में राग फाग गाने के कारण महिलाओं द्वारा र्इलोजी का पूजन कम होने लगा है । कहीं-कहीं अंध श्रद्धालू महिलाएं इन भददी हरकतों के बीच भी र्इलोजी का पूजन करती हंै । मजाक का मजमा होली के दूसरे दिन नता खोकर राग फाग में अश्लील, भददी एवं बेहुदी मजाकों की समा बांध देते हैं । र्इलोजी की प्रतिमा के पास जमा रहता है । यदि वृद्धावस्था में किसी की पत्नी मर जाय और दूसरी पत्नी मिलनी दुर्लभ हो जाय, किसी लम्बी उम्र में शादी न हो और न होने की पूर्ण सम्भावना हो तो मजाक में कहते है कि र्इलोजी रो लिंग पूज नहीं तो इणोरी तरह कंवारो रह जासी । गन्दे गीत, गाली गलौच भरी फाग राग र्इलोजी के जीवन को अंकित करते हुए गार्इ जाती है । जिसमें संभोग की विभिन्न क्रियाओं का चित्रण बेहुदी तरीके से किया जाता है । र्इलोजी के पास चंग बजाने वालों की अपार भीड़ रहती है जो शादी के समय साज की प्रतीक दिखार्इ देते है । रंगों की बौछार इनकी शादी की खुशी का वातावरण बताती है । इनकी सजावट दुल्हे की याद दिलाती है और होलिका की याद में चिर समाधि इसकी चित्ता के पास लगाकर आजीवन कंवारा रहने की स्मृति ताजा करती है । अज्ञान, अंधविश्वासी बांझ सित्रयां पुत्र प्रापित हेतु इनकी पूजा करती है वहीं युवा वर्ग ऐसे समय में अपनी शालीनता खोकर राग फाग में अश्लील, भददी एवं बेहुदी मजाकों की समा बांध देते हैं । कुछ भी हो र्इलोजी वास्तव में र्इलोजी है । जिनकी स्मृति होली के दिन स्वत: ही हो आती है । यह मजाकिया दिलवालों के राजा है वहां अपनी शक्ल-सूरत से राह चलने वालों को स्वत: ही अपनी ओर आकर्षित किये बिना नहीं रहते । जिन पर प्रतिवर्ष इनकी साज-सजावट के लिये हजारों रूपया व्यय किया जाता है । इनकी प्रतिमाएं चौराहों पर, अनेकों मार्ग निकलने वालों स्थानों पर, मूल बाजार में बनी हुर्इ होती हैं । अक्सर मूत्र्तियां खुली रहती है । कहीं-कहीं इनकी सुरक्षा हेतु जालीदार किवाड़ बना दिये जाते है । लिंग केवल वर्ष भर में होली के दिन ही लगाया जाता है । जहां इनकी विशाल प्रतिमा बिठार्इ जाती है उसके आसपास में यदि कोर्इ बाजार है तो उसका नामकरण र्इलोजी के नाम पर होगा । ऐसे र्इलोजी मार्केट, र्इलोजी चौराहा, र्इलोजी मार्ग, र्इलोजी चौक राजस्थान के अनेकों शहरों एवं कस्बों में हंै । ऐसे होली के अदभूत देवता र्इलोजी राजस्थान प्रदेश के अनेकों नगरों एवं कस्बों में स्थापित है जहां इनका होली एवं धुलेली के दिन बड़ा महत्व समझा जाता है । बाड़मेर की पत्थर मार होली भारतवर्ष धार्मिक तीज त्यौहारों के लिये जगत विख्यात है । अनेकों धर्म, सम्प्रदायों के नाना प्रकार के त्यौहार इस देश की पुण्य भूमि में मनाये जाते हैं । त्यौहारों की पंकित में होली एक अनोखा त्यौहार है, जो सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग अवश्य मनाते है लेकिन मनाने के तरीके अवश्य ही भिन्न-भिन्न है । विशाल देश में होली का त्यौहार कहीं रंग के बौछारों के बीच मनाया जाता है तो कहीं लठ मारकर होली का आनन्द लूटा जाता है । कहीं पर भाभीदेवरों के बीच रंग के साथ होली खेली जाती है तो कहीं पर चंग साज के साथ नाचकूदकर होली का उल्लास प्रकट किया जाता है । होली एक होते हुए भी इसके रूप अनेक बने हुए है । राजस्थान के पशिचमी सीमावत्र्ती बाड़मेर नगर में होली का त्यौहार पत्थरों की लड़ार्इ के बीच मनाया जाता था, जो आजकल रंग की बौछारों, गुलाल की उड़ान के रूप में बदल गया है । होली का यह रंगीला त्यौहार 80-90 वर्ष पूर्व बाड़मेर नगर में पत्थरों की लड़ार्इ से मनाया जाता था । आपसी वैमनस्य, वैरभाव, दुश्मनी को दूर रखते हुए होली का त्यौहार परस्पर पत्थरों की मार के बीच हर्षोल्लास एवं स्नेह के साथ खेला जाता था । इस त्यौहार को खेलने के लिये एक पखवाड़ा पहले तैयारियां आरम्भ हो जाती थी । दो दलों, दो मौहल्लों के बीच यह मोहब्बत की पत्थर मार होली खेली जाती थी । दोनों दलों के लोग अपने मकानों, दुकानों, धार्मिक प्रतिष्ठानों, मनिदरों आदि ऊंची-ऊंची छतों पर पहले से ही पत्थरों के ठेर एकत्रित करके रखते थे और इन पत्थरों की मार से बचने के लिये युद्ध मैदानों में जिस ढ़ाल का उपयोग करते थे उसकी सार सम्भाल की जाती थी । लेकिन यह पत्थर मार होली, होली दहन के दूसरे दिन धूलेड़ी के दिन खूब तबियत के साथ खेली जाती थी । होली दहन के दिन दोनों दलों, दोनों मौहल्लों के बीच अपार स्नेह मिलन होता था और एक-दूसरे को पराजित करने की शर्त लगाते थे । इस दिन चंग के साथ सामूहिक रूप से खूब नाचते एवं गाते भी थे और जैसे ही दूसरे दिन का प्रभात हुआ कि आकाश में पत्थरों की बौछारे चलनी आरम्भ हो जाती थी । मकान, दुकान, धर्मशालाएं, मनिदरों की छतों पर बाड़मेर की गोलाकार रंग-बिरंगी पगड़ी बांधे धोती-तेवटा पहने, कमर कसे, ढ़ाल लिये लोगों की झलकियां देखने को मिलती थी । दो दलों के बीच दोनों ओर से हवा को चीरते हुए पत्थर चलते थे । घरों में भूल से बाहर रखे बर्तन इन पत्थरों के निशान बनकर चकना चूर हो जाते थे । छोटे बालक-बालिकाएं एवं गृहणियां इस लड़ार्इ के दौरान बाहर नहीं निकलती थी । पत्थरों की विचित्र लड़ार्इ के बीच किसी को सिर, हाथ-पांव, आंख आदि पर चोटे लगती थी । लेकिन वे तनिक भी इसकी परवाह किये बिना सामने वाले दल पर पत्थरों की बौछारे करने में अति व्यस्त रहते थे । इस स्नेह पत्थर लड़ार्इ के बीच कर्इ लोग काने बन गये और कर्इयों के सिर भी फूट गये लेकिन इनकी प्रेम की पत्थर मार होली चलती रहती । यदि इस बीच पत्थरों का संग्रह खत्म होता था तो अपनी छतों से कूदकर पुन: पत्थर एकत्रित करने पड़ते थे । इस बीच दूसरे दल वाला मौका पाकर उसे धर दबोचता और लाठियों से पिटार्इ करता । यदि वह अपनी हार स्वीकार करता तो उसे छोड़ दिया जाता । इस हार को स्वीकार न करने वाले कर्इ लोगों ने छत से कूदने पर अपने पैर तुड़वा लिये और जीवन भर लंगड़े बने रहे । लेकिन होली का हार नहीं मानते थे । पत्थरों की यह विचित्र पत्थर मार होली धूलेड़ी के दोपहर तक चलती । उसके पश्चात दोनों दलों के लोग उसी सस्नेह, उल्लास एवं आनन्द के एक-दूसरे से मिलते । घायल मित्रों की मरहम पटटी करने के साथ-साथ सामूहिक रूप से मिष्ठान खाकर खूब गले मिलते थे । यही पत्थरों की होली धीरे-धीरे धूल एवं कीचड़ उछालकर मनार्इ जाने लगी । जो आज भी कहीं-कहीं नगर में देखी जाती है । यह भी विचित्र रूप लिये रहती है । राहगीरों पर खूब दिन खोलकर धूल बरसाने का आनन्द लिया जाता है और कीचड़ से उसके सारे शरीर को पोत दिया जाता है । इस अवसर पर खूब खुलकर होली की फागों में गन्दे गीतोें को गाया जाता है । पुरूषों द्वारा पत्थरों की परस्पर लड़ार्इ की होली, धूल एवं कीचड़ में बदली वहां औरतों द्वारा भी होली के कर्इ दिन पूर्व गालियों में फागे नियमित रूप से रात्रि में गाती थी । कर्इ-कर्इ स्थानों पर जो महिलाएं देर रात तक गालियों भरी फागों गाने के साथ-साथ अभद्र तरीके से नाचकर अपना उल्लास प्रकट करती थी । लेकिन आजकल महिलाओं में कुछ विशेष जाति समुदाय को छोड़कर गाली-गलोच की फागे नहीं गार्इ जाती है । होली पत्थरों की लड़ार्इ से नीचे उतरती हुर्इ शहर का सबसे गन्दे पानी संग्रहित नरगासर तालाब के कीचड़ पोतने एवं हलवार्इयों की भटिटयों की राख और गली की धूल के बीच मनार्इ जाने लगी । ज्यों-ज्यों व्यकित आधुनिक परिवेश में आया त्यों-त्यों इसमें रददोबदल होने लग गया । अब होली पर गन्दी गालियों के स्थान पर राष्ट्रीय गीत, विकास के बोल एवं हास्य भरी फागों की धुन छार्इ रहती है । वहां गली की धूल, भटिटयों की राख एवं नरगासर के कीचड़ के स्थान पर रंग और गुलाल ने ले लिया है । धूलेड़ी के दिन अब रंग व गुलाल का ही आमतौर पर प्रयोग किया जाता है लेकिन मजाक के तौर पर आज से शताब्दी पूर्व गधे की सवारी का उपयोग हास्य के रूप में किया जाता था आज भी जारी है । विवाह में विदार्इ के गीत, मजाक के बोल जो महिलाएं गाती है उसे पुरूष, महिलाओं के अदभूत वेष बनाकर गाते और मनोरंजन करते है । श्मशान यात्रा के दृश्य उपसिथत कर इस दिन खूब मजाक किया जाता है । धूलभरी होली, कीचड़ की गन्दी होली से लेकर अब रंग भरी सुहावनी होली में भाभी देवर के बीच बड़े ही उत्साह एवं उमंग के बीच खेली जाती रही है । रंग एवं गुलाल भरी होली से पूर्व भाभी पर देवर पानी की बौछार से तीखी मार करता तब भाभी रस्सी अथवा कपड़े से तैयार सोटे से देवर की खूब तबीयत से पिटार्इ करती है । देवर भाभी की मार एवं तीखी पानी के बौछार से छटपटा जाती तब देवरों की बन आती और जब देवर महाशय की पानी की बाल्टी लुढक जाती तब भाभी के सोटे की बौछार उसे पीडि़त करती । आजकल भाभी देवरों के बीच यह होली खूब जमकर खेली जाती है । आजकल पानी के साथ खूब गहरा रंग डालकर भाभी के बदन के हर अंग को रंग रंगने में देवर आनन्द लेते है । होली के दिन बाड़मेर नगर में एक विराट बैठी हुर्इ आदमकद र्इलोजी की प्रतिमा की रचना की जाती है । उसे खूब सजाया संवारा जाता है । इस र्इलोजी की प्रतिमा की शानदार बट वाली मूछों, दाड़ी बनाने के साथ-साथ शरीर के प्रत्येक अंग को सजाने का सुन्दर प्रयास किया जाता है । सिर पर पाग धारण करार्इ जाती है और उसमें कलंगी और तुरों को बांधा जाता है । इस प्रतिमा के आगे धूप एवं अगरबत्तियां जलार्इ जाती है । मजाक के तौर पर खूब र्इलोजी के गीत गाते है और बांझ महिलाऐं को बच्चा प्रापित के लिये इस प्रतिमा के आगे नारियल चढ़ाने के लिये प्रेरित करते है । धूलेड़ी के दिन इस आकर्षक प्रतिमा का खंडन-मंडन किया जाता था लेकिन आजकल इसे तोड़ा नहीं जाता है । र्इलोजी पर रचे अनेकों प्रकार के गीत लोग खूब नाचते हुए चंग के साथ गाते है । बाड़मेर की विचित्र पत्थर मार होली बदलती हुर्इ आज रंग की बौछारों, राष्ट्रीय एवं विकास गीतों, हास्यपूर्ण वेशभूषा, गधे की सवारी के साथ खूब नाचकूद के साथ मनार्इ जाती है । इस रंगीले होली त्यौहार का आनन्द बड़े, बूढ़े, बालक- बालिकाएं, जवान युवक-युवतियां सभी मिलकर लेते हैं

चितौड़गढ़ से चुनाव लड़ेंगे राजनाथ सिंह!

नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनावी सीट को लेकर संस्पेंस आज खत्म हो जाएगा। दिल्ली में पार्टी की चुनाव समिति की बैठक चल रही है। इसमें पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी की सीट पर भी अंतिम फैसला होगा।
सूत्र बताते हैं कि सिंह के लखनऊ सीट से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच यह भी कहा जा रहा है कि वे राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से चुनाव लड़ सकते हैं। चित्तौड़गढ़ से फिलहाल बीजेपी पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह को उतारने का मानस बनाने हुए हैं लेकिन वे बाडमेर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्हें 
बाडमेर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसी तरह पूर्व जनरल वीके सिंह को जोधपुर से टिकट दिया जा सकता है।

मोदी गुजरात के अलावा यूपी की किसी एक सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए वाराणसी, बनारस, पटनासाहिब सीट को लेकर भी चर्चा का बाजार गरम है। मोदी को वाराणसी की बजाय बीजेपी की परंपरागत पटना साहिब से भी उतारे जाने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं। इस सीट से गत चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा यहां से रिकार्ड मतों से जीते थे, इस बार पार्टी ने उनका टिकट रोका हुआ है। सिन्हा ने भी कहा था कि वे पटनासाहिब से ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन अगर मोदी यहां चुनाव लड़ने आते हैं तो वे अपनी यह सीट छोड़ सकते हैं। -  

प्यार की खातिर उत्तराखण्ड से घर छोड़कर चली आई कोटा

कोटा। "मैं एक लड़के से प्यार करती हूं, लेकिन मेरी मम्मी किसी दूसरे लड़के से मेरी शादी कराना चाहती है। इसलिए मैं घर छोड़कर कोटा चली आई।" यह कहना है कि उत्तराखण्ड के नरेन्द्र नगर निवासी विनिता कुण्डीर ( 21) का।
विनिता ने पत्रिका को बताया कि उसके पिता मदन सिंह उत्तराखण्ड में होमगार्ड हैं। मम्मी निर्मला देवी गृहिणी है। मम्मी मेरी शादी किसी लड़के से कराना चाहती है। जबकि मैं पड़ौस में रहने वाले लड़के से प्यार करती हूं। हालांकि मैंने अपने माता-पिता को इस बारे में कभी कुछ नहीं बताया।

यदि बताती तो दोनों पक्षों के बीच विवाद होता। विवाद की आशंका के चलते ही वह 12 मार्च को घर छोड़कर बस से हरिद्वार, दिल्ली होते हुए 14 मार्च को तड़के कोटा पहुंची। यहां छावनी में एक होटल में कमरा लेकर ठहरी। उसने उसके भाई दिनेश से बात की, जो फोटोग्राफी का काम करता है। वह कोटा में राजाराम कर्मयोगी के सम्पर्क में था।

उसने राजाराम कर्मयोगी को फोन कर बहन को उसके पास बुलाने की बात कही। राजाराम उसे अपने साथ घर लेकर आ गया। अभी वह राजाराम के घर पर ठहरी है। राजाराम ने बताया कि युवती के माता-पिता व ब्याय फ्रेड को भी कोटा बुला लिया है। विनीता अपने माता-पिता के पास नहीं जाना चाहती।  

एक और बड़ा परिवर्तन, भाजपा में किरोड़ी की वापसी!

जयपुर। लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश की राजनीति में एक और बड़ा परिवर्तन आने की तैयारी है। पिछले छह सालों से भाजपा का विरोध कर निर्दलीय और फिर राजपा के सहयोग से चुनाव लड़ने वाले किरोड़ीलाल मीणा की जल्द ही भाजपा में वापसी हो सकती है।
किरोड़ी ने पिछले दिनों भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की है। मीणा और सिंह में लंबे समय तक बात हुई। इसके बाद मीणा नरेंद्र मोदी से मिलने भी गए। दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई।

माना जा रहा है कि किरोड़ी की भाजपा में वापसी की घोषणा जल्द हो सकती है। उन्हें पार्टी की ओर से दौसा लोकसभा क्षेत्र का उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है। केंद्र में उनकी पार्टी एनपीपी भी एनडीए के घटक दल में से है, उनकी वापसी को लेकर जल्द ही बड़ा निर्णय हो सकता है।

हैं पुराने संबंध
किरोड़ीलाल के राजनाथ सिंह और नरेन्द्र मोदी से काफी पुराने संबंध हैं। मीणा ने राजनाथ सिंह के साथ युवा मोर्चा में काम किया है। उस समय राजनाथ युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे और किरोड़ीलाल प्रदेश युवा मोर्चा के अध्यक्ष थे। वहीं मोदी ने भी गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के दौरान मीणा को आमंत्रित किया था। हालांकि वे समारोह में नहीं गए थे।

दोनों दलों की मुश्किलें बढेंगी
किरोड़ीलाल के भाजपा में वापसी के साथ जहां कांग्रेस को पूर्वी राजस्थान में दौसा, टोंक-सवाईमाधोपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर-करौली जैसी प्रमुख सीटों पर भारी नुकसान हो सकता है। भाजपा के लिए भी उनकी वापसी आसान नहीं होगी।

किरोड़ी ने 2003 से 2008 तक चली भाजपा सरकार में विरोधी तेवर दिखाए थे और वसुंधरा राजे से भी उनके संबंध मधुर नहीं रहे। इसके चलते उन्होंने 2008 में पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ा था।

उनकी पत्नी गोलमा देवी कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहीं। हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में किरोड़ी ने भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही अपने को अलग कर लिया था और एनपीपी के बैनर तले चुनाव लड़ा था। - 

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

पूनम की रात को फतेहपुर सीकरी तानसेन की तान पर खामोश दाद देती है।



आगरा। दीवान ए खास में संगीत सम्राट तानसेन का चबूतरा, उससे लगी बादशाह अकबर की ख्वाबगाह। पांच सौ साल बाद भी चांद की 13 और 14 तारीख, यानी पूनम की रात को फतेहपुर सीकरी तानसेन की तान पर खामोश दाद देती है। बारादरी और तानसेन के चबूतरे पर पूनम की रात को आज भी इन दो तारीख पर कोई रुख करने की हिम्मत नहीं करता। इसकी वजह कुछ और नहीं, बल्कि साढ़े पांच सौ सालों से चली आ रही यह मान्यता है कि सुर सम्राट इन दो रातों में अक्सर रियाज करते हैं।

ग्वालियर के बेहट गांव में 14वीं शताब्दी में पैदा हुए सुर सम्राट तानसेन का असली नाम तनसुख व त्रिलोचन था। उनके पिता का नाम मकरंद पांडे था, वह पांच साल की उम्र तक गूंगे थे। पिता के सानिध्य में गायन की शुरुआत की, 11 वर्ष की उम्र में राजा मान सिंह तोमर की रागमाला में विद्यार्थी के रूप में आए। यहां दरबारी संगीतज्ञ के रूप में रहे, इब्राहीम लोदी के ग्वालियर किले पर चढ़ाई के बाद 1557 में उन्होंने रीवा नरेश रामचंद्र बघेल के दरबार में पनाह ली। राजा रामचंद्र की सभा के गायक जीन खां अकबर के दरबारी गायकों में शामिल हो गए थे। उन्होंने तानसेन की विशिष्ट गायकी की प्रशंसा करके उनको अकबर के दरबार में शामिल कराया था। बाद में अकबर ने तानसेन को अपने नौ रत्‍‌नों में शामिल कर लिया। उनको संगीत विभाग का प्रधान बना दिया।

फतेहपुर सीकरी परिसर स्थित बारादरी संगीत सम्राट के रिहायश और रियाज की गवाह है। जबकि संगीत सम्राट का चबूतरा बादशाह अकबर के उनके मुरीद होने का गवाही देता है। कहा जाता है कि बादशाह की अकबर की आंख तानसेन की तान से खुलती थी, रात को सोते भी वह उन्हीं आवाज से थे।

तानसेन की यह बारादरी गांव की आबादी से करीब 100 मीटर दूर है। फतेहपुर सीकरी स्मारक में दो दशक से गाइड चांद मोहम्मद उर्फ भारत सरकार भी इस मान्यता की पुष्टि करते हैं। चांद मोहम्मद बताते हैं पांच सौ साल से भी समय से आसपास के लोगों में यह मान्यता बरकरार है। शायद यही वजह है कि रात बारह बजे के बाद आज भी फतेहपुर सीकरी परिसर में कोई कार्यक्रम नहीं कराया जाता।

तानसेन के राग-रागिनी-तानसेन द्वारा रचित ध््राुपदों में 36 राग-रागनियों का प्रयोग हुआ है। इनमें राग भैरव, रागिनी तोड़ी, रागिनी मुल्तानी आदि प्रमुख हैं। तानसेन ने लगभग 400 राग-रागनियों को परिष्कृत करके अपने संगीत ग्रंथों में समाविष्ट किया। उन्होंने ईरानी और भारतीय संगीत शैलियों का प्रयोग करके एक नवीन दरबारी तर्ज का विकास किया। दरबारी तोड़ी, दरबारी जैसे रागों का सृजन किया। उन्होंने तीन प्रमुख ग्रंथों संगीतसार, रागमाला और गणेश स्त्रोत की रचना की।

गणेश वंदना के हैं रचयिता- गणेश वंदना हेतु सदियों से गाई जा रही स्तुति के रचयिता भी तानसेन हैं। उनके द्वारा रचित मूल गणेश वंदना की कुछ पंक्ति 'उठि प्रभात सुमिरियै, जै श्री गणेश देवा माता जाकी पारवती, पिता महादेवा।।'

इतिहास में सुर सम्राट तानसेन और बैजू बावरा के बीच हुआ मुकाबला प्रसिद्ध हैं। तानसेन और बैजू बावरा दोनों वृंदावन वाले स्वामी हरिदास के शिष्य रहे थे। एक बार बादशाह अकबर ने हरिदास से मिलने ख्वाहिश की तो तानसेन ने उनको आगरा बुलाने की हामी भर दी। यह बात स्वामी को बुरी लगी, अपना अपमान समझा कि तानसेन ने राजा उनसे मिलने वृंदावन आने की क्यों नहीं कहा। स्वामी ने तानसेन का दीपक राग सिखाया था, बैजू बावरा को उन्होंने राग मल्हार सिखाया। दोनों के बीच मुकाबला कराया गया। पहला मुकाबला आगरा किले के दीवान खास में हुआ, यहां बैजू ने पत्थर पिघला कर अपना तानपूरा गाड़ दिया। उसे तानसेन से निकालने को कहा लेकिन वह नहीं निकाल सके। दूसरा मुकाबला सिकंदरा में हुआ, यहां राग सुनकर हिरन बैजू के पास आ गए, उन्होंने अपने गले की माला हिरन के गले में डाल दी। तानसेन को अपने संगीत के बल पर हिरन को पास बुलाकर उसके गले में पड़ी माला उतारने की चुनौती दी थी। तानसेन इस चुनौती को पूरा नहीं कर सके थे। तीसरा और आखिरी मुकाबला सीकरी में हुआ, मान्यता है कि यहां तानसेन के राग से दीपक जल उठे, उनके कपड़ों में आग लग गयी। तब बैजू ने राग मल्हार गाकर बारिश कराके दीपकों को बुझा दिया था। बताते हैं इस हार के बाद तानसेन अकबर का दरबार छोड़कर ग्वालियर चले गए। अंतिम समय तक यहीं रहे, अप्रैल 1589 में उन्होंने अंतिम सांस ली।

अकबर की भी है अधूरी प्रेम कहानी, रानी को पाने के लिए किया था पति पर हमला

इंदौर.विश्व प्रसिद्ध प्रेमकथाओं में मध्य प्रदेश की रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी सदियों से अपनी गाथा गा रही है। आज ‘इतिहास के झरोखे’ सीरीज के तहत आपको इसी प्रेम कथा के बारे में बता रहा है। इंदौर से लगभग 90 किलोमीटर दूर ऐतिहासिक पयर्टक स्थल हैं ‘मांडू’ जिसे खुशियों का शहर भी कहा जाता हैं। विंध्याचल की पहाडिय़ों में करीब 2000 फीट की ऊंचाई पर मप्र के धार जिले में बसा मांडू रानी रूपमती और राजा बाज बहादुर के अमरप्रेम कथा का साक्षी है। माण्डू का प्राचीन पहाड़ी किला शिलालेखात्मक साक्ष्यों के अनुसार 555ई. का है।

मांडू की रानी रूपमती से हुआ अकबर को प्रेम

पत्नी मुमताज की याद व उनके प्रेम की खातिर मुगल सम्राट शाहजहां ने खूबसूरत ताज महल बनवाया था। ऐसे ही एक वीर योद्धा अकबर की अधूरी प्रेम कहानी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिन्हें मांडू की रानी रूपमती से प्रेम हो गया था। रानी को पाने के लिए अकबर ने एक साजिश के तहत उन्हें अपने पति से अलग करना चाहा था। मालवा के सारंगपुर जिले में बना एक मकबरा रानी रूपमती के प्रेम और बलिदान की मिसाल है। यह मकबरा मांडू की रानी रूपमती और बाज बहादुर को अलग करने की साजिश रचने वाले शहंशाह अकबर ने खुद बनवाया था।

अकबर ने रूपमती को पाने के लिए पति सुल्तान बाज बहादुर को किया कैद

रानी रूपमती की आवाज और खूबसूरती के कायल अकबर ने रानी को पाने के लिए सुल्तान बाज बहादुर पर ने सिर्फ हमला करवाया था, बल्कि उन्हें बंदी भी बना लिया था। इस बात से दुखी रानी रूपमती ने हीरा लीलकर अपनी जान दे दी थी। रानी की मौते से दुखी अकबर ने फौरन बंधक बनाए प्रेमी बाज बहादुर को मुक्त कर दिया। इतना ही नहीं अकबर ने प्रेमिका की समाधि पर जान देने वाले बाज बहादुर का मकबरा भी बनवाया।
आशिक-ए-सादिक का मकबरा

सारंगपुर के नजदीक बना यह मकबरा शहंशाह अकबर ने 1568 ईस्वी में बनवाया था। यह बात सच है कि इस स्मारक को वह ख्याति नहीं मिल पाई, जिसका यह हकदार था। कभी अपनी भव्यता के लिए पहचाने जाने वाला यह मकबरा देखरेख के अभाव में अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है। बताया जाता है कि दो प्रेमियों को अलग करने का पछतावा दिनरात अकबर को परेशान कर रहा था। ऐसे में अकबर ने बाज बहादुर के मकबरा पर 'आशिक ए सादिक' और रानी रूपमति की समाधि पर 'शहीदे ए वफा' लिखवाया था। हालांकि वह शिलालेख अब वहां मौजूद नहीं है, लेकिन जानने वाले इसे इसी नाम से पुकारते हैं।



रानी ने हीरा लीलकर दे दी थी जान

गुस्से में तमतमाए शहंशाह अकबर ने अपने सिपहसालार आदम खां को भेजकर मालवा पर आक्रमण करा दिया। लड़ाई में बाज बहादुर हार गया और मुगलों ने उसे बंदी बना लिया। जीत के बाद आदम खां रानी रूपमती को लेने के लिए मांडव रवाना हो गए। इससे पहले की अकबर रानी रूपमती को अपना बंदी बना पाता, रानी रूपमती ने हीरा लीलकर अपनी जान दे दी।

ताजमहल से पुरानी है सारंगपुर मकबरे की कहानी

इस प्रेम की अनोखी दास्तां के बारे में जानकर अकबर को बहुत पछतावा हुआ। दो प्रेमियों को अलग करने का जिम्मेदार खुद को मानने वाले अकबर के आदेश पर रानी रूपमती के शव को ससम्मान सारंगपुर भेजकर दफनाया गया। इतना ही नहीं अकबर ने रानी की मजार भी बनवाई।
रानी की मजार पर सिर पटक-पटक कर दे दी जान

पछतावे की आग में जल रहे अकबर ने तत्काल बंदी बाज बहादुर को मुक्त कराने के आदेश दे दिए। मुक्त होते ही बाज बहादुर को अकबर ने मिलने के लिए अपने दरबार में बुलाया। वर्ष 1568 में बाज बहादुर गंभीर बीमार हो गए थे। उन्होंने अकबर से अपनी अंतिम इच्छा जाहिर करते हुए सारंगपुर जाने की बात कही। इस पर अकबर ने बाज को दिल्ली से पालकी में बैठाकर सारंगपुर भिजवाया। यहां बाज बहादुर ने रूपमती की मजार पर सिर पटक-पटक कर जान दे दी। बाद में रूपमती के पास में ही बाज बहादुर की मजार भी बनाई गई।

संदिग्ध हालात में पकड़े महिला व होटल संचालक

नागौर।कोतवाली पुलिस ने बुधवार दोपहर शहर के एक होटल से एक महिला व होटल संचालक को संदिग्ध हालत में गिरफ्तार किया है। दोनों को बुधवार शाम को एसडीएम कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी है। थानाधिकारी रमेंद्र सिंह ने बताया कि बुधवार को शहर के किले की ढाल स्थित मोती महल होटल में अवैध गतिविधियां संचालित होने की सूचना मिली थी।

पुलिस ने उप निरीक्षक दिप्ती गौरा को मौके पर भेजा । होटल में दबिश देने पर कमरा नंबर 18 में बाराणी गांव की 40 वर्षीय महिला को गिरफ्तार किया। बाद में होटल संचालक चैनार गांव के रमेश माली (32) को संदिग्ध गतिविधियां संचालित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। बुधवार शाम को दोनों को एसडीएम कोर्ट में पेश करने पर जमानत मिल गई।

लाल व हरे रंग की पर्ची से तय होते ग्राहक


थानाधिकारी ने बताया कि होटल में चल रही अवैध गतिविधियों के बारे में पहले पुख्ता किया । इस पर पता चला कि मोती महल होटल में घुसते ही संचालक ग्राहकों को लाल या हरे रंग की पर्ची के बारे में पूछता। बाद में पर्ची के आधार पर रूपए लिए जाते थे। थानाधिकारी ने बताया कि होटलों में चल रही अवैध गतिविधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की जाएगी। -

गुरुवार, 13 मार्च 2014

भाजपा ने जारी की अपनी सूची, विदिशा से सुषमा स्वराज, पाटलिपुत्र से रामकृपाल मैदान में

नई दिल्ली ।भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए 100 उम्मीदवारों की तीसरी सूची आज जारी की। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को मध्य प्रदेश की विदिशा. पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज हुसैन को बिहार के भागलपुर और राजीव प्रतापरूडी को सारण से एक बार फिर टिकट दिया गया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में यहां हुईकेंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में बिहार की 25 मध्य प्रदेश की 24. केरल की 14. झारखंड की 13. पश्चिम बंगाल की सात. असम की छह. कर्नाटक की पांच. महाराष्ट्र की दो और लक्षद्वीप की एक सीट के लिए उम्मीदवारों के नाम तय किये गए।
सुषमा स्वराज को विदिशा से और श््रीरूडी को सारण से दूसरी बार तथा श््री हुसैन को भागलपुर से तीसरी बार उम्मीदवार बनाया गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा की जगह उनके बेटे जयंत सिन्हा को हजारीबाग से पूर्व केंद्रीय मंत्री एस एस अहलुवालिया को दार्जीलिंग और राष्ट्रीय जनता दल छोडकर भाजपा में आये रामकृपाल यादव को पाटलिपुत्र से टिकट दिया गया है।
भाजपा ने जारी की अपनी  सूची, विदिशा से सुषमा स्वराज, पाटलिपुत्र से रामकृपाल मैदान में
सुषमा स्वराज- विदिशा
सुमित्रा महाजन - इंदौर
राम टहल चौधरी - रांची
एसएस आहलुवालिया- दार्जलिंग
जयंत सिन्हा - हजारीबाग
रामकृपाल यादव- पाटलिपुत्र
गिरिराज सिंह- नवादा
कीर्ति आजाद- दरभंगा
दिलीप जयसवाल- किशनगंज
भोला सिंह- बेगुसराय
राजीव प्रताप रूडी- सारणपुर
आर के सिंह- आरा
नरेंद्र सिंह तोमर - ग्वालियर
प्रताप सिन्हा- मैसूर

कांग्रेस के 71 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी

नई दिल्ली। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2014 के लिए अपने 71 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की है। इस सूची में शामिल नाम निम्न हैं।
नगमा मेरठ से
बेगम नूर बानो मुरादाबाद से
सुबोधकात सहाय रांची से
पवन बंसल चढ़ीगंढ़ से
राजबब्बर गाजियाबाद से
पीसी चाको चलाकुडी से
वी नारायणसामी पुड्डूचेरी
शशि थरूर तिरवंनतपुरम से
रीता बहुगुणा लखनऊ से
मनीष तिवारी लुधियाना से
राजीव सातव हिंगोली से
केवी थॉमस एरनाकुलम से
हरिहर करण कंधमाल से
राजबाला ओला झूंझुनूं से
रघुवीर सिंह मीणा उदयपुर से
रमेश चन्द्र तोमर गौतम बुद्ध नगर से
हंसमुखी शंखवाड इटावा से
महेन्द्र गौतम कोसाम्बी से
अशोक सिंह अंबेडकर नगर से
मुकेश श्रीवास्तव केसरगंज से
तरूण पटेल डूमरियागंज से
रोहित पांडे संत कबीर नगर से
तूफानी निषाद मछली शहर से
ललितेश त्रिपाठी मिर्जापुर से
हमदुल्ला सईद लक्षद्वीप से
डीन कुरियाकोस इद्दुकी की
केसी वेणुगोपाल अलापूजा से
कुणाल सुरेश मावेलीकड़ा से
एंटनी पटनमथिटा से
एडवोकेट बिन्दु कृष्णा एंटिंगल से
गोविन्द सिंह मुरैना से
ओमकार मार्कम मण्डोला से
देवेन्द्र पटेल होशंगाबाद से
हिदायत पटेल अकोला से
सागर मेघे वर्धा से
डॉ. नामदेव उसेंडी गढ़ चिरोली - चिंगूर
विलास ओताड़े जालना से
विश्वनाथ पटेल भिवण्डी से
कलपा आवड़े हाथकंगनले से
विन्सेंट पाला शिलोम से
डेरिल विलियम मोमीन तुर्रा से
केवी पूसा नागालैण्ड से
हेमानन्द बिस्वाल सुन्दरगढ़ से
अमरनाथ प्रधान संबंलपुर से
श्यामसुन्दर हंसदा मयूरभंज से
भक्त चरणदास कालाहांडी से
प्रदीप कुमार मांझी नवरंगपुर से
मोहम्मद वाजिद अली चौधरी दुबड़ी से
जोन जोनाली बरूआ नौगांव से
आरती सिंह रायगढ़ से
सत्यनारायण शर्मा रायपुर से
प्रवीण राठौड़ भावनगर से
चन्द्रकुमार कांगड़ा से
प्रतिभा सिंह मण्डी से
मोहनलाल बरगट्टा शिमला से
प्रकाश हुक्केडी चिगोड़ी से
लक्ष्मी हेबेलकर बेलगांव से
अजय कुमार सरनाईक पागलकोट से
बी.बी. नाईक रायचूर से
बस्वराज हितनाल कोपल से
मंजूनाथ भंडारी शिमोखा से
जर्नादन पुजारी दक्षिण कन्नड से
चन्द्ररप्पा चित्रदुर्ग से
रिजवान अरशद बैंगलोर सेन्ट्रल से
एम. वीरप्पा मोइली चिकबल्लापूर से
टी. सिद्दीकी कसरगाड़ से
के सुधाकरन कन्नूर से
मल्लापल्ली रामचन्द्रन वधाकड़ा से
एम.आई. शहनवाज वायानाड़ से
एम.के. राघवन कोचीकोड़ से
शिशा के.ए. अलातूर से
के.पी. धनपल्लन त्रिसूर से - 

फाग की मस्ती ,थार मरुस्थल में चंग बजने लगे


बाड़मेर। बाड़मेर जिले में मदनोत्सव एवं रंगोत्सव की मस्ती छाई हुई है। आधुनिकता की दौड़के बावजूद थार मरुस्थल में लोक कला और संस्कृति से जुड़ी परम्पराओं का निर्वाह किया जा रहा हैं।ग्रामीण अंचलों में होली की धूम मची हैं।ग्रामीण अंचलों में रंगोत्सव की मदमस्ती बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों पर सूरज लते ही ग्रामीण चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।वहीं फागुनी लूर गाती महिलाओं के दल फागोत्सव के प्रति दीवानगी का एहसास कराती हैं।

सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक परम्पराओं का निर्वहन ग्रामीण क्षैत्रों में आज भी हो रहा हैं।रंग और मद के इस त्यौहार के प्रति ग्रामीण अंचलों में दीवानगी बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों परगा्रमीणों के दल सामुहिक रुप से चंग की थाप पर फाग गीत गाते नजर आते हैं।जिले में लगातार पड़ रहे अकाल का प्रभाव अधिक नजर नहीं आ रहा ।अलबता होली के धमाल के लिए प्रसिद्धसनावड़ा गांव के बुर्जुग रुपाराम ने बताया कि अकाल के कारण गांव के युवा रोजगार के लिए गुजरात गए हुए हैंअकाल के कारण हमारे गॉव में होली का रंग फीका नही। पडता।

होली से तीन चार रोज पूर्व रोजगार के लिए बाहर गए युवा पर्व मनाने पहुँच जाएगे।गांव की परम्परा हैं जो हम अपने बुजुर्गों के समय से देखते आ रहे हैं।इसकी पालना होती हैं।

होली से 15 दिन पूर्व गांव में होली का आलम शुरु होता हैं।चोपाल पर शाम होते होते गांव के बडे बुड़े जवान बच्चे सभी एकत्रित हो जाते हैं।चंग बजाने वालो की थाप पर गा्रमिण सामुहिक रुप से फाग गाते हैं।वहीं गांव की महिलाए रात्री में एक जगह एकत्रित हो कर बारी बारी से घरों के आगे फाग गाती हैं।जो महिलाऐं इस दल में नहीं आती उस महिला के घर के आगे जाकर महिला दल अश्लील फाग गाती हैं,जिसे सुनकर अन्दर बैठी महिला शर्माकर दल मे शामिल हो जाती हैं।

महिलाओं द्घारा दो दल बनाकर लूर फाग गाती हैं।लूर में दोनों महिला दल आपस में गीतों के माध्यम से सवालजवाब करती हैं।लूर थार की परम्परा हैं।लुप्त हो रही लूर परम्परा सनावडा तथा सिवाना क्षैत्र के ग्रामीण अंचलों तक सिमट कर रह गई हे ।फाग गीतों के साथ साथ डाण्डिया गेर नृत्य का भी आयोजन होता हैं।भारी भरकम घुंघरु पांवों में बांध कर हाथें में आठ आठ मीटर लम्बे डाण्डियेंल करोल की थाप और थाली टंकार पर जब गेरिऐं नृत्य करते हैं तों लोक संगीत की छटा माटी की सौंधी में घुल जाती हैं।

सनावडा में होली के दूसरे दिन बडे स्तर पर गेर नृत्यो का आयोजन होता हैं।जिसमें आसपास के गांवों के कई दल हिस्सा लेते हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में होली का रंग जमने लगा हैं। शहरी क्षैत्र में भी गेरियों के दल इस बार नजर आ रहे हैं।जो शहर की गलियों में चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।

भविष्य बताने की बजाए महिला से उतरवाए कपड़े

मेलबर्न। हाथ देखकर भविष्य बताने वाले एक तथाकथित ज्योतिषी ने एक महिला के कपड़े ट्रेन में ही उतरवा लिए। ताज्जुब की बात यह है कि इस ज्योतिषी ने दो और महिलाओं के साथ इस तरह की हरकत करने की कोशिश की।
पीडित महिला को जब इस दुर्व्यवहार का अहसास हुआ तो उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया। यह घटना ऑस्ट्रेलिया की है। यहां एक भारतवंशी ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया।

ऑस्ट्रेलिया में 41 वर्षीय भारतीय अजय चोपड़ा ने हाथ देखकर भविष्य बताने के बहाने ट्रेन में महिलाओं से दुर्व्यवहार का आरोप स्वीकार कर लिया है। चोपड़ा को तीन महिलाओं से दुर्व्यवहार का दोषी पाया गया।

उसने बेंडिगो और मेलबर्न के बीच यात्रा के दौरान वी लाइन ट्रेनों में दो अन्य महिलाओं से भी दुर्व्यवहार की कोशिश की। चोपड़ा ने फरवरी और अक्टूबर 2011 के बीच 20 से 30 साल की आयु समूह की पांच महिलाओं से निकटता बढ़ाने की कोशिश की।

मीडिया के मुताबिक, अदालत की पहले की सुनवाई में कहा गया कि उसने महिलाओं से कहा कि वह उनका भविष्य बता सकता है। मुद्दे को खबर का रूप नहीं दिया जाए, इसके लिए उसने अदालत से संपर्क किया।

हालांकि न्यायाधीश गेरार्ड मुल्लाले ने कहा कि इस संबंध में खबरें प्रकाशित नहीं हों, इस पर पाबंदी लगाने का कोई कारण नहीं है। चोपड़ा की जमानत बढ़ा दी गई और उसे अपना पासपोर्ट सौंपने को कहा गया। उसे ऑस्ट्रेलिया नहीं छोड़ने की हिदायत के साथ सप्ताह में पुलिस के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कहा गया। -  

जैसलमेर जिला परिवहन अधिकारी अवैध वसूली के लिए घर घर जाते हें

जैसलमेर जिला परिवहन अधिकारी अवैध वसूली के लिए घर घर जाते हें

बाड़मेर जैसलमेर के जिला परिवहन अधिकारी होली कि खर्ची के लिए अब दो चार सिपाहियो के साथ वाहन मालिको के नाम फर्जी वसूली निकाल घर घर जाकर अनध वसूली कर रहे हें। सूत्रानुसार जिला परिवहन अधिकारी जैसलमेर द्वारा वाहन मालिको के पुराने कागजात निकाल विभागीय वसूली फर्जी तरीके से निकाल उसकी अवैध वसूल करने वाहन मालिको के घर दो चार सिपाहियो के साथ धमक जाते हें। वाहन मालिको ने बताया कि वाहनो के समस्त टेक्स चुकाए जाने के बाद भी गैर वाजिब तरीके से कार्यालय वसूली बकाया के नाम वाहन मालिको के घर वसूली के लिए धमक रहे हें जबकि अगर ऐसी कोई वसूली होती भी हें तो जरिये नोटिस या कार्यालय पत्र द्वारा सम्बंधित वाहन मालिक को सूचित किया जाना चाहिए ,मगर जैसलमेर जिला परिवहन अधिकारी द्वारा वहाँ मालिको के परिजनो को डरा धमका कर वसूली करने के समाचार हें। एक जिला स्तरीय अधिकारी केसे किसी के घर जाकर वसूली कर सकता हें ,राज्य सरकार कि किसी क़ानूनी या संवेधानिक पुस्तक में कोई कानून धारा दर्ज नहीं हें कि किसी कि वसूली परिजनो को डरा धमाका के कीजये। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के नशे में चूर जिला परिवहन अधिकारी कि दबंगता बढाती जा रही हें। अपना राज हें कौन क्या बिगड़ेगा कि तर्ज पर चल रहे परिवहन अधिकारी को इस तरह कि हरकते भारी पद सकती हें।

कभी भी हो सकती हें बाड़मेर से जसवंत सिंह के नाम कि घोषणा

कभी भी हो सकती हें बाड़मेर से जसवंत सिंह के नाम कि घोषणा

बाड़मेर आगामी लोकसभा चुनावो में भाजपा प्रत्यासी बाड़मेर जैसलमेर संसदीय सीट के लिए वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के नाम कि घोषणा कभी भी हो सकती हें। पार्टी सूत्रो ने बताया कि भाजपा कि चुनाव समिति कि बैठक के बाद वरिष्ठ नेताओ कि सूचि अलग से जारी कि जा रही हें ,वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह अपने गृह जिले बाड़मेर से चुनाव लड़ेंगे। बाड़मेर सीट पर एकमात्र नाम जसवंत सिंह का हें।


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बनारस से नहीं गुजरात से चुनाव लड़ेंगे मोदी

नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री व भाजपा पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गुजरात के एक सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
भाजपा के गुजरात प्रदेश महासचिव विजय रूपाणी ने यह खुलासा कर सियासी गलियारे में हलचल मचा दी है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मोदी गुजरात की ही किसी एक सीट से चुनाव लड़ेंगे।

बताते चलें कि मोदी समर्थक चाहते हैं कि वह वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ें। लेकिन लंबे समय से यह तय नहीं हो पाया है कि बनारस सीट से मोदी खड़े होंगे या मुरली मनोहर जोशी।

जोशी ने 2009 का लोकसभा चुनाव वाराणसी से लड़ा था। यहां से चुनाव जीतकर वह सांसद भी बने थे। अगर जोशी मोदी के लिए वाराणसी सीट खाली करने को तैयार हो जाते हैं, तो उन्हें कानपुर से उम्मीदवार बनाया जा सकता है।

कानपुर से कांग्रेस नेता श्रीप्रकाश जायसवाल सांसद हैं। जायसवाल कानपुर से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। साथ ही चर्चा यह भी है कि भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह लखनऊ से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।

चुनाव समिति की बैठक के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ के लिए पार्टी उम्मीदवारों की घोषणा हो सकती है। भाजपा अभी तक 106 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। -  

शोएब से तलाक लेंगी सानिया मिर्जा!

नई दिल्ली। भारत की सबसे चर्चित महिला टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा और उनके पाकिस्तानी क्रिकेटर पति शोएब मलिक के बीच तनाव की खबरें हैं। सूत्रों के अनुसार सानिया शोएब से तलाक लेने जा रही हैं। दोनों लंबे समय से एक-दूसरे मिले भी नहीं हैं।
गौरतलब है कि सानिया ने 12 अप्रैल, 2010 को पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और बल्लेबाज शोएब मलिक से शादी की थी। सानिया और शोएब की शादी को भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को और मजबूत करने की एक कड़ी भी मानी गई। गूगल ट्रेंड्स के अनुसार 2010 में सानिया को शादी के सबसे ज्यादा प्रस्ताव मिले थे।

साथ ही इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च की गई वह भारतीय खिलाड़ी बनी थी। ऎसा नहीं है कि दोनों की शादी में कोई पेंच नहीं आया। अप्रैल 2010 में शादी होने से पहले सानिया और शोएब की जिंदगी में तूफान आया, जब शादी से कुछ समय पहले एक लड़की ने दावा किया शोएब मलिक उनके साथ विवाह कर चुके हैं। और उस लड़की ने धमकी भी दी कि वह तब तक शादी नहीं कर सकते, जब तक वह उसे तलाक नहीं दे देते।

बाद में लिया तलाक
शुरूआत में शोएब मलिक ने तलाक की बात तो दूर इस बात से ही इनकार कर दिया कि उनकी शादी उस लड़की से हुई थी। हालांकि बाद में सानिया से शादी के लिए मलिक ने उस लड़की को तलाक दिया और दोनों दांपत्य सूत्र में बंध गए। हालांकि शोएब ने इससे इनकार किया है। - 

ये कैसी दीवानगी है इन दोनों बहनों की

पर्थ। अरे ये कैसी दीवानगी। ऑस्ट्रेलिया की दो जुडवां बहनों ने एक जैसी दिखने की ख्वाहिश में करोड़ों खर्च कर डाले।
इन्होंने अपने होंठो, गालों, भौंहों, पलकों आदि की र्सजरी में तकरीबन ड़ेढ करोड रूपये खर्च किए है।यहीं नहीं अब भी वे दोनों हर सप्ताह लगातार इसी के लिए हजारों डालर फूंक रहीं हैं।

ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में रहने वाली 28 साल की लुसी और एना दसिंक की उम्र में मात्र एक मिनट का अंतर है। जन्म से ही दोनों एक जैसी दिखती थीं और माता-पिता भी इन्हें अक्सर एक जैसे ही कपड़े पहनाते थे।

जैसे-जैसे इन दोनों की उम्र बढ़ती गई इन पर एक जैसे दिखने का भूत सवार हो गया और इसी के लिए दोनों ने प्लास्टिक र्सजरी का सहारा लिया। इन बहनों ने अपने होंठो का आकार एक जैसा कराया और नकली भौंहें तथा पलके बनवाई । इन्होंने शरीर के अन्य हिस्सों को भी सर्जरी के माध्यम से एक जैसा कर लिया। - 

भिड़ंत में फटा बोलेरो का डीजल टैंक, छह जिंदा जले

गंगानगर। राजस्थान के गांगानगर जिले के राज्य स्टेट हाईवे पर घड़साना से बीस किलोमीटर दूर बीकानेर रोड पर बुधवार देर रात हुए सड़क हादसे में सात लोगों की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए। हादसे में मारे गए छह लोग बोलेरो में सवार थे।
सभी छह लोग डीजल का टैंक फट जाने के कारण जिंदा जल गए। बाद में पुलिस ने आग को काबू करने के लिए पानी के टैंकरों की व्यवस्था की। जब तक आग बुझाई जाती सभी छह लोगों की जलने से मौत हो चुकी थी।

ओवरटेक के दौरान हादसा
पुलिस के अनुसार स्टेट हाईवे नंबर तीन पर ईटों से भरा एक ट्रेलर जा रहा था। उसके पीछे एक पिकअप चल रही थी। पिकअप में तीन लोग सवार थे। पिकअप चालक ने ट्रेलर को ओवरटेक करने की कोशिश की तो सामने से आ रही बोलेरो से पिकअप की जोरदार टक्कर हो गई।

टक्कर होते ही बोलेरो का डीजल टैंक फट गया और सेंट्रल लॉक लग गया, जिससे सवार बाहर नहीं निकल पाए। बोलेरो में सवार घड़साना निवासी मंगासिंह, सुनील विश्नोई, रमन सिंह, संजय कुमार, जसविंद सिंह और सीताराम विश्नोई की मौत हो गई।

पिकअप सवार कैलाश जाट भी हादसे में मारा गया। कैलाश का भाई ओमप्रकाश जाट और ठाकरराम को पुलिस ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। दोनों की हालत गंभीर है।

बोलेरो काटकर निकाले शव
पुलिस ने मृतकों को निकालने के लिए बोलेरो को कटर से काटा। नंबरों के आधार पर बोलेरो सवार मंगाराम के बारे में जानकारी जुटाई। हादसे के बाद ट्रेलर भी बेकाबू होकर सड़क से नीचे उतर गया। ट्रेलर में रखी ईटें हाईवे पर फैलने से तीन घंटे जाम लग गया।

ऎसे में तोड़ दें शीशा
सीट के ऊपर लगे हैडरेस्ट को निकालकर उसकी नुकीली कीलों से शीशे पर जोर से वार करें तो शीशा टूट जाएगा। - 

पति ने रची साजिश, मंत्री ने उसकी बीवी की लूटी अस्मत -

जांजगीर-चांपा। भाजयुमो पदाधिकारी सहित उसके दो साथी एंव पति के खिलाफ गैंगरेप का मामला सामने आया है। पीडित महिला का आरोप है कि उसके पति की मदद से ही उसकी अस्मत तार-तार हो गई। पुलिस ने पति सहित चार लोगों के पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया है।
मामला एक सप्ताह पहले का है। पुलिस के अनुसार सक्ती अस्पताल में पीछे रहने वाली 35 वर्षीय एक महिला ने बुधवार की शाम 6 बजे थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें महिला ने अरोप लगाया है कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला मंत्री संजय कश्यप, उसका साथी रमेश एवं एक अन्य युवक झूलकदम चौक के पास टीवी सेंटर में काम करता है।

तीनों युवक 2 मार्च की रात 11.30 बजे उसके घर पहुंचे और सभी ने बारी-बारी से उसके साथ दुष्कर्म किया। सिर्फ इतना ही नहीं, इस काम में उसके पति ने आरोपियों का साथ दिया है।

महिला की रिपोर्ट पर पुलिस ने भाजयुमो के जिला मंत्री संजय कश्यप व उसके दो अन्य साथियों के खिलाफ धारा 376घ, 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि महिला के 12-14 वर्ष के दो बच्चे हैं। महिला अपने घर में बच्चों के साथ रहती है।


पति करता था शक, इसलिए दर्ज कराया जुर्म
महिला का कहना है कि उसका पति उसकी चरित्र पर शंका करता है। चरित्र शंका को लेकर आए दिन उसकी पटाई भी करता है। इसलिए पति-पत्नी के बीच संबंध कुछ दिनों से खराब है।

पति के रूखे व्यवहार से वह क्षुब्ध थी। जब उसने युवकों को अपनी पत्नी से दुष्कर्म के लिए प्रेरित किया तो महिला ने अपने पतिç के खिलाफ जुर्म दर्ज कराने की ठान ली। पुलिस ने पति कसे खिलाफ भी जुर्म दर्ज किया है।

भाजपा के दिग्गज नेताओं की टिकटों का ऎलान आज



नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और पूर्व अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को उत्तर प्रदेश की किस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जाए इसका फैसला पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की गुरूवार को प्रस्तावित बैठक में होने के पूरे आसार हैं।

मोदी की लोकप्रियता को भुनाने के लिए सबसे अधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में संभावित उम्मीदवारों के खींचतान के बीच भाजपा की चुनाव समिति की यह बैठक अहम मानी जा रही है।

पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बुधवार को बताया कि इस बैठक में लोकसभा चुनाव के पहले दूसरे और तीसरे चरण में जिन सीटों के लिए मतदान होना है उनके उम्मीदवारों के नाम तय किए कर लिए जाएंगे।इसके बाद चुनाव समिति की अगली बैठक 15 मार्च को होगी।

मोदी के वाराणसी और राजनाथ सिंह के लखनऊ से चुनाव लड़ने की अटकलों के बाद डा. जोशी और लालजी टंडन अपनी सीट हाथ से निकलने को लेकर आशंकित हैं।

वाराणसी से मोदी की दावेदारी को लेकर डा. जोशी की नाराजगी दूर नहीं हुई है। लखनऊ से सिंह की संभावित उम्मीदवारी पर भी टंडन ने यह कहते हुए विरोध जताया है कि अगर मोदी उनकी सीट से लड़े तो वह उसे खाली करने को तैयार हैं।

यहां होते है बिना दुल्हन के फेरे!



सियाणा (जालोर)। बदलते दौर में होली के रंगों से लोगों का मोह भंग जरूर हो रहा है, लेकिन मारवाड़ में कई परम्पराएं आज भी संस्कृति का जीवंत परिचय देती नजर आती हैं। एक परम्परा ऎसी है, जिसमें बच्चे को दूल्हा बनाया जाता है। पाठ रस्म के मारवाड़ी गीत गाए जाते हैं।

होली के पांच दिनों पूर्व ही शुरू होने वाली इस रस्म में बच्चे के लिए "सोनारो बाजोटियो हीरे पन्ने जडियो...", "आइए-आइए लग्न परणावु थाने.." समेत विवाह गीत तरंगीत करती है। ठिठोलियों के बीच गीतो के पूरे होने पर गीत गाने वाली महिलाओं को गुड़ बांटा जाता है।

बच्चे के लिए ननिहाल से नानी व मामी कपड़े व आभूषण, गुड़ व माता के लिए कपडे लाती है। गांव के मित्र व अन्य भी बच्चे की ढूंढ़ पर कपडे व गुड़ लाते हैं। ढोल-थाली के थाप के बीच होली के दूसरे दिन नवजात के घर गैरिए आकर होली फाग के डॉयलॉग के साथ बच्चे को दूल्हा बनाकर पाठ बिठाकर ढूंढ़ने की रस्म अदा करते हैं।

निकलती है बारात
ढूंढ़ महोत्सव की शाम को नवजात दूल्हे की एक बारात सी निकलती है। इसमें परिजन व अन्य पड़ोसी गीत-गाते होलिका दहन पहुंचते हैं। वहां पर बिन दुल्हन नवजात को फेरे दिए जाते हैं।

शाम के समय होलिका दहन स्थल पर नवजात व महिलाओं की भीड़ नजर आती है। नवजात के फेरे के बाद होलिका दहन भस्म का सिर पर टीका लगाया जाता है। उस समय गलियों में फाग गीत की धूम सी लगती है।

दुबारा निकलती है बारात
मान्यता है, कि जिस युवक की शादी हो जाती है, उसको शादी के बाद पहली होली पर फिर से दूल्हा बनना पड़ता है। वैसे यह परम्परा लुप्त होने के कागार पर है। फिर भी ग्रामीण क्षेत्र में कुछ दूल्हे होलिका दहन स्थल पर आते हैं। बिन दुल्हन निकली यह बारात होलिका दहन आकर रूकती है।

बुधवार, 12 मार्च 2014

वेश्यावृत्ति के लिए ग्राहक ढूंढ रही 7 कॉलगर्ल गिरफ्तार

वेश्यावृत्ति के लिए ग्राहक ढूंढ रही 7 कॉलगर्ल गिरफ्तार

जयपुर। जयपुर में वेश्यावृत्ति के लिए ग्राहकों की तलाश कर रही कुछ कॉलगर्ल्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जवाहर सर्किल थाना पुलिस ने मंगलवार को राहगीरों को अश्लील इशारे कर रही आधा दर्जन से ज्यादा महिलाओं को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि एसीपी सांगानेर बाघ सिंह को मुखबिर से जरिए इस बारे में सूचना मिली थी।

एसीपी ने बोगस ग्राहक को उनके पास भेजा और सौदा तय होने पर दबिश देकर सात महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार महिलाए दीपा, सुमन, सीतादेवी, इंद्रा, कमला, संतरा और संतोष्ा है। इनसे थाने पर लाकर पूछताछ की गई। एसीपी ने बताया कि मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे कार्रवाई की गई थी।

आरोपी महिलाएं सड़क किनारे खड़े होकर राहगीरों को इशारे करके आकçष्ाüत करती थी। शुरूआती पूछताछ में उन्होंने वेश्यावृत्ति में लिप्त होने की बात मानी है। पुलिस ने अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम 1956 की धारा आठ में मामला दर्ज कर जांच एसीपी गांधी नगर को सौंपी है।