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शनिवार, 2 जुलाई 2016

BSF ने गुजरात तट के पास से दो पाकिस्तानी नौकाएं जब्त की

BSF ने गुजरात तट के पास से दो पाकिस्तानी नौकाएं जब्त की

सीमा सुरक्षा बल :बीएसएफ: ने भारत…पाकिस्तान सीमा से लगे हरामीनाला स्थित क्रीक क्षेत्र से दो पाकिस्तानी नौकाएं जब्त की हैं जबकि उस पर सवार मछुआरे भाग गए। बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘कल शाम में गश्त के दौरान हमने उन पाकिस्तानी मछुआरों की दो लावारिस नौकाएं जब्त की जो कच्छ जिले में भारत…पाकिस्तान सीमा से भारतीय क्षेत्र में 400 मीटर भीतर प्रवेश कर गए थे।’’ अधिकारी ने बताया कि दो छोटी लकड़ी की नौकाओं के साथ ही मछली पकड़ने के जाल, बर्फ बाक्स और ताजा पकड़ी गई मछली जब्त की गई। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि नौका पर सवार मछुआरे बीएसएफ दल के मौके पर पहुंचने से पहले ही फरार हो गए। जहां से नौकाएं जब्त की गई हैं वह स्थान सीमा चौकी से 13 किलोमीटर दूर स्थित है।’’ इससे पहले मई में बीएसएफ के दल ने कच्छ में कोटेश्वर के पास से 18 पाकिस्तानी मछुआरों को दो नौकाओं के साथ तब पकड़ा था जब वे भारतीय जलक्षेत्र में मछली पकड़ते पाये गए थे।

रविवार, 26 जून 2016

सरहद से शहर तक जवानों ने नशे के विरद्ध सायकिल रेल्ली से जागरूकता का अभियान छेड़ा

सरहद से शहर तक जवानों ने नशे के विरद्ध सायकिल रेल्ली से जागरूकता का अभियान छेड़ा


बाड़मेर पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर की पाकिस्तान से सटी सीमाओं से लेकर बाड़मेर शहर तक आज विश्व नशा विरोध दिवस पर सीमा सुरक्षा बल ने सायकिल रैलियां निकाल आम जन को नशे के विरुद्ध चेताया ,देश की सुरक्षा में सरहद पर बन्दुके ताने खड़े बल के जवानों ने सामजिक सरोकार बखूबी निभाया ,रविवार प्रातः बाड़मेर के महावीर टाउन हाल के आगे से सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने बल के जवानों की सायकिल जागरूकता रेल्ली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया ,सीमा सुरक्षा बल के जवान सायकिल के आगे नशा विरोधी नारे लगी पटियों जन को सरहद पर शराब दुखान्तिका की याद दिला रहे थे की नशा जहर होता हैं जो जान भी लेता हैं ,उल्लेखनीय हे विगत माह बाड़मेर में जहरीली शराब पीने से सीमा सुरक्षा बल के जवानों की मौत हो गयी थी ,बल के जवानों ने भारत पाक सरहद स्थित गडरा फॉरवर्ड सीमा चौकी से भी सायकिल रैली निकाली ,इस रैली ने सरहदी गाँवो सज्जन का पार ,चांदी का पार ,तिमाही ,तामलोर सहित दर्जनों गाँवो में नशे के विरुद्ध आम लोगो में समझाईस की ,जवानों की सामाजिक सरोकार की इस अनूठी पहल को आम जन ने सराहा ,सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने बताया की युवा पीढ़ी को नशे से बचना हमारा दायित्व हैं ,हमारे जवानों के माध्यम से आज समाज में सन्देश दिया की नशा कोई भी हो खराब हैं ,उन्होंने कहा की देश की सुरक्षा के साथ साथ सामाजिक सरोकार भी हम निभाने का प्रयास करते हैं ,218 किलोमीटर लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सरहद पर जवानों ने सायकिल रैली के माध्यम से नशे के विरुद्ध जनजागरण का सतत प्रयास किया ,रैली में कमांडिंग अफसर रविंद्र ठाकुर ,डी सी जी मनोज मीणा ,निरीक्षक रमेश कुमार ,सहित सीमा सुरक्षा बल के कई अधिकारी और जवां मौजूद थे ,वही गडरा में अतिरिक्त कमन्दिन अफसर भूपेंद्र सिंह भाटी की अगुवाई में जवानों ने जन जागरण का शंखनाद किया

बाडमेर,अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस सीमा सुरक्षा बल ने कई आयोजन



बाडमेर,अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस सीमा सुरक्षा बल ने    कई आयोजन

-सीमा सुरक्षा ने विभिन्न स्थानांे पर साइकिल रैली आयोजन के साथ विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर आमजन को नशा मुक्ति का संदेश दिया।

बाडमेर, 26 जून। अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर रविवार को बाड़मेर जिले मंे विभिन्न कार्यक्रमांे का आयोजन किया गया। जिला मुख्यालय पर सीमा सुरक्षा बल ने आमजन मंे नशा मुक्ति के प्रति जागरूकता के लिए साइकिल रैली निकाली। वहीं सीमावर्ती इलाकांे मंे सीमा सुरक्षा बल की ओर से विभिन्न आयोजन किए गए।

जिला मुख्यालय पर रविवार को प्रातः 7.45 बजे भगवान महावीर टाउन हाल से सीमा सुरक्षा बल बाड़मेर सेक्टर के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने जवानांे की साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस साइकिल रैली मंे बाड़मेर सेक्टर मुख्यालय के अलावा विभिन्न वाहिनियांे के अधिकारी एवं जवान शामिल थे। यह साइकिल रैली भगवान महावीर टाउन हाल से रवाना होकर चैहटन चैराहा, सिणधरी चैराहे, सर्किट हाउस होते हुए बीएसएफ सेक्टर मुख्यालय मंे संपन्न हुई। रैली को हरी झंडी दिखाने से पूर्व बीएसएफ के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम ने नशे की वजह से स्वास्थ्य, चरित्र एवं समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावांे के बारे मंे जानकारी दी। उन्हांेने जवानांे एवं उपस्थित लोगांे से किसी भी तरह का नशा नहीं करने का आहवान किया। इस अवसर पर बाड़मेर सेक्टर के मुख्यालय आफिसिंग कमाडंेट श्याम कपूर, डिप्टी कमाडेंट रविन्द्र ठाकुर समेत कई अधिकारी उपस्थित रहे। इसी तरह 63 वीं वाहिनी सीमा सुरक्षा बल ने नशे के विरुद्ध सीमावर्ती क्षेत्र में जन जागरुकता के लिए साइकिल रैली का आयोजन किया। जो सीमा चैकी गडरा फॉरवर्ड से शुरू होकर गडरा बाजार,गडरा तहसील होते हुए सीमा चैकी गडरा रीयर में समाप्त हुई। इस रैली मंे द्वितीय कमान अधिकारी आर.एस.मिनज, सहायक समादेष्टा शंशाक, जगदीश प्रसाद, बी.एस.भाटी समेत कई अधिकारी एवं जवान शामिल हुए। साथ ही 37 वीं वाहिनी सीमा सुरक्षा बल मुख्यलय में योग शिविर का आयोजन किया गया। इसमंे सीमा सुरक्षा बल के कार्मिकों और महिलाओं ने नियमित रूप से योग करने तथा जीवन भर नशा नहीं करने की शपथ ली। जिला मुख्यालय पर आयोजित समारोह के दौरान गु्रप फोर पीपुल्स के चंदनसिंह भाटी, ललित छाजेड़,मगाराम माली समेत कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

मंगलवार, 21 जून 2016

बाड़मेर सरहद से शहर तक सुरक्षा बल के जवानों ने किया योग




बाड़मेर सरहद से शहर तक सुरक्षा बल के जवानों ने किया योग



बाड़मेर अंतर्राष्ट्रीय वोग दिवस को सेक्टर मुख्यालय, सीमा सुरक्षा बल, बाड़मेर के प्रांगण में द्वितीय अन्तराष्ट्रीय योग दिवस समारोह सुबह 06 बजे से 07 बजे के बीच आयोजित किया गया। एक घंटे के इस समारोह में कपाल-भांति, सूर्य नमस्कार, अनुलोम-विलोम, भ्रमरी-प्राणायाम एवं ध्यान और योग का अभ्यास सीमा सुरक्षा बल के योग- प्रशिक्षक द्वारा कराया गया। साथ ही हर योग के फायदे और हिदायतें भी बताई गई । अंतराष्ट्रीय योग दिवस के इस कार्यक्रम में श्री प्रतुल गौतम ,उप महानिरीक्षक सैक्टर मुख्यालय, बाड़मेर, श्री शाम कपूर, कमाण्डेंट और श्री आशुतोष शर्मा ,कमांडेंट 72 वीं वाहिनी के साथ सैक्टर मुख्यालय और 72 वीं वाहिनी के अधिकारी, अधीनस्थ अधकारी और जवानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि श्री प्रतुल गौतम, उपमहानिरीक्षक महोदय ने योग एवं ध्यान का महत्व एवं आधुनिक जीवन-शैली में योग की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।

मंगलवार, 14 जून 2016

BSF के जवानों ने भारत-पाक सीमा से पकड़ा संदिग्ध

BSF के जवानों ने भारत-पाक सीमा से पकड़ा संदिग्ध

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने बाड़मेर जिले से लगती भार-पाक सीमा पर एक संदिग्ध को घूमते हुए पाए जाने पर पकड़ लिया और बाद में गिराब थाना पुलिस को सुपुर्द किया.

जानकारी के मुताबिक भारत पाक सीमा पर इन दिनों धूल भरी आंधियां चलने के कारण पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की ओर से कोई अवांछित गतिविधि नहीं हो इसलिए सीमा सुरक्षा बल के जवान पूरी तरह से सरहद पर चौकस हैं और इसी का नतीजा है कि सोमवार को बाड़मेर जिले के सुंदरा गांव से लगती भारत पाक सीमा पर एक नेपाली युवक सरहद पर घूमते हुए पकड़ में आ गया. बाद में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने युवक से पूछताछ कर गिराब थाना पुलिस को सुपुर्द कर दिया.सीमा सुरक्षा बल द्वारा सुपुर्द किए गए नेपाली युवक को गिराब थाना पुलिस मंगलवार को बाड़मेर लेकर पहुंची, जहां विभिन्न एजेंसियां नेपाली युवक से पूछताछ कर रही हैं.
प्रारम्भिक पूछताछ में युवक ने अपना नाम ओम बहादुर गुरुड़ निवासी नेपाल बताया है. साथ ही पुलिस को अब तक की पूछताछ में किसी भी प्रकार की संदिग्ध गतिविधि सामने नहीं आई है.

रविवार, 12 जून 2016

बाड़मेर भारत पाक सीमा के गाँवो में जंगली कुत्तो का आंतक।।ग्रामीणों ने कुत्तो को मारने के लिए किराये के आदमी बुलाए।

बाड़मेर भारत पाक सीमा के गाँवो में जंगली कुत्तो का आंतक।।ग्रामीणों ने कुत्तो को मारने के लिए किराये के आदमी बुलाए।

बाड़मेर भारत पाकिस्तान को बाड़मेर जिले से लगती अंतराष्ट्रीय सरहद पर बसे गाँवो में ग्रामीण और सीमा सुरक्षा बल के जवान जंगली कुत्तो से परेशान हैं।जंगली कुत्ते रात को आकर मवेशियों का शिकार कर रहें।कुछ कुत्तो को ग्रामीणों ने मारने में सफलता भी हासिल की।मगर गांव की सरहद के आगे सीमा सुरक्षा बल की सीमा चौकियां होने के कारण जंगली कुत्तो को खोजने में सफलता हासिल नही हो रही वाही सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो का कहना हे बल के मुख्यालय से कुत्तो को मारने की पर्मीज़हन मांगी हुई हैं।

पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले के सरहदी रोहिडि ,मोती की बेरी,पांचला आदि दर्जनों गाँवो में पिछले कई महीनो से जंगली कुत्तो का आंतक हैं।ये कुत्ते स्थानीय नही हैं।आशंका व्यक्त की जा रही हैं ये कुत्ते सरहद पार से आते हैं।ग्रामीणों ने बताया की देर रात को ये शिकारी कुत्ते गाँव में मवेशियों पर हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं।सेकड़ो मवेशी मारे जा चुके हैं खासकर भेड़ बकरी।।कुत्तो का बढ़ता आंतक देख ग्रामीणों ने बाहर से कुत्तो के शिकारियों को बुलाया ताकि इन जंगली कुत्तो से मुक्ति मिले।।कुछ कुत्तो को मार भी दिया।मगर मवेशियों पर हमले नही रुके।इधर आसपास की सीमा चौकियों पर भी कुत्ते पहुँच जानवरो का शिकर कर रहे हैं  ।इसके लिए ग्रामीणों ने सीमा सुरक्षा बल से  सहायता मांगी।बल के अधिकारी ने नाम न छापने की एवज में बताया की कुत्तो को मारने ले लिए हमने बल के मुख्यालय से स्वीकृती मांगी हैं।क्योंकि इन जंगली कुत्तो को शिकारियों द्वारा दौड़ा दौड़ा कर मारने से तारबन्दी पार कर सरहद पार चले जाने की संभावना हैं।इतना बड़ा रिस्क परमिशन के बिना हम लेना नही चाहते।।

रोहिडि गांव के पूर्व सरपञ्च तेजमाल सिंह सोढा ने बताया की प्रतिदिन रात्रि को जंगली कुत्तो का झुण्ड देर रत को मवेशियों के बाड़ों पर हमला कर देते हैं।इससे परेशां होकर कुत्तो को मारने के लिए बाहर से आदमी बुलाये गए।बल के अधिकारी भी परेशां हैं।जब तक उन्हें परमिशन नही मिलती इन जंगली कुत्तों से राहत नह मिलेगी।बहार हाल ।।

बाड़मेर सीमा सुरक्षा बल हैडक्वार्टर पर ग्रुप फॉर पीपुल्स ने लगाए परिण्डे ग्रुप फॉर पीपुल्स सही मायने में पर्यावरण मित्र। मीणा



बाड़मेर सीमा सुरक्षा बल हैडक्वार्टर पर ग्रुप फॉर पीपुल्स ने लगाए परिण्डे

ग्रुप फॉर पीपुल्स सही मायने में पर्यावरण मित्र। मीणा



बाड़मेर सीमा सुरक्षा बल के डिप्टी कमांडेंट जी मनोज कुमार मीणा ने कहा की ग्रुप फॉर पीपुल्स पर्यवरम और मूक पक्षियों का सच्चा मित्र हैं ,पक्षियों के प्रति ग्रुप सदस्यों में दया भाव हे जो बहुत कम लोगो में मिलता हैं ,मीणा ग्रुप फॉर पीपुल्स द्वारा सीमा सुरक्षा बल 37 बटालियन मुख्यालय पर पक्षियों के लिए परिण्डे लगाने के बाद आयोजित , उन्होंने कहा की ग्रुप द्वारा भीषण गर्मी और आंधियो की परवाह किये बिना देश के सुरक्षा प्रहरियों के साथ भारत पाक सीमा पर मूक पक्षियों के लिए बड़ी तादाद में परिंडे लगा पुरे प्रदेश में जीव दया सन्देश दिया ,ग्रुप के परिंदा अभियान अन्य जिलों में प्रेरणा स्रोत बना ,उन्होंने ग्रुप को शुभकामनाए देते हुए कहा की जल्द हम सरहद पर पौधरोपण का कार्य साथ करेंगे ,



इस अवसर पर अतिरिक्त कमांडिंग अफसर ऐ के तिवारी ने कहा की सरहद की हमारी पोस्टो से ग्रुप द्वारा लगाए परिंडों में पक्षियों द्वारा पानी पीते के फोटो आये ,दिल खुस हो गया ,आज के युवाओं में मूक पक्षियों के प्रति दया और सेवा भाव देख प्रसन्नता हुई ,उन्होंने कहा की यह न केवल पुनीत काम हे अपितु हज़ारो पक्षियों को जीवनदान देने का प्रेरक अभियान हैं ,चहके चिड़िया अभियान के तहत सीमा सुरक्षा बल की समस्त पोस्टों पर परिण्डे लगना सुखद अनुभूति ,हैं ,उन्होंने मानसून में ग्रुप के साथ वरद स्तर पर पौधरोपण अभियान की इच्छा जताई ,



ग्रुप संयोजक चन्दन सिंह भाटी ने कहा की सीमा सुरक्षा बल के सकारात्मक सहयोग के कारण 218 किलोमीटर लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के हर पोस्ट पर परिण्डे लग गए ,उन्होंने कहा की ग्रुप सीमा सुरक्षा बल के साथ बड़ी तादाद में पौधरोपण कार्यक्रम की रूपरेखा तय कर रहा हैं ,इस वसर पर मदन बारूपाल ,अमित बोहरा ,रमेश कड़वासरा ,रमेश सिंह इंदा ,डॉ हरपाल सिंह राव ,लूणकरण नाहटा ,दिग्विजय सिंह चूली ,मगाराम माली ,ठाकराराम मेघवाल ,अश्विनी रामावत सहित सीमा सुरक्षा ने पुरे परिसर में लगे पेड़ों पर परिण्डे लगाए ,





गुरुवार, 9 जून 2016

संकट में सरहदी लोग आधी टूटी जी एल आर से सुरक्षा बल सहित ग्रामीणों को पेयजल आपूर्ति ,कभी भी हो सकता हे हादसा


संकट में सरहदी लोग

आधी टूटी जी एल आर से सुरक्षा बल सहित ग्रामीणों को पेयजल आपूर्ति ,कभी भी हो सकता हे हादसा

पश्चिमी सीमा क्षेत्र से चंदन सिंह भाटी
पश्चिमी राजस्थान के भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसे सबसे दुर्गम गाँवो के लोग आज भी आदिवासी जीवन जीने को मजबूर हैं ,विकास के बड़े बड़े बड़े दावे यहाँ खोखले नजर आते हैं ,पानी की समुचित व्यवस्था नहीं ,सड़क मार्ग पिछले एक माह हे रेत के टिब्बे आने से अवरुद्ध हैं ,गाँवो के स्वास्थ्य केंद्रों पर परिचारिकाएँ नहीं ,स्कूल में अध्यापक नहीं ,नरेगा सहित अन्य सरकारी योजनाओं में सेकड़ो काम कागज़ों में स्वीकृत मौके पे एक भी काम नज़र नहीं ,ये मुलभुत सुविधाएं भी सरहदी लोगो को नसीब नहीं ,इसी बीच रोहिडी ग्राम पंचायत के राजस्व गांव पदमडा में मुख्य सड़क पर जलदाय विभाग के पेयजल योजना के लिए जी एल आर बनी हैं ,यह जी एल आर कोई कितने दशक पूर्व बनी यह यहाँ कार्यरत जलदाय विभाग के कर्मचारी को भी पता नहीं ,इस जी एल आर से इस सरहद पर सीमा सुरक्षा बल की स्थापित एक दर्जन से अधिक सीमा चौकियों के लिए पेयजल आपूर्ति के लिए पानी के टेंकर भरे जाते थे ,कुछ माह पूर्व इस जी एल आर का आगे का हिस्सा टूट के गिर गया ,पिछले हिस्सा पूरा हैं ,इस क्षतिग्रस्त जी एल आर के टूटने से पूरा गांव ख़ौफ़ज़दा हैं ,कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता हैं ,पेयजल आपूर्ति इस क्षतिग्रस्त होज में होने के कारण अक्सर यह होज ओवरफ्लो हो जाता हैं ,मगर ग्रामीण हादसे की आसंका के चले पानी भरने नहीं आते ,तो पदमडा सुंदरा रोहिडी सड़क मार्ग रेत के कारण पिछले एक माह से बाधित होने के कारण सीमा सुरक्षा बल के टेंकर भी यहाँ नहीं पहुँच पा रहे ,सीमा सुरक्षा बल के टेंकर जैसलमेर जिले के म्याजलार हाईडेंट पॉइंट से पानी भर के लाते हैं ,


जी एल आर पर कार्यरत जलदायकर्मी मोहम्मद ने बताया की होदी के क्षतिग्रस्त होने की सूचना कई मर्तबा उच्च अधिकारियो को दी मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई ,यह होदी कभी भी गिर सकती हैं


रोहिडी सरपंच चुतर सिंह दोहट ने बताया की होदी के क्षतिग्रस्त होने के तुरंत बाद इसकी मरम्मत और नए जी एल आर के निर्माण का प्रस्ताव जलदाय विभाग को दे दिया , स्मरण पात्र भी दिए मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई ,जिला कलेक्टर को भी अवगत कराया ,परयजल संकट के साथ हादसे की आसंका बरकरार होने से ग्रामीण भयभीत हैं ,

बुधवार, 8 जून 2016

बाड़मेर सरहद की सीमा चौकिया बनी परिंदो के आसियाने ,चौकियों में बने बर्ड हाउस

बाड़मेर सरहद की सीमा चौकिया बनी परिंदो के आसियाने ,चौकियों में बने बर्ड हाउस

​​चंदन सिंह भाटी
बाड़मेर भारत पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात सीमस सुरक्षा बल की सीमा चौकिया मूक परिंदो के आसियाने बन गए ,हज़ारो की तादाद में बल की चौकियों में लगे पेड़ों पर इनके बसेरे हैं ,परिंदो के रुख को देख कर जवानों ने भी पक्षियो के लिए दाना पानी और छाँव की व्यवस्था करते हैं ,इन पक्षियों में सरहद पार कर पाकिस्तान से आने वाले पक्षी भी शामिल हैं ,सरहद की सबसे दुर्गम अग्रिम चौकी रोहिडी में इन पक्षियों के लिए बकायदा पक्षी घर बनाए गए हैं ताकि इन्हे धुप से बचाया जा सके , प्रजनन भी सुरक्षित हो सके ,


बाड़मेर जिले के दुर्गम सरहदी गांव रोहिडी से दस किलोमीटर दूर रोहिडी फॉरवर्ड चौकी हैं ,पक्षियों की चह चहाहट इस चौकी के आबाद होने का संकेत करती हैं ,हज़ारो चिड़िया इस केम्पस में हैं ,इनकी देखभाल जवां करते हैं ,पक्षियों की सेवा को अपनी दिन चर्या में शामिल कर दिया ,इस चौकी में परिंदो के छोटे छोटे आवास बांस की खप्पचियो से बनाए गए हैं ताकि परिंदे इसमें सुरक्षित रह सके ,


रोहिडी सीमा चौकी के अतिरिक्त कमांडेंट गुलशन कुमार के अनुसार मेरे आने से पूर्व मेरे वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे बताया था की इस चौकी पर हज़ारो पक्षी आते हैं उनकी देखभाल जरूर करना ,उनके वाक्य थे की इंसान अपनी जरूरतों के लिए खुद कर सकता हैं मगर इन मूक परिंदो के लिए कोई नहीं करता ,तब से सभी जवां अपनी ड्यूटी टाइम के बाद केम्पस में परिंदो की देखभाल करते हैं ,इन पक्षियों के रहने के लिए आवास बनाए गए हैं ,जिसमे पक्षी अपना समय गुजरते हैं तो बड़ा शकुन मिलता हैं ,

जिले की अंतर्राष्ट्रीय सीमा 218 किमी पर आने वाली सभी पोस्ट पर इस बार ग्रुप फॉर पीपुल्स नामक संसथान ने पक्षियों के लिए परिण्डे लगाकर पक्षियों को सौगात दी हैं ,इससे पहले सीमा सुरक्षा बल के जवां हेलमेट ,बोतलों को काट कर परिण्डे के रूप में काम ले रहे थे ,कई सीमा चौकियों पर स्टील की कटोरियाँ में पानी भर के रखा जाता था ,मगर इस बार सभी पोस्टों पर परिंडे बांधे जा चुके हैं ,




उन्होंने बताया की परिंदे पर्यावरण के सच्चे प्रहरी कहे जाते है। उन्हें पर्यावरण दूत का भी दर्जा दिया गया है। लेकिन अंधाधुंध शहरीकरण के बीच हमने उनका बसेरा छीन लिया है। अब आसमान में परिंदों के पर फड़फड़ाते है। फिजाओं में उनकी कूक,चींची सुनाई देती है। लेकिन उनके आशियाने को हमने उजाड़ दिया है। या यूं कहे कि हमें फिक्र ही नहीं रही कि हमारी तरह इन परिंदों का भी कोई बसेरा हो। सबसे ज्यादा उन नुकसान घर के आंगन में बरबस फुदकने वाली उस चिड़िया के साथ हुआ जिसे आज भी हाउस स्पैरो यानी घर की चिड़िया कहा जाता है। परिंदों के लिए बसेरा उनके लिए सवेरा होने जैसा ही है।इसी से प्रेरित होकर परिंदो के लिए बसेरे बनाए गए हैं ,'जो घोसला हम बनाकर एक प्रतीक के रूप में इन गौरैयों को देते है। उसे घर के रूप में बदलने की कवायद की सबसे पहली पहल नर गौरैया करता है। वह घोसले में तिनका-घास-फूस सात से आठ दिनों तक लगातार लाता है। इसके बाद उन लाए हुए तिनके-घास-फूस को करीने से संवारने के लिए मादा गौरैया का घोसले में प्रवेश होता है। मादा गौरैया इन बिखरे हुए तिनके को करीने से सजाती-संवारती है और उसे दोनों (नर और मादा गौरैया) के रहने के लिए घर का रूप देती है। अब इस घोसले में दोनों रहने लगते है। जब अंडे देने के बाद मादा गौरेये उसे सेती है और जबतक उसमें से चूजे नहीं निकल जाते , इस दौरान पूरा ख्याल नर गौरैया रखता है। मादा गौरैया घोसले से बाहर नहीं निकलती और उसके खाने-पीने का पूरा बंदोबस्त नर गौरैया ही करता है।' हर घोसला दो गौरैया से गुलजार होता है जिसमें नर और मादा रहते है। अंडे देने उसके सेने का चक्र चलता रहता है इस तरह से गौरैया के परिवार में नए सदस्यों के आगमन का यह सिलसिला चलता रहता है। लेकिन यह सबकुछ आशियाने पर निर्भर करता है। क्योंकि घोसला इनके जीवन में ठीक वही भूमिका निभाता है जो इंसान के जीवन में एक घर का महत्व होता है।परिंदों से जुड़े कुछ अलफाजों को अगर आप ध्यान से सुने तो बड़ा सुकून मिलता है। इन शब्दों में गजब की ताजगी है जो आपको ऊर्जा से भर देती है। जरा गौर कीजिए। फुर्र-फुर्र, फुदकना, चुगना,चीं-चीं,चहचहाहट,चूं-चूं,चुग्गा,कलरव,फड़फडाना,चोंच आदि। एक नन्ही गौरैया आपके घर के दरवाजे के बाहर बैठी है। वो इस आस में बैठी है कि घर का दरवाजा कभी तो खुलेगा। क्या आप घर का दरवाजा खोलेंगे?




तामलोर सीमा चौकी के अतिरिक्त कमांडेंट भूपेंद्र सिंह भाटी कहते हैं 'काम कोई भी मुश्किल नहीं बस आपकी नीयत साफ और हौसले में ताकत होनी चाहिए। आपके हौसले की उड़ान ही इन परिंदों के उड़ान यानी उनके जीवन को जीवंत बनाने और संवारने के काम आएगी।'

मंगलवार, 7 जून 2016

बाड़मेर 218 किमी लम्बी सरहद पर लगे परिंडे ,ग्रुप फॉर पीपुल्स का चहके चिड़िया अभियान पूर्ण


बाड़मेर 218 किमी लम्बी सरहद पर लगे परिंडे ,ग्रुप फॉर पीपुल्स का चहके चिड़िया अभियान पूर्ण


बाड़मेर जिले की सरहद पर पक्षियों के लिए हुई पानी की व्यवस्था



बाड़मेर भारत पाकिस्तान की बाड़मेर जिले में 218 किलोमीटर लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थापित सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम और बी ओ पी पर ग्रुप फॉर पीपुल्स बाड़मेर द्वारा चलाये चहके चिड़िया अभियान के तहत परिण्डे लगने का कार्य पूर्ण कर लिया गया ,बाड़मेर जिले की बी के डी से ऍन के टी तक 218 किलोमीटर लम्बी अंतर्राष्ट्रीय सरहद की समस्त सीमा चौकियों पर मूक पक्षियों के लिए परिण्डे लगाए गए हैं ,


ग्रुप संयोजक चन्दन सिंह भाटी ने बताया की ग्रुप द्वारा सुन्दर सेक्टर की सीमा ,राणा ,ऍन के टी ,पीराऊ ,रोहिडी फॉरवर्ड ,सुन्दर फॉरवर्ड सहित एक दर्जन सीमा चौकियों पर पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था के लिए परिंडे लगाए गए ,एक महीने की कड़ी मशक्कत के बाद सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से चहके चिड़िया अभियान पूर्ण किया गया ,




रोहिडी फॉरवर्ड सीमा चौकी पर ग्रुप फॉर पीपुल्स सदस्यों चन्दन सिंह भाटी ,अक्षय दान बारहट ,मदन बारूपाल ,हितेश मूंदड़ा ,बाबू भाई देथा ,रोहिडी के सरपंच चुतर सिंह दोहट ,पूर्व सरपंच तेजमल सिंह सोढ़ा ,दलपत सिंह सोढ़ा ने अतिरिक्त कमांडेंट कमांडेंट गुलशन कुमार ,सोमेश चक्रवर्ती ,राजेंद्र कुमार सहित जवानों के साथ पक्षियों के लिए परिंदे लगाए ,वाही सुन्दर फॉरवर्ड पर योगेन्द्र सिंह यादव के नेतृत्व में जवानों ने परिण्डे बांधे ,पीराऊ ,नूरे का टीला ,सीमा ,राणा ,सहित कई पोस्टो पर अब मूक पक्षी परिंडों में पानी पी सकेंगे ,सरहद पर देश की रक्षा में जुटे जवानों ने परिंडों में दिन में दो बार पानी भरने का नियम बन लिया ,बल के द्वारा लगाए घने पेड़ों की छांव इन पक्षियों के लिए आशियाने बन गए हैं ,जवानों द्वारा पूर्व में अपने स्तर पर हेलमेट ,प्लास्टिक की बोतलें तोड़कर पक्षियों के लिए पानी भरते थे ,मगर अब सभी चौकियों पर मिटटी के परिण्डे लग गए ,




यह पहला अवसर हे जब सीमा की समस्त सीमा चौकियों पर ग्रुप फॉर पीपुल्स ने परिण्डे बांधे ,इससे पहले ग्रुप ने सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से मुनाबाव ,तामलोर ,गडरा ,बी के डी ,केलनोर की सीमा चौकियों पर परिंदे बांधे गए गए ,सुरक्षा बल के अधिकारियो रविंद्र ठाकुर ,मनोज कुमार मीणा ,भूपेंद्र सिंह भाटी ,जितेन्द्र सिंह बिष्ट ,ने चहके चिड़िया अभियान में सराहनीय सहयोग कर ग्रुप को प्रेरित किया ,









सोमवार, 6 जून 2016

बाड़मेर। सरहद पर पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश , सीमा पर जवानों ने ग्रुप फॉर पीपुल्स के साथ पोधे लगा देश को दिया सन्देश

बाड़मेर। सरहद पर पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश , सीमा पर जवानों ने ग्रुप फॉर पीपुल्स के साथ पोधे लगा देश को दिया सन्देश






बाड़मेर विश्व पर्यावरण दिवस पर ग्रुप फॉर पीपुल्स बाड़मेर ने भारत पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद के सबसे दुर्गम सीमा पोस्टो पर पौधरोपण कर समाज को देश की सरहद के साथ पर्यावरण सरंक्षण का सन्देश दिया ,ग्रुप फॉर पीपुल्स ने सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम पोस्ट सुंदरा ,रोहिडी में सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो और जवानों के साथ पौधा रोपण कर रेगिस्तानी सरहद को हरी भरी करने का संकल्प लिया ,




ग्रुप फॉर पीपुल्स के संयोजक चन्दन सिंह भाटी ,अध्यक्ष अक्षयदान बारहट ,मदन बारूपाल ,हितेश मूंदड़ा ,बाबू भाई देथा ,रोहिडी पूर्व सरपंच तेजमल सिंह ,दलपत सिंह सोढ़ा ने आंधियो के कारण एक माह से बंद पड़े रोहिडी सुंदरा मार्ग से सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम चौकी सुंदरा पहुँच बल के चौकी प्रभारी योगेन्द्र सिंह यादव के नेतृत्व में नीम का पौधा लगा कर विश्व पर्यावरण दिवस पर सरहद से सरंक्षण का सन्देश दिया ,वाही भारत की अंतिम चौकी पीरऊ में प्रभारी निसार खान को पोधे वितरित कर पर्यावरण में सहयोग की अपील की ,तो रोहिडी में सीमा बल की फॉरवर्ड चौकी पर पर्यावरण दिवस पर विचार गोष्ठी अतिरिक्त कमांडेट गुलशन कुमार ,राजेंद्र कुमार यादव ,सोमेंद्र चक्रवर्ती सहित जवानों के साथ की ,




अतिरिक्त कमांडेट ने कहा की पश्चिमी सरहद के मुनाबाव से नूरे का टिब्बा तक पौधरोपण के आभाव में आज भी एक एक माह से सड़कों पर मिटटी आने से सड़क मार्ग बंद पड़े हैं ,इस दुर्गम क्षेत्र में अब सघन पौधरोपण की महत्ती आवश्यकता हैं ,पौधरोपण के अभिव में रेतीले टिब्बों का कटान हो रहा हैं ,सैंड डयूना के कारण सड़कों पर रेत के टिब्बे घर कर रहे हैं ,उन्होंने ग्रुप फॉर पीपुल से बरसात के मौसम में सरहद पर सघन पौधरोपण अभियान चलने का सुझाव दिया ,सोमेंद्र चक्रवर्ती ने बताया की बल की हर पोस्ट पर क्षमता के अनुसार पौधरोपण के जरिये प्रयास किया जा रहा हैं ,चौकियों पर लगे पोधो की होफजत देश की हिफाज़त की तर्ज पर करते हैं ,समुचित देखभाल भी ,दुर्गम स्थानों के बावजूद जवां पेड़ों के लिए अतिरिक्त पानी की व्यवस्था येनकेन प्रकार से करते हैं ,उन्होंने कहा की पर्दो के साथ मूक पक्षियों के लिए भी बल के जवां पानी की और आसियाने की व्यवस्था करते हैं ,




ग्रुप संयोजक चन्दन सिंह भाटी ने कहा की ग्रुप सीमा सुरक्षा बल के उच्च अधिकारियो के साथ मिल मानसून समय में सरहद पर सघन पौधरोपण का अभियान चलाने पर विचार विमर्श कर योजना बनाएगा ,अध्यक्ष अक्षयदां बारहट ने सीमा सुरक्षा बल के जवानों की प्रयावरण सरंक्षण के मौजूदा प्रयासों की सराहना करते हुए ग्रुप द्वारा वरद स्तर पर पौधरोपण कर सहयोग का भरोसा दिलाया ,मदन बारूपाल ने सीमा सुरक्षा बल के साथ अपने पर्यावरण सरंक्षण के लिए किये प्रयासों को साझा किया ,



बाड़मेर सरहद पर एक माह से रोहिडि सुन्दरा सड़क मार्ग बन्द।।सीमा सुरक्षा बल की चौकियों में पानी जैसलमेर से आ रहा।




बाड़मेर सरहद पर एक माह से रोहिडि सुन्दरा सड़क मार्ग बन्द।।सीमा सुरक्षा बल की चौकियों में पानी जैसलमेर से आ रहा।

बाड़मेर भारत पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद के सबसे दुर्गम गाँवो में आंधिया एक बार फिर ग्रामीणों और सीमा सुरक्षा बल के लिए अभिशाप बन गयी।पिछले एक माह से रोहिडि सुन्दरा सड़क मार्ग पर रेत के टीले आ जाने से रास्ते बाधित हैं। जिसके चलते इन गाँवो का संपर्क अन्य गाँवो से टूट गया।कहने को ग्रेफ ने एक जे सी बी सड़क से रेत हटाने के लिए लगा रखी हैं ।मगर जे सी बी ऑपरेटर अपनी क्षमतानुरूप की करने की बजाय दिन में दो घण्टे जे सी बी चला कर रेत हटाता हे तो दूसरे दिन तक उतनी ही रेत वापस आ जाती हैं जिसके चलते एक माह से सुन्दरा गडरा रोड मार्ग बाधित हैं।सुन्दरा जो 1995 तक एशिया की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत थी के निवासीयो को अपनी दिनचर्चया और मुलभुत सामग्री तक खरिदने की दिक्कत हो रही हैं।सुन्दरा से लोग रोहिडि से एक किलोमीटर पूर्व उतार कर पेडल रोहिडि जाते हैं।रोहिडि से निजी वाहन किराए पे लेकर गडरा तक की यात्रा करते हैं ।वहीं सीमा सुरक्षा बल की पेयजल आपूर्ति पूर्ण रूप से बाधित हो गयी।सीमा सुरक्षा बल की चौकियों में पदमडा वाटर हेड से टेंकर भर कर दिन में तीन बार पेयजल आपूर्ति सीमा चौकियों पर होती थी।बल के तीन टेंकर पेयजल आपूर्ति व्यवस्था में जूट हे।मगर पिछले एक माह से सड़क मार्ग बाधित होने से सीमा सुरक्षा बल के टेंकर पदमडा से पानी भर नही पा रहे तो उन्होंने जैसलमेर के म्याजलार से पानी के टेंकर भरवा कर बल की चौकियों में पेजक आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था कर रखी हैं।जिसके लिए बल को हज़ारो लीटर तेल और क्षमता जाया करनी पड़ रही हैं ।सीमा सड़क संघठन के अधिकारी सड़क मार्ग को खोलने में तत्परता नही दिखा रहें जिससे ग्रामीणो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं।रोहिडि के सरपंच चुतर सिंह दोहट ने बताया की पिछले एक माह से रोहिडि सुन्दरा सड़क मार्ग आंधियो के कारण रेत आने से बाधित हैं।सड़क मार्ग को खोलने के प्रयास सरकारी स्तर पर बिलकुल नही हो रहे।ग्रेफ ने एक जे सी बी लगा राखी हे जो दिन भर में मात्र दो घण्टे काम करती हैं।जितनी रेत दो घण्टो में हटाते हैं उससे अधिक दूसरे दिन वापस आ जाती हैं।सड़क मार्ग बाधित होने से दिन चर्या के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सड़क मार्ग बाधित होने से रोहिडि गडरा बाड़मेर का पांचला,मोती की बेरी,सुन्दरा,म्याजलार ,जैसलमेर का संपर्क टूट गया।।

इधर ग्रेफ के उच्च अधिकारियो ने बताया जल्द ही सड़क मार्ग खोल दिया जायेगा।।

गुरुवार, 26 मई 2016

बॉर्डर सिक्योरिटी टेक्नोलॉजी : घुसपैठ रोकने के लिए भारत-पाक सीमा पर अदृश्य ‘लेजर वाल’


बॉर्डर सिक्योरिटी टेक्नोलॉजी : घुसपैठ रोकने के लिए भारत-पाक सीमा पर अदृश्य ‘लेजर वाल’


भारत-पाकिस्तान सीमा दुनिया की अत्यधिक संवेदनशील सीमाओं में शामिल है. सीमापार घुसपैठ की घटनाओं को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल की ओर से अनेक प्रयास किये जा रहे हैं. हाल ही में बीएसएफ ने इस सीमा पर कई इलाकों में अदृश्य लेजर वाल खड़ी की है, जो घुसपैठियों को पकड़ने में सक्षम है. हालांकि फिलहाल इसे आठ दुर्गम जगहों पर ही सक्रिय किया गया है, लेकिन धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ायी जायेगी. सीमा की निगरानी करनेवाले इस आधुनिक सिस्टम की क्या है खासियत, क्या है इसकी टेक्नोलॉजी और किसने किया था इसका आविष्कार आदि समेत इससे संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता रहा है साइंस टेक्नोलॉजी पेज ...



पाकिस्तान से सटे पंजाब के अनेक सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ को रोकने की मुहिम के तहत आधुनिक तकनीक से लैस आठ लेजर सिस्टम ने काम करना शुरू कर दिया है. खबरों के मुताबिक, जल्द ही ऐसे 45 सिस्टम पूरी तरह काम करने लगेंगे. इन लेजर वाल सिस्टम के पूरी तरह काम शुरू करने की दशा में पाकिस्तान और बांग्लादेश से जुड़ी सीमा पर संवेदनशील क्षेत्रों में हाइटेक निगरानी मुमकिन हो पायेगी.



सीमा पर लेजर वाल लगाने की परियोजना के दायरे में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, गुजरात और पश्चिम बंगाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा है. दरअसल इन इलाकों में नदियों, घाटियों समेत दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमापार से होनेवाली घुसपैठ एक बड़ी समस्या बन चुकी है.



पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के पास ऐसी कई संवेदनशील जगहें हैं, जहां से आतंकी घुसपैठ होती रहती है. ऐसे इलाकों में फेंसिंग यानी तारबंदी भी मुश्किल है. लिहाजा पायलट प्रोजेक्ट के तहत लेजर वाल का उपाय निकाला गया और पहले चरण में अनेक लेजर उपकरण इंस्टॉल किये गये हैं.



अंधेरे के अलावा कोहरे में भी निगरानी



इन लेजर दीवारों के आसपास किसी तरह की अवांछित गतिविधि दिखने पर यह सिस्टम उसे डिटेक्ट कर लेगा. अगर कोई घुसपैठिया इस लेजर वाल को पार करने की कोशिश करेगा, तो तेज आवाज में सायरन बजने लगेगा. सेंसर के माध्यम से सेटेलाइट आधारित सिगनल कमांड सिस्टम के जरिये इस पर निगरानी रखी जायेगी.



यह सिस्टम रात के अंधेरे के अलावा कोहरे के दौरान भी यह निगरानी करने में सक्षम होगा. यह वाल लेजर लाइटों के अलावा इंफ्रारेड प्रणाली से भी लैस है, जो घुसपैठ का समग्रता से पता लगाने में सक्षम है. इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका पता आतंकी घुसपैठियों को भी नहीं चल पायेगा कि इस सिस्टम को कहां इंस्टॉल किया गया है और कितने इलाके में यह निगरानी कर रहा है.

लेजर सुरक्षा बाड़ तंत्र



जहां तक दुनिया के अन्य देशों में इस सिस्टम से सीमा सुरक्षा की बात की जाये, तो इजराइल के अलावा किसी देश में अब तक व्यापक पैमाने पर लेजर सिक्योरिटी सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. हालांकि, अमेरिका समेत कई अन्य देशों में इसका इस्तेमाल अनेक जगहों पर किया जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से सैन्य प्रतिष्ठान शामिल हैं.



इसके अलावा अनेक ऐसी जगहें भी हैं, जहां कई कारणों से पुख्ता सुरक्षा इंतजाम की जरूरत होती है. भारत-पाकिस्तान की सीमा पर लगाये गये लेजर सिक्योरिटी वाल की सटीक तकनीक के बारे में सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं किया गया है. वैसे दुनिया में इस तरह की अनेक तकनीकें मौजूद हैं, लेकिन बारीकी तौर पर इनमें बहुत कम ही फर्क है. इन्हीं में से एक प्रमुख सिस्टम है- लेजर सिक्योरिटी फेंस एपरेटस यानी लेजर सुरक्षा बाड़ तंत्र. इसके जरिये एक खास दायरे में घुसपैठ होने की दशा में यह वार्निंग सिगनल जारी होता है.



इस सिस्टम में एक लेजर जेनरेटर होता है, जो लेजर बीम पैदा करता है और प्रकाश के परावर्तन की प्रक्रिया के अनुरूप काम करता है. इसमें एक खास दूरी पर दो मिरर इस तरह से लगाये जाते हैं, ताकि लेजर से निकली बीम को ये आपस में रिफ्लेक्ट कर सकें. इसके लिए इनका एलाइनमेंट एकदम सटीक तरीके से किया जाता है और इन्हें एक लेजर कलेक्टर से जोड़ा जाता है. इस लेजर कलेक्टर और लेजर जेनरेटर के साथ एक माइक्रोप्रोसेसर को भी संबद्ध किया जाता है.



किसी तरह की घुसपैठ होने की दशा में बीम का फोकस टूट या बिखर जाता है. ऐसा होने पर लेजर कलेक्टर लेजर बीम को पूरी तरह से रिसीव नहीं कर पाता है. ऐसी दशा में माइक्रोप्रोसेसर से जोड़ा गया अलार्म सिस्टम तत्काल यह सिगनल जारी करता है कि लेजर बीम के बीच में कोई बाधा पैदा हो रही है, जो किसी घुसपैठ की वजह से हो सकती है. यानी लेजर बीम के बीच में किसी तरह के व्यवधान की दशा में माइक्रोप्रोसेसर उसे तुरंत डिटेक्ट कर लेता है और संबंधित अलर्ट जारी करता है.



अलार्म सिस्टम से जारी होता है अलर्ट



इसके अलावा इसमें अनेक और भी सिस्टम लगे होते हैं. बीम को एकत्रित करने के लिए लेजर कलेक्टर में एक कलेक्टिंग लेंस भी लगा होता है. कलेक्टिंग लेंस द्वारा बीम हासिल करने के लिए उसे एक इलेक्ट्रिक सर्किट से जोड़ा जाता है, ताकि वह बीम के इलेक्ट्रिक सिगनल को आसानी से जान सके. माइक्रोप्रोसेसर से इलेक्ट्रिक सिगनल को ट्रांसमिट करने के लिए एक ट्रांसमीटर का इस्तेमाल किया जाता है. यह ट्रांसमीटर एक रेडियो ट्रांसमीटर है, जो माइक्रोप्रोसेसर से रेडियो फ्रिक्वेंसी वेव को ट्रांसमिट करता है यानी रेडियो तरंगों को प्रेषित करता है. लेजर बीम के मॉनीटरिंग सेंटर में बजनेवाले अलार्म सिस्टम से इन रेडियो फ्रिक्वेंसी वेव को जोड़ा जाता है.



लेजर बीम के प्रवाह में किसी तरह के व्यवधान की दशा में मॉनीटरिंग सेंटर में लगे खास डिवाइस में रेडियो फ्रिक्वेंसी वेव हासिल होने में दिक्कत होती है. इससे अलार्म बजने लगता है और तुरंत यह पता चल जाता है कि किस खास इलाके में कोई घुसपैठ की जा रही है.



लेजर जेनरेटर में इलेक्ट्रिकल एनर्जी हासिल होने के स्रोत के तौर पर 9 वोल्ट डीसी से उसे जोड़ा जाता है. लेजर जेनरेटर एक प्रकार से लेजर डायोड लाइट होता है. इसके अलावा लेजर बीम को फोकस करने के लिए लेजर जेनरेटर में एक फोकल लेंस भी लगा होता है.



बीम की सेंसिटिविटी और इंटेंसिटी यानी संवेदनशीलता और तीव्रता को समायोजित करने के लिए फोकल लेंस में एक कैपेसिटर भी लगा होता है. यह कैपेसिटर अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग जरूरतों के लिहाज से विविध क्षमता के अनुरूप लगाया

जाता है.



लेजर सिक्योरिटी फेंस एपरेटस का िवकास



जेम्स हैगर और रिचर्ड ए कर्चिनर ने लेजर सिक्योरिटी फेंस एपरेटस को विकसित किया था. ‘गूगल पेटेंट्स’ के मुताबिक, वर्ष 2001 में इन दोनों शोधकर्ताओं को इस सिस्टम का पेटेंट मुहैया कराया गया था. शुरुआत में इन्होंने इसका आविष्कार अन्य मकसद से किया था.



दरअसल आवासीय परिसर में पानी के स्रोतों, जैसे- पूल आदि के आसपास बच्चों के पहुंचने पर अलर्ट जारी करने के लिए इसका आविष्कार किया गया था. बाद में इन्होंने इसकी क्षमता को बढ़ाते हुए किसी खास इलाके में होने वाली घुसपैठ को डिटेक्ट करने के लिए इसे विकसित किया. छावनी इलाकों में लेजर सिक्योरिटी फेंस लगाते हुए घुसपैठ को पकड़ना आसान हो गया.



सेना में इस्तेमाल होनेवाली कुछ अन्य डिटेक्शन टेक्नोलॉजी



घुसपैठ समेत सीमापार से होने वाली कई अन्य अवांछित गतिविधियों को डिटेक्ट करने के लिए सेना में अनेक तरह की डिटेक्शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. इनमें कुछ खास तकनीक इस प्रकार हैं :



- राडार : थल सेना राडार का इस्तेमाल मुख्य रूप से घुसपैठ की पहचान करने के लिए करती है और वायु सेना दुश्मन के किसी लड़ाकू विमान के घुसने पर निगाह रखने में करती है.

- रेडियो सेंसर्स : इसका इस्तेमाल दुश्मन के रेडियो सिगनल को पकड़ने के लिए किया जाता है. शत्रु देश द्वारा भेजे गये रेडियो मैसेज को पकड़ कर उसे समझने की कोशिश की जाती है.

- सिस्मिक डिटेक्टर्स : सिस्मिक डिटेक्टर्स भूमिगत तरीके से आवाज को पकड़ने की तकनीक पर आधारित है. इसमें लगे सेंसर से घुसपैठ की पहचान की जाती है.

- न्यूक्लियर डिटेक्टर : भूमिगत परमाणु विस्फोटकों का पता लगाने के लिए सेंसिटिव सिस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है.

- मैग्नेटिक डिटेक्टर्स : इसका इस्तेमाल समुद्री इलाके में उड़ान भरनेवाले विमानों द्वारा किया जाता है, जो समुद्र के भीतर किसी पनडुब्बी के बारे में पता लगाते हैं. इसके लिए मैग्नेटिक डिटेक्टर्स का सहारा लिया जाता है. चूंकि पनडुब्बी में ज्यादा मात्रा में धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है, लिहाजा इनके आसपास चुंबकीय क्षेत्र में गड़बड़ी होने के आधार पर ये डिटेक्टर्स इसका पता लगाते हैं.



इन्हें भी जानें



लेजर का अर्थ



लेजर (एलएएसइआर) का फुल फार्म होता है- लाइट एंप्लीफिकेशन बाइ स्टिमुलेटेड इमिशन ऑफ रेडिएशन यानी विकिरण के उत्सर्जन द्वारा प्रेरित प्रकाश का प्रवर्धन. स्टिमुलेटेड इमिशन मूल रूप से एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कुछ सेमीकंडक्टर मटेरियल द्वारा चरणबद्ध तरीके से फोटोन्स या एनर्जी पैकेट्स का उत्पादन होता है.



इस प्रक्रिया के आखिर में ये फोटोन्स या एनर्जी पैकेट्स संगत बीम के रूप में तब्दील हो जाते हैं, जिन्हें लेजर कहा जाता है. इसी संगत बीम, जिसे हम लेजर कह सकते हैं, की फ्रिक्वेंसी और वेवलेंथ के आधार पर यह तय होता है कि वह एक निश्चित दायरे में दृश्य होगा या अदृश्य यानी नंगी आखों से उसे महसूस किया जा सकेगा या नहीं.



अदृश्य लेजर वाल



हॉलीवुड की कई फिल्मों में आपने देखा होगा कि किसी बैंक, घर या म्यूजियम में चोरी की घटना को पकड़ने के लिए अनेक सुरक्षा तंत्र लगे होते हैं. विकसित देशों में अदृश्य लेजर दीवार से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये जा रहे हैं. जैसा कि हम जानते हैं सामान्य प्रकाश को नंगी आंखों से पहचाना जा सकता है, लेकिन इन्फ्रा-रेड और अल्ट्रावायलेट किरणों को नंगी आंखों से नहीं पहचाना जा सकता. इसलिए बैंकों या म्यूजियम में किसी चीज को चोरी होने से बचाने के लिए उसके आसपास अदृश्य लेजर की दीवार तैयार करने के लिए इन्फ्रा-रेड किरणों का इस्तेमाल किया जाता है.



लाइट स्कैन सिक्योरिटी सिस्टम



लाइट स्कैन सिक्योरिटी सिस्टम किसी खास दायरे में सर्विलांस और नियंत्रण के लिए एक एक्टिव इंफ्रारेड लेजर साेलुशन है. यूनिक लेजर राडार टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से निर्दिष्ट इलाके में किसी भी घुसपैठ को चाहे वह स्थिर हो या मोशन अवस्था में हो, उसे डिटेक्ट किया जा सकता है.



इतना ही नहीं, इसके जरिये रीयल-टाइम में यानी महज एक सेकेंड के भीतर ही घुसपैठ या किसी अवांछित गतिविधि को ट्रैक करते हुए उसे आइडेंटिफाइ किया जा सकता है. किसी खतरे की दशा में इससे जुड़े सभी सुरक्षा उपकरण, जैसे- लाइट्स, कैमरा, पीटीजेड डिवाइस, विजिबल और ऑडिबल अलार्म्स स्वत: सक्रिय हो जाते हैं, जिससे सुरक्षाकर्मी त्वरित कार्यवाई में सक्षम होते हैं.

इस सिस्टम में एक्टिव इंफ्रारेड स्कैनर सेंसर लगे होते हैं, जो रणनीतिक रूप से सर्विलांस के अधिकतम दायरे में नजर रखते हैं. इससे कवर्ड इलाका पूरी तरह से सुरक्षित होता है और यदि कोई व्यक्ति इस दायरे में अवांछित गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करता है, तो उसका पकड़ा जाना अवश्यंभावी है.

- कन्हैया झा

सोमवार, 23 मई 2016

foto पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी भीषण गर्मी में भी देश सुरक्षा के इरादे अटल ,आर ओ ठीक नहीं कई जगह






पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी भीषण गर्मी में भी देश सुरक्षा के इरादे अटल ,आर ओ ठीक नहीं कई जगह

पश्चिमी सरहद से चन्दन सिंह भाटी


पश्चिमी राजस्थान में इन दिनों शरीर को सुखा देने वाली गर्मी पड़ रही है। दिन चढ़ने के साथ-साथ तेजी से तापमान बढ़ता जाता है और दोपहर तक 55 डिग्री को छू जाता है। ऐसी भीषण गर्मी में भी सेना के जवान देश की रक्षा के लिए रेगिस्तान में बॉर्डर के किनारे खड़े हैं।कुछ पोस्टो पर आर ओ प्लांट खराब होने के कारण जवानों को पानी की समस्या से रूबरू होना पड़ रहा हैं


रेगिस्तान में गर्मी कहर बरपा रही है। राजस्थान के कई ज़िले जैसे बाड़मेर, जैसलमेर,भयंकर गर्मी की चपेट में है। यहां दिन में तापमान 55 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे गर्मी में भी जवान देश की सुरक्षा के लिए पहरा दे रहे हैं। भारत-पाक सीमा पर मुनाबाव ,गडरा ,तामलोर ,अमियनी ,मिठडाऊ ,स्वरूप का तल्ला ,देवा ,केलनोर ,नवा तल ,बाखासर ,बी के डी सहित जैसलमेर तनोट और शाहगढ़ इलाकों में गर्मी से हर रोज़ बीएसएफ के जवान जूझ रहे हैं।दो बोतल पनि के सहारे छ छ घंटे की अपनी ड्यूटी के दौरान गर्मी की परवाह किये बिना सजग रहते ,हैं ,

कई चौकियों पर आर ओ प्लांट खराब पड़े

  सीमा सुरक्षा बल की अधिकांश चौकियों पर मीठे पानी की व्यवस्था के लिए आर ओ प्लांट लगे हैं ,यह प्लांट जवानों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं ,सरहद की कई पोस्टो पर आर ओ प्लांट खराब पड़े हैं ,सौ से डेढ़ सौ मीटर ऊँचे धोरो पर स्थापित सीमा चौकियों पर पानी की अनुपब्लद्ध्ता चिंता का विषय हैं ,कई स्थानों पर आर ओ ठीक कराने वित्तीय स्वीकृति मांग गयी हैं जो नहीं मिलने के कारण जवानों को भीषण गर्मी में पेयजल समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं ,इन्हे फ्लोराइड और नाइट्रेट युक्त पानी पीने को मजबूर होना पड़ रहा हैं।


ऐसे करते हैं गर्मी से बचाव
जवान यहां गर्मी से बचने के लिए सिर पर टोपी और कॉटन का कपड़ा बांधकर रखते हैं। ऊंटों पर बैठकर रेगिस्तान में गश्त करते हैं। आंखों पर काला चश्मी लू से बचाता है। पानी की बोतल पर बोरे में लपेट कर रखते हैं, ताकि पानी ठंडा रहे। ड्टूटी पर तैनात होने से पहले ग्लूकोज रूह अफजा और शिकंजी पीकर जाते हैं और साथ भी ले जाते हैं। प्रत्य्रेक जवां पांच लीटर पानी अपने साथ रख रहा हैं ,

नमक युक्त मिटटी से परेशानी जवानों को

जिले की पाकिस्तान और गुजरात के रण कच्छ समुद्र से लगती सीमा स्थित सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम पोस्टो पर तैनात जवां आंधियो के इस दौर में गुजरात पाकिस्तान की और से आने वाली नमक युक्त मिटटी से सर्वाधिक परेशां हैं ,दिन भर तेज गर्म हवाओं के साथ नमक युक्त मिटटी जवानों के शहर को पस्त कर देती हैं ,इसके बावजूद सरहद का सैनिक देश सुरक्षा के प्रति निष्ठावान होकर ड्यूटी कर रहे हैं ,


सहायक उप समादेष्टा जितेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया की गर्मी की अधिकता में जवानों की सेहत का पूरा ख्याल रख जा रहा हैं ,जवानों को समय समय पर निम्बू पानी ,ग्लूकोन डी ,रूहअफजा ,और आर ओ का ठंडा पानी उपलब्ध कराया जा रहा हैं व्ही धुप से बचने के उपकरण भी उपलब्ध कराये गए हैं ,

रविवार, 22 मई 2016

फोटो बाड़मेर अब मोर आबू के पाडो में नहीं ,सीमा सुरक्षा बल की चौकियों में बोलते हैं




फोटो बाड़मेर अब मोर आबू के पाडो में नहीं ,सीमा सुरक्षा बल की चौकियों में बोलते हैं

सरहद पर सीमा सुरक्षा बल के सरंक्षण में राष्ट्रिय पक्षी का बढ़ता कुनबा

बल की कई अग्रिम पोस्ट के कई केम्पस में सेकड़ो मोरो सरंक्षण

चंदन सिंह भाटी 

बाड़मेर जैव विविधता थार के रेगिस्तान में खतरे में हैं ,इस मरुस्थलीय क्षेत्र में वन्य जीवो की कई प्रजातियां सरंक्षण के आभाव में विलुप्त हो गयी ,थार के ग्रामीण इलाको में कभी बहुतायत पाये जाने वाले राष्ट्रिय पक्षी मोरो की विलुप्ति पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिंता का विषय बनी। फिर भी ना सरकारें गम्भीर हुई न ही वन विभाग ,




मोरो की मरुस्थलीय क्षेत्रो में बहुतायत का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता हे की राजस्थानी लोक गीतों में मोरो पर कई गीत बने ,हैं मोरिया आछो बोल्यो रे धरती ,मोर बोले रे ओ मलजी आबू रे पाडो में ,जैसे कई गीत मोर की सांस्कृतिक महत्वता को दर्शाते हैं ,




पिछले एक दशक में जिले के ग्रामीण इलाको में मोर विलुप्त हो गए ,कभी गाँवो की रौनक थे मोर। घटते पेड़ों ने मोरो को विलुप्ति के कगार पर ले आये ,मगर अब मोर आबू के पाड़ों में नहीं सीमा सुरक्षा बल के कैम्पसों में बोलते ,हैं आपको यकीन नहीं होगा मगर जिले में सरहद पर सीमा सुरक्षा बल मोरो के सरंक्षक बने , सीमावर्ती अग्रिम पोस्टो पर बल के अधिकारियो और जवानों की दिन चर्या मोरो के साथ शुरू होती , मुनाबाव ,तामलोर ,गडरा ,मिठडाऊ ,देवा ,बी के डी ,केलनोर ,स्वरूपें का टला ,हुर्रो का तला ,जैसी सेकड़ो पोस्ट हे जंहा दो सौ से सौ से अधिक मोरो का सरंक्षण होता ,हैं ,बल के जवान और अधिकारी अपने हाथो से मोरो को चुगा खिलते ,हैं हर केम्पस में मोरो के लिए पानी ,दाना और छाया की अलग से व्यवस्था कर रखी हैं ,




मोर इन जवानों और अधिकारियो के परिवार का हिस्सा हो गए ,हैं मोर जवानों की हर गतिविधि का हिस्सा बनते हैं ,बल के कैम्पसों में प्रतिदिन सुबह शाम मंदिर में होने वाली आरती के समय मंदिर परिसर में पहुँच जाते हैं ,अकेले में पंख फैलाकर नाचने वाल मोर इन कैम्पसों में बल के जवानों की उपस्थिति में निडर होकर नृत्य करते हैं ,जवान विशेष आवाज़ से मोरो को बुलाकर एक जगह एकत्रित कर लेते हैं ,




सीमा सुरक्षा बल राष्ट्रिय पक्षी मोरो का हमदर्द और सरंक्षक बन कर उभर हैं ,सीमा सुरक्षा बल के सरंक्षण का ही कमाल हैं की मोरो का कुनबा इन कैम्पसों में लगातार बढ़ रहा हैं ,




सीमा सुरक्षा बल के सेकड़ो परिसरों में हज़ारो मोरो का सरंक्षण परिवार की तरह हो रहा हैं , राज्य सरकार और केंद्र सरकार को राष्ट्रिय पक्षियों के सुरक्षा और सरंक्षण की विधिवत जिम्मेदारी देनी चाहिए




तामलोर स्थित सीमा सुरक्षा बल की अग्रिम पोस्ट के सहायक उप समादेष्टा भूपेंद्र सिंह भाटी ने बताया की केम्पस में करीब तीन सौ से अधिक मोर हैं ,इन मोरो के लिए दाना ,पानी और छाया की अतिरिक्त व्यवस्था कर रखी हैं ,मोरो का सरंक्षण हमारी दिनचर्या में शामिल हैं ,यहाँ मोरो को पूरी सुरक्षा और सरंक्षण मिल रहा हैं इसीलिए इनकी तादाद भी लगातार बढ़ रही हैं




हुर्रो का तल्ला पोस्ट में कार्यरत जवां विमलेश कुमार ने बताया की मुझे आये छ माह ही हुए हैं ,मगर इस केम्पस में चार सौ से अधिक मोर हैं ,दिन उगते हैं ये मोर मेरे क्वार्टर के आगे आ जाते हैं ,इन्हे अपने हाथ से दाना खिलता हूँ ,सभी मोरो के लिए दाने पानी की व्यवस्था की हुई हैं ,परिवार तो मेरा इलाहबाद हैं मगर ये मोर उनकी कमी को कुछ हद तक पूरा करते हे,

बाड़मेर अस्सी फीसदी अग्रिम पोस्टो पर बांधे ग्रुप फॉर पीपुल्स ने परिंडे ,चहकने लगी चिड़िया


बाड़मेर सरहद पर चहके चिड़िया के तहत केलनोर सहित दर्जन पोस्टो पर परिंडे बांधे ग्रुप फॉर पीपुल्स ने

बाड़मेर 
अस्सी फीसदी अग्रिम पोस्टो पर बांधे ग्रुप फॉर पीपुल्स ने परिंडे ,चहकने लगी चिड़िया







बाड़मेर सामाजिक सरोकार और नवाचार के प्रतिक ग्रुप फॉर पीपुल्स के सरहद पर चहके चिड़िया अभियान के तहत सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से भारत पाक सीमा पर स्थित अस्सी फीसदी अग्रिम पोस्टो पर परिंडे बांध भीषण गर्मी में पक्षियों को रहत प्रदान की,वैशाखी पूर्णिमा के दिन शनिवार को आग उगलती गर्मी और लू के थपेड़ो के बीच ग्रुप सदस्यों ने जवानों और अधिकारीयों के साथ मिल एक दर्जन अग्रिम पोस्टो पर परिण्डे बांधे ,परिन्दों के लिए भामाशाह अभियंता वीर चंद सोनी और यातायात निरीक्षक रमेश चावड़ा ने सहयोग दिया।




ग्रुप फॉर पीपुल्स के सदस्यों ने शनिवार को सीमावर्ती केलनोर अग्रिम पोस्ट पर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो और जवानों के साथ प्रत्येक पेड़ पर परिंडे बाँध उनमे पानी भरा। जवानों ने प्रतिदिन परिंडों में पानी डालने का नियम बनाने की शपथ ली। केलनोर पोस्ट पर काफी तादाद में राष्ट्रिय पक्षी मोर और रंग बिरंगे पक्षी अपना आसियाना बनाए हुए हैं ,




ग्रुप द्वारा गत एक माह से सरहद की अग्रिम पोस्टो पर मूक पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था के लिए परिंडे लगने का अभियान चलाया जा रहा हैं ,जिसके जिसके चलते अस्सी फीसदी अग्रिम पोस्टो पर ग्रुप ने सीमा सुरक्षा बल के सानिध्य में परिंदे लगा दिए ,शेष रहे सुंदरा बेल्ट में आगामी दिनों में परिंदे लगाए जायेंगे।




ग्रुप द्वारा शनिवार को स्वरूप का तला ,समेलों का तला ,हुर्रो का तल्ला ,ऍन आर के टी ,नवा तला ,आज़ाद पोस्ट सहित दर्जन भर पोस्टो पर परिंडे लगाए ,ग्रुप संयोजक चन्दन सिंह भाटी के नेतृत्व में मदन बारूपाल ,रमेश सिंह इंदा,स्वरुप सिंह भाटी ,बाबू भाई शेख ,दिग्विजय सिंह चूली ,ठाकराराम मेघवाल ,विक्रम मन्सुरिया ,शेराराम चौधरी ने पुनीत कार्य को अंजाम दिया ,

सोमवार, 9 मई 2016

बाड़मेर कोई सरहद ना रोके,दोनांे देषांे के पंछी पीएंगे पानी,ग्रुप फोर पीपुल्स एवं बीएसएफ की पहल,












बाड़मेर कोई सरहद ना रोके,दोनांे देषांे के पंछी  पीएंगे पानी,ग्रुप फोर पीपुल्स एवं बीएसएफ की पहल,

पष्चिमी सरहद पर बेजुबान पक्षियांे को बचाने की अनूठी पहल

-ग्रुप फोर पीपुल्स एवं बीएसएफ की पहल, सीमा चौकियांे पर परिंडे लगाने की कवायद


बाड़मेर, 07 मई। तेज गर्मी मंे बेजुबान पक्षियांे को पानी उपलब्ध कराने के लिए ग्रुप फोर पीपुल्स एवं सीमा सुरक्षा बल ने शनिवार से सीमा चौकियांे पर परिंडे लगाने की अभियान की शुरूआत की। सीमा सुरक्षा बल बाड़मेर सेक्टर की मुनाबाव, तामलोर एवं गडरारोड़ फारवर्ड सीमा चौकियांे से इसकी शुरूआत की गई। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियांे ने समस्त सीमा चैकियांे पर पक्षियांे के लिए परिंडे लगाने एवं उसमंे जवानांे की ओर से नियमित रूप से पानी डालने का भरोसा दिलाया। इस दौरान गु्रप फोर पीपुल्स की ओर से शनिवार और रविवार दो दिन लगातार सीमा चौकियों पर लगाने के लिए परिंडे उपलब्ध कराए गए।कई सीमा चौकियों पर ग्रुप कार्यकर्ताओ ने बल के जवानों के साथ परिंदे बंधे।




पश्चिमी सीमा पर इन दिनांे तापमान 50 डिग्री सेल्सियस के अधिक है। ऐसे मंे आमजन के साथ पक्षियांे की हालात भी बेहद खराब है। कई बार पानी के अभाव मंे पक्षियांे को तड़प कर गिरता हुआ देखा जाता है। बेजुबान पक्षियांे को बचाने के लिए शनिवार को मुनाबाव सीमा चैकी पर सहायक समादेष्टा हरेन्द्रसिंह, दिनेश मीणा, पुष्पेन्द्रसिंह, तामलोर सीमा चौकी पर सहायक समादेष्टा भूपेन्द्रसिंह भाटी एवं गडरारोड़ फारवर्ड सीमा चैकी पर सहायक समादेष्टा शंशाक मिश्र ने गु्रप फोर पीपुल्स के पदाधिकारियांे के साथ परिंडे लगाकर इस अभियान की शुरूआत की। इस दौरान गु्रप फोर पीपुल्स के संयोजक चंदनसिंह भाटी, दुर्जनसिंह गुड़ीसर, स्वरूपसिंह भाटी, मदन बारूपाल, ठाकराराम मेघवाल,ललित छाजेड़ ,शेखर माहेश्वरी उपस्थित थे। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियांे ने गु्रप फोर पीपुल्स के प्रयासांे की सराहना करते हुए कहा कि बेजुबान पक्षियांे की बचाने के लिए यह अनूठी पहल है। उन्हांेने भरोसा दिलाया कि प्रत्येक सीमा चौकी पर पक्षियांे के लिए परिंडे लगाए जाएंगे। साथ ही उसमंे नियमित रूप से पानी भी डाला जाएगा। उन्हांेने बताया कि कई सीमा चौकियांे पर विभिन्न प्रकार के पक्षियांे चिडि़या, मोरांे का जमावड़ा रहता है। इस तरह के प्रयास की बदौलत निसंदेह कई बेजुबान पक्षियांे की जान बचेगी। गु्रप के संयोजक चंदनसिंह भाटी एवं दुर्जनसिंह गुड़ीसर ने इस अभियान मंे सहयोग के लिए सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियांे एवं जवानांे का आभार जताया।




कोई सरहद ना रोके,दोनांे देषांे के पंछी पीएंगे पानी



बाड़मेर, 07 मई। इंसान ने भले ही सरहद पर जमीन का विभाजन कर दीवार खींच ली हो, लेकिन पक्षियांे के लिए ऐसा कुछ नहीं है। ये आसानी से भारत-पाक दोनांे देशांे में आ जा सकते है। ऐसे मंे गु्रप फोर पीपुल्स के प्रयासांे की बदौलत लगाए गए परिंडे दोनांे देशांे के पक्षियों की प्यास बुझाने के काम आएंगे।

पश्चिमी सीमा पर कई बार सरहद पार से कुछ स्थानांे पर अजान सुनाई देती है तो इस पार से कुछ मंदिरांे मंे होने वाली आरती। जिस तरह आवाज और हवा को कोई रोक नहीं सकता। ठीक उसी तरीके से दोनों देशांे मंे पक्षियांे की आवाजाही जारी है। किसी का आशियाना भारत मंे है तो किसी का पाकिस्तान मंे। यह पक्षी दाने-पानी की तलाश मंे एक-दूसरे देश में जाते रहते है। ऐसे मंे गु्रप फोर पीपुल्स की ओर से लगाए गए यह परिंडे दोनांे देशांे से आने वाले पक्षियांे की प्यास बुझाने के काम आएंगे।

शनिवार, 23 अप्रैल 2016

जैसलमेर महानिदेषक, सीमा सुरक्षा बल ने किया पष्चिमी सरहद पर अग्रिम सीमा चैकियों का दौराः लिया सीमा पर सुरक्षा संबंधी जायजा



जैसलमेर महानिदेषक, सीमा सुरक्षा बल ने किया पष्चिमी सरहद पर अग्रिम सीमा चैकियों का दौराः लिया सीमा पर सुरक्षा संबंधी जायजा


सीमा सुरक्षा बल प्रमुख श्री के के षर्मा, भा. पु. सेवा, महानिदेषक ने अपने पष्चिमी सरहद के राजस्थान सीमान्त के 02 दिवसीय दौरे पर आज दिनांक 23 अपै्रल 2016 को जैसलमेर जिले में अग्रिम सीमा चैकियों का भ्रमण किया। उन्होंने अंतर्राश्ट्रीय सीमा पर सीमा प्रबंधन, सीमा सुरक्षा की समीक्षा, सीमा पर संक्रियात्मक गतिविधियों तथा बल में विभिन्न कार्यक्षेत्रों में आ रही चुनौतियों का आंकलन किया और मौजूदा हालात का जायजा लिया। बल निदेषक ने वरिश्ठ अधिकारियों के साथ सीमान्त की संक्रियात्मक और कल्याणकारी गतिविधियों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की तथा उचित दिषा निर्देष दिये। अपने भ्रमण के दौरान महोदय ने सीमा चैकी रोहीताष में कम्पोजिट सीमा चैकी का विधिवत् उद्घाटन किया। इस मौके पर राजस्थान सीमान्त के प्रमुख डाॅ. बी आर मेघवाल, भा.पु.सेवा, महानिरीक्षक, श्री रवि गाँधी, उप महानिरीक्षक तथा सी पी डब्ल्यू डी के अधिकारी भी उपस्थित थे। नवनिर्मित कम्पोजिट बी ओ पी आधुनिक सुविधाओं से युक्त है जोकि भीश्ण गर्मी में जवानों को राहत प्रदान करेगी। इससे जवानों के रेस्ट और रिलीफ में सहायता मिलेगी जिससे कि जवानों की संक्रियात्मक क्रियाकलापों में सुधार होगा। महानिदेषक महोदय ने सीमा पर तैनात सीमा प्रहरियों का प्रहरी सम्मेलन लिया। उन्होंने राजस्थान की विशम परिस्थितियों में भी सीमा पर सीमा प्रहरी जिस तत्परता, लग्न और कर्तव्यनिश्ठा से अपने कर्तव्य का निर्वाहन कर रहे है की सराहना की। सम्मेलन में महोदय ने जवानों से बात-चीत की व उनकी परेषानी और ड्यूटी के बारे में पूछा। महानिदेषक द्वारा सीमा प्रबंधन, सुरक्षा एवं चैकसी के लिए आधुनिक तकनीकि के प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकि का इस्तेमाल सीमा प्रबंधन पर वृहद रूप से किया जाएगा जोकि फोर्स मल्टीपलायर का कार्य करेगा तथा सुरक्षा एवं चैकसी और अधिक सुदृढ़ हो सकेगी। महोदय ने बताया की ट्रायल के तौर पर 5 किलोमीटर के क्षेत्र में इस प्रणाली का प्रषिक्षण पंजाब ओर जम्मू बाॅर्डर पर किया जा रहा है। महोदय ने नवविवाहीत कार्मिकों के लिए बाॅर्डर पर परिवार रखने की सुबिधा उपलब्ध करवाने पर जोर दिया। महोदय ने जवानों को फाईनासिंयल लिटरेसी के बारे में बताया। महोदय ने बताया कि सीमा सुरक्षा बल में प्रति वर्श लगभग 400 मौते होती है जिसमें से लगभग 70 मौते दिल का दौरा पडने से होती है लगभग 50 मौते वाहन दुर्घटना से होती है। महानिदेषक महोदय ने सभी जवानों की षारिरिक तन्दरूस्ती, रोजाना व्यायाम व पोस्टिक आहार लेने तथा अवकाष के दौरान सुरक्षित तरीके से वाहन चलाने का सन्देष दिया। तद्पष्चाद् महानिदेषक जैसलमेर पहँुचे जहा पर श्री अमित लोढ़ा, भा.पु.सेवा, उप महानिरीक्षक सेक्टर मुख्यालय जैसलमेर(उत्तर) के द्वारा महोदय की अगुवाई की गई। जहा पर महानिदेषक महोदय ने उपस्थित वरिश्ठ अधिकारियों के साथ बाॅर्डर पर चल रही संक्रियात्मक गतिविधियों पर गहन चर्चा की और अधिक सतर्कता बरतने हेतु निर्देषित किया। दोहपर बाद महानिदेषक जोधपुर पहुँचे जहा से वे दिल्ली के लिए रवाना होगें।

शुक्रवार, 11 मार्च 2016

कैमल राइडिंग स्कुल सैक्टर मुख्यालय सीमा सुरक्षा बल, बाड़मेर द्वारा 2011-2016 मे सराहनीय प्रदर्शन





कैमल राइडिंग स्कुल सैक्टर मुख्यालय सीमा सुरक्षा बल, बाड़मेर द्वारा 2011-2016 मे सराहनीय प्रदर्शन



बाड़मेर सैक्टर मुख्यालय सी0 सु0 बल बाड़मेर मे दिनाॅक 07 जुलाई 2011 को कैमल राइडिंग स्कूल की स्थापना की गई। कैमल राइडिंग स्कूल द्वारा पिछले 04 वर्षों से बाड़मेर मे थार महोत्सव, श®ायात्रा व गणत्रन्त्र दिवस समारोह 2014 व सीमा सुरक्षा बल की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष मे आदश स्टेडियम बाड़मेर मे भव्य कैमल टैटू श® का आयोजन हुआ, जिसमें ऊंटों द्वारा म्युजिकल राजस्थनी लोक गीतों की धुनों पर म्युजिक राइडिंग, हैरत अंगेज करतब व ऊंटों के उपर पी0 टी0 कर शानदार प्रदर्शन किया । इस प्रदर्शन को देखकर बाड़मेर की जनता, सिविल प्रशासन एवं सी0 सु0 बल के अधिकारी मंत्रमंुग्ध हो गये।

कैमल राइडिंग स्कूल सैक्टर मुख्यालय, सी0 सु0 बल बाड़मेर के जवानो और ऊंटों द्वारा सन 2012 मे सीमानत मुख्यालय गुजरात द्वारा आयोजित कैमल सफारी मुनावाब से सुईगाॅव (गुजरात) तक और सीमा सुरक्षा बल की 50 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में सुश्री बचेंद्री पाल (प्रथम महिला प्रर्वतारोही) के नेतृत्व मे सबसे लम्बी महिला कैमल सफारी गुजरात के कोटेश्वर से पंजाब के अटारी तक करने में इस टीम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।

कैमल राइडिंग स्कूल सैक्टर मुख्यालय सी0 सु0 बल के जांवाज जवानों ने रण क्षेत्र तथा सीमा की सुरक्षा के साथ - साथ गुजरात राज्य के रण महोत्सव में पिछले 04 वर्षों से लगातार भव्य कैमल टैटू शो कर भारतीय प्रधानमन्त्री, गृहमन्त्री, रक्षामन्त्री सहित तमाम पुलिस महानिदेशकों के साथ - साथ देशी व विदेशी शैलानियों के समक्ष अपना शानदार प्रदर्शन किया जिसकी काफी सराहना की गई।
गुजरात राज्य के पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित कच्छ के वेकरिया रण मे कैमल मेगा शो 2015 -16 में इस टीम के ऊंटों व बहादुर जवानों ने हिस्सा लेकर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिसमे कच्छ जिला पशुपालन विभाग द्वारा इस टीम को सम्मानित किया गया।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2016

बाड़मेर सुरक्षा बल द्वारा बॉडी सर्च और डिस्पोजल का डेमोस्ट्रेशन ,महानिरीक्षक की उपस्थिति में हुआ




बाड़मेर सीमा सुरक्षा बल द्वारा बॉडी सर्च और डिस्पोजल का डेमोस्ट्रेशन ,महानिरीक्षक की उपस्थिति में हुआ

बाड़मेर सरहदी जिले ६३ बटालियन सीमा सुरक्षा बल द्वारा बॉडी सर्च और डिस्पोजल का डेमोस्ट्रेशन किया गया ,इस मौके पर सीमान्त मुख्यालय गुजरात के महानिरीक्षक अजय कुमार तोमर सहित सीमा सुरक्षा बल के बाड़मेर सेक्टर के उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम कमांडेंट ६३ बटालियन सत्येन्द्र सिंह सहरावत सहित कई अधिकारी मौजूद थे ,सीमा सुरक्षाल की ६३ वी बटालियन मुख्यालय द्वारा जालीपा फायरिंग रेंज में में बटालियन की ट्रेनिंग टीम द्वारा इंटीग्रेटेड वेपन ट्रेनिंग एवं ऑपरेशन का आयोजन किया गया ,सूत्रानुसार बल के जवानो द्वारा शानदार प्रदर्शन किया गया ,प्रदर्शन के बाद बॉडी सर्च और डिस्पोजल का डेमो किया गया ,महानिरीक्षक ने शानदार प्रदर्शन देख जवानो को रिवार्ड देने की घोषणा की।