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शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2018

*बाड़मेर विधानसभा उम्मीदवारों का चयन तय करेगा हार जीत का फैसला* *नए चेहरों पर कर सकते है दोनो दल भरोसा,भजपा के पास उम्मीदवारों का टोटा*

*थार चुनाव रणभेरी 2018*

*बाड़मेर विधानसभा उम्मीदवारों का चयन तय करेगा हार जीत का फैसला*

*नए चेहरों पर कर सकते है दोनो दल भरोसा,भजपा के पास उम्मीदवारों का टोटा*

*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*


बाड़मेर पश्चिमी सरहद की जिला मुख्यालय विधान सभा सीट पर दोनो दल प्रभावशाली प्रत्यासी खोज रहे है। इस सीट पर व्यक्तिगत प्रभाव ही उम्मीदवार की हार जीत तय करेगा।।कांग्रेस के पास दो दमदार प्रत्यासी है तो भाजपा जितने की संभावना वाले नए चेहरों की तलाश कर रहा। पिछले दो चुनाव कांग्रेस के मेवाराम जैन जीते है।।इस बार भाजपा की टारगेट सीटों में से *बाड़मेर एक सीट है।।जिसे वो हर हाल में जितना चाहती है।।*

*दो लाख बतीस हजार मतदाता करेंगे मतदान*

इस बार बाड़मेर विधानसभा चुनावों में दो लाख बतीस हजार दो सौ उनतीस मतदाता है जिसमे पुरुष मतदाता एक लाख बाईस हजार आठ सौ तीन तो महिला मतदाताओं की संख्या एक लाख नो हजार चार सौ छब्बीस है। इस बार विधानसभा क्षेत्र में लिंगानुपात बढ़ा है गत चुनाव में जंहा 883 था इस बार बढ़कर 891हो गया।।

*गत चुनाव में मृदुरेखा बनी तारणहार*

गत चुनाव में भाजपा की डॉ प्रियंका चौधरी और कांग्रेस के मेवाराम जैन के बीच तीसरी ताकत के रूप में निर्दलीय श्रीमती मृदुरेखा मैदान में थी।।भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी अपने स्वजातीय वोट मिलने के यटी आत्मविश्वास के कारण पिछड़ गई।।21 हजार जाट वोट मृदुरेखा ने लेकर एक तरह से प्रियंका को हरा दिया। जाट वोट के बिखराव का फायदा मेवाराम जैन को मिला वो लगातार दूसरी बार चुनाव जीते। प्रियंका की हार में भाजपा के ही नेताओ का खुला हाथ था।।जाट वोट के अतिरिक्त उन्हें अन्य समाजो से खुलकर वोट मिले।।मेवाराम जैन के व्यक्तिगत प्रभाव के चक्रव्यूह को प्रियंका भेद नही पाई।।अतिआत्मविश्वास उन्हें ले डूबा।साथ ही सहयोगियों की सलाह को दरकिनार करना उन्हें भारी पड़ा।

*इस बार मुकाबला कड़ा और दिलचस्प होगा*

इस बार विधानसभा चुनावों में अभी उम्मीदवारों की स्थति स्पस्ट नही है। कांग्रेस में वर्तमान विधायक मेवाराम जैन और उदय हुए सितारे आज़ाद सिंह राठौड़ के बीच टिकट को लेकर कशमकश है।।मेवाराम जैन टिकट के कई मोर्चो पर कमज़ोर साबित हो रहे उन्हें स्थानीय कांग्रेस नेताओं का समर्थन नही मिल रहा ।।तो आज़ाद सिंह के पास खोने को कुछ नही है।गत दो सालों में आज़ाद सिंह ने क्षेत्र में अपनी खास पहचान बनाई खासकर युवाओ के बीच उनको शानदार छवि है तो स्थानीय कांग्रेस नेता आज़ाद सिंह के समर्थन में। मेवाराम जैन को भी कमतर आंकना भूल होगी।।
भाजपा के पास उम्मीदवारों के रूप में सीमित नाम है।।डॉ प्रियंका चौधरी, पीयूष डोशी, कर्नल सोनाराम चौधरी ,प्रबल दावेदार है।।प्रियंका चौधरी राजनीति में अपनी पकड़ साबित नही कर पाई गत पांच सालों में।।प्रियंका पर मतदाताओ का आरोप है कि जिन लोगो ने चुनाव में उन्हें वोट नही किये उन्हें तवज्जो देती रही।जातिवाद के आरोप भी है। गत बार उन्हें गैर जाट वोट बड़ी तादाद में मील गए थे मगर इस बार गैर जाट मतदाताओं की नाराजगी उन्हें बेहद कमजोर करती है। प्रियंका की राजनीति बयानों में बचकानी हरकतों और उनके पास कोई सही सलाहकार नही होने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।उनके द्वारा विभिन समाजो पर की गई टिपानिया भी उनके खिलाफ जाएगी।।

भाजपा से पीयूष डोशी भी सशक्त दावेदार है।।अमूमन बाड़मेर सीट पर महाजन जाति के नेताओ का दबदबा रहा है।।वृद्धि चंद जैन और मेवाराम जैन इसके उदाहरण है।।भाजपा के पास जैनों में कोई दमदार चेहरा नही है।।पीयूष डोशी के पारिवारिक राजनीति पृष्टभूमि उनके लिए रामबाण है।।भगवान दास डोशी विधायक रह चुके है।डोशी परिवार की क्षेत्र में विभिन समाजो में अच्छी पकड़ है।पीयूष वर्तमान में बूथ समिति के जिला संयोजक है।।वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा को सफल बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।।पार्टी के राज्य स्तरीय नेताओ से उनकी नजदीकियां उन्हें मजबूती दिलाती है।।भाजपा से ही कर्नल सोनाराम बाड़मेर से टिकट के प्रयासो में लगे है।।उन्हें कितनी सफलता मिलती है यह भबिष्य के गर्भ में है।।

भाजपा में चोंकाने वाला नाम भी आ सकता है। सूत्रों की माने तो इस सीट पर भाजपा नए चेहरे की तलाश में है।।भाजपा की सर्वे रिपोर्ट में बाड़मेर क्षेत्र में बेहद कमजोर स्थिति आंकी गई है।।भाजपा के पास मजबूत दावेदार नही है ऐनवक्त स्वामी प्रतापपुरी पर भी दांव खेला सकती है भाजपा।।

रविवार, 30 सितंबर 2018

बाड़मेर राज्य विधानसभा चुनावी रणभेरी,राजनीतिक शख्शियत* *बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ,आम आदमी का विधायक*

राज्य विधानसभा चुनावी रणभेरी,राजनीतिक शख्शियत

बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ,आम आदमी का विधायक

बाड़मेर थार की राजनीति में बहुत से चेहरे चुनावी मौसम की तरह होते है।जो चुनाव के साथ गायब हो जाते।कुछ चेहरे लम्बी रेस के घोड़े भी साबित होते है।।अस्सी दे दशक में बाड़मेर दिग्गज राजनीतिग्यो की स्थली था।।बड़े नज़्म अब्दुल हादी,वृद्धि चंद जैन,हेमाराम चौधरी,गंगाराम चौधरी,भगवानदास डोशी, अमीन खान,मदन कौर ,चंपालाल बांठिया सरीखे नेताओ के बीच बालेबा गांव के सरपंच के रूप में मेवाराम जैन का उदय हुआ।।सरपंच के तौर पर अच्छे कार्यो के चलते जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया ।मेवाराम ने शहर का रुख कर कांग्रेस में प्रवेश किया।उस वक़्त के दिग्गज वृद्धि चंद जैन के सानिध्य में अपनी राजनीति पारी शुरू की।।आम परिवार से होने के साथ शहरी लोगो के साथ साथ धीरे धीरे पार्टी में अपनी पकड़ बढ़ाने लगे।।पहले उन्हें 1985 में शिव ब्लॉक का महामंत्री बनाया।।लगातार दस साल 1994 तक महामंत्री पड़ पर रहे।।सेकंडरी तक शिक्षित मेवाराम जैन ने अपने कुशल व्यवहार से पार्टी के साथ साथ सामाजिक संस्थाओं में भी अपनी पकड़ बना उनसे जुड़े।अकाल के वक़्त उनका गौ सेवा का कार्य निसंदेह बेहतर था। प्राणी मित्र संस्थान से जुड़ उन्होंने अकाल राहत के तहत बड़ी तादाद में पशु शिविरों का भी संचालन किया।।इनके माध्यम से उनकी पहचान का दायरा बढ़ गया।।1994 ने कांग्रेस पार्टी ने उन्हें कोषाध्यक्ष का प्रभार दिया।।2005 तक पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे।।उसके बाद उन्हें पार्टी ने उपाध्यक्ष पद पर बिठाया।।इसी बीच उन्होंने नगर पालिका का चुनाव लड़ा।।बड़ी जीत के साथ नगर पालिका के अध्यक्ष बने।।1999 में अध्यक्ष बनने के बाद शहरी क्षेत्र में विकास के कई कार्य किये।कार्य और व्यवहार के कारण उनकी लोकप्रियता में खासी वृद्धि हुई।।बाड़मेर के विकास के साथ सौन्दर्यकरण ,सभा भवनों सहित असम आदमी के राहत के प्रयास लोगो के बीच लोकप्रिय हुए।।1981 से 1991 तक बालेबा के सरपंच रहे मेवाराम जैन को 2008 में कांग्रेस ने बाड़मेर विधानसभा से अपना प्रत्यासी बनाया।।इस चुनाव में उन्होंने मृदुरेखा चौधरी को बड़े अंतर से हरा कर विधानसभा में प्रवेश किया। पांच साल के कार्यकाल में कई कार्य जनहित के किये।।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीक मानें जाते रहे।।दूसरी बार 2013 मे कांग्रेस ने उन पर पुनः भरोसा जताया।।भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी को कड़े मुकाबले में हराकर फिर बिधानसभा पहुंचे।।2013 में मारवाड़ में काँग्रेज़ को मात्र तीन सीट मिली थी।जिसमे एक बाड़मेर भी था।।।इस चुनाव में निर्दलीय मृदुरेखा चौधरी उनके लिए तारणहार बनी।।

*विधायक मेवाराम जैन के कार्यकाल की उपलब्धियां*

बाड़मेर में कच्ची बस्तियों सहित आम आदमी के पट्टे बनाने का कार्य आपके कार्यकाल की उपलब्धि रही ।।जैन ने अपने नगरपालिका अध्यक्ष रहते हुए हजारों पटे बनाये जिसके कारण आम शहरवासियों के दिलो में बस गए। जैन मोहन बाल निकेतन शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष भी रहे साथ ही लायंस क्लब बाड़मेर के पहले अध्यक्ष के रूप में कई सेवा कार्य किये।

बाड़मेर में हिमालय का मीठा पानी लाने का वादा किया था और वादे के मुताबिक बाड़मेर शहर में नहर का मीठा पानी लाये तथा बाड़मेर ग्रामीण क्षेत्रो में पेयजल योजनाओं को स्वीकृत करवाया। साथ ही बाड़मेर राजकीय अस्पताल में सिटी स्कीन मशीन,सीवरेज का कार्य,और बाड़मेर शहर में पहली बार दो ओवरब्रिज का निर्माण करवाकर बाड़मेर जो दो भागों में बंटा हुआ था उसमें आमजन को राहत देकर बड़ा कार्य किया।
मेडिकल के क्षेत्र में बाड़मेर जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति, इंजीनियरिंग कॉलेज की स्वीकृति,4 पीएचसी,एक सीएचसी तथा 52 सब सेंटर स्वीकृत करवाये ।इसके साथ साथ मॉडल विद्यालय,नए प्राथमिक विद्यालय स्वीकृत भी करवाये तथा क्रमोन्नत भी करवाये।आदर्श स्टेडियम में पार्क का निर्माण,सर्किट हाउस सड़क का डबल लेन निर्माण इत्यादि कई महत्वपूर्ण कार्य करवाये।
एक महत्वपूर्ण बात कि विधायक जैन ने अपने 10 वर्षीय कार्यकाल में लगभग 1800 हैंडपम्प स्वीकृत करवाये है जो कि अपने आप मे एक रिकॉर्ड है।
विरधीचन्द केंद्रीय बस स्टैंड का निर्माण करवाया ।राजकीय हॉस्पिटल में 17 करोड़ की लागत से महिला एवम शिशु गृह यूनिट का भी निर्माण करवाया ।साथ ही अपने विधायक मद से करीबन 5 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रो में विद्युतीकरण पर खर्च किये ।

जैन लगातार 10 वर्षो से पीसीसी सदस्य है।जैन विधानसभा में महत्वपूर्ण कमेटी प्राक्कलन समिति क तथा ख में भी सदस्य है।लगातार तीसरी बार बाड़मेर विधानसभा से उनकी दावेदारी है।।

राजनीति के वर्तमान के चाणक्य कहे जाते है मेवाराम जैन।।राजनीतिक गुण और कूटनीति उनकी खासियत है।।

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

थार की चुनाव रणभेरी 2018 शिव विधानसभा चुनाव तब से अब तक,लगातार दूसरी बार अमिन खान कभी नहीं जीते , दस चुनावो में एक मात्र महिला उतरी मैदान में ,छह बार कांग्रेस तो पांच बार गैर कांग्रेस जीती

थार की चुनाव रणभेरी 2018

 शिव विधानसभा चुनाव तब से अब तक,लगातार दूसरी बार अमिन खान कभी नहीं जीते ,

दस चुनावो में एक मात्र महिला उतरी मैदान में ,छह बार कांग्रेस तो पांच बार गैर कांग्रेस जीती

-भाटी चन्दन सिंह- बाड़मेर


 सरहदी जिले बाड़मेर कि शिव विधानसभा क्षेत्र में अब तक दिलचस्प मुकाबले हुए। ज़िसमे कांग्रेस छह बार तो भाजपा दो बार ,जनता पार्टी दो बार जीती। शिव विधानसभा क्षेत्र विषम परिश्ठियो में बसा हें। एक तरफ उण्डू कश्मीर ,दूसरी तरफ हरसाणी गिराब ,तीसरी तरफ रामसर गागरिया ,चौथी तरफ गड़रा रोड सुन्दर तो छठी तरफ बिजराड और गफणो के गाँव शुमार हें। संसाधनविहीन इन गाँवों में मतदान करना किसी चुनौती से कम नहीं हें। कहने को शिव सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण विधान सभा क्षेत्र हें ,यह वो क्षेत्र हें जहा कभी प्रत्यासी चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होते थे। उन्हें जोर जबर्दस्ती घरो से उठाकर पर्चे भराये जाते थे ,

*जातिगत आंकड़े शिव*

 विधानसभा क्षेत्र में इस बार करीब डॉ  पांच हज़ार या इससे अधिक मतदाता होंगे। नाम जुड़ने कि प्रक्रिया चल रही हें। शिव में मुसलमान 58000 ,राजपूत रवाना राजपूत 48 हजार हज़ार ,अनुसूचित जाती चौंतीस हज़ार जाट  पैंतीस हज़ार ,प्रजापत आठ हज़ार चारण छह हज़ार ,पुरोहित चार हज़ार।  यह हे जातिगत आंकड़े जिससे राजनितिक खेल फिट होते हे
शिव निरीक्षक मंडल। . विधान सभा क्षेत्र में आर आई सर्किल शिव के 11 ,भींयाड कि दस ,हरसाणी कि 11 गडरा रोड कि दस ,रामसर कि सात ,खड़ींन कि छह गागरिया कि आठ तथा बिजराड के 11 पटवार मंडल शामिल हें जिसमे 470 गाँव 74 ग्राम पंचायते आठ राजस्व मंडल 74 पतवार मंडल शामिल हें
सबसे कम अंतर कि जीत। । शिव विधानसभा क्षेत्र में दूसरे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हुकम सिंह मात्र नौ मतों से जीते उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के कान सिंह को नौ मतों से हराया वाही सर्वाधिक वोटो से गत चुनावो में कांग्रेस के अमिन खान उन्तीस हज़ार से अधिक मतों से विजयी रहे।।


*प्रथम विधानसभा चुनाव 1967*

शिव विधानसभा सन 1967 में पहली बार स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आया। प्रथम चुनावो में शिव विधानसभा के 58752 मतदाताओ में से 21888 मतदाताओ ने वोट डाले ,जिसमे कांग्रेस के हुकम सिंह को 11564 स्वतंत्र पार्टी के कान सिंह को 9335 वोट मिले प्रथम विधायक बनाने का गौरव हुकम सिंह को मिला।


*दूसरा चुनाव 1972*

शिव विधानसभा क्षेत्र का दूसरा चुनाव 1972 में हुआ ,जिसमे शिव के 61444 मतदाताओं में से 29089 वोटरो ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इन चुनावो में कांग्रेस ने फिर हुकम सिंह को मैदान में उतरा जिन्हे 9376 मत मिले तो स्वतंत्र पार्टी के कान सिंह को 9367 ,केवल चंद को 6953 तेजूराम को 2413 मत मिले। हुकम सिंह मात्र नौ मतों से विजयी घोषित हुए

*तीसरा चुनाव 1977*

तीसरे चुनावो में शिव विधानसभा क्षेत्र के 72169 मतदाताओं में से 39495 मतदाताओ ने 97 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे जनता पार्टी के कान सिंह को 12680 कांग्रेस के तगाराम चौधरी को 12155 शोभ सिंह को 3136 ,केवल चंद को 2560 सवाई सिंह को 1847 शांकतरदान को 1605 मदन लाल 1573  लाल चंद को 1350 भीखाराम को 1293 जोगराज सिंह को 346 मत मिले ,पहली बार जनता पार्टी के कान सिंह 525 मतों से विजयी हुए ,

*चौथा चुनाव 1980*

शिव के चौथे चुनाव में शिव के 94449 मतदाताओ में से 43619 मतदाताओं ने 116 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे कांग्रेस के अमिन खान को 16700 निर्दलीय शोभ सिंह को 11731 सवाई सिंह जनता पार्टी को 9141 सोमी उर्फ़ शोभ को 3532 गणपत सिंह को 1105 कण सिंह को 450 सोहन सिंह को 215 मत मिले। इस बार अमिन खान 4969 मतों से विजयी हुए।

*पांचवा चुनाव 1985*

 शिव के पांचवे और राज्य विधानसभा के आठवे विधान सभा चुनावो में शिव विधानसभा के 112787 मतों में से 70220 मतदाताओ ने 155 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमेजनता पार्टी के रावत उम्मेद सिंह को 40002 कांग्रेस के अमिन खान को 28865 और निम्बाराम को 459 मत मिले। बाड़मेर के रावल उम्मेद सिंह ने 11137 मतों से शानदार जीत हासिल कि।

*छठा चुनाव 1990*

छठा चुनाव शिव का सताईस फरवरी को सम्पन हुआ जिसमे 155 मतदान केन्द्रो पर 127854 मतदाताओ में से 77362 मतदाताओ ने वोट डाले जिसमे कांग्रेस के अमिन खान को 38576 जनता दल के हरी सिंह को 34169 कन्हैयालाल को 2055 शोभ सिंह को 375 गोमती देवी को 340 अन्य चार उम्मीदवारो को डॉ सौ और उससे कम मत मिले। इस बार पुनः अमिन खान 4587 मतों से विजयी होकर दूसरी बार विधानसभा पहुंचे

*सातवा चुनाव 1993*

सातवा चुनाव शिव में 145151 मतदाताओ में से 98098 मतदाताओं ने १५५ मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे भाजपा के हरी सिंह सोढ़ा को 47881 कांग्रेस के अमिन खान को 41739 पृथ्वी राज को 2232 गफूर को 1255 अर्जुनदान को 805 अन्य पांच को पांच सौ या कम मत मिले। शिव में पहली बार हरी सिंह ने कमल खिलाया भाजपा ने यह सीट 6142 वोटो से जीती।

*आठवां चुनाव 1998*

आठवे चुनाव में शिव के 162087 मतदाताओं में से 115051 मतदाताओ ने 350 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले। जिसमे अमिन खान को 64552 भाजपा के हरी सिंह को 45235 बसपा के मूल चंद तंवर को 3396 मत पड़े। अमिन खान ने हरी सिंह को 19317 मतों से अंतर से जित विधायक बने

*नोवां चुनाव*

बेहद दिलचस्प रहा। इन चुनावो में 192409 मतदाताओ में से 146143 मतदाताओ ने 405 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमर भाजपा के डॉ जालम सिंह रावलोत को 72526 अमिन खान कांग्रेस को 61529 ,इनेलो के मंगलाराम सुथार को 5412 अली मोहम्मद को 2715 सोनाराम को 2553 हरकलहाराम को 1354 वोट मिले। भाजपा के डॉ जालम सिंह ने यह सीट 10997 मतों से जीत कर भाजपा कि झोली में डाली


*दशवां चुनाव 2008*

 तेहरवीं विधानसभा के लिए परिसीमन के बाद जैसलमेर जिले के बसिया क्षेत्र कि 13 पंचायते इस क्षेत्र से अलग हो गयी वाही चौहटन के बिजराड क्षेत्र कि पंचायते जुड़ने से राजपूत वोट कम हो गए।  शिव में हुए चुनावो में शिव के 197153 मतदाताओ में से 143659 मतदाताओ ने 516 मतदान केन्द्रो पर वोट डाले जिसमे कांग्रेस के अमिन खान को 75787 जालम सिंह रावलोत को 45927 , कुन्दनदान को 6657 नीम्ब सिंह को 6157 अचलाराम को 3914 गोर्धन सिंह को 3126 जान मोहम्मद को 2297 पदमाराम को 2232 मत मिले ,अमिन खान पुनः इस सीट पर सर्वाधिक 29861 मतों से विजयी हुए

*ग्याहरवा चुनाव 2013*


शिव. विधानसभा क्षेत्र शिव में कांग्रेस के अमीन खान को 69509, भाजपा के मानवेन्द्र सिंह को 100934, बहुजन समाज पार्टी के रेखाराम को 2619, बहुजन संघर्ष दल के किशनाराम मेघवाल को 886, भारत नव निर्माण पार्टी के दमाराम को 562, जागो पार्टी के सवाईसिंह को 431, भारतीय युवा शक्ति पार्टी के हसन को 756 तथा निर्दलीय कैलाश बेनीवाल को 1960 मत मिले।मानवेन्द्र सिंह ने तेंतीस हज़ार मतों से विजयी हासिल की।

*खासियत*- शिव क्षेत्र के चुनावो में अमिन खान लगातार दो चुनाव जीतने में कभी सफल नहीं हुए। एक चुनाव जीतने के बाद दूसरा चुनाव हारे अमिन खान। शिव के चुनावो के इतिहास में एक मात्र महिला उम्मीदवार गोमती देवी ही चुनाव लड़ी जीने करीब साढे तीन सौ मत ही मिल सके

रविवार, 23 सितंबर 2018

बाड़मेर चुनावी रणभेरी 2018 । राजनितिक शख्शियत श्रीमती मदन कौर बाईजी

बाड़मेर चुनावी रणभेरी 2018 । राजनितिक शख्शियत श्रीमती मदन कौर बाईजी 





बाईजी के नाम से मशहूर श्रीमती मदनकौर (b. 1935) (Madan Kaur) का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के ढाढणीया) गाँव में सन 1935 में गोकुल दास डऊकिया के घर हुआ.

गोकुल दास साधारण किसान पुत्र थे. सन 1956 के छपनीय अकाल में रोजी रोटी के लिए गोकुल दास सिंध चले गए. सक्खर रेलवे स्टेसन पर उन्होंने मजदूरी की. उस समय उन्होंने अंग्रेज गार्ड से अंग्रेजी पढ़ना-लिखना सीख लिया. कुशाग्र बुद्धि गोकुल दास रेलवे में गार्ड से तरक्की कर एटीएस के पद पर पहुंचे. यहीं आपको शिक्षा के महत्व का पता चला तो आपने अपनी पुत्रियों को भी शिक्षा दिलाई. श्रीमती मदन कौर ने अर्थ शास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि ग्रहण की. उस समय महिलाओं की शिक्षा नगण्य थी. उस समय किसी जाट लडकी के पढने की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती थी.

आपका विवाह डीगाड़ी कला (जोधपुर) निवासी मोहनराम मण्डा के साथ हुआ. मण्डा भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी थे. आपका पुत्र व पुत्रवधू विदेशों में चिकित्सक हैं. पुत्री सुधा डॉ. दलपत सिंह से ब्याही हैं.

सन 1963 में आप बाड़मेर जिला कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष बनी. आपने सन 1977 तक लगातार 14 वर्ष तक इस पद को शोभित किया. 1967 से 1980 तक 13 वर्ष तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी सदस्य रही. सन 1967 में पचपदरा से विधासभा सदस्य बनी. आप पचपदरा से लगातार 1967 -72 , 1972 -77 , 1977 -80 तीन बार विधायक रही. 1989 में जनता लहर में कांग्रेस छोड़कर चौधरी देवी लाल के बैनर तले जनता दल की टिकट पर गुढा मालानी से विधायक चुनी गयी. आप चार बार राजस्थान विधान सभा की सदस्या रही. 1990 में राज्य सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनी. इस पद पर दो वर्ष से ज्यादा समय तक रही.

इससे पूर्व 1999 में आपको प्रदेश कांग्रेस कमेटी का उपाध्यक्श बनाया. फ़रवरी 2005 में सम्पन्न पंचायती राज चुनाओं में आपको जिला परिषद सदस्य चुना गया तथा बडमेर की प्रथम महिला प्रमुख बनने का सौभाग प्राप्त हुआ. इस बार लगातार दूसरी बार आप जिला प्रमुख बनी। आप दो बार लगातार जिला प्रमुख रही।आपने बालिका शिक्षा के क्षेत्र में नये आयाम स्थापित किये. औद्योगिक नगरी बालोतरा में समदडी रोड पर वीर तेजा विकास समिति के बैनर तले छात्र व छात्राओं के लिये आवासिय छात्रावास का निर्माण किया. इस समिति की आप अध्यक्ष हैं. इस भव्य छात्रावास में जाट मन्दिर भी बना हुआ है. आप जट मन्दिर पुष्कर,महाराजा सूरजमल शिक्षण संसथान नई दिल्ली, जाट चैरिटेबल ट्रस्ट बाड़मेर, बहादुर सिंह समाज जाग्रति ट्रस्ट संगरिया सहित अनेक जाट संस्थाओं की सक्रीय सदस्य हैं. आपको पुष्कर जाट मंदिर समिति की तरफ से जाट रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया.गत दिनों उ की लिखित पुस्तक अतीत के झरोखे से का भी बिमोचन हुआ।।इस उम्र में भी आप सक्रिय है।गत दिनों संकल्प रैली में आपने शिरकत की।

शनिवार, 10 मार्च 2018

बाड़मेर कांग्रेस को आज़ाद के रूप में ब्रह्मास्त्र मिला।बाड़मेर जैसलमेर की नो विधानसभा में राजपूत वोट होंगे प्रभावित*



बाड़मेर कांग्रेस को आज़ाद के रूप में ब्रह्मास्त्र मिला।बाड़मेर जैसलमेर की नो विधानसभा में राजपूत वोट होंगे प्रभावित*



*बाड़मेर लम्बे समय से कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट,पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,पूर्व मंत्री अमीन खान सहित कई नेता कांग्रेस में राजपूतो को जोड़ने की पैरवी कर चुके है।ऐसे बयानों के बीच बाड़मेर की राजनीति में एक राजपूत युवा के कांग्रेस के बैनर पर उदय हुआ।युवाओ के आइडियल रहे उद्द्यमी और सामाजिक सरोकार ग्रुप फ़ॉर पीपल ,राजस्थान क्रिकेट संघ सहित कई संगठनों में सक्रिय आज़ाद सिंह राठौड़ ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद बहुत कम समय मे अपनी खास पहचान बाड़मेर में बना ली।आज़ादी के बाद यह पहला मौका है कि कांग्रेस के बैनर पर एक राजपूत युवा का ध्रुव तारे की तरह उदय हुआ।आज़ाद को युवाओ ने हाथों हाथ लिया ही आम जन ने भी उन्हें बहुत जल्द अपना लिया।जॉइन करते किसी नेता को जनता ने इतनी ऊंचाई किसी को नही दी जितनी आज़ाद को मिली।मात्र चार माह में बाड़मेर शहर सहित ग्रामीण इलाकों में अब तक साठ से अधिक सभाएं पब्लिक डिमांड पर हो चुकी है।दो दर्जन से अधिक सामाजिक कार्यक्रमो में भी शिरकत कर चुके।यहां यह सब इसीलिए बताया जा रहा है कि आज़ाद सिंह के आने से कांग्रेस का राजपूत वोट बैंक बढ़ने के आसार साफ नजर आ रहे।हाल ही में जिला परिषद के उप चुनावो में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ राजपूत बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ी सभाएं कर राजपूतो को प्रभावित करने में सफल रहे।दिग्गज नेता अमीन खान ने खुद आज़ाद सिंह को निमंत्रण भेज उनका उप चुनाव में बेहतर इस्तेमाल किया।




*उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार खिमावती कांग्रेस जिला अध्यक्ष सहित वरिष्ट नेताओंके साथ आज़ाद सिंह का आभार धन्यवाद देने उनके कार्यालय जीत के तुरंत बाद पहुंच गई।।यह आज़ाद सिंह के कद को बयां करता है।।*



कांग्रेस के नेता भी एक ऐसा राजपूत नेता चाहते है जो विधानसभा चुनावों में उनका सहयोग कर सके। यह कमी आज़ाद सिंह पूरी करते है ।।शिक्षित होने के साथ सकारात्मक सोच उन्हें और मजबूती प्रदान करती है।मुद्दों पे उनकी अच्छी पकड़ के साथ भाषण देने का बिशिष्ट अंदाज़ भी लोगो को भा रहा हैं।




*बाड़मेर जैसलमेर की नो विधानसभा सीट में राजपूत वोटर प्रभावी हैं।आज़ाद सिंह युवा होने के साथ आकर्षक व्यक्तित्व और अपने खास कुशल व्यवहार के चलते लोगो मे काफी लोकप्रिय है।इसीलिए आज़ाद सिंह का उपयोग कांग्रेस युवा राजपूत नेता के रूप में सभी विधानसभा में करना चाहेगी ताकि कांग्रेस के साथ राजपूत सीधे जुड़े।ऐसा नही है कि आज़ाद सिंह राजपूत होने के कारण सिर्फ राजपूतो में प्रभावी है।आज़ाद सिंह अपने व्यवहार,और मृदु भाषा के लिए सभी समाजो में बराबर लोकप्रिय है।खासकर युवा वर्ग उनका दीवाना है।सबसे बड़ी बात आज़ाद सिंह कांग्रेस में आने के बाद बड़ी संख्या में युवाओ को कांग्रेस के साथ लाने में न केवल सफल रहे बल्कि इन युवाओ को किसी खास मौके पर कांग्रेस की सदस्यता दिलाने में जुटे हैं।कांग्रेस वर्तमान परिस्थितियों में अच्छी स्थति में है ऐसे में आज़ाद सिंह जैसे युवा को मैदान में उतार विरोधियों को हैरान करने के साथ राजपूतो को पार्टी में जोड़ने की मुहिम के

को मूर्त रूप दे सकते हैं।कांग्रेस के स्थानीय वरिष्ठ नेता आज़द सिंह का उपयोग अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में कर सकते है।कांग्रेस को आजाद के रूप में एक ब्रह्मास्त्र मिला जिसे विधानसभा चुनावों में चलाया जा सकता हैं।कांग्रेस में बाड़मेर जिले में एक भी कद्दावर राजपूत नेता कांग्रेस में 1971 के बाद से नही है।इसकी कमी कुछ हद तक आज़ाद सिंह ने पूर्ति करने का प्रयास किया।।सबसे बड़ी बात लोग उन्हें स्वीकर कर रहे हैं।सबसे बड़ी बात की कम समय मे आज़ाद ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का विश्वास हासील किया!

सोमवार, 7 नवंबर 2016

बाड़मेर बदलेंगे कांग्रेस के राजनीती हालात।।बदलेंगे उम्मीदवार पुराने चेहरों से होगी तौबा।।कसरत जारी।

बाड़मेर बदलेंगे कांग्रेस के राजनीती हालात।।बदलेंगे उम्मीदवार पुराने चेहरों से होगी तौबा।।कसरत जारी।


बाड़मेर हालाँकि विधानसभा चुनावों में कोई डेढ़ साल का वक़्त बाकी हैं।मगर पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिलो बाड़मेर जैसलमेर में कांग्रेस जबर्दस्त मसक्कत कर रही हैं।प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने वर्तमान नेताओ की धरातल रिपोर्ट बारीकी से अपने विश्वशनीय नेता के जरिये मांगी हैं ।मोटे तौर पर गोपनीय रिपोर्ट से सामने आया की जैसलमेर के कारण इन दोनों जिलो के जातिगत उम्मीदवारों में फेरबदल तय हैं।जैसलमेर में पिछले उम्मीदवार रूपाराम धनदे को सामान्य सीट से उतारना लगभग तय हैं।।कांग्रेस रूपाराम धनदे पे फिर भरोसा कर सकती हैं। यह गोपनीय रिपॉर्ट बताती हैं। शिव विधानसभा से पिछले उम्मीदवार को बदलने की जरुरत बताई।हालांकि उन्हें विनिंग उम्मीदवार माना गया हैं पर उनकी निष्ठा पर सवालिया निशान की।खबर है जिसके चलते इस क्षेत्र में सचिन की टीम में युवा को मौका देने की संभावना हैं।।चोहटन से पिछले उम्मीदवार को बदलने की आवश्यकता बताई हैं। जनाधार और लोमप्रियता में कमी मुख्य कारण माना जा रहा हैं। गुड़ामालानी से नया चेहरा होगा ।यह चेहरा राजनितिक समीक्षकों को भी चोंकायेगा।।बायतु से वरिष्ठ नेता के चुनाव लड़ने की खबर हैं। यहाँ से कई नाम सामने आये हैं मगर सचिन पायलट बायतु से उम्मीदवार अभी तय कर चुके हैं ऐसा प्रतीत होता हैं। सबसे ज्यादा घमासान इसी सीट पे होने की सम्भावना बनी थी ।अगर सब कुछ ठीक रहा तो सचिन अपनी पसंद के उम्मीदवार को ही उतरेंगे।।पचपदरा में भी पिछले उम्मीदवार का बदलना तय माना जा रहा हैं। इस सीट पर कांग्रेस को जैन उम्मीदवार दे कर जिले के समीकरण बिठाने की बात कही गयी हैं।इस सीट पर दो नाम सामने आये हैं।जिसमे वरिष्ठ जैन नेता की संभावना बलवती हैं। सिवाना से भी उम्मीदवार बदला जाएगा ।ऐसी संभावनाए व्यक्त की गयी हैं।यहाँ राजपुरोहित या कलबी को उतरने की संभावना हैं। बाड़मेर में सबसे बड़ा घमासान होने की संभावना हैं। यहाँ उम्मीदवार बदलने की सौ फीसदी संभावनाए हैं। बताया गया हैं कि कांग्रेस इस बार इस सीट पर नया प्रयोग करने के मूड में हैं।यदि यह प्रयोग होता हैं तो कांग्रेस के लिए लड़ाई आसान होगी।।जैसलमेर के पोकरण से फ़क़ीर परिवार की टिकट राजनीती हलको में तय मानी जा रही हैं।मगर यहाँ बात फिर बिश्वश्नियता की आ रही हैं।सचिन पायलट कोई कसार अपने विश्वशनीय उमीदवार उतरने में नही रखना चाहते।।पोकरण में बदलाव की संभावना कम हैं।मगर विश्वश्नियता पुख्ता कर फैसला होगा।।इस बार कांग्रेस जातीय समीकरणों पे ज्यादा जोर देगी।।इसके लिए कई महीनो से मशक्कत की जा रही हैं। सूत्रानुसार बीजेपी की आपसी फुट का पूरा फायदा कांग्रेस कैसे ले सकती हैं ज्यादा जोर इसी पे दिया गया हैं।हालाँकि अभी कई सर्वे होने हे।कई रिपोर्ट्स जायेगी।मगर इतना तय हैं विधानसभा के बादशाह बदलेंगे।

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

यह हें कांग्रेस कि मारवाड़ में बड़ी हार के कारन

यह हें कांग्रेस कि मारवाड़ में बड़ी हार के कारन 
जानिए उन कारणों को जिनसे राजस्थान कांग्रेस की डूबी लुटिया
जयपुर। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऎतिहासिक जीत दर्ज की है। पार्टी को कुल 162 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई। राजस्थान के इतिहास में कांग्रेस को पहली बार इतनी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

जाट राजपूतो के साथ नाइंसाफी मारवाड़ में अशोक गहलोत ने जाट राजपूतो के साथ नाइंसाफी कि ,राजपूतो को मात्र दो टिकट दिए तो जाट समाज को कांग्रेस से तोड़ने कि रणनीति पर कम किया ,जिससे राजपूत समाज गहलोत के खिलाफ लामबंद हो गया तो जाट समाज ने गहलोत के जाट विरोधी रवैये के कारन कांग्रेस से किनारा कर लिया लिहाजा गहलोत कांग्रेस मारवाड़ में एक भी जाट राजपूत को जीता नहीं पाई मात्र तीन सीटे मिली। गहलोत ने दिग्गज जाट नेता हेमाराम चौधरी और कर्नल सोनाराम चौधरी से पंगा ले लिया था। कर्नल वैसे ही उनके खिलाफ थे , हेमाराम को उनकी इच्छानुसार टिकट नहीं दी जिससे उनकी नाराजगी बढ़ी।


रिफायनरी पर कोरी राजनीती। । अशोक गहलोत जिस रिफायनरी को अपनी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट बता कर आनन् फानन में सोनिए गण्डशी से शिलान्यास करवाया ,पुरे विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने प्रचार में रिफायनरी के मुद्दे को दूर रखा ,रिफायनरी महज चुनावी स्टंट बन कर रह गया।

इससे पहले 1977 में कांग्रेस को 41 सीटें मिली थी। अशोक गहलोत का कहना है कि वसुंधरा राजे ने झूठा प्रचार किया और अफवाहें फैलाई। इसकी वजह से उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन हार की कई अन्य वजहें भी हैं।

ऎसा नहीं है कि अशोक गहलोत सरकार ने अच्छा काम नहीं किया। मुफ्त दवा, मुफ्त जांच, जननी सुरक्षा सहित कई अन्य योजनाओं से आम जनता को बहुत फायदा हुआ लेकिन पार्टी सत्ता विरोधी लहर को भांपने में नाकाम रही।

वे कारण जो कांग्रेस की हार की वजह बने

1. बढ़ती महंगाई के कारण लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने इस गुस्से को हवा दी।

2. एंटी मीणा(जाति)सेंटिमेंट:जातियों के अंदर अंडरकरंट था कि अगर किरोड़ी लाल मीणा की पार्टी राजपा जीत गई तो वह सरकार को बंधक बनाकर रखेगी। मीणा वोटरों ने करौली,दौसा,सवाई माधोपुर,भरतपुर और अलवर में राजपा को खूब वोट दिए। पार्टी ने पांच सीटें भी जीती लेकिन अन्य जातियां भाजपा के पक्ष में हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि किरोड़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर से चुनाव हार गए। उनकी पत्नी गोलमा देवी भी महुवा से चुनाव हार गई।

3. गहलोत सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का समर्थन किया। समता आंदोलन और मिशन 72 ने इसका विरोध किया था। गहलोत सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। इससे अगड़ी जातियों में यह संदेश गया कि गहलोत अगड़ी जातियों के विरोधी हैं। ऎसे में वे भाजपा के पक्ष में एकजुट हो गई।

4. अल्पसंख्यक विरोधी सेंटिमेंट:गोपालगढ़ में दंगों के बाद कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत की जमकर खिंचाई की। गहलोत सरकार पर आरोप लगा कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहे। बजट में भी गहलोत ने अल्पसंख्यकों को बड़ी सौगातें दी। बहुसंख्यक समुदाय ने इस पर रिएक्ट किया।

5. साढ़े चार साल तक गहलोत सरकार ने बड़ी घोषणाएं नहीं की। चुनाव नजदीक आने पर पिछले छह महीने में गहलोत सरकार ने मुफ्त में लैपटॉप, टैबलेट, साडियां, ब्लैंकेट, साइकिलें और दवाइयां बांटनी शुरू की। इस पर भाजपा ने लोगों तक यह संदेश पहुंचाया कि कांग्रेस वोटों को खरीदने की कोशिश कर रही है।

मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र सियासत के डोर राजपूतो के पास गाजी फ़क़ीर के पास नहीं


जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र चुनाव पूर्व सर्वे रिपोर्ट 


राजपूतो के बीच घमाशान होने के प्रबल आसार 

सियासत के डोर राजपूतो के पास गाजी फ़क़ीर के पास नहीं

- दुनिया के सबसे बड़े विधानसभा चुनाव क्षेत्र के रूप में जैसलमेर की छठा निराली है।गोवा, त्रिपुरा, नगालैंड, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, दिल्ली, अंडमान-निकोबार, दादर, नगर हवेली और लक्षद्वीप वगैरह से भी बड़ा है यह विधानसभा चुनाव क्षेत्र।


इसका क्षेत्रफल 28 हजार 875 वर्ग किलोमीटर है, जिसका करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर भाग भारत पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा है।जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में राजपूतो का दबदबा रहा हें। अब तक हुए तेरह विधानसभा चुनावो में ग्यारह राजपूत उम्मीदवार विधायक बने एक एक बार ब्राहमण और मेघवाल जाती से विधायक बने। राजपूत बाहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस चार बार तो भाजपा तीन बार चुनाव जीती चार बार निर्दलीय ,एक एक बार जनता पार्टी ,जनता दल और स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार जीते।

जातिगत समीकरण। जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र में राजपूत बाहुल्य तीन क्षेत्र खडाल ,सोढाण और बसिया हें जन्हा उनसितर हज़ार राजपूत बसते हें वाही 37 हज़ार सिन्धी मुस्लिम ,छबीस हज़ार अनुसूचित जाती ,तेरह हज़ार अनुसूचित जन जाती बीस हज़ार रवाना राजपूत और हजुरी,तेरह हज़ार अनुसूचित जनजाति ,अन्य बड़े समाजो में ब्राहमण ,माली ,शामिल हें। इस बार करीब बीस हज़ार नए युवा मतदाता जुड़े हें। मुस्लिम और अनुसूचित जाती कांग्रेस के साथ रहे हें वाही राजपूत भाजपा के हें ,गैर कांग्रेसी विचारधारा के राजपूत इस सीट से जीते हें। कुछ राजपूत कांग्रेस में भी हें।


गत चुनाव। । गत चुनावों में भाजपा के छोटू सिंह भाटी और कांग्रेस की श्रीमती सुनीता भाटी के बीच मुकाबला था मगर कांग्रेस के बागी गोवर्धन कल्ला ,रेशमाराम ,भाजपा के किशन सिंह भाटी भी मैदान में थे ,जिसके कारन भाजपा यह सीट निकलने में कामयाब हुई


इस बार विधानसभा चुनावो में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना हें कांग्रेस के दावेदारों की फेहरिस्त में सुनीता भाटी के आलावा रुपाराम धनदे ,उम्मेद सिंह तंवर ,दिनेश्पल सिंह ,अशोक तंवर ,जनक सिंह ने भी दावेदारी कर राखी हें ,संभावना बलवंती हें की पुराने प्रतिद्वंदियों सुनीता बहती और छोटू सिंह के बीच मुकाबला होना तय हें। शहरी क्षेत्र के मतदाताओं पर परिणाम निर्भर हें जो शहर के अधिक से अधिक मत लेगा विजय उसी की होगी। कांग्रेस के इस फरमान के बाद की बाहरी प्रत्यासी को मैदान उतरा जायेगा के बाद सुनीता पर फिर तलवार लटक सकती हें। हालांकि वो पिछला चुनाव जैसलमेर से लड़ी थी। साले मोहम्मद विधायक पोकरण भी बाहरी प्रत्यासी हें। वो खुद जैसलमेर हें।

वर्तमान विधायक। गत पांच सालो में वर्तमान विधायक छोटू सिंह हर मोर्चे पर सक्रीय रहे ,विकास के काम ज्यादा नहीं हुए क्यूंकि सत्ता उनके विरोधी दल की हें फिर भी उन्होंने सक्रियता दिखाई लोगो की समस्याओ के समाधान के लिए उनके साथ खड़े नज़र आये। विधायक कोष की राशी का भी उन्होंने पूरा उपयोग जन हित में किया ,उन पर भेदभाव या भरष्टाचार का कोई आरोप नहीं हें। साफ़ छवि के कारन उन्हें पार्टी दुबारा मौका दे सकती हें हालांकि पूर्व विधायक संघ सिंह उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हें ,सांग सिंह भी पांच सालो तक किसानो की समस्याओ के निदान के लिए उनके साथ तत्परता से खड़े रहे।

गाजी फ़क़ीर का हौवा। ज़ब जब चुनाव आते हें अल्पसंख्यक धर्म गुरु फक्लिर को रहनुमा बताकर जैसलमेर की राजनीती उनके इशारे पर चलने की बात कही जाती हें मगर पिछले तरह चुनावो में गाजी फ़क़ीर का एक मात्र उम्मीदवार मुल्तानाराम बारुपाल ही जीत पाए ,गाजी का भाई भी विधानसभा चुनाव लड़ा मगर सफल नहीं हुआ ,एक बार भी जैसलमेर से अल्पसंख्यक विधायन नहीं बना। गाजी फ़क़ीर के वोटो की राजनीती इस बार कितना सारा दिखाएगी यह समय के गर्भ में हें ,फ़क़ीर परिवार और सुनीता भाटी के बीच राजनीती मतभेद जग जाहिर हें ऐसे में फ़क़ीर के अनुयायी सुनीता भाटी के साथ खड़े रहेंगे पर संशय बरकरार हें। गत चुनावो में कांग्रेस के उम्मीदवार की हार का कारन फ़क़ीर परिवार था।

गाजी परिवार की रणनीति। । गाजी फ़क़ीर परिवार मुस्लिम मेघवाल गठजोड़ को फिर आजमाने के लिए प्रयासरत हें इसके लिए उन्होंने रुपाराम धनदे को चुना हें ,फ़क़ीर परिवार उन्हें टिकट दिलाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हें। इसमे वो सफल होते नज़र आ रहे थे मगर सुनीता भाटी ने आलाकमान को स्पष्ट कहा की वो चुनावो में निष्क्रिय रहेगी ,सुनीता बहती का दबदबा अछ ख़ासा हें। पार्टी ने रुपाराम की जीत की जिम्मेदारी पोकरण विधायक साले मोहम्मद को लेने को कहा तो वो पीछे खिसक गए। गाजी फ़क़ीर परिवार पिछले चार माह से विवादों में घिरा हें। पुलिस द्वारा गाजी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट खोलने ,विधायक साले मोहम्मद पर पाक जासूस को पनाह देने ,और छोटे पुत्र पर भर्ष्टाचार के आरोप लगने से फ़क़ीर परिवार की राजनितिक पायदान निचे गिरी हें। जैसलमेर शहर में फ़क़ीर परिवार समर्थको का दबदबा हें। सरकारी विभागों में इनके हसक्षेप के कारण अन्य समाज अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हें।

भाजपा और कांग्रेस के पास अपनी प्रतिष्ठा बचने के अवसर हें इस बार। कांग्रेस हमेशा राजपूत उम्मीदवारों के सहारे ही चुनाव जीती हें एक बार ब्राहमण उम्मीदवार गोर्धन कल्ला चुनाव जीते।

राजपरिवार का दखल। । राजपरिवार का जैसलमेर की राजनीती में कोई विशेष दखल नहीं हें। लम्बे समय तक जैसलमेर की राजनीती राजपरिवार के इर्द गिर्द घुमि बाद में लगातार हारो के कारन इनका मोहभंग हो गया। सीधे तौर पर राजघराने के सदस्य स्वर्गीय चंद्रवीर सिंह की पत्नी श्रीमती रेणुका भाटी भाजपा के साथ जुडी हें सक्रीय भी हें। मगर अब चुनावो में राजपरिवार के दबदबे जैसी बात नहीं हें।


भितरघात। …. भीतरघात का डर दोनों दलों को सता रहा हें। सांग सिंह भाटी सशक्त दावेदार हें उन्हें टिकट नहीं मिलती तो उनका रुख भाजपा का कांग्रेस में सुनीता भाटी के उम्मीदवार होने की स्थति में गाजी फक्लिर परिवार पर निगाहें रहेगी। जैसलमेर के उभरते राजनितिक सितारे सुनीता भाटी को जीता कर अपने राजनितिक भविष्य पर ग्रहण लगेंगे ऐसा नहीं लगता।

रविवार, 20 अक्तूबर 2013

पचपदरा में कांग्रेस के पास उम्मीदवार का टोटा ?किस पर खेले दांव असमंज की स्थति

पचपदरा में कांग्रेस के पास उम्मीदवार का टोटा ?किस पर खेले दांव असमंज की स्थति

अब तक चुनावो में जो मुख्यमंत्री बालोतरा आया वापस सत्ता में नहीं आ पाया 

बाड़मेर राजस्थान में कांग्रेस की सर्वाधिक प्रतिष्ठा की सीट पचपदरा कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गयी हें। पचपदरा में रिफायनरी का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गाँधी के हाथो करने के बाद से यह सीट कांग्रेस के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठा की बन गई ,साथ ही कांग्रेस रिफायनरी स्थापना को विकास मॉडल के रूप में दर्शा कर राजस्थान भर में चुनाव लड़ रही हें ,कांग्रेस इस सीट पर हर हाल में जीत चाहती हें ,पचपदरा के वर्तमान विधायक मदन प्रजापत के खिलाफ स्थानीय कांग्रेस नेता जबरदस्त लामबंद होकर दिल्ली जयपुर में डेरा जमाये हें वाही मदन प्रजापत अपनी टिकट बहाली के लिए पूरा जोर लगा रहे हें। पचपदरा के लिए अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत के लिए गोपनीय सर्वे करवा चुके हें। सर्वे में कांग्रेस को रहत के आसार नज़र नही आये। गहलोत ने कुछ नामो पर चर्चा की मगर उम्मीदवार पचपदरा से लड़ने के इच्छुक नहीं। कांग्रेस सतही स्तर पर मजबूत और लोकप्रिय उम्मीदवार की तलाश में हें। अशोक गहलोत की निगाहें सांसद हरीश चौधरी पर ठहरी हें मगर हरीश चौधरी बायतु से लड़ने के इच्छुक बताये जा रहे हें ,ऐसे में पचपदरा से किसे मैदान में उतारे कांग्रेस के सामने संकट हें। ऐसी स्थति में पचपदरा की पूर्व विधायक और जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर कांग्रेस का बेहतर विकल्प साबित हो सकती हें। मदन कौर राजी नहीं होती हें तो मदन प्रजापत कांग्रेस की अंतिम पसंद हो सकते हें। भाजपा के अमराराम पहले से बढ़त ले चुके हें हालांकि उनके नाम की घोषणा भाजपा ने नहीं की मगर भाजपा के पास दूसरा विकल्प भी नहीं हें। रिफायनरी के शिलान्यास के साथ यह किद्वंती जुड़ गयी की जो मुख्यमंत्री बालोतरा में चुनाव मीटिंग करने अब तक आये वो वापस मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। गत चुनावो में वसुंधरा राजे भी बालोतरा आई थी उन्हें इस किदवंती की जानकारी दी तो उन्होंने इसे अंधविश्वास बता कर ताल दिया ,आख़िरकार बात सच साबित हुई ,इस बार रिफायनरी शिलान्यास के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी आगाज़ पचपदरा से किया हें। उनकी स्थति चुनावो के बाद पता चलेगी ,बहरहाल कांग्रेस को सशक्त दावेदार की जरुरत हें पचपदरा में। भगाराम पंवार एंड पार्टी मदन प्रजापत की जोरदार मुखाफलत कर रहे हें। वो किसी भी सूरत में उन्हें टिकट लेने नहीं देना चाहते। 

रविवार, 13 अक्तूबर 2013

शिव विधानसभा क्षेत्र ..उम्मीदवारों के नाम की मगजमारी ,कौन हें शिव के उम्मीदवार


चुनावी रणभेरी २०१३। । बाड़मेर शिव विधानसभा क्षेत्र 

दोनों दलों में उम्मीदवारों के नाम की मगजमारी ,कौन हें शिव के उम्मीदवार 

शिव के नतीजे सांसद नतीजे करेंगे 
अल्पसंख्यको का भाजपा में झुकाव चुनाव दिलचस्प बनाएगा 


बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर की सीमावर्ती शिव विधानसभा मोजुद समय में सर्वाधिक चर्चित सीट हो गई हें। भाजपा और कांग्रेस हर हाल में सीट जीतना चाहते हें इसी को उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देने में मगजमारी करनी पड़ रही हें ,वर्तमान में कांग्रेस के खान विधायक हें और उन्हें सरकार में मंत्री पद हासिल हें। अपने अनर्गल बयानों को लेकर हमेशा चर्चित रहने वाले खान को पहली मर्तबा अल्पसंख्यक दिग्गज नेता स्वर्गीय अब्दुल हादी परिवार से कड़ी चुनौती दावेदारी को लेकर मिली हें। गत चुनावो में अमिन खान अंतिम चुनाव बता कर लड़ा था जिसमे लोगो ने दिल खोलकर उन्हें समर्थन देकर जिताया। सरकार में उन्हें अल्पसंख्यक और ग्रामीण मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग देकर मंत्री बनाया। मगर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल टिपणी कर विवादों में फंसे और उन्हें इस्तीफा देना पडा। साल बाद उन्हें वापस मंत्री मंडल में शामिल किया। इसके बाद विवादास्पद बयान आते ,रहे बार अब्दुल हादी की पुत्र वधु शम्मा खान जो की चौहटन की प्रधान हें ने शिव से अपनी सशक्त दावेदारी पेश कर अमिन के सामने संकट खडा कर दिया। शम्मा खान को बाड़मेर के दिग्गज जाट नेताओ का समर्थन हासिल हें। 

पढ़ी लिखी होने के साथ राजनितिक अनुभव उन्हें अमिन से आगे रखता हें , शमा युवा और महिला हें इसका फायदा भी मिल सकता हें। शमा ने कांग्रेस में उच्च स्तर पर अपनी पेठ जमाई हें। अमिन खान चार बार शिव से विधायक रहे मगर लगातार दो बार चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाए। विगत विधानसभा चुनावो के बाद हुए लोक सभा चुनावो में कांग्रेस उम्मीदवार शिव से पिछड़ गए थे। कांग्रेस जिसको भी टिकट देगी भितरघात जरुर होगा। इधर भाजपा में पूर्व विधायक डॉ जालम सिंह रावलोत टिकट के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हें। चुनाव हारने के बाद भी रावलोत क्षेत्र की जनता से जुड़े रहे यह उनको टिकट दिलाने में सहायक सिद्ध हो सकती हें। अपने विधायकी कार्यकाल में जालम सिंह ने शिव में विकास खूब कराया।

मगर जालम सिंह का पार्टी में विरोध हें। शिव में तेरह अन्य दावेदार हें जिसमे राजेंद्र सिंह भियांड ,मुराद अली म्रेहर ,हरी सिंह सोढा ,रूप सिंह ,स्वरुप सिंह ,प्रमुख हें। इन लोगो ने वसुंधरा राजे को जालम सिंह के अलावा किसी को टिकट देने की मांग की। थी वसुंधरा राजे अल्पसंख्यको को भाजपा से जोड़ने के लिए सियासी दांव खेल सकती हें। पहली बार अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतार मुसलमानों को रिझाने की पहल से इंकार नहीं किया सकता। मुराद अली मेहर सशक्त दावेदार हें। हालांकि शिव में मुस्लिमो का बड़ी तादाद में भाजपा के जुड़ना अमिन खान के लिए सिरदर्द साबित हो रहा हें।इतना ही नहीं अमिन खान के गाँव के कई लोग भाजपा का दामन थाम चुके हें। जो अमिन के लिए बड़ा झटका था। 

जालम सिंह रावलोत को स्वयं सेवक संघ का उम्मीदवार माना जाता हें ,जालम सिंह की कांग्रेस नेताओ से नजदीकियों की खबरों से संघ नाराज़ चल रहा हें। भाजपा प्रदेश अध्यक्षा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विश्वास पात्रो की सूचि से जालम सिंह बाहर हें। भाजपा के पास विकल्प नहीं हें। कांग्रेस और भाजपा नए दावेदारों पर दांव लगाने के इच्छुक हें मगर दोनों जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हें। इसीलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों को उतार दे तो कोई आश्चर्य नहीं। यह संभावना भी प्रबल हें की दो नए चहरे उतारे। 

शिव में भाजपा की टिकट उसी को मिलेगी जो पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह चाहेंगे। वसुंधरा राजे ने शिव की टिकट मानवेन्द्र सिंह पर छोड़ दी हें। वहीं अमिन खान का प्रयास हें खुद की टिकट कटे तो जिला अध्यक्ष फ़तेह खान या उनके पुत्र शेर खान को टिकट दी जाए। अमिन खान की बाड़मेर के जाट नेताओ से दुरी उन्हें भारी पड सकती हें। 

शिव विधानसभा में 470 गाँव ,74 ग्राम पंचायते ,8 राजस्व मंडल और 74 पटवार मंडल शामिल हें। चौहटन का बिजराड राजस्व वृत्त शिव में शामिल हें 

अब तक हुए दस विधानसभा चुनावो में कांग्रेस छह बार ,भाजपा दो बार ,जनता पार्टी दो बार जीती हें। 

समीकरण जातिगत। .शिव विधानसभा में मुस्लिम मेघवाल जात गठबंधन कांग्रेस के साथ रहा हें ,राजपूत और अन्य समाज भाजपा के साथ। शिव में 53000 मुसलमान ,34000 अनुसूचित जाति 20000 रावना राजपूत ,22000 राजपूत ,28000 जाट ,10000 अनुसूचित जन जाति ,8000 कुम्हार ,5000 पुरोहित 4000 चारण प्रमुख मतदाता हें। 


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रविवार, 6 अक्तूबर 2013

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

कड़ी टक्कर और दिलचस्प मुकाबला होगा बाड़मेर में कांग्रेस भाजपा में 

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर की सीट पर सभी की नज़ारे हें। विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ एक बार फिर हलचल शुरू हो गयी। बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में वाही उम्मीदवार जीतेगा जिसके पक्ष में जातिगत समीकरण होंगे ,बाड़मेर में कांग्रेस की और से वर्तमान विधायक मेवाराम जैन एकमात्र उम्मीदवार हें। कोई आकस्मिक बड़ा फेरबदल टिकट वितरण में न हो तो उनकी उम्मीदवारी तय हें ,मगर बाड़मेर के जाट नेता मुख्यालय की सीट अपने पास रखना चाहते हें। एन वक्त पर कांग्रेस जाट उम्मीदवार मैदान में उतर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। भाजपा के उम्मीदवार दावेदारों की लम्बी फ़ौज हें। बाड़मेर के कद्दावर नेता गंगाराम चौधरी की पौती डॉ प्रियंका चौधरी ,पिछला चुनाव हरी मृदुरेखा चौधरी ,राम सिंह बोथिया ,रतन लाल बोहरा ,मूलाराम भाम्भू ,अमिता चौधरी ,रणवीर सिंह भादू ,कैलाश बेनीवाल और भी कई नाम हें। मगर इनमे सबसे सशक्त दावेदारी डॉ प्रियंका चौधरी की हें। गंगाराम चौधरी की पौती होने के नाते उनकी दावेदारी वजनदार बनती हें साथ ही बाड़मेर सीट पर प्रियंका चौधरी ही कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हें। शेष उम्मीदवार मेवाराम जैन के सामने टिक नहीं पाएंगे ,गंगाराम का अपना प्रभाव था जो ग्रामीण अंचलो में आज भी बरकरार हें। 


कहने को जाट बेल्ट के आलावा भाजपा के परंपरागत वोट और कांग्रेस के असंतुष्ट के सहारे भाजपा को बाड़मेर से उम्मीद हें तो वर्तमान विधायक मेवाराम जैन कुछ क्षेत्रो में मजबूत हें मगर त्रिपन हज़ार मतों के साथ सबसे ज्यादा वोट जाटो के हें जो मेवाराम से इस बार छिटक सकते हें। गत चुनावो में भी मेवाराम के साथ कांग्रेस के गोर्धन सिंह और मुकनाराम गोरसिया सारथि बने थे ,बाकी कांग्रेसियों ने अपने आप को दूर रखा था। भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खुले आम थे। इन कार्यकर्ताओ में कुछ इस बार भाजपा की दावेदारी भी कर रहे हें। मेवार जैन को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए एडी से छोटी का जोर लगाना होगा साथ ही उन्हें हराने में जुटे प्रभावशाली लोगो पर भी नज़र रखनी होगी ,बाड़मेर में करीब राजपूत ,बीस हज़ार रावन राजपूत ,बारह हज़ार मुस्लिम ,दस से बारह हज़ार जैन ,तीस हज़ार अनुसूचित जाती जनजाति के थोक वोट हें। पिछले चुनावो की हर जीत का अंतर कोई ज्यादा न था बारह हज़ार वोट भाजपा को इधर उधर करने हें जीतने के लिए तो कांग्रेस उम्मीदवार को गंगाराम चौधरी की चुनावी रणनीति को सबसे पहले पार पाना होगा ,गंगाराम का राजनितिक जीवन अनुभव कांग्रेस प्रत्यासी की उम्र के बराबर हें ,गंगाराम हमेशा एक चुनावी रणनीति अपना कर चुनाव लडे और जीते ,उन्होंने दिग्गजों को आसानी से हराया हें। कांग्रेस उम्मीदवार दुआ करे उनके सामने गंगाराम परिवार न हो। भाजपा के लिए सबसे सशक्त उम्मीदवार प्रियंका हें। कांग्रेस प्रत्यासी अपने पांच साल के कार्यकाल का जवाब भी देंगे। चुनावो में कुछ उम्मीदवार अन्य दलों के उतरेंगे तो कुछ निर्दलीय भी लड़ेंगे जो दोनों दलों को नुकसान करेंगे


बाड़मेर विधायक के पक्ष में। बाड़मेर में गत पांच सालो में विकास कार्य खूब हुए ,ओवर ब्रिज ,नया बस स्टेंड ,विद्यालय ,स्वास्थ्य केंद्र ,,टाँके हेंड पम्प,जैसे कई काम विधायक के पक्ष में हें.


विपक्ष में। . स्थानान्तारानो में राजनीती ,गुटबाजी ,विभिन समाजो के साथ असामंजस्य ,आम आदमी को कम नहीं ,विधायक कोष से चहेतो को लाभ ,ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या का निदान नहीं ,जातिगत असंतुलित समीकरण ,नगर परिषद् कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप ,प्रभाव शाली व्यक्तियों का आर्थिक नुक्सान


भाजपा उम्मीदवार पक्ष में वसुंधरा राजे और नरेन्द्र मोदी की लोक प्रियता का फायदा ,जाट प्रत्यासी ,भाजपा के साथ अन्य समाजो का जुड़ना ,विधायक से व्यक्तिगत नाराज प्रभावी लोगो का समर्थन


विपक्ष में कमज़ोर संगठन ,नेतृत्व का आभाव ,गुटबाजी ,कार्यकर्ताओ से दुरी ,चार साल लोगो के बीच से नदारद ,आपसी मतभेद ,

शनिवार, 10 अगस्त 2013

अशोक गहलौत अकेले ही चलना चाहते हैं राजस्थान में

मुख्यमंत्री अशोक गहलौत की राजनीति इस तरह से डिजाइन की गयी है जिससे राज्य में कांग्रेस की हार को सुनिश्चित किया जा सके.

कांग्रेस की हालत राजस्थान में भी अच्छी नहीं है. वहाँ अशोक गहलौत मुख्यमंत्री हैं. दिल्ली में कांग्रेस के जितने भी बड़े नेता हैं सब उनके खिलाफ हैं. सीपी जोशी, गिरिजा व्यास, सीसराम ओला और सचिन पाइलट अशोक गहलौत को हटवाना चाहते हैं लेकिन अशोक गहलौत को आलाकमान का आशीर्वाद मिला हुआ है इसलिए वे हटाये नहीं जा रहे हैं. केन्द्र में मौजूद कांग्रेसियों के गुस्से को कम करने के लिए गिरिजा व्यास और सीसराम ओला को केन्द्र में मंत्री बना दिया गया, सीपी जोशी को संगठन में बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी गयी लेकिन इसका कोई असर होता नहीं दिख रहा है. राजस्थान में अशोक गहलौत के खिलाफ दिल्ली में मौजूद नेता मीडिया के ज़रिये अभियान चला रहे हैं. उधर कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए व्याकुल वसुंधरा राजे को कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. वे अशोक गहलौत की असफलता गिनाने के लिए निकल पडी हैं . जहां भी जा रही हैं जनता उनका स्वागत कर रही है .अब वसुंधरा राजे को उनकी पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह का पूरा समर्थन मिल गया है, हालांकि इसके पहले भारी नाराजगी थी.

राजनाथ सिंह बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मामूली और निजी नाराजगियों को दरकिनार करने की नीति पर काम कर रहे हैं. वसुंधरा राजे जाति के गणित में भी वे जाटों और राजपूतों में अपनी नेता के रूप में पहचानी जा रही हैं. राजनाथ सिंह के कारण पूरे उत्तर भारत में राजपूतों का झुकाव बीजेपी की तरफ है उसका फायदा भी उनको मिल रहा है. जाटों की राजनीति का अजीब हिसाब है. कांग्रेस ने जाटों को साथ लेने के लिए उसी बिरादरी का अध्यक्ष बना दिया है लेकिन उनकी वजह से कांग्रेस की तरफ उनकी जाति का वोट नहीं जा रहा है. बल्कि उससे कांग्रेस को नुक्सान ही हो रहा है. परंपरागत रूप से बीजेपी के मतदाता रहने वाले जाटों को राज्य कांग्रेस के लगभग सभी महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिए जाने के बाद राज्य के राजपूत नेताओं में भारी नाराज़गी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलौत की राजनीति इस तरह से डिजाइन की गयी है जिससे राज्य में कांग्रेस की हार को सुनिश्चित किया जा सके. दिल्ली में ज़्यादातर कांग्रेस नेता यह मानकर चल रहे हैं कि अशोक गहलौत अकेले ही चलना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी के ज़्यादातर केंद्रीय मंत्रियों को नाराज कर रखा है .सी पी जोशी,सचिन पाइलट,भंवर जीतेंद्र सिंह और लाल सिंह कटारिया उनको कोई समर्थन नहीं दे रहे हैं. महिपाल मदेरणा, ज्योति मिर्धा और शीशराम ओला भी उनसे नाराज़ हैं .लेकिन फिर भी आलाकमान की नज़र में अशोक गहलौत का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहे हैं.

यह एक सवाल है. इस सवाल का जवाब तलाशने में कांग्रेस अध्यक्ष के रिश्तेदारों के व्यापारिक कारोबार पर ध्यान जाता है और अशोक गहलौत की कुर्सी की स्थिरता की पहेली समझ में आने लगती है. जहां तक रिश्तेदारों की बात है मुख्यमंत्री ने अपने रिश्तेदारों को भी सत्ता से मिलने वाले लाभ को पंहुचाने में संकोच नहीं किया है. जयपुर के स्टेच्यू सर्किल की एक ज़मीन का ज़िक्र बार बार उठ जाता है जहां बन रहे फ्लैटों की कीमत आठ करोड रूपये से ज्यादा बतायी जा रही है और खबर यह है कि गहलौत जी के बहुत करीबी लोग उसमें लाभार्थी हैं. एक नेता जी ने तो यहाँ तक कह दिया कि जिस कम्पनी की संस्थागत ज़मीन का लैंडयूज बदल कर इतनी मंहगी प्रापर्टी बना दिया गया है उसमें मुख्यमंत्री गहलौत का बेटा ही डाइरेक्टर है. पत्थर की खदानों का घोटाला भी राजस्थान के मुख्यमंत्री के नाम पर दर्ज है. उस घोटाले को तो टी वी चैनलों ने भी उजागर किया था. बताते हैं कि इस घोटाले में २१ खानें एलाट की गयी थीं जिनमें से १८ मुख्यमंत्री जी के क़रीबी लोगो और रिश्तेदारों को दे दी गयी थीं.

शुक्रवार, 31 मई 2013

सांग सिंह प्रबल दावेदार पर साले मोहम्मद से पैक्ट की चर्चाएँ पड़ सकती हें भारी



जैसलमेर की ताज़ा राजनीती पर ख़ास रिपोर्ट जैसलमेर किस करवट बदलेगी राजनीती


सांग सिंह प्रबल दावेदार पर साले मोहम्मद से पैक्ट की चर्चाएँ पड़ सकती हें भारी



चन्दन सिंह भाटी


जैसलमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसे राजस्थान के अंतिम जिले जैसलमेर में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर स्थानीय नेताओं की जोर आश्माऎस शुरू हो गयी .जिले में दप विधानसभा सीटें जैसलमेर और पोकरण हें ,जन्हा वर्त्तमान में जैसलमेर सीट भाजपा और कांग्रेस के पास पोकरण हें .वर्त्तमान भाजपा विधायक छोटू सिंह भाटी का कार्यकाल कोई नहीं रहा .राजनितिक नासमझ के कारण कई मौको पर छोटू सिंह जनता के बीच अपनी छवि नहीं बना पाए वाही छोटू सिंह द्वारा वर्त्तमान कांग्रेस सरकार का हर कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करने से भाजपा के आला नेता भी उनसे नाराज़ हें ,बताया जा रहा हें की कांग्रेस के हर कार्यक्रम में शरीक होकर छोटू सिंह गुणगान करते नज़र आने से भाजपा कार्यकर्ता खफा हें ,विकास के नाम पर भी छोटू सिंह कुछ भी नहीं कर पाए .विधायक कोटे का भी उपयोग नहीं कर पाए ,वर्तमान विधायक भाजपा प्रदेश अध्यक्षा वसुंधरा राजे की टीम से मेल नहीं खाते उन पर गाज गिर सकती हें ,भाजपा के पास दावेदारों में पूर्व विधायक सांग सिंह ,रेणुका भाटी ,मनोहर सिंह अडबाला ,रणवीर सिंह सोढा शामिल हें ,सांग सिंह ने गत पांच सालो में अपनी छवि जन नेता की बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी .जनता हो या किसान या छात्र हर आन्दोलन में साथ खड़े नज़र आये वही जन हित मुद्दों की पैरवी ,कांग्रेस नेताओं ,मंत्रियों का घेराव करने में भी अग्रणी ,रहे सांग सिंह जैसलमेर से सशक्त दावेदार हें मगर दो मर्चों पर वो भी कमज़ोर साबित हो रहे हें छोटू सिंह पर राजनितिक आरोप हें की उन्होंने अल्पसंख्यक नेता और पोकरण विधायक साले मोहम्मद से पेक्ट कर रखा हें की वो पोकरण में उनकी मदद करेंगे साले मोहम्मद जैसलमेर में मुसलमानों के वोट दिला कर मदद करे।इसी पेस्ट की शिकायत वसुंधरा राजे तक भाजपा के स्थानीय नेताओ ने की हें ,सांग सिंह पर कथित सी डी प्रकरण में शामिल होने की चर्चे हें ,इस सी डी को राज्य के एक चेनल ने चलाया था जिसके चलते उनकी टिकट कटी थी , इस बार सांग सिंह को टिकट मिली तो काफी भरी उम्मीदवार साबित होंगे अलबता एनी उम्मीदवारों में मनोहर सिंह अडबाला की साफ़ छवि और युवा होने के कारन उन्हें प्राथमिकता मिले तो कोई आश्चर्य नहीं सांग सिंह अगर फ़क़ीर परिवार के साथ किये कथित पेक्ट को छोड़ते हें तो भाजपा को पोकरण में भी सफलता मिल सकती हें ,कांग्रेस के पास भी जैसक्मेर में दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त हें ,उम्मेद सिंह तंवर ,सुनीता भाटी ,सभापति अशोक सिंह तंवर ,गोवर्धन कल्ला ,दिनेश पाल सिंह ,जनक सिंह सत्तो ,देव्कारम माली ,इनमे उम्मेद सिंह तंवर और सुनीता भाटी सशक्त दावेदार हें ,अशोक गहलोत से नज़दीकियों का फायदा उम्मेद सिंह तंवर को मिले तो कोई आश्चर्य नहीं ,पोकरण में कांग्रेस के पास एक मात्र उम्मीदवार साले मोहम्मद हें वहीं भाजपा की और से गत चुनावों में बहुत कम अंतर से हरे शैतान सिंह ,पूर्व शिव विधायक जालम सिंह रावलोत ,मुराद अली मेहर के साथ साथ पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह नाम भी चर्चा में हें ,शैतान सिंह को भाजपा एक और मौका दे सकती हें क्योंकि गत चुनावों में एक बारगी शैतान सिंह की जीत तय हो गयी थी मगर पोस्टल मतों में गणित बिगाड़ दिया लगभग पांच सौ मतों से चुनाव हार गए थे .भाजपा को पोकरण सीट निकलने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे क्योंकि वर्तमान विधायक साले मोहम्मद ने अपने कार्यकाल में हर वर्ग के लोगो का काम किया हें ,अलबता पोकरण और जैसलमेर प्रशासन में साले मोहम्मद समर्थको का दबदबा अन्य समाज के लोगो को पसंद नहीं आ रहा ,साले मोहम्मद के समर्थको का जिला प्रशासन में इस कदर आंतक हें की कोई अधिकारी इनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते ,हर किसी के पास साले मोहम्मद जैसा पॉवर होना साले मोहम्मद के खिलाफ जा सकता हें .फ़क़ीर परिवार की बादशाहत को ग्रान लग चुका हें ,गाजी फ़क़ीर के नेपथ्य में जाने से और अल्पसंख्यक समुदाय में गाजी फ़क़ीर के विरोध के कारण कई मुस्लिम नेता उनके खिलाफ हो गए वर्तमान में जैसलमेर की राजनीती में भाजपा कांग्रेस के पास एक एक सीट जीतने का मौका हें मगर जो चुनाव में पूर्ण राजनितिक कूटनीति और रन निति से लडेगा उसे सफलता मिल सकती हें ,पिछली बार बागियों ने दोनों दलों का खेल बिगाड़ दिया था ,छोटू सिंह को शहरी मतदाताओ के अतिरिक्त समर्थन के कारन सफलता मिल गयी थी .--

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र .......भाजपा कांग्रेस में उमीदवारो की फौज

उम्मेद सिंह तंवर

मनोहर सिंह अडबाला

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र .......भाजपा कांग्रेस में उमीदवारो की फौज


जितने कार्यकर्ता उतने ही दावेदार 

कांग्रेस उम्मेद सिंह पर खेल सकती हें दाव



नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में स्थानीय नेता अभी से जुट गए हें ,कांग्रेस इस सीट को हासिल करने के लिए नए उम्मीदवार पर डाव खेलेगी तो भाजपा अपने वर्तमान विधायक की गतिविधियों और कामकाज से ज्यादा भरोसा उन पर नहीं कर रही .गत विधानसभा चुनावों में भाजपा के छोटू सिंह बहती ने कम अंतर से यह सीट निकाली थी ,कांग्रेस को उनके बागी उम्मीदवारों ने जोर का झटका दिया था .पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला की निर्दलीय उम्मीदवारी ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया था ,कांग्रेस के उम्मीदवार सुनीता बहती और भाजपा के छोटू सिंह के बीच के इस मुकाबले को किशन सिंह बहती और गोवर्धन कल्ला ने चतुश्कोनिय बना कर दिलचस्प कर दिया था अंततः यह सीट भाजपा की झोली में गई ,भाजपा विधायक छोटू सिंह बहती अपने कार्यकाल में कोई ख़ास उपलब्धि हासिल करने में नाकाम रहे ,वही भाजपा के कार्यकर्ताओ का भी विशवास प्राप्त नहीं कर पाए जिसका नतीजा हें की जिला परिषद् सदस्य मनोहर सिंह भाटी अडबाला भाजपा की और से सशक्त दावेदार के रूप में उभर कर सामने आये हें ,उनकी राजपूत समाज के अलावा एनी समाजो में गहरी पथ हें ,युवा भी हें ,काफी लोकप्रिय हें जिसके कारण उनकी सशक्त उम्मीदवारी को नहीं जा सकता वैसे पूर्व विधायक सांग सिंह भी दावेदारी में हें मगर भाजपा उनके दामन में लगे सी दी काण्ड के दाग के कारन उनकी अनदेखी करे तो कोई आश्चर्य नहीं .इधर कांग्रेस ने भी अपनी सत्ता होने के मौके को सही तरीके से भुना नहीं पाई ,जैसलमेर शहर में नगर पारिषद के सभापति अशोक सिंह तंवर और यु आई टी अध्यक्ष उम्मेद िंह तंवर को अवसर देकर हजूरी समाज को लुभाने का प्रयास किया .मगर कांग्रेस को इसमे ज्यादा सफलता मिलेगी इसमे संदेह हें ,पोकरण विधायक साले मोहम्मद का जैसलमेर क्षेत्र में जबरदस्त हस्तक्षेप के कारण मुस्लिम जैसलमेर में एनी कांग्रेसी कार्यकर्ताओ पर हावी रहे जिसकी शिकायक इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को वरिष्ठ कार्यकर्ताओ ने की थी जिसके चलते साले मोहम्मद के पर भी कतरे गए मगर जैसलमेर में अल्पसंख्यको के बढ़ाते प्रभाव के कारन एनी समाजो का कांग्रेस से मोह भंग हुआ इसमे कोई दो राय नहीं .भाजपा इस मौके को भुनाना चाहेगी .जैसलमेर से भाजपा और कांग्रेस की तरफ से राजपूत उम्मीदवारों के बीच उम्मेद सिंह तंवर बन कर , हें कांग्रेस नहीं कर क्योकि तंवर गहलोत के नजदीक होने के साथ ही कांग्रेस संघठन में गहरी पेठ रखते हें ,नगर परिषद् के सभापति अशोक तंवर को एक विधायक के तौर पर कार्य करने का भरपूर अवसर था मगर वो इस अवसर को भुना नहीं पाए .जैसलमेर राज परिवार की राजनीती में घटती दिलचस्पी के कारन एनी लोगो को अवसर मिलेंगे .भाजपा के पास रणवीर सिंह खुहडी ,मनोहर सिंह अडबाला ,सांग सिंह भाटी ,स्वरुप सिंह हमीर जैसे दावेदार हें तो कांब्ग्रेस के पास सुनीता बहती ,उम्मेद सिंह तंवर ,अशोक सिंह तंवर ,जनक सिंह भाटी ,गोवर्धन कल्ला जैसे दावेदार हें ,