यह हें कांग्रेस कि मारवाड़ में बड़ी हार के कारन
जाट राजपूतो के साथ नाइंसाफी मारवाड़ में अशोक गहलोत ने जाट राजपूतो के साथ नाइंसाफी कि ,राजपूतो को मात्र दो टिकट दिए तो जाट समाज को कांग्रेस से तोड़ने कि रणनीति पर कम किया ,जिससे राजपूत समाज गहलोत के खिलाफ लामबंद हो गया तो जाट समाज ने गहलोत के जाट विरोधी रवैये के कारन कांग्रेस से किनारा कर लिया लिहाजा गहलोत कांग्रेस मारवाड़ में एक भी जाट राजपूत को जीता नहीं पाई मात्र तीन सीटे मिली। गहलोत ने दिग्गज जाट नेता हेमाराम चौधरी और कर्नल सोनाराम चौधरी से पंगा ले लिया था। कर्नल वैसे ही उनके खिलाफ थे , हेमाराम को उनकी इच्छानुसार टिकट नहीं दी जिससे उनकी नाराजगी बढ़ी।
रिफायनरी पर कोरी राजनीती। । अशोक गहलोत जिस रिफायनरी को अपनी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट बता कर आनन् फानन में सोनिए गण्डशी से शिलान्यास करवाया ,पुरे विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने प्रचार में रिफायनरी के मुद्दे को दूर रखा ,रिफायनरी महज चुनावी स्टंट बन कर रह गया।
इससे पहले 1977 में कांग्रेस को 41 सीटें मिली थी। अशोक गहलोत का कहना है कि वसुंधरा राजे ने झूठा प्रचार किया और अफवाहें फैलाई। इसकी वजह से उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन हार की कई अन्य वजहें भी हैं।
ऎसा नहीं है कि अशोक गहलोत सरकार ने अच्छा काम नहीं किया। मुफ्त दवा, मुफ्त जांच, जननी सुरक्षा सहित कई अन्य योजनाओं से आम जनता को बहुत फायदा हुआ लेकिन पार्टी सत्ता विरोधी लहर को भांपने में नाकाम रही।
वे कारण जो कांग्रेस की हार की वजह बने
1. बढ़ती महंगाई के कारण लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने इस गुस्से को हवा दी।
2. एंटी मीणा(जाति)सेंटिमेंट:जातियों के अंदर अंडरकरंट था कि अगर किरोड़ी लाल मीणा की पार्टी राजपा जीत गई तो वह सरकार को बंधक बनाकर रखेगी। मीणा वोटरों ने करौली,दौसा,सवाई माधोपुर,भरतपुर और अलवर में राजपा को खूब वोट दिए। पार्टी ने पांच सीटें भी जीती लेकिन अन्य जातियां भाजपा के पक्ष में हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि किरोड़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर से चुनाव हार गए। उनकी पत्नी गोलमा देवी भी महुवा से चुनाव हार गई।
3. गहलोत सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का समर्थन किया। समता आंदोलन और मिशन 72 ने इसका विरोध किया था। गहलोत सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। इससे अगड़ी जातियों में यह संदेश गया कि गहलोत अगड़ी जातियों के विरोधी हैं। ऎसे में वे भाजपा के पक्ष में एकजुट हो गई।
4. अल्पसंख्यक विरोधी सेंटिमेंट:गोपालगढ़ में दंगों के बाद कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत की जमकर खिंचाई की। गहलोत सरकार पर आरोप लगा कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहे। बजट में भी गहलोत ने अल्पसंख्यकों को बड़ी सौगातें दी। बहुसंख्यक समुदाय ने इस पर रिएक्ट किया।
5. साढ़े चार साल तक गहलोत सरकार ने बड़ी घोषणाएं नहीं की। चुनाव नजदीक आने पर पिछले छह महीने में गहलोत सरकार ने मुफ्त में लैपटॉप, टैबलेट, साडियां, ब्लैंकेट, साइकिलें और दवाइयां बांटनी शुरू की। इस पर भाजपा ने लोगों तक यह संदेश पहुंचाया कि कांग्रेस वोटों को खरीदने की कोशिश कर रही है।
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