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सोमवार, 7 नवंबर 2016

बाड़मेर। महिला महाविद्यालय में बवाल, छात्राओं ने ताला जड़ा


बाड़मेर। महिला महाविद्यालय में बवाल, छात्राओं ने ताला जड़ा


बाड़मेर। शहर स्थित राजकीय कन्या महाविद्यालय के दो प्रोफेसर के तबादले से नाराज छात्राओं ने सोमवार सुबह जमकर हंगामा मचाया। महाविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष मूली चौधरी और उनके छात्र मोर्चा के बैनर तले छात्राओं ने पहले कॉलेज प्रशासन के आगे विरोध जताया। यहां उनकी सुनवाई नहीं होने के चलते छात्राओं का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कॉलेज के गेट पर ताला जडक़र नारेबाजी करना शुरू कर दिया। मामला बढ़ते देख कॉलेज प्रशासन की ओर से पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस के साथ छात्राओं की नोक-झोंक हुई। इस बीच कॉलेज के सामने रोड जाम होने से राहगीरों को भारी दिक्कत हुई। छात्राओं द्वारा कॉलेज गेट पर ताला लगाने से कॉलेज के प्रोफेसर कई घंटों तक कॉलेज में बंद रहे।

बाड़मेर। ये पाँच बेटिया जो है बॉल बैटमिंटन के दंगल की सुल्तान

बाड़मेर। ये पाँच बेटिया जो है बॉल बैटमिंटन के दंगल की सुल्तान 


बाड़मेर। आदर्श स्टेडियम में चल रहे बॉल बैटमिंटन के राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में 400 खिलाड़ी सिरमौर बनने के लिए अपना हुनर दिखा रहे है, लेकिन इन सबके बीच 5 खिलाडी सभी से जुदा है । यह 5 वह बेटियां है जो बॉल बैटमिंटन के दंगल की सुल्तान कहि जाती है। अब तक कई मर्तबा राजस्थान का नाम राष्ट्रिय स्तर पर कर चुकी यह खिलाड़ी अगले कोमन्थवेल खेल में अपना दावा करने जा रही है। जयपुर की खुशबू यादव तीन मर्तबा राष्ट्रिय स्तर पर खेल चुकी है। वेस्ट जॉन में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुकी खुशबू अब कोमन्थवेल में अपना दावा करने जा रही है। खुशबू के मुताबित इस खेल के जितने खिलाडी कम है उतने ही कम मैदान है। कई इलाके आज भी ऐसे है जिन्हें इस खेल का नाम तक नहीं पता ऐसे में खुद प्रदर्शन को बरकरार रखने के साथ साथ इस खेल को लोगों की पसन्द बनाना भी बड़ी चुनोती है। अजमेर की यामिनी मालावत 2015 में पटना में अपने खेल का जौहर दिखा चुकी है तो जयपुर की कल्पना यादव 2013 में हैदराबाद,2015 में तेलंगाना में राष्ट्रीय स्तर प्रतियोगिता में खेल चुकी है
Sultan of Cirque ball badminton - News in Hindi
आम तौर पर प्रचलन और लाइम लाइट से दूर बॉल बैटमिंटन का इतिहास भले ही बेहद पुराना है लेकिन आज भी इसके खिलाडिय़ों की तादात बेहद कम है ऐसे में इन बेटियों का अब तक का शानदार प्रदर्शन इस और साफ इशारा करता है की वह वक्त दूर नहीं जब राजस्थान के अलग अलग जिलों से ताल्लुक रखने वाली यह बेटियां देश का नाम सात समंदर पार करती नजर आएगी।
6 अर्जुन एवॉर्ड, फिर भी चर्चा से दूर
बॉल बैटमिंटन का खेल दुनिया की चकाचोंध से कोसो दूर है जबकि खेल की दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कार अर्जुन एवॉर्ड से इस खेल के 6 खिलाड़ी नवाजे जा चुके है। भारत में जन्मे इस खेल ने ना केवल विदेशो में अपनी धाक जमाई है साथ ही यह खेल ओलम्पिक संघ की तरफ से रजिस्टर्ड भी है बावजूद इसके आज भी इस खेल के आयोजन के लिए प्रायजको का टोटा रहता है।

बाड़मेर। तो इसलिए बोलते-बोलते रो पड़ीं कांग्रेस की कद्दावर नेता

बाड़मेर। तो इसलिए बोलते-बोलते रो पड़ीं कांग्रेस की कद्दावर नेता


बाड़मेर। कांग्रेस राज्य इकाई की सचिव और पूर्व प्रधान शमां खान एक आयोजन में खुद के आंसू रोक नहीं पाईं। यहां आयोजित एक कार्यक्रम में उद्बोधन के लिए वह मंच पर आईं, माइक संभाला लेकिन, काफी देर तक कुछ बोल नहीं पाईं। उनके शब्दों से ज्यादा उनके भरे गले ने हर किसी का ध्यान खींच लिया। दरअसल, यह आयोजन सात बार विधायक रहे मरहूम अब्दुल हादी की पुण्यतिथि पर किया गया था। हादी शमां खान के ससुर थे। जानकारी के मुताबित हादी की छठी पुण्यतिथि पर सैंकड़ों लोग यहां इकट्ठा हुए। कई बड़े नेताओं ने उनके बारे में विचार व्यक्त किए। जब हादी की पुत्रवधु और पीसीसी सचिव शमां खान ने विचार रखने के लिए माइक हाथ में लिया तो, उनकी आखों में आंसू आ गए। जिसकी वजह से वे कुछ भी बोल नही पाईं। यह देखकर वहां बैठे लोगों की आंखें भी भर आईं। लोगों के पुन: आग्रह करने पर शमा खान ने हिम्मत दिखाते हुए शानदार विचार रखे। जिस पर सभी ने तालियां बजा कर कहा कि हर किसी को शमा खान सरीखी बेटी मिले।

रविवार, 12 अक्तूबर 2014

exclusive बाड़मेर केयर्न में अरबो रुपयो के तेल की चोरी टेंकर ठेकेदारो द्वारा,बाड़मेर में ही स्थापित हे तेल सोधक ,चोरी के तेल को खुले आम बेच रहे

exclusive बाड़मेर केयर्न में  अरबो रुपयो के तेल की चोरी टेंकर ठेकेदारो द्वारा,बाड़मेर में ही स्थापित हे तेल सोधक ,चोरी के तेल को खुले आम बेच रहे




बाड़मेर रेगिस्तानी धरा में तेल खोजने में कामयाब रही केयर्न इंडिया को उनके ही ठेकेदार अब तक अरबो रुपयो का चुना लगा चुके हे मगर केयर्न को इसकी भनक तक नहीं ,तेल चोरी के के इस  बाड़मेर जिले के कई सफ़ेद पॉश शामिल हे मजे की बात हे यह सबी सफेदपोश केयर्न इंडिया के अधिकृत ठेकेदार हे ,


इन सफेदपोशो का दुःसाहस ही हे की चोरी के तेल को साफ़ करने के लिए तेज शोधक का मिनी प्लांट बाड़मेर मुख्यालय पर ही स्थापित कर दिया जिसमे क्रूड आयल को साफ़ कर खुले बाज़ार में सस्ते दामो में बेचा जा रहा हैं

बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक ने पुरे घटना क्रम को बारीकी से देखने के बाद इसका खुलासा करने का निर्णय लिया


कैसे होता हे क्रूड आयल

बाड़मेर के एम पी टी नागाणा में केयर्न का सबसे बड़ा तेल कुआ मंगला स्थापित हे ,इसी कुए से गुजरात के  सलाया तक  लाइन के जरिये तेल शोधक कारखाने पहुँचाने का काम होता हैं ,

केयर्न के अन्य तेल कुए भाडखा ,नगर ,गुड़ा ,आडेल आदि स्थानो पर हे ,इन कुओ का तेल टेंकरों के जरिये मंगला तक पहुँचाया जाता हैं ,टेंकर उपलब्ध करने का ठेका गुजरात के गांधीधाम के अग्रवाल इस रोडलिने और बाड़मेर के इन आर रोडलिने को दे रखा ,यह ठेकेदार केयर्न को टेंकर उपलब्ध करते हैं।


क्रूड तेल की चोरी का खेल

बाड़मेर के विभिन स्थानो पर स्थित केयर्न के तेल कुओ से तेल टेंकर प्रतिदिन भरे जाते हैं करीब सौ से डेढ़ सौ  भरे जाते हैंजिसमे केयर्न के भाडखा के समीप स्थित भाग्यम आयल फील्ड से करीब अस्सी टेंकर प्रतिदिन भरे जाते हे जिन्हे मंगला नागाणा एम पी टी में खली करना होता हैं। वाही गुड़ा नगर क्षेत्र से भी सरस्वती रागेश्वरी सहित अन्य कुओं से भी इतने ही टेंकर भरे जाते हैं ,टेंकरों की उपलब्धता का काम गांधीधान गुजरात की ट्रांसपोर्ट अग्गरवाल स रोडलिने और दूसरी बाड़मेर के लोकल फर्म को दे रखा हैं। 

भाग्यमसे भरे  टेंकर भाडखा भीमड़ा रोड पर तेल के बड़े बड़े तीन स्टोरेज चोरी से बनाये हुए जिन्हे बाड़मेर के एक व्यापारी द्वारा दो स्टोरेज औए एक स्टोरेज गुजरात के एक  संचालित किया जा रहा हैं। 

इन व्यापारियों की केयर्न के मंगला आयल फील्ड के अधिकारी वर्ग से पूरी तरह सांठ गाँठ कर प्रति टेंकर बीस हज़ार लीटर क्रूड आयल में से करीब पन्द्र हज़ार लीटर क्रूड आयल इन निजी स्टोरेज में खली होता हैं ,इन्हे प्रति टेंकर ढाई से तीन लाख रुपये देने की पुख्ता जानकारी मिली ,इसी तर गुड़ा नगर से आने वाले टेंकर बाड़मेर धोरीमन्ना हाई रोड पर स्थित खेत सिंह की प्याऊ के आस पास बने निजी तेल स्टोरेज में खाली होते हैं 
यह तेल स्टोरेज भी बाड़मेर के ही एक व्यापारी का हैं ,

करोडो के तेल की चोरी प्रतिदिन 

केयर्न की साइट से रात को करीब आठ बजे टेंकर भर कर  निजी स्टोरेज में करीब रात दस बजे के बाद खाली होते हैं यह गोरख धंधा रात भर चलता हैं ताकि किसी को भनक ना लगे ,सुबह तीन चार बजे तक यहाँ केयर्न के टेंकर खाली होते हैं ,इन टेंकरों के चालकों को इसके लिए अतिरिक्त पैसा मिलता हे जो प्रति टेंकर पांच से दस हज़ार रुपये होता हैं ,एक दिन में चारो स्थानो पर करीब डेढ़ सौ टेंकरों से तेल चोरी किया जाता हैं 

तेल रिफाइन के लिए मिनी प्लांट की स्थापना 

बाड़मेर के व्यापारी द्वारा चोरी के तेल खरीदे जाने के बाद उसे बाड़मेर में रिफाइन करने के लिए रिफाइन का मिनी प्लांट स्थापित किया हैं ,यह प्लांट बाड़मेर डिगडा रोड पर होना बताया जा रहा हैं ,इस प्लांट में तेल साफ होता था बाद में इसे बाज़ार की डॉ से काम कीमत में फैक्टरियों और क्रेसरो सहित कई स्थानो पर आपूर्ति की जाती थी। 

बेखबर केयर्न 

इस तेल के खेल की भनक केयर्न को नहीं थीइस क्रूड आयल चोरी से बेखबर केयर्न निश्चिन्त थी की उनकी कंपनी के सबसे ईमानदार व्यक्ति की देख रेख में तेल आपूर्ति का काम हो रहा था ,मगर ईमानदारी की आड़ में प्रतिदिन करोडो रुपयो के क्रूड आयल की हेरा फेरी की जा रही थी 

केयर्न  घटना से हतप्रभ जांच शुरू 

केयर्न को जब इस गोरख धंधे की जानकारी मिली तो सहसा उन्हें विश्वास नहीं हुआ मगर प्रारंभिक जांच में ही इस क्रूड तेल चोरी का मामला बड़े  सामने आना शुरू हुआ तो कंपनी नेस्थनीय पुलिस के साथ मिल कर पुरे मामले की तह तक पहुँचने का प्रयास कर रही हैं 

टेंकर पक्से जाने के बाद तेल चोरी फिलहाल रोकी 


गत दिनों सिणधरी पुलिस ने करीब पेंशथ हज़ार लीटर क्रूड आयल से भरे टेंकर पकडे ,यह वाकया लगभग एक  हुआ ,इस टेंकर के पकडे जाने के बाद क्रूड चोरी में जुटे व्यापारियों ने मामला ठंडा होने तक तेल चोरी का काम रोक दिया। वाही नगर क्षेत्र में बीच रस्ते में टेंकर खाली करे जाने की पुख्ता जानकारी मिली हैं 

केयर्न का बयान 

केयर्न के डी जी एम कॉर्पोरेट कम्मुनिकेशन अयोध्या प्रसाद गौड़ ने बताया की इस मामले की जानकारी मिली हे पुलिस के साथ मिल कर हम पुरे मामले की तह तक पहुँचने का प्रयास कर रहे हैं ,इसमे दोषी पाये जाने वालो के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। 



रविवार, 14 सितंबर 2014

राजस्थान में सरहद पर सफी खान सम्मा अपना स्कूल पुलिस थाना,जंहा पर खाकी वाले मास्टर जी




राजस्थान में सरहद पर सफी खान सम्मा अपना स्कूल पुलिस थाना,जंहा पर खाकी वाले मास्टर जी


राजस्थान के बाड़मेर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे रामसर कस्बे की पहचान मांगनियार समुदाय के उन गायकों के कारन विश्व-स्तरीय है जिनके लिए यह अतिशयोक्ति सत्य प्रतीत होती है की मांगनियार बच्चे जन्म से ही अच्छे गायक होते हैं और उनका पहला रुदन भी सुरीले गायन की तरह होता है. यहाँ एक पुलिस अधिकारी दवारा कुछ वर्ष पूर्व की गई अनूठी पहल ने रामसर पुलिस थाने को भी ‘सुरीला’ बना दिया है. इस थाने में हथकड़ी की गूँज और बेल्ट की फट कार की जगह ‘अनार’ –आम’ का सुरीला गाना गूँज रहा है. और यंहा के पुलिस वाले मास्टर जी की भूमिका निभा रहे है थाने के नाम से जहां बड़ों-बड़ों को पसीना आ जाता है, वहीं बाड़मेर जिले के रामसर इलाके के थाने में लगभग 150 से २०० बच्चे बड़े मजे से यंहा पर शिक्षा ले रहे है । दर असल 2006 में बाड़मेर में भयंकर बाढ़ आई थी और यहां के स्कूलों में बारिश का पानी भर गया था. तब रामसर के पूर्व थाना प्रभारी सुरेंद्र कुमार ने इस थाने का चार्ज संभाला तो छोटे से कस्बे का दौरा करते हुए उन्होंने देखा की गाँव में बहुत से बच्चे स्कूल जाने के बजाय इधर उधर भटक रहे हैं इसको देखते हुए उन्होंने थाना भवन में ही स्कूल लगाना शुरू कर दिया और पुलिस के जवानो को इन बच्चो को पढ़ाने के लिए मास्टरजी बना दिया और इस अनोखे स्कूल का नाम दिया गया, अपना स्कूल पुलिस थाना 20 बच्चों के साथ शुरू किए गए इस अनोखे स्कूल में आज 150 से 200 बच्चे पढ़ रहे हैं पुलिसकर्मी कानून-व्यवस्था संभालने के साथ-साथ शिक्षक की दोहरी भूमिका भी निभा रहे हैं. पुलिसकर्मियों के अलावा स्कूल में दो टीचर भी हैं, जिन्हें सामाजिक कार्यकर्ता सफी खान समा ने यहां तैनात किया है. टीचरों का वेतन पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ता सफी खान समा दोनों चंदा करके इकट्ठा करते हैं रामसर थाना अधिकारी सहदेव कहते हैं,की सामाजिक कार्यकर्ता सफी खान समा की मदद के चलते स्कूल के संचालन में कोई दिक्कत नहीं आती. लगभग पूरा खर्चा वे ही उठाते हैं. जबकि बच्चों की छोटी-मोटी जरूरतें थाने की ओर से पूरी कर दी जाती हैं



शायद देश में यह इकलौता ऐसा अनूठा थाना होगा जहां एक ओर अपराधी हैं तो दूसरी ओर नन्हे बच्चे. यह थाना निश्चित ही देशभर में मिसाल कायम कर रहा है. अच्छी बात यह है कि स्कूल शुरू होने के बाद से अब तक थाने के कई प्रभारी बदल चुके हैं लेकिन शिक्षा का उजियारा फैलाती इस अलख को किसी ने भी बुझने नहीं दिया है.

शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेरा फेरी भाग चार,मलाईदार पोस्टो पर कमाऊपूतो की प्रतिनियुक्तियां


बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग हेरा फेरी भाग चार

मलाईदार पोस्टो पर कमाऊपूतो की प्रतिनियुक्तियां ,सरकार के आदेश के बाद भी जमे हे


बाड़मेर जिले के स्वास्थ्य विभाग के कुँए में भरषटाचार की पड़ी भांग के मज़े हर कोई ले रहा हैं ,विभाग के अधिकारी और कार्मिक विभाग में उन सभी पदो पर अपने व्यक्ति प्रतिनियुक्ति पर लगा रखे हैं जिन शाखाओ में सर्वाधिक बजट आता हैं ,अधिकारियो ने मलाईदार पदो पर कमाऊपूतो को प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा हैं ताकि उनका अपना हिसा मंथली के रूप में नियमित मिलता रहे ,चूँकि प्रतिनियुक्ति पर लगे अधिकांस कार्मिक अधिकरियों के चहेते कार्मिक लगे हुए हे जिनका पदस्थापन ग्रामीण क्षेत्रो में हैं।


सूत्रानुसार स्वास्थ्य विभाग में अधिकारियो ने अपने चहेते लोगो को पद के विरुद्ध प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा हैं ,प्रतिनियुक्ति पर लगे करीब तरह कार्मिको के पास मलाईदार शाखाओ का प्रभारी बनाया हुआ हैं ,जबकि राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर विभाग में समस्त प्रकार की प्रतिनियुक्ति तत्काल समाप्त करने के आदेश जारी किये थे मगर राज्य सरकार के आदेशो को ठेंगा दिखाते हुए अधिकारियो ने एक भी कार्मिक को उसके मूल पदस्थापना स्थल पर नहीं भेजा ,विभागीय सूत्रों ने बताया राज्य सरकार द्वारा समय समय पर प्रतिनियुक्ति की सूचनाऍ मांगी जाती हे जिसमे विभाग द्वारा निल शून्य की रिपोर्ट भेजी जा रही हैं ,


चूँकि विभाग के कार्मिक सरकारी जंवाई होने के साथ ठेकेदारी का फर्ज भी निभा रहे हैं इसी के चलते अधिकारी अपने चहेते कमाऊपूतों को हटाना नहीं चाहते ,अंधेरगर्दी के आलम में स्वास्थ्य की ग्रामीण सेवाए बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं ,कर स्वास्थ्य केन्द्रो पर इन प्रतिनियुक्तियो के कारन ताले लगे हे ,इसके बावजूद प्रतिनियुक्ति ख़त्म नहीं की जा रही। विभाग द्वारा आदेश क्रमांक संस्था /अराज /12 /11977 के तहत प्रतिनियुक्ति पर लगे चौदह कार्मिको की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने के आदेश जारी किये थे मगर इनमे से कोई कार्यमुक्त नहीं हुआ ,ये लोग आज भी यथावत प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर , तरह आर सी एच ओ और परिवार कल्याण विभाग में भी बड़ी संख्या में प्रतिनियुक्ति कर राखी हैं ,आश्चर्यजनक के की विभाग ने राज्य सरकार को यह लिख भेजा की विभाग में कोई प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत नहीं हैं ,जबकि विभाग में आज भी प्रतिनियुक्ति पर कार्मिक काम कर रहे हैं। सूत्रानुसार प्रतिनियुक्ति पर वर्षो से जमे कार्मिक अपने मूल पद स्थापन स्थान पात्र नहीं जा रहे। ग्रामीण अंचलो के स्वास्थ्य और उप स्वास्थ्य केन्द्रो पर इन कार्मिक की प्रतिनियुक्ति के कारन मूल कार्य बाधित हो रहा हैं ,

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग में हेराफेरी भाग तीन,आशा सहयोगिनी प्रशिक्षण विभागीय कर्मचारी के घर तीन सालो से हो रही संचालित

बाड़मेर स्वास्थ्य विभाग में हेराफेरी भाग तीन

आशा सहयोगिनी प्रशिक्षण विभागीय कर्मचारी के घर तीन सालो से हो रही संचालित

प्रशिक्षण के नाम होती हे खाना पूर्ति ,लाखो के बजट की बंदरबांट


बाड़मेर बाड़मेर का मुख्य चिकित्सा  विभाग भरष्टाचार की आकंठ में पूरी तरह डूबा हे ,विभाग में संचालित हर योजना को विभागीय कार्मिक ही सांठ गाँठ कर अपने व्यक्तियों को निविदाए दिलाते हे फिर सरकारी बजट की अधिकारियो से लेकर कार्मिको और संथाओ के बीच बंदरबांट हो रही हैं , बन्दर बाँट का यह खेल पिछले तीन सालो से खुले आम चल रहा हैं। एक मर्तबा बाड़मेर उप खंड अधिकारी द्वारा मामले की जाँच भी की गयी मगर जाँच रिपोर्ट को दबा दिया गया ,

जानकारी के अनुसार बाड़मेर जिले में नियुक्त आशा सहयोगिनियों को दक्ष प्रशिक्षकों द्वारा खंड स्तर पर प्रशिक्षण देने  प्रावधान हैं प्रतिवर्ष जिले में नियुक्त आशा सहयोगिनियों को प्रशिक्षण देने के लिए आवासीय शिविर खंड स्तर पर आयोजित होने होते हैं ,मगर  तीन सालो से आवासीय शिविर विभाग के एक कार्मिक के स्वयं के माकन बलदेव नगर में आयोजित किये जा रहे हैं ,विभागीय अधिकारियो को इसकी जानकारी होते हुए भी इसे अनदेखा कर रहे हैं क्यूंकि इस बन्दर बाँट में उनका भी हिस्सा होता हैं।  अनुसार प्रशिक्षण का आयोजन खंड चिकित्सा अधिकारी को आयोजित करणा होता हैं। मगर विभाग के कार्मिक और अधिकारियो के दबाव के चलते यह प्रशिक्षण विभाग के भोजन सप्लायर और आवास निविदा करता जो एक ही संस्था हे के द्वारा जिला मुख्यालय पर आयोजित किया जाता हैं। यह मक़ाम विभाग के कार्मिक जिसकी पोस्टिंग पचपदरा हे मगर कई सालो से प्रतिनियुक्ति पर जिला मुख्यालय विभाग में नियुक्त हे और  समदस्थ कार्यभार इनके पास हे के माकन में चलता हैं। जिसका प्रतिदिन का किराया लगभग दो से तीन हज़ार रुपये वसूला जाता हैं।

 विोभागीय सूत्रों की की माने तो प्रशिक्षण महज खाना पूर्ति के लिए आयोजित होता हे ,इस अवष्य प्रशिक्षण में किसी आशा सहयोगिनी का ठहराव नहीं होता सात दिवसीय इन प्रशिक्षणों में शिविर के शुरुआत और समापन में उन्हें बुलाया जाता हैं। बन्दर बाँट का यह खेल लम्बे अरसे से उच्च पदस्थ अधिकारियो की शाह पर चल रहा हैं। जिसके चलते इस वर्ष आवास तथा भोजन के लिए विभागीय स्तर पर हुई निविदाएं इस कार्मिक और संस्था को फायदा देने के लिए निरस्त कर दी गयी ताकि इस संस्था के नाम नई  निविदाए जारी होने तक कार्य जारी रखने का आदेश हो सके इस वर्ष  जुलाई में आयोजित निविदाए कार्मिक और अधिकारियो  से निरस्त कर इस संस्था को कार्य जारी रखने का आदेश जारी किया ,आदेश जारी होने के दस दिन के भीतर आशा सहयोगिनियों का अवष्य प्रशिक्षण इसी कार्मिक के माकन में शुरू कर दिया। जबकि नई निविदा होने तक अधिकारियो ने इंतज़ार करना मुनासिब नहीं समझ।

आठ ब्लॉक के प्रशिक्षण एक ही स्थान जिला मुख्यालय क्यों आयोजित किये जा रहे हैं। एक आवासीय मकान में पेंतालिस से पेंसठ आशा सहयोगिनी किस प्रकार रहती होगी यह विभागीय अधिकारी ही  हैं  

बुधवार, 10 सितंबर 2014

बाड़मेर एन आर एच एम में हेराफेरी भाग 2 .करोडो का काम एक कॉल पर क्यों दिया आखिर ?

बाड़मेर एनआरएचएम में हेराफेरी भाग 2 .करोडो का काम एक कॉल पर क्यों दिया आखिर ?


बाड़मेर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बाड़मेर भरष्टाचार का अड्डा बन गया हैं ,जिला ग्रामीण स्वाथ्य समिति कुछ कार्मिको की रखेल बन गयी हैं ,इस योजना में आने वाला सरकारी बजट की बन्दर बाँट कर्मचारी अधिकारियो की मिली भगत से का रहे हैं ,पिछले पांच साल से याग भरष्टाचार का खुला खेल खेला  जा रहा हैं। कार्मिको ने इसके लिए बाकायदा कुछ स्वयं सेवी संस्थाओ और प्लेसमेंट एजेंसियों से सांठ गाँठ कर राखी हैं 

इन योजनाओ में आने वाले समस्त बजट का निस्तारण इन कार्मिको द्वारा निस्तारित किया जाता हैं ,बाजार डरो से छ गुना अधिक ड्रॉ से सामन खरीदने   जाते हैं ,योजनाओ में हुए खर्च और खरीद का भौतिक सत्यापन कराया जाये तो साड़ी पोल खुल कर सामने आ जाएगी। बहरहाल मामला प्लेसमेंट एजेंसी का हैं ,एन  आर एच एम  योजना में वर्ष २०११ -१२ में विभाग में विभिन पदो के लिए कार्मिक लगाने की भर्ती के मामले में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया। तत्कालीन सरकार ने जिले की समस्त स्वास्थ्य उप स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो पर परिचारिका ,वाहन चालक ,कंप्यूटर ऑपरेटर ,चिकित्सक लगाने का आदेश दिया जिसके चलते विभाग के कार्मिको ने अपने लोगो को फायदा देने के उद्देश्य से किसी तरह की निविदा समाचार पत्रो में जारी करने की बजाय भरष्टाचार के लिए बदनाम एक स्वयं सेवी संस्था और प्लेसमेंट एजेंसी रेड्डी संस्था को सम्बंधित लिपिक ने कॉल कर रातो रात बुलाया तथा उसके नाम करोडो रुपयो के काम का आदेश जारी किया जबकि नियमानुसार निविदा निकाल कर विभिन एजेंसियों से आवेदन मांगे जाने थे मगर विभाग के अधिकारियो की शाह पर कार्मिको ने भरष्टाचार को शाह देते हुए इस प्लेसमेंट एजेंसी को काम का आदेश जारी कर दिया। मजे की बार हे की इस प्लेसमेंट एजेंसी का पंजीयन रोजगार निदेशालय से वर्ष 2010 में ख़त्म हो गया था ,पंजीयन नवीनीकरण  के आभाव में स्वत निरस्त मन जाता हे ,एजेंसी संचालक द्वारा पंजीयन प्रमाण पात्र पर कान्त छंट कर उसे २०१० के स्थान पर २०१८ कर कुरचित दस्तावेज षड्यंत्र पूर्वक पेश कर काम ,लिया अधिकारियो और  एजेंसी के पंजीयन का नवीनीकरण नहीं होने की जानकारी के बावजूद मिलीभगत से काम दिया। इस संस्था द्वारा तत्कालीन वित्तीय वर्ष में एक भी कार्मिक नहीं लगाने की बात सामने आई। विभागीय सूत्रानुसार प्रति माह कार्मिको की तँकखवह का भुगतान संस्था और कार्मिक मिल बाँट के हज़म कर जाते चूँकि यह कार्य लगभग  का था किसी को इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी ,मगर सूचना के अधिकार में प्राप्त सूचना मिलने पर इस गड़बड़ झाले का पर्दाफास हुआ मगर इस भरदष्टाचार की  कार्यवाही जिला या राज्य स्तर पर नहीं हुई ,तत्कालीन सांसद  हरीश चौधरी की दखल अन्दाजी के बाद दो जाँच दल राज्य और केंद्र से आये मगर उन्हें मोटी रकम अदा कर बिना जाँच किये बेरंग भेज दिया ,अब इस आशय की शिकायत राज्य सरकार और केंद्र सरकार के कर पुरे मामले की जांच सी बी आए से करने की मांग संगठनो द्वारा की गयी हैं। ग्रुप फॉर पीपुल्स के संयोजक चन्दन सिंगफह भाटी ने बताया की बाड़मेर एन  आर एच एम में गत पांच साल में तीन सौ करोड़ से अधिक की हेराफेरी की गयी हैं जिसकी सी बी आई स्तर से जांच होनी चाहिए ताकि गरीब जनता के लिए आये पैसे का दुरूपयोग का कच्चा चिट्टा खुल कर सामने आये ,

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सोमवार, 8 सितंबर 2014

केयर्न इंडिया द्वारा सरकारी ख़ज़ाने में 35 हज़ार करोड़ रूपये का योगदान

राजस्थान के तेल भंडारों ने उत्पादन के पांच साल पूर्ण किये
केयर्न इंडिया द्वारा सरकारी ख़ज़ाने में 35 हज़ार करोड़ रूपये का योगदान 

केयर्न इंडिया द्वारा संचालित बाड़मेर के तेल भंडारों ने उत्पादन के पांच वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इस अवधि में यहाँ से उत्पादित हाइड्रोकार्बन उत्पादों पर टैक्स और प्रॉफिट पेट्रोलियम के रूप में सरकार को 35 हज़ार करोड़ का योगदान मिला है।
केयर्न ने बाड़मेर में स्थित भारत के सबसे बड़े ज़मीनी तेल भंडार मंगला से 29 अगस्त 2009 को पेट्रोलियम उत्पादन शुरू किया और गत पांच वर्षो से यहाँ अनवरत उत्पादन जारी रहा। जानकारी के मुताबिक इस अवधि के दौरान मंगला तथा बाड़मेर बेसिन के अन्य तेल क्षेत्रों ने सरकारी ख़ज़ाने में लगभग पैंतीस हज़ार करोड़ रुपए का योगदान दिया है जो कि विभिन्न करों तथा प्रॉफिट पेट्रोलियम के रूप में हुआ है।
यहाँ से हुए तेल उत्पादन ने गत वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक भारत के तेल आयत बिल में एक लाख उन्नीस हज़ार करोड़ (लगभग 22 अरब डॉलर) की कटौती की है। भारत जैसे देश के लिए, जहाँ हम अपनी तेल ज़रूरतों का 80 प्रतिशत आयातित तेल से पूरा करते हैं, बाड़मेर के तेल भंडार घरेलू तेल उत्पादन का लगभग 25 प्रतिशत उत्पादित कर महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
राष्ट्र के राजस्व में योगदान के अलावा मंगला की खोज और उत्पादन ने इस क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य को भी बदल डाला है। काम वर्षा और अकाल से प्रभावित फसलों के क्षेत्र में आज आर्थिक विकास और बदलाव सहज ही महसूस किया जा सकता है। स्थानीय समुदाय ने भी उद्यमिता के सहज स्वभाव के चलते इसमें अपना योगदान दिया है। सन 2003 तक दो छोटे होटल वाला बाड़मेर शहर आज छोटे बड़े 18 होटल सहित स्वागत को तैयार है।
2009 में शुरुआत से अब तक राजस्थान के थार रेगिस्तान में स्थित इन विश्वस्तरीय तेल भंडारों से कुल 24 करोड़ बैरल तेल उत्पादित किया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक इस ब्लॉक में हुयी 36 तेल खोजों के साथ ही उल्लेखनीय गैस भंडारों की उपस्थिति भी ज्ञात हुयी है। एक आंकलन के अनुसार इस ब्लॉक में एक से तीन खरब घन फ़ीट गैस उपस्थित है जिसमें से आधी से अधिक उत्पादित की जा सकती है।
वर्तमान में केयर्न रागेश्वरी डीप गैस फील्ड से लगभग 80 से 90 लाख घन फ़ीट गैस प्रतिदिन उत्पादित कर रहा है। इसे वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक दुगुने से अधिक बढ़ाते हुए लगभग 2.2 करोड़ घन फ़ीट प्रतिदिन करने और वित्तीय वर्ष 2016 तक इसको 9 करोड़ घन फ़ीट प्रतिदिन के स्तर पर ले जाने की योजना है।

बाड़मेर एन आर एच एम में करोड़ों की हेराफेरी ,सी बी आई जांच की मांग

बाड़मेर  एन आर एच एम में करोड़ों की हेराफेरी ,सी बी आई जांच की मांग 
सरकार ने बंद की प्लेसमेंट संस्थाए।स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ झाला। करोडो की हेराफेरी

निरस्त प्लेसमेंट को करोडो का काम देने की तयारी में चिकित्सा विभाग बाड़मेर

बाड़मेर बाड़मेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में लम्बे समय से चल रहे भरष्टाचार के चलते न केवल सरकारी नियम ताक पर रखे जा रहे हे बल्कि सरकार द्वारा निरस्त की गयी प्लेसमेंट संस्था को मिली भगत से करोडो रुपयो का काम आवंटित किया गया। हैं जिसमे स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण स्वास्थ्य समिति के अनुबंधित कार्मिको की खुली मिली भगत शामिल हे।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा गत दिनों जिला ग्रामीण स्वास्थ्य समिति के माध्यम से प्लेसमेंट संस्थाओ से निविदाए मांगी गयी। इसी विभाग में गत तीन सालो से अधिकारियो और कार्मिको की मिलीभगत से एक ऐसी संस्था को काम नियम ताक में रख कर दिया जा रहा था जिसका पंजीयन रोजगार सेवा निदेशालय द्वारा 2010 में निरस्त किया जा चूका। हैं चूँकि राज्य सरकार के आदेश के पश्चात नई रोजगार एजेंसियों का पंजीयन और पुरानी एजेंसियों नवीनीकरण पिछले डेढ़ साल से बंद हे। ऐसे में फिल वक्त कोई रोजगार एजेंसी वैध नहीं ,हैं। मगर इन आर एच एम बाड़मेर के अधिकारियो और कार्मिको की मिलीभगत से एक ऐसी एजेंसी को काम गत तीन साल से दिया हैं जिसका पंजीयन २०१० में समाप्त हो चूका हे। इस एजेंसी ने रोजगार निदेशालय द्वारा जारी पंजीयन प्रमाण पात्र में कूटरचना के तहत पंजीयन वर्ष अवधि बढाकर २०१८ कर फर्जी और काटछांट वाला प्रमाण पात्र पेश कर धोखाधड़ी से कार्मिको और अधिकारियो मिलीभगत से कार्य आवंटन करा लिया ,जबकि राज्य में मौजूदा समय में कोई रोजगार सेवा एजेंसी कार्यरत नहीं। इसी संस्था को विभागीय भरष्ट कार्मिको ने दो साल पूर्व लाखो रुपयो का कार्य बिना किसी निविदा के नियमो की धज्जिया उड़ा कर दिया गया। इस संस्था से इन आर एच एम के कार्मिको और अनुबंधित अधिकारी की भागीदारी हे जिसके कारन एक ही एजेंसी को सारे नियम ताक में रख कार्य आवंटित किया जा रहा हे।


गत तीन साल के इन आर एच एम कार्यो का भौतिक सत्यापन के साथ उच्च स्तरीय जाँच कराई जाए तो सारी पोल खुल के सामने आ जाएगी ,इस आशय का एक पात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिख पुरे कार्यकाल के सी बी आई जाँच की मांग संगठनो द्वारा की गयी हैं। 


रोजगार सेवा निदेशालय के अधिकारियो ने स्पष्ट किया हे की राज्य सरकार की प्लेसमेंट की नै पॉलिसी आने के बाद रोजगार एजेंसियों के पंजीकरण का कार्य नए सिरे से किया जायेगा ,तब तक राज्य की समस्त रोजगार सेवा एजेंसिया निरस्त कर दी गयी हे जिसकी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर दर्ज हे।

रविवार, 29 जून 2014

बाड़मेर अंधेरगर्दी। ठेकेदार ने बस्ती को पानी से वंचित कर पाइप लाइन रिश्तेदार की ढाणी में बिछा दी


बाड़मेर अंधेरगर्दी। ठेकेदार ने बस्ती को पानी से वंचित कर पाइप लाइन रिश्तेदार की ढाणी में बिछा दी




ग्रामीणो की धमकी बात वसुंधरा राजे तक जायेगी


बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी की मुखिया वसुंधरा राजे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाख प्रयासों के बाद भी भाई भतीजावाद और राजनितिक द्वेष भावना बाड़मेर में काम नहीं हो रही। जिले के पाकिस्तान से सटे सरहदी गांव में चौंकाने वाला वाकया सामने आया। जहा ठेकेदार ने राजनितिक दबाव के चलते जिस बस्ती पेयजल पाइप लाइन योजना को स्वीकृत स्थान पर बिछाने की बजाय अपने रिश्तेदार के एक मात्र परिवार को लाभान्वित करने के लिए पाइप लाइन बिछा दी। ग्रामीण मामले मांग कर रहे हैं वाही दोषी ठेकेदार कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।


हुआ यूँ की गत वित्तीय वर्ष में शिव विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक और मंत्री अमिन खान की अनुसंशा पर बूठिया ग्राम पंचायत के पीरे का पर राजस्व गांव की हाजी कबूल की ढाणी को पेयजल पाइप लाइन योजना से जोड़ने की अनुसंशा पर जलदाय विभाग ने हाजी काबुल की ढाणी तक पाइप लाइन बिछाने के लिए निविदा आमंत्रित कर बाद में कार्यादेश जारी किया ,ठेकेदार अब तक ग्रामीणो को तकनिकी हवाला देते हुए गुमराह करता रहा की एक दो माह में काम शुरू हो जायेगा ,इस बार ग्रामीणो ने उच्च अधिकारियो से मिलकर समस्या बताई तो अधिकारी भौचंके रह गए की हाजी कबूल की ढाणी के लिए स्वीकृत योजना पूर्ण हो जिसका भुगतान भी उठ चुका हैं ,ग्रामीणो को जब बताया की योजना तो पूरी हो गयी ,ग्रामीणो ने इस सम्बन्ध ने अधिशाषी अभियंता शिव से मुलाकात की तो उन्होंने ग्रामीणो को टरका दिया ,बाद में साफ़ हुआ की राजनीती दबाव् बना कर ठेकेदार ने यह योजना अपने रिश्तेदार की ढाणी ले गया ,पाइप लाइन बिछा कर एम मात्र परिवार को फायदा पहुँचाया ,इस ढाणी में मात्र एक परिवार हे जबकि जिस ढाणी हाजी कबूल के लिए स्वीकृत की गयी थी वहा दो दर्जन से अधिक परिवार रहते हैं , पेयजल की किल्लत के बीच पाइप योजना में हुए घोटाले की जानकारी उच्च अधिकारियो तक ग्रामीणो द्वारा पहुँचाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की ,सत्ताशीन लोगो के दबाव और अधिकारियो की अंधेरगर्दी के कारन ग्रामीणो का पानी पीने का हक़ छें लिया गया ,ग्रामीण सोमवार से जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धन पर बैठने की तयारी में जुटे हैं।




ग्रामीण सफी मोहम्मद ने बताया की राजनितिक कारणों के चलते गरीब जनता का अधिकार छीन कर अपने रिश्तेदार को फायदा पहुंचा के ठेकेदार ने न केवल राज्य सरकार की योजना को पलीता लगाया बल्कि भरस्टाचार कर पैसे भी , हमारा अधिकार छीनने वाले अधिकारी ,कर्मचारी और ठेकेदार के खिला ग्रामीण शीघ्र मोर्चा खोलेंगे ,बात मुख्यमंत्री तक जायेगी।

रविवार, 22 जून 2014

बाड़मेर। … सड़क हादसे में दो की मौत ,चार घायल

बाड़मेर। … सड़क हादसे में दो की मौत ,चार घायल 

       
                                                   बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर के सिणधरी थाना क्षेत्र के भुंका भगत सिंह गांव के समीप मेगा हाई वे पर रविवार को दो वाहनो की भिड़ंत में दो लोगो की मौत हो गयी चार घायल हो गए। घायलो को बालोतरा के नाहटा चिकित्सालय में उपचार के लिए भर्ती कराया हैं ,. 
पुलिस सूत्रानुसार मेगा हाई वे पर भुंका भगत सिंह गांव की सरहद पर रविवार दोपहर बोलेरो और कार की भिड़ंत हो गयी ,जिसमे दो जनो की मौके पर ही मौत हो गयी ,चार जने घायल हो गए ,पुलिस को सूचना  पर पहुँच घायलो को बालोतरा अस्पताल उपचार के लिए भेजा। पुलिस मामले की जाँच में जुटी हैं। 

शनिवार, 29 जून 2013

रिफायनरी फिर लौटेगा पुराना वैभव ...फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी





रिफायनरी फिर लौटेगा पुराना वैभव ...फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी
नमक की धरती से फूटेगी तेल की धार
चन्दन सिंह भाटी

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर के रियासतकालीन पचपदरा से ८ किमी दूर सांभरा गांव। रिफाइनरी की मुख्य साइट। राजस्थान की नमक की सबसे बड़ी सांभर झील से ही पचपदरा का साल्ट एरिया डवलप हुआ और इसका नाम सांभरा रखा गया। रिफाइनरी लगने के बाद चंद घरों वाले इस गांव का रियासतकालीन वैभव लौट आएगा। उस वक्त यह एरिया जोधपुर रियासत का हिस्सा था। अब रिफाइनरी से भी जोधपुर का कारोबार बढ़ेगा।

चारों तरफ दूर-दूर तक बियाबान के बीच बसे सांभरा में अंग्रेजों के जमाने में एक टीले पर नमक विभाग का दफ्तर और कॉलोनी बनाई गई थी। तब अंग्रेजों का हाकम यहां बैठता था। नमक की पहरेदारी करने के लिए चौकियां बनी हुई थीं। घोड़ों पर पहरेदारी होती थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के वक्त 1992 में नमक की खदानों में काम करने वाले खारवालों को सरकार ने पट्टे देकर मालिक बना दिया और विभाग का दफ्तर भी शिफ्ट कर दिया। तब से आलीशान दफ्तर का भवन, डाक बंगला और करीब 70 क्वार्टर वाली कॉलोनी वीरान पड़ी है। इनमें भी 35 ठीक-ठाक हैं, बाकी खंडहर हो चुके हैं। यहीं पर एक खजाना कक्ष बना हुआ है।

इसमें सलाखों के भीतर एक तहखाने में यह खजाना आज भी इतिहास का गवाह बना हुआ है। लोहे की मोटी चद्दर से बना है भारी भरकम दरवाजा। इस पर इंग्लैंड का ताला लटक रहा है। आज यह खजाना भी मकडिय़ों के जाल से धुंधला नजर आता है।

रिफाइनरी लौटाएगी सांभरा का रियासतकालीन वैभव

जब हम इस बियाबान बस्ती में पहुंचे तो नमक विभाग के एकमात्र चौकीदार फूलचंद मिले। दफ्तर खोला और बोले- कुछ दिन पहले कलेक्टर और दूसरे अफसर आए थे। इस भवन को साफ करने की बात कह गए हैं। अब यह ऐतिहासिक भवन और कॉलोनी रिफाइनरी वालों को दे दी है। फूलचंद बताते हैं कि ४० साल हो गए यहां नौकरी करते हुए। अब तो रिटायरमेंट में एक साल बचा है, रिफाइनरी आने से पुराना वैभव तो लौटेगा, लेकिन वे यहां नहीं होंगे। अपने गांव बांसवाड़ा चले जाएंगे।


रिफाइनरी तो कर्नल के एरिया में ही रही:

बायतु के लीलाला में रिफाइनरी लगनी थी, लेकिन नहीं लगी। बायतु विधायक कर्नल सोनाराम हालांकि शिफ्टिंग से खफा है, लेकिन सांभरा व साजियाली गांव की नई साइट भी कहने को भले ही पचपदरा में हो, मगर ये गांव भी बायतु विधानसभा क्षेत्र में हैं और विधायक कर्नल ही है। विधानसभा क्षेत्रों नए सीमांकन से ये गांव भी बायतु में शामिल हो गए थे। पचपदरा की सरहद लगती है और कस्बा पास होने से विधायक मदन प्रजापत भी उत्साहित हैं। वे कहते हैं, पचपदरा का आने वाला कल चमकते रेगिस्तान की तरह सुनहरा है।

हर जाति के लोगों को होगा फायदा:

पचपदरा में रिफाइनरी लगने का फायदा हर जाति के लोगों को होगा। करीब पंद्रह हजार की आबादी वाले पचपदरा में खारवाल (नमक व्यवसाय से जुड़े लोग) की संख्या लगभग 3 हजार है। दूसरे नंबर पर 2 हजार जैन है। फिर कुम्हार, रेबारी, सुथार व अजा-जजा व अल्पसंख्यक आबादी है। पचपदरा के भंवर सिंह बताते हैं कि जैन व्यापारी कौम है और बालोतरा व्यावसायिक केंद्र हैं इसलिए उद्योग विकास में वे बड़ी भूमिका निभाएंगे। दूसरी जातियां हाथ का काम करने वाली है, उन्हें कंस्ट्रक्शन फेज और शहर बढऩे के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में रोजगार मिल सकेगा। सांभराके गणपत खारवाल कहते हैं, नमक के काम में तो मुश्किल से दो सौ रुपए दिहाड़ी मिलती है, वह भी साल में आठ माह से ज्यादा नहीं। रिफाइनरी लगने से गांव वालों को मजदूरी तो मिलेगी।

रियल एस्टेट, होटल और ट्रांसपोट्र्स को तत्काल फायदा:

पचपदरा तिराहे पर बड़ी होटलों और रेस्टोरेंट के बाहर मंगलवार को लोगों की भीड़ लगी थी। इनमें से नब्बे फीसदी जमीन के कारोबार के सिलसिले में बातचीत कर रहे थे। कोई साइट बता रहा था तो कोई जमीनों के भाव। सोमवार को ही रिफाइनरी पचपदरा में तय हुई थी इसलिए जमीनों के भाव रातों-रात बढ़ गए। जब काम शुरू हो जाएगा, तो होटल-रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्टर्स का काम भी बढ़ जाएगा। पचपदरा बागुन्दी से लेकर जोधपुर तक जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हें ,भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे ने इसी इलाके में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीने होने के आरोप लगाए थे


आशापूर्ण और नाग्नेशिया माता की आशीष


पचपदरा के विजय सिंह कहते हें की पचपदरा पर रिफायनरी की मेहर नागानेशिया माता और आशापूर्ण माता ने की हें .पचपदर फिर पचपदरा सिटी कहालाय्रेगा .पुराना वैभव लौटेगा .साम्भर में साम्भारा माता का भव्य मंदिर बना हें .


कुरजां की कलरव ख़त्म हो जायेगी


पचपदरा क्षेत्र में प्रति वर्ष हज़ारो की तादाद में प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हें आती हें .इस क्षेत्र को कुरजां के लिए सरंक्षित क्षेत्र घोषित करने की कार्यवाही चल रही थी .सँभारा ,नवोड़ा बेरा ,रेवाडा गाँवो के तालाबों पर कुरजां अपना प्रवासकाल व्यतीत करते हें .पचपदरा में वन्यजीवों की भरमार हें विशेषकर चिंकारा और कृष्णा मृग बहुतायत में हें .इसीलिए पचपदरा से आगे कल्यानपुर डोली को आखेट निषेध क्षेत्र घोषित कर रखा हें






विदेशी नमक के खिलाफ पचपदरा से छिड़ी थी जंग


-महात्मा गांधी के नमक आंदोलन से पहले पचपदरा से आयातित नमक के खिलाफ जंग छिड़ी थी। जब अंग्रेजों ने इस बात पर जोर दिया कि पचपदरा के नमक की मांग नहीं है। इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में पचपदरा से नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाने के बाद कलकत्ता भेजा गया। हालांकि यह बात अलग है कि अंग्रेजों की सुनियोजित स्पद्घार के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
यह बात उस जमाने की है जब अंगे्रजों ने यह दावा किया था कि भारत बंगाल की जनता के पसंद का नमक पैदा नहीं कर सकता। इसकी आड़ में वे यहां विलायत से नमक लाने की मंशा रखते थे। क्योंकि बंगाल भारत में स्वच्छ नमक खाने वाला क्षेत्र माना जाता है। इसे अलावा आमतौर पर अंग्रेज लोग जहाजों के संतुलन के लिए उसमें पत्थर भरकर लाते थे। उनका मानना था कि उसे स्थान पर अगर नमक लाया जाए तो अतिरिक्त आय हो सकती है। उस समय सांभर नमक उत्पादन क्षेत्र में मशीनरी पर बि्रटिश सरकार ने भारी खर्चा किया। बावजूद इसे उत्पादन व्यय के मुकाबले कम प्राप्त हुआ। सांभर से भारी नुकसान उठाने के बाद उनका ध्यान पचपदरा के नमक उद्योग को बंद करने की तरफ गया। जब पचपदरा का नमक उद्योग संकट में पड़ने लगा तो सेठ गुलाबचंद ने नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाया। इसे अलावा कराची की नमक उत्पादन की फर्म नोशेखांजी कपनी से नमक खरीदकर नमक के एक जहाज का लदान कलकत्ता के लिए करवाया। जब यह नमक कलकत्ता के नमक बाजार में हड़ंप मच गया। उस जमाने में आयातित नमक की बि्रटिश नकंपियों का एक संगठन बना हुआ था। इसने दलालों के माफर्त पता करवाया कि पचपदरा का नमक किस भाव से बिकेगा? उस समय नमक के भाव 250 रुपए प्रति टन चल रहे थे। सेठ गुलाबचंद ने पचपदरा के नमक की विक्रय दर 175 रुपए प्रति टन बताई। लेकिन उन कंपनियों ने पचपदरा का नमक नहीं बिके इसके लिए दूसरे नमक की दर घटाकर 145 रुपए प्रति टन कर दी। इस दरिम्यान करीब दस माह तक भाव ऊपर चढ़ने के इंतजार के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में मजबूरन भारी नुकसान में यह नमक बेचना पड़ा। इस तरह से पचपदरा नमक का यह आंदोलन सफल नहीं हो सका। परंतु पचपदरा उद्योग को चालू रखने का एक प्रयास था। इसी का नतीजा था कि टेरिक बोर्ड आन साल्ट इंडस्ट्री की स्थापना के बाद पचपदरा के खारवालों एवं मजदूरों ने हड़ताल के जरिए अंग्रेज सरकार का विरोध किया। सरकारी विरोध का नतीजा यह निकला कि सरकार ने यहां अधिक नमक की खाने खोदने की अनुमति दी।


अजब-गजब
झील नहीं,फिर भी होता है नमक उत्पादन
बाड़मेर। नमक उत्पादन स्थलों पर तकरीबन हर जगह एक झील होती है। लेकिन पचपदरा में ऐसी कोई झील नहीं है। इसे बावजूद यहां नमक का उत्पादन होता है।
पचपदरा नमक उत्पादन स्थल की एक विशेषता यह भी है कि अन्य सब स्थानों पर पानी को क्यारियों में सुखाया जाता है। परंतु पचपदरा में नमक के लिए खाने खोदी जाती है। इस समय तकरीबन 700 के करीब नमक की खाने चालू हैं। हालांकि पड़तल खानों की तादाद हजारों में है। पड़तल खान उसको कहा जाता है जिसको नमक उत्पादन बंद हो जाने के बाद दुबारा नहीं खुदवाया जाता। पचपदरा में प्रारंभिक अवस्था में पानी का घनत्व 13 से 14 डिग्री के तकरीबन रहता है। वहीं समुद्री पानी का यह घनत्व प्रारंभिक अवस्था में महज 3 डिग्री होता है। पानी का घनत्व मापने के लिए हाइड्रोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।




मंगलवार, 27 सितंबर 2011

– विश्व पर्यटन दिवस .....राजस्थान के पिचमी सीमान्त का सिंहद्वार बाड़मेर...सुंदर फोटो गैलरी


बाड़मेर : ऐतिहासिक पृश्ठभूमि 

विश्व पर्यटन दिवस .....
राजस्थान के पिचमी सीमान्त का सिंहद्वार बाड़मेर

राजस्थान के पिचमी सीमान्त का सिंहद्वार बाड़मेर बहुआयामी ऐतिहासिक पृश्ठभूमि से सम्पन्न रहा है। पारम्परिक काव्यसाहित्य, समकालीन अभिलेख तथा विविध साक्ष्य इसके प्रमाण है। थार के इस मरु प्रान्त के परिपेक्ष्य में रामायण एवं महाभारत के अन्तर्गत निर्दो समुपलब्ध होते है। रामायण के युद्व काण्ड में सेतुबन्ध प्रसंग के अन्तर्गत सागराोशण हेतु च़े अमोध राम बाण के उत्तरवित्तर द्रुमकुल्य प्रदो के आभीरो पर सन्धन से मरुभूमि की उत्पित्त का वर्णन है। 
महाभारत के अवमेधिक पर्वान्तर्गत भारत युद्वोपरान्त श्री कृश्ण के द्वारिका प्रत्यागमन प्रसंग की उनकी इसी मरुभमि में उत्तक ऋिश से भेंट और यहां जल की दुर्लभता विशयक उल्लेख मिलते है। मौर्यकाल में सौराश्ट्र से संयुक्त क्षेत्र के रुप यह प्रान्त चन्द्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य के अन्तर्गत था। तत्पचात इस पर इण्डोग्रिक भासको, मिलिन्द तथा महाक्षत्रप रुद्रदमन का भासन रहा। कतिपय इतिहासज्ञो के अनुसार यूनानियों द्वारा उल्लेख भग्व्।छ। दुर्ग सम्भवतः सिवाना क्षेत्रान्तर्गत था। 
परवर्ती काल में इस क्षेत्र का गुप्त साम्राज्य के अन्तर्गत होना मीरपुर खास में गुप्तकालीन बौद्व स्मारक प्राप्त होने से प्रमाणित होता है। 
पूर्व मध्यकालिन इतिहास के परिप्रेक्ष्य में डॉ. गोपीनाथ भार्मा के अनुसार यह प्रदो गुर्जरत्रा कहलाता था। चीनी यात्री हेंनसांग ने इसी गुर्जर राज्य की राजधानी का नाम पीलो मोलो भीनमाल अथवा बाड़मेर बताया है। डॉ. जे एन आसोपा क ेमत में गुर्जर भाब्द अरब यात्रियों द्वारा गुर्जर प्रतिहारो हेतु प्रयुक्त सम्बोधन जुर्ज का समानार्थक है। जिसकी व्युत्पति मरुभूमि में प्रवाही जोजरी नदी से बताई गई है। इस प्रकार प्रतिहारो से सम्बन्ध गुर्जर विोशण भौगोलिक महत्व का सूचक है। जो यहां गुर्जर प्रतिहार अधिराज्य को निर्दिश्ट करता है। इस तथ्य की पुश्टि 936 ई. के चेराई अभिलेख से होती है। गुर्जर प्रतिहारो के उपरान्त यहां परमारो का अधिपत्य रहा। 
मरुमण्डल के ये परमार आबू के परमारो से पृथक माने जाते है। 1161 ई. के किराडू अभिलेख औरा 1183 ई. के मांगता ताम्रपत्र के अन्तर्गत सिन्धुराज (956ई.) को ॔सम्भून मरुमण्डले॔ कहकर यहां के परमारो का आदिपुरुश निर्दिश्ट किया गया है। इनकी राजधानी किरात कूप (किराडू) थी। फिर यहां गुजरात के चालुक्यों का अधिकार ज्ञात होता है। 
1152 ई. के कुछ पूुर्व किराडूु पर कुमारपाल चाणक्य के सामंत अल्हण चाहमान का अधिकार था। किन्तु 1161 ई. के किराडू अभिलेख के अनुसार सिंधुराज के वांज (9वीं पी़ी) सोमेवर परमार द्वारा अधीनता मानने से संतुश्ट कुमारपाल द्वारा उसे किराडू पुनः प्रदान कर दिया गया। 1171 ई से 1183 ई. तक क्रमाः कीत्तिर्पाल चौहान, मुहम्मद गौरी (1178ई) भीमदेव सोलकी द्वितीय तथा जैसलमेर के भाटियो के किराडू पर अनवरत आक्रमणो एवं तत्कालीन भासको आसलराज और बन्धुराज के अक्षम प्रतिरोध से यहां का परमार राज्य भानै॔ भानै नि:ोश होता चला गया। 
किराडू राज्य के अवसान का समानान्तर सुन्धामाता मंदिर में चौहान चाचिगदेव के िलालेख में विर्णत वाग्भट्ट मेरु अथवा बाहड़मेर का उत्थान प्रायः बारहवी भाती ई. के उत्तरार्द्व में होना विदित होता है। इसकी संस्थापना का श्रेय क्षमाकल्याण रचित खरतरगच्छ पट्टावली के अनुसार सिद्वराज जयसिंह (10941142ई) के मन्त्री उदयन के पुत्र वाग्भट्ट अथवा बाहड़देव परमार को प्रदान किया गया है। 
स्थापना के पचात यहां जैन श्रावको द्वारा मन्दिर एवं वाटिकाओं के निर्माण तथा 1252 में आचार्य जिनेवर सूरि के आगमन की जानकारी मेरुतुग कृत प्रबन्ध चिन्तामणि से मिलती है। बाहड़मेर के आदिनाथ मन्दिर अभिलेख (1295 ई) से हयां परमारो के उपरान्त चौहानो के भासन के संकेत प्राप्त होते है। 
कान्हड़ दे प्रबन्ध (पद्मनाम रचित) के अन्तर्गत 130809 में अलाउदीन खिलजी की सेनाओं द्वारा जालौर सिवाना अभियान के क्रम में बाहड़मेर पर भी आक्रमण किये जाने सम्बन्धी उल्लेख है। 
इस अराजकता का लाभ उठाकर राव धूहड़ राठौड़ के पुत्र राव राजपाल ने लगभग 130910ई में यहां के परमारो के प्रायः 560 ग्रामो पर अधिकार कर लिया। इसी के पराक्रमी वांज रावल मल्लीनाथ के नाम पर इस क्षेत्र को मालानी की संज्ञा से अभिहित किया जाने लगा। 

























15 वीं भाती ई के पूर्वाद्व में मल्लीनाथ के पौत्र मण्डलीक द्वारा बाहड़मेर और चौहटन के भासको क्रमा मुग्धपाल (माम्पा) तथा सूंजा को परास्त करा अपने अनुज लूणकर्ण राठौड़ा (लूंका) को वहां का राज्य सौप दिया गया। इस प्रकार जसोल बाड़मेर एवं सिणदरी जहां मल्लीनाथ के वांजो द्वारा भासित हुए वही नगर और गु़ा उनके सबसे छोटे भाई जैतमाल की सन्तति के अधिकार में रहे। जबकि मंझले भाई वरीमदेव के पुत्र चूण्डा ने परिहारो से मण्डोर छीना। बाहड़मेर में लुंका जी की चौथी पी के भासक राव भीमाजी रत्नावत को जोधपुर नरो राव मालदेव के सामान्तो जैसा भैर व दासोत और पृथ्वीराज जैतावत द्वारा लगभग 155152 ई. में पराजित किया गया। जैसलमेर के रावल हरराय की सहायता के पश्चात भी पुनः हार जाने एवं बाहड़मेर के राठौड़ो की रतनसी तथा खेतसी के धड़ो में बट जाने पर भीमाजी ने बाहड़मेर छोड़कर बापड़ाऊ क्षेत्रान्तर्गत नवीन बाहड़मेर अथवा जूना और नवीन बाहड़मेर बसाया तभी से पुराना बाड़मेर जुना बाड़मेर कहा जाने लगा। परवर्ती काल में जैसलमेर के सहयोग से भीमाजी ने जुना बाहड़मेर तथा िव आदि अपने खोए प्रदो पुनः प्राप्त कर लिए। उपयुक्त तथ्यों की जानकारी विविध ख्यातो विोशतः नेनसी की और राठौड़ वां के इतिहास ग्रन्थ से समुचित रुप से हो जाती है। बाड़मेर की वणिका पहाड़ी की तलहटी के जैन मन्दिर के िलालेख के अन्तर्गत 1622 ई यहां उदयसिंह का भासन निर्दिश्ट है। परवर्ती भासको रावत मेघराज, रामचन्द्र और साहबाजी, भाराजी आदि के सघशर प्रायः 19 वी भाती ई. के आरम्भ तक यहां की राजनीति तथा समाज को प्रभावित करते रहें। तब मालानी परगने में प्रायः 460 ग्राम 14918 वर्ग किमी क्षेत्रान्तर्गत थे। मारवाड़ नरो मानसिंह (180443 ई) के काल में यहां के सरदारो एवं भोमियों द्वारा गुजरात कच्छ तथा सिंध में उत्पाद मचाने एवं ब्रिटि कम्पनी सरकार के आदो के बाबजूद मानसिंह के उन्हे नियत्रित करने में विफल रहने पर रावत भभूतसिंह के समय 1836 ई. में चौहटन मालानी को बम्बई सरकार के अन्तर्गत ब्रिटि अधिकार में ले लिया गया। सभी उत्पादी सरदारो को कैद कर राजकोट एवं कच्छ भुज भेज दिया गया। क्षेत्र में भान्ति और व्यवस्था स्थापित होने पर मालानी को प्रासन 700/ मासिक वेतन प्राप्त एक अधीक्षक को सौंपा गया, जिसकी सहायतार्थ मुम्बई रेग्यूलर केवेलरी का दस्ता तथा गायकवाड़ इन्फेन्ट्री के 100 घोड़े बाड़मेर मुख्यालय में रहते थे। (कच्छ भुज के रावल देसुल जी की जमानत से मुक्त हुए रावत भभूतसिंह भी अंग्रेजो से हुए समझौते के अनुसार बाड़मेर आ गए।) 1839 ई में मालानी परगना मुम्बई सरकार से ए.जी.जी. राजस्थान को स्थानान्तरित कर दिया गया। 1844 ई में गायकवाड़ केवेलरी का स्थान 150 मारवाड़ के घुड़सवारो ने ले लिया। अन्तिम स्थानीय अधीक्षक कैप्टन जैकसन के यहां से लौटने पर मारवाड़ के पोलिटीकल एजेन्ट की सता आरम्भ हुई। इस अतिरिक्त प्रभार हेतु उसके लिए 100/ मासिक भत्ता नियत था। 1865 ई में नियुक्त पोलिटिकल एजेन्ट कैप्टन इम्पे के तत्वावधान में मालानी के विस्तृत सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के प्रभाव स्वरुप जसोल तथा बाड़मेर में 1867 ई में वर्नाक्यूलर स्कलो के माध्यम से आधुनिक िक्षा का समारम्भ हुआ। सर्वे रिपोर्ट 4 मई 1868 को प्रकाित हुई। परवत्तीर काल में इस क्षेत्र के ठाकुरो द्वारा प्रत्यक्षतः मारवाड़प्रासन के अधीन होने की इच्छा पर। 1 अगस्त 1891 को मालानी परगना मारवाड़ राज्य के अन्तर्गत आ गया। आगामी छः वशोर में मालानी प्रासन सुचारु एवं सुव्यवस्थित रहने, अपराधो में कमी होने और किसी भी प्रकार की िकायत न आने पर जोधपुर में महाराजा सरदार सिंह को 1898 ई में यहां के सम्पूर्ण अधिकार प्रदान कर दिये गये। 22 दिसम्बर 1900 ई को मालानी के हृदयस्थल से गुजरने वाली बालोतरा सादीपाली रेल्वे लाइन का भाुभारम्भ हुआ। 
स्वतन्त्रता प्राप्ति तक जोधपुर प्रासन के अधीनस्थ रहते हुए दोी रियासतो के भारतीय सघ में विलीनीकरण के उपरान्त मालानी परगना 1949 ई में बाड़मेर जिले के रुप में अस्तित्व मान हुआ। जो आधुनिक बाड़मेर कहलाया। 

बुधवार, 10 अगस्त 2011

रेगिस्तान में मेघ मल्हार .....सुंदर नज़ारे देखिये


रेगिस्तान में मेघ मल्हार .....सुंदर नज़ारे देखिये 


























रे गिस्तान में मेघ मल्हार .....सुंदर नज़ारे देखिये 
.मंगलवार को शुरूहुई बरसात बुधवार को भी जारी रही ,...रेगिस्तानी इलाको की प्राकृतिक  सुन्दरता बरसात की बूंदों में देखते बनती हें.....रेगिस्तान में बरसात के नज़ारे आपको दिखाते हें.....