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रविवार, 30 मार्च 2014

सरहद पार से जसवंत के समर्थन में आएगी पीर पगारो कि चिट्ठी ?

सरहद पार से जसवंत के समर्थन में आएगी पीर पगारो कि चिट्ठी ?


जसवंत के पीर पगारो से बेहतर रिश्ते महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे चुनावो में ?

बाड़मेर चुनाव तो भारत में हो रहे हैं लेकिन बॉर्डर के निकट एक लोकसभा क्षेत्र में पाकिस्तान से भी उम्मीद हैं। धर्मगुरु शाह सिकंदर मरदान शाह रासदी का जसवंत सिंह के साथ गनिष्ठ सम्बन्ध रहे हें। जसवंत सिंह पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में सर्वाधिक लोकप्रिय एक मात्र भारतीय नेता हें ,2004 के लोक सभा चुनावो में पीर पगारो ने जसवंत सिंह के बाड़मेर से भाजपा प्रत्यासी उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह को खलकर समर्थन दिया था जिसके चलते सरहदी मुस्लिमो ने मानवेन्द्र के पक्ष में खुलकर वोटिंग कर बड़ी जीत दिलाई थी। जसवंत सिंह ने साथ सालो से बंद भारत पाकिस्तान पश्चिमी राजस्थान मुनाबाव खोखरापार सड़कमार्ग खुलवा कर धार्मिक जत्थे के साथ माता हिंगलाज के दर्शन करने गए थे जहा जसवंत सिंह का जोरदार स्वागत सिंध वासियो द्वारा किया गया था ,जसवंत सिंह ने अपनी यात्रा के दौरान पीर जोगोठ में धर्मगुरु शाह सिकंदर मरदान शाह रासदी से भी मुलाकात कि थी ,धर्मगुरु द्वारा जसवंत सिंह को दावते खास भी दी गयी थी। बाड़मेर जैसलमेर जिलो कि सरहद पर रह रह लाखों सिंधी मुस्लिम पीर पगारो के मुरीद हें ,वर्त्तमान समय में धर्मगुरु शाह सिकंदर मरदान शाह रासदी के पुत्र सैय्यद सिब्बगतुल्लाह शाह रशीद पीर पगारो हें ,इनके जसवंत के साथ बेहतर तालुकात हें।

लोक सभा चुनावो में पीर पगारो का फ़तवा या चिट्ठी आने कि आहात के साथ चुनावी सरगर्मिया तेज हो गयी हें। चूँकि बाड़मेर से इस बार जसवंत सिंह खुद चुनाव लड़ रहे हेनन ,जसवंत सिंह के प्रति सिंधी मुसलमानो में गज़ब का उत्साह हें।

यह उम्मीद वहां बैठे एक धार्मिक नेता से है। उनके मुरीद बॉर्डर के दोनों तरफ हैं। माना जाता है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकसभा क्षेत्र बाड़मेर में पाकिस्तान में सिंध क्षेत्र के धार्मिक नेता पीर पागारो के प्रति कुछ लोगों में भारी आस्था है।

ऎसे में उस तरफ से एक इशारे पर ही वोट दिए जाते हैं। हालांकि प्रकट तौर कोई इसे स्वीकार नहीं करता है लेकिन इन वोटों के लिए तगड़े प्रयास किए जाते हैं। सूत्रों की माने तो भाजपा के बागी उम्मीदवार जसवंत सिंह की इन वोटों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है।

कौन है पीर पागारो

पीर पागरो एक धार्मिक पद है। ब्रिटिश काल में इनके नेतृत्व में हुर आंदोलन चला था। विभाजन के बाद इनके हजारों अनुयायी इधर रह गए। सैय्यद सिब्बगतुल्लाह शाह रशीद मौजूदा पीर पागारो हैं। -
chandan singh bhati

शुक्रवार, 28 मार्च 2014

जसोल में वसुंधरा का हुआ जोरदार विरोध ,गंगाराम को दी शर्धांजलि

जसोल में वसुंधरा का हुआ जोरदार विरोध ,गंगाराम को दी शर्धांजलि 

बाड़मेर राज्य कि मुखिया वसुंधरा राजे अपने एक दिवसीय दौरे पर बाड़मेर पहुंची ,शुक्रवार प्रातः वसुंधरा राजे ने किसान नेता गंगाराम चौधरी के निवास स्थान जाकर उन्हें शरदांजलि दी। वसुंधरा राजे ने बताया कि राजस्थान कि राजनीती में गंगाराम चौधरी एक नायक थे ,उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई हें। बाड़मेर में कार्यकर्ताओ और पदाधिकारियो से मुलाकात कर वसुंधरा राजे जसोल माता रानी भटियाणी के दर्शन के लिए रवाना हो गयी ,वसुंधरा राजे के जसोल पहुंचते ही वसुन्धरे राजे के खिलाफ जोरदार नारे लग गए। भाजपा के बागी निर्दलीय उम्मीदवार जसवंत सिंह का जसोल गृह गाँव में ,जंहा वसुंधरा राजे का जोरदार विरोध यहाँ कि जनता ने दर्ज कराया। वसुंधरा राजे के खिलाफ लोगो ने वसुंधरा वापस जाओ ,वसुंधरा तेरी तानाशाही नहीं चलेगी ,जसवंत का अपमान नहीं सहेगा राजस्थान जैसे नारे लगे ,वसुंधरा राजे ने जसोल स्थित माता रानी भटियाणी के मंदिर जाकर दर्शन कर पूजा अर्चना कि। इसके बाद वो आसोतरा ब्रह्मधाम के दर्शन के लिए रवाना हुई।

जैसलमेर जसवंत सिंह को पलकों पर बिठाया लोगो ने



जैसलमेर जसवंत सिंह को पलकों पर बिठाया लोगो ने

लोगो ने उत्साह के साथ कहा अपने खर्चे से करेंगे प्रचार



बाड़मेर बाड़मेर जैसलमेर संसदीय निर्दलीय प्रत्यासी जसवंत सिंह ने शुक्रवार को माता रानी भटियाणी जन्म स्थल जोगीदास धाम जाकर धोक लगाई ,तथा सफलता कि कामना कि। जसवंत सिंह का लोगो ने जबर्दस्त उत्साह के साथ स्वागत किया। लोगो में जसवंत के प्रति जोरदार उत्साह देखा गया। जोगीदास धाम में जसवंत सिंह ने विशाल आम सभा को भी सम्बोधित किया। सभा को सम्बोधित करते हुए जसवंत सिंह ने कहा कि भाजपा ने म,ऐरे साथ अन्याय किया इसीलिए चुनाव नहीं लड़ रहा ,भाजपा ने कार्यकर्ताओ कि भावनाओ को आहात किया। उन्होंने कहा कि मैं कार्यकर्ताओ का पार्टी में अपमान बर्दास्त नहीं कर पाया ,उन्होंने कहा कि मुझे सीधे सीधे टिकट न देने का कह कर भाजपा के किसी भी कार्यकर्ता को टिकट दी जाती तो यहस्थति नहीं बनती। जसवंत सिंह ने कहा कि पार्टी में रह कर पार्टी के सिद्धांतो के लिए लड़ाई लड़ना आसान काम नहीं हें। जसवंत सिंह ने राजनाथ सिंह पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मेरा दूसरी बार पार्टी में अपमान हुआ। उन्होंने कहा कि आपकी भावनाए और समर्थन ने मेरा उत्साह वर्धन किया हें।
सभा को सम्बोधित करते हुए आत्मा राम मेघवाल में कहा कि जसवंत सिंह देश का गौरव हें उनका अपमान असहनीय हें ,मालानी केर लोग जसवंत के साथ एक जुट हें ,यह सत्तरह तारिख को दिखा देंगे
सभा को सम्बोधित करते हुए तेजदान देथा ने कहा कि दुनिआ भर में जिस शख्शियत को सलाम किया जाता हें उसकी ही पार्टी में उनका अपमान कर ऐसे नेता को टिकट दी जो पिछले बीस सालो से भाजपा को गालिया दे रहा ,यह जसवंत का ही नहीं कार्यकर्ताओ का अपमान हें।
सभा को रतन सिंह कुंडा ,जालम सिंह हापा ,दलपत सिंह सत्तो ,जनक सिंह सत्तो ,चिंतामन दस ,राजूराम मेघवाल ,फोगे खान फ़क़ीर ,बहादुर खान ,आसु सिंह तेजमालता ,मानाराम दरजी ,वीर सिंह सरपंच ,राम सिंह कुंडा ,हाकम सिंह ,जुगत सिंह सोढा ,फूल सिंह सोढा ,अमरे खान पूर्व सरपंच सहित कई लोगो ने सम्बोधित कर जसवंत सिंह को भारी बहुमत से जितने कि अपील कि।

गुरुवार, 27 मार्च 2014

जसवंत सिंह के बढ़ते कद से परेशां थे राजनाथ मोदी। जसवंत कि पूरी कहानी

जसवंत सिंह के बढ़ते कद से परेशां थे राजनाथ मोदी। जसवंत कि पूरी कहानी 



बाड़मेर। जसवंत सिंह एक बार फिर अकेले हैं, और इस बार भी बीजेपी ने उनको अकेला कर दिया। टिकट नहीं दिया। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले ही उन्हें पसंद ना करें। संघ परिवार को खुश रखने की कोशिश में बहुत सारे भाजपाई भी भले ही जसवंत सिंह को हमेशा अपने निशाने पर रखे रहें। और बीजेपी भले ही उनका टिकट काटकर उनकी इज्जत का मटियामेट करने की कोशिश कर ले। लेकिन समूचे देश को अपने जिन नेताओं पर गर्व होना चाहिए, उन इने-गिने सबसे बड़े नामों में जसवंत सिंह का नाम भी सबसे ऊंचे शिखर पर लिखा हुआ हैं। फिर भी बीजेपी ने उनका लोकसभा का टिकट काट दिया है। इस तथ्य और ब्रह्मसत्य के बावजूद कि बाड़मेर में जसवंत सिंह अपनी छवि की वजह से अजेय उम्मीदवार हैं। और देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र में दो-सवा दो लाख मुसलमान एकमुश्त किसी भाजपाई के साथ हैं, तो वह अकेले जसवंत सिंह ही हैं। बाडमेर का सबसे बड़ा दर्द यह है कि जसवंत सिंह का टिकट उन कांग्रेसी कर्नल सोनाराम के लिए काटा गया, जिनका इस पूरे जनम में बीजेपी से नाता ही सिर्फ अटलजी से लेकर आडवाणी और नरेंद्र मोदी तक को गालियां देने का रहा। वसुंधरा राजे चुनाव से चार दिन पहले सोनाराम को कांग्रेस से बीजेपी में लाईं और लोकसभा के लिए लड़ने भेज दिया। वसुंधरा के इस अदभुत अंदाज से राजनीति अवाक है। लोग हत्तप्रभ, और बाड़मेर बेबस।
बीजेपी ने सबसे पहले मुरली मनोहर जोशी को बनारस से बेदखल किया। फिर भोपाल से लड़ने की लालकृष्ण आडवाणी की इच्छा पर उनकी इज्जत उछाली। और अब जसवंत सिंह को जोर का झटका बहुत जोर से दिया। यह नए जमाने की नई बीजेपी का नया रिवाज है। कभी संस्कारों वाली पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी का यह नया चेहरा है। माना कि राजनीति में चेहरे बदलते देर नहीं लगती। लेकिन बीजेपी जैसी बेहतर पार्टी में बुजुर्ग चेहरों को बहुत बेरहमी से बदरंग करके उनसे बदला लिया जाएगा, यह किसी को नहीं सुहा रहा है। बीजेपी के बुजुर्ग अपने जीवन के आखरी दिनों में आज सम्मान की खातिर खाक छानते दिख रहे हैं। और बाहर से आए दलबदलुओं का दिल खोलकर स्वागत किया जा रहा है। बीजेपी में बुजुर्गों के अपमान पर उसकी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे तक को कहना पड़ा कि आडवाणी, जिन्होंने पार्टी को बनाया और उसे प्रतिष्ठा दिलाई, वे भी अपने टिकट के लिए इंतजार करते रहे। यह आडवाणी का अपमान नहीं तो और क्या है।

वैसे तो राजनीति में कोई भी नहीं भूलता। लेकिन पिछली बार 2004 में, शिमला बैठक में जसवंत सिंह को बुलाने, फिर बीच रास्ते में ही रोककर पार्टी से निकाल देने का फरमान सुनाकर बीजेपी ने उनका जो अपमान किया था, उसे जसवंत सिंह शायद भूल गए होंगे। क्योंकि वे बड़े दिलवाले आदमकद के आदमी हैं। कारण था, जसवंत ने अपनी किताब में जिन्ना की तारीफ की थी। लेकिन देश जब-जब चिंतन करेगा, तो जिन्ना के मामले में ज्यादा बड़ा पाप तो लाल कृष्ण आडवाणी का था। क्योंकि जसवंत सिंह ने तो लिखा भर था। आडवाणी तो जिन्ना के देश पाकिस्तान जाकर उनकी मजार पर माथा टेकने के बाद फूल चढ़ाकर यह भी कह आए थे कि जिन्ना महान थे। फिर देर सबेर बीजेपी संघ परिवार की भी अकल ठिकाने आ ही गई। उसे भी मानना पड़ा कि आडवाणी के अपराध के मुकाबले जसवंत के जिन्ना पर विचार अपेक्षाकृत कम नुकसान देह थे। लेकिन ताजा संदर्भ में तो जसवंत सिंह सिर्फ और सिर्फ वसुंधरा राजे की त्रिया हठ वाली राज हठ के शिकार हैं।

राष्ट्रीय परिपेक्ष्य को छोड़कर बात अगर सिर्फ प्रदेश की दीवारों के दाय़रे की करें, तो राजस्थान की राजनीति में अब तक के सबसे बड़े नेताओं के रूप में मोहनलाल सुखाडिय़ा और भैरोंसिंह शेखावत अब इस दुनिया में न होने और खुद के सीएम रहते हुए कांग्रेस का सफाया हो जाने के बावजूद कांग्रेस में सबसे विराट हो जाने वाले अशोक गहलोत आज भी लोगों के दिलों पर छाए हुए हैं। उसी तरह, सबसे बड़े राजनयिक और राजनीतिक के रूप में जसवंत सिंह देश के सामने हैं। लेकिन इस बात का क्या किया जाए कि बीजेपी और व्यक्तिगत रूप से वसुंधरा राजे उनके इस कद का ही कबाड़ा करने पर उतारू हैं। वैसे, अपना मानना है कि जसवंत सिंह राजस्थान के नहीं, पूरे देश में आदमकद के आदमी हैं। और अपना तो यहां तक मानना है कि जसवंत सिंह जैसे नेता को, जीवन के इस अत्यंत ऊंचे और आखरी मोड़ पर आकर बीजेपी से जुड़े भी रहना चाहिए कि नहीं, यह चिंतन का विषय है।

राजस्थान में जिस तरह से वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में आई, उसी तरह से इस चुनाव के बाद देश में भी सरकार बन गई और अगर बन पाए, तो नरेंद्र मोदी का पीएम बनना उनका निजी पराक्रम होगा। लेकिन वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह के बारे में देश को सिर्फ यह जरूर याद रहेगा कि उंचे कद के आला नेताओं की गरिमा को इन दोनों के काल में जितनी ठेस पहुंची और बीजेपी का संगठन के स्तर पर जितना कबाड़ा हुआ, उतना पार्टी के चौंतीस सालों के इतिहास में कभी नहीं हुआ। वसुंधरा राजे ने भी बड़े नेताओं के मानमर्दन का कोई मौका नहीं छोड़ा। स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत से लेकर, ललित किशोर चतुर्वेदी, हरिशंकर भाभड़ा, भंवरलाल शर्मा, रघुवीर सिंह कौशल जैसों को सार्वजनिक रूप से खंडहर कहने का वसुंधरा राजे ने जो राजनीतिक पाप किया था, उसका हिसाब अभी बाकी है। और यह तो गुलाबचंद कटारिया और घनश्याम तिवारी सहित ओमप्रकाश माथुर की किस्मत बहुत बुलंद है, लेकिन फिर उनको ठिकाने लगाने की वसुंधरा की कोशिशें तो अब भी जारी हैं ही। पार्टी का टिकट कटवाने और न देने का हक हासिल होने के बावजूद देश की राजनीति में आज भी वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह, जसवंत सिंह से बड़े नेता नहीं हैं। और अपना तो यहां तक मानना है कि राजनीति में जसवंत सिंह जैसी विश्व स्तरीय गरिमा प्राप्त करने के लिए इन दोनों को शायद कुछ जनम और लेने पड़ सकते हैं। राजनाथ सिंह ने भी कह दिया है कि बाड़मेर से उम्मीदवार को बदलना अब संभव नहीं है। लेकिन कोई भी इसका असली कारण नहीं बताता कि आखिर जसवंत सिंह को उम्मीदवारी से आउट क्यों किया गया। क्या सचमुच बीजेपी ने अपने बुजुर्गों का सम्मान करना बंद कर दिया है?

भले ही वह समूचे मंत्रिमंडल का फैसला था, फिर भी कुछ लोगों को हक है, तो वे कंधार के कसूर को हमारी विदेश नीति में नीहित कूटनीतिक मजबूरी न मानकर सिर्फ जसवंत सिंह की निजी गलती मानकर उनको कघटरे में खड़ा कर सकते हैं। लेकिन यह तो आपको भी मानना ही पड़ेगा कि उस कटघरे में खड़े होने के बावजूद जसवंत सिंह का कद उनका न्याय करनेवाले किसी भी जज से ज्यादा बड़ा है। जसवंत सिंह प्रभावशाली हैं, शक्तिशाली भी और समर्थ भी। राजनीतिक कद के मामले में उनको विराट व्यक्तित्व का राजनेता कहा जा सकता है। व्यक्तितव अगर विराट नहीं होता, तो दार्जीलिंग के जिन पहाड़ों से उनका जीवन में कभी कोई नाता नहीं रहा, वहां से भी लोगों ने निर्दलीय जिताकर उन्हें संसद में भेजकर अपने पहाड़ों से भी बड़ी उंचाई बख्श दी।

दरअसल, पूरे विश्व के राजनयिक क्षेत्रों में जसवंत सिंह को एक धुरंधर कूटनीतिज्ञ के रूप में देखा जाता है। विदेशी सरकारों के सामने जसवंत सिंह की जो हैसियत है वह एसएम कृष्णा से कई लाख गुना और नटवर सिंह, प्रणव मुखर्जी आदि के मुकाबले कई गुना ज्यादा बड़ी है। भाजपा में तो क्या देश की किसी भी पार्टी में विदेश के मामलों में उनकी टक्कर का कूटनीतिक जानकार नहीं है, यह कांग्रेस भी जानती है, आप भी और हम भी। और राजनीतिक कद नापा जाए, तो वसुंधरा राजे तो खैर उनके सामने कहीं नहीं टिकतीं, राजनाथ सिंह तक राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का बावजूद जसवंत सिंह के मुकाबले बहुत बौने हैं। लेकिन राजनीति का भी अपना अलग मायाजाल होता है। यह बीजेपी का सनातन दुर्भाग्य है या बड़े नेताओं की किस्मत का दुर्योग कि जो लोग कभी उनके दरवाजे की तरफ देखते हुए भी डरते थे, वे आज उन्हें आंख दिखा रहे हैं। लेकिन यह तो बीजेपी की किस्मत की कमजोरी का कमाल ही कहा जा सकता है कि जसवंत सिंह जैसा बहुत बड़ा नेता आज अलग थलग होकर निर्दलीय लड़ने को मजबूर हैं और उनके मुकाबले बहुत बौने लोग बहुत बड़े पदों पर बिराजमान होकर जसवंत सिंह जैसों की किस्मत लिखने के मजे ले रहे हैं। राजनीति भले ही इसी का नाम है। लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास है कि आखिर जसवंत सिंह का कसूर क्या है?

रविवार, 23 मार्च 2014

जसवंत सिंह के स्वागत में उमड़ा जनसैलाब डोली से पचपदरा तक उमड़ी हज़ारो कि भीड़ ,जसवंत का रोड शो


जसवंत सिंह के स्वागत में उमड़ा जनसैलाब


डोली से पचपदरा तक उमड़ी हज़ारो कि भीड़ ,जसवंत का रोड शो


बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह कि टिकट काटने के बाद पहली बार गृह जिले बाड़मेर कि सीमा में प्रवेश पर हज़ारो समर्थको ने पहुँच जसवंत का उत्साह के साथ स्वागत कर उनके समर्थन में नारे लगाये। जसवंत का उनके समर्थक बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे ,खुली जीप में सवार जसवंत सिंह के साथ करीं आठ किलोमीटर लम्बी वाहन रेली साथ थी ,आठ किलोमीटसर् सड़क मार्ग जसवंत समर्थको से भरा था ,


कद्दावर नेता जसवंत सिंह कि भाजपा द्वारा टिकट काटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए जसवंत सिंह रविवार सुबह साढ़े ग्यारह बजे बाड़मेर जिले कि सरहद पर पहुंचे जहा अपर जनसमूह ने जसवंत का जोरदार स्वागत कर उनकी हौसला अफजाई कि। यहाँ पहुंचे जसवंत सिंह हज़ारो कि तादाद में समर्थक देख गाड़ गाड़ हो गए ,जसवंत सिंह के काफिले में डोली से पचपदरा तक वाहनो का रेला लगा था ,


जसवंत सिंह का डोली ,सरवड़ी ,कल्याणपुरा ,धावा ,अराबा ,पटाऊ ,नागाणा में भी हज़ारो कि टाडा में समर्थक पहुंचे ,जसवंत सिंह ने कुल देवी नागनेशिया माता मंदिर में धोक लगा नागाणा माता का आशीर्वाद भी लिया ,जसवंत सिंह का पचपदरा पहुँचाने पर खारवाल समाज द्वारा स्वागत किया गया ,जसवंत सिंह के रोड शो में उमड़े जन समूह ने उनकी लोकप्रियता के संकेत विरोधियो को दे दिए ,

गुरुवार, 20 मार्च 2014

बाड़मेर भाजपा लोकसभा चुनाव कार्यालय पर जड़े ताले ,कर्नल का जोरदार विरोध

बाड़मेर भाजपा लोकसभा चुनाव कार्यालय पर जड़े ताले ,कर्नल का जोरदार विरोध


बाड़मेर भारतीय जनता पार्टी बाड़मेर जिला संघठन ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा बाड़मेर जैसलमेर संसदीय सीट के लिए कांग्रेस नेता कर्नल सोनाराम चौधरी कि उम्मीदवारी घोषित करने के प्रयासो के खिलाफ एक माह पूर्व खोले गए लोकसभा चुनाव कार्यालय पर ताले ठोक दिए तथा संगठन के समस्त पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओ ने कर्नल कि उम्मीदवारी का जोरदार विरोध करते हुए संगठन से इस्तीफे देने का ऐलान कर दिया ,
बाड़मेर से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह टिकट मांग रहे थे उनकी उम्मीदवारी तैसिडा थी इसी बीच वसुंधरा राजे ने कांग्रेस के जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को भाजपा में शामिल करा उन्हें बाड़मेर से टिकट देने का अनुमोदन केंद्रीय चुनाव समिति के समक्ष रख दिया ,केंद्रीय चुनाव समिति ने कर्नल का टिकट रोक दिया ,मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के इस कदम कि भाजपा के पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओ ने निंदा कर कर्नल कि उम्मीदवारी का जोरदार विरोध किया ,गुरूवार शाम पांच बजे लोकसभा चुनाव कार्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य स्वरुप सिंह राठोड ,दिलीप पालीवाल के नेतृत्व में बैठक का आयोजन कर कर्नल कि दावेदारी को ,किया राठोड ने कहा कि जो व्यक्ति पिछले बीस सालो से भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ता आया हो उसे तुरंत टिकर देना कार्यकर्ताओ का अपमान हें। कर्नल कि उम्मीदवारी किसी भी सूरत में बर्दास्त नहीं। उन्होंने दो टूक शब्दो में कहा कि बाड़मेर को सिर्फ जसवंत सिंह उम्मीदवार चाहिए ,पार्टी जसवंत सिंह को टिकर देती हें तो ठीक वर्ना पूरा संगठन जसवंत सिंह को निर्दलीय जितने में साथ खड़ा रहेगा ,सभी पदाधिकतरियो और कार्यकर्ताओ ने एक राय होकर कार्यालय पर ताले जड़ दिए ,भाजपा के वरिष्ट नेता दिलीप पालीवाल ने कहा कि जसवंत सिंह कि उम्मीदवारी कि घोषणा के बाद ही कार्यालय के ताले खुलेंगे।

मंगलवार, 18 मार्च 2014

अपने ऊपर दर्ज मामलो से बचने के लिए भाजपा में गए कर्नल अमिन खान


पूर्व मंत्री अमिन खान ने कर्नल पर लगाये आरोप
अपने ऊपर दर्ज मामलो से बचने के लिए भाजपा में गए कर्नल अमिन खान 

बाड़मेर बाड़मेर जिले के अल्पसंख्यक खुर्राट नेता और पूर्व मंत्री अमिन खान ने कांग्रेस के दिग्गज जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी के भाजपा में शामिल होने को मौकापरस्ती बताया ,उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नल पर कई मामले दर्ज हें। उन मामलो से बचने के लिए वो भाजपा में शामिल हुए हें। उन्होंने बताया कि कर्नल के भाजपा में जेन से कांग्रेस मजबूत होगी। उलेखनीय हें बाड़मेर जैसलमेर से तीन मर्तबा सांसद रहने वाले कर्नल सोनाराम चौधरी कि चौथी जीत को अमिन खान कि नाराजगी ने रोका था ,कर्नल के खिलाफ मुस्लिम मतदाताओ ने जमकर भाजपा को वोट कर कर्नल को झटका दिया था। मुस्लिमो कि कर्नल से नाराजगी अभी भी जारी हें।

सोमवार, 10 मार्च 2014

रिपोर्ट कार्ड सांसद हरीश चौधरी विकास के खोखले दावे ,जनता मांगेगी हिसाब

रिपोर्ट कार्ड सांसद हरीश चौधरी विकास के खोखले दावे ,जनता मांगेगी हिसाब


बाड़मेर कभी विश्व के सबसे बड़े रहे संसदीय क्षेत्र बाड़मेर जैसलमेर के वर्तमान सांसद हरीश चौधरी के कार्यकाल    पूर्ण हो गए. इस साढ़े तीन सालो में सांसद द्वारा बाड़मेर जैसलमेर के विकास के लिए कोई ख़ास विकास कार्य कराये गए हो ऐसा कोई उदाहरण सामने नहीं आये. बाड़मेर में श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बाड़मेर यात्रा को छोड़ दिया जाए तो कोई खास उपलब्धि नहीं रही.

थार एक्सप्रेस का ठहराव बाड़मेर में नहीं
सांसद ने चुनाव के समय जो घोषनाएँ जनता के सामने की उसमे कोई पूरी नहीं हुई. एक एक घोषणा की समीक्षा. सांसद ने भारत पाकिस्तान के मध्य चलने वाली थार एक्सप्रेस के बाड़मेर ठहराव की घोषणा की थी, राज्य और केंद्र में सांसद के पार्टी की सराकारे होने तथा कड़ी से कड़ी जुडी होने के बावजूद थार एक्सप्रेस के बाड़मेर ठहराव को लेकर कोई अंतिम निर्णय अब तक नहीं हुआ. सांसद द्वारा बाड़मेर जिले को मीठा पानी एक साल में उपलब्ध करने की घोषणा की गयी थी. मौजूदा वक़्त में वसुंधरा राजे कार्यकाल की स्वीकृत चार बड़ी योजनाओ पर काम चल रहा हें,

एन एच पन्द्रह के पश्चिमी क्षेत्र में पाक नागरिको को आने की छूट नहीं

बाड़मेर में एन एच पन्द्रह के पश्चिम में पाकिस्तानी नागरिको की आवा जाही पर लम्बे समय से प्रतिबन्ध लगा हुआ हें, क्षेत्रीय सांसद ने इस नियम में छूट दिलाने की घोषणा की थी, चूँकि बाड़मेर जिले के सरहदी क्षेत्रो में बसे नागरिको की बड़ी संख्या में पाकिस्तान में रिश्तेदारिया हें, पाकिस्तान से उनके रिश्तेदार बाड़मेर आना चाहते हें मगर केंद्र सरकार के नियमो के चलते पाक नागरिको को बाड़मेर का वीजा नहीं मिलता. जिसके चलते उन्हें जोधपुर या अन्य शहरों में रुकना पड़ता हें, सरहदी क्षेत्रों के निवासियों के लिए यह एक बहूत बड़ा मुद्दा था जिसका समाधान करने का वादा सांसद ने किया था मगर वो आज भी पूरा नहीं हो पाया.
बाड़मेर वीजा केंद्र खोलने कि पैरवी नहीं


सरहदी जिले के तमाम उन लोगो के लिए जिनकी रिश्तेदारियां पाकिस्तान में हें वीजा लेना दुष्कर कार्य हो गया हें ऐसे में सांसद द्वारा चुनावो में बाड़मेर मुनाबाव में वीजा केंद्र खोलने कि घोषणा कि थी मगर पांच साल में सांसद कार्य किया वाही बता सकते हें।


रिफायनरी अधरझूल में

बाड़मेर संसद द्वारा बाड़मेर में रिफायनरी लगाने का वादा किया गया था मगर उनका कार्यकाल साढ़े तीन साल का बीत जाने के बावजूद रिफायनरी लगाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये जिसके कारन रिफायनरी उनके अपने क्षेत्र बायतु से पचपदरा शिफ्ट हो गयी। स्थानीय नागरिको द्वारा रिफायनरी बचने के लिए जो आंदोलन किया उस आंदोलन का हिस्सा सांसद बने। राज्य और केंद्र सरकार कांग्रेस कि होने के बावजूद सांसद कोई ख़ास काम बाड़मेर के लिए नहीं करा पाये।

राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना पर लगा पलीता

बाड़मेर हर गाँव ढाणी को राजीव गांधी विद्युत् योजना में बिजली पहुँचाने का कार्य 2010 के अंत में पूरा होना था मगर योजना में चल रहे भरष्टाचार के कारन अभी योजना का काम पूरा नहीं हुआ, स्याम जन प्रतिनिधि विभाग पर कनेक्सन के बदले पैसे लेने तथा प्राथमिकता ख़त्म करने के आरोप जिला परिषद् की बेथाको में लगा चुके हें

मीठे पानी की सौगात, दूर की कौड़ी

बाड़मेर की जनता की प्रखर समस्या पेयजल की थी जिसे ना तो राज्य सरकार पूरा कर पी न ही केंद्र सरकार बाड़मेर लिफ्ट केनाल की अद्शिरी योजना का उद्घाटन सिर्फ क्रेडिट के लिए कराया वरना इस योजना में नब्बे फीसदी कार्य अधूरा पडा हें, सम्बंधित विभाग का भी दावा हें की इस योजना का काम अभी प्रथम चरण को पूरा करने में तीन साल का समय लगेगा, बाड़मेर शहर को मीठा पानी देना शुरू किया था वो जल्दी विभाग की पुरानी योजना से जोड़कर, जबकि लिफ्ट केनाल का कार्य शहर में नब्बे फीसदी बाकी हें, बाड़मेर जैसलमेर के बीच करीब सात सौ गाँवो को इस योजना से जोड़ना था मगर एक भी गाँव इस योजना से नहीं जुदा.

उम्मेद सागर धवा समदडी पेयजल योजना आज भी अधूरी

इस योजना के लिए गत भाजपा की वसुंधरा राजे की सरकार ने बजट दिया था उसके बाद से इस योजना का काम ठप्प पडा है. एक भी गाँव लाभान्वित नहीं यही हाल पोकरण फलसुंड पेयजल योजना का है.
डी एन पी क्षेत्र को कोई राहत नहीं

बाड़मेर जैसलमेर जिलो के पाकिस्तान के सरहद पर बसे लगभग 55 गाँव राष्ट्रीय मरू उद्यान की जड़ में आने से पिछले कई सालो से विकास से वंचित हें, इस क्षेत्र को डी एन पी से मुक्त करने और विकास कार्य करने का दावा खोखला साबित हुआ, आज भी इस क्षेत्र में विकास का कोई कार्य नहीं हो रहा ग्रामीणों को कोई राहत नहीं.

शहरी विकास गौरव गोयल के खाते में

बाड़मेर शहर में विकास के कई कार्य चल रहे हें. रेलवे ओवेरब्रिज का काम अभी काफी अधीरा हें जहां अन्य प्रान्तों में ब्रज का कार्य छह माह में पूरा कर लिया जाता हें वहीं बाड़मेर में गत तीन सालो से कछुआ चाल से चल रहा हें, इस योजना के अलावा शहर में आधुनिक बस स्टैंड, म्यूजिकल फाउन्डेसन, जोगिंग ग्राउंड, मेरिज गार्डन जैसी योजनाओ पर काम चल रहा हें यह सरे काम तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल के खाते में जाते हें

बाड़मेर कांडला रेलवे सर्वे

बाड़मेर कांडला रेलवे लाइन के सर्वे काम तत्कालीन सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी के कार्यकाल में संपन हो गया था, इस योजना का काम इससे आगे नहीं बढ़ा,

सांसद राशि का उपयोग पूर्ण नहीं

क्षेत्रीय सांसद निधि कोष की राशि का भी उपयोग आम जनता के काम नहीं आया. यह बजट कुछ ख़ास लोगो तक सिमट कर रह गया.पांच साल में सांसद द्वारा मात्र साढ़े नौ करोड़ रुपये के विकास कार्य ही करा पाये। संसद निधि कोष का भी पूरा उपयोग जिले के विकास के लिए नहीं हुआ

जसवंतपुरा रेल सांसद का सफ़ेद झूठ


गत साल रेल बजट में केंद्र सरकार द्वारा बाड़मेर जिले को को रेल या लाइन नहीं दी। बजट के तुरंत बाद क्षेत्रीय सांसद द्वारा बमेर से जसवंत पूरा रेल कि स्वीकृति के बयान समाचार पत्रो में प्रकाशित करवाए थे। डेढ़ साल गुजर जाने के बाद कथित स्वीकृत रेल का कोई अता पता नहीं। अब फिर टीम मई से रेल चलने का दवा सांसद कर रहे हें


संसद में पैरवी

क्षेत्री सांसद द्वारा संसद में बहस में भाग लेने तथानिजी विधयेक प्रस्तुत करने मे भी फिसड्डी साबित हुए उनके द्वारा छियासी फीसदी उपस्थिति के बावजूद मात्र सेंतालिस बहसों में ही भाग लिया जबकि एक भी निजी विधेयक प्रस्तुत नहीं कर पाए अलबता प्रश्न पूछने में उनका प्रदर्शन बेहतर रहा उन्होंने अपने कार्यकाल में संसद में चार सौ तिरानवे प्रश्न पूछे.

शनिवार, 1 मार्च 2014

बाड़मेर। संसदीय राजनीति 1952 से थार की सियासत में दिग्गजों का रहा दबदबा


बाड़मेर। ये हैं अब तक के हमारे सांसद 

संसदीय राजनीति 1952 से थार की सियासत में दिग्गजों का रहा दबदबा


बाड़मेर। थार की सियासत में दांव पेच की राजनीति ने कई रंग दिखाए। लोकसभा क्षेत्र बाड़मेर जैसलमेर से दिग्गजों के सिर जीत का सेहरा बंधा। लोकतंत्र का आगाज राजपरिवारों को समर्पित रहा, लेकिन लंबी पारी कांग्रेस नेताओं ने खेली। वैसे रामराज्य परिषद, जनता पार्टी, जनता दल के प्रत्याशी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे। सियासत के सफर में कई उतार चढ़ाव आए। जनसंघ के नेता भैरोंसिंह शेखावत, कांग्रेस नेता खेतसिंह राठौड़ समेत कई बाहरी क्षेत्र के नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। छह दशक के राजनैतिक सफर में एकमात्र जनता दल से चुनाव जीते कल्याणसिंह कालवी को केन्द्रीय मंत्रीमंडल में शामिल किया गया। यहां से तनसिंह, वृद्धिचंद जैन, अमृत नाहटा दो बार सांसद चुने गए। जबकि कर्नल सोनाराम चौधरी ने लगातार तीन बार चुनाव जीता।

कब कौन जीता किसे हराया
1952 भवानीसिंह निर्दलीय पूनमचंद विश्नोई कांग्रेस


1957 रघुनाथसिंह ((निर्दलीय)) गोवर्धनदास बिन्नानी ((कांग्रेस))


1962 तनसिंह ((रामराज्य परिषद)) ओंकारसिंह ((कांग्रेस))


1967 अमृत नाहटा((कांग्रेस)) तनसिंह ((स्वतंत्र पार्टी))


1971 अमृत नाहटा((कांग्रेस)) भैरोसिंह शेखावत ((जनसंघ))


1977 तनसिंह ((जनता पार्टी)) खेतसिंह ((कांग्रेस))


1980 वृद्घिचंद जैन((कांग्रेस)) चन्द्र वीरसिंह((जनता पार्टी))


1984 वृद्घिचंद जैन ((कांग्रेस)) गंगाराम चौधरी ((लोकदल))


1989 कल्याणसिंह कालवी ((जनता दल)) वृद्धिचंद जैन ((कांग्रेस))


1991 रामनिवास मिर्धा ((कांग्रेस)) कमल विजय ((भाजपा))


1996 कर्नल सोनाराम चौधरी ((कांग्रेस)) जोगराजसिंह ((भाजपा))


1998 कर्नल सोनाराम चौधरी ((कांग्रेस)) लोकेंद्रसिंह कालवी ((भाजपा))


1999 कर्नल सोनाराम चौधरी ((कांग्रेस)) मानवेन्द्र सिंह ((भाजपा))


2004 मेजर मानवेन्द्र सिंह ((भाजपा)) कर्नल सोनाराम ((कांग्रेस))


2009 हरीश चौधरी ((कांग्रेस)) मानवेन्द्र सिंह ((भाजपा))


2014 कर्नल सोनाराम चौधरी (भाजपा) जसवंत सिंह (निर्दलीय )

लोकसभा चुनाव का आगाज 1952 में हुआ। छह दशक के चुनावी दंगल में अलग अलग पार्टियों के प्रत्याशी विजयी रहे। सर्वाधिक रिकार्ड मतों से जीत भाजपा प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह ने सन 2004 के चुनाव में 2 लाख 71 हजार वोटों से दर्ज की। जबकि सबसे कम 17711 मतों से रामराज्य परिषद के प्रत्याशी तनसिंह ने सन 1962 में जीता था।


संसदीय क्षेत्र बाड़मेर-जैसलमेर से लगातार तीन बार चुनाव जीतने का रिकार्ड कर्नल सोनाराम के नाम दर्ज है। कर्नल ने सन 1996 में भाजपा प्रत्याशी जोगराजसिंह राजपुरोहित, 1998 में लोकेंद्रसिंह कालवी व सन 1999 में मानवेन्द्र सिंह को पराजित कर जीत दर्ज की। उन्होंने चार  बार सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया।२०१४ में सोनाराम चौधरी ने निर्दलीय जसवंत सिंह को महत्वपूर्ण मुकाबले में हराया था 



रिकार्ड जीत मानवेन्द्र के नाम सन 2004 के चुनाव में 2 लाखा 71 हजार वोटों से दर्ज की। थार में जीत का दबदबा रहा।अगले चुनावो में कांग्रेस के हरीश चौधरी ने भाजपा के मानवेन्द्र सिंह को हटाकर फिर सीट कांग्रेस कि झोली में डाल दी। इस बार लोक सभा के चुनाव दिलचस्प होंगे 

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

शुक्रवार को बाड़मेर सीट कि भाजपा कि चौसर जमेगी जयपुर में

शुक्रवार को बाड़मेर सीट कि भाजपा कि चौसर जमेगी जयपुर में


बाड़मेर आगामी लोक सभा चुनावो में भारतीय जनता पार्टी से बाड़मेर जैसलमेर संसदीय सीट से प्रत्यासी कौन होगा ,राजनीती शतरंज कि चौसर शुक्रवार को जयपुर में जमेगी जहा भाजपा के भावी उम्मीदवार का नामो का खुलासा होगा। पार्टी सूत्रानुसार जयपुर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ,अध्यक्ष अशोक परनामी। प्रभारी कप्तान सिंह कि उपस्थिति में बाड़मेर जैसलमेर भाजपा कार्यकारिणी और पदाधिकारी आगामी लोक सभा चुनावो के लिए पार्टी प्रत्यासी पर चर्चा करेंगे।भाजपा से प्रबल दावेदारी पूर्व वित् मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह कि हें। वाही विधानसभा चुनावो में असफल रही डॉ प्रियंका चौधरी लोक सभा चुनाव लड़ने कि इच्छुक हें उन्होंने अपनी दावेदारी पेश कि हें। साथ ही ऍन आर चौधरी भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हें ,इनमे से सबसे ज्यादा चौंकाने वाली दावेदारी समाज सेवी और ठेकेदार तन सिंह चौहान कि हें। पार्टी कार्यकर्ता किस प्रत्यासी पर अपनी मोहर लगाएंगे यह शुक्रवार को तय होगा। बाड़मेर भाजपा संघठन हसवन्त सिंह कि समर्थन में हें ,बाड़मेर सीट जसवंत सिंह ही निकल सकते हें क्यूंकि मुस्लिम जसवंत सिंह को सहयोग करेंगे दूसरे उम्मीदवार के सामने कांग्रेस का पारम्परिक गठबंधन तोड़ने का माद्दा नहीं हें। हालांकि सूत्रो ने बताया कि भाजपा कि राष्ट्रिय स्तर पर आने वाली सूचि में जसवंत सिंह का नाम बाड़मेर से प्रस्तावित हें। ऐसे में जयपुर कि बैठक औपचारिक मात्र होगी।

कांग्रेस में खलबली ,जसवंत सिंह के सामने किसे लड़ाएगी कांग्रेस ?ज्योति मिर्घा या हरीश चौधरी


कांग्रेस में खलबली ,जसवंत सिंह के सामने किसे लड़ाएगी कांग्रेस ?ज्योति मिर्घा या हरीश चौधरी




बाड़मेर कभी ऐसिअ के सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र रहे बाड़मेर जैसलमेर लोक सभा सीट पर इस बार पुरे देश कि नज़ारे रहने वाली हें। एक बार फिर बाड़मेर संसदीय सीट चर्चाओ में हें। भारतीय जनता पार्टी कि राष्ट्रिय राजनीती में चार दशको कि सेवा के बाद राष्ट्रिय नेता और पूर्व वित् विदेश और रक्षा   मंत्री जसवंत सिंह अपने गृह जिले बाड़मेर से लोक सभा का चुनाव लड़ने कि ठान चुके हें कहने को दो तीन दावेदार के हें जसवंत सिंह का हें। भाजपा से जसवंत सिंह का नाम ,तय मना जा रहा हें ,जसवंत सिंह के नाम के आने के बाद विधानसभा चुनावो में बुरी तरह हारी कांग्रेस को और चिंता में दाल दिया हें। कांग्रेस कि और से वर्त्तमान हरीश चौधरी को प्रबल दावेदार माना जाता हें मगर क्षेत्र में उनकी स्थति बेहद नाज़ुक हें यह कांग्रेस के सर्वे में हें ऐसे में कांग्रेस हरीश चौधरी को बदल दे तो कोई आश्चर्य नहीं ,हरीश चौधरी के स्थान पर नागौर संसद ज्योति मिर्धा और पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी दावेदारी में शुमार हें ,राहुल गांधी इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहते। जसवंत सिंह को कांग्रेस से गैर जात ही टक्कर दे सकता हें ,जात उम्मीदवार के उतरने से जसवंत सिंह स्वतः मजबूत होंगे। विधानसभा चुनावो में जाट मतदाताओ ने खुलकर भाजपा का साथ दिया ,जिसके कारन अल्पसंख्यक समुदाय के शिव विधानसभा से कांग्रेस प्रत्यासी अमिन खान बुरु तरह से चुनाव हार गए। मुस्लिम नेता अपनी हार का कारण जाट नेताओ को मानते हें ,मुस्लिम नेताओ का कहना हें कि जाट नेताओ ने मुस्लिम प्रत्यासी कि मदद नहीं कि जाटो के वोट मुस्लिमो को नहीं मिलने से पश्चिमी राजस्थान में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं जीत पाया। मुस्लिम नेताओ ने तय कर दिया हें कांग्रेस यदि किसी भी जाट को उम्मीदवार बनाती हें मुस्लिम समाज उन्हें सहयोग नहीं करेंगे। कांग्रेस के परम्परागत जाट ,मुस्लिम मेघवाल गठबंधन विधासभा चुनावो में तार तार हो गया। जिसका विपरीत असर लोक सभा चुनावो में पड़ना तय हें। कहने को कांग्रेस एक मात्र बाड़मेर विधानसभा सीट पर जीती हें। बाड़मेर सीट कांग्रेस प्रत्यासी द्वारा जितने का एक मात्र कारन कांग्रेस प्रत्यासी का गैर जाट होना था। जसवन सिंह के पास सबसे विश्वशनीय चुनावी हथ्यार क्षेत्र के चार लाख अल्पसंख्यक मतदाता हें जो जसवंत सिंह जी के मुरीद हें। मुस्लिम समाज कि जसवंत सिंह पहली पसंद बने हुए हें। जसवंत सिंह को राजपूत ,दलित वर्ग ,मुस्लिम और अन्य जातियो का प्यूरा समर्थन हासिल हें। क्षेत्र के लोग चाहते हें कि जसवंत सिंह बाड़मेर से चुनाव लड़े। जसवन सिंह का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस में खलबली मची हुई हें।

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

मंत्री शाहिद अली के आतंकियों से संबंध

पटना। नीतीश सरकार के मंत्री शाहिद अली खां पर संदिग्ध आतंकियों से संबंध होने के आरोप लगने के सूबे में सियासी कोहराम मच गया है। एसएसबी की इंटेलिजेंस यूनिट ने पुलिस मुख्ख्यालय को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि इंडियन मुजाहिदीन और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से ताल्लुक रखने वाले मोतिहारी के दो संदिग्धों से मंत्री के संबंध हैं। मंत्री शाहिद अली के आतंकियों से संबंध
इस बात का खुलासा एक समाचार चैनल ने जब किया, तो इसे लेकर पुलिस और सत्ताधारी महकमे में खामोशी छा गई। बाद में पुलिस मुख्ख्यालय ने इन आरोपों की पुष्टि नहीं की। एसएसबी ने जांच के लिए मोतिहारी अैर सीतामढ़ी एसपी को भी पत्र भेजा था। हालांकि दोनों जिलों के एसपी ने अपनी रिपोर्ट में इस आरोप को खारिज कर दिया है।

एडीजी रवीन्द्र कुमर ने बताया कि राज्य सरकार के मंत्री के संबंध संदिग्ध आतंकी और आईएसआई के एजेंट से होने के संबंध में एसएसबी द्वारा एसटीएफ को पिछले महीने जानकारी दी गई थी। पत्र में कहा गया था कि मोतिहारी निवासी जमील अख्तर और मंजूर साई के राज्य सरकार के मंत्री से संबंध हैं। सीतामढ़ी और मोतिहारी पुलिस से इसकी छानबीन कराई गई। दोनों जिलों के एसपी ने जमील अख्तर और मंजूर साई के आतंकी होने और मंत्री से उनके संबंधों की पुष्टि नहीं की है।


एडीजी के मुताबिक सीतामढ़ी एसपी ने 26 जनवरी को भेजी अपनी रिपोर्ट कहा कि जमील अख्तर आठ वर्षो से बैरगनिया में रहकर साईकिल की दुकान चलाता है। वहीं मोतिहारी एसपी ने जांच के बाद बताया कि मंजूर साई फुलवारी, ढाका में राज मिस्त्री का काम करता है। पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक जमील अख्तर और मंजूर साई का न तो आतंकियों से न ही मंत्री से संबंध की बात पुष्टि हुई है।

एक और आप विधायक फंसे, महिला से छेड़छाड़ का केस दर्ज

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के एक और विधायक फंस गए हैं। दिल्ली के कोंडली से विधायक मनोज कुमार पर महिला से छेड़छाड़ और मारपीट का केस दर्ज किया गया है। इससे पहले आप विधायक सोमनाथ भारती पर भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप लगे थे। पुलिस का कहना है कि मनोज कुमार के मामले में जांच की जा रही है। अभी विधायक से किसी तरह की कोई पूछताछ नहीं की गई है।एक और आप विधायक फंसे, महिला से छेड़छाड़ का केस दर्ज
शनिवार दोपहर कोंडली क्षेत्र की एक महिला विधायक के दफ्तर पहुंची। जहां पर वह पानी की समस्या की शिकायत लेकर गई थी। लेकिन महिला का कहना है कि उसकी समस्या नहीं सुनी गई। जिसके बाद उसने विधायक के दफ्तर में तोड़फोड़ की और कई पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की। दफ्तर में मौजूद फर्नीचर तोड़ दिया गया। बाद में महिला ने न्यू अशोक नगर पुलिस थाने में विधायक के खिलाफ छेड़छाड़ और मारपीट का केस दर्ज कराया। वहीं दूसरी ओर विधायक ने भी महिला के खिलाफ तोड़फोड़ और मारपीट का केस दर्ज कराया है। साथ ही विधायक ने महिला पर आरोप लगाया है कि वह बसपा की एजेंट है। साथ ही कहा कि हमले के पीछे बहुजन समाज पार्टी के पार्षद के कार्यकर्ता हैं।

विधायक ने कहा कि उसके दफ्तर में मौजूद कार्यकर्ता को हमले में मामूली चोटें भी आई हैं। दफ्तर के कुछ कंप्यूटरों की भी नुक्सान पहुंचाया और हमलावर कई प्रोजेक्टर ले गए। कुमार ने बताया कि बसपा विधायक और उसके बीच इलाके में पानी की समस्या को लेकर कुछ विवाद था।

आप पार्टी पर हमले की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 30-40 लोगों ने पार्टी के कौशांबी में स्थित दफ्तर पर हमला कर दिया था। आप नेता प्रशांत भूषण के कश्मीर मुद्दे पर बयान का विरोध करते हुए यह हमला किया गया था। हिंदु रक्षक दल ने हमले की जिम्मेदारी ली थी।

रविवार, 26 जनवरी 2014

राज्य मंत्री ने वयोवृद्ध नेता गंगाराम चौधरी की कुषलक्षेम पूछी !


राज्य मंत्री ने वयोवृद्ध नेता गंगाराम चौधरी की कुषलक्षेम पूछी !

बाड़मेर सहकारिता राज्य मंत्री श्री अजयसिंह किलक द्धारा बाड़मेर में गणतंत्र दिवस समारोह मे झंडारोहण किया तत्पष्चात उन्होने भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता श्री गंगाराम चौधरी के स्वास्थ्य सम्बधी हालचाल जाने। इस अवसर पर प्रदेष कार्यकारणी सदस्य डा.प्रियंका चौधरी व भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष मेजर पर्बतसिंहजी व अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ता द्धारा उनका स्वागत किया गया।

डा. प्रियंका चौधरी व उपसिथत पदाधिकारीयो अन्य कार्यकर्ताओ द्धारा डोडा-पोस्त वितरण कि व्यवस्था को व्यवसिथत करने व उच्च षिक्षा के क्षेत्र मे महाविधालय तथा इंजनीयरिग कालेज खोलने की मांग की। राज्यमंत्री द्धारा इन समस्याओ के समाधान का आष्वासन दिया गया। इस कार्यक्रम मे पाहाड़सिंह चूली, परागसिंह सोढ़ा, जिला महामंत्री हेमाराम डऊकिया ,ग्रामीण मंण्डल अध्यक्ष महावीर सिंह चूली, नगर महामंत्री हरिसिंह राठौड़ ,बलवतसिंह भाटी ,कुड़ला सरपंच रेखाराम सियोल,अचलाराम चौधरी, जालूराम बैनिवाल,देवीसिंह राठौड़, मांगीलाल महाजन ,सवार्इ सिंह ढीमा ,पदमसिंह राठौड़ ,गजेन्द्र सिंह रावणा,महेन्द्रसिंह चावड़ा,जीवाराम मेघवाल,मुनाराम भांभु,धनराज सोनी,पुखराज सोनी आदि कर्इ कार्यकर्ता उपसिथत थे।

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

संसदीय चुनावो कि आहट। ।जसवंत सिंह के साथ रूपाराम ,हरीश और तन सिंह कि उम्मीदवारी के चर्चे

संसदीय चुनावो कि आहट। ।जसवंत सिंह के साथ रूपाराम ,हरीश और तन सिंह कि उम्मीदवारी के चर्चे


बाड़मेर आठ दिसंबर को विधानसभा चुनावो के परिणाम आने के साथ ही थार नगरी में आगामी मई में होने वाले संसदीय चुनावो को लेकर चर्चे आम हो गए। आम जन संसदीय चुनावो में उम्मीदवारो के नामो के कयासों में लगे हें वैसे तो दर्जन भर उम्मीदवारो के नामो के चर्चे हो रहे हें मगर भाजपा से खासतौर से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के नाम के चर्चे हें हेंवहि दूसरा बड़ा नाम उभर कर अब तक राजनीती से किनारा कर रहे समाजसेवी तन सिंह चौहान का हें। वाही नाथाराम चौधरीओ ,डॉ प्रियंका चौधरी के नामो को भी हवा दी जा रही हें। विधानसभा चुनावो में कांग्रेस का जातिगत गणित गड़बड़ा जेन के बाद बुरु तरह मात खाये सांसद हरीश चौधरी कि राह बेहद कतरहीं नज़र आने लगी हें चर्चाकारों को। चर्चाकारों का मानना हें जैसलमेर से चुनाव हारे रूपाराम मेघवाल हरीश चौधरी से बेहतर उम्मीदवार हो सकते हें।


विधानसभा चुनावो में जिस प्रकार बाड़मेर जैसलमेर में भाजपा ने परचम लहराया हें उसे भाजपा कि उम्मीदे इस सरहदी जिलो कि सीट पर अपेखये बढ़ गयी हें ,जसवंत सिंह भाजपा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार माने जा रहे हें ,बाड़मेर विधानसभा चुनावो में भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी के प्रचार कि कमान सम्भालने वाले तन सिंह चौहान ने राजनीती क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाते हुए ऊँची छलांग लगाई हें मगर राजपूत समाज ने ही उन्हें पूरी तरह स्वीकार नहीं किया यही बात डॉ प्रियंका चौधरी पर लागू होती हें ,प्रियंका चौधरी को अन्य समाजो ने भरपूर समर्थन दिया मगर उनके परंपरागत स्वजातीय मतदाता जाट तीन हिस्सो में बाँट गए जिसकले चलते उन्हें मामूली अंतर से हराना पड़ा ,हालांकि उनकी हार में भाजपा संघठन के बड़े खिलाड़ियो ने अपनी भूमिका निभाई हें ,फिर भी तन सिंह और प्रियंका चौधरी भाजपा के दावेदारी में शामिल हें।


कांग्रेस कि सरहदी जिलो में गत बिगड़ने का श्रेय सांसद हरीश चौधरी को दिया जा रहा हें चाहे वो निर्मलदास कि अप्रत्यासित उम्मीदवारी हो या रूपराम मेघवाल को सामान्य सीट से चुनाव लड़ने कि जिद या कांग्रेस के ड्रीम प्रोजेक्ट रिफायनरी स्थल पचपदरा से मदन प्रजापत को चुनाव लड़ने का निरनय सब बेकार गए ,कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारी ,एक मात्र सीट बाड़मेर कि मेवाराम जैन ने निकली तो व्यक्तिगत और पैसो के दम पर ,हरीश चौधरी कि जीत के समीकरण तहस नहस हो गए ,हरीश चौधरी के लाख प्रयाद्सो के बावजूद अमिन खान को शिव में जाट वोट नहीं दिला पाये। कर्नल सोनाराम कि हर नहीं ताल सके ,हेमाराम चौधरी कि बात अनसुनी कर सिवाना से कलबी को टिकट नहीं देकर उन्हें हार के रस्ते पर डालने हे भी उनकी हार तय हुई।


आम चुनाव मई में होने जा रहे हें। बाड़मेर से नाथाराम चौधरी के नाम कि चर्चा भी आई। तो बीकानेर के दिग्गज राजपूत नेता देवी सिंह भाटी कि सम्भावना को नक्कारा नहीं जा सकता। कांग्रेस हार से आहात होकर मुस्लिम कार्ड खेलती हें तो चौहटन प्रधान शम्मा खान के नाम पर मोहर भी लगा सकती हें।


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सोमवार, 9 दिसंबर 2013

यह हें कांग्रेस कि मारवाड़ में बड़ी हार के कारन

यह हें कांग्रेस कि मारवाड़ में बड़ी हार के कारन 
जानिए उन कारणों को जिनसे राजस्थान कांग्रेस की डूबी लुटिया
जयपुर। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ऎतिहासिक जीत दर्ज की है। पार्टी को कुल 162 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गई। राजस्थान के इतिहास में कांग्रेस को पहली बार इतनी करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

जाट राजपूतो के साथ नाइंसाफी मारवाड़ में अशोक गहलोत ने जाट राजपूतो के साथ नाइंसाफी कि ,राजपूतो को मात्र दो टिकट दिए तो जाट समाज को कांग्रेस से तोड़ने कि रणनीति पर कम किया ,जिससे राजपूत समाज गहलोत के खिलाफ लामबंद हो गया तो जाट समाज ने गहलोत के जाट विरोधी रवैये के कारन कांग्रेस से किनारा कर लिया लिहाजा गहलोत कांग्रेस मारवाड़ में एक भी जाट राजपूत को जीता नहीं पाई मात्र तीन सीटे मिली। गहलोत ने दिग्गज जाट नेता हेमाराम चौधरी और कर्नल सोनाराम चौधरी से पंगा ले लिया था। कर्नल वैसे ही उनके खिलाफ थे , हेमाराम को उनकी इच्छानुसार टिकट नहीं दी जिससे उनकी नाराजगी बढ़ी।


रिफायनरी पर कोरी राजनीती। । अशोक गहलोत जिस रिफायनरी को अपनी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट बता कर आनन् फानन में सोनिए गण्डशी से शिलान्यास करवाया ,पुरे विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने प्रचार में रिफायनरी के मुद्दे को दूर रखा ,रिफायनरी महज चुनावी स्टंट बन कर रह गया।

इससे पहले 1977 में कांग्रेस को 41 सीटें मिली थी। अशोक गहलोत का कहना है कि वसुंधरा राजे ने झूठा प्रचार किया और अफवाहें फैलाई। इसकी वजह से उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन हार की कई अन्य वजहें भी हैं।

ऎसा नहीं है कि अशोक गहलोत सरकार ने अच्छा काम नहीं किया। मुफ्त दवा, मुफ्त जांच, जननी सुरक्षा सहित कई अन्य योजनाओं से आम जनता को बहुत फायदा हुआ लेकिन पार्टी सत्ता विरोधी लहर को भांपने में नाकाम रही।

वे कारण जो कांग्रेस की हार की वजह बने

1. बढ़ती महंगाई के कारण लोगों में जबरदस्त गुस्सा था। भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने इस गुस्से को हवा दी।

2. एंटी मीणा(जाति)सेंटिमेंट:जातियों के अंदर अंडरकरंट था कि अगर किरोड़ी लाल मीणा की पार्टी राजपा जीत गई तो वह सरकार को बंधक बनाकर रखेगी। मीणा वोटरों ने करौली,दौसा,सवाई माधोपुर,भरतपुर और अलवर में राजपा को खूब वोट दिए। पार्टी ने पांच सीटें भी जीती लेकिन अन्य जातियां भाजपा के पक्ष में हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि किरोड़ी लाल मीणा सवाई माधोपुर से चुनाव हार गए। उनकी पत्नी गोलमा देवी भी महुवा से चुनाव हार गई।

3. गहलोत सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण का समर्थन किया। समता आंदोलन और मिशन 72 ने इसका विरोध किया था। गहलोत सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने की कोशिश की। इससे अगड़ी जातियों में यह संदेश गया कि गहलोत अगड़ी जातियों के विरोधी हैं। ऎसे में वे भाजपा के पक्ष में एकजुट हो गई।

4. अल्पसंख्यक विरोधी सेंटिमेंट:गोपालगढ़ में दंगों के बाद कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत की जमकर खिंचाई की। गहलोत सरकार पर आरोप लगा कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहे। बजट में भी गहलोत ने अल्पसंख्यकों को बड़ी सौगातें दी। बहुसंख्यक समुदाय ने इस पर रिएक्ट किया।

5. साढ़े चार साल तक गहलोत सरकार ने बड़ी घोषणाएं नहीं की। चुनाव नजदीक आने पर पिछले छह महीने में गहलोत सरकार ने मुफ्त में लैपटॉप, टैबलेट, साडियां, ब्लैंकेट, साइकिलें और दवाइयां बांटनी शुरू की। इस पर भाजपा ने लोगों तक यह संदेश पहुंचाया कि कांग्रेस वोटों को खरीदने की कोशिश कर रही है।

बाड़मेर आठ में से छह पहली बार पहुंचे विधानसभा


बाड़मेर आठ में से छह पहली बार पहुंचे विधानसभा


बाड़मेर राज्य विधानसभा के गठन के लिए सम्पन हुए चुनावो के बाद आये परिणामो में भाजपा ने बाड़मेर जैसलमेर कि आठ सीटो पर फ़तेह हासिल कर नै इबारत लिखी हें। इनमे से छह जने पहली बार विधायक बने हें

बाड़मेर जिले कि शिव विधानसभा से भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अमिन खान को करीब बतीस हज़ार मतों से हराकर पहली बार विधायक बने। चूँकि वो बाड़मेर जैसलमेर से तीन बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हें ,इक बार जीते तो दो बार हारे हें ,इस बार उने भाजपा ने शिव से विधानसभा में उतारा और उन्हें बड़ी कामयाबी मिली।

गुड़ा मलानी से भाजपा के लादूराम विश्नोई पहली बार विधानसभा जायेंगे ,उन्होंने 2003 और 2008 में विधानसभा का चुनाव लड़ा दोनों बार हर गए ,तीसरे प्रयास में इस बार करीब तेंतीस हज़ार मतों से कांग्रेस के दिग्गज जाट नेता और राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को हराया

चौहटन से भाजपा के तरुण कागा भी पहली बार विधायक बने। उन्होंने भी दो चुनाव लड़े। एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ा दूसरी बार भाजपा से। दोनों बार चुनाव हार गए ,इस बार उन्होंने विधायक पदमाराम मेघवाल को करीब तेईस हज़ार से अधिक मतो से हरकलर पिछली हर का बदला ले लिया। वो पहली बार विधायक बने

सिवाना से हमीर सिंह भायल भी पहली बार विधायक बने ,उनका यह पहला चुनाव था ,पहली बार में उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के महंत निर्मलदास को तेईस हज़ार से अधिक मतो से हराया


बायतु से भाजपा के युवा कैलाश चौधरी भी पहली बार विधायक बने ,गत बार वो कांग्रेस के दबंग जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी से चौंतीस हज़ार मतो से हर गए थे ,इस बार उन्होंने कर्नल को तेरह हज़ार मतो से हरा कर बदला ले लिया।


पोकरण से शैतान सिंह राठोड पहली बार विधायक बने ,गत बार वो कांग्रेस के साले मोहम्मद से तीन सौ सैंतीस मतो से चुनाव हर गए थे ,इस बार उन्होंने साले मोहम्मद को चौंतीस हज़ार चार सौ चवालीस मतो से हरा दिया। मारवाड़ कि सबसे बड़ी जीत के हक़दार बने



रविवार, 8 दिसंबर 2013

यह हें जिले वार नए विधायक कौन कहा जीता


यह हें जिले वार नए विधायक कौन कहा जीता 

जयपुर। राजस्थान विधानसभा के 199 सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा ने 162 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस महज 21 सीटों पर सिमट गई। राजस्थान के इतिहास में ऎसा पहली बार हुआ जब भाजपा ने इतनी ज्यादा सीटें जीतकर इतिहास रचा, वहीं कांग्रेस की इतनी बुरी स्थिति रही।

तीसरे मोर्चे ने अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए खूब मशक्कत की। लेकिन जनता ने इन्हें नकार दिया। अन्य दलों में बसपा ने 3 जबकि किरोड़ीलाल मीणा की राजपा ने 4 सीटें जीतीं। नौ निर्दलीय भी जीत दर्ज करने में सफल रहे।

राजस्थान में किस उम्मीदवार को जनता का आशीर्वाद मिला, डालते हैं एक नजर

बीकानेर संभाग

बीकानेर

खाजूवाला-भाजपा-विश्वनाथ मेघवाल
बीकानेर पश्चिम-भाजपा-गोपाल जोशी
बीकानेर पूर्व-भाजपा-सिद्धी कुमारी
कोलायत-कांग्रेस-भंवर सिंह भाटी
लूणकरणसर-निर्दलीय-माणिक चंद
डूंगरगढ़-भाजपा-किशनाराम नाई
नोखा-कांग्रेस-रामेश्वर डूडी

श्रीगंगानगर

सादुलशहर-भाजपा-गुरजंट सिंह
गंगानगर-जमींदारा पार्टी-कामिनी जिंदल
करणपुर-भाजपा-सुरेन्द्रपाल टीटी
सूरतगढ़-राजेन्द्र भादू
रायसिंहनगर-जमीदारा पार्टी- सोना बावरी
अनूपगढ़-भाजपा-शिमला बावरी

हनुमानगढ़

हनुमानगढ़-भाजपा-डॉ. रामप्रताप
संगरिया-भाजपा-कृष्ण कड़वा
पीलीबंगा-भाजपा-द्रोपदी मेघवाल
नोहर-भाजपा-अभिषेक नोहर
भादरा-भाजपा-संदीप बेनीवाल

झुंझुनूं

झुंझुनूं-कांग्रेस-बृजेन्द्र ओला
पिलानी-भाजपा-सुंदर लाल
सूरजगढ़-भाजपा-संतोष अहलावत
मंडावा-निर्दलीय-नरेन्द्र खींचड़
नवलगढ़-निर्दलीय-राजकुमार शर्मा
उदयपुरवाटी-भाजपा-शुभकरण चौधरी
खेतड़ी-बसपा-पूरण सैनी

चूरू

सुजानगढ़-भाजपा-खेमाराम मेघवाल
सादुलपुर-बसपा-मनोज न्यांगली
तारानगर-भाजपा-जयनारायण पूनिया
सरदारशहर-कांग्रेस-भंवरलाल शर्मा
रतनगढ़-भाजपा-राजकुमार रिणवा

कोटा संभाग

कोटा

कोटा उत्तर-भाजपा-प्रहलाद गुंजल
कोटा दक्षिण-भाजपा-ओम बिड़ला
रामगंजमंडी-भाजपा-चन्द्रकंाता मेघवाल
पीपल्दा-भाजपा-विद्याशंकर नंदवाना
सांगोद-भाजपा-हीरालाल नागर
लाडपुरा-भाजपा-भवानी सिंह राजावत

बूंदी

बूंदी-भाजपा-अशोक डोगरा
हिंडोली-कांग्रेस-अशोक चांदना
केशोरायपाटन-भाजपा-बाबूलाल वर्मा

बारां

अंता-प्रभूलाल सैनी-भाजपा
किशनगंज-ललित मीणा-भाजपा
बारां-अटरू-रामपाल मेघवाल-भाजपा
छबड़ा-प्रताप सिंह सिंघवी-भाजपा

झालावाड़

मनोहरथाना-भाजपा-कंवरलाल मीणा
खानपुर-भाजपा-नरेन्द्र नागर
झालरापाटन-भाजपा-वसुंधरा राजे
डग-भाजपा-आरसी सुनेरीवाल


जोधपुर संभाग

जोधपुर

शेरगढ़-बाबूसिंह राठौड़-भाजपा
ओसियां-भैराराम चौधरी-भाजपा
लूणी-जोगाराम पटेल-भाजपा
जोधपुर शहर-कैलाश भंसाली- भाजपा
सूरसागर-सूर्यकांता व्यास-भाजपा
लोहावट-गजेन्द्र सिंह खींवसर-भाजपा
बिलाड़ा-अर्जुन गर्ग-भाजपा
फलौदी-भाजपा-पब्बाराम
लोहावट-भाजपा-गजेन्द्र सिंह
भोपालगढ़-भाजपा-कमसा मेघवाल
सरदारपुरा-कांग्रेस-अशोक गहलोत

पाली

पाली-भाजपा-ज्ञान प्रकाश पारख
जैतारण-भाजपा-सुरेन्द्र गोयल
सोजत-भाजपा-संजना आगरी
मारवाड़-जक्षन-भाजपा-केशाराम चौधरी
बाली-भाजपा-पुष्पेन्द्र सिंह
सुमेरपुर-भाजपा-मदन राठौड़


जैसलमेर

जैसलमेर-भाजपा-छोटूसिंह भाटी
पोकरण-भाजपा-शैतान सिंह भाटी

बाड़मेर

बाड़मेर-मेवाराम जैन-कांग्रेस
चौहटन-तरूणराय कागा-भाजपा
गुढ़ामालानी-लादूराम विश्Aोई-भाजपा
शिव-मानवेन्द्र सिंह-भाजपा
बायतू-भाजपा-कैलाश चौधरी्र
पचपदरा-भाजपा-अमराराम
सिवाना-भाजपा-हम्मीर सिंह

सिरोही

सिरोही-भाजपा-ओटाराम देवासी
पिण्डवाड़ा-भाजपा-समाराम
रेवदर-भाजपा-जगसीराम कोली

जालौर

जालौर-भाजपा-अमृता मेघवाल
आहोर-भाजपा-शंकर सिंह राजपुरोहित
भीनमाल-भाजपा-पूराराम मेघवाल
सांचौर-कांग्रेस-सुखराम विश्Aोई
रानीवाड़ा-भाजपा-नारायण सिंह देवल

अजमेर संभाग

किशनगढ़-भाजपा-भागीरथ चौधरी
पुष्कर-भाजपा-सुरेश रावत
अजमेर उत्तर-भाजपा-वासुेदव देवनानी
अजमेर दक्षिण-भाजपा-अनिता भदेल
नसीराबाद-भाजपा-सांवरलाल
ब्यावर-भाजपा-शंकर सिंह रावत
मसूदा-भाजपा-सुशील कंवर पलाड़ा
केकड़ी-भाजपा-शत्रुघ्न गौतम

टोंक

मालपुरा-भाजपा-कन्हैयालाल
निवाई-भाजपा-हीरालाल रैगर
टोंक-भाजपा-अजित मेहता
देवली-उनियारा-भाजपा-राजेन्द्र गुर्जर

नागौर

नागौर-भाजपा-हबीबुर्रहमान
लाडनूं-भाजपा-मनोहर सिंह
डीडवाना-भाजपा-युनूस खां
जायल-भाजपा-मंजू बाघमार
खींवसर-निर्दलीय-हनुमान बेनीवाल
मेड़ता-भाजपा-सुखराम नेतडिया
डेगाना-भाजपा-अजय सिंह
नावां-भाजपा-विजय सिंह
मकराना-भाजपा-श्रीराम भिंचर
परबतसर-भाजपा-मानसिंह किनसरिया

भीलवाड़ा

भीलवाड़ा-भाजपा-विट्ठल शंकर अवस्थी
मांडल-भाजपा-कालूलाल गुर्जर
साहड़ा-भाजपा-बालूराम जाट
शाहपुरा-भाजपा-कैलाश मेघवाल
जहाजपुर-कांग्रेस-धीरज गुर्जर
मांडलगढ़-भाजपा-कीर्ति कुमारी
आसींद-भाजपा-रामलाल गुर्जर

भरतपुर

वैर-भाजपा-बहादूर सिंह कोली
बयाना-भाजपा-बच्चू सिंह बंशीवाल
नगर-भाजपा-अनीता गुर्जर
कामां-भाजपा- कु.जगत सिंह
भरतपुर-भाजपा-विजय बंसल
डीग-कुम्हेर-कांग्रेस-विश्वेन्द्र सिंह
नदबई-भाजपा-कृष्णेन्द्र कौर दीपा

सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर-भाजपा-दीया कुमारी
गंगापुरसिटी-भाजपा-मानसिंह गुर्जर
खंडार-भाजपा-जितेन्द्र गोठवाल
बामनवास-भाजपा-कुं जीलाल मीणा

धौलपुर

बाड़ी-कांग्रेस- गिर्राज सिंह मलिंगा
राजाखेड़ा-कांगे्रस-प्रद्युम्न सिंह
धौलपुर-बसपा-बी एल कुशवाह
बसेड़ी-भाजपा-रानी कोली

करौली

करौली-कांग्रेस-दर्शन सिंह
सपोटरा-कांग्रेस-रमेश मीणा
हिंडौन-भाजपा-राजकुमारी
टोडाभीम-कांग्रेस-घनश्याम मेहर

जयपुर संभाग

जयपुर

कोटपूतली-कांग्रेस-राजेन्द्र यादव
विराटनगर-भाजपा-फूलचंद भिंडा
शाहपुरा-भाजपा-राव राजेन्द्र सिंह
चौमूं-भाजपा-रामलाल शर्मा
फुलेरा-भाजपा-निर्मल कुमावत
दूदू-भाजपा-प्रेम चंद बैरवा
झोटवाड़ा-भाजपा-राजपाल सिंह
आमेर-राजपा-नवीन पिलानिया
जमवारामगढ़-भाजपा-जगदीश मीणा
हवामहल-भाजपा-सुरेन्द्र पारीक
विद्याधर नगर-भाजपा-नरपत सिंह
सिविल लाइंस-भाजपा-अरूण चतुर्वेदी
किशनपोल-भाजपा-मोहन लाल गुप्ता
आदर्श नगर-भाजपा-अशोक परनामी
मालवीय नगर-भाजपा-कालीचरण सर्राफ
सांगानेर-भाजपा-घनश्याम तिवाड़ी
बगरू-भाजपा-कैलाश वर्मा
बस्सी-निर्दलीय अंजू धानका
चाकसू-भाजपा-लक्ष्मीनारायण बैरवा

अलवर

अलवर ग्रामीण-भाजपा-जयराम जाटव
तिजारा-भाजपा-मम्मन सिंह यादव
कठूमर-भाजपा-मंगलराम कोली
मुण्डावर-भाजपा-धर्मपाल चौधरी
रामगढ-भाजपा-ज्ञानदेव आहूजा
बानूसर-कांग्रेस-शकुंतला रावत
किशनगढ़बास-भाजपा-रामहेत सिंह यादव
बहरोड-भाजपा-जसवंत यादव
अलवर शहर-भाजपा-बनवारी लाल सिंघल
थानागाजी-भाजपा- हेमसिंह भडाना
राजगढ़-लक्ष्मणगढ़-राजपा -गोलमा देवी

दौसा

दौसा-भाजपा- शंकर शर्मा
बांदीकुई-भाजपा-अल्का सिंह
ुमहुवा-भाजपा-ओमप्रकाश हुडला
सिकराय-राजपा-गीता वर्मा
लालसोट-राजपा-किरोड़ी लाल

सीकर

फतेहपुर-निर्दलीय-नन्दकिशोर महरिया
लक्ष्मणगढ़-कांग्रेस-गोविंद सिंह डोटासरा
धोद-भाजपा-गोरधन
सीकर-भाजपा-रतन जलधारी
दांतारामगढ़-कांग्रेस-नारायण सिंह
खण्डेला-भाजपा-बंशीधर बाजिया
नीम का थाना-भाजपा-प्रेम सिंह बाजौर
श्रीमाधोपुर-भाजपा-झाबर सिंह खर्रा

उदयपुर संभाग

गोगुन्दा-भाजपा-प्रतापलाल भील
झाड़ोल-कांग्रेस-हीरालाल दरांगी
खैरवाड़ा-भाजपा-नानालाल अहारी
उदयपुर ग्रामीण-भाजपा-फूलचंद मीणा
उदयपुर-भाजपा-गुलाब चंद कटारिया
मावली-भाजपा-दलीचन्द डांगी
वल्लभनगर-निर्दलीय-रणधीर सिंह
सलूम्बर-भाजपा-अमृत लाल मीणा

चित्तौड़गढ़

कपासन-भाजपा-अर्जुनलाल जीनगर
बेगूं-भाजपा-सुरेश धाकड़
निम्बोहड़ा-भापजा-श्रीचंद $कपलानी
चित्तौड़गढ़-भाजपा-चन्द्रभान सिंह आक्या
बड़ी सादड़ी-भाजपा-गौतम

प्रतापगढ़

्रप्रतापगढ़-भाजपा-नंदलाल मीणा
धरियावाद-भाजपा-गौतम मीणा

राजसमंद

राजसमंद-भाजपा-किरण माहेश्वरी
नाथद्वारा-भाजपा-कल्याण सिंह चौहान
भीम-भाजपा-हरीसिंह रावत
कुंभलगढ़-सुरेन्द्र सिंह राठौड़

बासंवाड़ा

बांसवाड़ा-भाजपा-धनसिंह रावत
घाटोल-भाजपा-नवनीत निनामा
गढ़ी-भाजपा-जीतमल खांट
बागीदौरा-कांग्रेस-महेन्द्रजीत मालवीय
कुशलगढ़-भाजपा-भीमा

डूंगरपुर

डूंगरपुर-देवेन्द्र कटारा-भाजपा
आसपुर-भाजपा-गोपीचन्द मीणा
सागवाड़ा-भाजपा-अनिता कटारा
चौरासी-भाजपा-सुशील कटारा

बाड़मेर जिले की सात विधानसभा परिणाम देखिये किसे कितने मत मिले

बाड़मेर जिले की सात विधानसभा  परिणाम देखिये किसे कितने मत मिले

छ: पर भाजपा एवं एक पर कांग्रेस विजयी

बाडमेर, 8 दिसम्बर। विधानसभा चुनाव 2013 के मतों की गणना रविवार को की गर्इ। मतगणना के पश्चात प्राप्त परिणामों में छ: विधानसभा क्षेत्रों पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विजयी घोषित किए गए जबकि एक विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहा।

जिला निर्वाचन अधिकारी भानु प्रकाष एटूरू ने बताया कि मतो ंकी गणना के पश्चात शिव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार मानवेन्द्रसिंह, बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार मेवाराम जैन, बायतु विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार कैलाश चौधरी, पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार अमराराम चौधरी, सिवाना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार हमीरसिंह भायल, गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार लादूराम तथा चौहटन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार तरूणराय कागा विजयी रहें।

शिव विधानसभा क्षेत्र

जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि शिव में कांग्रेस के अमीन खान को 69000, भाजपा के मानवेन्द्र सिंह को 99913, बहुजन समाज पार्टी के रेखाराम को 2619, बहुजन संघर्ष दल के किशनाराम मेघवाल को 886, भारत नव निर्माण पार्टी के दमाराम को 562, जागो पार्टी के सवार्इसिंह को 431, भारतीय युवा शकित पार्टी के हसन को 756 तथा निर्दलीय कैलाश बेनीवाल को 1960 मत मिले। वहीं 2892 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।

बाडमेर विधानसभा क्षेत्र

बाडमेर विधानसभा क्षेत्र में बीएसपी के चन्द्रप्रकाश को 1921, सीपीआर्इ के नानकदास धारीवाल को 1557, भाजपा की डा. प्रियंका चौधरी को 58042, कांग्रेस के मेवाराम जैन को 63955, बीवार्इएस के मदन मोहन को 2249, जागो पार्टी के लालचन्द गोदारा को 684, शिव सेना के हुकमीचन्द लुणिया को 443, निर्दलीय बन्नाराम दर्जी को 595, भवानीसिंह को 1059, डा. मृदुरेखा चौधरी को 19518, शंकरलाल को 2279, सफी मोहम्मद को 2221 तथा हरीश चण्डक 1412 मत मिले । वहीं 2633 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।

बायतु विधानसभा क्षेत्र

बायतु विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के कैलाश चौधरी को 73097, बसपा के शिवाराम को 3499, कांग्रेस के कर्नल सोनाराम चौधरी को 59123, जागो पार्टी के नारायण राम को 3071 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।

पचपदरा विधानसभाब क्षेत्र

पचपदरा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के अमराराम चौधरी को 77476, कांग्रेस के मदन प्रजापत को 54239, बसपा के रामसिंह को 1536, जागो पार्टी के खरथाराम को 225, एनपीपी के तेजाराम देवासी को 196, आरएवीपी के पीराराम भील को 124, बीवार्इएस के श्रवणसिंह को 213, निर्दलीय अब्दुल रहमान को 937, केवलचन्द को 154, गोबरराम को 297, रतनलाल को 218, राजेन्द्रसिंह को 426 तथा हंसराज मेघवाल को 2433 मत मिले। वहीं 4053 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।


सिवाना विधानसभा क्षेत्र

सिवाना विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के मंहत निर्मलदास को 48313, बसपा के विजयराज को 10020, भाजपा के हमीरसिंह भायल को 69014, एनपीपी के मेहराराम रार्इका को 1908, बीवार्इएस के हिम्मताराम सेन को 1198, निर्दलीय पोपटराम सरगरा को 3668, रेवत कुमार मेघवाल को 3929 मत मिले। वहीं 4060 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।

गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र

गुडामालानी विधानसभा क्षेत्र में सीपीआर्इ के रिडमल राम को 3042, भाजपा के लादूराम विश्नोर्इ को 91619, बसपा के सुमान खान को 2734, कांग्रेस के हेमाराम चौधरी को 58464, एनपीपी के नरेन्द्र कुमार को 2717, बीवार्इएस के रामलाल को 1526 तथा निर्दलीय गणेशाराम को 2138 मत मिले। वहीं 2109 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।

चौहटन विधानसभा क्षेत्र

चौहटन विधानसभा क्षेत्र में बसपा के जूजाराम मेघवाल को 4330, भाजपा के तरूणराय कागा को 88647, कांग्रेेस के पदमाराम मेघवाल को 65121, बीवार्इएस के धूडाराम को 4860, एनपीपी के लक्ष्मण वडेरा को 4503 तथा निर्दलीय रायमल को 3352 मत मिले । वहीं 4050 मतदाताओं ने नोटा के पक्ष में मतदान किया।

शनिवार, 7 दिसंबर 2013

एक्सक्लूसिव। .... मानवेन्द्र सिंह और हरीश चौधरी कि प्रतिष्ठा दांव पर ?कल होगा फैसला

एक्सक्लूसिव। .... मानवेन्द्र सिंह और हरीश चौधरी कि प्रतिष्ठा दांव पर ?कल होगा फैसला


बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर जैसलमेर कि नौ विधानसभा सीटो के परिणाम बाड़मेर जिले के दो युवा नेताओ पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह और सांसद हरीश चौधरी कि प्रतिष्ठा तय करेगी। भाजपा ने दो जिले कि सभी नौ सीटो पर मानवेन्द्र सिंह और कांग्रेस ने सांसद हरीश चौधरी को प्रभारी बनाया था। चूँकि मानवेन्द्र सिंह स्व्यं शिव विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हें।


भाजपा ने इस बार पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह पर भरोसा किया तथा नौ सीटो पर जीत कि जिम्मेदारी उन्हें दी। प्रथम चरण में टिकट बंटवारे के बाद उन्होंने जैसलमेर में सांग सिंह का नामांकन वापस दिलाया साथ ही बायतु के वरिष्ठ नेता बालाराम मूंढ को सक्रीय कर सफलता हासिल कि साथ ही उनके प्रयासो से बाड़मेर में जाट मतदाताओ सहित अनुसूचित जाती जन जाती का ध्रुवीकरण करने में भी उन्हें सफलता मिली ,मानवेन्द्र सिंह के कारण बड़ी संख्या में मुस्लिम वर्ग भी भाजपा से जुड़ा ,क्षेत्र में भाजपा को राजपूत जाट ध्रुवीकरण उनकी बड़ी सफलता हें ,. इस ध्रुवीकरण के कारन भाजपा को सभी सीटो पर फायदा हुआ या नहीं यह परिणाम के बाद पता चलेगा ,खुद मानवेन्द्र ने शिव से मुस्लिम दिग्गज नेता अमिन खान को कड़ी टक्कर दी हें व् कांग्रेस के परंपरागत समीकरण तहस नहस कर दिए ,उन पर शिव के अलावा सभी आठ सीटे जिताने कि जिम्मेदारी हें। इसमे कितने सफल होंगे यह कल तय होगा। अगर भाजपा सात आठ सीटे जीत जाती हें तो जीत का सेहरा यकीनन मानवेन्द्र सिंह के सर पर बंधेगा और राजस्थान कि राजनीती में उनका कद बढ़ेगा


कांग्रेस ने बाड़मेर जैसलमेर कि जिम्मेदारी सांसद हरीश चौधरी को दी थी ,हरीश चौधरी पहले फेर में जिले कि टिकटों कि दुविधा में थे ,उन्होंने सिवाना में महंत निर्मलदास और जैसलमेर से राजपूत का टिकट काट कर रूपाराम धंदे पर विश्वास जताया ,जबकि यह दोनों क्षेत्र राजपूतो के परंपरागत क्षेत्र हें ,सांसद कि दखलंदाजी के कारन टिकते बदलनी पड़ी। पचपदरा में कांग्रेस के विरोध के बावजूद मदन प्रजापत को टिकट दिलाना ,शिव से हादी परिवार कि बहु शम्मा खान कि टिकट कट कर अमिन खान को दिलाना ,वरिष्ट नेता हेमाराम चौधरी के सिवाना में कलबी जाती के प्रत्यासी को टिकट देने कि मांग कि अनदेखी ,बहुत सरे निर्णयो पर सांसद कि भूमिका रही हें ,विधानसभा चुनावो के दौरान कांग्रेस प्रत्यासियो के लिए प्रचार प्रसार में उनके द्वारा कई सभाओ का आयोजन किया गया ,उन पर कांग्रेस ने भरोसा किया इस भरोसे पर वो कितना खरा उतरेंगे यह रविवार को तय होगा। इतना तय हे इन चुनावो में इन दोनों दिग्गजों में से एक को शाबासी और दूसरे के हिस्से में नाकामी आणि तय हें।


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